Sunday, January 29, 2017

जोअलॉजी में कॅरियर

जीव-जंतु प्रेमियों को निश्चय ही उनके साथ समय बिताना अच्छा लगता है। आप अपने इसी प्रेम को अपने करियर में भी बदल सकते हैं। प्राणि विज्ञान या जोअलॉजी जीव विज्ञान की ही एक शाखा है, जिसमें जीव-जंतुओं का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है। इसमें प्रोटोजोआ, मछली, सरीसृप, पक्षियों के साथ-साथ स्तनपायी जीवों के बारे में अध्ययन किया जाता है। इसमें हम न सिर्फ जीव-जंतुओं की शारीरिक रचना और उनसे संबंधित बीमारियों के बारे में जानते हैं, बल्कि मौजूदा जीव-जंतुओं के व्यवहार, उनके आवास, उनकी विशेषताओं, पोषण के माध्यमों, जेनेटिक्स व जीवों की विभिन्न जातियों के विकास के साथ-साथ विलुप्त हो चुके जीव-जंतुओं के बारे में भी जानकारी हासिल करते हैं।
अब आपके मन में सवाल उठ रहे होंगे कि प्राणि विज्ञान में किस-किस प्रकार के जीवों का अध्ययन किया जाता है। जवाब है, इस पाठय़क्रम के तहत आप लगभग सभी जीवों, जिनमें समुद्री जल जीवन, चिडियाघर के जीव-जंतु, वन्य जीवों, यहां तक कि घरेलू पशु-पक्षियों के जीव विज्ञान एवं जेनेटिक्स का अध्ययन करते हैं। आइए जानते हैं कि इस क्षेत्र में प्रवेश करने का पहला पड़ाव क्या है?
प्राणि विज्ञान के क्षेत्र में आने के लिए सबसे पहले आपको स्नातक स्तर पर जोअलॉजी की डिग्री लेनी होगी। आमतौर पर यह विषय देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में विज्ञान के विभिन्न विषयों की तरह ही तीन वर्षीय डिग्री पाठय़क्रम के तहत पढ़ाया जाता है।
योग्यता 
जोअलॉजी या प्राणि विज्ञान में स्नातक में प्रवेश के लिए जरूरी है कि छात्र 12वीं कक्षा विज्ञान विषयों, जीव विज्ञान, भौतिकी, रसायन विज्ञान के साथ-साथ गणित से उत्तीर्ण करें। स्नातकोत्तर में प्रवेश के लिए छात्रों का स्नातक स्तर पर 50 प्रतिशत के साथ जोअलॉजी विषय उत्तीर्ण करना जरूरी है।
पाठय़क्रम
बी. एससी. जोअलॉजी (प्राणि विज्ञान)
बी. एससी. जोअलॉजी एंड इंडस्ट्रियल माइक्रोबायोलॉजी (डबल कोर)
बी. एससी. बायो-टेक्नोलॉजी, जोअलॉजी एंड केमिस्ट्री
बी. एससी. बॉटनी, जोअलॉजी एंड केमिस्ट्री
एम. एससी. मरीन जोअलॉजी
एम. एससी. जोअलॉजी विद स्पेशलाइजेशन इन मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी
एम. एससी. जोअलॉजी
एम. फिल. जोअलॉजी
पी. एचडी. जोअलॉजी
फीस 
स्नातक स्तर के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय में फीस लगभग 6,500-10,000 रुपये तक हो सकती है। स्नातकोत्तर और उससे आगे की शिक्षा के लिए फीस संबंधित जानकारी के लिए संबंधित विश्वविद्यालय या संस्थान से संपर्क करें।
ऋण एवं स्कॉलरशिप 
स्नातक स्तर पर जहां तक ऋण की बात है तो अभी यहां ऋण के लिए कोई खास सुविधा नहीं है, जबकि विभिन्न कॉलेज व विश्वविद्यालय अपने छात्रों के लिए स्कॉलरशिप जरूर मुहैया कराते हैं। स्नातक से आगे की पढ़ाई के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग या यूजीसी के साथ-साथ विभिन्न अनुसंधानों में जुटे विभागों या संस्थानों की ओर से भी स्कॉलरशिप की सुविधा प्राप्त की जा सकती है।
