Monday, June 28, 2021

ऑफथल्मिक टेक्निशन बनकर कमाएं लाखों

 एक ऑफथल्मिक असिस्टेंट का काम आंखों की जांच के साथ-साथ ट्रीटमेंट व बचाव का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा क्लिनिकल डेटा इकट्ठा करना, मरीज के रिकॉर्ड को संभालने का जिम्मा भी असिस्टेंट का होता है। इसके तहत कई तरह के आंखों से संबंधित क्लिनिकल फंक्शन किए जाते हैं। ऑफथल्मिक असिस्टेंट, आंखों के डॉक्टर को मरीज की हिस्ट्री, विभिन्न तरह की टेक्निकल जांच करने में मदद करता है।

  • संभावनाएं
दुनिया की आबादी तेजी से बढ़ रही है। जिस तेजी से आबादी बढ़ रही है, उसी हिसाब से लोगों में स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं भी पैदा हो रही हैं। साथ ही नई टेक्नॉलजी ने भी लोगों में आंख से जुड़ीं समस्याएं पैदा की हैं। मौजूदा समय में लोगों का स्क्रीन से ज्यादा वास्ता पड़ता है जिससे आंख में दिक्कत होती है।

क्या होनी चाहिए योग्यता
ऑफथल्मिक टेक्निशन बनने के लिए आपको डिग्री या डिप्लोमा कोर्स करना जरूरी है। डिप्लोमा कोर्स 2 साल का होता है। इस कोर्स को करने के लिए अभ्यर्थी को कम से कम 12वीं पास होना चाहिए और उसने फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायॉलजी जैसे विषयों को पढ़ा हो। दरअसल, साइंस के स्टूडेंट्स के लिए यह फील्ड बहुत मुफीद है।

इस फील्ड में कांट्रैक्ट और रिफ्रैक्टिव सर्जरी, ग्लूकोमा ट्रीटमेंट, मेडिकल रेटिना ऑपथैलमॉलजी और न्यूरो ऑपथैमॉलजी जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इस कोर्स के तहत ऑक्यूलर फार्माकॉलजी, केराटोमेटरी, आई मसल्स, रेफ्राक्टोमेटरी, विजुअल एक्युटी वगैरह पढ़ाया जाता है। डिप्लोमा इन ऑफथलमॉलजी दो वर्ष का कोर्स है। पहले सेमिस्टर में एक वर्ष तक थिअरी और प्रैक्टिकल कराया जाता है, फिर 6 महीने तक मोबाइल यूनिट के जरिए प्रशिक्षण दिया जाता है और अगले 6 महीने प्राइमरी हेल्थ क्लिनिक में प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें 17 से 35 वर्ष तक की उम्र के अभ्यार्थी ऐडमिशन ले सकते हैं।

कोर्स डीटेल्स
इस फील्ड में डिप्लोमा, बैचलर, मास्टर और डॉक्टोरल कोर्स कर सकते हैं जिसकी डीटेल नीचे दी गई है।

डिप्लोमा कोर्सेज
* ऑफथलमॉलजी में डिप्लोमा
* ऑफथलमिक टेक्नॉलजी में डिप्लोमा

बैचलर कोर्स
* एमबीबीएस (बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी)

मास्टर कोर्स
* ऑफथलमॉलजी सर्जरी में मास्टर
* ऑफथलमॉलजी मेडिसिन में डॉक्टर
* ऑफथलमॉलजी में पोस्टग्रैजुएट डिप्लोमा
* क्लिनिकल ऑफथलमॉलजी में पोस्टग्रैजुएट सर्टिफिकेट प्रोग्राम

डॉक्टोरल कोर्स
* मास्टर ऑफ फिलॉसफी इन ऑफथलमॉलजी
* डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी प्रोग्राम इन ऑफथलमॉलजी

प्रमुख संस्थान
* ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली
* शिवालिक इंस्टिट्यूट ऑफ पैरामेडिकल टेक्नॉलजी, चंडीगढ़
* पैरामेडिकल कॉलेज, दुर्गापुर
* भारतीय विद्यापीठ डीम्ड यूनिवर्सिटी मेडिकल कालेज, पुणे
* अमृता स्कूल ऑफ मेडिसिन, कोयंबटूर
* आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज, पुणे
* क्रिस्चन मेडिकल कॉलेज, वेल्लुरु
* डीवाई पाटिल मेडिकल कॉलेज, नवी मुंबई
* इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट
* भारती विद्यापीठ कॉमन एंट्रेंस टेस्ट

