Thursday, March 31, 2016

एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग में आकर्षक कैरियर

एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर्स एविएशन क्षेत्र के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे एयरक्राफ्ट के उड़ने से पहले यह सुनिश्चित करते हैं कि एयरक्राफ्ट बेहतर स्थिति में है या नहीं। एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर को सुरक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है, जिससे लोगों को आने वाले खतरों से बचाया जा सके। एक एयरक्राफ्ट इंजीनियर का काम यह विश्वास दिलाने का होता है कि एयरक्राफ्ट उड़ने के लिए तैयार है या नहीं। प्रत्येक विमान के नियमित रख-रखाव एवं उड़ान के लिए कई एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर्स एवं तकनीशियन का होना अनिवार्य होता है। कोई विमान तब तक उड़ान नहीं भर सकता, जब तक कि एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर द्वारा उस विमान को उड़ान योग्य प्रमाण-पत्र नहीं दे दिया जाता। एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर हेतु विमानन उद्योग में रोजगार के अवसर अधिक है। वर्तमान में स्थिति यह है कि देश में एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरों के न होने के कारण इस क्षेत्र में उच्च वेतनमान पर दूसरे देशों की सेवाएं ली जा रही हैं। देश में महानिदेशक, सिविल विमानन विभाग, भारत सरकार द्वारा मान्यता-प्राप्त प्रशिक्षण संस्थानों में एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग की शिक्षा दी जाती है।

शैक्षणिक योग्यता

एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम की अवधि तीन वर्ष होती है। जिन छात्रों ने फिजिक्स, केमिस्ट्री और गणित विषयों के साथ 50 प्रतिशत अंकों सहित बारहवीं की परीक्षा पास की है या इंजीनियरिंग की किसी भी बं्राच में तीन साल का डिप्लोमा या बारहवीं के बाद बीएससी डिग्री प्राप्त किए हुए छात्र एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग के कोर्सों में प्रवेश पा सकते हैं।

कोर्स

एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर बनने के लिए सबसे पहले आपको डीजीसीए (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) से लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक होता है। इसके लिए आपको एएमई (एसोसिएट मेंबरशिप एग्जाम) पास करना होता है। यह कोई डिग्री प्रोग्राम नहीं है, बल्कि एक स्पेशलाइज्ड लाइसेंसिंग प्रोग्राम है, जिसमें एयरक्राफ्ट की सर्विस और मेंटेनेंस के बारे में ट्रेनिंग दी जाती है। यह ट्रेनिंग केवल उन्हीं संस्थानों में दी जाती है, जो डीजीसीए द्वारा स्वीकृत होते हैं। इसके साथ ही इन संस्थानों में एएमई परीक्षा की तैयारी के लिए ट्रेनिंग भी दी जाती है। यह परीक्षा एयरोनाटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा ली जाती है। इस परीक्षा को पास करने के बाद डीजीसीए आपको एएमई लाइसेंस प्रदान करता है, जिससे आप भारतीय विश्वविद्यालयों में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बीई या बीटेक कोर्स के लिए प्रवेश पा सकते हैं। तीन साल के एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनिरिंग लाइसेंस कोर्स भारत में कई सरकारी और निजी संस्थानों द्वारा करवाए जाते हैं, जो डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए)  द्वारा मान्यता प्राप्त होते हैं। जिन्हें करके आप एविएशन के क्षेत्र में अच्छे वेतनमान के साथ रोजगार पा सकते हैं।

रोजगार के अवसर

जिन लोगों ने सफलतापूर्वक ट्रेनिंग पूरी कर ली है और डीजीसीए (डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन) से लाइसेंस प्राप्त कर लिया है, वे एयरपोर्ट्स और एयरक्राफ्ट मैन्युफेक्चरिंग या मेंटेनेंस फर्मों के साथ बेहतर वेतनमान पर नौकरी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा निजी क्षेत्र में एयरक्राफ्ट्स की बढ़ती तादाद को देखते हुए एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरों की मांग में बढ़ोतरी हुई है। एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग के क्षेत्र में आप फ्लाइट एंड ग्राउंड इंस्ट्रक्टर, फ्लाइट डिस्पैचर, फैक्टर फैसिलेटर और एविएशन डाक्टर के रूप में भी कार्य कर सकते हैं। इसके साथ ही निजी या सरकारी कालेजांे और विश्वविद्यालयों में टीचिंग में भी रोजगार की बेहतर संभावनाएं हैं।

वेतनमान

इस क्षेत्र में वेतनमान सरकारी क्षेत्र के मुकाबले निजी क्षेत्र में अधिक होता है। सरकारी क्षेत्रों जैसे एचएएल और एनएएल आदि में शुरुआत में लगभग 8000 से 10000 रुपए प्रतिमाह मिलता है। जो व्यक्ति रिसर्च संस्थाओं जैसे इसरो और डीआरडीओ में काम करना चाहते हैं, वे 12000 से 18000 रुपए प्रति माह कमा सकते हैं। मैनेजमेंट डिग्री के साथ-साथ इंजीनियरिंग गे्रजुएट्स शुरुआत में 10000 से 40000 रुपए प्रतिमाह आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में उच्च योग्यता और अनुभव रखने वाला व्यक्ति 40000 से 1.25 लाख रुपए प्रति महीना कमा सकता है।

कोर्स

1. डिप्लोमा इन एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग

2. डिग्री इन एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग

3. एमई इन एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग

4. पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग

5. सर्टिफिकेट कोर्स इन एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग

6. शॉर्ट टर्म सर्टिफिकेट कोर्स इन एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग

7. बीएससी ऑनर्स इन एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग

8. बैचलर डिग्री इन एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग

9. अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम इन एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग

10. एसोसिएट डिग्री प्रोग्राम इन एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग

संस्थान

1. पंजाब इंजीनियरिंग कालेज, चंडीगढ़

2. गुरुकुल विद्यापीठ, बनूर, पटियाला

3. पंजाब एयरक्राफ्ट इंजीनियरिंग कालेज, पटियाला

4. पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला

5. डिपार्टमेंट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन एंड इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग, चंडीगढ़

6. इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ एयरक्राफ्ट इंजीनियरिंग, नई दिल्ली

7. स्टार एविएशन अकादमी, गुड़गांव

8. स्कूल ऑफ एविएशन साइंस एंड टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली

9. स्कूल ऑफ एयरोनॉटिक्स, नई दिल्ली

10. नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग, देहरादून

11. इंस्टीच्यूट ऑफ एविएशन टेक्नोलॉजी, बहादुरगढ़, हरियाणा

Tuesday, March 29, 2016

वेटरिनरी डॉक्टर के रूप में करियर

पशु-पक्षियों में होने वाली बीमारियों का पता लगाना, सही तरीके से इलाज कर उन्हें उनकी तकलीफों से छुटकारा दिलाना ही वेटरिनरी साइंस है। एक अनुमान के मुताबिक, भारत में पशुओं की संख्या विश्व में सबसे अधिक है। इनकी देखभाल व इलाज के लिए वर्तमान में वेटरिनरी डॉक्टरों की भारी संख्या में कमी है। यदि किसी की जानवरों, पक्षियों के देखभाल और साथ ही चिकित्सा में रूचि है तो उसके लिए वेटरिनरी डॉक्टर का पेशा कल्याण, प्रतिष्ठा और पैसा के हिसाब से बहुत ही शानदार हो सकता है।
कार्य
वेटरिनरी डॉक्टर्स का कार्य पशुओं के स्वास्थ्य का खयाल रखना, उन्हें बीमारियों से छुटकारा दिलाना, उनके रहन-सहन व खानपान में सुधार करना तथा उनकी उत्पादन तथा प्रजनन क्षमता बढ़ाना होता है। इसके अलावा पशुओं से मनुष्यों में होने वाले रोगों से बचाव के लिए चिकित्सीय उपाय ढूंढने का कार्य भी करते हैं।
योग्यता
वेटरिनरी साइंस में गे्रजुएशन के लिए प्रवेश परीक्षा होती है। इस परीक्षा में आवेदन के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री व बायोलॉजी विषयों में 50 प्रतिशत अंकों के साथ बारहवीं पास करना अनिवार्य है। यह परीक्षा वेटरिनरी काउंसिल ऑफ इंडिया के द्वारा हर वर्ष मई व जून में आयोजित की जाती है। प्रत्येक राज्य के वेटरिनरी कॉलेज की 15 प्रतिशत सीटें इसी परीक्षा के द्वारा भरी जाती है। बाकी सीटें उसी राज्य के प्रतियोगियों के लिए आरक्षित होती हैं, जहां वेटरिनरी कॉलेज स्थित होता है।
अवसर
वेटरिनरी इंडस्ट्री के कमर्शियलाइजेशन तथा भारत सरकार की उदारीकरण नीतियों के कारण यह इंडस्ट्री 35 प्रतिशत वार्षिक दर से वृद्धि कर रही है। फूड मैन्यूफैक्चरिंग, फार्मास्युटिकल्स, वैक्सीन प्रोडक्शन इंडस्ट्री से संबंधित मल्टीनेशनल कंपनियों के आने से वेटरिनरी क्षेत्र में नौकरी की मांग बढ़ रही है। पशु चिकित्सक सरकारी तथा गैर-सरकारी वेटरिनरी अस्पतालों, एनिमल हस्बैंड्री डिपार्टमेंट, पोल्ट्री फार्म, डेयरी इंडस्ट्री, मिल्क ऐंड मीट प्रोसेसिंग इंडस्ट्री, सीड इंडस्ट्री, फार्मास्युटिकल सेक्टर तथा एनिमल बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कार्य कर सकते हैं। निजी अस्पताल या क्लीनिक खोलकर भी कमाई की जा सकती है। इसके अलावा रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट के क्षेत्र तथा शिक्षण-संस्थानों में शिक्षक के तौर पर कार्य करके भी आमदनी की जा सकती है।
कमाईवेटरिनरी डॉक्टर्स की सैलॅरी उनके पद, अनुभव तथा उसकी प्रैक्टिस के आधार पर तय होती है। सरकारी क्षेत्र में वेटरिनरी डॉक्टर की औसतन सैलरी 8 हजार रुपये प्रतिमाह से 25 हजार रुपये प्रतिमाह होती है। इसके अलावा उन्हें सरकार की ओर से मूल वेतन का 25 प्रतिशत नॉन प्रैक्टिस भत्ता भी दिया जाता है। प्राइवेट सेक्टर में वेटरिनरी डॉक्टर की सैलॅरी सरकारी क्षेत्र की तुलना में कहीं अधिक होती है।
कोर्स
 • बैचलर ऑफ वेटरिनरी साइंस ऐंड एनिमल हसबैंड्री (5 वर्ष)
 • वेटरिनरी ऐंड लाइव स्टॉक डेवलपमेंट डिप्लोमा (2 वर्ष)
 • मास्टर ऑफ वेटरिनरी साइंस (2 वर्ष)
 • पीएचडी इन वेटरिनरी साइंस (2 वर्ष)
संस्थान 1. बिहार वेटरिनरी कॉलेज, पटना
 2. बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, रांची
 3. बॉम्बे वेटरिनरी साइंस कॉलेज
 4. मुंबई शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी, श्रीनगर
 5. चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार
 6. गोविंद वल्लभ पंत कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर

Monday, March 28, 2016

मेडिकल टूरिज्म में कैरियर

पिछले कुछ वर्षों से भारत मेडिकल टूरिज्म के लिए आकर्षक डेस्टिनेशन बना हुआ है। सस्ते और क्वालिटी मेडिकल सर्विसेज के कारण दुनियाभर से लोग यहां इलाज करवाने आ रहे हैं। हर साल लाखों की संख्या में आने वाले मेडिकल टूरिस्ट की वजह से इस फील्ड में जॉब के मौके भी खूब देखे जा रहे हैं। अगर आप इस फील्ड से रिलेटेड डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स कर लेते हैं, तो इसमें शानदार करियर बना सकते हैं…देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और जॉब क्रिएशन में इंडियन हेल्थकेयर इंडस्ट्री का बड़ा रोल माना जा रहा है। ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन, बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप और कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज की एक ज्वाइंट रिपोर्ट के अनुसार, 2020 तक हेल्थकेयर सेक्टर में करीब 40 मिलियन से ज्यादा जॉब जेनरेट होने का अनुमान है। उम्मीद की जा रही है कि दुनिया के दूसरे विकसित देशों के मुकाबले भारत में उपलब्ध सस्ते मेडिकल ट्रीटमेंट और एजुकेशन सर्विसेज के कारण यह मेडिकल टूरिज्म का ग्लोबल हब बन सकता है। हर साल लाखों की तादाद में मेडिकल ट्रैवलर्स या टूरिस्ट्स भारत का दौरा करते हैं। करीब 60 से ज्यादा देशों के मरीज इंडिया इलाज कराने आते हैं। इस तरह ग्लोबल टूरिज्म में भारत का हिस्सा लगभग तीन प्रतिशत है। एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2015 तक हेल्थकेयर टूरिज्म का मार्केट 11 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। जाहिर है, मेडिकल टूरिज्म सेक्टर में युवाओं के लिए अपॉच्र्युनिटीज की कमी नहीं रहेगी।
क्या है मेडिकल टूरिज्म
मेडिकल टूरिज्म को मेडिकल ट्रैवल भी कहते हैं, जिसमें टूरिज्म इंडस्ट्री और मेडिकल केयर के सहयोग से विदेशी या देशी पर्यटकों को कम खर्च पर मेडिकल की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। ट्रीटमेंट के साथ-साथ सैलानियों को उस जगह या देश को एक्सप्लोर करने का मौका भी दिया जाता है। उन्हें अपने घर जैसा एहसास कराया जाता है। लोकेशन या ट्रीटमेंट प्रोसिजर के आधार पर मेडिकल वैकेशन में विदेशी सैलानियों की 10 से लेकर 50 प्रतिशत तक की बचत हो जाती है। वहीं, मेडिकल टूरिज्म प्रोवाइडर्स लोगों को मेडिकल फैसिलिटी, सेफ्टी और लीगल इश्यूज के अलावा हॉस्पिटल्स, क्लीनिक्स, डॉक्टर्स, ट्रैवल एजेंसीज, रिजॉट्र्स, ट्रैवल इंश्योरेंस आदि की जानकारी देता है। इस तरह वह मरीज और हेल्थकेयर प्रोवाइडर के बीच सेतु का काम करता है। पूरे मेडिकल ट्रिप, ट्रीटमेंट के अलावा टूरिज्म एक्टिविटीज की प्लानिंग करता है।
एजुकेशनल क्वालिफिकेशन
अगर आपका रुझान इस क्षेत्र में है, तो आप हायर सेकंडरी या ग्रेजुएशन के बाद मेडिकल टूरिज्म से रिलेटेड कोर्स कर सकते हैं। इंडिया में कई इंस्टीट्यूट्स मेडिकल टूरिज्म में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा और एमबीए कोर्स संचालित करते हैं। इसके तहत कैंडिडेट को ट्रैवल और टूरिज्म इंडस्ट्री के साथ लॉजिस्टिक्स, हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री की भी जानकारी दी जाती है। रेगुलर के अलावा ऑनलाइन और डिस्टेंस एजुकेशन के जरिए भी मेडिकल टूरिज्म से संबंधित कोर्स किए जा सकते हैं। मार्केटिंग, पीआर प्रोफेशनल्स भी इस इंडस्ट्री से जुड़ सकते हैं।
पर्सनल स्किल
मेडिकल टूरिज्म सेक्टर में करियर बनाने के लिए आपके पास स्ट्रॉन्ग कम्युनिकेशन, लीडरशिप और ऑर्गेनाइजेशनल स्किल होनी चाहिए। आपको अलग-अलग जगहों और हॉस्पिटल्स की पूरी नॉलेज होनी चाहिए, ताकि विदेशी सैलानियों को अस्पताल के चुनाव में सही से गाइडेंस दे सकें। आपको हेल्थकेयर से संबंधित कानूनों और सरकारी नियमों की भी जानकारी होनी चाहिए। मेडिकल टूरिज्म के प्रोफेशनल्स के पास प्राइसिंग, कंटेंट, ट्रीटमेंट, हॉस्पिटल रेटिंग, एक्रीडिशन के साथ-साथ अमुक देश की वीजा पॉलिसी की भी जानकारी होनी चाहिए।
करियर अपॉच्र्युनिटी
मेडिकल टूरिज्म प्रोफेशनल्स के लिए हेल्थकेयर के अलावा टूरिज्म सेक्टर में संभावनाओं की कमी नहीं है। आप गेस्ट रिलेशनशिप मैनेजर, हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेटर, मेडिकल टूर कंसल्टेंट, स्पा थेरेपिस्ट, मैनेजर, पब्लिक रिलेशन पर्सनल, ट्रैवल एडवाइजर, इंश्योरेंस फैसिलिटेटर, एंटरप्रेटर, शेफ के तौर पर गवर्नमेंट या प्राइवेट हॉस्पिटल, ट्रैवल फर्म, एयरलाइंस, होटल्स, स्पा सेंटर में काम कर सकते हैं।
सैलरी
प्राइवेट या गवर्नमेंट हॉस्पिटल या ट्रैवल कंपनी में काम करने वाले फ्रेश ग्रेजुएट्स को शुरुआत में 10 से 15 हजार रुपये मिल जाते हैं। वैसे, काफी कुछ कंपनी, आपके अपने क्वालिफिकेशन, एक्सपीरियंस और परफॉर्मेंस पर निर्भर करता है। इस फील्ड में आप कम से कम 20 हजार रुपये से शुरुआत कर सकते हैं। वहीं, एमबीए ग्रेजुएट्स को उनके अनुभव के अनुसार, 30 से 50 हजार रुपये के बीच में आसानी से मिल सकता है।

