Monday, July 30, 2018

रिन्यूएबल एनर्जी मैनेजमेंट में करियर

आज जिस तेजी से दुनिया में विकास हो रहा है, उससे भी कहीं ज्यादा तेजी से एनर्जी की मांग बढ़ रही है। किसी भी इंडस्ट्री या प्रोजेक्ट को शुरू करने से पहले वहां की ऊर्जा की संभावनाओं की पड़ताल जरूरी होती है। जरूरतों के साथ ही अब पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को भी देखा जाने लगा है। तमाम पावर प्रोजेक्ट्स पर्यावरण संबंधी विषयों के चलते ही अटके पड़े हैं। इसलिए रिन्यूएबल एनर्जी पर फोकस्ड रहना उनकी मजबूरी है। इस क्षेत्र में भारत ने कई महत्वाकांक्षी योजनाएं बना रखी हैं। इसलिए आज हम आपको बता रहे हैं कि कैसे इस क्षेत्र में अपना करियर बनाएं।
बायोफ्यूल की लगातार कम होती जा रही मात्रा और देश में एनर्जी की मांग को देखते हुए एनर्जी प्रोडक्शन और उसका प्रबंधन पहली प्राथमिकता बन चुका है। सरकारी के साथ-साथ निजी कंपनियां भी इस ओर विशेष जोर दे रही हैं। यही कारण है कि रिन्यूएबल एनर्जी मैनेजमेंट के कोर्स की तेजी से मांग बढ़ रही है। समय के साथ-साथ ऊर्जा की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसलिए ऊर्जा के अतिरिक्त स्रोतों यानी वैकल्पिक ऊर्जा, सौर ऊर्जा, विंड एनर्जी, बायो एनर्जी, हाइड्रो एनर्जी आदि पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके अलावा पर्यावरण के मुद्दों को देखते हुए भारत ने रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में महत्वाकांक्षी योजना बना रखी है, क्योंकि सरकार का इरादा अगले साल तक 55 हजार मेगावॉट बिजली उत्पादन का है। कॉरपोरेट कंपनियां भी इस क्षेत्र में निवेश कर रही हैं।
क्या है रिन्यूएबल एनर्जी मैनेजमेंट
मौजूदा प्रौद्योगिकी के अलावा नई तकनीक को अपना कर रिन्यूएबल एनर्जी (अक्षय ऊर्जा) के उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है, ताकि बिजली की मांग के एक बड़े हिस्से की आपूर्ति व प्रदूषण में कमी के साथ-साथ हजारों करोड़ रुपये की बचत भी की जा सके। इसलिए सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा देने पर बल दिया है।
कौन से हैं कोर्स
इसमें जो भी कोर्स हैं, वे पीजी अथवा मास्टर लेवल के हैं। छात्र उन्हें तभी कर सकते हैं, जब उन्होंने किसी विश्वविद्यालय या मान्यताप्राप्त संस्थान से बीटेक, बीई या बीएससी सरीखा कोर्स किया हो। एमएससी फिजिक्स के छात्रों को यह क्षेत्र सबसे अधिक भाता है।
एमबीए कोर्स
कई बिजनेस संस्थानों में एनर्जी मैनेजमेंट या पावर मैनेजमेंट जैसे एमबीए कोर्स भी ऑफर किए जा रहे हैं। इनको ग्रेजुएशन के बाद किया जाता है। रिसर्च करने के लिए मास्टर होना जरूरी है।
कौन से हैं प्रमुख कोर्स
  • एमएससी इन रिन्यूएबल एनर्जी
  • एमएससी इन फिजिक्स/एनर्जी स्टडीज
  • एमटेक इन एनर्जी स्टडीज
  • एमटेक इन एनर्जी मैनेजमेंट
  • एमटेक इन एनर्जी टेक्नोलॉजी
  • एमटेक इन रिन्यूएबल एनर्जी मैनेजमेंट
  • एमई इन एनर्जी इंजीनियरिंग
  • पीजी डिप्लोमा इन एनर्जी मैनेजमेंट
  • एमबीए इन रिन्यूएबल एनर्जी मैनेजमेंट
  • एमफिल इन एनर्जी
जरूरी गुण
  • आवश्यक स्किल्स
  • लॉजिकल व एनालिटिकल स्किल्स
  • कठिन परिश्रम से न भागना
  • मेहनती व अनुशासन में रहना
  • नई चीजें सीखने के लिए तत्पर रहना
  • कठिन परिस्थितियों में बेहतर निर्णय लेने की क्षमता
वेतनमान
रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में डिप्लोमाधारी युवाओं को शुरू-शुरू में 25-30 हजार रुपये प्रतिमाह की नौकरी मिलती है। इस क्षेत्र में जैसे-जैसे वे समय व्यतीत करते जाते हैं, उनकी आमदनी भी बढ़ती जाती है।
अनुभव से बढ़ेगी सैलरी
अमूमन 3-4 साल के अनुभव के बाद यह सेलरी बढ़ कर 50-55 हजार रुपये प्रतिमाह हो जाती है। कई ऐसे प्रोफेशनल्स हैं, जो इस समय 5-6 लाख रुपये सालाना सेलरी पैकेज पा रहे हैं। टीचिंग व विदेश जाकर काम करने वाले प्रोफेशनल्स की सेलरी भी काफी अच्छी होती है। इस क्षेत्र के जानकार प्रोफेशनल्स को अकसर सेलरी के लिए ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ती, क्योंकि आज भी इस क्षेत्र में मांग की तुलना में करियर प्रोफेशनल्स की भारी कमी है।
यहां पर मिल सकता है काम
रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर से संबंधित सरकारी व निजी उद्योगों में करियर के तमाम विकल्प मौजूद हैं।
पर्याप्त संभावनाएं
देश में रिन्यूएबल एनर्जी की पर्याप्त संभावनाएं मौजूद हैं। इससे लगभग 1.79 लाख मेगावॉट बिजली पैदा की जा सकती है। इसके अंतर्गत एचआर मैनेजमेंट, ऑपरेशन, फाइनेंस, मार्केटिंग तथा स्ट्रैटिजिक मैनेजमेंट जैसे कार्य शामिल हैं। इसमें प्रोफेशनल्स एनर्जी कॉर्पोरेशन के मैनेजमेंट में बड़ी भूमिका निभाते हैं। यह क्षेत्र भले ही अभी शुरुआती दौर में है, लेकिन इसमें बड़े पैमाने पर करियर की संभावनाएं मौजूद हैं।
संस्थान
- यूनिवर्सिटी ऑफ लखनऊ, लखनऊ
वेबसाइट- www.lkouniv.ac.in
- यूनिवर्सिटी ऑफ पुणे, पुणे
वेबसाइट- www.unipune.ac.in
- आईआईटी दिल्ली, नई दिल्ली
वेबसाइट- www.iitd.ac.in
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, तिरुचिरापल्ली
वेबसाइट- www.nitt.edu
- राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भोपाल
वेबसाइट- www.rgpv.ac.in
- इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट (डीम्ड यूनिवर्सिटी), इलाहाबाद
वेबसाइट- www.shiats.edu.in
- पेट्रोलियम कंजर्वेशन रिसर्च एसोसिएशन, नई दिल्ली
वेबसाइट- www.pcra.org

Wednesday, July 25, 2018

जंगल में संवारें करिअर

आज बढ़ती आबादी व निर्बाध रूप से हो रहे निर्माण कार्यों का कारण धरती से जंगल खत्म होते जा रहे हैं। जंगल धरती की ऐसी प्राकृतिक संपदा है जो धरती पर मनुष्यों व जीव-जंतुओं के जीवन को आसान व रहने योग्य बनाते हैं। जंगल सैकड़ों जीव जंतुओं को ही नहीं, जड़ी-बूटियों को भी आश्रय देते हैं। जंगल पर्यावरण के लिहाज से ही नहीं, किसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी बेहद जरूरी है। दुनिया भर में जंगलों को बचाने पर बहुत जोर दिया जा रहा है, मुहिम चलाई जा रही है, पौधरोपण किया जा रहा है। इसके लिए खासतौर से ट्रेंड व्यक्तियों जैसे कि फारेस्टरी स्पेशलिस्ट, फारेस्टरी मैनेजमेंट एक्सपर्ट और फॉरेस्ट ऑफिसर्स की मांग बढ़ती जा रही है।

