Wednesday, January 20, 2021

टूल्स डिजाइनिंग में संवारे करियर

मैन्यूफैक्चरिंग इंजीनियरिंग का ही एक हिस्सा है टूल्स डिजाइनिंग। आज के औद्योगिक माहौल में टूल्स इंजीनियरों की काफी मांग है... उत्पाद का स्वरूप चाहे जैसा भी हों, उनके निर्माण के लिए टूल्स की आवश्यकता होती ही है। टूल्स ही मशीनरी का आधार होते हैं, जिनकी मदद से किसी प्रोडक्ट को मनचाहे रूप में ढाला जा सकता है। उत्पादों के बदलते स्वरूप के अनुसार नई-नई मशीनरी की जरूरत भी निरंतर बनी रहती है। यही कारण है कि वर्तमान औद्योगिक माहौल में टूल्स डिजाइनरों की मांग काफी है। विषय की रूपरेखा टूल्स एनालिसिस, प्लानिंग, डिजाइनिंग और डेवलपमेंट से संबंधित विभिन्न कार्य टूल्स डिजाइनिंग के तहत संपन्न किए जाते हैं। ऐसी डिजाइनिंग का मुख्य मकसद बेहतर टूल्स और मशीनों का निर्माण करके उत्पादकता को सुविधाजनक और गुणवत्तापूर्ण बनाना होता है। मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री की सफलता में टूल्स की बेहतरीन डिजाइनिंग की बेहद खास भूमिका होती है। पाठ्यक्रम और शैक्षणिक योग्यता पीजी डिप्लोमा इन टूल डिजाइन ऐंड सीएडी/सीएएम, मास्टर ऑफ सीएमएम ऐंड सीएनसी टेक्नोलॉजी, बीटेक इन टूल इंजीनियरिंग, मास्टर ऑफ सीएडी, डिप्लोमा इन टूल ऐंड डाई मेकिंग, सर्टिफिकेट कोर्स इन टर्नर/मिलर/फिल्टर, इंटीग्रेटेड कोर्स इन मॉड्यूल डिजाइन आदि इस क्षेत्र के खास पाठ्यक्रम हैं। पाठ्यक्रमों की प्रकृति के अनुसार उनकी अवधि 6 महीने से लेकर 4 वर्ष तक की हो सकती है। जिन विद्यार्थियों ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री अथवा डिप्लोमा किया हो, उनका इन कोर्सेज में नामांकन हो सकता है। इसके अलावा संबंधित स्ट्रीम में आईटीआई करने वाले विद्यार्थी भी एडमिशन के हकदार हैं। कई संस्थान, जैसे सीआईटीडी में विद्यार्थियों को एंट्रेस टेस्ट के माध्यम से दाखिला मिलता है। मौके कहां-कहां टूल्स डिजाइनिंग से संबंधित प्रोफेशनल्स की मांग टूल्स डिजाइन कंपनी, टूल्स मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी आदि में बनी रहती है। औद्योगिक ईकाइयां चाहे जिस भी प्रकृति की हों, टूल्स डिजाइनरों के लिए अवसर उपलब्ध होते हैं। दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ टूल इंजीनियरिंग, 

दिल्ली www.dite.delhigovt.nic.in एनटीटीएफ, बेंगलुरु www.nttftrg.com इंडो-जर्मन टूल रूम, औरंगाबाद www.igtr-aur.org सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ टूल डिजाइन, बेंगलुरु www.citdindia.org इंडियन मशीन टूल मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन, बेंगलुरु www.imtma.in

Friday, January 15, 2021

प्रदूषण और वायु प्रदूषण से बचाव के क्षेत्र में करियर

  • एयर क्वालिटी रिसर्च एनालिस्ट

ये पेशेवर देश के विभिन्न हिस्सों की एयर क्वालिटी की निगरानी करके अपना रिसर्च वर्क और सटीक रिपोर्ट्स तैयार करने जैसे महत्वपूर्ण कार्य करते हैं. रोज़ाना की एयर क्वालिटी रिपोर्ट्स के आधार पर ही केंद्र और राज्य सरकारों के साथ अन्य विभिन्न संबद्ध संगठन प्रदूषण के नियंत्रण के लिए सभी जरुरी कदम उठाने के लिए नीतियां बनाते और लागू करते हैं.

  • एनवायरनमेंट एक्सपर्ट

ये पेशेवर हमारी पृथ्वी के नेचुरल एनवायरनमेंट को कायम रखने के लिए इको-फ्रेंडली टेक्नोलॉजीज़ अपनाने के साथ पोल्यूशन कंट्रोल के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं.

  • एनवायरनमेंट इम्पैक्ट स्पेशलिस्ट

ये पेशेवर लोगों को एनवायरनमेंट के प्रति जागरूक करते हैं ताकि लोग अपने आस-पास फैलने वाले प्रदूषण को रोकने में सहयोग देकर एनवायरनमेंट के संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाएं. ये पेशेवर लोगों को प्रदूषण से होने वाले नुकसान और प्रदूषण को रोकने के कारगर तरीकों की जानकारी देते हैं.  

 

  • कंजरवेशनिस्ट

ये पेशेवर मुख्य रूप से वाटर/ सोल/ फ़ॉरेस्ट कंजर्वेशन और प्रिजर्वेशन के कार्य करते हैं और एनवायरनमेंट को सुरक्षित रखने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं.

  • व्हीकल एनर्जी एनालिस्ट

ये पेशेवर व्हीकल एनर्जी एनालिसिस के माध्यम से एयर पॉल्यूशन को कम करने के लिए स्मार्ट चार्जिंग जैसे ऑप्शन्स के लाभ बताते हैं.

