Monday, July 24, 2017

कॉफी क्वॉलिटी मैनेजमेंट में पीजी डिप्लोमा

कॉफी दुनिया के सबसे लोकप्रिय पेय में एक हैं। इसकी लोकप्रियता को बनाए रखने के लिए इसकी गुणवत्ता पर काफी जोर दिया जाता है। ऐसे में कॉफी क्वॉलिटी के क्षेत्र में करियर बनाने के अच्छे मौके भी मिलते हैं।

कॉफी के क्षेत्र में करियर बनाने की इच्छा रखने वालों के लिए भारत के कॉफी बोर्ड ने पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स लॉन्च किया है। इसके छात्रों को भारतीय कॉफी कंपनियों में अच्छी नौकरियों के अवसर मिलते हैं।

कॉफी क्वॉलिटी मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा (PGDCQM) कोर्स छात्रों को कॉफी टेस्टर्स  के रूप में उनकी क्षमता विकसित करने में मदद करता है।

कोर्स की खास बातें
- यह 12 महीने का कोर्स है जो 3 ट्राइमेस्टर में होता है।

- छात्रों को पहले ट्राइमेस्टर में सीसीआरआई, बलेहोनुर, चिकमंगलूर में रहने की सुविधा मिलती है। दूसरे और तीसरे ट्राइमेस्टर के लिए छात्रों के बेंगलुरु में अपने रहने की व्यवस्था स्वयं करनी होगी।

- दाखिले हर योग्य अभ्यर्थी के लिए खुले हैं। कॉफी इंडस्ट्री के लिए स्पॉन्सर्ड अभ्यर्थियों को भी दाखिले दिए जाएंगे।

- दाखिले अकादमिक रिकॉर्ड, पर्सनल इंटरव्यू और सेंसरी इवैल्यूएशन टेस्ट के आधार पर होंगे।

आखिरी तारीख 
आवेदन करने की आखिरी तारीख 16 अगस्त 2016 है।

योग्यता
उम्मीदवारों को बॉटनी, जूलॉजी, केमिस्ट्री, बायोटेक्नोलॉजी, बायोसाइंस, फूड टेक्नोलॉजी, इन्वायरमेंटल साइंस में ग्रेजुएट या एग्रीकल्चर साइंस में ग्रेजुएट होना चाहिए। ऐसे छात्रों को प्राथमिकता दी जाएगी जिन्हें किसी एक्सपोर्ट कंपनी/क्यूरिंग संस्थान/कॉफी प्लांटेशन से स्पॉन्सरशिप हासिल हो।

प्रक्रिया 
आवेदन वेबसाइट से डाउनलोड या कॉफी बोर्ड, बेंगलुरु से सीधे हासिल किए जा सकते हैं। पूरी तरह से भरा हुआ आवेदन 200 रुपये की डीडी ("कॉफी बोर्ड जनरल फंड नन प्लान अकाउंट" के नाम पर) और 9 इंच X 6 इंच के सेल्फ-एड्रेसेस्ड लिफाफे के साथ 16 अगस्त पहुंचने चाहिए।

इंटरव्यू और चयन की तारीख: 31 अगस्त 2016

कोर्स फी: 2,00,000 रुपये   

Wednesday, July 19, 2017

आरजीसीबी में पीएचडी

बायोटेक्नोलॉजी के आधुनिक क्षेत्र में शोध करने के बाद कॅरियर की व्यापक संभावनाएं तलाशने के इच्छुक लोग राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी में पीएचडी के लिए आवेदन कर सकते हैं । यहां इस फील्ड से जुड़ी कई स्ट्रीम्स में शोध करने के विकल्प मौजूद हैं। भारत सरकार का यह स्वायत्त संस्थान तिरूवनंतपुरम में है। आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पीएचडी आवेदन की अंतिम तिथि 30 नवंबर 2015 निर्धारित की गई है।
आवेदन करने वाले लोगों में से योग्य उम्मीदवारों का चयन इंटरव्यू के आधार पर किया जाएगा। इंटरव्यू के लिए बुलाए जाने वालों को ईमेल के जरिए सूचित किया जाएगा। इसके अलावा वेबसाइट पर भी उनके नाम डाले जाएंगे। आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। आरजीसीबी में आवेदन करने की अंतिम तिथि 30 नवंबर 2015 निर्धारित की गई है।
कई हैं स्ट्रीम्स
आरजीसीबी में जिन फील्ड्स में पीएचडी का विकल्प उपलब्ध है, वे फील्ड्स इस प्रकार हैं- प्लांट बायोलॉजी, केमिकल बायोलॉजी, क्रोनिक डिसीज बायोलॉजी, ट्रॉपिकल डिसीज बायोलॉजी, कंप्यूटेशनल बायोलॉजी आदि।
क्या है अनिवार्य योग्यता
आवेदक ने संबंधित विषय में पीजी किया हो और इसमें उसने कम से कम 60 फीसदी अंक (ओजीपीए-6.0) हासिल किए हों। एससी/एसटी आवेदकों के लिए यह 50 फीसदी अंक (ओजीपीए- 5.0) है। पीजी के फाइनल ईयर के रिजल्ट का इंतजार कर रहे लोग भी आवेदन कर सकते हैं। आवेदक की अधिकतम उम्र 28 साल हो (एससी/एसटी को छूट)। आवेदक के पास यूजीसी/ सीएसआईआर/डीबीटी आदि की मान्य रिसर्च फैलोशिप होनी चाहिए।
कैसे होगा चयन
चूंकि आवेदकों के लिए पहले ही एक राष्ट्रीय स्तर की फैलोशिप के लिए क्वालिफाई करना अनिवार्य रखा गया है इसलिए चयन प्रक्रिया सिर्फ इंटरव्यू पर आधारित होगी। जिन आवेदकों को इंटरव्यू में बुलाया जाना है, उनके नाम वेबसाइट पर और ईमेल के जरिए 2 दिसंबर को भेज दिए जाएंगे।
कैसे करें आवेदन
आवेदन के लिए द्धह्लह्लश्च://ह्म्द्दष्ड्ढ. ह्म्द्गह्य.द्बठ्ठ पर जाकर फॉर्म डाउनलोड करें। इसे भरें और फॉर्म में बताए गए दस्तावेजों की प्रतियों व एप्लीकेशन फीस के डीडी के साथ इस पते पर भेजें-
Director, Rajiv Gandhi Centre for Biotechnology, Thycaud P.O., Thiruvananthapuram 695014, Kerala
फॉर्म के साथ डीडी
एप्लीकेशन फीस के रूप में फॉर्म के साथ 500 रुपए का डीडी भेजें। डीडी The Director, Rajiv Gandhi Centre for Bio technology,Thiruvananthapuram- 695014, Kerala के पक्ष में बनवाना है।
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Sunday, July 16, 2017