विशेषज्ञों की राय

जामिया मिलिया इस्लामिया में ट्रेवल एंड टूरिज्म कोर्स के प्रोफेसर जैदी का कहना है कि मेडिकल टूरिज्म हमारे यहां चल रहे ट्रेवल एंड टूरिज्म कोर्स का हिस्सा है। चूंकि विकसित देशों में चिकित्सीय सुविधाएं महंगी हैं इसलिए अरब, नाइजीरिया और फ्रांस आदि से पर्यटक बड़ी संख्या में हमारे देश में ईलाज कराने आते हैं। इसके चलते मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में प्रतियोगिता बढ़ रही है। इस मामले में भारत की प्रतियोगिता सिंगापुर और फिलिपींस से है।

इस क्षेत्र में और अवसर बढ़ें इसके लिए जरूरी है कि यहां मेडिकल टूरिज्म के लिए आने वाले पर्यटकों को वाजिब दामों में बिना किसी हेर-फेर के जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जाएं और साथ ही ईलाज कराने के बाद वे अगर किसी धार्मिक स्थल की यात्रा करना चाहें तो उसके लिए भी उन्हें सही सलाह देने के साथ ही बढ़िया पैकेज दिए जाएं।

वहीं इंस्टिट्यूट ऑफ क्लीनिकल रिसर्च, इंडिया के दिल्ली कैंपस की जोनल मैनजर चारू साहनी का कहना है कि भारत में स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं और इंफ्रास्ट्रक्चर में अच्छी-खासी प्रगति हो रही है जिसकी वजह से यहां आकर अपना इलाज कराने वाले पर्यटकों की संख्या में भारी इजाफा हो रहा है और इसकी वजह से मेडिकल टूरिज्म को अब हमारे देश में बहुत बढ़ावा मिल रहा है।

इसके चलते इन दिनों कई निजी इंस्टिट्यूट छात्रों को मेडिकल टूरिज्म में स्पेशल कोर्स करवा रहे हैं। इस पेशे में प्रशिक्षित पेशेवरों की इन दिनों खूब मांग है। हमारे देश में मिडिल ईस्ट देशों से काफी पर्यटक खासतौर से अपना ईलाज कराने आते हैं। ऐसे में उन्हें हर तरह की मेडिकल सुविधाएं, होटल इत्यादि मुहैया करना ही मेडिकल टूरिज्म प्रोफेशनल का काम है।

यहां है पेशेवरों की मांग
इन दिनों कई बड़ी ट्रेवल एजेंसियों में मेडिकल टूरिज्म का अलग डिपार्टमेंट होता है। इसके अलावा बड़े अस्पतालों में भी मेडिकल टूरिज्म डेस्क की सुविधा होती है। यह डेस्क उन पर्यटकों की मदद के लिए होता है जो भारत में ईलाज कराने आते हैं। कई प्राइवेट एयरलाइंस में भी मेडिकल टूरिज्म हेल्प डेस्क की सुविधा होती है।

योग्यता
मेडिकल टूरिज्म में इन दिनों कई इंस्टिट्यूट कई तरह के डिग्री, सर्टिफिकेट और बैचलर कोर्स कराते हैं। इसके अलावा हेल्थकेयर में एमबीए भी कई इंस्टिट्यूट करवा रहे हैं। जहां तक बात है सर्टिफिकेट कोर्स की तो इसके लिए आपका किसी भी स्ट्रीम से 12वीं पास होना जरूरी है। इसके अलावा एमबीए प्रोग्राम के लिए बैचलर डिग्री की आवश्कता है।

यहां से करें कोर्स :
1. जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय
पता - जामिया नगर, नई दिल्ली।
फोन - 011-26981717, 26984617

2. इंस्टिट्यूट ऑफ क्लीनिकल रिसर्च
पता - ए-201, ओखला इंडस्ट्रीयल एरिया, फेज-1
फोन - 011-40651000

3. इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड हाईजीन
पता - आरजेड-ए-44, महिपालपुर एक्सटेंशन, नई दिल्ली।
फोन - 011-26781075/76

Sunday, March 27, 2016

टॉय डिजाइनिंग में कैरियर

खिलौने सभी बच्चों को बेहद पसंद होते हैं। ये सिर्फ खेलने के नजरिए से नहीं बल्कि उनके मानसिक विकास में भी मदद करते हैं। वैसे भी आजकल बाजार में इतने नए-नए खिलौने आ गए हैं कि कई बार लेने से पहले सोचना पड़ता है। कहते हैं अपने अंदर का बच्चा कभी न मरने दें और खिलौनों की दुनिया का यह नया स्वरूप खिलौने के निर्माण में कैरियर की भी ढेरों संभावनाएं पैदा करता है।

टॉय डिजाइनर का काम खिलौनों से बच्चों का मनोरंजन तो हो ही, साथ ही, ऐसे खिलौने बनाना भी है जिनसे बच्चों को मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षा भी मिले। टॉय डिजाइनिंग

खिलौने भी दो प्रकार के होते हैं - एक जिनसे बच्चे कुछ सीखते हैं और जिसे परिवार के साथ भी खेला जा सकता है, दूसरा सिर्फ मौज-मस्ती के लिए। पुराने समय में खिलौने प्राकृतिक चीजों से बनते थे जैसे लकड़ी, पत्थर या मिट्टी लेकिन आजकल यह प्लास्टिक, फर और अन्य कृत्रिम पदार्थ।

टॉय डिजाइनर खिलौनों को डिजाइन करते हैं और फिर बनाते हैं। उनका काम शुरू होता है ड्रॉइंग, स्केचिंग या कंप्यूटर से मॉडल तैयार करने से, फिर यह तय करना कि खिलौने का हर हिस्सा कैसे बनना है और फिर उसका एक नमूना तैयार करना।