कार्य क्षेत्र


फॉरेस्टरी के अंतर्गत जंगलों की सुरक्षा, लकड़ी की जरुरतों को पूरा करने के लिए वृक्षों की खेती, उन्हें आग, बीमारी और अतिक्रमण रोकने से संबंधित कार्यों फारेस्टर को दक्षता प्राप्त होती है। इनके कार्यों में जीव-जंतुओं के बिहेवियर को समझना, पेड़-पौधों की साइंटिफिक तौर पर जांच करना, कीड़े-मकोड़ों से पौधों की सुरक्षा करना आदि प्रमुखता से शामिल होता है। इसके अलावा जानवरों, पेड़ों व प्रकृति की खूबसूरती को बचाए रखने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। 

शैक्षिक योग्यता


फारेस्टरी से संबंधित ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन और डिप्लोमा स्तर के कई कोर्स हैं। यहां तक कि आप फारेस्टरी में पीएचडी भी कर सकते हैं। ऐसे व्यक्ति जिन्होंने इंटरमीडिएट स्तर पर फिजिक्स, केमेस्ट्री, और बायोलॉजी की पढ़ाई की है वे बीएससी फारेस्टरी का कोर्स करने के बाद फारेस्ट मैनेजमेंट, कमर्शियल फारेस्टरी, फारेस्ट इकोनामिक्स, वुड साइंस एंड टेक्नोलॉजी, वाइल्ड लाइफ साइंस, वेटेरिनरी साइंस आदि कोर्स कर सकते हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट आफ फारेस्ट मैनेजमेंट, नेहरू नगर भोपाल फारेस्ट मैनेजमेंट का कोर्स कराता है। इसके बाद आप किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से पीएचडी भी कर सकते हैं। इतना ही नहीं फॉरेस्ट्री में बैचलर डिग्री लेने के बाद आप यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा आयोजित इंडियन फारेस्ट सर्विस की परीक्षा में भी शामिल हो सकते हैं।

अतिरिक्त योग्यता


इस प्रोफेशन में करिअर मजबूत बनाने के लिए आपको फिजिकली भी मजबूत होना जरूरी है, इसके साथ ही आपका प्रकृति प्रेमी होना इस प्रोफेशन में सोने पे सुहागा साबित होगा। अगर आप घूमने-फिरने के शौकीन हैं, एडवेंचर पसंद करते हैं और चुस्त दुरुस्त हैं तो यह आपके करिअर को और आगे ले जाने में मदद करेगी। आप में धैर्य और वैज्ञानिक चेतना, प्रकृति से लगाव जैसे गुण हैं तो आपको फरेस्टरी के अध्ययन और उससे संबंधित कार्य में आनंद आएगा।

कोर्स और संस्थान


इस प्रोफेशन में करिअर को बुलंदियों पर पहुंचाने के लिए छात्रों को बीएससी फारेस्टरी या एमएससी फारेस्टरी में प्रवेश लेना होता है। कई संस्थान इसमें प्रवेश के लिए परीक्षा का भी आयोजन करते हैं। 

1. Agricultural College And Research Institute Coimbatore, Tamil Nadu
2. Birsa Agricultural University, Kanke, Ranchi
3. College of Agricultural Engineering & Technology, Ch. Charan Singh Haryana Agricultural University, Hisar
4. College of Agricultural Engineering, Punjab Agriculture University, Hisar
5. College of Agricultural Engineering, Punjab Agriculture University, Ludhiana
6. College of Horticulture & Forestry, Solan Himachal Pradesh
7. Gujarat Agricultural University, Faculty of Agriculture, Sardar Krushinagar Banaskantha
8. Jawaharlal Nehru Krishi Vishwavidyalaya, Faculty of Agricultural Engineering, Krishi Nagar, Agartala, Jabalpur – फीचर डेस्क

रोजगार के अवसर अनेक


फारेस्टर्स का काम विशेषता के आधार पर ऑफिस, लेबोरेटरी या फील्ड कहीं भी हो सकता है। संबंधित कोर्स करने के बाद आप सरकारी और गैरसरकारी संगठनों के अतिरिक्त प्लांटेशन की फील्ड में कार्यरत कारपोरेट कंपनी में भी जॉब पा सकते हैं। इतना ही नहीं विभिन्न इंडस्ट्री में इंडीस्ट्रियल और एग्रीकल्चरल कंसल्टेंट के रूप में भी नौकरी के अवसर होते हैं। इसके अलावा अनेक शोध संस्थानों, जूलाजिकल पार्कों, आदि में नौकरी की संभावना होती है। इसके अतिरिक्त फारेस्ट और वाइल्ड लाइफ कन्वर्जेशन से संबंधित विशेषज्ञ के तौर पर आप काम कर सकते हैं।

फारेस्टर


एक सफल फारेसटर का काम जंगल और जंगली जीवों की सुरक्षा करना, लैंड स्केप मैनेजमेंट, जंगल व प्रकृति से संबंधित अध्ययन और रिपोर्ट को तैयार करना होता है।

डेंड्रोलाजिस्ट


डेंड्रोलाजिस्ट मुख्य रूप से लकड़ी और पेड़ों की साइंटिफिक स्टडी करते हैं। इनके कार्यों में पौधों को बीमारियों से बचाने का जिम्मा होता है। 

एंथोलाजिस्ट


इनका काम एनीमल बिहेवियर का वैज्ञानिक अध्ययन करना होता है। ये चिड़ियाघर, एक्वेरियम और लेबोरेटरी में जानवरों की हेल्दी हैबिट्स डिजाइन करने का काम भी करते हैं। इन्हें जानवरों का सबसे करीबी माना जाता है। 

एंटोमोलाजिस्ट


एंटोमोलाजिस्ट कीड़े मकोड़े से होने वाली बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए अध्ययन करते हैं। यह एक तरीके से पौधों की सुरक्षा का जिम्मा उठाते हैं।

सिल्वीकल्चररिस्ट


इनका काम जंगलों के विस्तार के लिए विभिन्न पौधों को तैयार करना है और उनके विकास की जिम्मेदारी भी इन्हीं पर होती है।

फारेस्ट रेंज ऑफिसर


इनका काम जंगलों, अभ्यारण्य, गार्डेन की सुरक्षा करना होता है। इनका चयन इंडियन फारेस्ट सर्विसेस के तहत होता है।

जू क्यूरेटर


जू क्यूरेटर चिड़ियाघर में जानवरों की दिनचर्या को जांचता है और उनके कल्याण और प्रशासन के लिए जिम्मेदार होते हैं।  

Thursday, July 19, 2018

आर्कियोलॉजी में कॅरिअर

हजारों साल पहले मानव जीवन कैसा रहा होगा? किन-किन तरीकों से जीवन से जुड़े अवशेषों को बचाया जा सकता है? एक सभ्यता, दूसरी सभ्यता से कैसे अलग है? क्या हैं इनकी वजहें? ऐसे अनगिनत सवालों से सीधा सरोकार होता है आर्कियोलॉजिस्ट्स का। 

अगर आप भी देश की धरोहर और इतिहास में रुचि रखते हैं तो आर्कियोलॉजिस्ट के रूप में एक अच्छे करियर की शुरुआत कर सकते हैं। इसमें आपको नित नई चीजें जानने को तो मिलेंगी ही, सैलरी भी अच्छी खासी है। आर्कियोलॉजी के अंतर्गत पुरातात्विक महत्व वाली जगहों का अध्ययन एवं प्रबंधन किया जाता है। 

हेरिटेज मैनेजमेंट के तहत पुरातात्विक स्थलों की खुदाई का कार्य संचालित किया जाता है और इस दौरान मिलने वाली वस्तुओं को संरक्षित कर उनकी उपयोगिता का निर्धारण किया जाता है। इसकी सहायता से घटनाओं का समय, महत्व आदि के बारे में जरूरी निष्कर्ष निकाले जाते हैं। 

जरूरी योग्यता


एक बेहतरीन आर्कियोलॉजिस्ट अथवा म्यूजियम प्रोफेशनल बनने के लिए प्लीस्टोसीन पीरियड अथवा क्लासिकल लैंग्वेज, मसलन पाली, अपभ्रंश, संस्कृत, अरेबियन भाषाओं में से किसी की जानकारी आपको कामयाबी की राह पर आगे ले जा सकती है।

पर्सनल स्किल


आर्कियोलॉजी ने केवल दिलचस्प विषय है बल्कि इसमें कार्य करने वाले प्रोफेशनल्स के लिए यह चुनौतियों से भरा क्षेत्र भी है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए अच्छी विशेलषणात्मक क्षमता, तार्किक सोच, कार्य के प्रति समर्पण जैसे महत्वपूर्ण गुण जरूर होेने चाहिए। कला की समझ और उसकी पहचान भी आपको औरों से बेहतर बनाने में मदद करेगी। इसके अलावा आप में चीजों और उस देशकाल को जानने की ललक भी होनी चाहिए। 