जीव विज्ञान में पीएचडी

डॉक्टरेट कार्यक्रम 'कोशिकाओं की आणविक जीव विज्ञान "न्यूरोसाइंसेस और आण्विक बायोसाइंसेज के लिए गौटिंगेन ग्रेजुएट स्कूल (GGNB) के एक सदस्य है। यह आणविक बायोसाइंसेज के लिए गौटिंगेन केंद्र (GZMB) द्वारा आयोजित किया जाता है और गौटिंगेन विश्वविद्यालय, biophysical रसायन विज्ञान, प्रायोगिक चिकित्सा के लिए मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के लिए मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट, और जर्मन प्राइमेट सेंटर द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जाता है।

शोध उन्मुख कार्यक्रम और अंग्रेजी में सिखाया जाता है, जो जैव विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, चिकित्सा के क्षेत्र में एक मास्टर की डिग्री (या समकक्ष), या संबंधित क्षेत्रों रखने वाले छात्रों के लिए खुला है।

कार्यक्रम है जो कोशिकाओं के अध्ययन के लिए उत्साह का हिस्सा पिछले शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों से छात्रों को स्वीकार करता है। प्रशिक्षण कैसे सेल भाग्य और टोपोलॉजी निर्धारित कर रहे हैं की एक तुलनात्मक समझ प्राप्त करने के उद्देश्य से है, कैसे व्यापक जीनोमिक विश्लेषण उपकरणों को लागू करने का एक महत्वपूर्ण भावना, और स्थापित करने और सेलुलर कार्यों के लिए वैचारिक मॉडल का परीक्षण करने की क्षमता।
अनुसंधान

यह कार्यक्रम किया जा रहा है कि कैसे कोशिकाओं की 'subcellular मॉड्यूल' आनुवंशिक जानकारी, विनियमन, शरीर विज्ञान और टोपोलॉजी के स्तर पर बातचीत और समारोह अग्रणी सवाल के साथ, सेल और उसके विनियामक नेटवर्क के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण के उद्देश्य से अनुसंधान गतिविधियों को एकजुट करती है।

मॉडल प्रणाली, प्रोकीर्योट्स (जीवाणु और आर्किया) और यूकेरियोटिक रोगाणुओं संयंत्र के लिए और रोग मॉडल सहित पशु कोशिकाओं से लेकर संरक्षित सिद्धांतों की पहचान सक्षम करने से। इसके अलावा, प्लेटफार्मों जीनोम, प्रतिलेखन हस्ताक्षर, बड़े पैमाने पर प्रोटीन की पहचान, metabolomics, इमेजिंग, साथ ही बड़े पैमाने पर विश्लेषण और मात्रात्मक मॉडलिंग, संकाय सदस्यों, जो जैव सूचना विज्ञान में विशेषज्ञ हैं के द्वारा कवर के विश्लेषण के लिए उपलब्ध हैं।