यह पाठय़क्रम किसी अन्य प्रोफेशनल कोर्स की तरह नहीं है, जहां स्नातक की डिग्री के साथ ही आप काम के लिए तैयार हो जाते हैं। आमतौर पर माना जाता है कि कम से कम स्नातकोत्तर की डिग्री के साथ जोअलॉजी की किसी खास शाखा में विशेषज्ञता हासिल करने के बाद आप इस क्षेत्र में अपनी सेवाएं देंगे।
शिक्षा सलाहकार अशोक सिंह का कहना है, ‘अगर आप अनुसंधान और शोध के क्षेत्र में आना चाहते हैं तो जोअलॉजी में बी.एससी. के बाद आप एम.एससी. और फिर पीएच.डी. करें। लेकिन छात्रों के लिए 12वीं के स्तर पर ही यह निर्णय लेना जरूरी है कि वे अनुसंधान व शोध के क्षेत्र में आगे जाना चाहते हैं या शिक्षा में।
प्राणि विज्ञान चूंकि जीव विज्ञान की ही एक शाखा है, जो जीव-जंतुओं की दुनिया से संबंधित है, इसलिए यहां पक्षियों के अध्ययन में विशेषज्ञता हासिल करने वाले को पक्षी वैज्ञानिक, मछलियों का अध्ययन करने वाले को मत्स्य वैज्ञानिक, जलथल चारी और सरीसृपों का अध्ययन करने वाले को सरीसृप वैज्ञानिक और स्तनपायी जानवरों का अध्ययन करने वालों को स्तनपायी वैज्ञानिक कहा जाता है। जोअलॉजिस्ट की जिम्मेदारी जानवरों, पक्षियों, कीड़े-मकौड़ों, मछलियों और कृमियों के विभिन्न लक्षणों और आकृतियों पर रिपोर्ट तैयार करना और विभिन्न जगहों पर उन्हें संभालना भी है। एक जोअलॉजिस्ट अपना काम जंगलों आदि के साथ-साथ प्रयोगशालाओं में भी करता है, जहां वे उच्च तकनीक की मदद से अपने जमा किए आंकड़ों को रिपोर्ट की शक्ल देता है और एक सूचना के डेटाबैंक को बनाता है। जोअलॉजिस्ट सिर्फ जीवित ही नहीं, बल्कि विलुप्त हो चुकी प्रजातियों पर भी काम करते हैं।
संभावनाएं
जोअलॉजी में कम से कम स्नातकोत्तर की डिग्री लेने के बाद छात्रों के सामने विभिन्न विकल्प हैं। सबसे पहला विकल्प है कि वे बी.एड. करने के बाद आसानी से किसी भी स्कूल में अध्यापक पद के लिए योग्य हो जाते हैं। इस क्षेत्र में विविधता की वजह से छात्रों के सामने काफी संभावनाएं मौजूद हैं। वे किसी जोअलॉजिकल या बोटैनिकल पार्क, वन्य जीवन सेवाओं, संरक्षण से जुड़ी संस्थाओं, राष्ट्रीय उद्यानों, प्राकृतिक संरक्षण संस्थाओं, विश्वविद्यालयों, फॉरेंसिक विशेषज्ञों, प्रयोगशालाओं, मत्स्य पालन या जल जगत, अनुसंधान एवं शोध संस्थानों और फार्मा कंपनियों के साथ जुड़ सकते हैं। इसके अलावा कई टीवी चैनल्स मसलन नेशनल जीअग्रैफिक, एनिमल प्लैनेट और डिस्कवरी चैनल आदि को अक्सर शोध और डॉक्यूमेंटरी फिल्मों के लिए जोअलॉजिस्ट की जरूरत रहती है।
वेतन 
अगर आप शिक्षा जगत से जुड़ते हैं तो सरकारी और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से निर्धारित वेतन पर नौकरी करेंगे। आमतौर पर एक बी. एड. अध्यापक का वेतन 32 से 35 हजार रुपये प्रति माह होता है। अगर आप एक फ्रेशर के रूप में अनुसंधान और शोध क्षेत्र में प्रवेश करेंगे तो आप प्रति माह 10 से 15 हजार रुपये कमा सकते हैं।
नए क्षेत्र
