Monday, December 13, 2021

सैटेलाइट टेक्नॉलजी में बनाएं करियर

सब्जेक्ट हैं, जिसमें आपको अलग-अलग देशों,

क्या कभी आपने सोचा है हम जिस धरती पर रहते हैं, वह कितनी पुरानी है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पूरी दुनिया की 90 फीसदी जनसंख्या नॉर्दर्न हेमिसफियर में रहती है। ज्योग्रॉफी ऐसा सब्जेक्ट हैं, जिसमें आपको अलग-अलग देशों, उनके नक्शों, वहां की जलवायु, उसका लोगों की लाइफस्टाइल पर पड़ने वाला असर, जंगल, पहाड़ों, नदियों आदि के बारे में स्टडी करने का मौका मिलता है

  उनके नक्शों, वहां की जलवायु, उसका लोगों की

हम कई बार भूगोलशास्त्रियों के बारे में पढ़ते हैं। असल में ये साइंटिस्ट होते हैं जो कि भूगोल की अलग-अलग ब्रांच की स्टडी करते हैं। जैसे कि फिजिकल ज्योग्राफी, एनवायरनमेंट ज्योग्राफी, ह्यूमन ज्योग्राफी आदि। इस समय देखा जाए तो ज्योग्राफी में ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) और ज्योग्राफिक इनफर्मेशन सिस्टम का कॉन्सेप्ट काफी मददगार साबित हो रहा है। इनकी मदद से कई काम आसान हो गए हैं।
क्या चाहिए योग्यता
प्राइमरी और सेकंडरी लेवल पर स्कूल में हम सभी ने ज्योग्राफी पढ़ी है। अगर कोई इस फील्ड में करियर बनाना चाहता हैं तो सबसे पहले उसका ज्योग्राफी में इंट्रेस्ट होना चाहिए। इसके लिए बैचलर डिग्री होनी चाहिए। साथ ही किसी स्पेशलाइजेशन के साथ मास्टर्स डिग्री। कई इंस्टिट्यूट हैं जो कि इस फील्ड में बीएससी और बीए डिग्री कोर्स चलाते हैं। साइंस या आर्ट्स बैकग्राउंड वाले स्टूडेंट्स इन कोर्स के लिए एप्लाई कर सकते हैं। कई इंस्टिट्यूट इसके लिए इंट्रेस एग्जाम भी कराते हैं।

जॉब की संभावनाएं
ज्योग्राफी की फील्ड में जॉब की काफी संभावनाएं हैं। ट्रांसपोर्टेशन, पर्यावरण विज्ञान, एयरलाइन रूट, शिपिंग रूट प्लानिंग, सिविल सर्विसेज, कार्टोग्राफी (नक्शे बनाना), सैटेलाइट टेक्नॉलजी, जनसंख्या परिषद, मौसम विज्ञान विभाग, एजुकेशन, आपदा प्रबंधन जैसे कई क्षेत्र हैं जहां आप अपना करियर बना सकते हैं।

Tuesday, November 9, 2021

मौसम विज्ञान में करियर

 बदलते मौसम की जानकारी हर कोई लेना चाहता है। जिसके कारण आज के समय में सरकारी विभागों से लेकर मौसम विज्ञान की भविष्यवाणी करने वाली प्रयोगशालाओं, अंतरिक्ष विभाग और टेलीविजन चैनल पर मीटिअरोलॉजी एक अच्‍छा करियर बनाने का रास्‍ता दिखा रहा है। यदि आपको हवा, बादल, समुद्र, बरसात, धुंध-कोहरे, आंधी-तूफान और बिजली में दिलचस्पी है तो आप मीटिअरोलॉजी बनकर जहां अपनी जिज्ञासाओं की पूर्ति कर सकते हैं, वहीं अच्‍छा करियर भी बना सकते हैं। मौसम वैज्ञानिक वे वैज्ञानिक होते हैं, जो पृथ्वी के वायुमंडल और भौतिक वातावरण, पृथ्वी पर उनके विकास, प्रभाव और परिणामों का अध्ययन करता है।

मौसम विज्ञान क्‍या है
वायुमण्डल के वैज्ञानिक अध्ययन को मौसम विज्ञान कहते हैं। यह मौसम की प्रक्रियाओं और पूर्वानुमान पर केंद्रित है। मौसम विज्ञान एक अत्यंत अंतःविषय विज्ञान है, जो पृथ्वी के वातावरण, इसकी प्रक्रियाओं और इसकी संरचना की समझ में हमारी सहायता करने के लिए भौतिकी और रसायन विज्ञान के नियमों को ड्राइंग करता है। इस क्षेत्र में मौसम और जलवायु दोनों शामिल है। यह पृथ्वी के वातावरण की भौतिक, गतिशील और रासायनिक स्थिति और वायुमंडल और पृथ्वी की सतह के बीच परस्पर क्रिया से संबंधित है।

मौसम वैज्ञानिक का कार्य क्षेत्र
एक मौसम वैज्ञानिक का कार्य पृथ्वी के वायुमंडल और भौतिक वातावरण, पृथ्वी पर उनके विकास, प्रभाव और परिणामों पर अध्ययन करते है। इनके कार्य निम्‍नलिखित हैं।

फिजिकल मीटिअरोलॉजी
वैज्ञानिक इसमें सोलर रेडिएशन, पृथ्वी में विलयन एवं वायुमंडलीय व्यवस्था आदि का अध्‍ययन करते हैं।

क्लाइमेटोलॉजी
क्लाइमेटोलॉजी में वैज्ञानिक किसी क्षेत्र या स्थान विशेष की जलवायु का अध्ययन करता है। कुछ महीनों के लिए किसी एक क्षेत्र में अध्ययन कर उस क्षेत्र के जलवायु प्रभाव और उससे होने वाले बदलावों के बारे में विस्तार से शोध किया जाता है।

सिनॉप्टिक मीटिअरोलॉजी
इस क्षेत्र में कम दबाव के क्षेत्र, वायु, जल, अन्य मौसम तंत्र, चक्रवात, दबाव स्तर एवं इसमें एकत्र किया जाने वाला मानचित्र जोकि पूरे विश्व के मौसम का सिनॉप्टिक व्यू बताता है आदि की जानकारी मिलती है।
डाइनेमिक मीटिअरोलॉजी
वैज्ञानिक इसमें गणितीय सूत्रों के जरिए वायुमंडलीय प्रक्रियाओं का अध्ययन करते हैं। दोनों को साथ साथ होने के कारण इसे न्यूमेरिक मॉडल भी कहा जाता है।

एग्रीकल्चर मीटिअरोलॉजी
इस क्षेद्ध में वैज्ञानिकों द्वारा फसलों की पैदावार एवं उससे होने वाले नुकसान में मौसम संबंधी सूचनाओं का आकलन किया जाता है।
अप्लाइड मीटिअरोलॉजी
वैज्ञानिक इसमें एअरकॉफ्ट डिजाइन, वायु प्रदूषण एवं नियंत्रण आर्किटेक्चरल डिजाइन, अर्बन प्लानिंग, एअर कंडिशनिंग, टूरिज्म डेवलपमेंट आदि के प्रति थ्योरी रिसर्च करते हैं।

कोर्स और योग्यता
हमारे देश में आज भी मौसम वैज्ञानिकों की भारी कमी है। इस बात को ध्यान में रखते हुए देश के बहुत से कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों में मीट्रिओलॉजी संबंधित कोर्स चलाए जा रहे हैं। जो युवा इस क्षेत्र में भविष्य बनाना चाहते हैं, वे इसमें अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट योग्यता हासिल कर सकते हैं। अंडग्रेजुएट कोर्स के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से विज्ञान वर्ग भौतिकी, जीव विज्ञान और रसायन विज्ञान से 12वीं पास होना जरूरी है। ग्रेजुएट स्तर का कोर्स तीन साल का है। अगर आप इसमें पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री लेना चाहते हैं तो इसके लिए किसी भी मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय से आपका बीएससी होना जरूरी है।
जॉब के अवसर
इस क्षेत्र में आप जहां रिसर्च व प्रोफेसर के तौर पर नौकरी कर सकते हैं। वहीं रेडियो और दूरदर्शन केन्द्र, उपग्रह अन्तरिक्ष अनुसन्धान केन्द्र, मौसम प्रसारण केन्द्र, सैन्य विभाग, पर्यावरण से जुड़ी एजेंसियों, रेडियो और दूरदर्शन केन्द्र, औद्योगिक मौसम अनुसन्धान संस्थाएं, उपग्रह अन्तरिक्ष अनुसन्धान केन्द्र तथा विश्व मौसम केन्द्र में भी अच्छे पैकेज पर जॉब कर सकते हैं।

यहां से कर सकते हैं कोर्स
आइआइटी खड़गपुर, पश्चिम बंगाल (IIT Kharagpur, West Bengal)
भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलुरु (Indian Institute of Science, Bangalore)
पंजाब विश्वविद्यालय, पटियाला (Panjab University, Patiala)
मणिपुर विश्वविद्यालय, इंफल (Manipur University, Imphal)
आंध्र विश्वविद्यालय, विशाखापत्तनम (Andhra University, Visakhapatnam)
कोचिन विश्वविद्यालय, कोच्चि (Cochin University, Kochi)
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर (Devi Ahilya University, Indore)
भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे (Indian Institute of Tropical Meteorology, Pune)

Sunday, October 24, 2021

हॉस्पिटल मैनेजमेंट बनाएं करियर

कोरोना के दौरान जिस तरह देश में स्‍वास्‍थ्‍य ढांचा बिखर गया, उससे साफ पता चलता है कि इस क्षेत्र में अभी भी कई कमियां हैं, साथ ही रोजगार के अवसर भी। वर्तमान स्थितियों को देखते हुए हेल्थकेयर सेक्टर में करियर विकल्पों को तलाशना ना सिर्फ लाभकारी है, बल्कि भविष्‍य में अच्‍छे करियर का भरोसा देने वाला विकल्प भी है। आज के समय में हॉस्पिटल मैनेजमेंट सेक्‍टर तेजी से विकास कर रहा है।
हॉस्पिटल मैनेजमेंट का कार्य (Hospital Management Work)
हॉस्पिटल मैनेजमेंट के तहत हेल्थ केयर एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट आता है, जो अस्‍पताल से संबंधित सभी व्यवस्थाओं पर नजर रखता है। ताकि वहां मौजूद संसाधनों का समुचित और बेहतर इस्तेमाल हो व इलाज के लिए आने वालों को सेवा प्रदान करने का कुशल तंत्र विकसित हो सके। इनमें अंतर्गत अस्पताल से डॉक्टरों को जोड़ना, नए-नए उपकरणों और तकनीक की व्यवस्था करना भी शामिल है। यहां तक कि हॉस्पिटल में कोई हादसा होता है तो उसकी जवाबदेही का जिम्मा भी इन्हीं प्रोफेशनल्स का होता है। अस्पताल की वित्तीय व्यवस्था, कर्मचारियों की सुविधा आदि कार्य भी उन्हें करने होते हैं।

एजुकेशन व कोर्स (Hospital Management Education And Courses)
इस सेक्‍टर के यूजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आपके पास साइंस के साथ 12 वीं में कम से कम 50 फीसदी अंक होने चाहिए। जिसके बाद आप बैचलर ऑफ हॉस्पिटल मैनेजमेंट कर सकते हैं, जो 3 साल होती है। वहीं मास्टर ऑफ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन और एमबीए इन हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन करने के लिए दो साल की अवधि निर्धारित है। इसके बाद आप अगर आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहते हैं तो डॉक्टोरल डिग्री एमडी, एमफिल भी कर सकते हैं। जिसके लिए मास्टर ऑफ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन डिग्री होना अनिवार्य है।