दो प्रमुख विषयों के आसपास अनुसंधान केन्द्रों। सेल गुण और सेल भाग्य नियंत्रण, पूछ के साथ पहली सौदों कैसे कोशिकाओं को उनके प्रसार और अस्तित्व, उनके भेदभाव और समारोह, और बाहरी पोषक तत्वों से तनाव को लेकर संकेतों के लिए उनकी प्रतिक्रिया को नियंत्रित। इन परस्पर घटना विनियामक नेटवर्क के आधार पर कर रहे हैं, और उनकी समझ बहुत राज्यों में आम लक्षण की पहचान करने से फायदा होता है। दूसरा विषय टोपोलॉजी और intracellular डिब्बों की गतिशीलता के साथ संबंधित है। एक प्रमुख कार्य, एकीकृत सिद्धांतों और कैसे कोशिकाओं को प्राप्त करने के व्यक्तिगत विवरण की पहचान को बनाए रखने और उनके स्थानिक संगठन को समायोजित करने के लिए है।
अध्ययन

डॉक्टरेट कार्यक्रम 'कोशिकाओं की आणविक जीव विज्ञान "न्यूरोसाइंसेस और आण्विक बायोसाइंसेज के लिए गौटिंगेन ग्रेजुएट स्कूल (GGNB) के एक सदस्य है। ग्रेजुएट स्कूल एक संयुक्त मॉड्यूलर प्रशिक्षण कार्यक्रम है जो GGNB के बारह डॉक्टरेट कार्यक्रमों में योगदान के लिए प्रदान करता है और कहा कि सभी GGNB छात्रों के लिए खुला है। एक व्याख्यान और संगोष्ठी कार्यक्रम के अलावा, प्रशिक्षण (1) थीसिस समितियों द्वारा व्यक्तिगत परामर्श, (2) विशेष प्रशिक्षण प्रयोगशालाओं में 1-3 सप्ताह के गहन तरीकों पाठ्यक्रम, के होते हैं प्रयोगशालाओं में (3) 2-3 दिन विधियों पाठ्यक्रम भाग लेने वाले शिक्षकों की, (4) इस तरह के वैज्ञानिक लेखन, प्रस्तुति कौशल, संचार, परियोजना प्रबंधन, टीम के नेतृत्व कौशल, संघर्ष के संकल्प, नैतिकता, और कैरियर के विकास, और (5) के छात्र का आयोजन वैज्ञानिक बैठकों, उद्योग के रूप में व्यावसायिक कौशल पाठ्यक्रम यात्रा, और सांस्कृतिक घटनाओं। छात्रों के पाठ्यक्रम और घटनाओं की एक बड़ी संख्या में से चुनने के द्वारा अपनी व्यक्तिगत पाठ्यक्रम दर्जी करने में सक्षम हैं।

कार्यक्रम है जो कोशिकाओं के अध्ययन के लिए उत्साह का हिस्सा पिछले शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों से छात्रों को स्वीकार करता है। प्रशिक्षण कैसे सेल भाग्य और टोपोलॉजी निर्धारित कर रहे हैं की एक तुलनात्मक समझ प्राप्त करने के उद्देश्य से है, कैसे व्यापक जीनोमिक विश्लेषण उपकरणों को लागू करने का एक महत्वपूर्ण भावना, और स्थापित करने और सेलुलर कार्यों के लिए वैचारिक मॉडल का परीक्षण करने की क्षमता। एक तुलनात्मक व्याख्यान श्रृंखला, आम तौर पर प्रति सत्र दो या दो से अधिक वक्ताओं द्वारा प्रस्तुत किया, विभिन्न प्रजातियों और यहां तक ​​कि राज्यों में अनुरूप घटनाएं शामिल हैं। विधियों पाठ्यक्रम जीनोम, प्रतिलेखन हस्ताक्षर, बड़े पैमाने पर प्रोटीन की पहचान, सेल आकृति विज्ञान और विनियमन, metabolomics के उच्च सामग्री के विश्लेषण, साथ ही बड़े पैमाने पर विश्लेषण और मात्रात्मक मॉडलिंग प्रतिभागियों जो जैव सूचना विज्ञान में विशेषज्ञता के माध्यम से विश्लेषण में सभी छात्रों की सहायता करेंगे।

प्रायोगिक अनुसंधान डॉक्टरेट के अध्ययन के प्रमुख घटक का गठन किया और डॉक्टरेट कार्यक्रम के एक संकाय सदस्य की प्रयोगशाला में आयोजित किया जाता है। डॉक्टरेट अनुसंधान परियोजनाओं को एक स्कूल चौड़ा प्रशिक्षण कार्यक्रम, सभी GGNB छात्रों को, जो एक जीवंत अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान समुदाय के सदस्य हैं के लिए पेशकश से पूरित कर रहे हैं। डॉक्टरेट कार्यक्रम की भाषा अंग्रेजी है।

Friday, July 14, 2017

फर्नीचर डिजाइनिंग में करियर,

एक समय तक फर्नीचर डिजाइनिंग का काम कारपेंटर ही करते थे, लेकिन आज के दौर में यह एक अलग प्रोफेशन बन चुका है। अगर आप की भी इसमें रुचि है और आप क्रिएटिव हैं तो फर्नीचर डिजाइनर बनकर करियर संवार सकते हैं। संबंधित ट्रेनिंग हासिल कर आप किसी कंपनी में जॉब कर सकते हैं या फिर अपना कारोबार भी शुरू कर सकते हैं। इस बारे में विस्तार से जानिए