करियर काउंसलर जितिन चावला की राय में आजकल जोअलॉजी के छात्रों में वाइल्ड लाइफ से संबंधित क्रिएटिव वर्क और चैनलों पर काम करने के प्रति काफी रुझान है, लेकिन यह आसान काम नहीं है। ऐसे काम की डिमांड अभी भी सीमित है। हालांकि इन दिनों निजी स्तर पर चलाए जा रहे फिश फार्म्स काफी देखने में आ रहे हैं। जोअलॉजी के छात्रों के लिए यह एक बढिया व नया करियर विकल्प हो सकता है, खासकर प्रॉन्स फार्मिंग शुरू करने का।
मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज के जोअलॉजी डिपार्टमेंट की हेड प्रोफेसर स्मिता कृष्णन का कहना है कि जोअलॉजी के छात्रों के लिए इको टूरिज्म, ह्यूमन जेनेटिक्स और वेटरनरी साइंसेज के क्षेत्र खुल रहे हैं। जोअलॉजी में डिग्री के बाद वेटरनरी साइंसेज या एनिमल साइंस से संबंधित कोर्सेज किए जा सकते हैं।
करियर एक्सपर्ट कुमकुम टंडन के अनुसार कम्युनिकेशन जोअलॉजिस्ट के तौर पर इलेक्ट्रॉनिक संवाद माध्यमों का उपयोग करते हुए आप जोअलॉजी की जानकारी के प्रसार-विस्तार के क्षेत्र में सक्रिय हो सकते हैं। ट्रैवल इंडस्ट्री में प्लानिंग और मैनेजमेंट लेवल पर अहम भूमिका निभा सकते हैं। समुद्री जीवों और पशुओं की विलुप्त होती प्रजातियों के संरक्षण की दिशा में अपना करियर बनाने की सोचें। यह वक्त की जरूरत है कि जोअलॉजिस्ट को जीअग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम और पशुओं की ट्रैकिंग से संबंधित तकनीकों को मिला कर काम करना आता हो।

साक्षात्कार
संभावनाओं की यहां कोई कमी नहीं
जोअलॉजी विषय की बारीकियों और देश-विदेश में इस क्षेत्र की संभावनाओं के बारे में बता रही हैं दिल्ली विश्वविद्यालय के मैत्रेयी कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रेनु गुप्ता
प्राणि विज्ञान के क्षेत्र में किस प्रकार के छात्र अपना भविष्य देख सकते हैं?
जोअलॉजी में वही छात्र प्रवेश लें, जिन्हें जीव-जन्तुओं से प्यार हो, साथ ही साथ वे व्यवहारिक भी हों। पहले तो कॉलेजों में प्रैक्टिकल्स के दौरान चीर-फाड़ भी करनी पड़ती थी, जिसे अब एनिमल एथिक्स के चलते बंद किया जा चुका है, बावजूद इसके छात्र को खुद को इतना मजबूत रखना चाहिए कि वे खून या जीवों से जुड़ी अन्य चीजों को देख कर परेशान न हो जाएं। उन्हें जानवरों से डर नहीं लगना चाहिए।
स्नातक के बाद छात्र किस प्रकार आगे बढ़ सकते हैं?
स्नातक तो जोअलॉजी की पहली सीढ़ी है। इससे आगे छात्र विभिन्न दिशाओं में आगे बढ़ सकते हैं। जो छात्र शिक्षा के क्षेत्र में आना चाहते हैं, वे स्नातक के बाद बी.एड. करके 8वीं कक्षा के छात्रों को विज्ञान विषय और स्नातकोत्तर के बाद बी.एड. व एम.एड. करके स्कूल में 10वीं व 12वीं तक के छात्रों को पढ़ा सकते हैं। इसके अलावा स्नातकोत्तर कर वे देश की अनुसंधान एवं शोध संस्थाओं में प्रोजेक्ट फेलो के रूप में शुरुआत कर सकते हैं। आज जोअलॉजी में विशेषज्ञता के लिए इतने विषय हैं कि वे जोअलॉजी विषयों के विशेषज्ञों के साथ-साथ माइक्रोबायोलॉजिस्ट, फूड टेक्नोलॉजिस्ट, एनवायर्नमेंटलिस्ट, इकोलॉजिस्ट आदि की भूमिका भी निभा सकते हैं।
इस क्षेत्र में करियर के लिहाज से क्या संभावनाएं हैं?