जॉब प्रोफाइल
* ऑफथलमॉलजिस्ट
* ऑफथलमॉलजी सर्जन
* प्रफेसर/लेक्चरर
* ईएनटी स्पेशलिस्ट
* क्लिनिकल असिस्टेंट
* मेडिकल कंसल्टेंट

रिक्रूटर
* एसआईएमएस हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड
* श्री गणेश विनायक आई हॉस्पिटल, देहरादून
* वायलटरेज, बेंगलुरु
* चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय
* फॉर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड
* ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, जोधपुर

सैलरी
इस फील्ड में भारत में औसत 9 लाख रुपये सालाना का पैकेज मिलता है। जितना अनुभव होता है, उतनी ज्यादा कमाई होती है।

Saturday, June 26, 2021

मेडिकल में करियर

मेडिसिन में कोर्सेज और उन कोर्सेज की अवधि

आमतौर पर स्टूडेंट्स 10+2 क्लास पास करने के बाद कोर मेडिकल कोर्सेज में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं. यहां उन कोर्सेज की लिस्ट दी जा रही है जो मेडिकल डिग्री प्राप्त करने के लिए स्टूडेंट्स चुन सकते हैं ताकि उनके शानदार करियर का निर्माण हो सके:  

अंडरग्रेजुएट कोर्सेज

मेडिसिन में अंडरग्रेजुएट कोर्स पूरा करने के बाद, मेडिकल डिग्री प्राप्त करने के इच्छुक छात्र को ‘एमबीबीएस डॉक्टर’ का शानदार टाइटल मिल जाता है. एमबीबीएस बैचलर ऑफ़ मेडिसिन का संक्षिप्त रूप है. एमबीबीएस कोर्स की अवधि 5 वर्ष की होती है जिसमें डिग्री प्रोग्राम पूरा करने के लिए 6 माह की ट्रेनिंग भी शामिल है.

पोस्टग्रेजुएट कोर्सेज

मेडिसिन की फील्ड में पोस्ट ग्रेजुएशन को एमडी (डॉक्टर ऑफ़ मेडिसिन) के तौर पर जाना जाता है. यह मेडिसिन की फील्ड में सुपर-स्पेशलाइजेशन है और इस कोर्स की अवधि 3 वर्ष की है.

डॉक्टोरल कोर्सेज

एमडी की डिग्री प्राप्त करने के बाद, डीएम बनने के लिए छात्र हायर स्टडीज जारी रख सकते हैं. डीएम की डिग्री पीएचडी की डिग्री के समकक्ष है. डॉक्टोरल कोर्स की अवधि 3-4 वर्ष की है. यह अवधि यूनिवर्सिटी गाइडलाइन्स के अनुसार थीसिस पूरी करने के लिए लगने वाले समय पर भी निर्भर करती है.

मेडिकल कॉलेजेस में एडमिशन कैसे लें?

किसी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन प्राप्त करने के लिए पक्के इरादे और कड़ी मेहनत की जरूरत होती है. इस प्रोफेशन के लिए आपमें न केवल प्रोफेशनल कमिटमेंट ही होनी चाहिए बल्कि, किसी रोगी का जीवन बचाने का जज्बा भी होना चाहिए. इसलिये, यह डिग्री प्राप्त करने के लिए आपको एडमिशन प्रोसेस को पूरी तरह फ़ॉलो करना चाहिए. अब हम मेडिकल कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए आवश्यक एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया और एंट्रेंस एग्जाम्स की चर्चा करते हैं. 

एलिजिबिलिटी

अंडरग्रेजुएट कोर्स

इस अंडरग्रेजुएट कोर्स को एमबीबीएस (बैचलर ऑफ़ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ़ सर्जरी) के नाम से जाना जाता है. 10+2 क्लास में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी पढ़ने वाले छात्र, जिन्हें 12 वीं क्लास में कम से कम 55% मार्क्स प्राप्त हुए हैं, एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन लेने के लिए एंट्रेंस एग्जाम देने के लिए अप्लाई कर सकते हैं.

पोस्टग्रेजुएट कोर्स

एमडी (डॉक्टर ऑफ़ मेडिसिन) की डिग्री प्राप्त करने के लिए, छात्र के पास एमबीबीएस की डिग्री और इंटर्नशिप का अनुभव अवश्य होना चाहिए.