पर्सनल स्किल्स
फर्नीचर डिजाइनिंग के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए आपमें क्रिएटिव और आर्टिस्टिक सेंस का मजबूत होना अति आवश्यक है, साथ ही कम्युनिकेशन स्किल अच्छी होनी चाहिए। मार्केटिंग स्किल्स और बिजनेस की भी समझ अनिवार्य है। फर्नीचर डिजाइनिंग के क्षेत्र में काम करने के लिए मार्केट में डिजाइनिंग को लेकर क्या कुछ नया किया जा रहा है, उस ओर भी पैनी नजर रखनी होती है क्योंकि फर्नीचर डिजाइनर का काम एक बेजान लकड़ी में डिजाइन के जरिए उसे आकर्षक रूप देना होता है।

बढ़ रही है डिमांड
फर्नीचर डिजाइनिंग व्यवसाय अब केवल कारपेंटर का काम नहीं रह गया है, बल्कि इसमें कुशल डिजाइनरों की मांग व्यापक स्तर पर बढ़ी है। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले पांच वर्षों में बाजार में तकरीबन एक लाख फर्नीचर डिजाइनरों की मांग होगी।उल्लेखनीय है कि फर्नीचर डिजाइनिंग में पैसे कमाने के साथ-साथ अपनी कलात्मक क्षमता को अभिव्यक्त करने का मौका और सृजन की संतुष्टि का अहसास भी मिलता है।

एंट्री प्रोसेस
आमतौर पर फर्नीचर डिजाइनिंग कोर्स में प्रवेश के लिए शैक्षणिक योग्यता 10वीं पास है, लेकिन कुछ संस्थानों में नामांकन के लिए आवेदन करते समय उम्मीदवार का किसी भी विषय  से 12वीं पास होना आवश्यक है। कुछ समय पहले तक फर्नीचर डिजाइनिंग के विभिन्न कोर्स सामान्यत: डिजाइनिंग केमुख्य कोर्स केअंतर्गत ही कराए जाते थे लेकिन वर्तमान में कई संस्थाओं में फर्नीचर डिजाइनिंग एक स्वतंत्र स्ट्रीम के रूप में भी पढ़ाया जाने लगा है।

मेन कोर्सेस
ट्रेनिंग कोर्सेस की बात करें तो इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए कई तरह के प्रोफेशनल कोर्स उपलब्ध हैं। कंप्यूटर एडेड डिजाइनिंग के जरिए भी फर्नीचर कला सीखी जा सकती हैै। इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए फर्नीचर डिजाइनिंग में डिप्लोमा, सर्टिफिकेट कोर्स, बैचलर डिग्री कोर्स उपलब्ध हैं। सर्टिफिकेट कोर्स की अवधि एक साल की होती है, जबकि डिप्लोमा कोर्स दो साल की अवधि का होता है। फर्नीचर डिजाइनिंग केकई पाठ्यक्रमों केलिए प्रशिक्षण संस्थानों में प्रवेश अखिल भारतीय स्तर की प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद साक्षात्कार में उत्तीर्ण होने के बाद दिया जाता है। इस परीक्षा में आपकी कलात्मक प्रतिभा और सोच को भी परखा जाता है। देश के प्रतिष्ठित नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ डिजाइनिंग, अहमदाबाद में फर्नीचर डिजाइनिंग केपोस्ट ग्रेजुएट कोर्स उपलब्ध हैं। यहां प्रवेश केलिए अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा इंटीरियर डिजाइनिंग के तीन वर्षीय डिप्लोमा कोर्स में भी फर्नीचर डिजाइनिंग एक महत्वपूर्ण भाग होता है। इंटीरियर डिजाइनिंग के पाठ्यक्रम में दाखिला लेने के बाद फर्नीचर डिजाइनिंग में अल्पकालिक विशेषज्ञता कोर्स भी किया जा सकता है

जॉब आॅप्शंस
दिनों-दिन बढ़ती मांग और स्वर्णिम भविष्य की कल्पनाओं के कारण फर्नीचर डिजाइनिंग करियर के रूप में आज युवाओं में बहुत तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। किसी प्रतिष्ठित संस्थान से फर्नीचर डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद किसी भी डिजाइनर के साथ काम किया जा सकता है। फर्नीचर डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद अपना व्यवसाय भी शुरू किया जा सकता है या इस क्षेत्र में काम कर रही प्रतिष्ठित कंपनियों से जुड़कर काम कर सकते हैं। भारत में फर्नीचर निर्माण के क्षेत्र में कई विदेशी कंपनियाँ भी आ चुकी हैं। रचनात्मकता और नए डिजाइन के लिए कुशलता के साथ-साथ प्रशिक्षण की भी जरूरत होती है इसीलिए क्षेत्र में करियर की असीम संभावनाओं को देखते हुए अनेक संस्थानों ने फर्नीचर डिजाइनिंग के कोर्स शुरू किए हैं।
आप इस क्षेत्र में कई बड़ी कंपनियों के लिए डिजाइनिंग का कार्य कर सकते हैं। कंप्यूटर स्किल्स और कंप्यूटर वर्क की मदद से अपने कार्य को अंजाम दे सकते हैं। अगर आप अपना स्वयं का रोजगार शुरू करना चाहते हैं,तो डिग्री या डिप्लोमा के आधार पर बैंक से लोन मिल जाता है। फर्नीचर की कई बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां समय-समय पर अपने यहां नियुक्तियां निकालती हैं। इसके अलावा कई प्रशिक्षण संस्थान भी इस फील्ड के अनुभवी लोगों को रोजगार केअवसर मुहैया कराते हैं।

