Sunday, February 21, 2021

मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बनाएं करियर

मैकेनिकल इंजीनियरिंग सबसे पुराने और व्यापक विषयों में से एक इंजीनियरिंग विषय है. यह मशीन्स और टूल्स की डिजाइनिंग, प्रोडक्शन और ऑपरेशन के लिए हीट और मैकेनिकल पॉवर के उत्पादन और इस्तेमाल से संबद्ध है. इस फील्ड में करियर शुरू करने वाले छात्रों के लिये यह बहुत जरुरी है कि उन्हें कोर कन्सेप्ट्स जैसेकि, मैकेनिक्स, कीनेमेटीक्स, थर्मोडायनामिक्स, मेटीरियल साइंस, स्ट्रक्चरल एनालिसिस आदि की अच्छी समझ होनी चाहिए

मैकेनिकल इंजीनियरिंग क्या है?

मैकेनिकल इंजीनियरिंग सबसे पुराने और व्यापक विषयों में से एक इंजीनियरिंग विषय है. यह मशीन्स और टूल्स की डिजाइनिंग, प्रोडक्शन और ऑपरेशन के लिए हीट और मैकेनिकल पॉवर के उत्पादन और इस्तेमाल से संबद्ध है. इस फील्ड में करियर शुरू करने वाले छात्रों के लिये यह बहुत जरुरी है कि उन्हें कोर कन्सेप्ट्स जैसेकि, मैकेनिक्स, कीनेमेटीक्स, थर्मोडायनामिक्स, मेटीरियल साइंस, स्ट्रक्चरल एनालिसिस आदि की अच्छी समझ होनी चाहिए. इन कोर्सेज में मुख्यतः टेक्निकल एरियाज जैसेकि जनरेटर्स के माध्यम से इलेक्ट्रिसिटी का डिस्ट्रीब्यूशन, ट्रांसफार्मर्स, डिजाइनिंग, इलेक्ट्रिक मोटर्स, ऑटोमोबाइल्स, एयरक्राफ्ट और अन्य हैवी व्हीकल्स शामिल हैं.

मैकेनिकल इंजीनियर्स क्या करते हैं?

मैकेनिकल इंजीनियरिंग आपके जीवन के तकरीबन हरेक पहलू को प्रभावित करती है. अधिकांश चीज़ें, जो हम अपनी रोजाना की जिंदगी में इस्तेमाल करते हैं, उन्हें मैकेनिकल इंजीनियर्स ही डिज़ाइन और डेवलप करते हैं. उदाहरण के लिए, माइक्रो-सेन्सर्स, कंप्यूटर्स, ऑटोमोबाइल्स, स्पोर्ट्स इक्विपमेंट, मेडिकल डिवाइसेज, रोबोट्स और कई अन्य वस्तुएं. हमारे जीवन को ज्यादा बेहतर बनाने के लिए इन नई डिवाइसेज और इक्विपमेंट से मदद मिलती है. 

कोर्सेज एंड ड्यूरेशन

मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इंजीनियरिंग की कोर फ़ील्ड्स में से एक है. यह इंजीनियरिंग के सबसे पुराने विषयों में से भी एक है. आजकल, मैकेनिकल इंजीनियरिंग में कई स्पेशलाइजेशन्स को शामिल किया गया है. जो कन्सेप्ट्स यहां शामिल किये गए हैं, वे इंजीनियरिंग की अन्य फ़ील्ड्स से भी परस्पर संबद्ध हैं. उदाहरण के लिए, पेट्रोलियम, ऑटोमोबाइल, एयरोस्पेस, सिविल, केमिकल आदि विषय इंजीनियरिंग के ऐसे विषय हैं जो मैकेनिकल इंजीनियरिंग से भी अच्छी तरह संबद्ध हैं. जो छात्र मैकेनिकल इंजीनियरिंग में कोई कोर्स करना चाहते हैं, वे विभिन्न कोर्सेज में दाखिला ले सकते हैं:

  • डिप्लोमा कोर्सेज – यह कोर्स छात्रों को मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एक पॉलिटेक्निक डिप्लोमा ऑफर करता है और आप 10 वीं और 12 वीं क्लास पास करने के बाद यह कोर्स कर सकते हैं. इस कोर्स की ड्यूरेशन या अवधि 3 वर्ष है.  
  • अंडरग्रेजुएट कोर्सेज – यह एक 4 वर्ष की अवधि का कोर्स है जिसे पूरा करने पर आपको मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक (बैचलर ऑफ़ टेक्नोलॉजी) की डिग्री मिलती है. आप 12 वीं क्लास पास करने के बाद यह कोर्स कर सकते हैं.
  • पोस्टग्रेजुएट कोर्सेज – यह 2 वर्ष की अवधि का कोर्स है जो मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एमटेक (मास्टर ऑफ़ टेक्नोलॉजी) की पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री ऑफर करता है. इस कोर्स में एडमिशन लेने से पहले आपके पास उपयुक्त फील्ड में अंडरग्रेजुएट डिग्री होनी चाहिए.
  • डॉक्टोरल कोर्सेज – यह मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डॉक्टोरल डिग्री या पीएचडी (डॉक्टर ऑफ़ फिलोसोफी की डिग्री) प्राप्त करने के लिए एक 3 वर्ष की अवधि का कोर्स है. यह कोर्स करने के लिए छात्रों के पास किसी उपयुक्त विषय में पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए.