संभावनाएं व वेतन


आर्कियोलॉजिस्ट की मांग सरकारी और निजी हर क्षेत्र में है। इन दिनों कॉरपोरेट हाउसेज में भी नियुक्ति हो रही है। वे अपने रिकॉर्ड्स के रख-रखाव के लिए एक्सपर्ट की नियुक्ति करते हैं। इसी तरह रिचर्स के लिए भी इसकी मांग रहती है। आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया में आर्कियोलॉजिस्ट पदों के लिए संघ लोक सेवा आयोग हर वर्ष परीक्षा आयोजित करता है। राज्यों के आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट में भी असिस्टेंट आर्कियोलॉजिस्ट की मांग भी रहती है। वहीं नेट क्वालीफाई करके लेक्चररशिप भी कर सकते हैं। आर्कियोलॉजी के क्षेत्र में किसी भी पद पर न्यूनतम वेतन 25 हजार रुपए है। उसके बाद वेतन का निर्धारण पद और अनुभव के आधार पर होता है।

कोर्सेज


आर्कियोलॉजी से जुड़े रेगुलर कोर्स जैसे पोस्ट ग्रेजुएशन, एमफिल या पीएचडी देश के अलग-अलग संस्थानों में संचालित किए जा रहे हैं। हालांकि हेरिटेज मैनेजमेंट और आर्किटेक्चरल कंजरवेशन से जुड़े कोर्स केवल गिने-चुने संस्थानों में ही पढ़ाए जा रहे हैं। आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया की फंक्शनल बॉडी इंस्टीट्यूट ऑफ आर्कियोलॉजी में दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स की पढ़ाई होती है। अखिल भारतीय स्तर की प्रवेश परीक्षा के आधार पर इस कोर्स में दाखिला दिया जाता है। इसी तरह गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी नई दिल्ली से एफिलिएटेड इंस्टीट्यूट, दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ हेरिटेज रिसर्च एंड मैनेजमेंट, आर्कियोलॉजी और हेरिटेज मैनेजमेंट में दो वर्षीय मास्टर कोर्स का संचालन होता  

Wednesday, July 18, 2018

पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में करियर

एक व्यवसाय के रुप में पुस्तकालयाध्यक्षता (लाइब्रेरियनशिप) रोजगार के विविध अवसर प्रदान करती है। पुस्तकालय तथा सूचना-विज्ञान में आज करियर की अनेक संभावनाएं हैं। अर्हताप्राप्त लोगों को विभिन्न पुस्तकालयों तथा सूचना केन्द्रों में रोजगार दिया जाता है। प्रशिक्षित पुस्तकालय व्यक्ति अध्यापक तथा लाइब्रेरियन दोनों रूप में रोजगार के अवसर तलाश कर सकते हैं। वास्तव में, अपनी रुचि तथा पृष्ठभूमि के अनुरूप पुस्तकालय की प्रकृति चयन करना संभव है। लाइब्रेरियनशिप में पदनाम पुस्तकालयाध्यक्ष (लाइब्रेरियन), प्रलेखन अधिकारी, सहायक पुस्तकालयाध्यक्ष, उप पुस्तकालयाध्यक्ष, वैज्ञानिक (पुस्तकालय विज्ञान/प्रलेखन), पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी, ज्ञान प्रबंधक/अधिकारी सूचना कार्यपालक, निदेशक/सूचना सेवा अध्यक्ष, सूचना अधिकारी तथा सूचना विश्लेषक हो सकते हैं। 

• स्कूल, 
• कॉलेज, विश्वविद्यालयों में; 
• केन्द्रीय सरकारी पुस्तकालयों में; 
• बैंकों के प्रशिक्षण केन्द्रों में; 
• राष्ट्रीय संग्रहालय तथा अभिलेखागारों में; 
• विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत गैर-सरकारी संगठनों में; 
• आई.सी.ए.आर., सी.एस.आई.आर., डी.आर.डी.ओ., आई.सी.एस.एस.आर., आई.सी.एच.आर, आई.सी.एम.आर, आई.सी.एफ.आर.ई. आदि जैसे अनुसंधान तथा विकास केंद्रों में; 
• विदेशी दूतावासों तथा उच्चायोगों में; 
• विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनेस्को, संयुक्त राष्ट्र संघ, विश्व बैंक आदि जैसे अंतर्राष्ट्रीय केन्द्रों में; 
• मंत्रालयों तथा अन्य सरकारी विभागों के पुस्तकालयों में; 
• राष्ट्रीय स्तर के प्रलेखन केंद्रों में; 
• पुस्तकालय नेटवर्क में; 
• समाचार पत्रों के पुस्तकालय में ; 
• न्यूज चैनल्स में; 
• रेडियो स्टेशन के पुस्तकालयों में; 
• सूचना प्रदाता संस्थाओं में इंडेक्स, सार संदर्भिका आदि तैयार करने वाली प्रकाशन कंपनियों में डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया आदि जैसी विभिन्न डिजिटल लाइब्रेरी परियोजना में 
• प्रशिक्षण अकादमियों में

विस्तृत तथा विशेष ज्ञान प्रदान करने में पुस्तकालयों की भूमिका को व्यापक रूप में स्वीकार किया जाता है। आज के संदर्भ में पुस्तकालयों को दो विशिष्ट भूमिकाएं निभानी हैं। पहली, सूचना तथा ज्ञान के स्थानीय केंद्र के रूप में कार्य करने की और दूसरी राष्ट्रीय एवं विश्व ज्ञान के स्थानीय केंद्र के रूप में। राष्ट्रीय आयोग के विचाराधीन कुछ मामले निम्नलिखित हैं : 

• पुस्तकालयों का सांस्थानिक ढांचा नेटवर्किंग
• शिक्षा, प्रशिक्षण तथा अनुसंधान पुस्तकालयों का आधुनिकीकरण एवं कम्प्यूटरीकरण, 
• निजी तथा व्यक्तिगत संकलनों का रख-रखाव, और 
• बदल रही आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्टाफ की आवश्यकताएं 

इस आयोग ने, भारत में पुस्तकालय नेटवर्क को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय पुस्तकालय आयोग का गठन करने की सिफारिश की है। संस्कृति विभाग ने एक केन्द्रीय क्षेत्र योजना के रुप में एक राष्ट्रीय पुस्तकालय मिशन (एनएमएल) स्थापित करने का प्रस्ताव किया है। एन.एम.एल. संस्कृति विभाग के अधीन पुस्तकालयों को शामिल करेगा और इसके कार्य निम्नलिखित होंगे। राष्ट्रीय पुस्तकालय गणना, संस्कृति विभाग के अधीन पुस्तकालयों की नेटवर्किंग सहित आधुनिकीकरण, ज्ञान केंद्रों तथा डिजिटल पुस्तकालयों की स्थापना करना। हाल ही में राष्ट्रीय पुस्तकालय मिशन के अधीन देश भर में इंटरनेट की सुविधा युक्त कम्प्यूटर वाले 7000 पुस्तकालय स्थापित करने का प्रस्ताव है।

यह सिफारिश की गई थी कि पुस्तकालय एवं सूचना सहायक के स्तर पर प्रारंभिक भर्ती सीधे की जाए। इसके लिए योग्यता अपेक्षा स्नातक तथा बीएलआईएससी डिग्री होगी। 

इस तरह पुस्तकालयाध्यक्षता (लाइब्रेरियनशिप) के अवसर उज्जवल हैं। पुस्तकालय एवं सूचना-विज्ञान (एलआईएस) में करियर बहु-आयामी, उज्जवलशील है और समृद्धि तथा प्रगति के समाज के ज्ञान आधार को समृद्ध करने वाला है। 

पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में पाठ्यक्रम


• पुस्तकालय एव सूचना विज्ञान में प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम (सीएलआईएससी या सी.लिब.) पात्रता 10+2
पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में डिप्लोमा पाठ्यक्रम (डी.एल.आई.एस.सी. या डी.लिब) पात्रता : 10+2 
• पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में स्नातक (बी.एल.आई.एस.सी. या बी.लिब.)पात्रता : किसी मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय में किसी भी विषय में स्नातक ।
• पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में मास्टर (एम.एल.आई.एस.सी. या एम. लिब.) पात्रता : किसी मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय से बी.एल.आई.एस.सी अथवा बी.लिब. 
• पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में एम.फिल. पात्रता : किसी मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय से एम.एल.आई.एस.सी. अथवा एम.लिब. 
• पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में पीएचडी पात्रता : किसी मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय से एम.एल.आई.एस.सी. 