डॉक्टोरल कोर्स

डीएम: यह एक डॉक्टरेट डिग्री है जो यूएस की कई यूनिवर्सिटीज सफल छात्रों को प्रदान करती हैं. यह डिग्री पीएचडी के समकक्ष डिग्री है. जिन डॉक्टर्स के पास एमडी की डिग्री होती है, वे यह कोर्स कर सकते हैं.

सैलरी प्रॉस्पेक्ट्स

किसी एमबीबीएस डॉक्टर को अपने करियर की शुरुआत में लगभग 3-4 लाख सैलरी मिलती है. जैसे-जैसे उनका अनुभव और नॉलेज बढ़ते जाते हैं, डॉक्टर्स की सैलरी भी बढ़ती जाती है. कुछ वर्षों के अनुभव के बाद डॉक्टर्स को काफी बढ़िया सैलरी पैकेज मिलते हैं.

एंट्रेंस एग्जाम्स

अंडरग्रेजुएट एग्जाम्स

• एमबीबीए

• एआईपीएमटी (ऑल इंडिया प्री-मेडिकल/ प्री-डेंटल टेस्ट)

• एम्स (ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंट्रेंस टेस्ट)

• जेआईपीएमईआर (जवाहर लाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च) मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट

• क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम

• बनारस हिंदू विश्वविद्यालय प्री-मेडिकल टेस्ट (बीएचयू-पीएमटी)

• अंडरग्रेजुएट स्टडीज के लिए मणिपाल विश्वविद्यालय एडमिशन टेस्ट  

पोस्टग्रेजुएट एग्जाम्स

• एआईपीजीईई (ऑल इंडिया पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम)

• डीयूपीजीएमटी (दिल्ली यूनिवर्सिटी पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम)

डॉक्टोरल कोर्स एग्जाम

• एनईईटी - एसएस

• जेआईपीएमईआर डीएम

मेडिसिन में एमबीबीएस क्या है?

मेडिकल साइंस के क्षेत्र में एमबीबीएस अंडरग्रेजुएट डिग्री या फर्स्ट प्रोफेशनल डिग्री है. एमबीबीएस कोर्सेज का लक्ष्य छात्रों को मेडिसिन की फील्ड में ट्रेंड करना है. एमबीबीएस पूरी होने पर, कोई व्यक्ति पेशेंट्स के रोगों को डायग्नोस करने के बाद उन्हें मेडिसिन्स प्रिस्क्राइब करने के योग्य बन जाता है. एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त करने के बाद व्यक्ति अपने नाम के आगे ‘डॉक्टर’ शब्द जोड़ सकता/ सकती है.

मेडिसिन कोर्स की विभिन्न स्ट्रीम्स

मेडिसिन में स्पेशलाइजेशन करने वाले छात्र, 5 वर्ष के इस कोर्स के दौरान, विभिन्न फ़ील्ड्स के बारे में नॉलेज प्राप्त करते हैं. कुछ स्पेशलाइजेशन्स के बारे में जानकारी निम्नलिखित है:

ह्यूमन एनाटोमी

यह मेडिसिन के तहत पढ़ाया जाने वाला एक बेसिक सब्जेक्ट है. यह एनाटोमी विषय से संबंधित है जिसके तहत मानव शरीर की मैक्रोस्कोपिक और माइक्रोस्कोपिक एनाटोमी शामिल है.

बायोकेमिस्ट्री

मेडिसिन की यह ब्रांच मानव शरीर के अंदर होने वाली केमिकल प्रोसेस से संबद्ध है. इसके साथ ही यह मानव अंगों पर केमिकल प्रोसेसेस के प्रभाव को समझने पर फोकस करती है.

ऑर्थोपेडिक्स

यह स्पेशलाइजेशन आपके शरीर के हाड-पिंजर या मस्क्यूलोस्केलेटल सिस्टम की बीमारियों और जख्मों से संबंधित है. एमबीबीएस करने वाले छात्र बाद में इस विषय में एमडी भी कर सकते हैं.

रेडियोथेरेपी

इस विषय का फोकस एरिया एक्स-रेज़, गामा रेज़, इलेक्ट्रान बीम्स या प्रोटोन्स के बारे में जानकारी देना है ताकि मानव शरीर में कैंसर सेल्स जैसे विकारों को कम या समाप्त किया जा सके.

ऑपथैल्मोलॉजी

इस सब्जेक्ट में आप आंख की रचना और उसके काम करने के तरीकों के बारे में पढ़ते हैं. इस विषय में आंखों की विभिन्न बीमारियों और उनके इलाज के बारे में भी काफी जानकारी दी जाती है.