  • इलेक्ट्रिक व्हीकल सॉफ्टवेयर डेवलपर

ये पेशेवर ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए इलेक्ट्रिकल व्हीकल सॉफ्टवेयर डिज़ाइन और डेवलप करते हैं ताकि व्हीकल्स के इन नए डिज़ाइन्स से व्हीकल पॉल्यूशन को कम किया जा सके.

  • एनवायरनमेंट इंजीनियर

ये पेशेवर एनवायरनमेंट को सुरक्षित रखने के लिए और प्रदूषण की समस्या के स्थाई समाधान के लिए इको-फ्रेंडली टेक्नीक्स विकसित करते हैं.

  • एनर्जी एंड सस्टेनेबिलिटी इंजीनियर/ मैनेजर

ये पेशेवर एनर्जी के नॉन-कन्वेंशनल तरीकों जैसेकि सोलर एनर्जी, विंड एनर्जी, बायो फ्यूल्स को बढ़ावा देने के लिए नई टेक्नोलॉजी को विकसित करने और इस्तेमाल करने से संबंधित कामकाज देखते हैं.

  • रिस्क मैनेजमेंट एक्सपर्ट

ये पेशेवर विभिन्न कंपनियों और दफ्तरों में रोज़ाना होने वाले काम-काज और प्रोडक्शन, डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़े रिस्क या खतरों से कंपनी और कर्मचारियों की रक्षा करते हैं.

  • प्रोडक्शन मैनेजर

इन पेशेवरों का प्रमुख काम विभिन्न उद्योगों में होने वाले प्रोडक्शन को इको-फ्रेंडली बनाना है ताकि हमारा एनवायरनमेंट सुरक्षित रहे.

 

प्रदूषण और वायु प्रदूषण से बचाव: प्रमुख एजुकेशनल कोर्सेज और एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया

भारत में स्टूडेंट्स के लिए ग्रीन सेक्टर या एनवायरनमेंट की फील्ड से संबंधित विभिन्न एजुकेशनल कोर्सेज और एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया निम्नलिखित हैं:

  • बीएससी/ बीई/ बीटेक– एनवायरनमेंटल साइंस -  स्टूडेंट्स ने किसी मान्यताप्राप्त एजुकेशनल बोर्ड से अपनी 12वीं क्लास साइंस स्ट्रीम में पास की हो. इन कोर्सेज की अवधि 3 वर्ष है. इसी तरह, इस फील्ड में सर्टिफिकेट कोर्सेज की अवधि 6 महीने से 1 वर्ष तक हो सकती है.
  • बीई/ बीटेक– एनवायरनमेंट इंजीनियरिंग - स्टूडेंट्स ने किसी मान्यताप्राप्त एजुकेशनल बोर्ड से अपनी 12वीं क्लास साइंस स्ट्रीम में पास की हो. इन कोर्सेज की अवधि 4 वर्ष है.
  • एमएससी/ एमई/ एमटेक– एनवायरनमेंटल साइंस – स्टूडेंट्स ने किसी मान्यताप्राप्त कॉलेज या यूनिवर्सिटी से साइंस स्ट्रीम में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की हो. इन कोर्सेज की अवधि 2 वर्ष है.
  • एमई/ एमटेक– एनवायरनमेंटल - स्टूडेंट्स ने किसी मान्यताप्राप्त कॉलेज या यूनिवर्सिटी से साइंस स्ट्रीम में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की हो. इन कोर्सेज की अवधि 2 वर्ष है.
  • एमफिल– एनवायरनमेंटल साइंस –स्टूडेंट्स के पास किसी मान्यताप्राप्त यूनिवर्सिटी या कॉलेज से साइंस की स्ट्रीम में पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री हो. इस कोर्स की अवधि 2 वर्ष है.
  • पीएचडी– एनवायरनमेंटल साइंस –स्टूडेंट्स के पास एमफिल की डिग्री हो और इस कोर्स की अवधि 3 – 5 वर्ष है.

 

भारत के ये टॉप एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स करवाते हैं विभिन्न कोर्सेज

आप निम्नलिखित एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स से एनवायरनमेंट की फील्ड से संबंधित विभिन्न डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्सेज कर सकते हैं:

  • दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली
  • इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
  • जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
  • टेरी स्कूल ऑफ़ एडवांस्ड स्टडीज़, नई दिल्ली
  • चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी, मेरठ
  • इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंसेज, बैंगलोर
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, मुंबई/ खड़गपुर
  • वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया, उत्तरांचल
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट, लखनऊ/ मुंबई/ खड़गपुर/ दिल्ली/ रुड़की/ कलकत्ता/ बैंगलोर

पर्यावरण प्रदूषण से बचाव और सुरक्षा: सैलरी पैकेज

भारत में इस फील्ड में किसी फ्रेशर को अपने करियर की शुरुआत में इस फील्ड में एवरेज 3-4 लाख रुपये सालाना मिलते हैं और कुछ वर्षों के अनुभव के बाद ये पेशेवर एवरेज 6-8 लाख रुपये सालाना तक कमा सकते हैं. ग्रीन सेक्टर से संबंधित MBA प्रोफेशनल्स को शुरू में ही किसी बड़े कॉर्पोरेट हाउस या MNC में एवरेज 8-10 लाख सालाना का सैलरी पैकेज मिल जाता है. यहां बड़ी नेशनल और इंटरनेशनल कंपनियों के साथ ही विभिन्न इंस्टीट्यूशन्स में इन पेशेवरों को अपने टैलेंट और एजुकेशनल स्किल्स के मुताबिक बेहतरीन सैलरी पैकेज मिलता है