सबसे लोकप्रिय उप-विषय

मैकेनिकल इंजीनियरिंग की फील्ड में कई स्पेशलाइजेशन्स होते हैं और छात्र बैचलर डिग्री प्राप्त करने के बाद हायर डिग्रीज प्राप्त करने के लिए इन उप-विषयों में से किसी एक में स्पेशलाइजेशन हेतु अपनी स्टडीज जारी रख सकते हैं. इस फील्ड के कुछ सबसे लोकप्रिय स्पेशलाइजेशन्स निम्नलिखित हैं:

  • मेकाट्रोनिक्स एंड रोबोटिक्स – यह फील्ड कई विषयों जैसे रोबोटिक्स, आर्टिफीशल इंटेलिजेंस, कंप्यूटर साइंस, न्यूरोसाइंस, साइकोलॉजी और कई अन्य विषयों से संबद्ध है. रोबोटिक्स में स्पेशलाइजेशन करने वाले छात्रों के लिए कई बेहतरीन करियर ऑप्शन्स मौजूद हैं. वे विभिन्न इंडस्ट्रीज जैसेकि, मैन्युफैक्चरिंग, हेल्थकेयर, ट्रांसपोर्टेशन, एंट्री एवं अन्य संबद्ध इंडस्ट्रीज में काम कर सकते हैं.
  • थर्मोडाईनॅमिक्स एंड थर्मो-साइंस – यह फील्ड हीट ट्रांसफर और थर्मोडाईनॅमिक्स के फंडामेंटल प्रिंसिपल्स के साथ ही एडवांस्ड इंजीनियरिंग सिस्टम्स में उनके एप्लीकेशन और डिजाइनिंग से संबद्ध है.
  • नैनोटेक्नोलाजी – इस फील्ड में बहुत ज्यादा छोटे पैमाने पर टेक्नोलॉजी की स्टडी और डेवलपमेंट शामिल हैं. इस फील्ड में स्पेशलाइजेशन करने वाले छात्रों को केमिस्ट्री, इंजीनियरिंग, बायोलॉजी आदि की फ़ील्ड्स में करियर के कई अवसर मिलते हैं.
  • फ्लूइड मैकेनिक्स – रॉकेट इंजन्स, एयर-कंडीशनिंग, आयल पाइपलाइन्स, विंड टरबाइन्स आदि की डिजाइनिंग और समझ रखने के लिए फ्लूइड मैकेनिक्स में स्पेशलाइजेशन करना बहुत आवश्यक है. ओशन करंट्स, टेक्टोनिक प्लेट्स और अन्य संबद्ध टॉपिक्स को एनालाइज करने के लिए भी इस फील्ड का बहुत महत्व है.
  • सॉलिड मैकेनिक्स – सॉलिड मैकेनिक्स में स्पेशलाइजेशन के तहत बिहेवियर, मोशन, डिफोरमेशन और एक्सटर्नल इन्फ्लुएंसेज के अनुसार सॉलिड मेटीरियल्स की स्टडी शामिल है. इस फील्ड में एक्सपरटाइज प्राप्त करने के बाद आपके पास मैन्युफैक्चरिंग, सिविल इंजीनियरिंग, एयरोस्पेस इंजीनियरिंग और न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी में इंजीनियरिंग करियर शुरू करने के ढेरों अवसर मौजूद हैं. 

मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मुख्य विषय

मैकेनिकल इंजीनियरिंग में शामिल कुछ मुख्य विषय निम्नलिखित हैं:

• कम्प्यूटेशनल फ्लुइड डायनेमिक्स एंड हीट ट्रांसफर

• कंप्यूटर एडेड डिजाइन ऑफ़ थर्मल सिस्टम

• फंडामेंटल्स ऑफ़ कास्टिंग एंड सॉलिडीफिकेशन

• इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग एंड ऑपरेशन रिसर्च

• मॉडलिंग ऑफ़ टरबूलेंट कम्बस्शन

• प्रिंसिपल ऑफ़ वाइब्रेशन कंट्रोल

• रेलरोड व्हीकल डायनामिक्स

• रोबोट मैनिपुलेटर्स डायनामिक्स एंड कंट्रोल

• ट्रांजीशन एंड टर्बुलेंस

• वेव प्रोपेगेशन इन सोलिड्स

एडमिशन प्रोसेस

मैकेनिकल इंजीनियरिंग कोर इंजीनियरिंग विषयों में सबसे ज्यादा पसंदीदा कोर्सेज में से एक है. छात्र विभिन्न लेवल्स जैसेकि डिप्लोमा, अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट, डॉक्टोरल के तहत मैकेनिकल इंजीनियरिंग में कोई कोर्स कर सकते हैं. लेकिन, उक्त कोर्सेज में से हरेक कोर्स के लिए पहले से जरूरी कुछ एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया हैं और छात्रों के पास अवश्य ये योग्यतायें होनी चाहियें. इसलिये, मैकेनिकल इंजीनियरिंग में विभिन्न कोर्सेज के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया निम्नलिखित है: 

मैकेनिकल इंजीनियरिंग में विभिन्न कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया

  • डिप्लोमा कोर्सेज – छात्र ने किसी मान्यताप्राप्त शिक्षा बोर्ड से 10 वीं क्लास का एग्जाम पास किया हो.छात्र ने फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स आदि मुख्य विषयों के साथ 12 वीं क्लास पास की हो.
  • अंडरग्रेजुएट कोर्सेज – यूजी प्रोग्राम में एडमिशन लेने के लिए छात्र को उपयुक्त एंट्रेंस एग्जाम्स देने होते हैं. इसके अलावा, छात्र ने फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स आदि मुख्य विषयों के साथ 12 वीं क्लास पास की हो.
  • पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज – पीजी प्रोग्राम्स में एडमिशन लेने के लिए भी छात्र को उपयुक्त एंट्रेंस एग्जाम्स पास करने होते हैं. छात्र के पास किसी मान्यताप्राप्त यूनिवर्सिटी से संबद्ध विषय में अंडरग्रेजुएट की डिग्री भी होनी चाहिए.
  • डॉक्टोरल कोर्सेज – डॉक्टोरल प्रोग्राम में एडमिशन लेने के लिए, छात्र के पास किसी मान्यताप्राप्त यूनिवर्सिटी से किसी संबद्ध विषय में पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री अवश्य होनी चाहिए.

मैकेनिकल इंजीनियरिंग के लिए एंट्रेंस एग्जाम्स

इंजीनियरिंग के विभिन्न विषयों में एडमिशन लेने के लिए राष्ट्रीय, राज्य और यूनिवर्सिटी लेवल पर एंट्रेंस एग्जाम्स आयोजित किये जाते हैं. मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने के लिए छात्र निम्नलिखित लोकप्रिय एग्जाम्स दे सकते हैं:

• जॉयंट एंट्रेंस एग्जाम - मेन (जेईई मेन)

• जॉयंट एंट्रेंस एग्जाम - एडवांस्ड (जेईई एडवांस्ड)

• वीआईटी इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम (वीआईटीईईई)

• दी महाराष्ट्र कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (एमएचटीसीईटी)

• उत्तर प्रदेश राज्य एंट्रेंस एग्जाम (यूपीएसईई)

• बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस एडमिशन टेस्ट (बीआईटीएसएटी)

• वीआईटी यूनिवर्सिटी मास्टर’स एंट्रेंस एग्जाम (वीआईटीएमईई)

• ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग (गेट)

• बिड़ला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड साइंस हायर डिग्री एग्जाम (बीआईटीएस एचडी)

मैकेनिकल इंजीनियरिंग के लिए टॉप 10 इंस्टिट्यूट्स 

भारत में इंजीनियरिंग कोर्सेज करने के लिए सबसे बढ़िया कॉलेजों के तौर पर ‘इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजीज़’ अर्थात आईआईटी’ज माने जाते हैं. एनआईआरएफ रैंकिंग वर्ष 2018 के अनुसार, भारत में यूजीसी से मान्यताप्राप्त टॉप 10 इंजीनियरिंग कॉलेज निम्नलिखित हैं:

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी मद्रास, मद्रास

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी बॉम्बे, बॉम्बे

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी खड़गपुर, खड़गपुर

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी दिल्ली, दिल्ली

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी कानपुर, कानपुर

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी रुड़की, रुड़की

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी गुवाहाटी, गुवाहाटी

• अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई

• जादवपुर यूनिवर्सिटी, कोलकाता

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी हैदराबाद, हैदराबाद

मैकेनिकल इंजीनियर्स के लिए करियर प्रॉस्पेक्ट्स

मैकेनिकल इंजीनियरिंग में कई अन्य कार्यों के साथ ही मशीन्स की डिजाइनिंग और टेस्टिंग के विभिन्न पहलू शामिल हैं. इस जॉब में विभिन्न फ़ील्ड्स जैसेकि, थर्मल पॉवर प्लांट्स, न्यूक्लियर स्टेशन्स, इलेक्ट्रिसिटी जनरेशन आदि में लाइव प्रोजेक्ट्स की प्लानिंग और सुपरविज़न के कार्य आते हैं. इस फील्ड में रिन्यूएबल एनर्जी, ऑटोमोबाइल्स, क्वालिटी कंट्रोल, इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन आदि कुछ नई और ऐमर्जिंग फ़ील्ड्स हैं. इंजीनियरिंग में अंडरग्रेजुएट डिग्रीज प्राप्त करने के बाद छात्रों के लिए मैन्युफैक्चरिंग, प्रोडक्शन, सर्विसेज और डेवलपमेंट की विभिन्न फ़ील्ड्स में जॉब के काफी अच्छे अवसर मौजूद हैं. आजकल हम मशीन्स के युग में जी रहे हैं और जहां एक मशीन है, वहां एक मैकेनिकल इंजीनियर की जरूरत है. इसलिये, मैकेनिकल इंजीनियर्स के लिए कभी भी जॉब ऑप्शन्स की कमी नहीं हो सकती है.     

मैकेनिकल इंजीनियर्स के लिए लोकप्रिय जॉब प्रोफाइल्स

मैकेनिकल इंजीनियर्स अपने स्पेशलाइजेशन के आधार पर बहुत-सी इंडस्ट्रीज में काम कर सकते हैं. मैकेनिकल इंजीनियर्स के लिए कुछ पसंदीदा जॉब प्रोफाइल्स निम्नलिखित हैं: 

  • आर्किटेक्चरल एंड इंजीनियरिंग मैनेजर्स

आर्किटेक्चरल और इंजीनियरिंग मैनेजर्स आर्किटेक्चरल और इंजीनियरिंग कंपनियों में प्लानिंग, डायरेक्टिंग, मैनेजिंग और कोआर्डिनेटिंग एक्टिविटीज से संबद्ध कार्य करते हैं.