अनेस्थेसियोलॉजी

अनेस्थेसियोलॉजी विषय में आपको चेतना के साथ या चेतना के बिना अर्थात होश में या बेहोश करके, पूरे शरीर या शरीर के किसी अंग में दर्द महसूस होने या न होने के बारे में जानकारी दी जाती है ताकि पेशेंट्स के मेजर/ माइनर ऑपरेशन्स किये जा सकें. इसलिए, इस विषय को आपको बड़े ध्यान से पढ़ना होगा.

ह्यूमन फिजियोलॉजी

ह्यूमन फिजियोलॉजी विषय मनुष्यों पर मैकेनिकल, फिजिकल, बायोइलेक्ट्रिकल या बायोकेमिकल फंक्शन्स के प्रभाव के बारे में जानकारी देता है. 

मेडिसिन ग्रेजुएट्स को अन्य कई विषय पढ़ाए जाते हैं. एमडी जैसी हायर स्टडीज में छात्र इनमें से किसी एक विषय में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं.

एमबीबीएस (मेडिसिन) डिग्री का स्कोप

चाहे वह कोई प्राइवेट या गवर्नमेंट सेक्टर हो, किसी भी एमबीबीएस डॉक्टर का विशेष महत्व होता है. बहुत बढ़िया सैलरी पैकेज मिलने के साथ ही डॉक्टर्स को अपने स्किल्स की वजह से सम्मान और विशेष पहचान मिलती है. भारत में निरंतर विकास हो रहा है और हेल्थ केयर फैसिलिटीज की तरफ खास ध्यान दिया जा रहा है. देश भर में हेलिकॉप्टर्स के जरिये दी जाने वाली ‘एयर डिस्पेंसरी’ जैसी सर्विसेज, गांव के लोगों की हेल्थ में सुधार लाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर टीकाकरण प्रोग्राम्स, नेशनल न्यूट्रीशन मिशन (एनएनएम) और अन्य कई विकास कार्यों ने ऐसे डॉक्टर्स का महत्व काफी बढ़ा दिया है जो हॉस्पिटल की चारदीवारी से बाहर निकलकर काम करना चाहते हैं.

इसलिये यहां उन इंडस्ट्रीज और फ़ील्ड्स की लिस्ट पेश है जिसमें कोई मेडिसिन डॉक्टर अपनी रूचि के अनुसार काम कर सकता/ सकती है.

हॉस्पिटल्स

ये वे स्थान होते हैं जहां पर सभी बीमार लोग अपने रोगों और तकलीफों का इलाज करवाने के लिए डॉक्टर्स के पास आते हैं.

फार्मास्यूटिकल और मेडिकल कंपनी

रिसर्चर्स और विशेष रूप से मेडिसिन डॉक्टर्स मेडिकल कंपनियों में आपना शानदार करियर बना सकते हैं. आजकल सिप्ला, रन्बेक्सी, ग्लेक्सो स्मिथ क्लिन जैसी मशहूर और अन्य कई कंपनियां बीमारियों को रोकने या बीमारियों से बचने के लिए मेडिसिन इन्वेंट करने के लिए लाखों डॉलर्स इंवेस्ट करती हैं.

मेडिकल कॉलेजेस

मेडिसिन डॉक्टर्स टीचिंग में भी अपना करियर बना सकते हैं. इससे उन्हें उभरते हुए डॉक्टर्स के साथ अपने ज्ञान को साझा करने के काफी अच्छे अवसर मिलते हैं.

बायोटेक्नोलॉजी कंपनीज 

बायोटेक्नोलॉजी आजकल का खास ट्रेंड है जिसके तहत मेडिसिन डॉक्टर्स की मांग काफी बढ़ती जा रही है. किसी भी एक्सपेरिमेंट के सही फ़ॉर्मूले का पता लगाने के लिए और रिसर्च कार्यों में सफलता प्राप्त करने के लिए मेडिसिन डॉक्टर्स का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है. 

प्राइवेट प्रैक्टिस

मेडिसिन की फील्ड में कई वर्षों के अनुभव के बाद, कोई डॉक्टर अपना प्राइवेट क्लिनिक भी खोल सकता/ सकती है. आमतौर पर सही इलाज मिलने पर लोग अपना डॉक्टर बदलना पसंद नहीं करते हैं और लगातार एक ही डॉक्टर के पास जाते हैं. इसलिये, अच्छे डॉक्टर्स के क्लिनिक में पेशेंट्स की काफी भीड़ लगी रहती है.