खिलौनों को बाजार में दो प्रकार के उपभोक्ताओं के लिए रखा जाता है - एक तो बच्चे जो उनसे खेलते हैं और दूसरे उन ग्राहकों के लिए जो खिलौने एकत्रित करते हैं। गुड़िया से लेकर मैकेनिकल सेट, टॉय डिजाइनर बोर्ड गेम्स, पजल्स, कंप्यूटर गेम्स, स्टफ्ड एनिमल्स, रिमोट कंट्रोल कार, नवजात शिशु के लिए खिलौने आदि बनाते हैं।

आजकल के दौर के हिसाब से खिलौने बनाने के लिए डिजाइनर को न केवल बाजार के ट्रेंड से अवगत रहना चाहिए बल्कि अलग-अलग आयु वर्ग के बच्चों की जरूरतों को भी पता होना चाहिए। इस कैरियर में ग्राफिक डिजाइन, मैकेनिकल ड्रॉइंग और कलर के चुनाव की जानकारी हो तो अच्छी सफलता प्राप्त हो सकती है। टॉय डिजाइनर बच्चों के विशेषज्ञ के साथ काम करते हैं जिससे उन्हें हर आयु के बच्चों की जरूरत का पता चलता है। उनकी सफलता अच्छे, मनोरंजक, कल्पनाशील और सुरक्षित खिलौने बनाने पर निर्भर करती है। इस कैरियर के लिए व्यापार और प्रबंधन क्षमता होना जरूरी है।

इस कैरियर में विशिष्ट कोर्स कम हैं लेकिन ग्राफिक डिजाइन, इंडस्ट्रियल डिजाइन या कार्टूनिंग की जानकारी के साथ काम किया जा सकता है। इसमें कंप्यूटर की जानकारी होना जरूरी है। इसके अलावा, इंजीनियरिंग और मार्केटिंग में अनुभव भी प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षक, विशेषज्ञ, साइकोलॉजिस्ट, इंजीनियर, आर्किटेक्ट और कंप्यूटर साइंस ग्रेजुएट भी टॉय डिजाइनिंग का कोर्स कर सकते हैं।

इंजीनियरिंग का ज्ञान तकनीक द्वारा निर्मित खिलौने के लिए होना जरूरी है। शिक्षक, विशेषज्ञ और मनोवैज्ञानिक हर आयु के बच्चों की जरूरतें आसानी से समझ सकते हैं इसलिए परामर्शदाता के तौर पर वह इस क्षेत्र में पैर जमाने में सक्षम हैं। कंप्यूटर साइंस ग्रेजुएट खिलौनों की सॉफ्टवेयर संबंधित कार्यात्मकता प्रदान कर सकते हैं।

PR

कुछ टॉय डिजाइनर एजुकेशनल खिलौनों में भी विशेषज्ञता प्राप्त कर सकते हैं, कुछ सामान्य खिलौनों में या फिर कोई विशिष्ट क्षेत्र में कोर्स कर सकते हैं जैसे मॉडल मेकिंग, बोर्ड गेम्स, सॉफ्ट टॉय या पुराने खिलौनों की प्रतिकृति आदि। आजकल पालतू जानवरों के लिए खिलौने बनाना भी बढ़ती हुई इंडस्ट्री है।

टॉय डिजाइनर अगर चाहें तो किसी कंपनी में भी काम कर सकते हैं या स्वतंत्र रूप से खिलौने भी बना सकते हैं। अगर चाहें तो अपनी मैनुफैक्चरिंग यूनिट भी खोल सकते हैं। टॉय डिजाइन पर किताब लिख सकते हैं या किसी इंस्टिट्यूट में बतौर शिक्षक भी नौकरी की जा सकती है। इसके अलावा, बतौर इंटीरियर डिजाइनर बच्चों के कमरे या प्ले स्कूल थीम बेस्ड टॉय का इस्तेमाल करके डिजाइन कर सकते हैं। टॉय डिजाइन कंस्लटेंट या इसमें फ्रीलांसिंग भी की जा सकती है। एक बार डिजाइनर के तौर पर अपने आपको स्थापित करने के बाद अवसरों और आय की कमी नहीं होगी। लेकिन इस कैरियर में सफलता आपकी रचनात्मकता पर निर्भर करती है।