वहीं ईएमबीए, पीजीडीएचएम तथा एडीएचएम जैसे कोर्सेज की समय अवधि एक साल सुनिश्चित है। शॉर्ट टर्म से संबंधित सर्टिफिकेट कोर्स और डिप्लोमा कोर्स भी इसमें उपलब्ध हैं।
 यहां से कर सकते हैं कोर्स (Institutes For Hospital Management)
  1. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली (All India Institute of Medical Sciences, New Delhi)
  2. आर्म्ड फोर्सेस मेडिकल कॉलेज, पुणे (Armed Forces Medical College, Pune)
  3. देवी अहिल्या विश्व विद्यालय, इंदौर (Devi Ahilya Vishwavidyalaya, Indore)
  4. फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्ट्डीज़ (Faculty of Management Studies)
  5. दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University)
  6. बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, पिलानी (Birla Institute of Technology and Science, Pilani)
जरूरी स्किल्‍स
हॉस्पिटल में अगर आप एक कुशल प्रबंधक के तौर पर कार्य करना चाहते हैं तो आपके पास वित्त और सूचना प्रणाली का अच्छा ज्ञान, बेहतरीन नेतृत्व कौशल, अच्छा संचार और आयोजन कौशल, मिलनसार व्यक्तित्व, समय सीमा को संभालने की क्षमता, त्वरित निर्णय लेने की क्षमता, धीरज, उत्कृष्ट मौखिक और लिखित संचार कौशल आदि होना अति आवश्यक है।

करियर की संभावनाएं (Career Prospects in Hospital Management)
अगर आप इस सेक्‍टर में करियर की संभावनाएं देख रहे हैं तो आपको यहां कार्य करने के लिए कई ऑप्‍शन मिलेंगे। शायद यही कारण है कि यह अधिक मांग वाला नौकरी बनती जा रही है। युवा स्नातकों के लिए, हॉस्पिटल मैनेजमेंट में नौकरी का अवसर अभूतपूर्व है। आप सहायक अस्पताल प्रशासक या प्रबंधक के रूप में अपना करियर शुरू कर सकते हैं। आप आउट पेशेंट क्लीनिक, अस्पतालों, धर्मशालाओं और नशीली दवाओं के दुरुपयोग उपचार केंद्रों का प्रबंधन करते हैं। इस क्षेत्र में अनुभव प्राप्त करने के बाद आपको सीईओ के पद पर पदोन्नत किया जा सकता है।

आप अपना नर्सिंग होम या अस्पताल भी स्थापित कर सकते हैं। यदि आप शिक्षा क्षेत्र में रुचि रखते हैं, तो आप कॉलेजों में शिक्षक और व्याख्याता के रूप में काम कर सकते हैं।

वेतन (Salary In Hospital Management)
आपको इस सेक्‍टर में बेहतरीन वेतन के साथ-साथ आपको लोगों की सेवा करने का मौका भी मिलता है। सरकारी संस्थानों में वेतन मानकों के अनुसार मिलता है, लेकिन अगर आप निजी संस्थानों में काम करना चाहते हैं तो आप शुरुआती समय में प्रेशर के तौर पर 40 हजार रूपये महीना तक कमा सकते हैं। यह निर्भर करता है कि आप की एजुकेशन क्‍या है और आप किस कंपनी में कार्य कर रहे हैं। जिसके बाद आपके अनुभव के साथ- साथ वेतन में भी बढ़ोतरी होती है।

Saturday, October 9, 2021

डाटा साइंस में करियर

सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी की बढ़ती दुनिया के कारण डाटा साइंटिस्‍टों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में अगर आप भी डाटा साइंटिस्‍ट बनने के बारे में सोच रहे हैं, तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं हो सकती, क्योंकि वर्तमान में एक डाटा साइंटिस्‍ट सीए और इंजीनियरों की तुलना में बहुत अधिक कमा रहे हैं। हालांकि डाटा साइंटिस्‍ट बनने के कई फायदे के साथ नुकसान भी है।
क्‍या है डाटा साइंस (What is Data Science)
डाटा किसी भी क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है लेकिन केवल तभी, जब इसे ठीक प्रोसेस और विश्लेषित किया जाता है। यह बिग डाटा और डाटा के समान अवधारणा पर काम करता है। डाटा साइंस का कार्य यह होता है कि वह कोई भी प्रकार के डाटा से इनसाइट्स लेता है तथा उसके बारे में जानता है। डाटा साइंस में डाटा माइनिंग, मशीन लर्निंग, क्लस्टर एनालिसिस, डाटा रेंग्लिंग तथा लिनियर अलजेब्रा आदि से बड़ी मात्रा में डाटा निकाल सकते हैं। डाटा साइंस का उपयोग बड़ी कम्पनी या कोई स्टार्टअप उन सभी डाटा का इस्तेमाल करते हैं, जो उनके ग्राहको को बेहतर अनुभव करा सके।
 ज्‍यादा जॉब्‍स डिमांड
आज के समय में डाटा साइंस प्रोफेशनल्‍स् की काफी डिमांड है। इस क्षेत्र में लोगों के पास जॉब्‍स के कई ऑप्‍शन हैं। यह लिंक्डइन पर सबसे तेजी से बढ़ने वाली नौकरी है और 2026 तक 11.5 मिलियन रोजगार सृजित करने की भविष्यवाणी की गई है। यह डाटा साइंस को सबसे ज्‍यादा जॉब देने वाला प्‍लेटफार्म है।

मिलेगी हाई सैलरी
डाटा साइंस सबसे अधिक पे करने वाली जॉब्‍स में से एक है। माना जाता है कि एक डाटा साइंटिस्‍ट प्रतिवर्ष एक करोड़ रूपये तक कमा सकता है। जिसके कारण ही डाटा साइंस को एक अत्यधिक आकर्षक करियर विकल्प माना जाता है।

डाटा साइंस में सभी को मौके
बहुत कम लोग होते हैं जिनके पास डाटा साइंटिस्‍ट बनने के लिए सभी स्किल्‍स पहले से मौजूद होती हैं। हालांकि इसके बाद भी सभी को समान मौके मिलते है, क्‍योंकि डाटा साइंस बहुत बड़ा क्षेत्र है और इसमें बहुत सारे अवसर हैं। डाटा साइंस के क्षेत्र में मांग अधिक है और डाटा साइंटिस्‍टों की भारी कमी है।
डाटा साइंस व्‍यापक
डाटा साइंस का क्षेत्र काफी व्‍यापक है। इसका व्यापक रूप से स्वास्थ्य देखभाल, बैंकिंग, परामर्श सेवाओं और ई-कॉमर्स उद्योगों में उपयोग किया जाता है। डाटा साइंस एक बहुत ही बहुमुखी क्षेत्र है इसलिए आपको विभिन्न क्षेत्रों में काम करने का अवसर मिलेगा।
डाटा साइंस के क्षेत्र में नुकसान (Disadvantages in the field of Data Science)

डाटा साइंस सामान्‍य शब्‍द
डाटा साइंस सुनने अच्‍छा भले ही लगे, लेकिन यह एक बहुत ही सामान्य शब्द है और इसकी कोई निश्चित परिभाषा नहीं है। डाटा साइंस का सटीक अर्थ लिखना बहुत कठिन है। इनकी विशिष्ट भूमिका उस क्षेत्र पर निर्भर करती है जिसमें कंपनी विशेषज्ञता प्राप्त करना चाहती है।

नहीं हासिल कर सकते डाटा साइंस में महारथ
यह एके ऐसा क्षेत्र है जिसमें सांख्यिकी, कंप्यूटर विज्ञान और गणित जैसे कई क्षेत्रों का मिश्रण है। इसलिए प्रत्येक क्षेत्र में महारथ हासिल करना और उन सभी में समान रूप से विशेषज्ञ होना संभव नहीं है।

डाटा गलत परिणाम दे सकता है
डाटा साइंटिस्‍ट का कार्य डाटा का विश्लेषण कर भविष्‍य की योजना तैयार करना है, लेकिन देखा गया है कि कई बार, दिए गए डाटा गलत हो जाते हैं। जिससे गलत परिणाम भी सामने आ सकते हैं, यह कमजोर प्रबंधन और रिसोर्सेज के खराब उपयोग के कारण भी विफल हो सकता है।
डाटा प्राइवेसी का बड़ा खतरा
आज के समय में सबसे बड़ा मुद्दा ग्राहकों की प्राइवेसी बनता जा रहा है। कई उद्योगों के लिए डाटा उनका ईंधन है। प्रचार व ई-कॉमर्स कंपनियां डाटा के आधार पर ग्राहकों के चुनाव का निर्णय लेती हैं। हालाँकि, इस प्रक्रिया में उपयोग किया गया डाटा कई बार ग्राहकों की गोपनीयता भंग कर देता है। क्लाइंट का व्यक्तिगत डाटा कंपनी को दिखाई देता है और कई बार सुरक्षा में चूक के कारण डाटा लीक हो सकता है।

Saturday, October 2, 2021

म्यूजियोलॉजी में हैं करियर

अगर आपको देश की पुरानी विरासतों से लगाव है और आप उनको बनाने व संवारने के साथ अपना करियर भी बनाना चाहते हैं तो आप म्यूजियोलॉजी यानी संग्रहालय विज्ञान के क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं। म्यूजियोलाजी दरअसल, म्यूजियम या संग्रहालय के प्रबंधन, संगठन और इसे सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रशिक्षित करने वाला विज्ञान है। देश में यू तो अंग्रेजों के जमाने से ही कई संग्रहालय मौजूद हैं, लेकिन अब इसका विस्तार और दायरा बढ़ चुका है। अब यह हथियारों, आभूषणों, शिलालेखों और मानव के विकास के अध्ययन, प्रदर्शन और विश्लेषण का भी विज्ञान बन चुका है। जिसके कारण इस क्षेत्र में लगातार पेशावर लोगों की मांग बढ़ती जा रही है। भारत में सरकारी से लेकर प्राइवेट तक करीब 700 से अधिक म्यूजियम हैं, जो बड़े पैमाने पर जॉब की पेशकश करते हैं।
किसे कहते हैं म्यूजियोलॉजिस्ट (Who is a Museologist)
म्यूजियम एक ऐसी जगह होती है, जहां पर ऐतिहासिक, वैज्ञानिक और कलात्मक महत्व की कलाकृतियों और वस्तुओं को सहेजकर रखा जाता है। इन कार्यो को अंजाम देने वाले प्रोफेशनल म्यूजियोलॉजिस्ट के रुप में जाने जाते हैं। म्यूजियोलॉजिस्ट्स म्यूजियम्स में क्यूरेटर्स की तरह कार्य कर सकते हैं, जहां पर उनको म्यूजियम में कैटलागिंग और कलाकृतियों को सही तरह से व्यवस्थित करना होता है, साथ ही म्यूजियम वस्तुओं को अलग-अलग सेक्शन्स में बांटने और उनके बारे में विस्तृत जानकारी देने की जिम्मेदारी भी इन्ही की होती है।
 