संभावनाओं की यहां कोई कमी नहीं है। आप स्नातक के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन और उसके आगे एम. फिल. व पीएच.डी. तक कर सकते हैं। अगर आप स्नातकोत्तर हैं तो वन्य जीवन जगत, अनुसंधान एवं शोध संस्थानों, शिक्षा क्षेत्र आदि में नाम कमा सकते हैं।
प्रमुख संस्थान
दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज, नई दिल्ली
www.dducollege.du.ac.in/
गार्डन सिटी कॉलेज, इंदिरा नगर, बेंगलुरू
www.gardencitycollege.edu/in/
अचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज, दिल्ली
andcollege.du.ac.in
मैत्रेयी कॉलेज, दिल्ली
www.maitreyi.ac.in/
देशबंधु कॉलेज, दिल्ली
www.deshbandhucollege.ac.in
श्री वेंकटेश्वर कॉलेज, दिल्ली
www.svc.ac.in/academicpage1.html
सेंट एल्बर्ट्स कॉलेज, महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, कोच्चि
www.alberts.ac.in/ug-courses/
पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज ऑफ साइंस, ओसमानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद
www.osmania.ac.in/oupgcs/
किरोड़ी मल कॉलेज, दिल्ली
www.kmcollege.ac.in/
नफा-नुकसान
प्रकृति के करीब रहने व उसे और करीब से जानने का मौका मिलता है।
इस दिशा में ज्ञान हासिल करने की कोई सीमा नहीं है। आप काफी आगे तक जानकारी के लिए देश-विदेश में शिक्षा हासिल कर सकते हैं।
बाकी क्षेत्रों के मुकाबले शुरुआत में यहां वेतन काफी कम है।

Thursday, January 26, 2017

प्लास्टिक टेक्नोलॉजी में करियर

वर्तमान समय में प्लास्टिक आदमी के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो गया है। आम आदमी की जरूरतों से लेकर उद्योग जगत तक में प्लास्टिक का प्रयोग दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग ने प्लास्टिक टेक्नोलॉजी के क्षेत्र को बहुत व्यापक बना दिया है। इंडस्ट्री का निरंतर विस्तार होने के कारण इसमें विशेषज्ञों की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है। प्लास्टिक टेक्नोलॉजिस्ट का कार्य इस इंडस्ट्री में बहुत ही महत्वपूर्ण है।
कार्य
प्लास्टिक टेक्नोलॉजिस्ट रॉ मैटीरियल को विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजार कर प्रोडक्ट्स का निर्माण करते हैं। वे शोध व अनुसंधान का कार्य भी करते हैं। इन्हीं कार्यों के फलस्वरूप हर दिन नए प्रकार के प्रोडक्ट्स बाजार में लॉन्च होते हैं।
योग्यता
बीटेक इन प्लास्टिक टेक्नोलॉजी में प्रवेश पाने के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथमेटिक्स विषयों के साथ 10+2 में कम से कम 50 प्रतिशत अंक हासिल करना जरूरी है। एमटेक या पीजी  डिप्लोमा करने के लिए केमिकल इंजीनियरिंग/ प्लास्टिक रबर टेक्नोलॉजी/ मैकेनिकल इंजीनियरिंग/ टेक्सटाइल इंजीनियरिंग में बीटेक/ बीई डिग्री या डिप्लोमा आवश्यक है। फिजिक्स अथवा केमिस्ट्री में एमएससी करने वाले छात्र भी प्लास्टिक टेक्नोलॉजी में एमटेक कर सकते हैं। जिन छात्रों ने गेट परीक्षा पास की है, उन्हें एमटेक में प्राथमिकता दी जाती है।
व्यक्तिगत गुण
इस इंडस्ट्री में भविष्य संवारने के लिए युवाओं के पास शैक्षणिक योग्यता के साथ कठोर परिश्रम, कल्पनाशीलता तथा भौतिक व रसायन विज्ञान में गहरी रुचि आवश्यक है।
अवसरभारत सरकार ने प्लास्टिक उद्योग को उच्च प्राथमिकता वाला क्षेत्र माना है। भारत में प्लास्टिक की मांग प्रतिवर्ष 10 से 14 फीसदी की दर से बढ़ रही है। इस उद्योग में भारत का 3500 करोड रुपये का सालाना कारोबार है, जिसके 2014 तक 6500 करोड रुपये सालाना होने की उम्मीद है। एक अनुमान के मुताबिक, भारत में बढ़ती प्लास्टिक की खपत को देखते हुए आगामी वर्षां में 15 लाख लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकते हैं। प्लास्टिक टेक्नोलॉजी का कोर्स पूरा कर लेने के बाद कंप्यूटर, इलेक्ट्रिकल या इलेक्ट्रॉनिक्स में नौकरी प्राप्त की जा सकती है। सार्वजनिक क्षेत्र में प्लास्टिक टेक्नोलॉजिस्ट को पेट्रोलियम मंत्रालय, ऑयल ऐंड नेचुरल गैस कमीशन, इंजीनियरिंग संयंत्रों, पेट्रोकेमिकल्स, विभिन्न राज्यों में पॉलिमर्स कॉरर्पोरेशन्स, पेट्रोलियम कंजर्वेशन, रिसर्च असोसिएशन ऑफ इंडिया आदि में करियर के अच्छे अवसर हैं। इसके अलावा मार्केटिंग व प्रबंधन के क्षेत्र में भी काफी स्कोप हैं।