यहां से करें कोर्स -
1 नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद

2 इंस्टिट्यूट ऑफ टॉय मेकिंग, कोलकाता

केमोइंफॉर्मेटिक्स में करियर

केमोइंफॉर्मेटिक्स केमिस्ट्री की सबसे तेजी से विकसित होने वाली शाखा बन चुकी है। आने वाले समय में केमोइंफॉर्मेटिक्स का कोर्स करने वाले छात्रों को देश और विदेश में पर्याप्त अवसर मिलेंगे। इस बारे में बता रही हैं नमिता सिंह
इस समय हम ग्लोबल विलेज में जी रहे हैं। आईटी ने कई विधाओं को खुद से जोड़ कर उनका कायाकल्प करने का बीड़ा उठाया है। इसी प्रक्रिया के तहत आईटी का रसायन विज्ञान के साथ सम्मिलन दिन-ब-दिन परवान चढ़ता जा रहा है। इसके अंतर्गत रासायनिक सूचनाओं का संग्रहण, प्रबंधन, विश्लेषण एवं उनका समाधान संबंधी कार्य आते हैं। इस प्रचलित एवं कारगर विधा को नाम दिया गया ‘केमोइंफॉर्मेटिक्स’ अर्थात रसायन सूचना विज्ञान। केमोइंफॉर्मेटिक्स का सबसे ज्यादा उपयोग दवा बनाने वाली कंपनियां दवाओं की खोज में करती हैं। बाजार का विश्लेषण यही बता रहा है कि संभावनाओं एवं विस्तार को देखते हुए आने वाले कुछ वर्षों में यह क्षेत्र और अधिक चमकदार एवं रोजगारपरक हो सकता है, क्योंकि इसका ताल्लुक काफी हद तक आईटी से जुड़ा हुआ है।
बायोइंफॉर्मेटिक्स के दो दशक बाद केमोइंफॉर्मेटिक्स शाखा चलन में आई। आमतौर पर लोग बायोइंफॉर्मेटिक्स व केमोइंफॉर्मेटिक्स को एक ही मानते हैं, जबकि दोनों में काफी विविधता है। बायोइंफॉर्मेटिक्स में जहां कई तरह की विधाओं को शामिल किया जाता है, वहीं केमोइंफॉर्मेटिक्स उसी से निकली एक शाखा है, जिसमें ड्रग डिजाइन के प्रयोग व थ्योरी को भली-भांति समझा जाता है।
उच्च शिक्षा की दरकार
रसायन विज्ञान एवं आईटी से संबंधित होने के कारण इसके पाठय़क्रम में दाखिला लेने के लिए छात्रों को रसायन विज्ञान में कम से कम बीएससी होना चाहिए, तभी एमएससी में प्रवेश मिल पाता है। एमएससी दो वर्षीय पाठय़क्रम है। इसके उपरांत रिसर्च एवं एकेडमिक फील्ड में जाने का मार्ग प्रशस्त होता है। अधिकांश संस्थान स्नातक के पश्चात एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा एवं डिप्लोमा जैसे कोर्स भी करवाते हैं। इसकी अवधि एक से लेकर डेढ़ वर्ष तक होती है। विदेशों में सबसे ज्यादा प्रचलित एमएससी इन केमोइंफॉर्मेटिक्स है, जबकि भारत में एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा की अधिक डिमांड है। कई संस्थान डिस्टेंस लर्निंग के जरिए भी पीजी डिप्लोमा कोर्स कराते हैं। योग्यता व कोर्स अवधि रेगुलर की तरह ही होती है।
पाठ्य़क्रम 
एमएससी इन केमोइंफॉर्मेटिक्स के अंतर्गत छात्रों को विशेष रूप से डाटा बेस, प्रोग्रामिंग, वेब टेक्नोलॉजी, डाटा माइनिंग एवं कम्प्यूटर द्वारा ड्रग डिजाइनिंग आदि कार्य शामिल हैं। पाठय़क्रम के दौरान छात्रों से कई तरह के प्रायोगिक प्रशिक्षण एवं प्रबंधन संबंधी कार्य कराए जाते हैं, जबकि पीएचडी आदि पाठय़क्रमों के अंतर्गत रिसर्च वर्क में ड्रग की खोज, डिजाइन एवं उसकी कंपोजिशन का अध्ययन किया जाता है। वैसे भी केमिस्ट्री की निर्भरता दिन-प्रतिदिन कम्प्यूटर पर बढ़ती ही जा रही है। नए आने वाले छात्रों की केमिस्ट्री के प्रति रुचि को देख कर पाठ्य़क्रम की रूपरेखा काफी हद तक उचित भी है। जहां तक पीजी डिप्लोमा के पाठय़क्रम का सवाल है तो वह विभिन्न मॉडय़ूल में बांटा गया है। इसमें केमोइंफॉर्मेटिक्स की बेसिक जानकारी से लेकर मॉडर्न कॉम्बिनेशन ऑफ केमिस्ट्री, ड्रग डिजाइन, केमिकल इंफॉर्मेशन सोर्स, मेडिसिनल केमिस्ट्री आदि को विस्तार से बताया जाता है।
स्वयं से सरोकार
पाठ्य़क्रम अथवा रोजगार के लिए छात्रों को अपने अंदर कई तरह के विशिष्ट गुण लाने पड़ते हैं। सर्वप्रथम उन्हें केमिस्ट्री के प्रति रुचि बढ़ाने, कम्प्यूटर स्किल्स मजबूत करने व रिसर्च वर्क के प्रति उत्साह जागृत करना आवश्यक हो जाता है। इसके अलावा इसमें प्रोफेशनल्स को धैर्यवान व परिश्रमी होना जरूरी है, क्योंकि कई बार किसी रिसर्च अथवा प्रोजेक्ट पर काम के दौरान लंबा समय व्यतीत होता है। साथ ही टीम वर्क, अनुशासन व बाजार में बदलाव को स्वीकार करने का गुण होना भी जरूरी है।
कार्यक्षेत्र का संसार
पिछले तीन वर्षों में इस क्षेत्र में संभावनाएं काफी प्रबल हुई हैं। खासतौर पर फार्मास्यूटिकल, एग्रोकेमिकल एवं बॉयोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्रीज में प्रशिक्षित लोगों की भारी कमी महसूस की गई है। केमोइंफॉर्मेटिक्स में एमएससी करने वाले छात्र प्रारंभ में केमोइंफॉर्मेटिक्स साइंटिस्ट, प्रोजेक्ट मैनेजर, केमोइंफॉर्मेटिक्स डेवलपर, ड्रग डिस्कवरी साइंटिस्ट, एसोसिएट रिसर्च साइंटिस्ट, कम्प्यूशनल केमिस्ट, केमिकल डाटा साइंटिस्ट, रेगुलेटरी अफेयर्स, सीनियर इंफार्मेशनल एनालिस्ट, इंफार्मेशनल ऑफिसर, डाटा ऑफिसर, सॉफ्टवेयर टैस्टर, सपोर्ट एनालिस्ट, बिजनेस एनालिस्ट कार्यक्षेत्र के अवसरों को देखते हुए निम्न क्षेत्रों में सामने आ सकते हैं-
फार्मास्यूटिकल/केमिकल इंडस्ट्री सेक्टर,
आईटी/कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर सेक्टर,
हॉस्पिटल/हेल्थ ऑथारिटी,
शोध के क्षेत्र में
आमदनी
इस क्षेत्र में आमदनी भी भरपूर होती है। शुरुआती दिनों में भले ही कुछ संघर्ष की स्थिति आ जाए, पर एक समय के बाद सब कुछ पटरी पर आ जाता है। प्रारंभ में प्रोफेशनल्स को 15-20 हजार रुपए प्रतिमाह मिलते हैं। अनुभव बढ़ जाने पर यही रकम 35-40 हजार रुपए प्रतिमाह तक पहुंच जाती है। इसके अलावा फ्रीलांसिंग में प्रतिदिन या पैकेज के हिसाब से पेमेंट दिया जाता है। विदेशों में काफी आकर्षक पैकेज मिलता है।
संभावनाएं
छात्रों को रोजगार मिलने की आस एवं संभावनाओं को देखते हुए प्रमुख सरकारी एवं गैर सरकारी कंपनियों में अवसर सामने आते रहते हैं। देश के साथ-साथ विदेश में भी रोजगार के पर्याप्त अवसर मौजूद हैं। पार्ट टाइम व स्वतंत्र रूप से भी इस क्षेत्र में काम किया जा सकता है।
एक्सपर्ट्स व्यू/
देश में भी हैं बेशुमार मौकेएक समय ऐसा था, जब कोर्स करने के पश्चात छात्रों को विदेश की ओर रुख करना पड़ता था। लेकिन अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं। वर्तमान समय केमोइंफॉर्मेटिक्स के लिए काफी अच्छा है। सफलतापूर्वक कोर्स करने के पश्चात कई भारतीय कंपनियां छात्रों को आकर्षक पैकेज पर काम दे रही हैं। सबसे ज्यादा मौके फार्माकेमिकल में सामने आ रहे हैं, जबकि पढ़ाई के लिहाज से डिस्टेंस लर्निंग का भी चलन बढ़ा है। जिन छात्रों को डिस्टेंस लर्निंग की प्रक्रिया के तहत कोर्स समझ में नहीं आता, उन्हें फैकल्टी उपलब्ध करा कर इसके प्रमुख टॉपिक से अवगत कराया जाता है। इसमें मेल व फीमेल दोनों के लिए समान रूप से अवसर मिलते हैं। छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे जो भी पढ़ें, पूरे मन से पढ़ें।
अंशुल कुमार, प्रोग्राम डायरेक्टर,
इंस्टीटय़ूट ऑफ केमोइंफॉर्मेटिक्स,
नोएडा
फैक्ट फाइल
प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान
भारतीय संस्थान
मालाबार क्रिश्चियन कॉलेज, कोझिकोड
वेबसाइट
 - www.mcccalicut.org
इंस्टीटय़ूट ऑफ केमोइंफॉर्मेटिक्स स्टडीज, नोएडा
वेबसाइट
 - www.cheminformaticscentre.org
जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
वेबसाइट
 - www.jamiahamdard.ac.in
विदेशी संस्थान
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी,
वेबसाइट
 -  www.jhu.edu
मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी,
वेबसाइट
 - www.manchester.ac.uk
शेफिल्ड यूनिवर्सिटी,
वेबसाइट
 - www.shef.ac.uk/courses
इंडियाना यूनिवर्सिटी,
वेबसाइट
 - www.informatics.indiana.edu