ग्रेजुएशन के बाद करें म्यूजियोलॉजी की पढ़ाई  
इस क्षेत्र में एजुकेशन शुरू करने की न्‍यूनतम योग्‍यता 12वीं है। आपने चाहे किसी भी विषय से 12वीं किया हो आप म्यूजियोलॉजी का कोर्स कर सकते हैं। हालांकि कोर्स करने से पहले यह जरूर समझ लें कि अगर आप इतिहास, संरक्षण विज्ञान एवं संग्रहालय के संग्रह के संरक्षण में रुचि रखते हैं तभी यह कोर्स करें। इस क्षेत्र में आप बैचलर ऑफ आर्ट्स इन म्यूजियोलॉजी एंड आर्कियोलॉजी, बीए इन म्यूजियोलॉजी, बीए इन आर्कियोलॉजी, पीजी डिप्लोमा इन म्यूजियोलॉजी एंड कंजर्वेशन, पीजी डिप्लोमा इन म्यूजियोलॉजी एंड हिस्ट्री ऑफ इंडियन आर्ट, एडवांस डिप्लोमा इन आर्कियोलॉजी एंड म्यूजियोलॉजी, एमए इन म्यूजियोलॉजी, एमए इन आर्कियोलॉजी, एमफिल इन म्यूजियोलॉजी एंड आर्कियोलॉजी पीएचडी इन म्यूजियोलॉजी एंड आर्कियोलॉजी का कोर्स शामिल है।

कोर्स के दौरान स्टूडेंट्स को क्यूरेशन, आर्ट, जूलॉजी, बॉटनी, हिस्ट्री, एंथ्रोपोलॉजी के कलेक्शन को मैनेज करने के बारे में जानकारी दी जाती है। वहीं अगर आपको फॉरेन या क्लासिकल लैंग्वेज जैसे कि पर्शियन, संस्कृत, लैटिन, ग्रीक, अरेबिक, इटैलियन, जर्मन, फ्रेंच में से किसी भी लैंग्वेज की जानकारी है तो इस सेक्टर में आपको अपनी इस एक्स्ट्रा स्किल का फायदा मिलेगा।
भारत में अब राष्ट्रीय धरोहर के संरक्षण की तरु सरकारें काफी ध्‍यान दे रही हैं, साथ ही प्राइवेट म्‍यूजियम व गैलरी में भी इजाफा हो रहा है। जिसके कारण इस क्षेत्र में जॉब्‍स के ऑप्‍शन बढ़ रहे हैं। इस समय देश में ऐसे सैकड़ों म्‍यूजियम हैं, जहां पर आप जॉब कर सकते हैं। इसमें केंद्र के अलावा राज्य, जिले स्तर, प्राइवेट और ट्रस्ट टाइप के म्यूजियम शामिल हैं। अगर आप सरकारी क्षेत्र में जॉब करना चाहते हैं तो नेशनल म्यूजियम, मॉनीटरी म्यूजियम, आरबीआई, इंडियन म्यूजियम, सालारजंग म्यूजियम में जॉब ढूंढ सकते हैं। हालांकि इसके लिए आपको एसएससी व यूपीएससी की परीक्षाओं को पास करना होगा। इसके अलावा आप एमफिल व पीएचडी कर टीचिंग और रिसर्च के क्षेत्र में भी सुनहरा करियर बना सकते हैं।

विगत कुछ वर्षों से म्यूजियम का महत्व काफी बढ़ा है। जिससे उनके प्रेजेंटेशन और कांसेप्ट में भी परिवर्तन हुआ है। अब म्यूजियम्‍स को और भी कल्पनाशीलता से मैनेज किया जा रहा है। विरासत और इतिहास के सरंक्षण के प्रति बढ़ती जागरूकता के कारण आर्कियोलॉजिकल, मिलिट्री और वॉर म्यूजियम्स, आर्ट, मैरीटाइम, साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल के मैनजमेंट के लिए प्रोफेशनल लोगों की डिमांड बढ़ी है। अगर आपको हिस्ट्री में दिलचस्पी है तो म्यूजियोलॉजी आपके लिए बेहतरीन ऑप्शन है।

यहां से कर सकते हैं कोर्स (Best Institutes For Museology)
  1. नेशनल म्यूजियम इंस्टीट्यूट, न्यू दिल्ली (National Museum Institute, New Delhi)
  2. गुरुगोविन्द सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, दिल्ली (Guru Gobind Singh Indraprastha University, Delhi)
  3. स्कूल ऑफ आर्काइवल स्टडीज, न्यू दिल्ली (School of Archival Studies, New Delhi)
  4. सेंटर फॉर म्यूजियोलॉजी एंड कंजर्वेशन, जयपुर (Center for Museology and Conservation, Jaipur)
  5. कलकत्ता यूनिवर्सिटी (Calcutta University)
  6. बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (Banaras Hindu University)
  7. असम यूनिवर्सिटी (Assam University)
  8. राजस्थान यूनिवर्सिटी (Rajasthan University)
  9. जम्मू यूनिवर्सिटी (Jammu University)

Monday, September 27, 2021

इंटीरियर डिजाइनिंग में हैं करियर

 अगर आपको कमरे या किसी जगह को सजाने – संवारने का शौक है और आप कुछ क्रिएटिव करना चाहते हैं तो इंटीरियर डिजाइन कोर्स आपके लिए एक अच्छा विकल्प है। अगर आप घर, ऑफिस, मॉल, शोरूम, होटल आदि जगहों के लिए सजावट का अलग नजरिया रखते हैं तो आप भी इंटीरियर डेकोरेशन कोर्स कर के अपना करियर संवार सकते हैं। इंटीरियर डिजाइनर्स की मांग अब केवल मेट्रो सिटीज़ तक ही सिमित नहीं रह गई है। छोटे शहरों में भी इंटीरियर डिजाइनर्स की मांग काफी ज्यादा हो गई है। आज – कल लोग फ्लैट लेते ही उसे सजाने के लिए इंटीरियर डिज़ाइनर खोजना शुरू कर देते हैं। आप भी इस फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं तो आपके लिए हम ले कर आए हैं इंटीरियर डिज़ाइन कोर्सेज से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां। 

हम में से कई लोगों के दिमाग में यह सवाल आता है कि इंटीरियर डिजाइनिंग है क्या? तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि इंटीरियर डिजाइनिंग क्या है, इंटीरियर डिजाइनर क्या है और क्या इंटीरियर डिजाइनिंग पाठ्यक्रम 12वीं के बाद कर सकते हैं या नहीं। मेडिकल, इंजिनीरिंग की तरह इंटीरियर डिजाइनिंग भी एक कोर्स है। इंटीरियर डिजाइन कोर्स को करने के बाद आपके पास किसी भी घर, दफ्तर, क्लिनिक आदि की साज – सज्जा करने के लिए डिग्री प्राप्त हो जाती है। इसके अलावा मल्टिनैशनल कंपनियों के देश में आने से कार्यालयों का लुक पूरी तरह से बदल गया है। ऐसी कंपनियां अपने दफ्तरों की अंदरूनी सजावट को काफी अहमियत देती हैं। इससे इंटीरियर डेकोरेटर्स की मांग बहुत बढ़ गई है।

इंटीरियर डिजाइनर का काम

इंटीरियर डिजाइनर का काम बहुत चुनौतीपूर्ण होता है। आज कल न्यूक्लियर फैमिली की वजह से फ्लैट कल्चर पैदा हो गया है। इसने इंटीरियर डिजाइनर की भूमिका बहुत खास बना दी है। छोटे-छोटे घरों में पूरे परिवार के हिसाब से सामान व्यवस्थित करना, कम जगह को भी खूबसूरत तरीके से सजाना, यह काम इंटीरियर डिजाइनर ही कर सकते हैं। उन्हें जगह और ग्राहकों के बजट के अनुसार सजावट करनी होती है। जगह के अनुसार रंगो का चयन, टेबल हो या सोफा या कोई और फर्नीचर, सबका चयन करना इंटीरियर डिजाइनर का ही काम होता है। साथ ही लाइट्स कैसे होने चाहिए और डेकोरेटिव आइटम्स का भी ध्यान रखना होता है। कई बार ग्राहकों की मांग पर आपको वास्तु के अनुसार भी सजावट करनी होती है। घर सजाते वक्त सबकी पसंद को ध्यान में रखते हुए बच्चों का कमरा, बुजुर्गों का कमरा, स्टडी रूम्स, किचन सबकी अलग तरह से सजावट करनी होती है।

इंटीरियर डिजाइनर के गुण

इंटीरियर डिज़ाइनर बनने के लिए शैक्षिक योग्यता के साथ कुछ अन्य गुणों को होना भी आवश्यक है। अगर आपके अंदर भी निम्न गुण मौजूद हैं तो आप भी इस कोर्स के लिए अप्लाई कर सकते हैं।

  • आपके अंदर बदलते ट्रेंड की समझ होना बहुत जरुरी है।
  • आपके अंदर क्रिएटिविटी होनी चाहिए।
  • साथ ही स्ट्रॉन्ग इमेजिनेशन पावर होना भी जरुरी है। इससे आपके दिमाग में नए कॉन्सेप्ट आएंगे।
  • कई बार आपको डिजाइंस बना कर समझाना होता है इसलिए ड्रॉइंग और आर्ट्स की जानकारी होना भी बहुत जरुरी है।
  • आपकी कम्युनिकेशन स्किल भी अच्छी होनी चाहिए जिससे आप अपने आइडियाज़ दूसरों तक पहुंचा सकें।

इंटीरियर डिजाइनर के रूप में सफलता प्राप्त करने के लिए रियल एस्टेट फील्ड की जानकारी होना भी आवश्यक है। रियल एस्टेट फील्ड की जानकारी होने से आप यह पता कर पाएंगे कि बिल्डिंग, घर या कमर्शियल प्लेस में किस तरह का मटेरियल इस्तेमाल किया जा रहा है। और किस तरह की डिजाइंस ट्रेंड में चल रही हैं।

इंटीरियर डिज़ाइनिंग कोर्स के लिए शैक्षिक योग्यता

अगर आप इंटीरियर डिजाइनर कोर्स करना चाहते हैं तो आपके पास बारहवीं की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता होनी आवश्यक है। किसी भी विषय से बारहवीं पास होने वाले उम्मीदवार इस कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं। बारहवीं के बाद आप डिप्लोमा कोर्स, डिग्री कोर्स या सर्टिफिकेट कोर्स कर सकते हैं। स्नातक के बाद भी आप इंटीरियर डिज़ाइन कोर्सेज के लिए अप्लाई कर सकते हैं। स्नातक के बाद पीजी डिप्लोमा कोर्स या डिग्री कोर्स होते हैं। इंटीरियर डिजाइनिंग लिए एक से तीन वर्षों के अलग – अलग कोर्सेज़ होते हैं। इसमें आप अपनी सुविधा के अनुसार डिप्लोमा या डिग्री कोर्स कर सकते हैं।

इंटीरियर डिज़ाइनिंग कोर्स डिटेल्स

इंटीरियर डिजाइनिंग अपने आप में एक स्पेशलाइज्ड कोर्स है। लेकिन अगर आप चाहें तो इसके अंतर्गत आप रूम डिजाइनिंग, किचन डिजाइनिंग, ऑफिस डिजाइनिंग, होम डेकोर आदि में विशेषज्ञता भी हासिल कर सकते हैं। इन दिनों अधिकतर इंटीरियर डेकोरेटर्स किसी क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त किए होते हैं। इंटीरियर डिजाइनर बनने के लिए आप बैचलर इन इंटीरियर डिजाइन, बीए इन इंटीरियर आर्किटेक्चर एंड डिजाइन, डिप्लोमा इन इंटीरियर स्पेस एंड फर्नीचर डिजाइन, पीजी डिप्लोमा इन इंटीरियर डिजाइन जैसे कोर्स कर सकते हैं।