विभिन्न पाठ्यक्रमों में पाठ्यक्रम के नाम तथा अर्हता अंक अलग-अलग विश्वविद्यालय में अलग-अलग हो सकते हैं। पहले इस विषय को पुस्तकालय विज्ञान कहा जाता था किंतु अब सूचना के विस्तार के कारण पुस्तकालय विज्ञान सूचना विज्ञान में परिवर्तित हो रहा है। 

कुछ विश्वविद्यालयों ने पाठ्यक्रम के नाम में यह शब्द जोड़ा है, किंतु पुस्तकालय शब्द नहीं हटाया है। इस तरह कुछ विश्वविद्यालय निम्नलिखित डिग्री प्रदान करते हैं- पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में स्नातक (बी.एल.आई.एस.सी.) और पुस्तकालय तथा सूचना विज्ञान में मास्टर (एम-एल.आई.एस.सी.), पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में एम.फिल और पुस्तकालय तथा सूचना विज्ञान में पीएचडी। 

कुछ विश्वविद्यालय निम्नलिखित डिग्री प्रदान करते हैं : पुस्तकालय विज्ञान में स्नातक (बी.लिब.) और पुस्तकालय विज्ञान में मास्टर (एम.लिब.) पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में एम.फिल और पुस्तकालय विज्ञान में पीएचडी। 

सूचना तैयार करने, भंडार करने, उसमें सुधार करने तथा उसे प्रचार-प्रसार के लिए पुस्तकालयों तथा सूचना केन्दों में अब कम्प्यूटर तथा सूचना प्रौद्योगिकी का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर.) नई दिल्ली के अधीन निस्केयर सूचना विज्ञान में एसोशिएटशिप (एआईएस) प्रदान करने के लिए एक दो वर्षीय कार्यक्रम संचालित करता है और प्रलेखन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (डीआरटीसी), भारतीय सांख्यिकी संस्थान (बंगलौर) में प्रलेखन तथा सूचना विज्ञान में एसोशिएटशिप (एडीईएस) चलाता है। यह अवार्ड एमएलआईएससी डिग्री के समकक्ष रूप में मान्यताप्राप्त भी है। इन दोनों पाठ्यक्रमों की रोजगार बाजार में अच्छी प्रतिष्ठा है। पुस्तकालयों में कम्प्यूटर तथा सूचना प्रौद्योगिकी के बढ़ते हुए प्रयोग को ध्यान में रखते हुए भारत में भी कई विश्वविद्यालयों ने मुख्य रुप से सूचना प्रौद्योगिकी तथा कम्प्यूटर पर बल देते हुए विभिन्न पाठ्यक्रम प्रारंभ किए हैं। 

पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में पाठ्यक्रम (एलआईएस) प्रस्तुत करने वाले विश्वविद्यालय


लगभग 80 विश्वविद्यालय विभाग एलआईएस पाठ्यक्रम चलाते हैं। यह पाठ्यक्रम सुदूर अध्ययन पद्धति द्वारा भी उपलब्ध है। दो संस्कृत विश्वविद्यालय अर्थात के.एस. दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय (बिहार) और सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय (वाराणसी) क्रमशः पुस्तकालय विज्ञान शास्त्री (9 महीने) और ग्रंथालय विज्ञान शास्त्री (एक वर्षीय) पाठ्यक्रम चलाते हैं। संस्कृत भाषा का ज्ञान एक अनिवार्य अपेक्षा है। एलआईएस निम्नलिखित विश्वविद्यालयों/संस्थानों में उपलब्ध हैं: 

• अलगप्पा विश्वविद्यालय, कराइकुड़ी
• अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़
• इलाहाबाद विश्वविद्यालय 
• अन्नामलाई विश्वविद्यालय अन्नालाईनगर
• अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा
• बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ
• बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी
• बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी
• देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर
• डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा
• डॉ. हरिसिंह गौड़ विश्वविद्यालय, सागर
• गुलबर्ग विश्वविद्यालय, गुलबर्ग
• गुरू घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर
• गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर
• डॉ. हरिसिंह गौड़ विश्वविद्यालय, सागर
• एच.एन.बी. गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर-गढ़वाल
• जादवपुर विश्वविद्यालय, कलकत्ता
• जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली
• जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर
• कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़
• जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली
• कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र
• नागपुर विश्वविद्यालय, नागपुर
• पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय, शिलांग
• पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर
• पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़
• पटना विश्वविद्यालय, पटना
• पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला
• रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर
• सम्बलपुर विश्वविद्यालय, सम्बलपुर
• एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय, मुंबई
• दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
• हैदराबाद विश्वविद्यालय, हैदराबाद
• जम्मू विश्वविद्यालय जम्मू (तवी) 
• कश्मीर विश्वविद्यालय, श्रीनगर
• लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ
• मद्रास विश्वविद्यालय, चेन्नै
• मैसूर विश्वविद्यालय, मैसूर
• पुणे विश्वविद्यालय, पुणे
• राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर
• विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन
• उ.प्र. राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, इलाहाबाद (सुदूर शिक्षा) 
• इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली (सुदूर शिक्षा) 

पुस्तकालय तथा सूचना व्यवसाय में वेतन


वेतन संगठनों की प्रकृति के आधार पर भिन्न-भिन्न है। अनेक कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों ने पुस्तकालय-स्टाफ के लिए विअआ वेतनमान लागू किए हैं। केन्द्रीय सरकार की बड़ी संस्थापनाओं की संघटक इकाइयां जैसे वैज्ञानिक एवं औद्योगिकी अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) वैज्ञानिक स्टाफ पर यथा लागू वेतनमान देती है। कार्य-निष्पादन के आवधिक अंतराल पर मूल्यांकन के आधार पर उन्नति के अवसर इस कार्य को आकर्षक बनाते हैं।

अच्छा शैक्षिक रिकार्ड तथा कम्प्यूटर एवं सूचना प्रौद्योगिकी में पर्याप्त कौशल रखने वाले व्यक्ति इस व्यवसाय में आकर्षक करियर बना सकते हैं 

Sunday, July 15, 2018

मृदा विज्ञान में कॅरिअर

मिट्टी वैज्ञानिक या मृदा वैज्ञानिक का प्राथमिक कार्य फसल की बेहतरीन उपज के लिए मृदा का विश्लेषण करना है। मृदा वैज्ञानिक मृदा प्रदूषण का विश्लेषण भी करते हैं जो उर्वरकों और औद्योगिक अपशिष्ट से उत्पन्न होता है। इन अपशिष्टों को उत्पादक मृदा में परिवर्तित करने के लिए वे उपयुक्त तरीके और तकनीक भी विकसित करते हैं। इन पेशेवरों के कार्यक्षेत्र में बायोमास प्रोडक्शन के लिए तकनीक का इस्तेमाल भी शामिल है। वनस्पति पोषण, वृद्धि व पर्यावरण गुणवत्ता के लिए भी वे कार्य करते हैं। उवर्रकों का उपयोग सुझाने में भी इनकी भूमिका अहम होती है। मिट्टी के विशेषज्ञ के रूप में वे मृदा प्रबंधन पर मार्गदर्शन करते हैं। चूंकि मृदा वैज्ञानिक शोधकर्ता, डिवलपर व सलाहकार होते हैं इसलिए वे अपने ज्ञान का इस्तेमाल बेहतरीन मृदा प्रबंधन के लिए करते हैं। 

योग्यता


इस क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक छात्रों को मुख्यत: सॉइल केमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी, फ़िज़िक्स, पिडालजी, मिनरोलजी, बायोलॉजी, फर्टिलिटी, प्रदूषण, पोषण, बायोफर्टिलाइजर, अपशिष्ट उपयोगिता, सॉइल हेल्थ एनालिसिस आदि विषयों का अध्ययन करना चाहिए। छात्र सॉइल साइंस में बैचलर या मास्टर डिग्री प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही वे सॉइल फॉर्मेशन (मिट्टी बनने की प्रक्रिया), सॉइल क्लासिफिकेशन (गुणों के अनुसार मिट्टी का वर्गीकरण), सॉइल सर्वे (मिट्टी के प्रकारों का प्रतिचित्रण), सॉइल मिनरोलजी (मिट्टी की बनावट), सॉइल बायोलॉजी, केमिस्ट्री व फिजिक्स (मिट्टी के जैविक, रासायनिक व भौतिक गुण), मृदा उर्वरकता (मृदा में कितने पोषक तत्व हैं), मृदा क्षय जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता भी प्राप्त कर सकते हैं।