कमाईसरकारी क्षेत्र में प्लास्टिक टेक्नोलॉजिस्ट की शुरुआती सैलरी 8 से 12 हजार रुपये प्रतिमाह होती है। प्राइवेट कंपनियों में शुरुआती स्तर पर 10 से 12 हजार रुपये प्रतिमाह या इससे भी अधिक प्राप्त हो सकते हैं। 2 या 3 सालों के अनुभव के बाद 20 से 30 हजार रुपये प्रतिमाह आसानी से कमा सकते हैं।
कोर्स • बीटेक इन प्लास्टिक टेक्नोलॉजी (4 वर्ष)
 • एमटेक इन प्लास्टिक टेक्नोलॉजी (2 वर्ष)
 • डिप्लोमा/पीजी डिप्लोमा इन प्लास्टिक टेक्नोलॉजी (3-4 वर्ष)
 • डिप्लोमा/पीजी डिप्लोमा इन प्लास्टिक मोल्ड डिजाइन (3-4 वर्ष)
 • पीजी डिप्लोमा इन प्लास्टिक प्रोसेसिंग ऐंड टेस्टिंग (18 माह)
संस्थान
 1. दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, दिल्ली
 2. गोविंद वल्लभपंत पॉलिटेक्निक, नई दिल्ली
 3. इंडियन प्लास्टिक इंस्टीट्यूट, मुंबई
 4. हरकोर्ट बटलर टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट, कानपुर
 5. लक्ष्मीनारायण इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, उत्तर प्रदेश
 6. सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग ऐंड टेक्नोलॉजी, ब्रांच :  भोपाल, चेन्नई, लखनऊ, अहमदाबाद, भुवनेश्वर, मैसूर, गुवाहटी
 7. मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई
 8. संत लोंगोवाल इंडस्ट्री ऑफ इंजीनियरिंग ऐंड  टेक्नोलॉजी, पंजाब
 9. जगत राम गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक होशियारपुर, पंजाब
 10. गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज, कोटा, राजस्थान

Wednesday, January 25, 2017

पर्यावरण विज्ञान में कॅरिअर

मनुष्य, भगवान की कृतियों में से सबसे बुद्धिमान माना जाता है, प्रकृति और उसके सद्भाव के लिए सबसे ज्यादा नुकसान का कारण है। ओजोन रिक्तीकरण, सदाबहार विनाश, अम्ल वर्षा, जैव विविधता और उष्णकटिबंधीय वनों की कटाई की हानि सब एक बिंदु है जहां वे या तो अपरिवर्तनीय या बहुत कम करने के लिए महंगा लग रहे करने के लिए आए हैं। नकारात्मक परिणामों को देखने के लिए सभी के लिए देखते हैं – समुद्र के स्तर से बढ़ रहा है, भूमि क्षरण स्पष्ट है, और अधिक अक्सर या नदी और तटीय क्षेत्रों, लंबे समय से तैयार की सूखे की तीव्र बाढ़ है, अप्रत्याशित जलवायु परिवर्तन पहले से ही हमें प्रभावित कर रहा शुरू कर दिया है।
पर्यावरण वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के लिए एक स्थायी जीवन शैली को बनाए रखने और पर्यावरण मॉडलिंग और क्षति को नियंत्रित करने के लिए वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग के सिद्धांतों और अवधारणाओं के नए अनुप्रयोगों के साथ आने के लिए विभिन्न पर्यावरणीय कारकों को मापने के लिए काम करते हैं, तकनीकी समाधान प्रदान करते हैं।
पर्यावरण विज्ञान में कॅरिअर के सभी शोध, निगरानी और हमारे वायुमंडलीय, स्थलीय और जलीय पर्यावरण को नियंत्रित करने के लिए संबंधित नौकरियों धरना। इसका मतलब है कि पर्यावरण विज्ञान और विभिन्न विभागों में इंजीनियरिंग कटौती सूक्ष्म जीव विज्ञान, वायुमंडलीय विज्ञान, जलवायु प्रबंधन, जल प्रबंधन, ऊर्जा प्रबंधन, पर्यावरण रसायन विज्ञान, पर्यावरण प्रौद्योगिकी, और समुद्र विज्ञान को कवर करने के लिए। एक पर्यावरण विज्ञान की डिग्री है कि पर्यावरण के क्षेत्र में या अन्य संबंधित क्षेत्रों में एक नौकरी के लिए ले जा सकता आवश्यक कौशल के साथ सज्जित।
पर्यावरण विज्ञान क्या है?
पर्यावरण विज्ञान एक समग्र और इन दोनों क्षेत्रों की क्षेत्र है। यह भौतिक, जैविक, और पृथ्वी विज्ञान, जो समझने के लिए पृथ्वी कैसे काम करता है और जीवन का समर्थन करना है की एक एकीकरण है। प्रकृति के सिस्टम की पहचान करके, हम नियंत्रित और असंख्य मानव गतिविधियों के कारण होने वाली अपनी प्रक्रियाओं के लिए व्यवधान को रोकने के लिए चाहते हैं। पर्यावरण को बचाने न केवल मानव स्वास्थ्य बचत लेकिन यह भी कई अन्य प्रकार के जीवन या प्रजाति है कि हमारी वजह से विलुप्त होने के कगार पर हैं की रक्षा करने का मतलब है।
इस प्रकार, पर्यावरण वैज्ञानिकों पर्यावरणीय समस्याओं और उन्हें मुकाबला करने के लिए डिवाइस रणनीतियों के स्रोत की जांच। यह उद्योग के साथ काम करने के कचरे और प्रदूषण को कम करने, दूषित क्षेत्रों की सफाई, और एक क्लीनर और हरियाली ग्रह के लिए नीति बनाने सिफारिशें शामिल हो सकते हैं।
क्या पर्यावरण वैज्ञानिकों ने वास्तव में क्या करते हो?
