राष्ट्रीय
ज्ञान आयोग की पहल पर चार साल पहले देश में राष्ट्रीय अनुवाद मिशन बनाया
गया। करीब 74 करोड़ रुपये बजट वाले इस मिशन का काम विभिन्न भारतीय भाषाओं
को अनुवाद के जरिए जन-जन तक पहुंचाना है। देश में अनुवाद की उपयोगिता की यह
सिर्फ एक बानगी है। व्यापक स्तर पर देखें तो विश्व को एक गांव बनाने का
सपना पूरा करने में अनुवादक आज अहम भूमिका निभा रहा है। चाहे विदेशी
फिल्मों की हिन्दी या दूसरी भाषा में डबिंग हो या फैशन की नकल, इंटीरियर
डेकोरेशन का काम हो या ड्रेस डिजाइनिंग, अनुवादक की हर जगह जरूरत पड़ रही
है। संसद की कार्यवाही का आम जनता तक पलक झपकते पहुंचाने का काम भी अनुवादक
के जरिए ही संभव होता है। इसके जरिए हम कुछ वैसा ही अनुभव करते और सोचते
हैं, जैसा दूसरा कहना चाहता है। एक दूसरे को जोड़ने में और परस्पर संवाद
स्थापित करने में अनुवादक की भूमिका ने युवाओं को भी करियर की एक नई राह
दिखाई है। इस क्षेत्र में आकर कोई अपनी पहचान बनाने के साथ-साथ अच्छा-खासा
पैसा कमा सकता है। अनुवादक और इसी से जुड़ा इंटरप्रेटर युवाओं के लिए करियर
का नया क्षेत्र लेकर हाजिर है।
अनुवादक
की कला से रू-ब-रू कराने के लिए आज विश्वविद्यालयों और विभिन्न शिक्षण
संस्थानों में कोर्स भी चल रहे हैं। यह कोर्स कहीं डिप्लोमा रूप में हैं तो
कहीं डिग्री के रूप में। अनुवाद में आज विश्वविद्यालयों में एम. फिल,
पीएचडी का काम भी जगह-जगह कराया जा रहा है। हालांकि अनुवाद का काम महज
डिग्री व डिप्लोमा से ही सीखा नहीं जा सकता। इसके लिए निरंतर अभ्यास और
व्यापक ज्ञान की भी जरूरत पड़ती है। यह दो भाषाओं के बीच पुल का काम करता
है। अनुवादक को इस कड़ी में स्रोत भाषा से लक्ष्य भाषा में जाने के लिए
दूसरे के इतिहास और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का भी ज्ञान हासिल करना पड़ता है।
एक प्रोफेशनल अनुवादक बनने के लिए आज कम से कम स्नातक होना जरूरी है।
इसमें दो भाषाओं के ज्ञान की मांग की जाती है। उदाहरण के तौर पर
अंग्रेजी-हिन्दी का अनुवादक बनना है तो आपको दोनों भाषाओं की व्याकरण और
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का ज्ञान जरूर होना चाहिए।
अनुवाद की कला में दक्ष युवाओं के लिए आज विभिन्न सरकारी संस्थानों, निजी संस्थानों, कंपनियों और बैंकों में काम के कई अवसर हैं।
ज्यादातर राज्यों की राजभाषा और संपर्क भाषा होने के कारण हिन्दी अनुवादक की आज देश के विभिन्न सरकारी संस्थानों में सबसे अधिक मांग है। कर्मचारी चयन आयोग इसके लिए हर वर्ष प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित करता है। इसमें हिन्दी या अंग्रेजी से स्नातक व स्नातकोत्तर की योग्यता की मांग की जाती है। डिग्री के अलावा कई जगहों पर अनुवाद में डिप्लोमा की भी जरूरत पड़ती है।
केन्द्रीय
स्तर पर लोकसभा, राज्यसभा और विभिन्न मंत्रालयों में अनुवादक की जरूरत
होती है। सरकारी संस्थानों के अलावा बैंकों, बीमा कंपनियों व कॉरपोरेट
सेक्टर में अनुवादक को काम के अवसर प्रदान किए जाते हैं।
बैंकों
में राजभाषा अधिकारी ही अनुवाद के काम को पूरा कराता है, इसलिए वहां
अनुवादक की भूमिका बदल जाती है। वहां अनुवादक की योग्यता रखने वाले युवा को
राजभाषा अधिकारी के रूप में काम करने का मौका मिलता है। कई जगहों पर