एक मेडिसिन डॉक्टर क्या करता है?

एमबीबीएस करने के इच्छुक छात्र, जिन्हें मेडिसिन की फील्ड में महारत हासिल होती है, फिजिशियन्स के तौर पर जाने जाते हैं. फिजिशियन्स का काम रोग के कारण का पता लगाना है. इसके बाद, वे रोगी को ट्रीटमेंट कोर्स या उपयुक्त मेडिसिन प्रिस्क्राइब करते हैं. वे क्लिनिकल टेस्ट्स के रिजल्ट्स की जांच करने में एक्सपर्ट होते हैं.

मेडिसिन की फील्ड में डॉक्टर बनने के लिए, किसी भी व्यक्ति के लिए यह बहुत जरुरी है कि वह अन्य लोगों की भावनाओं को हैंडल करने और मैनेज करने के लिए जिम्मेदार रवैया अवश्य अपनाए. उनका आईक्यू और ईक्यू हाई होता है. डॉक्टर्स के लिए यह जरुरी है कि वे पेशेंट्स का इलाज करते समय पोलाइट रहें और धीरज रखें.

मेडिकल प्रोफेशनल्स के लिए करियर प्रॉस्पेक्ट्स

मेडिकल डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए मेडिकल प्रोफेशन काफी अच्छी करियर ग्रोथ ऑफर करता है. हेल्थकेयर प्रैक्टिशनर्स के लिए मेडिकल फील्ड में रोज़गार के काफी अवसर मौजूद होते हैं. अब हम विभिन्न जॉब प्रोफाइल्स और उनसे संबद्ध सैलरी पैकेजेज की चर्चा करते हैं:

जॉब प्रोफाइल्स

• जूनियर डॉक्टर

• डॉक्टर्स

• फिजिशियन

• जूनियर सर्जन्स

• मेडिकल प्रोफेसर या लेक्चरर

• रिसर्चर

• साइंटिस्ट

भारत में टॉप मेडिकल कॉलेजेज

हेल्थकेयर हमारी अर्थव्यवस्था की समृद्धि और विकास के लिए लाइफलाइन बन चुका है. इस विकास को जारी रखने के लिए, मेडिसिन की फील्ड में आने वाली चुनौतियों का सामना करने और उनका समाधान तलाशने के लिए तत्पर अति कुशल डॉक्टर्स को तैयार करने में मेडिकल कॉलेज/ इंस्टिट्यूट्स बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

यहां टॉप 10 मेडिकल कॉलेजेज की लिस्ट दी जा रही है जहां से आप मेडिसिन में अपने रूचि के अनुसार कोई स्पेशलाइजेशन कोर्स कर सकते हैं. यह लिस्ट एनआईआरएफ रैंकिंग से तैयार की गई है जिसे मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा जारी किया गया है और यह लिस्ट भारत के कॉलेजों के लिए एक विशेष मानक के तौर पर मानी जाती है.

क्रम संख्या

इंस्टिट्यूट

लोकेशन

1

ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली

नई दिल्ली

2

पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च

चंडीगढ़

3

क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज

वेल्लोर, तमिलनाडु

4

कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज

मनिपाल, कर्नाटक

5

किंग जॉर्ज’स मेडिकल यूनिवर्सिटी

लखनऊ, उत्तर प्रदेश

6

जवाहरलाल  इंस्टिट्यूट ऑफ़ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च

पुडूचेरी

7

बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी

उत्तर प्रदेश

8

इंस्टिट्यूट ऑफ़ लीवर एंड बिलियरी साइंसेज

नई दिल्ली

9

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी

अलीगढ़, उत्तर प्रदेश

10

श्री रामचंद्र मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट

चेन्नई


Monday, June 21, 2021

ऑर्थोपेडिक सर्जन: प्रतिष्ठा के साथ कमाई भी

 ऑर्थोपेडिक सर्जन का रुतबा किसी से भी छुपा नहीं है। यह क्षेत्र जितनी अच्छी कमाई से भरपूर है, इसमें उतनी ही मेहनत भी भरी हुई है। फ्रैक्चर, डिसलोकेशन, ऑर्थराइटिस, हड्डियों में दर्द, सूजन, ऑस्टियोपोरोसिस, बोन ट्यूमर, सेलेब्रल पाल्सी, जोडों में परेशानी, टेंडन इंजरी, मांसपेशियों में खिंचाव, स्लिप डिस्क की परेशानी जैसी कई बीमारियों का इलाज ऑर्थोपेडिक डॉक्टर करता है।