इंटीरियर डिजाइनर कोर्स की अवधि

इंटीरियर डिजाइनिंग के क्षेत्र में भी अलग – अलग कई कोर्सेज होते हैं। आप अपनी शैक्षिक योग्यता के अनुसार इनमे से कोई भी इंटीरियर डेकोरेशन कोर्स कर सकते हैं।

  • कोर्स का नाम : डिप्लोमा इन इंटीरियर डिज़ाइन
    • कोर्स की अवधि : 1 वर्ष
  • कोर्स का नाम : पीजी डिप्लोमा इन इंटीरियर डिज़ाइन एंड डेकोरेशन
    • कोर्स की अवधि : 1 वर्ष
  • कोर्स का नाम : डिप्लोमा इन इंटीरियर डिज़ाइन
    • कोर्स की अवधि : 2 वर्ष
  • कोर्स का नाम : एडवांस डिप्लोमा इन इंटीरियर
    • कोर्स की अवधि : 2 वर्ष
  • कोर्स का नाम : बैचलर ऑफ़ आर्किटेक्चर
    • कोर्स की अवधि : 2 वर्ष
  • कोर्स का नाम : बीएससी इन इंटीरियर डिज़ाइन
    • कोर्स की अवधि : 3 वर्ष

इंटीरियर डिजाइनर कोर्स के अंतर्गत आने वाले विषय

अगर आप इंटीरियर डेकोरेटर बनने के लिए नामांकन लेने की सोच रहे हैं तो हम आपको बता दें कि इन कोर्सेज़ के अंतर्गत आपको किन विषयों को पढ़ना होगा। विषयों के नाम निम्न प्रकार हैं।

  • आर्ट एंड बेसिक डिज़ाइन
  • फर्नीचर डिज़ाइन
  • फ़र्नीशिंग एंड फ़िटिंग
  • हिस्ट्री ऑफ़ इंटीरियर डिज़ाइन
  • कंस्ट्रक्शन एंड मटेरियल्स
  • सर्विसेस प्रो़फेशनल मैनेजमेंट- इस्टिमेटिंग एंड बजटिंग
  • डिस्प्ले, कंप्यूटर एडेड डिज़ाइनिंग
  • लेटरिंग
  • प्रॉपर्टीज़ ऑफ़ मटेरियल एंड पेंट टेक्नोलॉजी

इंटीरियर डिज़ाइनिंग में कहां है स्कोप

इंटीरियर डिजाइनिंग कोर्स करने के बाद आप किसी कंपनी में डेकोरेटर के पद पर काम कर सकते हैं। इसके आलावा आप किसी आर्किटेक्चरल फर्म, स्टूडियो और थिएटर, एग्ज़िबिशन ऑर्गनाइज़र और इवेंट प्लानर जैसी कंपनी में जुड़ कर उनके साथ काम कर सकते हैं। आप किसी अच्छी मल्टीनेशनल कंपनी में भी काम कर सकते हैं। आप चाहें तो इसे अपना निजी व्यवसाय बना कर अपना बिजनेस भी शुरू कर सकते हैं। लेकिन करियर के शुरूआत में किसी फर्म में या किसी कंपनी के साथ जुड़ कर नौकरी करना ज्यादा सही रहता है। इससे आपको काम करने का सही तरीका भी पता चलता है और प्रेक्टिकल नॉलेज और अनुभव भी बढ़ जाती है। आप चाहें तो किसी होटल, रिजॉर्ट, हॉस्पिटल, शॉपिंग काम्प्लेक्स, के लिए भी काम कर सकते हैं। आप किसी बिल्डर या आर्किटेक्ट के संपर्क में रह कर या उनके साथ काम कर के भी अपने करियर की शुरुआत कर सकते हैं।

इंटीरियर डिजाइनर का वेतन

इंटीरियर डेकोरेटर की आय उनके द्वारा किए गए कार्य पर निर्भर करती है। अपने करियर के शुरुआती दिनों में आप हर महीने 10 हजार रूपए से लेकर 25 हजार रुपए तक कमा सकते हैं। अनुभव बढ़ने के साथ लोगों के बीच आपकी मांग भी बढ़ने लगती है। और आपकी आय बढ़कर प्रति माह 40 हजार से एक लाख रुपए तक हो सकती है।

इंटीरियर डिजाइनर कोर्स के लिए कुछ प्रमुख संसथान

  • स्कूल ऑफ़ इंटीरियर डिज़ाइन, अहमदाबाद।
  • जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट्स. मुंबई।
  • निर्मला निकेतन, न्यू मरीन लाइन्स, मुंबई।
  • सोफ़िया कॉलेज बी. के. सोमानी पॉलिटेक्निक, मुंबई।
  • एसएनडीटी वुमन्स यूनिवर्सिटी, मुंबई।
  • साउथ दिल्ली पॉलिटेक्निक फ़ॉर वुमन, नई दिल्ली।
  • जवाहर लाल नेहरू टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी, हैदराबाद।
  • नागपुर विश्‍वविद्यालय, रविंद्रनाथ टैगोर मार्ग, नागपुर।
  • देवी अहिल्या विश्‍वविद्यालय, इंदौर।
  • नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ फैशन डिज़ाइनिंग, चंडीगढ़।
  • चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी, मेरठ।
  • ऐकेडमी ऑफ़ इंटीरियर डेकोरेशन, दिल्ली।
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीरियर एंड फैशन टेक्नोलॉजी, भुवनेश्वर
  • इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीरियर डिजाइनर्स, नई दिल्ली
  • एमआईटी इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, पुणे

Wednesday, September 22, 2021

क्‍या है हॉर्टिकल्चर

कुछ समय पहले तक लोग अपने घर के अंदर या फिर आसपास शौक के लिए बागवानी करते थे, लेकिन अब बागवानी में सिर्फ शौक ही नहीं पूरा कर सकते बल्कि अच्‍छा करियर भी बना सकते हैं। कंप्यूटर की किट−किट और डेडलाइन्स से दूर रहकर अगर आप नेचर संबंधित एक अच्‍छे करियर की तलाश में हैं तो आप भी हॉर्टिकल्चर अर्थात बागवानी में अपना भविष्य तलाश सकते हैं। हॉर्टिकल्चर के तहत न सिर्फ अच्छी गुणवत्ता के बीज, फल एवं फूल का उत्पादन किया जाता है। साथ ही पर्यावरण को बेहतर करने में भी यह अहम भूमिका निभाता है। हमारे देश में विविध प्रकार की मिट्टी और जलवायु के साथ कई प्रकार की ऐसे कृषि क्षेत्र मौजूद है, जहां पर विभिन्न प्रकार की बागवानी और फसलों को तैयार किया जा सकता है।

वहीं उच्च तकनीक वाले ग्रीन हाउस, इन-हाउस रिसर्च और ऑफ-सीजन की खेती ने हॉर्टिकल्चर के क्षेत्र में नयी संभावनाएं विकसित की हैं। यही वजह है कि आज भारत दुनिया में फलों और सब्जियों के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है।

क्‍या है हॉर्टिकल्चर (What is Horticulture)
हॉर्टिकल्चर को एग्रीकल्‍चर की एक विशेष शाखा कहा जाता है। हॉर्टिकल्चर में अनाज, फल, मसाला, सब्जियां, फूल, सजावटी पेड़ और औषधीय आदि की खेती की जाती है। हॉर्टिकल्चर कला, विज्ञान एवं तकनीक का सम्मिश्रण है। इसमें खाद्य और अखाद्य दोनों तरह की फसलों का अध्ययन शामिल है। खाद्य फसलों में फल, सब्जी और अनाज एवं अखाद्य फसलों में फूल और पौधे आदि आते हैं। हॉर्टिकल्चर में पौधों के फसल उत्पादन से लेकर मिट्टी की तैयारी, पौधे की प्रजनन और आनुवंशिक इंजीनियरिंग, पौधे की जैव रसायन और पादप शरीर क्रिया विज्ञान आदि शामिल है।

जरूरी एजुकेशन (Education required for Horticulture)
अगर आप इस क्षेत्र में आना चाहते हैं तो आपकी एजुकेशन इस बात पर निर्भर करती है कि आप किस प्रकार के हॉर्टिकल्चर में रूचि रखते हैं। इस क्षेत्र में प्रवेश स्नातक स्तर से शुरू होता है। जिन उम्मीदवारों ने भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित, जीव विज्ञान, कृषि के साथ विज्ञान स्ट्रीम के साथ 12वीं की परीक्षा पास किया है, तो आप अपने विषय के अनुसार हॉर्टिकल्चर में स्नातक की डिग्री के लिए एक अलग विषय के रूप में या बीएससी कृषि विज्ञान विषय के रूप में चयन कर सकते हैं। वहीं डिप्लोमा कार्यक्रम करने के लिए एक ही मूल योग्यता आवश्यक है। छात्र हॉर्टिकल्चर में बीएससी करने के बाद एमएससी भी कर सकता है। कई संस्थान हॉर्टिकल्चर में चार वर्षीय बीटेक प्रोग्राम भी संचालित करते हैं।
कुछ कॉलेज बैचलर कोर्स में एडमिशन प्रवेश परीक्षा के माध्यम से, तो कुछ स्कोर के आधार पर देते हैं। हॉर्टिकल्चर कोर्स के अंतर्गत प्लांट प्रोपगेशन, प्लांट ब्रीडिंग, प्लांट मटेरियल, टिशू कल्चर, क्रॉप प्रोडक्शन, क्रॉप न्यूट्रिशन, प्लांट पैथोलॉजी, पोस्ट-हार्वेस्ट हैंडलिंग, इकोनॉमिक्स, एग्री-बिजनेस जैसे विषयों का अध्ययन कराया जाता है।
जरूरी स्किल्स
अगर आप इस क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं तो आपमें प्रकृति के प्रति प्रेम की भावना होना जरूरी है। इसके अलावा छात्रों में सीखने के लिए उत्साह और प्रेरणा देने की क्षमता, गहन एकाग्रता के साथ लंबे समय तक काम करना और एक उत्सुक विश्लेषणात्मक मन होना चाहिए। उनके भीतर पौधों में रोग के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने के लिए बागवानी विशेषज्ञों में व्यावहारिक क्षमता, अवलोकन की अच्छी शक्तियां होनी चाहिए। सामान्य तौर पर, बागवानी विशेषज्ञों को अपने आसपास की दुनिया के बारे में जानने और समस्याओं को हल करने में रचनात्मक होने की आवश्यकता होती है।
 करियर बनाने की संभावना (Career Prospect)
कोर्स पूरा करने के बाद आप विभिन्‍न सरकारी निकायों, जैसे- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, आईएआरआई, सीएसआईआर, एनबीआरआई, एपीईडी में हॉर्टिकल्चरिस्ट के तौर पर कार्य कर सकते हैं। वहीं अगर आपने हॉर्टिकल्चर में नेट परीक्षा पास कर या पीएचडी कर के एग्रीकल्चर कॉलेज में लेक्चरर या असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर नौकरी शुरू कर सकते हैं या रिसर्च के क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं। हॉर्टिकल्चर की पढ़ाई के बाद उद्यान अधिकारी, कृषि अधिकारी, तकनीकी अधिकारी, फल व सब्जी निरीक्षक, उद्यान पर्यवेक्षक, कृषि विकास अधिकारी, हॉर्टिकल्चर स्पेशलिस्ट, फ्रूट-वेजिटेबल इंस्पेक्टर के तौर पर आगे बढ़ने के मौके मौजूद हैं।


कोर्स के लिए कुछ प्रमुख संस्थान (Best Institutes For The Course)
श्रीराम कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, महाराष्ट्र (Shri Ram College of Agriculture, Maharashtra)
हार्टिकल्चरल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, तमिलनाडु (Horticultural College and Research Institute, Tamil Nadu)
नालंदा कॉलेज ऑफ हार्टिकल्चर, नालंदा (Nalanda College of Horticulture, Nalanda)
देशभगत यूनिवर्सिटी, पंजाब (Deshbhagat University, Punjab)
पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना (Punjab Agricultural University, Ludhiana)
आईटीएम यूनिवर्सिटी, ग्वालियर (ITM University, Gwalior)

Sunday, September 19, 2021

कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में करियर

 इन दिनों हर क्षेत्र में कंप्यूटर की डिमांड है. हर कार्य कंप्यूटर पर ही होता है इसलिए कंप्यूटर प्रोफेशनल्स की मांग भी काफी बढ़ गई है. बता दें कि 12वीं के बाद कंप्यूटर प्रोग्रामिंग फील्ड में छात्र अपना करियर बना सकते हैं. दरअसल इस कोर्स के बाद सरकारी और निजी क्षेत्र में नौकरी की ढेरों संभावना है.