हिन्दी सहायक के रूप में काम करने का मौका मिलता है। धीरे-धीरे अनुभव और
उम्र के साथ पदोन्नति होती है। अनुवादक को सहायक निदेशक, उपनिदेशक और
निदेशक के रूप में काम करने का मौका मिलता है। अनुवादक स्वतंत्र रूप से भी
अपना काम कर सकता है। चाहे तो कोई अनुवाद ब्यूरो खोल कर भी विभिन्न निकायों
और संस्थाओं में अनुवाद के काम को कर सकता है।
सरकारी
स्तर से हट कर देखें तो अनुवादक का काम ज्यादातर क्षेत्रों में है। चाहे
मीडिया जगत हो, फिल्म इंडस्ट्री, दूतावास हो या कोई संग्रहालय, व्यापार
मेला हो या फिर शहरों में लगने वाली प्रदशर्नियां।
सामान्यत:
आम लोगों को किसी भाषा और कला का मर्म आमतौर पर अनुवाद के जरिए ही समझाया
जाता है। अनुवाद सिर्फ अंग्रेजी-हिन्दी या हिन्दी-अंग्रेजी ही नहीं, अन्य
भारतीय भाषाओं में भी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विदेशी भाषा का दूसरी
भाषा में अनुवाद कमाई के लिहाज से काफी अच्छा विकल्प है।
मसलन यहां स्पैनिश से अंग्रेजी या हिन्दी या अन्य दूसरी भाषा में अनुवाद करने का पैसा ज्यादा मिलता है।
अनुवादक बनाम इंटरप्रेटर
अनुवाद
एक लिखित विधा है, जिसे करने के लिए कई साधनों की जरूरत पड़ती है। मसलन
शब्दकोश, संदर्भ ग्रंथ, विषय विशेषज्ञ या मार्गदर्शक की मदद से अनुवाद
कार्य को पूरा किया जाता है। इसकी कोई समय सीमा नहीं होती। अपनी मर्जी के
मुताबिक अनुवादक इसे कई बार शुद्धिकरण के बाद पूरा कर सकता है। इंटरप्रेटशन
यानी भाषांतरण एक भाषा का दूसरी भाषा में मौखिक रूपांतरण है। इसे करने
वाला इंटरप्रेटर कहलाता है। इंटरप्रेटर का काम तात्कालिक है। वह किसी भाषा
को सुन कर, समझ कर दूसरी भाषा में तुरंत उसका मौखिक तौर पर रूपांतरण करता
है। लोकसभा के सेवानिवृत्त इंटरप्रेटर सुभाष भूटानी कहते हैं, इसे मूल भाषा
के साथ मौखिक तौर पर आधा मिनट पीछे रहते हुए किया जाता है। बहुत कुछ
यांत्रिक ढंग का भी होता है। हालांकि करियर के लिहाज से देखें तो
इंटरप्रेटर को लोकसभा में प्रथम श्रेणी के अधिकारी का दर्जा प्राप्त है।
यहां यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। भूटानी के मुताबिक संसद में अनेक
भाषा के प्रतिनिधि रहते हैं। उन्हें उनकी भाषाओं में समझाने का काम
इंटरप्रेटर ही करता है। उनकी मूल भाषा में कही गई बात को संसद में भी रखता
है। लोकसभा के अलावा ऐसे सम्मेलन, जहां अनेक भाषा के लोग होते हैं, उन्हें
एक भाषा में कही गई बात को उसी समय दूसरी भाषा में बताने और समझाने का काम
इंटरप्रेटर ही करता है। सरकारी के अलावा विदेशी कंपनियों को किसी देश में
व्यवसाय स्थापित करने या टूरिस्ट को भी इंटरप्रेटर की जरूरत पड़ती है। एक
इंटरप्रेटर यहां भी स्वतंत्र रूप में अपनी सेवा दे सकता है।
विदेश
मंत्रालय में दूसरे देश के प्रतिनिधियों से होने वाली बातचीत या वार्तालाप
को इंटरप्रेटर ही अंजाम देता है। भारत से अगर कोई शिष्ट मंडल दूसरे देश
में जाता है तो वहां भी इंटरप्रेटर साथ में चलता है।
जहां
तक कोर्स का सवाल है, भूटानी कहते हैं, सरकारी संस्थानों में इसके लिए कोई
कोर्स नहीं चल रहा है। दरअसल यह अनुवाद पाठ्यक्रम का ही एक हिस्सा है।
अनुवाद कोर्स में इस विधा के बारे में अलग से बताया जाता है। जब इंटरप्रेटर