रोज़गार विकल्प


अध्यापन से लेकर शोध और मिट्टी संरक्षण से लेकर कंसल्टिंग जैसे विभिन्न अवसर करियर विकल्प के रूप में मृदा वैज्ञानिकों के समक्ष मौजूद रहते हैं। कृषि, वॉटर रिहैब्लिटेशन प्रोजेक्ट, सॉइल एंड फर्टिलाइजर टेस्टिंग लैबोरेटरीज़, ट्रांसपोर्टेशन प्लानिंग, आर्कियोलॉजी, मृदा उत्पादकता, लैंडस्केप डेवलपमेंट जैसे क्षेत्रों में भी मृदा वैज्ञानिकों की खासी मांग है।

मृदा यानी मिट्टी, धरती पर जीवन का आधार है। इसी में हर प्रकार की वनस्पति सरलता से उग पाती है और जीवन को पोषित करने का काम करती है। ऐसे में मृदा वैज्ञानिक के रूप में इस क्षेत्र में करियर बनाने के विकल्पों की भी कोई कमी नहीं है। एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन के रूप में मृदा एक अहम तत्व है। जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है, मृदा विज्ञान के तहत मिट्टी का अध्ययन एक प्राकृतिक संसाधन के रूप में किया जाता है। इसके अंतर्गत मृदा निर्माण, मृदा का वर्गीकरण, मृदा के भौतिक, रासायनिक तथा जैविक गुणों और उर्वरता का अध्ययन किया जाता है। गत वर्षो के दौरान फसल पैदावार व वन उत्पाद में वृद्धि और कटाव नियंत्रण में मिट्टी के महत्व को देखते हुए मृदा विज्ञान के क्षेत्र में रोजगार के ढेरों अवसरों का सृजन हुआ है। अब देश भर में बड़ी संख्या में सॉइल टेस्टिंग व रिसर्च लैबोरेटरी स्थापित हो रही हैं। इनमें से हरेक को प्रशिक्षित पेशेवरों की जरूरत होती है जो मिट्टी के मापदंडों का मूल्यांकन कर सकें ताकि उसकी गुणवत्ता को सुधारा जा सके।

Thursday, July 12, 2018

प्रशिक्षण एवं नियोजन में करियर

हाल ही में, प्रशिक्षण एवं नियोजन अधिकांश संगठनों में भले ही उनकी स्थिति कैसी भी हो, एक अग्रणी विभाग के रूप में उभरा है। यह कार्पोरेट जगत में तथा मानव संसाधन की प्रत्येक स्तर पर विकास आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाली शैक्षिक संस्थाओं में एक अत्यधिक महत्व का विभाग बन गया है। प्रशिक्षण एवं नियोजन विभाग का मूल कार्य संगठन में विभिन्न पणधारियों (स्टेक होल्डर्स) की प्रशिक्षण- आवश्यकताओं का पता लगाना और विभिन्न क्षमताओं में चुनौतियों को स्वीकार करने में उन्हें तैयार करने के लिए आवश्यकता-आधारित प्रशिक्षण का आयोजन करना है। उदाहरण के लिए, कार्पोरेट जगत में यह विभाग पूरे संगठन के लिए अभिरुचि प्रशिक्षण, व्यवहार कौशल विकास तथा तकनीकी प्रशिक्षण का आयोजन करता है; जबकि शैक्षिक संस्थाओं में यह विभाग सामूहिक विचार-विमर्श, मौखिक प्रस्तुति तथा रोजगार साक्षात्कार के संबंध में छात्रों के कौशल के विकास पर अधिक बल देता है। यह विभाग विभिन्न उद्योगों तथा कार्पोरेट कंपनियों से सम्पर्क भी बनाए रखता है और उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण और कैम्पस भर्ती कार्यक्रमों के लिए आमंत्रित करता है।

प्रशिक्षण एवं नियोजन विभाग के तीन मूल कार्य हैं -छात्रों को प्रतिष्ठित संगठनों में नियोजन के लिए प्रशिक्षण देना तथा इसमें उनकी सहायता करना, कर्मचारियों की संभावना क्षमता का संवर्धन और संस्थान तथा कर्मचारियों के बीच सम्पर्क एजेंट के रूप में कार्य करना।

प्रशिक्षण एवं नियोजन


किसी शैक्षिक संस्था में, प्रशिक्षण एवं नियोजन विभाग छात्रों को उनके जीवनवृत्त सार तैयार करने, सामूहिक विचार-विमर्श में भाग लेने, रोजगार साक्षात्कार का सामना सफलतापूर्वक करने तथा अच्छी प्रस्तुति के लिए उन्हें विशेषज्ञतापूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम देना है, ताकि प्रत्येक छात्र कार्पोरेट की आशाओं को पूरा कर सके और उन्हें प्रख्यात कंपनियों में नियोजित करा सके। इन कार्यक्रमों का लक्ष्य छात्रों को एक प्रतिस्पर्धी तीक्ष्णता प्राप्त करने में सक्षम बनाना, उनके विश्वास को बढ़ाना तथा उनके व्यक्तित्व का विकास करना है। कार्पोरेट जगत में, यह विभाग कर्मचारियों को प्रगतिशील सफल तथा कुशल बनने के लिए उन्हें कई प्रकार के तकनीकी व्यवहार संबंधी प्रशिक्षण देते हैं। यह विभाग कर्मचारियों की क्षमता तथा कौशल के आधार पर संगठन में उपयुक्त पद पर उनके विभागीय नियोजन में भी सहायता करता है।

संभावना-क्षमताओं का संवर्धन


प्रशिक्षण एवं नियोजन विभाग, शैक्षिक संस्थाओं में संकाय एवं कर्मचारियों की तथा कार्पोरेट क्षेत्र में कर्मचारियों की उनके कार्य-निष्पादन और स्व-मूल्यांकन के माध्यम से प्रशिक्षण आवश्यकताओं का पता लगाता है। उदाहरण के लिए, कई संकाय सदस्यों को पर्याप्त तकनीकी ज्ञान होता है और उनमें संभावना शक्ति होती है, किंतु वे उसे उपयुक्त रूप में अभिव्यक्त करने में असफल हो जाते हैं। ऐसे व्यक्तियों को अभिव्यक्ति तथा प्रस्तुति कौशल में कुछ प्रशिक्षण लेने की आवश्यकता होती है। इन प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए यह विभाग विभिन्न कार्यशालाओं, कॉन्फरेंस, सेमीनारों, विशेष लैक्चरों तथा विशिष्ट गुणवत्ता सुधार कार्यक्रमों का आयोजन करता है। यह प्रशिक्षण, उनकी संभावना क्षमता को बढ़ाने और करियर संभावना में उनके व्यावसायिक विकास तथा सुधार के लिए दिया जाता है।

सम्पर्क एजेंट के रूप में


प्रशिक्षण एवं नियोजन विभाग विभिन्न उद्योगों, संगठनों और संस्थानों से सम्पर्क भी बनाए रखता है। शैक्षिक संस्थाओं में यह विभाग छात्रों को उनके ग्रीष्म कालीन/व्यावसायिक प्रशिक्षण तथा इंटर्नशिप के संबंध में अवसर देता है। इन संगठनों को भी विभिन्न औद्योगिक वार्ताओं, दौरों तथा अंतिम भर्ती के लिए आमंत्रित किया जाता है। कार्पोरेट जगत में, विभिन्न प्रबंध विकास कार्यक्रमों एवं मोड्यूल आधारित तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन के लिए यह विभाग प्रख्यात शैक्षिक एवं अनुसंधान संस्थानों से सम्पर्क स्थापित करता है।

करियर संभावना


प्रशिक्षण एवं नियोजन सलाहकार
किसी प्रख्यात संस्थान से मानव संसाधन प्रबंध में डिग्री पूरी करने के बाद कोई भी व्यक्ति विभिन्न रोजगार ढूंढ़ने वाले व्यक्तियों को उनके जीवनवृत्त सार तैयार कराने प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने, रोजगार खोज में सहायता करने, साक्षात्कार की व्यवस्था करने तथा उपयुक्त रोजगार में उनके नियोजन में सहायता करने जैसी स्वतंत्र परामर्श सेवाएं चला सकता है। इस समय विभिन्न संगठनों के कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए विभिन्न प्रख्यात सलाहकार संस्थाओं में सलाहकारों की भारी मांग है। यह उम्मीदवारों के लिए एक बेहतर करियर विकल्प हो सकता है।