इस क्षेत्र से जुडे़ डॉंक्टर हड्डियों, ज्वाइंट, मांसपेशियों, लिगामेंट, टेंडन व नर्ब्ज के निदानों, लक्षण और इनसे जुडे़ इलाजों में विशेषज्ञता प्राप्त करते हैं, क्योंकि यह सारे तत्व मिलकर हमारे शरीर में मसक्यूलोस्केलेटल सिस्टम का निर्माण करते हैं, इसलिए इस क्षेत्र से जुड़े फिजीशियन को ऑर्थोपेडिक सर्जन कहते हैं। यहां आपका काम सिर्फ ऑपरेशन तक ही सीमित नहीं है, आपको अन्य स्वास्थ्य सेवा व्यवसायी व अन्य फिजिशियन के साथ कंसल्टेंट की तरह भी काम करना होगा। यही नहीं ऑर्थोपेडिक सर्जन की इमरजेंसी केयर में प्रसव के दौरान भी महत्वपूर्ण भूमिका हाती है।

कार्य प्रकृति
ओपीडी कंसल्टेशन
मरीजों की शारीरिक जांच करना, उनके एक्सरे, एमआरआई आदि टैस्ट का आदेश देना व उसे जांचना।
मरीजों का ऑपरेशन करना
कई विशेष सर्जरी, जैसे ट्रॉमा सर्जरी, ज्वाइंट रिप्लेसमेंट, स्पाइन सर्जरी और ज्वाइंट के विभिन्न प्रकार के ऑथरेस्कोपिक प्रोसीजर।
सर्जरी के बाद दी जाने वाली सेवाओं की तैयारी करना और मरीजों से उनका हालचाल पूछना व निरीक्षण करना।
अस्पताल में अपने मरीजों और सर्जरी संबंधी सभी चीजों का रिकॉर्ड रखना

कैसे बनेंगे ऑर्थोपेडिक सर्जन
ऑर्थोपेडिक सर्जन बनने के लिए डिग्री और अनुभव काफी जरूरी है। छात्रों को पहले साधारण एमबीबीएस करना होगा, फिर ऑर्थोपेडिक में मास्टर डिग्री या डिप्लोमा लेना होगा। अस्पतालों में लगभग तीन साल वरिष्ठ रेजिडेंट की तरह ऑर्थोपेडिक सर्जरी की प्रेक्टिस करनी होगी।

पाठ्यक्रम
ऑर्थोपेडिक सर्जन बनने के लिए ऑर्थोपेडिक में मास्टर या पीजी डिप्लोमा डिग्री हासिल करनी होती है। इस क्षेत्र में तीन ऑर्थोपेडिक डिग्रियों को मान्यता प्राप्त है, वे हैं
1. मास्टर ऑफ सर्जरी इन ऑर्थोपेडिक्स (एमएस-ऑर्थ)
2. डिप्लोमा ऑर्थोपेडिक्स (डी-ऑर्थ)
3. डिप्लोमा ऑफ नेशनल बोर्ड (डीएनबी-ऑर्थ)

मास्टर ऑफ सर्जरी इन ऑर्थोपेडिक्स (एमएस-ऑर्थ)
एमएस-ऑर्थ तीन साल का कोर्स है, जिनमें नेशनल और स्टेट लेवल पर आयोजित प्रवेश परीक्षाओं द्वारा नामांकन होता है।
डिप्लोमा ऑर्थोपेडिक्स (डी-आर्थ) और डिप्लोमा ऑफ नेशनल बोर्ड (डीएनबी-ऑर्थ)
डिप्लोमा कोर्स दो साल का होता है। यहां भी प्रवेश परीक्षा के आधार पर ही नामांकन होता है।

योग्यता
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यताप्राप्त किसी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री।

खूबियां जो आपमें हों
इस क्षेत्र में सफल होने के लिए अपने कार्य में पूर्ण रूप से समर्पित होना बहुत जरूरी है, क्योंकि इसमें किसी को शारीरिक इलाज नहीं, बल्कि मानसिक रूप से स्वस्थ्य भी किया जाता है, इसीलिए इसमें मेहनत और लगन काफी जरूरी है।

प्रमुख संस्थान
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, नई दिल्ली
www.aiims.edu
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली
इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, बीएचयू वाराणसी
www.imsbhu.nic.in
क्रिस्टिन मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, सीएमसीएच वैल्लोर
www.cmch-vellore.edu
आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज, एएफएमसी पुणे
www.afmc.nic.in
कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, बैंगलुरू
www.manipal.edu
जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, पुडुचेरी www.jipmer.edu