की नियुक्ति होती है तो उसे पहले लिखित परीक्षा से गुजरना होता है।
कोर्स
अनुवादक
बनने के लिए विश्वविद्यालयों में मूल तौर पर डिप्लोमा और डिग्री कोर्स है।
डिप्लोमा एक साल का होता है। इसमें दाखिला लेने के लिए किसी भाषा में
स्नातक होना जरूरी है। साथ ही दूसरी भाषा के ज्ञान और पढ़ाई की भी मांग की
जाती है। मसलन अंग्रेजी-हिन्दी डिप्लोमा कोर्स दोनों का ज्ञान होना जरूरी
है। इनमें से छात्र ने किसी एक में स्नातक किया हो और इसके साथ ही साथ
दूसरी भाषा भी पढ़ी हो। एमए कराने का मकसद छात्रों को अनुवादक बनाने के
अलावा अनुवाद के क्षेत्र में शोध और अध्यापन की ओर ले जाना होता है।
विश्वविद्यालयों में अनुवाद में एमफिल और पीएचडी का भी कोर्स कराया जा रहा
है।
एडमिशन अलर्ट
एमएएचएआर का डिग्री कोर्स
देहरादून
स्थित मधुबन एकेडमी ऑफ हॉस्पिटैलिटी एडमिनिस्ट्रेशन एंड रिसर्च (एमएएचएआर)
ने 2010-2013 के शैक्षणिक सत्र के लिए अपने तीन वर्षीय डिग्री कोर्स बीए
इंटरनेशनल हॉस्पिटैलिटी एडमिनिस्ट्रेशन की घोषणा की है। यह इग्नू और सिटी
एंड गिल्ड्स ऑफ लंदन इंस्टीटय़ूट द्वारा मान्यता प्राप्त डिग्री कोर्स है।
यह कोर्स अपनी तरह का पहला लर्निंग सिस्टम है, जो अमेरिका होटल एंड लॉजिंग
एजुकेशन इंस्टीटय़ूट के पाठय़क्रमों को लागू कर रहा है। द्वितीय वर्ष में 22
सप्ताह की इंडस्ट्रियल एक्सपोजर ट्रेनिंग को पूर्ण करने के बाद अगली
शैक्षणिक अवधि में दाखिला निश्चित होगा। इसके लिए छात्र का अंग्रेजी के साथ
12वीं पास होना अनिवार्य है। www.maharedu.com
ट्रांसलेटर/ इंटरप्रेटर के प्रमुख संस्थान
भारतीय अनुवाद परिषद
भारतीय
भाषाओं के तुलनात्मक अध्ययन में अनुवाद की जरूरत को ध्यान में रखते हुए
दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों व प्रोफेसरों के सहयोग से डा. गार्गी
गुप्ता ने 1964 में भारतीय अनुवाद परिषद की स्थापना की। अनुवाद के क्षेत्र
में विशेष तौर पर काम करने के लिए यह संस्था तब से लेकर अब तक निरंतर
प्रगति की राह पर है। यहां कुशल अनुवादक बनाने के लिए एक वर्षीय पीजी
डिप्लोमा का कोर्स कराया जाता है। इसे पार्ट टाइम के रूप में कोई भी छात्र
कर सकता है। कक्षाएं शाम को होती हैं। संस्थान अनुवाद की पत्रिका और
अनुवाद के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य के लिए हर वर्ष विभिन्न विद्वानों को
पुरस्कृत भी करती है। इसे मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने विशेष तौर पर
स्वीकृति प्रदान की है।
पता : 24 स्कूल लेन, बंगाली माकेट, नई दिल्ली फोन : 23352278 वेबसाइट: www.
अन्य प्रमुख संस्थान
दिल्ली विश्वविद्यालय
हिन्दी विभाग, उत्तरी परिसर
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय,
मैदान गढ़ी, नई दिल्ली
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय
न्यू महरौली रोड, नई दिल्ली
कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरूक्षेत्र, हरियाणा
भारतीय विद्या भवन, मेहता भवन, कस्तूरबा गांधी मार्ग, नई दिल्ली
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Monday, August 31, 2015
ट्रांसलेटर/ इंटरप्रेटर दो संस्कृतियों को समझने की कला
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