स्थिति की मांग के रूप में – एक पर्यावरण विशेषज्ञ के रूप में, आप दुनिया भर में यात्रा या घर से काम करने के लिए हो सकता है। अधिकांश पर्यावरण विज्ञान करियर डेस्क काम और म के बीच एक मिश्रण के कुछ प्रकार के होते हैं – और लिखित, शारीरिक या गणितीय पर्यावरण अध्ययन के पहलुओं पर ध्यान केंद्रित।
प्रदूषण या स्वास्थ्य के खतरों पर अनुसंधान के लिए, पर्यावरण वैज्ञानिकों का निर्धारण करने के लिए डेटा संग्रह तरीके हैं; जल, वायु, और मिट्टी के नमूने इकट्ठा करने और उन्हें analse; और मानव गतिविधियों के लिए सहसंबंध पाते हैं। उन्होंने यह भी दस्तावेज़ को रिपोर्ट और प्रस्तुतियों को तैयार करने और अपने निष्कर्षों को समझाने की है।
कुछ पर्यावरण वैज्ञानिकों ने भी आकलन है कि वे सरकार के नियमों और विनियमों या नहीं का पालन कर रहे व्यवसायों और कारखानों का निरीक्षण आचरण, व्यवहार वे अनुसरण कर रहे हैं पर नजर रखने के लिए, और नए पर्यावरण के खतरों के सृजन को रोकने के।
कुछ पर्यावरण विशेषज्ञों पारिस्थितिक मुद्दों के विशेषज्ञ, जबकि दूसरों को मानव स्वास्थ्य के लिए संभावित खतरों के विशेषज्ञ। जल संरक्षण, कार्बन फुटप्रिंट में कमी, स्वच्छ और हरित ऊर्जा के उपयोग में वृद्धि – सभी पर्यावरण विज्ञान के कंबल के नीचे आते हैं। यह अपेक्षाकृत आसान प्रासंगिक कार्य अनुभव के अवसरों को खोजने के बाद से कई पर्यावरण संगठनों अवैतनिक काम के लिए बाहर ले जाने के लिए इच्छुक लोगों से मदद की जरूरत है।
एक पर्यावरण से संबंधित भूमिका में एक स्वैच्छिक क्षमता में कार्य करना अक्सर अधिक विशेषज्ञ के लिए पहला कदम हो सकता है, रोजगार का भुगतान किया। कई छात्रों को अभी भी विश्वविद्यालय में या ऐसे वन्यजीव ट्रस्ट के रूप में संरक्षण संगठनों के साथ भूमिकाओं स्वयं सेवा लेते हैं, या अपने स्थानीय क्षेत्र में चुनाव प्रचार समूहों में सक्रिय हो जाते हैं, जबकि क्लब और समाज में शामिल हो।
स्वयंसेवा आप अनुभव है कि कहीं हासिल करने के लिए कठिन है और प्रतिबद्धता को दर्शाता है देता है। कुछ छात्रों को पर्यावरण संबंधी चिंताओं पर सम्मेलनों और बहस में भाग लेने प्रासंगिक पत्रिकाओं और पत्रिकाओं की सदस्यता लें, या यात्रा के लिए जाना। इन सभी अनुभवों को एक नियोक्ता के लिए प्रेरक हो सकता है।
कौशल और योग्यता की आवश्यकता
पर्यावरण विज्ञान में रुचि रखने वाले छात्रों प्रकृति से प्यार करना चाहिए, और अच्छी तकनीकी के साथ ही संचार कौशल है। उन्होंने यह भी एक समस्या समझ में यह अच्छी तरह से परिभाषित है, और इकट्ठा करने और इसे से संबंधित डेटा का विश्लेषण करने में सक्षम होने की क्षमता होनी चाहिए।
पर्यावरण विज्ञान में B.Sc ऐसा करने में सक्षम होने के लिए आपको कक्षा 11 में पीसीबी (भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान) होनी चाहिए और 12. पर्यावरण विज्ञान या जीव विज्ञान में मास्टर्स लगभग इस क्षेत्र में विकसित करने के लिए अनिवार्य है।
तुम भी पर्यावरण इंजीनियरिंग में B.Tech कर सकते हैं – जिसके लिए आप कक्षा 11 में कक्षा 11 और 12 PCMB (भौतिकी, रसायन विज्ञान, गणित और जीव विज्ञान में पीसीएम (फिजिक्स, केमिस्ट्री और गणित) की आवश्यकता होगी और 12 एक आदर्श विषय संयोजन हो सकता है इस पाठ्यक्रम के लिए।
पर्यावरण विज्ञान के अध्ययन के लिए अपने विशेष पाठ्यक्रम या विशेषज्ञ क्षेत्र के हिसाब से बहुत विशिष्ट कौशल के साथ प्रदान करता है। तुम भी हस्तांतरणीय कौशल सहित, की एक व्यापक सेट का विकास होगा:
* अनुसंधान और समस्या को सुलझाने के कौशल;
* वैज्ञानिक, नैतिक और दार्शनिक दृष्टिकोण से तर्क को विकसित करने में क्षमता;
* योजना और परियोजनाओं का प्रबंधन करने की क्षमता;
* दूसरों के लिए, इकट्ठा विश्लेषण और संवाद जटिल तकनीकी डाटा करने की क्षमता;
* लचीलापन वातावरण, क्षेत्र के काम के अनुभव के माध्यम से विकसित की सभी प्रकार में काम करने के लिए;
* संख्यात्मक और आईटी कौशल, सांख्यिकी और माप तकनीक के आवेदन के माध्यम से विकसित की है,
* स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक पर्यावरण के मुद्दों की एक व्यापक समझ।
शीर्ष कॉलेजों और संस्थानों पर्यावरण विज्ञान और इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रमों की पेशकश
आप से पर्यावरण विज्ञान में M.Sc कर सकते हैं:
* फर्ग्युसन कॉलेज (एफसी पुणे), पुणे
* डॉ। बी.आर. अम्बेडकर मुक्त विश्वविद्यालय, हैदराबाद
* बड़ौदा, वडोदरा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय
विज्ञान और प्रौद्योगिकी (CUSAT), कोच्चि के * कोचीन विश्वविद्यालय
* एमिटी विश्वविद्यालय (एयू नोएडा), नोएडा
* पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू), चंडीगढ़
* वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय, सूरत
* जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली
*महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक
* गुरू जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, हिसार के विश्वविद्यालय
पारिस्थितिकीय * इंडियन इंस्टीट्यूट और पर्यावरण, दिल्ली
* दूरस्थ शिक्षा-भारथिअर युनिवर्सिटी, कोयंबटूर स्कूल
* बुंदेलखंड विश्वविद्यालय (बीयू), उत्तर प्रदेश
* उत्तर महाराष्ट्र विश्वविद्यालय (NMU), जलगांव
आप से पर्यावरण इंजीनियरिंग में B.Tech कर सकते हैं:
* खान (आईएसएम), धनबाद के इंडियन स्कूल
* दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, दिल्ली
* इंजीनियरिंग (LDCE), अहमदाबाद के एल डी कॉलेज
* तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (टीएनएयू), कोयंबटूर
* इंजीनियरिंग (SJCE), मैसूर के श्री जयचमराजेंद्र कॉलेज
* गलगोटिया यूनिवर्सिटी (गुजरात ग्रेटर नोएडा), ग्रेटर नोएडा
* एमिटी विश्वविद्यालय, जयपुर
* P.E.S। इंजीनियरिंग (PESCE), कर्नाटक के कॉलेज
* भरत विश्वविद्यालय (बीयू), चेन्नई
* Adamas विश्वविद्यालय, कोलकाता
* विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बेलगाम
सूचना प्रौद्योगिकी के * जेपी विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश
* आंध्र विश्वविद्यालय (एयू, विशाखापट्टनम), विशाखापत्तनम
विज्ञान और प्रौद्योगिकी (HCST), मथुरा * हिन्दुस्तान कॉलेज
* Assayer संस्थान, नोएडा
आप भी कर सकते हैं:
* जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली से पर्यावरण विज्ञान और इंजीनियरिंग में M.Tech
पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में * स्नातकोत्तर डिप्लोमा पर्यावरण प्रबंधन, मुंबई आई इ एस भारतीय संस्थान से या टिकाऊ पर्यावरण प्रबंधन (कैरियर शिक्षा और विकास के मुंबई के गरवारे संस्थान विश्वविद्यालय से संबद्ध)
* राजीव गांधी Praudyogiki विश्व-विद्यालय, इंदौर से हीट पॉवर इंजीनियरिंग या ऊर्जा प्रौद्योगिकी में M.Tech में पर्यावरण इंजीनियरिंग, M.E. में बीई