  • ड्राफ्टर्स

इस जॉब में इंजीनियर्स और आर्किटेक्ट्स द्वारा बनाये गये डिज़ाइन्स को टेक्निकल ड्राइंग में बदलने के लिए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करना शामिल है ताकि माइक्रोचिप्स और स्काईस्क्रेपर्स जैसी चीज़ों को डिज़ाइन करने में मदद मिल सके. कोई भी उम्मीदवार आर्किटेक्चर, सिविल, इंजीनियरिंग, मैकेनिकल एवं अन्य संबद्ध फ़ील्ड्स में स्पेशलाइजेशन कर सकता है.

  • मेटीरियल इंजीनियर्स

इस प्रोफाइल में नये मेटीरियल्स बनाने के लिए मेटल्स, सिरेमिक्स, प्लास्टिक, कंपोजिट्स, नैनोमेटीरियल्स और विभिन्न अन्य वस्तुओं की प्रॉपर्टीज और स्ट्रक्चर की स्टडी की जाती है. एक मेटीरियल इंजीनियर के तौर पर आप माइक्रोचिप्स से एयरक्राफ्ट्स विंग्स तक और गोल्फ क्लब्स से बायोमेडिकल डिवाइसेज आदि तक प्रोडक्ट्स की व्यापक रेंज तैयार करने के लिए इस्तेमाल होने वाले मेटीरियल्स की प्रोसेसिंग, टेस्टिंग और डेवलपिंग से संबद्ध कार्य भी करेंगे.  

  • मैकेनिकल इंजीनियरिंग टेकनीशियन्स

मैकेनिकल इंजीनियरिंग टेकनीशियन्स विभिन्न मैकेनिकल डिवाइसेज को डिज़ाइन करने, डेवलप करने, उनकी मैन्युफैक्चरिंग और टेस्टिंग में मैकेनिकल इंजीनियर्स की सहायता करते हैं. आपको रफ लेआउट्स बनाने, डाटा एनालाइसिंग और रिकॉर्डिंग, कैलकुलेशन्स करने, एस्टिमेट्स लगाने और प्रोजेक्ट्स के नतीजों की रिपोर्टिंग से संबद्ध कार्य करने होंगे. 

  • न्यूक्लियर इंजीनियर्स 

न्यूक्लियर इंजीनियर्स हमारे फायदे के लिए न्यूक्लियर एनर्जी और रेडिएशन का इस्तेमाल करने के लिए उपयोगी प्रोसेस और सिस्टम्स के रिसर्च और विकास कार्य करते हैं.

  • पेट्रोलियम इंजीनियर्स

एक पेट्रोलियम इंजीनियर के तौर पर आपको ऑयल डिपॉजिट्स से ऑयल और गैस निकालने के लिए विभिन्न मेथड्स को डिज़ाइन और डेवलप करने से संबद्ध कार्य करने होंगे.

  • फिजिसिस्ट्स एंड एस्ट्रोनोमर्स

फिजिसिस्ट्स एंड एस्ट्रोनोमर्स एनर्जी और मैटर के इंटरेक्शन के विभिन्न रूपों के तौर-तरीकों की स्टडी करते हैं. कुछ फिजिसिस्ट्स पार्टिकल एक्सेलरेटर्स, इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप्स, लेज़र्स आदि जैसे सोफिस्टिकेटेड इक्विपमेंट को डिज़ाइन करते हैं और उन के साथ एक्सपेरिमेंट्स भी करते हैं.

  • सेल्स इंजीनियर्स

सेल्स इंजीनियर्स विभिन्न बिजनेसेज को जटिल साइंटिफिक और टेक्नोलॉजिकल प्रोडक्ट्स बेचते हैं. एक सेल्स इंजीनियर के तौर पर आपको अपने प्रोडक्ट, इसके पार्ट्स और कार्यों की काफी अच्छी जानकारी होनी चाहिए. आपको प्रोडक्ट के कामकाज में शामिल वैज्ञानिक प्रक्रिया की अच्छी समझ भी होनी चाहिए.

लोकप्रिय रिक्रूटर्स

गवर्नमेंट और प्राइवेट सेक्टर्स में मैकेनिकल इंजीनियर्स को जॉब के बढ़िया अवसर ऑफर करने वाले कुछ लोकप्रिय रिक्रूटर्स के नाम नीचे दिए जा रहे हैं:

गवर्नमेंट सेक्टर

• भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (बीएचईएल)

• नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी)

• इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो)

• डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ)

• कोल इंडिया

• इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया (ईसीआईएल)

• हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल)

• स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल)

प्राइवेट सेक्टर

• टाटा मोटर्स

• बजाज ऑटो

• हीरो मोटोकॉर्प

• लेलैंड मोटर्स

• फोर्ड मोटर कंपनी

• होंडा मोटर कंपनी

• भाभा एटॉमिक रिसर्च सेटर (बीएआरसी)