आज का युग पूरी तरह डिजिटल युग में बदल चुका है. हमारी रोज की गतिविधियों में डिजिटल टेक्नोलॉजी और कंप्यूटर डिवाइस का हस्तक्षेप है. इतना ही नहीं आज के दौर में ज्यादातर ऑफिशियल वर्क ट्रेंड कंप्यूटर प्रोफेशनल्स द्वारा बनाए गए प्लेटफॉर्म पर डिजिटल रूप से किए जा रहे हैं.यही वजह है कि पिछले कुछ सालों में कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के क्षेत्र में प्रोफेशनल्स की डिमांड भी काफी बढ़ी है. इसलिए कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की फिल्ड में अब करियर की अपार संभावनाएं हैं. इच्छुक उम्मीदवार 12वीं या ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद इस क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं.

6 महीने से लेकर पीएचडी लेवल तक के कंप्यूटर कोर्स कर सकते हैं

कई सरकारी संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों और निजी संस्थानों में सरकार द्वारा संचालित कोर्सेस में 6 महीने के कंप्यूटर सर्टिफिकेट कोर्स से लेकर पीएचडी लेवल तक के कोर्स शामिल हैं. इन कोर्स को करने के लिए आपको किसी संस्थान में दाखिला लेना होगा. कोर्स करने के बाद आपके पास अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी होगी क्योंकि इस फिल्ड में एक्सपर्ट की डिमांड काफी ज्यादा है.  

बता दें कि कंप्यूटर प्रोग्रामिंग क्षेत्र में छात्रों को बेसिक कंप्यूटर, साइबर सुरक्षा, कंप्यूटर हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, मल्टीमीडिया और प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सिखाई जा रही हैं. इस क्षेत्र में साइबर सेफ्टी, मोबाइल फोन सॉफ्टवेयर डेवलेपमेंट और डेटा साइंस सहित कई स्पेशलाइज्ड पथ शामिल हैं.

कोर्स करने के बाद ट्रेंड प्रोफेशनल बना जा सकता है

इस क्षेत्र में कोर्स करने के बाद छात्र कंप्यूटर प्रोग्रामर, ट्रेंड प्रोफेशनल बना जा सकता है जो कंप्यूटर सिस्टम को प्रॉपर और स्पेसिफाइड तरीके से कार्य करने की अनुमति देते है. वे कई प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में कुशल हो जाते हैं. वे मजबूत रचनात्मकता और विश्लेषणात्मक कौशल हासिल कर सकते हैं.

कंप्यूटर कोर्स के बाद सरकारी और निजी क्षेत्र में नौकरी की अपार संभावना

कंप्यूटर फिल्ड में कोर्स करने के बाद छात्र न केवल सरकारी या निजी नौकरी के योग्य बन जाते हैं, बल्कि अपना खुद का व्यवसाय भी शुरू कर सकते हैं. इस कोर्स के बाद कम से कम 25,000 रुपये से 30,000 रुपये प्रति माह की इनकम कर सकते हैं. विभिन्न कंपनियां जो डेटा स्टोर करने और अपना सुचारू व्यवसाय चलाने के लिए प्रौद्योगिकी पर भरोसा करती हैं वे कंप्यूटर फील्ड के प्रोफेशनल्स कोरों को अच्छे वेतन पर नियुक्त करती हैं.

Monday, September 6, 2021

फाइन आर्ट बेहतरीन करियर

फाइन आर्ट एक बेहतरीन करियर फील्ड है। इसमें सफलता के लिए क्रिएटिव माइंड के साथ परिश्रमी होना भी जरूरी है। 

देश में कला को सदैव सर्वोपरि रखा गया है। कलाओं ने ही तो देश को एक नई पहचान दी है। आईटी एवं कम्प्यूटर का प्रयोग दिन-प्रतिदिन अनिवार्य होता जा रहा है। इसी के साथ हाथ की कारीगरी भी धीरे-धीरे तकनीकी रूप अख्तियार करती जा रही है। तकनीकी दखल के बावजूद कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जो लगातार अपनी परंपरा एवं पहचान बनाए हुए हैं। इन्हीं में से एक प्रमुख क्षेत्र है ‘फाइन आर्ट’ यानी ललित कला। आमतौर पर लोगों का मानना है कि ललित कला की उपयोगिता धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है, जबकि वास्तविकता यह है कि आज भी यह क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है। अच्छी पेंटिंग्स लाखों-करोड़ों में बिक रही हैं तथा कलाकारों को उसका पूरा फायदा भी मिल रहा है। इस तरह अच्छे कलाकार को पैसे तो मिलते ही हैं, साथ ही बेशुमार शोहरत भी मिलती है। पर विदेशों की अपेक्षा अभी भी भारत काफी पीछे है। विशेषज्ञों का मानना है कि यहां पर आर्ट एग्जिबिशन एवं गैलरी कम ही देखने को मिलती हैं, जिससे लोगों को जागरूकता तथा इस कोर्स की सटीक जानकारी नहीं मिल पाती। 

 बारहवीं के बाद खुलेंगे दरवाजे

फाइन आर्ट से संबंधित कई तरह के पाठ्यक्रम मौजूद हैं।  इसके लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं तय की गई है। अधिकांश संस्थान 10वीं के बाद ही कई तरह के डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट कोर्स कराते हैं, पर वह अधिक कारगर नहीं होते। बारहवीं के बाद जब छात्र के अंदर कला को समझने का कौशल विकसित हो जाता है तो उसे इस क्षेत्र में कदम रखना चाहिए। बैचलर ऑफ फाइन आर्ट (बीएफए) में एडमिशन 12वीं के पश्चात मिलता है। यह चार वर्ष का पाठ्यक्रम होता है। बैचलर कोर्स में प्रवेश परीक्षा के बाद दाखिला मिलता है। कई संस्थान मेरिट के आधार पर दाखिला देते हैं। बीएफए के बाद मास्टर डिग्री के रूप में 2 वर्षीय मास्टर ऑफ फाइन आर्ट (एमएफए) किया जाता है। यदि मास्टर कोर्स में 50 प्रतिशत अंक हैं तो पीएचडी का रास्ता भी खुल जाता है।

कई तरह के गुण आवश्यक
यह क्षेत्र ऐसा है, जो परिश्रम एवं समय मांगता है। अचानक कोई अचानक ही अच्छा कलाकार नहीं बन सकता। इसमें यह देखा जाता है कि छात्र अपनी भावनाओं एवं कल्पनाओं को किस हद तक कैनवस एवं कागज पर उकेर पा रहा है। इसके लिए कल्पनाशील व अपनी सोच से कुछ नया गढ़ने का गुण होना आवश्यक है। इसमें महारथ हासिल करने के लिए क्रिएटिव माइंड होना चाहिए, ताकि आप अपने आर्ट में वह रंग भर दें कि लोगों को वह आकर्षित कर सके।

काफी लंबा-चौड़ा क्षेत्र है यह
फाइन आर्ट कोई नया पाठय़क्रम नहीं है। लंबे समय से भारत में इसकी उपयोगिता देखी जा रही है। आजकल इस क्षेत्र में काफी प्रयोग देखने को मिल रहे हैं, जिसका सकारात्मक फायदा इस क्षेत्र में कदम रखने वाले लोगों को मिल रहा है। यही कारण है कि इसमें रोजगार की संभावना सदैव बनी रहती है। पाठ्यक्रम के पश्चात कई तरह के विकल्प जैसे पत्र-पत्रिकाओं व विज्ञापन एजेंसियों में विजुअलाइजर, स्कूल-कॉलेज में आर्ट टीचर, बोर्ड डायरेक्टर आदि सामने आते हैं।

कमाई बहुत है इस क्षेत्र में
कमाई का सारा दारोमदार अनुभव एवं कलाकृति की अपील पर टिका होता है। इस क्षेत्र में बढ़ती भीड़ में उन्हीं लोगों को सफलता मिल रही है, जिनके हाथ सधे हुए हैं। यदि छात्र नौकरी करना चाहते हैं तो उनके लिए कई विकल्प हैं, जहां उन्हें 10-15 हजार की नौकरी आसानी से मिल जाती है। जबकि अनुभवी लोग अपने कारोबार के दम पर मोटी रकम वसूल रहे हैं। लेकिन इसके लिए एक लंबे अनुभव एवं बाजार की जरूरत पड़ती है। जैसे-जैसे भारत में आर्ट एग्जिबिशन एवं कला से संबंधित अन्य गैलरी का चलन बढ़ रहा है, वैसे ही कमाई, खासकर खुद का रोजगार करने वाले एवं फ्रीलांसरों की कमाई बढ़ती जा रही है।

इस रूप में कर सकते हैं काम
विजुअलाइजिंग प्रोफेशनल
इलस्ट्रेटर
आर्ट क्रिटिक
आर्टिस्ट
आर्ट प्रोफेशनल्स
डिजाइन ट्रेनर

यहां मिलेगा अवसर
एनिमेशन इंडस्ट्री ’विज्ञापन कंपनी
आर्ट स्टूडियो
फैशन हाउस
पत्र-पत्रिकाएं
स्कल्पचर
टेलीविजन
पब्लिशिंग इंडस्ट्री
ग्राफिक आर्ट
टीचिंग
फिल्म व थियेटर प्रोडक्शन
टेक्सटाइल इंडस्ट्री

एक्सपर्ट व्यू/ प्रो. मनीष अरोड़ा
फाइन आर्ट के वर्तमान एवं संभावनाओं पर प्रस्तुत है बनारस हिन्दू विवि के अप्लाइड आर्ट के सहायक प्रोफेसर प्रो़ मनीष अरोड़ा से बातचीत के अंश-

वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए फाइन आर्ट का क्षेत्र कैसा है?             
इस समय देश व विदेश दोनों जगह फाइन आर्ट का भविष्य अच्छा है। नई पीढ़ी में इसके प्रति जागरूकता आयी है। समाज में भी इसकी स्वीकार्यता बढ़ने लगी है। प्रवेश परीक्षा और कोर्स के दौरान छात्रों की बढ़ती भीड़ इस बात की तस्दीक कर रही है कि इसमें निराश होने जैसी कोई बात नहीं है। म्यूजियम भी अब ऑनलाइन हो चुके हैं व इंटरनेट से काफी मदद मिल रही है।

कोर्स से छात्रों को कितनी सहायता मिलती है?
प्रशिक्षण संस्थान छात्रों को ऐसा खुला मंच उपलब्ध कराते हैं, जहां से वह अपने कौशल को अधिक बिखेर सकते हैं। विदेशी कोर्स को यहां के हिसाब से बदला गया है। इसमें 80 प्रतिशत प्रेक्टिकल व 20 प्रतिशत थ्योरी है। प्रशिक्षण संस्थान इन्हीं बारीकियों, कल्पनाशीलता तथा इसके इतिहास से अवगत कराते हैं। फिर भी स्कूली ज्ञान के अलावा छात्रों को स्वयं से मेहनत की दरकार होती है।

आर्थिक रूप से कमजोर छात्र कैसे कर सकते हैं कोर्स?
छात्र यदि इसमें भविष्य बनाने के इच्छुक हैं तो उनके सामने धन आड़े नहीं आता। कई प्रमुख राष्ट्रीयकृत बैंक छात्रों को एजुकेशन लोन उपलब्ध कराते हैं। जहां तक विदेश जाकर पढ़ने का सवाल है तो वहां पर कई ऐसी फेलोशिप मिलती हैं, जो छात्रों का खर्च उठाने में सक्षम हैं।

फैक्ट फाइल
प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान
भारत में फाइन आर्ट से संबंधित पाठय़क्रम चलाने वाले प्रमुख संस्थान निम्न हैं-

कॉलेज ऑफ आर्ट (दिल्ली विश्वविद्यालय), नई दिल्ली
वेबसाइट -www.du.ac.in
डिपार्टमेंट ऑफ फाइन आर्ट (जामिया मिल्लिया इस्लामिया विवि), नई दिल्ली
वेबसाइट --www.jmi.ac.in
फैकल्टी ऑफ फाइन आर्ट (बीएचयू), वाराणसी
वेबसाइट -www.bhu.ac.in
राजस्थान विश्वविद्यालय (डिपार्टमेंट ऑफ फाइन आर्ट), राजस्थान
वेबसाइट -www.uniraj.ernet.in
सर जेजे इंस्टीटय़ूट ऑफ एप्लाइड आर्ट्स, मुंबई
वेबसाइट -www.jjiaa.org
भारती कला महाविद्यालय, महाराष्ट्र
वेबसाइट -www.cofa.bharati vidyapeeth.edu

Thursday, September 2, 2021

डिजिटल मार्केटिंग क्या है

आज के युग में सब ऑनलाइन हो गया है। इंटरनेट ने हमारे जीवन को बेहतर बनाया है और हम इसके माध्यम से कई सुविधाओं का आनंद केवल फ़ोन या लैपटॉप के ज़रिये ले सकते है।

Online shopping, Ticket booking, Recharges, Bill payments, Online Transactions (ऑनलाइन शॉपिंग, टिकट बुकिंग, रिचार्ज, बिल पेमेंट, ऑनलाइन ट्रांसक्शन्स) आदि जैसे कई काम हम इंटरनेट के ज़रिये कर सकते है । इंटरनेट के प्रति Users के इस  रुझान की वजह से बिज़नेस Digital Marketing (डिजिटल मार्केटिंग) को अपना रहे है ।

यदि हम market stats की ओर नज़र डालें तो लगभग 80% shoppers किसी की product को खरीदने से पहले या service लेने से पहले online research करते है । ऐसे में किसी भी कंपनी या बिज़नेस के लिए डिजिटल मार्केटिंग महत्वपूर्ण हो जाती है।  अपनी वस्तुएं और सेवाओं की डिजिटल साधनो से मार्केटिंग करने की प्रतिक्रिया को डिजिटल मार्केटिंग कहते है ।डिजिटल मार्केटिंग इंटरनेट के माध्यम से करते हैं । इंटरनेट, कंप्यूटर,  मोबाइल फ़ोन , लैपटॉप , website adertisements या किसी और applications द्वारा हम इससे जुड सकते हैं।

1980 के दशक में सर्वप्रथम कुछ प्रयास किये गये डिजिटल मार्किट को स्थापित करने में परंतु यह सम्भव नही हो पाया । 1990 के दशक मे आखिर मे इसका नाम व उपयोग शुरु हुआ।

डिजिटल मार्केटिंग नये ग्राहकों तक पहुंचने का सरल माध्यम है। यह विपणन गतिविधियों को पूरा करता है। इसे ऑनलाइन मार्केटिंग भी कहा जा सकता है। कम समय में अधिक लोगों तक पहुंच कर विपणन करना डिजिटल मार्केटिंग है। यह प्रोध्योगीकि विकसित करने वाला विकासशील क्षेत्र है।

डिजिटल मार्केटिंग से उत्पादक अपने ग्राहक तक पहुंचने के साथ ही साथ उनकी गतिविधियों, उनकी आवश्यकताओं पर भी दृष्टी रख सकता है। ग्राहकों का रुझान किस तरफ है, ग्राहक क्या चाह रहा है, इन सभी पर विवेचना डिजिटल मार्केटिंग के द्वारा की जा सकती है। सरल भाषा में कहें तो डिजिटल मार्केटिंग डिजिटल तकनीक द्वारा ग्राहकों तक पहुंचने का एक माध्यम है। 

यह आधुनिकता का दौर है और इस आधुनिक समय में हर वस्तु में आधुनिककरन हुआ है। इसी क्रम में इंटरनेट भी इसी आधुनिकता का हिस्सा है जो जंगल की आग की तरह सभी जगह व्याप्त है। डिजिटल मार्केटिंग इंटरनेट के माध्यम से कार्य करने में सक्षम है।

आज का समाज समय अल्पता से जूझ रहा है, इसलिये डिजिटल मार्केटिंग आवश्यक हो गया है। हर व्यक्ति इंटरनेट से जुड़ा है वे इसका  उपयोग हर स्थान पर आसानी से कर सकता  है । अगर आप किसी से मिलने को कहो तो वे कहेगा मेरे पास समय नही है, परंतु सोशल साइट पर उसे आपसे बात करने में कोई समस्या नही होगी । इन्ही सब बातों को देखते हुए डिजिटल मार्केटिंग इस दौर में अपनी जगह बना रहा है ।

जनता अपनी सुविधा के अनुसार इंटरनेट के जरिये अपना मनपसंद व आवश्यक सामान आसानी से प्राप्त कर सकती है । अब बाज़ार जाने से लोग बचते हैं ऐसे में डिजिटल मार्केटिंग बिज़नेस को अपने products और services लोगो तक पहुंचाने में मदद करती है। डिजिटल मार्केटिंग कम समय में एक ही वस्तु के कयी प्रकार दिखा सकता है और उप्भोक्ता को जो उपभोग पसंद है वे तुरंत उसे ले सकता है।  इस माध्यम से उपभोकता का बाज़ार जाना वस्तु पसंद करने, आने जाने में जो समय लगता है वो बच जाता है ।

ये वर्तमान काल में आवश्यक हो गया है । व्यापारी को भी व्यापार  में मदद मिल रही है। वो भी कम समय में अधिक लोगो से जुड़ सकता है और अपने उत्पाद की खूबियाँ उपभोक्ता तक पहुँचा सकता  है।

परिवर्तन जीवन का नियम है , यह तो आप सब जानते ही हैं। पहले समय में और आज के जीवन में कितना बदलाव हुआ है और आज इंटरनेट का जमाना है । हर वर्ण के लोग आज इंटरनेट से जुड़े है,  इन्ही सब के कारण सभी लोगो को एक स्थान पर एकत्र कर पाना आसान है जो पहले समय में सम्भव नही था । इंटरनेट के जरिये हम सभी व्यवसायी और ग्राहक का तारतम्य स्थापित भी कर सकते हैं।

डिजिटल मार्केटिंग की मांग वर्तमान समय में बहुत प्रबल रुप में देखने को मिल रही है। व्यापारी जो अपना सामान बना रहा है , वो आसानी से ग्राहक तक पहुंचा रहा है।  इससे डिजिटल व्यापार को बढ़ावा मिल रहा है ।

पहले विज्ञापनो का सहारा लेना पड़ रहा था। ग्राहक उसे देखता था, फिर पसंद करता था , फिर वह उसे खरीदता था। परंतु अब सीधा उपभोक्ता तक सामान भेजा जा सकता है । हर व्यक्ति गूगल, फेसबुक , यूट्यूब आदि उपयोग कर रहा है, जिसके द्वारा व्यापारी अपना उत्पाद-ग्राहक को दिखाता है । यह व्यापार सबकी पहुंच में है- व्यापारी व उपभोक्ता की भी।

हर व्यक्ति को आराम से बिना किसी परिश्रम के प्रतयेक  उपयोग की चीज़ मिल जाती है। व्यापारी को भी यह सोचना नही पड़ता कि वह अखबार, पोस्टर, या विज्ञापन का सहारा ले। सबकी सुविधा के मद्देनजर इसकी मांग है। लोगों का विश्वास भी डिजिटल मार्किट की ओर बड़   रहा है। यह एक व्यापारी के लिये हर्ष का विषय है। कहावत है “ जो दिखता है वही बिकता है” – डिजिटल मार्किट इसका अच्छा उदाहरण है

सबसे पहले तो आपको यह बता दे कि डिजिटल मार्केटिंग करने के लिये ‘इंटरनेट’ ही एक मात्र साधन है। इंटरनेट  पर ही हम अलग-अलग वेबसाइट के द्वारा डिजिटल मार्केटिंग कर सकते हैं । इसके कुछ प्रकार के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं –

(i) सर्च इंजन औप्टीमाइज़ेषन या SEO

यह एक ऐसा तकनीकी माध्यम है जो आपकी वेबसाइट को सर्च इंजन के परिणाम पर सबसे ऊपर जगह दिलाता है जिससे दर्शकों की संख्या में बड़ोतरी होती है। इसके लिए हमें अपनी वेबसाइट को कीवर्ड और SEO guidelines के अनुसार बनाना होता है।

(ii) सोशल मीडिया (Social Media)

सोशल मीडिया कई वेबसाइट से मिलकर बना है – जैसे Facebook, Twitter, Instagram, LinkedIn, आदि । सोशल मीडिया के माध्यम से व्यक्ति अपने विचार हजारों लोगों के सामने रख सकता है । आप भली प्रकार सोशल मीडिया के बारे में जानते है । जब हम ये साइट देखते हैं तो इस पर कुछ-कुछ अन्तराल पर हमे विज्ञापन दिखते हैं यह विज्ञापन के लिये कारगार व असरदार जरिया है।

(iii) ईमेल मार्केटिंग (Email Marketing)

किसी भी कंपनी द्वारा अपने उत्पादों को ई-मेल के द्वारा पहुंचाना ई-मेल मार्केटिंग है। ईमेल मार्केटिंग हर प्रकार से हर कंपनी के लिये आवश्यक है क्योकी कोई भी कंपनी नये प्रस्ताव और छूट ग्राहको के लिये समयानुसार देती हैं जिसके लिए ईमेल मार्केटिंग एक सुगम रास्ता है।