Friday, March 25, 2016

सोलर एनर्जी में करियर

बिजली की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी के घरेलू बजट को बिगाड़कर रख दिया है। ऐसे में सोलर एनर्जी लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प बनकर उभरी है। इसकी मदद से न केवल बिजली का बिल कम किया जा सकता है, बल्कि ग्रिड एनर्जी से निर्भरता भी घटाई जा सकती है। यह पर्यावरण और सेहत के लिए भी अनुकूल है। सोलर एनर्जी से चलने वाले प्रॉडक्ट्स की पूरी जानकारी दे रही हैं नेहा जैन :

क्या है सोलर एनर्जी
अभी तक सूरज की गर्मी में जहां कपड़े, पापड़ आदि ही सुखाए जाते थे, वहीं अब इससे बिजली की सप्लाई भी मुमकिन हो रही है। सोलर पैनल द्वारा सोलर एनर्जी को बिजली में बदल दिया जाता है। इसके लिए पैनल को छत पर रखा जाता है, जहां उस पर सूरज की सीधी धूप आती हो। गौरतलब है कि अपने देश में लगभग 250-300 दिन सूरज निकलता है जिसके कारण यहां सोलर एनर्जी की बहुत ज्यादा संभावनाएं हैं।
जयपुर। सोलर एनर्जी सेक्टर में कॅरियर बनाने के इच्छुक लोग जामिया मिलिया इस्लामिया के बैचलर ऑफ वोकेशनल सोलर एनर्जी कोर्स में आवेदन कर सकते हैं। तीन वर्षीय इस कोर्स में स्टूडेंट के पास पहले या दूसरे साल भी पासआउट हो जाने का विकल्प होगा।
बैचलर ऑफ वोकेशनल सोलर एनर्जी कोर्स तीन साल का कोर्स है। इस कोर्स का प्रमुख उद्देश्य सोलर एनर्जी सेक्टर के विभिन्न उद्योगों की जरूरतों के अनुरूप श्रमबल तैयार करना है। इस कोर्स के लिए आवेदकों का चयन मेरिट के आधार पर ही होगा। इसके लिए संस्थान की ओर से कोई भी एंट्रेंस एग्जाम आयोजित नहीं करवाया जाएगा।
कोर्स की अवधि 03 साल है, यह वोकेशनल डिग्री कोर्स। इसके लिए आवेदन करने की तिथि 30 सितंबर 2015 है।
- 50 फीसदी अंकों के साथ 12वीं पास, 12वीं में फिजिक्स व मैथ्स में 50-50 फीसदी अंक।
- सोलर एनर्जी इंडस्ट्री में एनएसक्यूएफ लेवल 4 सर्टिफिकेट
- एनएसक्यूएफ का लेवल 4 सर्टिफिकेट, लेकिन सोलर एनर्जी में वोकेशनल कोर्स के इच्छुक।
सीटें और फीस
जामिया के इस कोर्स में कुल 50 सीट्स हैं, जिनका वितरण विश्वविद्यालय के नियमों के अनुरूप होगा। इस कोर्स के लिए वार्षिक तौर पर भरी जाने वाली फीस 10 हजार रूपए निर्घारित की गई है।
एप्लीकेशन फॉर्म
जामिया मिलिया इस्लामिया के बैचलर ऑफ वोकेशनल इन सोलर एनर्जी कोर्स में आवेदन के लिए संस्थान की वेबसाइट www.jmi.ac.in� से फॉर्म डाउनलोड करके भरें और इसके साथ 100 रूपए का डीडी बनवाएं।