प्रशिक्षण एवं नियोजन अधिकारी


अधिकांश कार्पोरेट तथा शैक्षिक संस्थाएं अब व्यवहार कौशल, अंतर वैयक्तिक अभिव्यक्ति, समस्या-समाधान, आध्यात्म तथा कार्य-नीति से संबंधित प्रशिक्षण सहित तकनीकी प्रशिक्षण दे रहे हैं। इसका जहां तक एक ओर कर्मचारियों के व्यक्तिगत जीवन पर अत्यधिक सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, वहीं दूसरी ओर संगठन की उत्पादकता भी बढ़ती है। इसलिए मानव संसाधन प्रबंधन में पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद कोई भी व्यक्ति कार्पोरेट जगत तथा शैक्षिक संस्थाओं में प्रशिक्षण एवं नियोजन अधिकारी का रोजगार प्राप्त कर सकते हैं या आकर्षक धन-राशि अर्जित कर सकते हैं।

इवेंट प्रबंधक


हाल ही में, इवेंट प्रबंधन को कार्पोरेट तथा शैक्षिक संस्थाओं में एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में मान्यता दी गई है। कार्पोरेट क्षेत्र में ये इवेंट्स सामान्यतः प्रौद्योगिकी योग, ध्यान आदि से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फरेंस, कार्यशालाएं तथा विभिन्न प्रशिक्षण गतिविधियों के आयोजन के रूप में होते हैं। शैक्षिक संस्थाओं में इवेंट सामान्यतः रोजगार मेलों के रूप में आयोजित किए जाते हैं, जहां छात्रों को प्रख्यात कंपनियों में प्रशिक्षण तथा नियोजन के विभिन्न आयामों की जानकारी मिलती है। यद्यपि, इवेंट प्रबंधन में डिग्री या अनुभव रखने वाले व्यक्तियों को इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, तथापि, मानव संसाधन प्रबंध में कोई पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद कोई भी व्यक्ति शैक्षिक संस्थाओं तथा कार्पोरेट जगत में प्रशिक्षण इवेंट को ऑर्डिनेटर/प्रबंधक के रूप में कार्य के अवसर प्राप्त कर सकता है।

शिक्षा


प्रशिक्षण एवं नियोजन के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए उम्मीदवारों से मानव संसाधन प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिग्री या डिप्लोमा धारी होने की प्रत्याशा की जाती है, तथापि विभिन्न पृष्ठभूमि वाले, किंतु प्रशिक्षण एवं नियोजन के क्षेत्र में पर्याप्त कार्य-अनुभव रखने वाले व्यक्तियों को भी अवसर दिया जा सकता है। यद्यपि, मानव संसाधन प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिग्री या डिप्लोमा पाठ्यक्रम अनेक संस्थान और विश्वविद्यालय चलाते हैं, तथापि मानव संसाधन प्रबंधन में विशेषज्ञतापूर्ण कार्यक्रम चलाने वाले कुछ संस्थान निम्नलिखित हैं:- 

♦ भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद
♦ भारतीय प्रबंधन संस्थान, बंगलौर
♦ भारतीय प्रबंधन संस्थान, लखनऊ
♦ भारतीय प्रबंधन संस्थान, कोलकाता
♦ भारतीय प्रबंधन संस्थान, इंदौर
♦ एक्स.एल.आर.आई, जमशेदपुर
♦ प्रबंधन विकास संस्थान, गुडगांव
♦ भारतीय प्रशिक्षण एवं विकास सोसायटी, नई दिल्ली’
♦ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर

मानव संसाधन विकास तथा प्रबंधन में विशेष एम.टेक देता है। यह डिग्री मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग, आई.आई.टी, खड़गपुर से चलाई जाती है।

प्रशिक्षण तथा विकास में, दूरस्थ अध्ययन सुविधा सहित डिप्लोमा देती है और यह पाठ्यक्रम ऐसे कार्यरत कर्मचारियों/संकायों के लिए उपयोगी है, जो अपना करियर प्रशिक्षण एवं नियोजन में बदलना चाहते हैं/बनाना चाहते हैं।

नियोजन


उक्त किसी भी संस्थान से मानव संसाधन प्रबंधन में डिग्री या डिप्लोमा पूरा करने के बाद कोई भी व्यक्ति किसी भी सार्वजनिक या निजी संगठन, शैक्षिक संस्था में कोई रोजगार प्राप्त कर सकता है या अपनी स्वयं की प्रशिक्षण एवं नियोजन परामर्श सेवा स्थापित कर सकता है। प्रशिक्षण एवं नियोजन अधिकारी प्रारंभ में रुपये 30,000/- से रुपये 50000/- प्रतिमाह के बीच वेतन प्राप्त कर सकता है, जो आगामी वर्षों में और बढ़ सकता है। 

Monday, July 9, 2018

ऑटोमोबाइल में करियर

भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में पिछले कुछ वर्षों में तेजी से परिवर्तन हुए हैं। भारत में स्वदेशी और विदेशी, दोनों ऑटोमोबाइल कंपनियां, अब अपनी प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकियों में बदलाव लाने पर ध्यान केन्द्रित कर रही हैं ताकि बेहतर उत्पाद तैयार किए जा सकें और बाजार में अपनी भागीदारी बढ़ा सकें। इसे देखते हुए प्रशिक्षित ऑटोमोबाइल इंजीनियरियों की मांग बढ़ गयी है। 2011-12 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार सितम्बर 2011 को समाप्त हुई एक वर्ष की अवधि में रोजगार प्रदान करनेवाले उद्योगों में ऑटोमोबाइल उद्योग का तीसरा स्थान था। कैरियर के विकल्प के रूप में ऑटोमोबाइल इंजीनियरी के क्षेत्र में व्यवसायियों के लिए निश्चित रूप से शानदार संभावनाएं हैं। 

ऑटोमोबाइल इंजीनियरी वस्तुतः इंजीनियरी की विभिन्न शाखाओं के तत्वों का सम्मिश्रण है, जैसे मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रोनिक्स, सॉफ्ट और कम्प्यूटर साइंस। 

इस उद्योग में ऑटोमोबाइल के डिजाइन, विनिर्माण, परीक्षण और रख-रखाव जैसे कार्यों को अंजाम देना होता है, सबसे रेखांकित किया जाता है, जिसमें वाहनों के निर्माण के लिए उपयुक्त कल-पुर्जों की डिजाइनिंग, उनका चयन और उनके इस्तेमाल की विदियों का निर्धारण किया जाता है। विभिन्न स्तरों पर उत्पाद की जांच-परख की जाती है। सुरक्षा सुनिश्चित करने और तत्संबंधी स्थिति में सुधार लाने के लिए क्रैश परीक्षणों का भी आयोजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त बेचे गए वाहनों के लिए मरम्मत सेवाएं प्रदान करना और बाजार की जरूरतों के मुताबिक वाहनों में निरंतर सुधार और उन्हें अद्यतन बनाने के प्रयास करना भी ऑटोमोबाइल इंजीनियर के कार्यों का हिस्सा है। 

रोजगार


ऑटोमोबाइल उद्योग में वे कंपनियां शामिल हैं, जो बाइकों, स्कूटरों, मोटर साइकलों, ऑटो, कारों, ट्रकों, ट्रैक्टरों, रक्षा वाहनों और बसों का विनिर्माण करती हैं। इस क्षेत्र की कुछ प्रमुख कंपनियों में मारुति, टाटा मोटर्स, महिन्द्रा एंड महिन्द्रा, अशोक लेलैंड, हिन्दुस्तान मोटर्स और बजाज ऑटो, ह्यूंदई, फोर्ड, फिएट, टोयटा, होंडा, स्कोडा, वोल्क्सवैगन, ऑडी, रेनौल्ट और बीएमडब्ल्यू जैसे नाम शामिल हैं। 

ऑटोमोबाइल उद्योग और उसके साथ ऑटोमोबाइल हिस्से पुर्जे (कम्पोनेन्ट) उद्योग, सक्षम ऑटोमोबाइल इंजीनियरों के लिए विविध प्रकार के रोजगार उपलब्ध कराते हैं। डिजाइन, इंजीनियरी, उत्पादन, ऑपरेशन्स, मानव संसाधन प्रबंधन, बिक्री और सेवाएं, विपणन, वित्त, ग्राहक देखभाल, आईटी और अनुसंधान एवं विकास जैसे विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं। 