(iv) यूट्यूब चेनल (YouTube Channel)

सोशल मीडिया का ऐसा माध्यम है जिसमे उत्पादक अपने उत्पादों को लोगों के समक्ष प्रत्यक्ष रुप से पहुंचाना है। लोग इस पर अपनी प्रतिक्रया भी व्यक्त कर सकते हैं। ये वो माध्यम है जहां बहुत से लोगो की भीड़ रह्ती है या यूं कह लिजिये की बड़ी सन्ख्या में users/viewers यूट्यूब पर रह्ते हैं।  ये अपने उत्पाद को लोगों के समक्ष वीडियो बना कर दिखाने का सुलभ व लोकप्रिय माध्यम है।

(v) अफिलिएट मार्केटिंग (Affiliate Marketing)

वेबसाइट, ब्लोग या लिंक के माध्यम से उत्पादनों के विज्ञापन करने से जो मेहनताना मिलता है, इसे ही अफिलिएट मार्केटिंग कहा जाता है। इसके अन्तर्गत आप अपना लिंक बनाते हैं और अपना उत्पाद उस लिंक पर डालते है । जब ग्राहक उस लिंक को दबाकर आपका उत्पाद खरीदता है तो आपको उस पर मेहन्ताना मिलता है।

(vi) पे पर क्लिक ऐडवर्टाइज़िंग या PPC marketing

जिस विज्ञापन को देखने के लिए आपको भुगतान करना पड़ता है उसे ही पे पर क्लिक ऐडवर्टीजमेंट कहा जाता है। जैसा की इसके नाम से विदित हो रहा है की इस पर क्लिक करते ही पैसे कटते हैं । यह हर प्रकार के विज्ञापन के लिये है ।यह विज्ञापन बीच में आते रह्ते हैं। अगर इन विज्ञापनो को कोई देखता है तो पैसे कटते हैं । यह भी डिजिटल मार्केटिंग का एक प्रकार है।

(vii) एप्स मार्केटिंग (Apps Marketing)

इंटरनेट पर अलग-अलग ऐप्स बनाकर लोगों तक पहुंचाने और उस पर अपने उत्पाद का प्रचार करने को ऐप्स मार्केटिंग कहते हैं । यह डिजिटल मार्केटिंग का बहुत ही उत्तम रस्ता है। आजकल बड़ी संख्या में लोग स्मार्ट फ़ोन का उपयोग कर रहे हैं । बड़ी-बड़ी कंपनी अपने एप्स बनाती हैं और एप्स को लोगों तक पहुंचाती है। 

डिजिटल मार्केटिंग की उपयोगिता के बारे में हम आप को बता रहे हैं –

(i) आप अपनी वेबसाइट पर ब्रोशर बनाकर उस पर अपने उत्पाद का विज्ञापन लोगों के लेटेर-बॉक्स पर भेज सकते हैं। कितने लोग आपको देख रहे हैं यह भी पता लगाया जा सकता है।

(ii) वेबसाइट ट्रेफ़िक- सबसे ज्यादा दर्शकों की भीड़ किस वेबसाइट पर है – पहले ये आप जान ले , फिर उस वेबसाइट पर अपना विज्ञापन डाल दें ताकी आपको अधिक लोग देख सकें ।

(iii) एटृब्युषन मॉडलिंग – इसके द्वारा ह्म यह पता कर सकते है की आजकल लोग किस उत्पाद में रुचि ले रहे हैं या किन-किन विज्ञापनों को देख रहे हैं । इसके लिये विशेश टूल का प्रयोग करना होता है जो की एक विशेश तकनीक के द्वारा किया जा सकता है और ह्म अपने उपभोक्ताओं की हरकतें यानी उनकी रुचि पर नज़र रख सकते हैं।

आप अपने उपभोक्ता से किस प्रकार सम्पर्क बना रहे हैं यह विषय महत्वपूर्ण है। आप उनकी आवश्यक्ता के साथ पसंद पर भी दृष्टी बनाकर रखा करें ऐसा करने से व्यापार में वृद्घि हो सकती है।

आप पर उनका विश्वास भी अत्यन्त आवश्यक है, की वह विज्ञापन देख कर आपका उत्पाद खरीदने में संकोच न करें तुरंत ले लें। इनके विश्वास को आपने विश्वास देना है। ग्राहक को आश्वासन दिलाना आपका दायित्व है। अगर किसी को सामान पसंद न आये तो उसको बदलने के लिये वो अपना संदेश आप तक पहुंचा सके इसके लिये ईबुक आपकी सहायता कर सकता है।

डिजिटल मार्केटिंग एक एसा माध्यम बन गया है जिससे कि मार्केटिंग (व्यापार) को  बढ़ाया जा सकता है। इसके उपयोग से सभी लाभान्वित हैं । उपभोक्ता व व्यापारी के बीच अच्छे से अच्छा ताल-मेल बना रहे हैं , इसी सामजस्य को डिजिटल मार्केटिंग द्वारा पूरा किया जा सकता है । डिजिटल मार्केटिंग आधुनिकता का एक अनूठा उद्धरण है।

Tuesday, August 17, 2021

एग्रीकल्चर में करियर

कृषि से आपको लगाव है लेकिन किसी वजह से इस क्षेत्र में आने से संकोच कर रहे हैं, तो आप नए व आधुनिक तरीके से नकदी फसलों की खेती कर कृषि उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग व निर्यात करते हुए आकर्षक मुनाफे के साथ-साथ कृषि क्षेत्र और अपने करियर को एक बेहतर आयाम दे सकते हैं...

भारत आज भी एक कृषि प्रधान देश है, लेकिन ऐसा नहीं है कि कृषि केवल पारंपरिक किसानों के लिए ही है। आज के युवा भी आधुनिक तरीके से खेती करके या एग्रीकल्चर से जुड़े काम करके अच्छे पैसे कमा सकते हैं। वैज्ञानिक तरीके से ऐसी खेती करने से आत्म-सम्मान के साथ-साथ समाज में एक अलग पहचान और बेहतर मुनाफे के रास्ते भी खुले हैं। देश की काफी बड़ी आबादी आज भी कृषि क्षेत्र से ही रोजगार पाती है। कृषि क्षेत्र में मौजूद विकास की व्यापक संभावनाओं को भांपते हुए आईटीसी, मोनसेंटो और रिलायंस जैसी बड़ी कंपनियां इस क्षेत्र में उतर चुकी हैं। फसलों से जुड़े शोध कार्यक्रमों में भी कृषि विशेषज्ञों की मांग तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में इस कृषि क्षेत्र को अपना करियर विकल्प चुनकर मित्र्ी की खुशबू के साथ रहते हुए अपने करियर को सुगंधित कर सकते हैं।

पढ़ेंःमेडिकल टूरिज्म से सिक्योर करें फ्यूचर

आधुनिक तरीकों से खेती

मशरूम : इसे सफेद सोना कहा जाता है। मशरूम का सफल उत्पादन दो से तीन महीने में आसानी से हो जाता है। मशरूम की बुआई से लेकर कटाई तक में लगभग दो-तीन महीने का समय लगता है। इतने समय में इसका अच्छा उत्पादन किया जा सकता है। मशरूम के कई प्रोडक्ट की मार्केट में काफी डिमांड है। मशरूम की खेती को छोटी जगह और कम लागत में आसानी से शुरू किया जा सकता है और कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है।

फूलों की खेती : फूलों के बगैर कोई भी पार्टी या फंक्शन अधूरा-सा लगता है। फूलों की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। फूलों की बढ़ती मांग ने फूलों के कारोबार को काफी विकसित किया है। बीते कुछ सालों में इस क्षेत्र में काफी विकास हुआ है। खुद की नर्सरी खोल कर अच्छी कमाई की जा सकती है। इसके अलावा फ्लोरल डिजाइनर, लैंडस्केप डिजाइनर, फ्लोरीकल्चर थेरेपिस्ट, फार्म या स्टेट मैनेजर, प्लांटेशन एक्सपर्ट, प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर के साथ आप रिसर्च और टीचिंग भी कर सकते हैं।

ऑर्गेनिक खेती : पिछले कुछ समय में ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों की काफी डिमांड बढ़ी है। डिमांड के मुकाबले काफी कम उत्पादन हो रहा है। ऐसे में इस कार्य को करके आप बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं।

आयुर्वेदिक औषधि : लोगों का रुझान एक बार फिर से आयुर्वेद की तरफ बढ़ा है। नित नई आयुर्वेदिक दवा कंपनियां खुल रही हैं, जिन्हें आयुर्वेदिक औषधियों की हमेशा जरूरत रहती है। आप चाहें तो नीम, तुलसी, एलोवेरा, अश्वगंधा, मुलेठी जैसे कई आयुर्वेदिक औषधियों की पैदावार कर बेहतर कमाई कर सकते हैं।

पढ़ेंः प्रोफाइल लो, परफॉर्मेंस हाई

प्रोडक्ट करें एक्सपोर्ट

पारंपरिक फसलों की जगह अगर नकदी फसलों का उत्पादन करते हैं तो उसे आसानी से देश-विदेश में एक्सपोर्ट कर सकते हैं। सरकार द्वारा इसके लिए कई तरह की कोशिशें की जा रही हैं। जरूरत है तो सिर्फ सही तरीके से उत्पादन और उसे सही बाजार तक पहुंचाने की। एक बार सही मार्केट का रास्ता मिल जाने के बाद उत्पाद हाथों-हाथ बिक जाएगा।

आकार लेतीं संभावनाएं

शोध : वैश्विक समस्या का रूप ले रहे खाद्यान्न संकट ने इस क्षेत्र को शोध संस्थाओं की प्राथमिकता का केंद्र बना दिया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद सहित देश की तमाम कृषि शोध संस्थाएं कृषि उत्पादकता बढ़ाने वाली तकनीकें और फसलों की ज्यादा उपज देने वाली प्रजातियां विकसित करने में जुटी हैं।

फूड प्रोसेसिंग : निजी क्षेत्र की कई कंपनियां कृषि उत्पादों का ज्यादा समय तक उपभोग सुनिश्चित करने के लिए बड़े पैमाने पर फूड प्रोसेसिंग शुरू कर चुकी हैं। डिब्बाबंद जूस, आइसक्रीम, दुग्ध उत्पाद और चिप्स जैसे उत्पाद प्रोसेस्ड फूड के उदाहरण हैं।

संगठित खुदरा बाजार

रिलायंस फ्रेश, फूड बाजार, बिग एप्पल आदि कंपनियां अपने हजारों केंद्रों के माध्यम से फल, सब्जियों, अनाज और ढेरों अन्य खाद्य वस्तुओं की बिक्री करती हैं। इसके लिए कंपनियों को थोक में खाद्य उत्पादों की खरीद करनी पड़ती है। इस कार्य में मदद के लिए ये कंपनियां कृषि विशेषज्ञों और कृषि उत्पादों की मार्केटिंग से जुड़े विशेषज्ञों की नियुक्ति करती हैं।

कोर्स

-बीएससी एग्रीकल्चर

-बीएससी क्रॉप फिजियोलॉजी

-एमएससी एग्रीकल्चर

-एमएससी (एग्रीकल्चर बॉटनी/ बायोलॉजिकल साइंसेज)

