Tuesday, November 9, 2021

मौसम विज्ञान में करियर

 बदलते मौसम की जानकारी हर कोई लेना चाहता है। जिसके कारण आज के समय में सरकारी विभागों से लेकर मौसम विज्ञान की भविष्यवाणी करने वाली प्रयोगशालाओं, अंतरिक्ष विभाग और टेलीविजन चैनल पर मीटिअरोलॉजी एक अच्‍छा करियर बनाने का रास्‍ता दिखा रहा है। यदि आपको हवा, बादल, समुद्र, बरसात, धुंध-कोहरे, आंधी-तूफान और बिजली में दिलचस्पी है तो आप मीटिअरोलॉजी बनकर जहां अपनी जिज्ञासाओं की पूर्ति कर सकते हैं, वहीं अच्‍छा करियर भी बना सकते हैं। मौसम वैज्ञानिक वे वैज्ञानिक होते हैं, जो पृथ्वी के वायुमंडल और भौतिक वातावरण, पृथ्वी पर उनके विकास, प्रभाव और परिणामों का अध्ययन करता है।

मौसम विज्ञान क्‍या है
वायुमण्डल के वैज्ञानिक अध्ययन को मौसम विज्ञान कहते हैं। यह मौसम की प्रक्रियाओं और पूर्वानुमान पर केंद्रित है। मौसम विज्ञान एक अत्यंत अंतःविषय विज्ञान है, जो पृथ्वी के वातावरण, इसकी प्रक्रियाओं और इसकी संरचना की समझ में हमारी सहायता करने के लिए भौतिकी और रसायन विज्ञान के नियमों को ड्राइंग करता है। इस क्षेत्र में मौसम और जलवायु दोनों शामिल है। यह पृथ्वी के वातावरण की भौतिक, गतिशील और रासायनिक स्थिति और वायुमंडल और पृथ्वी की सतह के बीच परस्पर क्रिया से संबंधित है।

मौसम वैज्ञानिक का कार्य क्षेत्र
एक मौसम वैज्ञानिक का कार्य पृथ्वी के वायुमंडल और भौतिक वातावरण, पृथ्वी पर उनके विकास, प्रभाव और परिणामों पर अध्ययन करते है। इनके कार्य निम्‍नलिखित हैं।

फिजिकल मीटिअरोलॉजी
वैज्ञानिक इसमें सोलर रेडिएशन, पृथ्वी में विलयन एवं वायुमंडलीय व्यवस्था आदि का अध्‍ययन करते हैं।

क्लाइमेटोलॉजी
क्लाइमेटोलॉजी में वैज्ञानिक किसी क्षेत्र या स्थान विशेष की जलवायु का अध्ययन करता है। कुछ महीनों के लिए किसी एक क्षेत्र में अध्ययन कर उस क्षेत्र के जलवायु प्रभाव और उससे होने वाले बदलावों के बारे में विस्तार से शोध किया जाता है।

सिनॉप्टिक मीटिअरोलॉजी
इस क्षेत्र में कम दबाव के क्षेत्र, वायु, जल, अन्य मौसम तंत्र, चक्रवात, दबाव स्तर एवं इसमें एकत्र किया जाने वाला मानचित्र जोकि पूरे विश्व के मौसम का सिनॉप्टिक व्यू बताता है आदि की जानकारी मिलती है।
डाइनेमिक मीटिअरोलॉजी
वैज्ञानिक इसमें गणितीय सूत्रों के जरिए वायुमंडलीय प्रक्रियाओं का अध्ययन करते हैं। दोनों को साथ साथ होने के कारण इसे न्यूमेरिक मॉडल भी कहा जाता है।

एग्रीकल्चर मीटिअरोलॉजी
इस क्षेद्ध में वैज्ञानिकों द्वारा फसलों की पैदावार एवं उससे होने वाले नुकसान में मौसम संबंधी सूचनाओं का आकलन किया जाता है।
अप्लाइड मीटिअरोलॉजी
वैज्ञानिक इसमें एअरकॉफ्ट डिजाइन, वायु प्रदूषण एवं नियंत्रण आर्किटेक्चरल डिजाइन, अर्बन प्लानिंग, एअर कंडिशनिंग, टूरिज्म डेवलपमेंट आदि के प्रति थ्योरी रिसर्च करते हैं।

कोर्स और योग्यता
हमारे देश में आज भी मौसम वैज्ञानिकों की भारी कमी है। इस बात को ध्यान में रखते हुए देश के बहुत से कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों में मीट्रिओलॉजी संबंधित कोर्स चलाए जा रहे हैं। जो युवा इस क्षेत्र में भविष्य बनाना चाहते हैं, वे इसमें अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट योग्यता हासिल कर सकते हैं। अंडग्रेजुएट कोर्स के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से विज्ञान वर्ग भौतिकी, जीव विज्ञान और रसायन विज्ञान से 12वीं पास होना जरूरी है। ग्रेजुएट स्तर का कोर्स तीन साल का है। अगर आप इसमें पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री लेना चाहते हैं तो इसके लिए किसी भी मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय से आपका बीएससी होना जरूरी है।
जॉब के अवसर
इस क्षेत्र में आप जहां रिसर्च व प्रोफेसर के तौर पर नौकरी कर सकते हैं। वहीं रेडियो और दूरदर्शन केन्द्र, उपग्रह अन्तरिक्ष अनुसन्धान केन्द्र, मौसम प्रसारण केन्द्र, सैन्य विभाग, पर्यावरण से जुड़ी एजेंसियों, रेडियो और दूरदर्शन केन्द्र, औद्योगिक मौसम अनुसन्धान संस्थाएं, उपग्रह अन्तरिक्ष अनुसन्धान केन्द्र तथा विश्व मौसम केन्द्र में भी अच्छे पैकेज पर जॉब कर सकते हैं।

यहां से कर सकते हैं कोर्स
आइआइटी खड़गपुर, पश्चिम बंगाल (IIT Kharagpur, West Bengal)
भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलुरु (Indian Institute of Science, Bangalore)
पंजाब विश्वविद्यालय, पटियाला (Panjab University, Patiala)
मणिपुर विश्वविद्यालय, इंफल (Manipur University, Imphal)
आंध्र विश्वविद्यालय, विशाखापत्तनम (Andhra University, Visakhapatnam)
कोचिन विश्वविद्यालय, कोच्चि (Cochin University, Kochi)
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर (Devi Ahilya University, Indore)
भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे (Indian Institute of Tropical Meteorology, Pune)