Friday, June 18, 2021

इवेंट मैनेजमेंट में अवसर

 युवाओं को ग्लैमर इंडस्ट्री हमेशा से आकर्षित करती रही है। इसमें रोजगार के विकल्प भी काफी बढ़ गए हैं। इवेंट मैनेजमेंट भी चकाचौंध से जुड़ा एक ऐसा ही रोजगार है जो हाल के दिनों में युवाओं द्वारा काफी पसंद किया जाने लगा है। करीब एक दशक पूर्व शुरू हुए इस उद्योग में वार्षिक कई सौ फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है। खास बात है कि इस करियर में किसी बड़े निवेश की जरूरत नहीं होती है, जबकि यहां काम करने वालों को अपनी रचनात्मकता प्रदर्शित करने के मौके मिलते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि उपयुक्त प्रतिभा हो तो किसी भी विषय के छात्र इस फील्ड में सफल करियर बना सकते हैं। हर दिन कोई न कोई उत्सव आयोजित किया जाता है। घर में शादी-ब्याह हो या बाहर चुनाव, क्रिकेट जगत में आईपीएल हो या कालेज में सालाना उत्सव, इन सबकी तैयारी के लिए न तो लोगों के पास इतना वक्त होता है और न ही आदमी कि वे समय रहते काम पूरा कर लें। ऐसे में इस तरह के आयोजनों का जिम्मा खास तरह के लोगों को या ऐसे लोगों को दिया जाता है जो इससे जुड़े रहे हों, इस क्षेत्र में खासा अनुभव रखते हो, आयोजन कराने का जिम्मा लेने वाला इसके एवज में अच्छी-खासी रकम वसूलता है। यह काम अब प्रोफेशन के रूप में तबदील हो गया है। इसके लिए कंपनियां बन गई हैं, जहां प्रशिक्षित लोगों की टीम काम करती है। 


क्या करते हैं इवेंट मैनेजर 
इवेंट मैनेजमेंट से जुड़े लोग किसी व्यावसायिक या सामाजिक समारोह को आयोजित करते हैं। इसमें मुख्य रूप से फैशन शो, संगीत समारोह, शादी समारोह, थीम पार्टी, प्रदर्शनी, कारपोरेट सेमिनार, प्रोडक्ट लांचिंग, प्रीमियर के प्रोग्राम आते है। इवेंट मैनेजर क्लाइंट या कंपनी के बजट को ध्यान में रखकर प्रोग्राम का आयोजन करते हैं, होटल या हॉल बुक करने, साज-सज्जा,एंटरटेनमेंट, लंच-डिनर के लिए खास तरह के मेन्यू को तैयार करवाने, गेस्ट के स्वागत तक की व्यवस्था इवेंट मैनेजमेंट ग्रुप में शामिल लोगों को करनी होती है।

कोर्स से कार्य तक 
इवेंट मैनेजमेंट में कई तरह के कोर्स उपलब्ध हैं। इसके तहत कारपोरेट इवेंट एंटरटेनमेंट, स्पोर्ट इनोवेशन, मार्केटिंग, प्रोमोशन जैसे कई तरह के कोर्स हैं। दाखिला लेने वाले छात्रों से पहले पूछा जाता है कि वे किस क्षेत्र में रुचि रखते हैं। इस क्षेत्र में आने से पहले आप इस बात का भी ध्यान रखें कि आपको अंग्रेजी और हिंदी, दोनों भाषा का अच्छी तरह ज्ञान हो। क्योंकि किसी भी इवेंट में देश-विदेश की भाषाओं के मेहमान आते हैं, उनसे बातचीत के लिए अंग्रेजी एक जरिया बनती है। कारपोरेट इवेंट का काम आमतौर पर बड़े-बड़े होटलों से जुड़ा है। होटलों में दो कंपनियों के बीच व्यापार समझौता और फिर इस खुशी में पार्टी और मनोरंजन जैसी चीजें भी शामिल होती हैं। मेहमानों की खातिरदारी में कोई कमी न हो, यह जिम्मा कारपोरेट इवेंट मैनेजर को निभाना होता है। एंटरटेनमेंट के तहत कहीं सीरियल, तो कहीं फिल्म रिलीज की जाती है। इस काम को एंटरटेनमेंट इवेंट मैनेजर को बखूबी सफल बनाना होता है।