(सूची ही संकेत कर रहे हैं)
करियर विकल्प उपलब्ध
हर एक जीवन शैली, काम की स्थिति, गुंजाइश है और पारिश्रमिक का एक अलग तरह की पेशकश – एक पर्यावरण विज्ञान की डिग्री आप के लिए कई कैरियर के अवसरों को खोलता है।
सरकारी नौकरियों कि पर्यावरण नीति, योजना, और दस के प्रबंधन की आवश्यकता गहन शोध कार्य की आवश्यकता है। पर्यावरण वकीलों भी लंबे समय तक के लिए अपने डेस्क पर डाल देना पड़ सकता है – हालांकि, वे अदालतों और अब तो यात्रा कर सकते हैं। मिट्टी और संयंत्र वैज्ञानिकों, ecologists या सूक्ष्म जीव विज्ञानियों सरकारी एजेंसियों, गैर सरकारी संगठनों, कानून फर्मों, विश्वविद्यालयों और निजी कंपनियों द्वारा लगे हुए किया जा सकता है। पर्यावरण कंसल्टेंट्स, कानूनी विनिर्देशों के अनुसार विनिर्माण इकाइयों की स्थापना में मदद का सुझाव है और इस क्षेत्र में एक विशेष समस्या के लिए उपचारात्मक उपायों को लागू करने, और एक साफ-सफाई और स्वच्छता योजना की स्थापना।
Horticulturists, प्राणि, वन्यजीव संरक्षणवादियों और विदेश रेंजरों अक्सर घर के अंदर का मिश्रण है और दरवाजा जो अक्सर एक विशेष स्थान तक सीमित है outwork। आप में अंत में एक मौसम विज्ञानी या समुद्र विज्ञानी किया जा रहा है, तो आप अपने आप को एक प्रयोगशाला में दूर tucked उन्नत कंप्यूटर मॉडलों के साथ काम कर रहे हैं या मौसम और अन्य संबंधित विषयों का अध्ययन समुद्र में अपना समय खर्च मिल सकता है।
एक पर्यावरण शोधकर्ता के रूप में, आप एक प्रमुख शहरों में वायु की गुणवत्ता और यहां तक कि विभिन्न प्रजातियों में रहस्यमय म्यूटेशन के कारण अपमानजनक करने के लिए समाधान खोजने के लिए एक पड़ोस में अप्रत्याशित या नए रोगों की शुरुआत की तरह स्वास्थ्य और पर्यावरण संबंधी समस्याओं की जांच करने के लिए मिलता है।
कुछ पर्यावरण विज्ञान स्नातकों के आगे के अध्ययन पर लगना एक विशेष कैरियर पथ, जैसे के लिए प्रशिक्षित करने के लिए शिक्षण या प्रबंधन, जबकि उनके नियोक्ता सीधे प्रासंगिक पेशेवर योग्यता हासिल करने के लिए दूसरों का समर्थन करता है। स्नातकोत्तर स्तर पर अध्ययन कर अपने अनुसंधान कौशल, विशेषज्ञ ज्ञान और संचार कौशल को बढ़ाने के द्वारा अपने रोजगार को बढ़ाता है।
स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए एक विशेष विशेष क्षेत्र के ज्ञान को विकसित करने या इस तरह के पर्यावरणीय स्वास्थ्य, जहां एक स्नातकोत्तर योग्यता एक अनिवार्य आवश्यकता के रूप में एक क्षेत्र में प्रवेश करने के उद्देश्य से किया जा सकता है।
कितना पर्यावरण वैज्ञानिकों कमाने के लिए?
भारत में, जबकि वैज्ञानिकों औसतन प्रतिवर्ष 7 लाख के लिए लगभग 6 रुपये कमाने पर्यावरण इंजीनियरों प्रतिवर्ष 5 लाख तक करीब 4 रुपये बनाते हैं। एक पर्यावरण और स्वास्थ्य सुरक्षा प्रबंधक के रूप में, आप आसानी से प्रतिवर्ष 11 लाख करने के लिए करीब 10 रुपये कर सकते हैं।
कई सरकारी और गैर-सरकारी एजेंसियों, गैर सरकारी संगठनों, कंपनियों और कॉलेजों में विभिन्न स्तरों पर पर्यावरण पेशेवरों को रोजगार। अपशिष्ट उपचार उद्योग, रिफाइनरी, डिस्टिलरी, खानों, उर्वरक संयंत्रों, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, कपड़ा और भोजन भी पर्यावरण वैज्ञानिकों संलग्न हैं।
आप यह भी एक पर्यावरण विज्ञान शिक्षक, पत्रकार, और विभिन्न कंपनियों में शोधकर्ता के रूप में नौकरी मिल सकती है।