-एमबीए इन एग्रीबिजनेस मैनेजमेंट

-डिप्लोमा इन फूड प्रोसेसिंग

-डिप्लोमा कोर्स इन एग्रीकल्चर एंड एलाइड प्रैक्टिसेज

एलिजिबिलिटी

एग्रीकल्चर से संबंधित डिप्लोमा व बैचलर पाठ्यक्रम में दाखिले की न्यूनतम योग्यता विज्ञान विषयों (बायोलॉजी जरूरी) के साथ 12वीं पास होना जरूरी है। एग्रीकल्चर में ग्रेजुएशन के बाद एमएससी में दाखिला लिया जा सकता है। स्पेशलाइजेशन के लिए एग्रोनॉमी, हॉर्टिकल्चर, प्लांट ब्रीडिंग, एग्रीकल्चर जेनेटिक्स, एग्रीकल्चर एंटोमोलॉजी आदि विकल्प मौजूद हैं। ग्रेजुएशन के बाद एग्री-बिजनेस मैनेजमेंट में एमबीए किया जा सकता है।

संभावनाएं

-शुगर मिल

-फूड कॉर्पोरशन ऑफ इंडिया

-बैंक

-कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कंपनी

-नेशनल सीड कॉर्पोरेशन

-रिसर्च इंस्टीट्यूट

-चाय बागान

-यूनिवर्सिटी/ कॉलेज

-एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी

(जागरण फीचर)

Sunday, August 8, 2021

ऐनेस्थियोलॉजिस्ट में करियर

 ऑपरेशन थियेटर में मरीज का इलाज करने के लिए डॉक्टर की एक बड़ी टीम मौजूद होती है। लेकिन डॉक्टर्स की यह टीम तब तक अपना काम शुरू नहीं कर सकती, जब तक ऐनेस्थियोलॉजिस्ट वहां पर मौजूद न हो। ऐनेस्थियोलॉजिस्ट के काम की शुरूआत तो ऑपरेशन से पहले ही शुरू हो जाती है। दरअसल, एक ऐनेस्थियोलॉजिस्ट मरीज को सही तरह से एनेस्थीसिया देता है ताकि बिना किसी दर्द से मरीज का इलाज हो सके। यह काम देखने में भले ही आसान लगे, लेकिन वास्तव में यह काफी कठिन होता है। एक छोटी सी चूक से मरीज के अंग प्रभावित हो सकते हैं और यही कारण है कि अलग से ऐनेस्थियोलॉजिस्ट की जरूरत पड़ती है। आप भी अगर मेडिकल क्षेत्र में भविष्य बनाना चाहते हैं तो बतौर ऐनेस्थियोलॉजिस्ट ऐसा कर सकते हैं−

क्या होता है काम

एक ऐनेस्थियोलॉजिस्ट का मुख्य काम मरीज को एनेस्थीसिया यानी बेहोश करने वाली दवाई ठीक तरह से देना होता है। उसे इस बात का ध्यान रखना होता है कि मरीज को एनेस्थीसिया देते समय उसे किसी तरह का दर्द न हो, साथ ही वह ऑपरेशन की पूरी प्रक्रिया भी बिना दर्द के पूरी कर ले और उस दौरान उसके सभी अंग ठीक तरह से काम करे। इतना ही नहीं, एक ऐनेस्थियोलॉजिस्ट सर्जरी से पहले, उस दौरान व बाद में मरीज की ब्रीदिंग, हार्टरेट आदि की मॉनिटरिंग भी करता है।


स्किल्स

चूंकि एक ऐनेस्थियोलॉजिस्ट को टीम के साथ मिलकर काम करना होता है, इसलिए आपको बतौर टीमवर्क काम करना आना चाहिए। इसके अतिरिक्त आपको अपने कार्य की सटीक जानकारी होनी चाहिए। आपकी एक छोटी सी भूल मरीज के जीवन पर भी भारी पड़ सकती है। इसके अतिरिक्त आपको हमेशा खुद को अपडेट रखने के लिए सेमिनार आदि भी जरूर अटेंड करने चाहिए।

योग्यता

अगर आप ऐनेस्थियोलॉजिस्ट बनना चाहते हैं तो आपके पास 12वीं में साइंस विषय के साथ मैथ्स या बॉयोलॉजी का होना अनिवार्य है। इसके बाद आप एमबीबीएस की पढ़ाई करने के बाद ऐनेस्थियोलॉजी में एमडी कर सकते हैं।

संभावनाएं

एक प्रोफेशनल ऐनेस्थियोलॉजिस्ट सरकारी व निजी अस्पतालों से लेकर हेल्थ क्लीनिक, ग्रामीण हेल्थ केयर सेंटर आदि में अपनी सेवाएं दे सकते हैं। इसके अतिरिक्त मेडिकल शिक्षण संस्थानों में भी बतौर लेक्चरर भी आप काम कर सकते हैं।

प्रमुख संस्थान

वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज व सफरदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली

इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, बिहार

एसवीएस मेडिकल कॉलेज, आंध्र प्रदेश

अमृता इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, केरल

आरजी कार मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, कोलकाता

Wednesday, August 4, 2021

स्पेस साइंस में कॅरिअर

 स्पेस टेक्नोलॉजी हमारी जिंदगी के लगभग हर हिस्से को प्रभावित करती है, चाहे वह मौसम की भविष्यवाणी हो, सैटेलाइट टीवी हो या फिर ग्लोबल कम्युनिकेशन या सेटेलाइट नेविगेशन। स्पेस इंडस्ट्री में कॅरिअर इनमें से किसी भी क्षेत्र में हो सकता है। यह क्षेत्र उन लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाता है, जिनके पास इलेक्ट्रिकल और मेकेनिकल इंजीनियरिंग, आईटी और सॉफ्टवेयर सिस्टम्स, फिजिक्स, मैथेमेटिक्स, स्पेस साइंस या एरोस्पेस इंजीनियरिंग से जुड़ी डिग्रियां हैं।

एक नए सेटेलाइट पर काम करना या किसी दूर स्थित ग्रह का खाका खींचना जैसे काम स्पेस साइंस से जुड़े कॅरिअर में शामिल हैं। इसके अंतर्गत आप सौर परिवार से जुड़ी नई खोज कर सकते हैं या फिर धरती पर प्रदूषण के अध्ययन के लिए सेटेलाइट का इस्तेमाल कर सकते हैं। हो सकता है आप दुनिया के दूरदराज के समुदायों को जोड़ रहे हों या फिर आपदा प्रबंधन में अपना योगदान दे रहे हों। स्पेस टेक्नोलॉजी हमारी जिंदगी के लगभग हर हिस्से को प्रभावित करती है, चाहे वह मौसम की भविष्यवाणी हो, सेटेलाइट टीवी हो या फिर ग्लोबल कम्युनिकेशन या सेटेलाइट नेविगेशन। स्पेस इंडस्ट्री में कॅरिअर इनमें से किसी भी क्षेत्र में हो सकता है।
चूंकि अवसर इतने ज्यादा हैं, इसलिए इस क्षेत्र की योग्यताएं भी काफी भिन्न हैं। यह क्षेत्र उन लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाता है, जिनके पास कुशलताओं और योग्यताओं की विस्तृत रेंज है, जिनमें इलेक्ट्रिकल और मेकेनिकल इंजीनियरिंग, आईटी और सॉफ्टवेयर सिस्टम्स, फिजिक्स, मैथेमेटिक्स, स्पेस साइंस या एरोस्पेस इंजीनियरिंग शामिल हैं।
स्पेशलाइज्ड फील्ड्स
एस्ट्रोनॉमी ब्रह्मांड का वैज्ञानिक अध्ययन है, खासतौर पर आकाशीय पिंडों की गति, स्थिति, आकार, संरचना और व्यवहार का। एस्ट्रोफिजिक्स एस्ट्रोनॉमी की शाखा है, जो तारों, आकाशगंगाओं और ब्रह्मांड के अध्ययन में इस्तेमाल होती है। एस्ट्रोबायोलॉजी में जीवन की शुरुआत, उद्भव और अस्तित्व की संभावना का अध्ययन शामिल है। एस्ट्रोकेमिस्ट्री में अंतरिक्ष में रासायनिक प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।
क्या पढ़ना होगा
स्पेस इंडस्ट्री में प्रवेश के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और गणित के साथ बारहवीं उत्तीर्ण होना पहला कदम है। इसके बाद अगर आप फिजिक्स मेजर या फिजिक्स ऑनर्स में डिग्री लेते हैं तो आप एस्ट्रोफिजिक्स या एस्ट्रोनॉमी में कॅरिअर बना सकते हैं। वैकल्पिक रूप से आप आईआईएसईआर, एनआईएसईआर, भुवनेश्वर, यूएम डीएई सीबीएस, मुंबई, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सूरत, कुछेक आईआईटी से इंटीग्रेटेड एमएससी इन फिजिक्स की पढ़ाई कर सकते हैं। उसके बाद आप पीएचडी कर सकते हैं। प्रवेश प्रतियोगी परीक्षाओं के जरिए होता है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी से बीटेक एरोस्पेस इंजीनियरिंग, बीटेक इन एविओनिक्स, बीटेक फिजिकल करने वाले ग्रेजुएट्स, जो वांछित अकादमिक योग्यता को पूरा करते हों, उन्हें इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन में अवसर मिलते हैं। कुछ विश्वविद्यालय अपने पोस्टग्रेजुएट फिजिक्स डिग्री प्रोग्राम में एस्ट्रोफिजिक्स स्पेशलाइजेशन के तौर पर प्रस्तावित करते हैं। किसी भी विषय में इंजीनियरिंग की डिग्री के आधार पर आप एस्ट्रोनॉमी या एस्ट्रोफिजिक्स में पीएचडी कर सकते हैं। पीएचडी प्रोग्राम में प्रवेश एंट्रेंस एग्जाम के जरिए होता है।
अवसर
>स्पेस साइंटिस्ट विश्वविद्यालयों में फैकल्टी के रूप में काम कर सकते हैं, रिसर्च कर सकते हैं, पेपर प्रकाशित कर सकते हैं, पढ़ा सकते हैं, अकादमिक कमेटी में शामिल हो सकते हैं, रिसर्च की फंडिंग के लिए प्रपोजल तैयार कर सकते हैं।
>एस्ट्रोनॉमर/एस्ट्रोफिजिसिस्ट सरकारी/राष्ट्रीय वेधशालाओं, स्पेस रिसर्च एजेंसियों, प्लेनिटेरियम, साइंस युजियम, मास मीडिया एंड साइंस कम्युनिकेशन में काम कर सकते हैं। अन्य अवसर इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन व डीआरडीओ में उपलब्ध हैं। टेलिस्कॉप की डिजाइनिंग, सॉफ्टवेयर राइटिंग, डेटा प्रोसेसिंग व एनालाइसिस जैसे काम भी ये करते हैं।
कैसे बनें एस्ट्रोनॉट
एस्ट्रोनॉट बनने के लिए आपमें फिटनेस के उच्चतम स्तर के साथ सही मेंटल एटीट्यूट होना जरूरी है। इंजीनियरिंग, फिजिक्स, मैथेमेटिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी या अर्थ साइंसेज की योग्यता आवश्यक है। कई मिशन स्पेशलिस्ट के पास पीएचडी की डिग्री भी होती है।
यहां से करें कोर्स
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च
यूएम-डीएई सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन बेसिक साइंसेज (सीबीएस), मुंबई
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रूड़की
बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा, रांची
आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑजरवेशनल साइंसेज, नैनीताल
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, बेंगलुरु
एस.एन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज, कोलकाता