योग्यता 
इस क्षेत्र में करियर तलाशने वालों को 12वीं के बाद ही इस कार्य में अपने को कुशल बनाना चाहिए। पहले इसके लिए ट्रेनिंग या कोर्स की जरूरत नहीं पड़ती थी, लेकिन अब स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर इस क्षेत्र में सर्टिफिकेट या डिप्लोमा कोर्स कराया जा रहा है। पीजी डिप्लोमा करने के लिए किसी भी विषय से आपको स्नातक होना चाहिए।

इवेंट मैनेजमेंट के कोर्स 
BBA in Event Management (तीन साल की बैचलर डिग्री)
MBA in Event Management (BBA के बाद दो साल की डिग्री )
Diploma in Event Management (एक साल)
Post Graduate Diploma in Event Management (एक साल)
Event Management Certificate course (छह माह)
Exhibition Management Certificate course (छह माह)
Fashion Event Management Certificate course (छह माह)

संभावनाओं की भरमार 
इवेंट मैनेजमेंट में उज्ज्वल भविष्य की बड़ी संभावनाएं मौजूद हैं। दरअसल यह काम कुछ हद तक जनसंपर्क एजेंसियों से काफी मेल खाता है। बड़ी उत्पादक कंपनियां अपने नए उत्पाद को बाजार में उतारने से पहले कारपोरेट जगत में अपनी पहचान बनाने या किसी उत्पाद की बिक्री बढ़ाने के लिए कई तरह के इवेंट करवाती रहती हैं। बजट के अनुसार सारे कार्यक्रम इवेंट मैनेजमेंट से जुड़े लोगों का ही काम होता है। इसमें तडक़-भडक़ वाले कार्यक्रमों का भव्य आयोजन मुख्य कार्य है। किसी कार्यक्रम के अधिक से अधिक टिकट बेचने, उसे लोकप्रिय बनाने, लाभ कमाने के उद्देश्य से विज्ञापनों को आकर्षक बनाने की रूपरेखा भी अकसर इवेंट मैनेजमेंट कंपनियां ही तैयार करती हैं। वैसे मौजूदा समय में औद्योगिक घरानों के घरेलू समारोह, शादी, जन्मदिन, वर्षगांठ के बड़े पैमाने पर आयोजन की जिम्मेदारी भी इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों को ही सौंपी जाने लगी है।

ग्लैमर से गठजोड़ 
इवेंट मैनेजमेंट का करियर एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें ग्लैमर सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। इस फील्ड में आने वाले युवा का ज्यादातर समय सार्वजनिक समारोहों में ही गुजरता है। चाहे कोई फैशन शो हो, कोई फिल्म लांचिंग का मौका हो, इवेंट मैनेजर की वहां पर खास भूमिका होती है। यानी की इवेंट मैनेजमेंट के करियर में बोरडम के लिए कोई स्पेस नहीं है। इस वजह से भी युवाओं में इस करियर के लिए काफी क्रेज है।

असीमित आमदनी 
फ्रेशर्स आसानी से कम से कम 10000 रुपए प्रति माह कमा सकते हैं। और यदि किसी बड़ी कंपनी में नौकरी मिल गई, तो 15000 रुपए या इससे ज्यादा भी मिल सकते हैं। अनुभव प्राप्त करने के बाद इवेंट मैनेजर के पद पर पहुंच सकते हैं, तब एक महीने में ही एक लाख रुपए तक भी कमाए जा सकते हैं। यदि अपनी कंपनी खोल ली जाए, तो अच्छी कमाई के साथ अपना भविष्य तो बना ही सकते हैं साथ ही दूसरों का भी भविष्य बुलंद कर सकते हैं। सच तो यह है कि यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें वेतन और कमाई की कोई सीमा नहीं है।

प्रमुख संस्थान 
एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ इवेंट मैनेजमेंट, नई दिल्ली
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इवेंट मैनेजमेंट, मुंबई
इवेंट मैनेजमेंट डिवेलपमेंट इंस्टीट्यूट, मुंबई
नेशनल इंस्टीट्यूट फार मीडिया स्टडीज, अहमदाबाद
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
कालेज ऑफ इवेंट एंड मैनेजमेंट, पुणे
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इवेंट मैनेजमेंट, मुंबई
नेशनल एकेडमी ऑफ इवेंट मैनेजमेंट एंड डिवेलपमेंट जयपुर
इंटरनेशनल सेंटर फॉर इवेंट एंड मार्केटिंग, नई दिल्ली
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इवेंट मैनेजमेंट, मुंबई