इनकम
फर्नीचर डिजाइनिंग के क्षेत्र में अनुभव का महत्व सबसे ज्यादा है। उसी आधार पर बाजार में प्रोफेशनल की मांग बढ़ती है। इस फील्ड में अनुभव के आधार पर ही इनकम का दायरा निर्धारित होता है। आजकल फर्नीचर डिजाइनर्स के लिए स्वतंत्र रूप से कार्य करना काफी महत्वपूर्ण है। इस तरह आप एक साथ कई कंपनियों से जुड़ सकते हैं और उनकेलिए डिजाइनिंग कर सकते हैं। प्रशिक्षुओं से कंप्यूटर स्किल्स और कंप्यूटर वर्क की उम्मीद की जाती है। इंटीरियर डिजाइनिंग केक्षेत्र में हुए क्रांतिकारी बदलाव ने फर्नीचर डिजाइनिंग को आज अच्छी इनकम वाला व्यवसाय बना दिया है। फर्नीचर डिजाइनर का शुरुआती वेतन दस से बीस हजार रुपए प्रतिमाह तक हो सकता है। इसकेबाद अनुभव के आधार पर वेतन बढ़ता जाता है। अगर आप स्वतंत्र रूप से कार्य करते हैं तो आय लाखों रुपए में हो सकती है।

प्रमुख संस्थान
एनआईडी, अहमदाबाद
गवर्नमेंट पोलीटेक्निक कॉलेज, चंडीगढ़
इंस्टीट्यूट आॅफ फर्नीचर डिजाइनिंग, पटियाला
गवर्नमेंट पॉलीटेक्निक कॉलेज, लखनऊ
इंडियन प्लाइवुड इंडस्ट्रीज रिसर्च इंस्टीट्यूट, बैंगलुरु

Tuesday, July 11, 2017

एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस में करियर

एविएशन का नाम आते ही आसमान में उड़ने का मन करता है लेकिन यदि आप बनाना चाहते हो हो एविएशन में अपना करियर तो आप कहाँ पर अपनी लाइफ बना सकते हो। एविएशन सेक्टर (Aviation Sector) में हो रहे लगातार विस्तार से रोजगार के अवसरों में काफी इजाफा हुआ है। ऐसे में बहुत से अवसर हैं कई लोग सोचते हैं केवल पायलट या एयर होस्टेस तक ही एविएशन में जॉब सीमित हैं,  लेकिन ऐसा कतई नही है क्योंकि इनके इलावा भी आप एविएशन में अपना करियर बना सकते हो। इसी लाइन में में एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर (AME) भी बहुत अच्छा विकल्प है।

एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर की कार्य प्रकृति कैसी है उसका क्या काम होता है: किसी भी जहाज की तकनीकी जिम्मेदारी एएमई के ऊपर होती है। हर उड़ान के पहले एएमई जहाज का पूरी तरह से निरीक्षण करता है और सर्टिफिकेट जारी करता है कि जहाज उड़ान भरने को तैयार है। इस काम के लिए उसके पास पूरी तकनीकी टीम होती है। कोई भी विमान एएमई के फिटनेस सर्टिफिकेट के बिना उड़ान नहीं भर सकता। गौरतलब है कि एक हवाईजहाज के पीछे करीब 15-20 इंजीनियर काम करते हैं। इसी से इनकी जरूरत का अनुमान लगाया जा सकता है।

