Sunday, August 9, 2015

खनन इंजीनियरिंग में है सुनहरा भविष्य

गौरतलब है कि हमारे देश में खनिज संपदा का प्रचुर भंडार है। बिहार, झारखंड, उड़ीसा, मध्य प्रदेश व पश्चिम बंगाल आदि राज्यों से भारी मात्रा में खनिज पदार्थ प्राप्त होते हैं। देश की अर्थव्यवस्था में खनिज संपदा का महत्वपूर्ण स्थान है। अतः देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने केलिए शिक्षित- प्रशिक्षित खनन इंजीनियरों की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। 

खनन इंजीनियरिंग के तहत खनिज, पेट्रोलियम तथा अन्य भूगर्भीय पदार्थ शामिल होते हैं। देश में खनन कार्यों में आई भारी तेजी के कारण यह क्षेत्र इंजीनियरिंग की एक प्रमुख शाखा बन चुका है। खनन इंजीनियरिंग के अंतर्गत धरती के भीतर खनिज पदार्थों की मौजूदगी का पता लगाना तथा सुरक्षित तरीके से उनकी खुदाई कर धरती से बाहर निकालना शामिल है।

खनन इंजीनियरिंग के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए विशेष प्रशिक्षण एवं कौशल की जरूरत होती है। जिन युवाओं की खनन इंजीनियरिंग के क्षेत्र में गहन रुचि हो केवल उन्हें ही इस क्षेत्र में कदम आगे बढ़ाना चाहिए क्योंकि इस क्षेत्र में काफी चुनौतियां हैं। खनन इंजीनियरिंग के कार्यक्षेत्र में प्रमुख रूप से उत्खनन, कच्चे खनिज पदार्थों का शुद्धिकरण आदि आते हैं। 

खनन इंजीनियर न केवल खनिजों से धातु और मिश्रधातु का उत्पादन करते हैं, बल्कि इस प्रक्रिया के दौरान वातावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को भी कम करने का प्रयास करते हैं। सामान्य रूप से खनन प्रक्रिया एक सुनियोजित भू-प्रायोगिक सर्वे के बाद ही प्रारंभ की जाती है। जिससे यह पता चल जाता है कि पृथ्वी के अंदर कितनी मात्रा में खनिज पदार्थ मौजूद हैं। एक तरीका यह भी है कि सर्वे के अंतर्गत चिहिंत क्षेत्र के किसी भी भू-भाग से पत्थरों को निकालकर उनका त्रिस्तरीय अध्ययन कर प्रतिशत का आकलन किया जाता है। 

खनन इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के लिए उम्मीदवार को बारहवीं की परीक्षा भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र एवं गणित विषय से उत्तीर्ण होना आवश्यक है। प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात ही बीटेक, बीई (माइनिंग), बीएससी (माइनिंग इंजीनियरिंग) में प्रवेश दिया जाता है। खनन इंजीनियरिंग के विभिन्न स्नातक पाठ्यक्रमों की अवधि तीन से पांच वर्ष निर्धारित है। इसके बाद छात्र स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम अर्थात एमटेक या एमई जो दो वर्ष का होता है, में प्रवेश के लिए अधिकृत हो जाते हैं।

खनन इंजीनियरिंग का पाठ्यक्रम संचालित करने वाले संस्थानों में प्रवेश परीक्षा के आधार पर ही प्रवेश दिया जाता है। इसके लिए विभिन्न संस्थान अखिल भारतीय स्तर पर लिखित परीक्षा का आयोजन करते हैं। लिखित परीक्षा मुख्यतः बारहवीं स्तर के फिजिक्स, कैमिस्ट्री, मैथ्स व इंग्लिश आदि विषयों पर आधारित होती है। भारत में डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद में कई तरह के कोर्स जैसे माइनिंग इंजीनियरिंग, पेट्रोलियम इंजीनियरिंग, मिनरल इंजीनियरिंग और मशीनरी माइनिंग आदि पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं। इस संस्थान में प्रवेश के लिए प्रत्येक वर्ष जनवरी-फरवरी में आवेदन पत्र आमंत्रित किए जाते हैं।

रोजगार की दृष्टि से खनन इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अनुभवी व्यक्तियों की सदैव मांग बनी रहती है। सरकारी अथवा प्राइवेट दोनों ही सेक्टरों में रोजगार के पर्याप्त और उजले अवसर विद्यमान हैं। इस क्षेत्र में शिक्षण अथवा शोध की दिशा में भी कदम बढ़ाया जा सकता है। देश की अनेक प्रतिष्ठित कंपनियों जैसे टाटा आयरन एंड स्टील, रिलायंस पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया, यूरेनियम कॉपोरेशन ऑफ इंडिया, सरकारी खनन निगम आदि में रोजगार के चमकीले अवसर उपलब्ध हैं। 

प्रमुख सार्वजनिक उपक्रमों जैसे हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड, नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन, इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस लिमिटेड में खनन इंजीनियरों की भारी मांग है। इसके अलावा माइनिंग रिसर्च सेंटर, धनबाद, इंडियन एक्सप्लोसिव लिमिटेड, इंडियन डेटोनेटर्स लिमिटेड आदि में भी रोजगार के प्रचुर अवसर हैं।

यहां से करें कोर्स 

1.  इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद, झारखंड।

2.  इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी।

3.  बिहार इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सिंदरी, बिहार।

4.  कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी एंड इंजीनियरिंग, उदयपुर, राजस्थान।

5.  विवसवर्या रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज, नागपुर, महाराष्ट्र।

6.  गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, रायपुर, छत्तीसगढ़।

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