Wednesday, February 17, 2021

इलेक्ट्रिकल इंजीनियर में करियर

इलेक्ट्रिकल इंजीनियर क्या होता है  

एक इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर वह होता है जो सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की डिजाइनिंग करने के साथ-साथ उनका विकास भी करता है। यहां बता दें कि इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर का किसी भी देश की टेक्नोलॉजी के विकास में काफी महत्वपूर्ण योगदान होता है क्योंकि वह विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बनाने के साथ-साथ उनका आविष्कार भी करता है। 

यहां आपको जानकारी के लिए यह भी बता दें कि एक इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर का काम काफी जिम्मेदारी वाला होता है और इसमें खतरा भी होता है इसलिए इस कार्य को काफी निपुणता के साथ किया जाता है। आज के समय में कोई भी काम बिजली के बिना नहीं हो सकता और इसके संचालन और नियंत्रण के लिए ही एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर की आवश्यकता होती है। अगर कोई उम्मीदवार इस फील्ड में अपना कैरियर बनाना चाहता है तो उसे इसके लिए डिप्लोमा या फिर डिग्री कोर्स करना होता है। 

इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कोर्स लिस्ट  

  • बीटेक इन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
  • बीई इन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
  • डिप्लोमा इन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग 

इलेक्ट्रिकल इंजीनियर बनाने के लिए योग्यता क्या होनी चाहिए  

  • कैंडिडेट ने किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से 10+2 पास की हो। 
  • छात्र ने 12वीं कक्षा में विज्ञान विषय गणित के साथ पास किया हो। ‌
  • 12वीं कक्षा में छात्र ने 60% अंक हासिल किए होना अनिवार्य है। ‌

इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कोर्स के लिए प्रवेश प्रक्रिया 

अगर कोई छात्र बारहवीं कक्षा के बाद इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के कोर्स में एडमिशन लेना चाहता है तो उसकी जानकारी के लिए हम बता दें कि हमारे देश भारत में ऐसे बहुत सारे कॉलेज और संस्थान हैं जहां पर वह इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर सकता है लेकिन किसी अच्छे सरकारी कॉलेज में दाखिले के लिए उसे प्रवेश परीक्षा को पास करना होता है।

हमारे देश में हर साल इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के लिए विभिन्न परीक्षाएं आयोजित करवाई जाती हैं जैसे- जेईई मेंस (JEE MAINS), डब्ल्यूबीजेईई (WBJEE), वीआईटीजेईई (VITJEE), एमएचटीसीईटी (MHTCET) इत्यादि। यहां एक बात आपको हम बता दें कि अगर आप प्रवेश परीक्षा में कामयाब नहीं हो पाते हैं तो फिर आपको किसी सरकारी संस्थान में दाखिला नहीं मिल सकेगा। लेकिन आपको इसके लिए निराश होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि देश में ऐसे दूसरे बहुत सारे कॉलेज हैं जहां पर आप बिना प्रवेश परीक्षा के भी इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कोर्स कर सकते हैं। लेकिन फिर भी हम आप को यही सलाह देंगे कि पहले आप यह कोशिश करें कि आप देश में आयोजित की जाने वाली इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग परीक्षा को पास करने की कोशिश अवश्य करें। 

भारत में टॉप 10 इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कॉलेजों  

अगर आप एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर बनना चाहते हैं और आपको यह नहीं पता है कि आप कौन कौन से कॉलेजों से इस कोर्स को कर सकते हैं तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जब आप इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के लिए होने वाली परीक्षा को पास कर लेंगे तो आपको भारत के विभिन्न कॉलेजों में पढ़ाई करने का अवसर मिलेगा जिनके नाम इस प्रकार से है-

  1. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी मुंबई (Indian Institute of Technology Mumbai)
  2. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी गुवाहाटी (Indian Institute of Technology Guwahati)
  3. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी दिल्ली (Indian Institute of Technology, Delhi)
  4. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कानपुर (Indian Institute of Technology, Kanpur)
  5. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी खड़कपुर (Indian Institute of Technology, Kharagpur)
  6. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी मद्रास (Indian Institute of Technology, Madras)
  7. नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (National Institute of Technology)
  8. मणिपाल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (Manipal Institute of Technology, Manipal)
  9. दिल्ली कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग दिल्ली (Delhi college of Engineering, Delhi)
  10. बिट्स पिलानी (BITS Pilani)

इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कोर्स फीस  

इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कोर्स के लिए छात्र को फीस का अनुमान उसी समय लगता है जिस समय उसका एडमिशन होता है क्योंकि प्रत्येक कॉलेज या संस्थान में अलग अलग फीस का प्रावधान है। अगर आप प्रवेश परीक्षा पास कर लेते हैं तो आपको किसी भी सरकारी कॉलेज में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने का मौका मिल जाता है जहां पर आप अपना कोर्स बहुत कम पैसों में कर लेते हैं लेकिन इसके अलावा ऐसे बहुत सारे निजी संस्थान भी हैं जहां पर उम्मीदवार को काफी अधिक फीस देनी पड़ जाती है। 

इसके साथ साथ हम यह भी बता दें कि अगर आप डिग्री कोर्स करेंगे तो उसके लिए आपको अधिक फीस का भुगतान करना पड़ता है और वही अगर आप डिप्लोमा कोर्स करेंगे तो वहां पर आपको कम फीस का भुगतान करना होता है। हालांकि इस कोर्स को करने के लिए उम्मीदवार को हर साल 50 हजार से लेकर 2 लाख रुपए तक का खर्च करना पड़ सकता है। ‌लेकिन किसी संस्थान में यह फीस कम हो सकती है और किसी में आपको इससे भी अधिक फीस देनी पड़ सकती है। 

इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कोर्स के बाद प्राइवेट सेक्टर में जॉब्स  

इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग एक ऐसी फील्ड है जहां पर उम्मीदवार को कभी भी नौकरी की कोई समस्या नहीं आती है क्योंकि देशभर में इनकी आवश्यकता भारी पैमाने पर रहती है। तो ऐसे में यदि कोई उम्मीदवार इलेक्ट्रिकल इंजीनियर बन जाता है तो उसको विभिन्न प्राइवेट सेक्टर में काम करने के अवसर आसानी से मिल जाते हैं जैसे विद्युत उत्पादन केंद्र, रेडियो, टेलीविजन, इलेक्ट्रिकल कंपनी इत्यादि। 

इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कोर्स के बाद गवर्नमेंट सेक्टर में जॉब्स 

जिस तरह से एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर को प्राइवेट विभागों में बहुत सारे नौकरी के अवसर आसानी से मिल जाते हैं ठीक उसी तरह से उसको सरकारी विभागों में भी जॉब करने के अवसर मिल जाते हैं। यहां बता दें कि हमारे देश में हर साल विभिन्न सरकारी विभागों में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की भर्ती के लिए काफी रिक्तियां निकलती हैं जहां पर वह आवेदन कर सकते हैं। इस प्रकार वो सरकारी बिजली विभाग, सरकारी दफ्तरों, कॉलेज, संस्थानों, अस्पतालों इत्यादि में काम कर सकते हैं।

इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के कार्य  

एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के कार्य बहुत सारे होते हैं जिसमें काफी जोखिम भी होता है और उसके साथ साथ बिजली के उन कार्यों को करते समय इलेक्ट्रिकल इंजीनियर को काफी सावधानियां भी बरतनी पड़ती हैं। निम्नलिखित हम आपको कुछ उन कार्यों के बारे में बता रहे हैं जो एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर करता है-

  • सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का परीक्षण और उनका रखरखाव। 
  • अगर किसी सिस्टम में किसी प्रकार का संशोधन करने की आवश्यकता है तो उसको ठीक करना। 
  • प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की खोज करना और हर तरह के छोटे या बड़े इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसिज को बनाना।
  • किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण में अगर कोई खराबी है तो उसको ठीक करने के साथ-साथ उसका नए वर्जन में अपडेट करना। 
  • देश के इलेक्ट्रॉनिक विभागों में बिजली से जुड़े हुए कार्य करना और वहां का सारा काम देखना।
  • इसके अलावा इलेक्ट्रिकल इंजीनियर कंप्यूटर टेक्नोलॉजी में भी होने वाली खराबी को भी ठीक करने का काम भी करते हैं। ‌

इलेक्ट्रिकल इंजीनियर का वेतन कितनी होती है  

जब एक उम्मीदवार सफलतापूर्वक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का कोर्स पूरा कर लेता है और उसके बाद वह इस इंडस्ट्री में जॉब करना चाहता है तो आपकी जानकारी के लिए हम बता दें कि उसको शुरुआत में ही 30 हजार रुपए से लेकर 40 हजार रुपए हर महीने की सैलरी मिल जाती है। लेकिन जैसे-जैसे इस क्षेत्र में उसका अनुभव बढ़ता है जाता है तो उसकी सैलरी भी बढ़ने लगती है। यहां आपको एक बात हम यह भी बता दें कि अगर कोई उम्मीदवार किसी दूसरी कंट्री में जाकर नौकरी करता है तो तब वहां पर उसे हर महीने लाखों रुपए का वेतनमान मिलता है। ‌

निष्कर्ष

दोस्तों यह था हमारा आज का आर्टिकल इलेक्ट्रिकल इंजीनियर (Electrical Engineer) कैसे बनें। इस लेख के माध्यम से हमने आपको यह जानकारी दी कि किस प्रकार से आप 12वीं के बाद electrical engineer बन सकते हैं। इसके साथ-साथ हमने आपको यह भी बताया कि भारत में कौन से टॉप इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कोर्स के कॉलेज हैं और इसके अलावा हमने आपको यह भी बताया कि इस कोर्स को करने के लिए आपको कितनी फीस देनी पड़ सकती है। 

इसके साथ-साथ हमने आपको यह जानकारी भी दी कि एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के क्या-क्या काम होते हैं एवं अन्य दूसरी जानकारियां भी हमने आपको दे दी है और हमें पूरी आशा है कि यह आर्टिकल आपके लिए काफी उपयोगी रहा होगा। इसलिए हमारी आप से रिक्वेस्ट है कि इस आर्टिकल को सोशल मीडिया पर के साथ भी शेयर करें जो 12वीं के बाद इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं। 

Tuesday, February 9, 2021

माइनिंग इंजीनियरिंग में करियर

भारत में खनिज पदार्थों की प्रचुरता को लेकर सभी वाकिफ हैं। कोयला उत्पादन में भारत दुनिया में जहां तीसरे स्थान पर है, वहीं लौह अयस्कों के उत्पादन में इसका स्थान चौथा है। बॉक्साइट रिजर्व के मामले में भी यह विश्व में सातवें पायदान पर है। यही वजह है कि यहां की माइनिंग इंडस्ट्री का देश की आर्थिक तरक्की में विशेष योगदान रहा है। हर साल यहां बड़ी तादाद में रोजगार के अवसर सृजित होते हैं। आप भी चाहें, तो माइनिंग इंजीनियरिंग के जरिये इस इंडस्ट्री का हिस्सा बन सकते हैं।

क्या है माइनिंग इंजीनियरिंग?