कैसे बन सकते हो आप एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर बन सकते हो: जैसे की पायलट बनने के लिए लाइसेंस लेने की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है वैसे ही एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर बनने के लिए भी लाइसेंस लेना पड़ता है। यह लाइसेंस डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन द्वारा प्रदान किया जाता है। कोई भी संस्थान, जो इससे संबंधित कोर्स कराता है, उसे भारत सरकार के विमानन मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाले डीजीसीए से इसके लिए अनुमति लेनी होती है। जो इंस्टिट्यूट इससे मान्यता प्राप्त हैं उनसे भी आप ये लाइसेंस हासिल कर सकते हैं।
एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर बनने के लिए क्या शैक्षणिक योग्यता की आवश्कयता होनी चाहिए: जो विद्यार्थी इस कोर्स के लिए आवेदन करना चाहते हैं, उनके लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथेमेटिक्स विषयों की पढ़ाई जरूरी है। पीसीएम से 12वीं उत्तीर्ण विद्यार्थी एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग से संबंधित पाठ्यक्रमों में दाखिला ले सकते हैं। कोर्स के दौरान मैकेनिकल इंजीनियरिंग और वैमानिकी की विभिन्न शाखाओं के बारे में जानकारी दी जाती है।
एविएशन सेक्टर में कहाँ मिलेंगे अवसर: ऐसे तकनीकी प्रोफेशनल्स के लिए देश-विदेश में सभी जगह मौके हैं। एयर इंडिया, इंडिगो, इंडियन एयरलाइन्स, जेट एयरवेज, स्पाइस जेट, गो एयर जैसे एयरलाइंस में तो मौके मिलते ही हैं, इसके अलावा देश के तमाम हवाईअड्डों और सरकारी उड्डयन विभागों में भी रोजगार के बेहतरीन अवसर उपलब्ध होते हैं। भारत में ही करीब 450 कंपनियां हैं, जो इस क्षेत्र में रोजगार प्रदान करती हैं। एएमई का शुरुआती वेतन 20-30 हजार हो सकता है, जिसमें अनुभव और विशेष शिक्षा के साथ बढ़ोतरी होती जाती है। इसके साथ-2 आप विदेशी या प्राइवेट कंपनियो जो प्राइवेट एयरक्राफ्ट की सुविधा उपलब्ध कराती उनमे भी आप अपना करियर चुन सकते हो
देश में कौन कौनसे मुख्य संस्थान हैं जहाँ पर एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर के लिए कोर्स किया जा सकता है: जो संस्थान संबंधित कोर्स कराने का इच्छुक होता है, उसको डीजीसीए से मान्यता लेनी होती है। ऐसे कुछ प्रमुख संस्थान हैं-
  • जेआरएन इंस्टीट्यूट ऑफ एविएशन टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
  • भारत इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोनॉटिक्स, पटना एयरपोर्ट, पटना
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोनॉटिक्स साइंस, कोलकाता
  • एकेडमी ऑफ एविएशन इंजीनियरिंग, बेंगलुरु
  • आंध्र प्रदेश एविएशन एकेडमी, हैदराबाद

Sunday, July 9, 2017

पोषाहार विज्ञान में करियर

पोषाहार विज्ञान में विज्ञान के ऑनर्स बैचलर

पोषाहार विज्ञान वास्तव में एक अंतःविषय प्रकृति के अध्ययन के एक रोमांचक और चुनौतीपूर्ण क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है। स्वास्थ्य और रोग में अपनी भूमिका पर पोषण के प्रभाव को समझना (पोषक तत्व आवश्यकताओं और उपयोग) शामिल चयापचय की प्रक्रिया का ज्ञान पर आधारित है, में एकीकृत सामाजिक और व्यवहार कारकों में से खाद्य पदार्थों के रसायन शास्त्र (खाद्य संरक्षण, खाद्य उत्पादन) और की उचित पोषण के माध्यम से इष्टतम स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय लक्ष्यों के विचार।

प्रमुख कार्यक्रम

पोषाहार विज्ञान में एक मेजर को प्राप्त करने के लिए, छात्र विज्ञान की एक चार साल ऑनर्स बैचलर (Hon.B.Sc.) के लिए आवश्यक 20 पाठ्यक्रमों में से आठ को परिभाषित करता है, जो अध्ययन के एक कार्यक्रम इस प्रकार है। कार्यक्रम में परिभाषित नहीं अन्य पाठ्यक्रमों के लिए, छात्र व्यक्तिगत रुचि और कैरियर के लक्ष्यों द्वारा निर्देशित किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, पोषण जैव रसायन में एक स्नातक की डिग्री का पीछा पर एक छात्र के इरादे अधिक उपयुक्त अर्थशास्त्र या व्यवसाय प्रशासन में पाठ्यक्रम मिल सकता है भोजन के विपणन पहलुओं में रोजगार की आशंका है, जो एक छात्र है, जबकि जैव रसायन पाठ्यक्रम पर जोर देना होगा। उपयुक्त पाठ्यक्रम के लिए देख छात्र चार साल की डिग्री नृविज्ञान, जैव रसायन, जीव विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, रसायन विज्ञान, अर्थशास्त्र, भूगोल, मानविकी, शरीर विज्ञान और जूलॉजी विभाग की कला और विज्ञान कैलेंडर लिस्टिंग के संकाय की जांच करनी चाहिए पूरा करने के लिए।

प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम

पोषाहार विज्ञान विभाग प्रथम वर्ष के स्तर पर किसी भी पाठ्यक्रम की पेशकश नहीं करता है।

पहले साल के लिए सलाह

  • अनुकूलन और जैव विविधता और जैव 130H - जैव 120H आण्विक और कोशिका जीव विज्ञान, और प्रथम वर्ष रसायन विज्ञान: प्रथम वर्ष जीव विज्ञान लेना चाहिए पोषाहार विज्ञान का अध्ययन करने में रुचि रखते हैं जो छात्र CHM 138H1 - इंट्रोडक्टरी कार्बनिक रसायन विज्ञान मैं और एच एम 139H1 - रसायन विज्ञान: भौतिक सिद्धांतों (दो आधा पाठ्यक्रम) या एच एम 151Y1 - रसायन विज्ञान: आण्विक विज्ञान। हमारे परिचयात्मक कोर्स (NFS के 284H1 - मूल मानव पोषण) किसी भी प्रथम वर्ष के किसी और चीज की जरूरत नहीं है और हर शब्द (पतन, सर्दी, गर्मी) की पेशकश की है।