ऑटोमोबाइल उद्योग में रोजगार के अवसरों को तीन मुख्य क्षेत्रों में वर्गीकृत किया जा सकता है-डिजाइन, डेवेलपमेंट (विकास) और मैन्युफैक्चरिंग (विनिर्माण)। डिजाइन के अंतर्गत वाहन या कम्पोनेन्ट का खाका तैयार किया जाता है। डेवलपमेंट इंजीनियर खाके का मूल्यांकन करते हैं और मैन्युफैक्चरिंग इंजीनियरों का संबंध वाहन के उत्पादन के साथ है। 

ऑटोमोबाइल इंजीनियरों को सौंपी जाने वाली कुछ भूमिकाओं में ऑटोमोबाइल डिजाइनर, प्रोडक्शन इंजीनियर, ड्राइवर इंस्टूमेंशन इंजीनियर, क्वालिटी इंजीनियर, ऑटोमोटिव तकनीशियन और पेन्टस स्पेशलिस्ट प्रमुख हैं। ऑटोमोबाइल विनिर्माण कंपनियों और ऑटोमोबाइल कंपोनेन्ट कंपनियों के अलावा सर्विस स्टेशनों और परिवहन कंपनियों द्वारा भी ऑटोमोबाइल इंजीनियरों को काम पर रखा जाता है। ऑटोमोबाइल सॉफ्टवेयर परियोजनाओं का संचालन करने वाली, आईटी यानी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियां भी इन व्यवसायियों को रोजगार प्रदान करती हैं, परंतु इसके लिए उन्हें, सॉफ्टवेयर कोर्स करना होता है या सम्बद्ध कार्य का प्रशिक्षण लेना होता है। रोजगार का अन्य विकल्प मरम्मत वर्कशापों या गैराजों की स्थापना है। इस क्षेत्र में अनुसंधान एवं अध्यापन के विकल्प भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ऑटोमोबाइल इंजीनियरी में अनुसंधान की संभावना वाले क्षेत्रों में एरोडायनामिक्स, वैकल्पिक ईंधन, चैसिस, इलेक्ट्रॉनिक्स, विनिर्माण, सामग्री, मोटर स्पोर्ट, पावर ट्रेन, रैपिड प्रोटोटाइपिंग, वाहन और पैदल यात्री सुरक्षा या सप्लाई चेन मैनेजमेंट शामिल हैं। 

ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में काम-काज का उत्कृष्ठ पक्ष यह है कि इसमें विभिन्न विभागों में काम करने और ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर के विभिन्न पहलुओं से संबंधित कौशल हासिल करने के अवसर मिलते हैं। 

पारिश्रमिक


ऑटोमोबाइल इंजीनियरी में नए स्नातक प्रतिमाह रु. 10,000/- से 15,000/- के बीच अर्जित कर सकते हैं। आईआईटीज, एनआईटीज और बिट्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के स्नातकों को पर्याप्त ऊंचे वेतन पैकेज प्रस्तावित किए जाते हैं।

शैक्षिक योग्यताएं :


ऑटोमोबाइल इंजीनियरी में डिप्लोमा से लेकर पीएचडी तक के पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। इस क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक विद्यार्थी ऑटोमोबाइल इंजीनियरी में बी.ई. या बी.टैक. कोर्स से शुरुआत कर सकते हैं अथवा मैकेनिकल इंजीनियरी में बी.ई या बी.टैक. कोर्स करके बाद में ऑटोमोबाइल इंजीनियरी में एम.टैक. कर सकते हैं। 

ऑटोमोबाइल इंजिनियरी के अंतर्गत आने वाले कुछ विषयों में थरमोडायनामिक्स, एरोडायनामिक्स, इलेक्ट्रिकल मोशन, कंबस्चन इंजन, व्हीकल चैसीस, इलेक्ट्रिक सिस्टम्स, कंट्रोल सिस्टम्स, फ्लुइड मेकेनिक्स, एमिशन्स, वर्कशाप प्रौद्योगिकी, सप्लाई चेन मैनेजमेंट, मशीन डिजाइन, कम्प्यूटर एडिड डिजाइन, प्रोटोटाइप क्रीएशंस और एर्गोनोमिक्स शामिल हैं। ये सभी पाठ्यक्रम सैद्धांतिक अध्ययन, व्यावहारिक प्रयोग और स्वयं हाथ से काम करने के प्रशिक्षण का सम्मिश्रण हैं। अधिकतर विद्यार्थी इंटर्नशिप को इन पाठ्यक्रमों का सबसे उपयोग हिस्सा मानते हैं। इंटर्नशिप के दौरान विद्यार्थी स्वयं अपने हाथ से कार्य करने का अनुभव प्राप्त करते हैं। इन कार्यों में किसी कार को हविस (हॉइस्ट) पर ऊपर उठाने, एयर फिल्टर, ईंधन पिल्टर, इंजन ऑयल, स्पार्क प्लग बदलने, टायर पंक्चर लगाने से लेकर डिजाइनिंग सॉफ्टवेयर के साथ काम करने और कंपोनेन्ट्स असेम्बल करने, आदि तक के कार्यों का प्रशिक्षण शामिल होता है। कुछ विद्यार्थी बताते हैं कि मेकेनिकों द्वारा ऐसे टिप्स दिए जाते हैं जिनकी जानकारी अनुभवी ऑटोमोबाइल इंजीनियरों को भी नहीं होती। इंजीनियरी मेकेनिक्स, अप्लाइड थरमोडायनामिक्स, मेकेनिकल इंजीनियरी, रोबोटिक्स और ऑटोमेशन, आदि विषयों में प्रमाणपत्र और डिप्लोमा पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। 

डिग्री पाने के इच्छुक डिप्लोमा धारक एएमआईइ परीक्षा दे सकते हैं, जिसका संचालन इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स, इंडिया द्वारा किया जाता है। यह व्यावसायिक प्रमाणपत्र स्नातक उपाधि के समकक्ष समझा जाता है। 

कौशल


ऑटोमोबाइल इंजीनियरी पाठ्यक्रमों में बेहतर प्रदर्शन के लिए गणित और विज्ञान विषयों की अच्छी जानकारी उपयोगी सिद्ध होती है। 

मौलिकता ऑटोमोबाइल इंजीनियरी के क्षेत्र में सफलता की कुंजी है। इसलिए युक्तिसंगत सोच, वस्तुनिष्ठ नजरिया परिश्रमी स्वभाव और अध्यवसाय जैसे गुण उस व्यक्ति में अपेक्षित हैं, जो इस क्षेत्र में रोजगार की अभिलाषा रखते हैं। 

स्कैचिंग और ड्राइंग कौशल सहित सुदृढ़ तकनीकी प्रशिक्षण के अलावा उम्मीदवारों को अभिव्यक्ति कौशल, टीम भावना से काम करने और समस्या समाधान में निपुण होना चाहिए ताकि वे अपने व्यवसाय के प्रति न्याय कर सकें। सीखने की इच्छा और सम्पर्कों का नेटवर्क रखना इस क्षेत्र में तरक्की के लिए मददगार सिद्ध होगा।

ऑटोमोबाइल इंजीनियरी में पाठ्यक्रम संचालित करने वाले संस्थानों की संख्या अधिक नहीं है। ऑटोमोबाइल कंपनियों में विभिन्न पद भरने के लिए प्रशिक्षित इंजीनियरों की भारी कमी है। अतः इस क्षेत्र में वास्तविक अभिरुचि रखने वाले और प्रतिबद्ध उम्मीदवारों के लिए भविष्य उज्जवल है। 