आज जिस तरह से अलग-अलग जरूरतों को पूरा करने के लिए खनिजों का इस्तेमाल हो रहा है, वह सब धरती से खनन करके ही निकाला जाता है। खनिजों के उत्खनन और उसे उपयोग लायक बनाने की पूरी प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं। वहीं, माइनिंग इंजीनियरिंग के तहत उन तकनीकों (मशीन, टूल्स, इंजन आदि) और तरीकों की पढ़ाई होती है, जिनसे धातुओं के अयस्क खनन के जरिए इकट्ठा किए जाते हैं। इसके अंतर्गत माइनिंग की संभावनाओं को चेक करना, उसका बजट तैयार करना, उससे होने वाले मुनाफे आदि का अंदाजा लगाना, क्षेत्र को माइनिंग के लिए विकसित करना, अयस्क से धातु का उत्पादन करना आदि शामिल है। एक माइनिंग इंजीनियर ही खदान की डिजाइन तैयार करने से लेकर, इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी के जरिए खदान से अयस्कों को सुरक्षित निकालने की पूरी प्रक्रिया को अंजाम देता है। ये कामगारों के साथ ही पूरा ऑपरेशन भी देखते हैं। माइनिंग इंजीनियर को निरंतर जियोलॉजिस्ट एवं मेटलर्जिकल इंजीनियर्स के संपर्क में रहना होता है, ताकि नए-नए खदानों की जानकारी मिल सके।

शैक्षिक योग्यता

आइआइटी खड़गपुर की रिसर्च स्कॉलर पारामा मुखोपाध्याय के अनुसार, माइनिंग इंजीनियरिंग के लिए स्टूडेंट्स को फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स के साथ 12वीं करना होगा। इसके बाद वे माइनिंग में बीटेक और एमटेक कर सकते हैं।

स्टूडेंट्स चाहें, तो 10वीं के बाद भी माइनिंग एवं माइन सर्वेइंग में तीन साल का डिप्लोमा कर सकते हैं। वहीं, जो स्टूडेंट्स आइआइटी एवं एनआइटी से कोर्स करने के इच्छुक हैं, वे जेईई की परीक्षा को क्वालिफाई कर ऐसा कर सकते हैं। बिटसैट एवं वीआइटीईईई अपनी अलग प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करती हैं। जो लड़कियां इस क्षेत्र में आना चाहती हैं, वे आइआइटी खड़गपुर, आइआइआटी, बीएचयू एवं आइएसएम, धनबाद से माइनिंग इंजीनियरिंग में बीटेक, एमटेक और पीएचडी कर सकती हैं। इनके अलावा, अन्ना यूनिवर्सिटी से भी पढ़ाई की जा सकती है।

संभावनाएं

देश के पब्लिक सेक्टर या सरकारी संस्थानों के साथ काम करने के अलावा, खाड़ी देशों, कुवैत, सऊदी अरब, कतर एवं ब्रिटेन में भी अच्छे मौके हैं। भारत में इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, आइपीसीएल, हिंदुस्तान जिंक, अडानी माइनिंग, कोल इंडिया जैसी कंपनियों में नियमित अवसर निकलते रहते हैं। इस फील्ड में युवाओं को शुरुआत में ही 6 से 8 लाख रुपये सालाना की आय हो सकती है।

प्रमुख संस्थान

आइआइटी, खड़ग़ुपर

www.iitkgp.ac.in

आइआइटी, बीएचयू

www.iitbhu.ac.in

आइआइटीआइएसएम, धनबाद

www.iitism.ac.in

आइआइटी, गुवाहाटी

http://www.iitg.ac.in

Saturday, February 6, 2021

ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में कैरियर

अगर आप इनोवेटिव और क्रिएटिव माइंडेड हैं, तो ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग का करियर अपना सकते हैं। इस फील्ड में शानदार पे-पैकेज के अलावा, जॉब की भरपूर संभावनाएं हैं। जानिए इस इनोवेटिव फील्ड में कैसे मिल सकती है आपको एंट्री..

भारतीयों की क्रय शक्ति और गाडि़यों की सेल्स बढ़ने से ऑटोमोबाइल सेक्टर तेजी से उभरती हुई इंडस्ट्री बन गया है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर ऑटो सेक्टर सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देता है। कहते हैं कि किसी भी ऑटो कंपनी में एक जॉब क्रिएट होने का मतलब है, तीन से पांच इनडायरेक्ट जॉब ऑप्शंस का खुलना। जिस तरह से मार्केट में देशी-विदेशी कंपनियों की नई इनोवेटिव कारें लॉन्च हो रही हैं, उसे देखते हुए ऑटोमोबाइल इंजीनियर्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। अगर आपको भी कार का पैशन है। मैकेनिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैथमेटिक्स में दिलचस्पी है, तो ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग के साथ करियर को रफ्तार दे सकते हैं।

ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग?