करियर

बुनियादी या नैदानिक ​​पोषण अनुसंधान, शिक्षण, स्वास्थ्य संवर्धन, पोषण परामर्श या समुदाय पोषण में करियर एक और अधिक उन्नत डिग्री (एमएससी, पीएचडी या MHSc) की आवश्यकता होती है। पोषण भी दवा या दंत चिकित्सा में एक और पेशेवर डिग्री के लिए एक अच्छा आधार है।
डायटेटिक्स भी पोषण में कई बीएससी कार्यक्रमों के बाद एक लोकप्रिय कैरियर है, हालांकि, कृपया ध्यान दें, टी यू में पोषाहार विज्ञान कार्यक्रम के इस विकल्प प्रदान संरचित नहीं है।

प्रवेश सूचना

  • सेंट जॉर्ज परिसर में जीवन विज्ञान में प्रवेश के वर्ग से लागू करें
  • अंग्रेजी और गणित और वैक्टर सहित छह ग्रेड 12 यू या एम पाठ्यक्रम, आवश्यक हैं
  • जीव विज्ञान और रसायन विज्ञान में वरिष्ठ उच्च विद्यालय क्रेडिट प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम के लिए आवश्यक हैं
  • वरिष्ठ उच्च विद्यालय भौतिकी तैयारी की सिफारिश की है
  • ओंटारियो के बाहर के छात्र समकक्ष वरिष्ठ उच्च विद्यालय क्रेडिट होनी चाहिए

Wednesday, July 5, 2017

फार्माकोविजिलेंस में करियर

बचपन से मेडिसीन की पढ़ाई का सपना था पर सफलता नहीं मिलने की वजह से मेडिकल कॉलेज में एडमिशन नहीं ले पाए तो निराश होने की कोई बात नहीं. अब आपके पास एक ऐसा ऑप्‍शन है जो आपके अधूरे सपने को पूरा कर सकता है. हालांकि इस कोर्स को करने के बाद आप एमबीबीएस की डिग्री तो नहीं पा सकेंगे लेकिन एक डॉक्टर का फर्ज जरूर निभा सकेंगे.
हम यहां जिस कोर्स की बात कर रहे हैं उसका नाम है- फार्माकोविजिलेंस. दरअसल, दवाइयों से होने वाले किसी भी प्रकार के साइड इफेक्ट की पहचान, आकलन और बचाव के लिए फार्माकोलॉजिकल साइंस की मदद ली जाती है ताकि दवाइयों को ज्यादा सुरक्षित और उपयोगी बनाया जा सके.

अगर आपकी रुचि मेडिकल के क्षेत्र में है तो यह कोर्स आपके लिए ठीक रहेगा. इसके अलावा लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सजग और सुरक्षित रखने की भावना रखने वाले लोगों के लिए यह एक बेहतर करियर ऑप्शन है.
फार्माकोविजिलेंस का संबंध दवाइयों की उपलब्धता, डिस्ट्रीब्यूशन, पहुंच, इस्तेमाल और इससे जुड़ी दूसरी समस्‍याओं से भी है. इस फील्‍ड में विदेशों में भी नौकरियों की संभावनाएं हैं.
कोर्सेज:
सर्टिफिकेट इन फार्माकोविजिलेंस
डिप्लोमा इन फार्माकोविजिलेंस
विषय:
बेसिक प्रिंसिपल ऑफ फार्माकोविजिलेंस
रेगुलेशन इन फार्माकोविजिलेंस
फार्माकोविजिलेंस इन क्लिनिकल रिसर्च
ड्रग रिएक्शन
मैनेजमेंट ऑफ फार्माकोविजिलेंस डाटा
रिस्क मैनेजमेंट इन फार्माकोविजिलेंस
फार्माकोइपिडेमियोलॉजी
योग्यता:
कम से कम 50 फीसदी अंकों के साथ केमिस्ट्री, बॉटनी, जूलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी, जेनेटिक्स और बायोटेक से ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट या फार्मेसी और मेडिसिन में ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट.
चयन प्रक्रिया:
छात्रों का चयन एंट्रेंस टेस्ट, पर्सनल इंटरव्यू और स्क्रीनिंग टेस्ट पर आधारित होता है.
कहां मिलेगी नौकरी:
फार्माकोविजिलेंस से संबंधित कोर्स करने के बाद ग्लैक्सो, सन फार्मा, फाइजर, सिप्ला, निकोलस पिरामल जैसी फार्मास्युटिकल कंपनियों में नौकरी मिल सकती है. विदेशी फार्मा कंपनियां भी इस कोर्स को करने वाले भारतीय छात्रों को अच्छा पैकेज ऑफर करते हैं.
वेतन:
इस फील्ड में शुरुआत में 15 से 20 हजार रुपये मिलते हैं. वहीं, कुछ साल का अनुभव हासिल करने के बाद 30 से 40 हजार रुपये प्रतिमाह तक मिल सकते हैं
कहां से करें कोर्स:
इंस्टीट्यूट ऑफ क्लीनिकल रिसर्च, नई दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू, अहमदाबाद, हैदराबाद
वेबसाइट: www.icriindia.com
आईसीबीआईओ क्लीनिकल रिसर्च, बेंगलुरू
वेबसाइट: www.icbio.org
एम्पावर स्कूल ऑफ हेल्थ, दिल्ली
वेबसाइट: www.empower.net.in
आईडीडीसीआर, हैदराबाद
वेबसाइट: www.iddcr.com
जीआईटीएस एकेडमी, बेंगलुरू
वेबसाइट: www.gitsacademy.com
एकेडमी ऑफ क्लीनिकल रिसर्च एंड फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट, कोलकाता
महाराजा इंस्टीट्यूट मेडिकल साइंसेज, आंध्रप्रदेश
वेबसाइट: www.mimsvzm.org