कॉलेज और पाठ्यक्रमः


कॉलेज
पाठ्यक्रम
पात्रता
प्रवेश
वेबसाइट
अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नै
ऑटोमोबाइल इंजीनियरी में बी.ई
10+2
प्रवेश परीक्षा में प्रदर्शित योग्यता
एसआरएम यूनिवर्सिटी जिला कांचीपुरम
ऑटोमोबाइल इंजीनियरी में बी.टैक
10+2 स्तर की परीक्षा में गणित, भौतिक विज्ञान और रसायन विज्ञान मुख्य विषय रहे हों और संबद्ध परीक्षा में न्यूनतम 60 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हों।
प्रवेश परीक्षा में प्रदर्शित योग्यता
भारत यूनिवर्सिटी, चेन्नै
ऑटोमोबोइल इंजीनियरी में एम.टैक
संबद्ध विषय में बी.ई/बी.टैक या समकक्ष डिग्री
प्रवेश परीक्षा/गेट में प्रदर्शित योग्यता
वीरमाता जीजाबाई टेक्नोलॉजिकल इंस्टिट्यूट, मुंबई
ऑटोमोबाइल इंजीनियरी में विशेषज्ञता के साथ मेकेनिकल इंजीनियरी में एम.टैक
मेकेनिकल/ऑटोमोबाइल इंजीनियरी में बी.ई/बी.टैक
गेट में प्रदर्शित योग्यता
सास्ट्र यूनिवर्सिटी, तंजावुर
ऑटोमोबाइल इंजीनियरी में 5 वर्षीय बी.टैक+एमटैक समेकित पाठ्यक्रम
गणित, भौतिक विज्ञान और रसायन विज्ञान के साथ 10+2
क्वालिफाइंग परीक्षा/एआईईईई में प्रदर्शित योग्यता
एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा
मेकेनिकल और ऑटोमोबाइल इंजीनियरी में 5 वर्षीय बी.टैक+एम टैक दोहरी डिग्री पाठ्यक्रम
बीई/बी.टैक/एएमआईई (मेकेनिकल/ऑटोमोबाइल इंजीनियरी में) परीक्षा 60 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण की हो और 10+2 स्तर पर भी न्यूनतम 60 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हों।
प्रवेश परीक्षा में प्रदर्शित योग्यता
आचार्य इंस्टिट्यूट्स, सोलदेवनाहल्ली, बंगलौर
ऑटोमोबाइल इंजीनियरी में डिप्लोमा
गणित और विज्ञान के साथ दसवीं कक्षा उत्तीर्ण की हो।

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड इंजीनियरिंग स्टॅडीज, हैदराबाद, आंध्रप्रदेश
ऑटोमोबाइल इंजीनियरी में डिप्लोमा
कक्षा दस

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद
ट्रांस्पोर्टेशन और ऑटोमोबाइल डिजाइन में विशेषज्ञता के साथ डिजाइन में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा
बी.ई/बी.टैक/बी.डेज/बी.आर्क या समकक्ष
प्रवेश परीक्षा और साक्षात्कार में प्रदर्शित योग्यता

Saturday, July 7, 2018

फॉरेंसिक अकाउंटिंग में करियर

देश में आईटी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी सत्यम (अब महिंद्रा सत्यम) में हुए बड़े वित्तीय घोटाले का मामला हो या फिर आए दिन सामने आने वाले आर्थिक साइबर अपराधों, मनी लॉन्डरिंग, बीमा, बैंकिंग और निवेश से संबंधित घोटालों आदि के खुलासे की बात, इनकी प्रभावी जांच के लिए फॉरेंसिक अकाउंटिंग की जरूरत होती है। बढ़ते आर्थिक अपराधों के इस दौर में फॉरेंसिक अकाउंटिंग के पेशेवरों का महत्व और उनकी मांग काफी बढ़ गई है। इस कारण इसे भविष्य के लिहाज से रोजगार का एक बेहतरीन विकल्प माना जा सकता है।
क्या है फॉरेंसिक अकाउंटिंगयह अकाउंटिंग की ही एक शाखा है, जिसमें कानून व्यवस्था से जुड़े मामलों को सुलझाने के लिए अकाउंटिंग के सिद्धांतों के साथ ऑडिटिंग और जांच-पड़ताल के हुनर का इस्तेमाल किया जाता है। यह काम करने वाले पेशेवरों को फॉरेंसिक अकाउंटेंट कहा जाता है। वह अनुभवी ऑडिटर होते हैं और वित्तीय घपलों का पता लगाने के लिए किसी व्यावसायिक संस्थान (कंपनी, फर्म) के खातों (अकाउंट्स) पर निगरानी रखने का कार्य करते हैं। फॉरेंसिक अकाउंटिंग के लिए सबसे जरूरी होती है अकाउंटिंग की अच्छी जानकारी। इसके बाद ऑडिटिंग, रिस्क असेसमेंट और फ्रॉड डिटेक्शन (घपलों को पहचानना) आदि की व्यावहारिक समझ को इस पेशे में आवश्यक माना जाता है।
इस पेशे से जुड़े लोगों को अपने अकाउंटिंग, ऑडिटिंग और खोजबीन के हुनर से आर्थिक घोटालों से संबंधित साक्ष्यों का विश्लेषण करके उनका अर्थ निकालना होता है। किसी मामले की अदालती कार्यवाही में वह बतौर विशेषज्ञ गवाह के रूप में भी योगदान दे सकते हैं। किसी कानूनी विवाद में लिप्त लोगों या फर्मों के मामले में फॉरेंसिक अकाउंटेंट की मुख्य भूमिका संबंधित वित्तीय रिकार्डों (दस्तावेज) की जांच और उनका विश्लेषण करना होता है। इस कार्य के दौरान वह उन सबूतों को भी जुटाते हैं, जो जांच एजेंसियों को कानूनी प्रक्रिया में मदद देते हैं। अपने पेशेवर जीवन में फॉरेंसिक अकाउंटेंट को अकाउंटेंट, डिटेक्टिव और लीगल एक्सपर्ट जैसी कई भूमिकाएं निभानी होती हैं। वह संदिग्ध लगने वाले वित्तीय दस्तावेजों की तलाश में रहते हैं, ताकि वह उन अपराधों का पर्दाफाश कर सकें, जिसमें कोई एक व्यक्ति या छोटे-बड़े व्यापारिक समूह संलिप्त हैं।
 
प्रमुख कार्य
- वित्तीय साक्ष्यों की जांच और उनका विश्लेषण करना।
- साक्ष्यों (वित्तीय) की प्रस्तुति और उनके विश्लेषण में मदद के लिए कंप्यूटर आधारित एप्लिकेशन तैयार करना।
- जांच में मिलने वाले तथ्यों को रिपोर्ट और दस्तावेजों के संग्रह के रूप में प्रस्तुत करना।
- अदालत की कार्यवाही में मदद करना यानी न्यायालय में विशेषज्ञ के रूप में गवाही देना और सबूतों को मजबूत करने के लिए दृश्यात्मक सामग्री उपलब्ध कराना।
जरूरी हैं फॉरेंसिक अकाउंटेंट
आमतौर पर सभी बड़ी अकाउंटिंग फर्मों में फॉरेंसिक अकाउंटेंट की जरूरत होती है। इन फर्मों में उनका कार्य कंपनियों के बीच होने वाले गठजोड़ों और अधिग्रहण समझौतों की जांच करना, विशेष ऑडिट करना, आर्थिक अपराधों तथा टैक्स की गड़बड़ी से संबंधित मामलों की जांच करना होता है। तलाक, व्यापार और दुर्घटनाओं से संबंधित क्लेम के मामलों  की जांच में भी फॉरेंसिक अकाउंटेंट की जरूरत होती है। वह अपनी इच्छा के अनुसार नौकरी के लिए सरकारी या निजी क्षेत्र की कंपनियों का रुख कर सकते हैं।
प्रमुख रोजगारदाता क्षेत्र
- पब्लिक अकाउंटिंग फर्म
- प्राइवेट कॉर्पोरेशंस
- बैंक
- पुलिस एजेंसियां
- सरकारी एजेंसियां
- इंश्योरेंस कंपनियां
- लॉ फर्म
जरूरी गुण- गहन विश्लेषणात्मक कौशल
- जांच-पड़ताल का हुनर
- तथ्यों को बारीकी से जानने की इच्छा
- किसी दबाव में न आते हुए काम को पूरा करने की दृढ़ता
- अपने काम के प्रति पूर्ण निष्ठा
- जिज्ञासा
- रचनात्मक सोच
उपलब्ध पाठ्यक्रम
- पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन फॉरेंसिक अकाउंटिंग
- सर्टिफिकेट कोर्स इन फॉरेंसिक अकाउंटिंग प्रोफेशनल
- सर्टिफाइड एंटी-मनी लॉन्डरिंग एक्सपर्ट
- सर्टिफाइड बैंक फॉरेंसिक अकाउंटिंग
- सर्टिफाइड विजिलेंस एंड इंवेस्टिगेशन एक्सपर्ट
योग्यता 
- किसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से बैचलर डिग्री प्राप्त हो
- दो से चार साल का पेशेवर अनुभव हो
- इंडिया फॉरेंसिक द्वारा आयोजित सीएफएपी परीक्षा न्यूनतम 75 फीसदी अंकों के साथ पास हो (सीपीए एक प्रोफेशनल डिग्री है, जो भारत में सीए की तरह है, इसे अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ सर्टिफाइड पब्लिक अकाउंटेंट्स जारी करता है।)
संबंधित संस्थान
- द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया, नई दिल्ली
- द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड फाइनेंशियल एनालिस्ट्स ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, त्रिपुरा
- इंडिया फॉरेंसिक, पुणे