एक ऑटोमोबाइल इंजीनियर पर कई प्रकार की जिम्मेदारियां होती हैं। उन्हें कम लागत में बेहतरीन ऑटोमोबाइल डिजाइन करना होता है। इसलिए इंजीनियर्स को सिस्टम और मशीनों से संबंधित रिसर्च और डिजाइनिंग में काफी समय देना पड़ता है। पहले ड्रॉइंग और ब्लूप्रिंट तैयार किया जाता है। इसके बाद इंजीनियर्स उनमें फिजिकल और मैथमेटिकल प्रिंसिपल्स अप्लाई कर उसे डेवलप करते हैं। इस तरह ऑटोमोबाइल इंजीनियर्स प्लानिंग, रिसर्च वर्क के बाद एक फाइनल प्रोडक्ट तैयार करते हैं, जिसे मैन्युफैक्चरिंग के लिए भेजा जाता है। यहां भी उन्हें पूरी निगरानी रखनी होती है। व्हीकल बनने के बाद उसकी टेस्टिंग करना इनकी ही जवाबदेही होती है, जिससे कि मार्केट से कोई शिकायत न आए।

स्पेशलाइजेशन फायदेमंद

अगर कोई ऑटोमोबाइल इंजीनियर किसी खास एरिया में स्पेशलाइजेशन करता है, तो इससे उन्हें काफी फायदा होता है। मार्केट में उनकी एक अलग पहचान बनती है, जैसे-ऑटोमोबाइल इंजीनियर्स एग्जॉस्ट सिस्टम, इंजन और स्ट्रक्चरल डिजाइन में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं।

बेसिक स्किल्स

ऑटोमोबाइल इंजीनियर बनने के लिए आपके पास टेक्निकल के साथ-साथ फाइनेंशियल नॉलेज होना भी जरूरी है। आपको जॉब के कानूनी पहलुओं से अपडेट रहना होगा। इसके अलावा, इनोवेटिव सोच और स्ट्रॉन्ग कम्युनिकेशन स्किल आगे बढ़ने में मदद करेंगे। इस फील्ड में ड्यूटी ऑवर्स काफी लंबे होते हैं। इसलिए आपको प्रेशर और डेडलाइंस के तहत काम करना आना चाहिए।

एजुकेशनल क्वालिफिकेशन

केमिस्ट्री, मैथ्स, फिजिक्स में दिलचस्पी रखने वाले युवा ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में करियर बना सकते हैं। इसके लिए 10वीं के बाद डिप्लोमा भी किया जा सकता है या फिर आप ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग के कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। हां, बीई या बीटेक करने के लिए आपका मैथ्स, फिजिक्स, केमिस्ट्री, कंप्यूटर साइंस जैसे सब्जेक्ट्स के साथ 12वीं होना जरूरी है। आप ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में स्नातक के बाद ऑटोमोटिव्स या ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग में एमई या एमटेक भी कर सकते हैं। अगर विशेषज्ञता हासिल करनी हो, तो पीएचडी भी की जा सकती है। बीई या बीटेक में एंट्री के लिए आइआइटी, जेइइ, एआइइइइ, बिटसेट आदि अखिल भारतीय या राज्य स्तर की प्रवेश परीक्षाएं देनी होती हैं।

नौकरी की संभावनाएं

ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में विभिन्न प्रकार की संभावनाएं मौजूद हैं। कार बनाने वाली कंपनी से लेकर सर्विस स्टेशन, इंश्योरेंस कंपनीज, ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन में ऑटोमोबाइल इंजीनियर्स के लिए काफी मौके हैं। इसके अलावा, जिस तरह से सड़कों पर गाडि़यों की संख्या बढ़ रही है, उनकी मेंटिनेंस और सर्विसिंग करने वाले प्रोफेशनल्स की मांग में भी बढ़ोत्तरी हो रही है। आप ऑटोमोबाइल टेक्निशियन, कार या बाइक मैकेनिक्स, डीजल मैकेनिक्स के रूप में काम कर सकते हैं। आप किसी ऑटो कंपनी में सेल्स मैनेजर, ऑटोमोबाइल डिजाइंस पेन्ट स्पेशलिस्ट भी बन सकते हैं।

सैलरी पैकेज

एक ग्रेजुएट ऑटोमोबाइल इंजीनियर ट्रेनिंग के समय से ही कमाना शुरू कर देता है। कहने का मतलब यह कि ट्रेनिंग के दौरान कंपनियां उन्हें 15 से 30 हजार रुपये तक का स्टाइपेंड आसानी से दे देती हैं। अगर नौकरी कंफर्म हो गई, तो सैलरी खुद-ब-खुद बढ़ जाती है। वैसे, इंडिया में एक ऑटोमोबाइल इंजीनियर को सालाना 3 से 8 लाख रुपये मिल जाते हैं। सबसे ज्यादा सैलरी व्हीकल मैन्युफैक्चरर देते हैं। इसके बाद प्रोडक्ट डेवलपमेंट और इंजीनियरिंग फम्र्स भी उन्हें अच्छा पे-पैकेज ऑफर करती हैं। इस फील्ड में अच्छा खासा अनुभव होने के बाद एक ऑटोमोबाइल इंजीनियर 25 से 35 लाख रुपये सालाना आसानी से कमा सकते हैं।