Saturday, March 19, 2016

योग में कॅरियर बनाएं

योग से सिर्फ आपका मानसिक संतुलन ठीक रहता है बल्कि कसरत, मेडिटेशन से आपकी बॉडी भी फिट रहती है और शारीरिक स्वास्थ्य भी ठीक रहता है। लोगों के फिट रहने की आदत ने योग में करियर की नई राहें खोल दी हंै। यही वजह है कि युवा योगा इंस्ट्रक्टर के रूप में करियर बना रहे हैं।जब हम बात योग की करते हैं तो हमारे जहन में सिर्फ आसन, प्राणायाम, ध्यान, मुद्राएं ही आती हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। योग बहुत ही विस्तृत विषय है। इसका क्षेत्र कर्म योग, ज्ञान योग, हठ योग, मंत्र योग, कुंडली जागृति जैसे कई योग-विषयों तक है।
योग सिखाने के लिए जरूरी स्किल्स
(1)
योग में करियर बनाने के लिए जरूरी है कि आप एक अच्छे वक्ता हों। आप में एक व्यक्ति से लेकर ग्रुप तक को अपनी बात योग के जरिए समझाने की क्षमता होनी चाहिए।
(2)
योग टीचर बनने से पहले स्वंय भी योग के बारे में विस्तृत जानकारी हो। एक भी गलत आसन, कसरत नई बीमारी का जन्म दे सकती हैं।
योग में करियर से इनकम
योग को करियर चुनने की सोच रहे हैं तो यह अच्छा विचार है। लेकिन करियर बनाने से पहले इससे होने वाली आमदनी के बारे में जान लें। योग आप किसको करा रहे हैं इससे आपकी आमदनी तय होती है। कई योग शिक्षण संस्थान हैं जहां आपको नौकरी मिल सकती है। आप अपना काम शुरू कर सकते हैं। काम कितना मिलेगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप योग को कितना समझते हैं, दूसरों को योग से कितना प्रभावित कर पाते हैं। कुछ कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट की क्लास लगाती हैं। इन क्लास को लेने वाले योग गुरु ही होते हैं। अगर आप बड़ी कंपनियों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं तो इनकम ज्यादा होगी। अगर आप किसी अधिक आमदनी वाले परिवार, व्यक्ति या ग्रुप को योग करा रहे हैं तो आपकी इनकम ज्यादा होगी। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि आप फीस कितने में तय करा पाते हैं। योग को आप करियर चुन रहे हैं तो ये जान लीजिए कि इस क्षेत्र में काम के घंटे तय नहीं है। इतना तो तय है कि अधिकतर काम सुबह के समय मिलेंगे।
योग की बढ़ती मांग से विदेशों में भी काम के काफी अवसर हैं।
योग कोर्स कराने वाले कुछ संस्थान
आप इन सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों से योग सीख सकते हैं।
(1)
मोरारजी देसाई नेशनल इस्टीट्यूट ऑफ योग, दिल्ली
(
ग्रेजुएट करने के बाद यहां से 3 साल का बीएससी योगा साइंस, 1 साल का डिप्लोमा और कुछ पार्ट टाइम योग के कोर्स किए जा सकते हैं)
www.yogamdniy.nic.in
(2)
बिहार स्कूल ऑफ योगा, मुंगेर
(
यहां से 4 महीने और 1 साल का कोर्स कर सकते हैं)
www.biharyoga.net/bihar-yoga-bharati/byb-courses
(3)
भारतीय विद्या भवन, दिल्ली
(
यहां से आप 6 महीने से लेकर 1 साल तक का कोर्स कर सकते हैं)
www.bvbdelhi.org/yoga.html
(4)
अय्यंगर योग सेंटर, पुणे
(
यहां से आप योग का प्रशिक्षण ले सकते हैं)
http://iyengaryogakshema.org/
(5)
कैवल्यधाम योग इंस्टीट्यूट, पुणे
(
यहां से सर्टिफिकेट कोर्स इन योग, पीजी डिप्लोमा इन योग एजुकेशन, पीजी डिप्लोमा इन योग थिरैपी, फाउंडेशन कोर्स इन योग, एडवांस योग टीचर्स ट्रैनिंग, बीए- योग फिलोस्फी, मास्टर क्लास फॉर योग टीचर्स का कोर्स किया जा सकता है।)
http://kdham.com/college/
(6)
स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरु
(
यह डीम्ड यूनिवर्सिटी है। यहां से रेगुलर और डिस्टेंस योगा कोर्स कर सकते हैं। योग में बीएससी, एमएससी, पीएचडी की डिग्री ले सकते हैं।)
  www.svyasa.org
(7)
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ योगिक साइंस एंड रिसर्च
(
यहां से योग में कई छोटे अंतराल के कोर्स से लेकर मास्टर डिग्री तक के कोर्स किए जा सकते हैं)
www.iiysar.co.in/
(8)
देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार, उत्तराखंड
(
यहां से आप योग मे बीएससी से लेकर पीएचडी तक के कोर्स कर सकते हैं)
www.dsvv.ac.in
(9)
योग इंस्टीट्यूट सांताक्रूज, मुंबई
(
सन् 1918 में स्थापित इस योग संस्थान से योग की शिक्षा ली जा सकती है।)
http://theyogainstitute.org/
10-
गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार, उत्तराखंड
(
यहां से योग में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स किए जा सकते हैं।
http://gkv.ac.in/diplomayoga-certificate