सिमोजेन इंडिया
वेबसाइट: www.symogen.net

Sunday, July 2, 2017

वनस्पति में करियर

पौधे और फूल न केवल हमारे उद्यानों में सुंदरता फैलाते हैं और हमारे जीवन को ताजगी देते हैं बल्कि हमारी बुनियादी आवश्यकताओं तथा औषधियों के लिए महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक सामग्रियों के रूप में कार्य करते हैं। पौधे ऐसे रासायनिक कारखाने होते हैं जो मनुष्य के लिए उपयोगी सभी प्रकार के उत्पाद देते हैं। भोजन के अतिरिक्त पौधे कागज, भवन सामग्री, द्रव्यों, गोंद, कपड़ों, औषधियों और कई अन्य उत्पादों के लिए कच्चा माल देते हैं। उदाहरण के लिए एलोवेरा पौधा क्रीम तथा चिकित्सा द्रव्यों में प्रयोग में लाया जाता है। इन सब बातों का अध्ययन वनस्पति विज्ञान में किया जाता है। वनस्पति विज्ञान में वनस्पति जगत में पाए जाने वाले सब पेड़-पौधों का अध्ययन होता है। जीव विज्ञान का यह एक प्रमुख अंग है। दूसरा प्रमुख अंग प्राणी विज्ञान है। सभी जीवों को जीवन निर्वाह करने, वृद्धि करने, जीवित रहने और जनन के लिए भोजन या ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है। यह ऊर्जा सूर्य से प्राप्त होती है। सूर्य में परमाणु के विखंडन या तरंगों के रूप में चलकर यह ऊर्जा पृथ्वी पर आती है। केवल पौधों में ही इस ऊर्जा के ग्रहण करने की क्षमता विद्यमान है। पृथ्वी के अन्य सब प्राणी पौधों से ही ऊर्जा प्राप्त करते हैं। अतः विज्ञान में वनस्पति के अध्ययन का विशिष्ट और बड़े महत्त्व का स्थान है। प्रमुख शिक्षण संस्थान
* कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर
* हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी, शिमला
* नौणी विश्वविद्यालय, सोलन (हिप्र)
* अमरावती विश्वविद्यालय, अमरावती
* इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद
* आंध्र विश्वविद्यालय वाल्टेयर, विशाखापट्टनम
* गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर (पंजाब)
* अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़
* लखनऊ यूनिवर्सिटी, उत्तरप्रदेश
* कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, कुरुक्षेत्र
* जम्मू यूनिवर्सिटी, जम्मू
शैक्षणिक योग्यता
साइंस संकाय में बायोलॉजी, फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स विषयों के साथ दस जमा दो उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। स्नातक कोर्स के लिए इस विषय की स्ट्रीम के छात्र दाखिला ले सकते हैं। बीएससी, एमएससी, एमफिल के बाद पीएचडी की उपाधि भी हासिल की जा सकती है।
वेतनमान
वनस्पति विज्ञान में सरकारी और निजी क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। सरकारी क्षेत्र में अध्यापन या शोध के क्षेत्र में सरकारी मानकों के अनुसार वेतन मिलता है। अध्यापन और शोध के क्षेत्र में आरंभ में लगभग 30 हजार से वेतन शुरू होता है। इसके अलावा प्राइवेट सेक्टर  में  भी कंपनियां अच्छे वेतनमान पर इस फील्ड के एक्सपर्ट्स को रखती हैं।
उत्पत्ति और विकास
वनस्पति जगत के सदस्य अत्यंत सूक्ष्म से लेकर अत्यंत विशालकाय तक होते हैं। इसकी शुरुआत शैवाल पौधे के अध्ययन से शुरू होती है। यह सबसे साधारण और प्राचीनतम वनस्पति है। यह अपना भोजन स्वयं बनाता है। आज कई प्रकार के गूढ़ आकार के भी शैवाल पाए जाते हैं। शैवालों से ही पृथ्वी पर के अन्य सब पौधों के उत्पन्न होने का अनुमान वैज्ञानिकों ने लगाया है। वनस्पतियों के अध्ययन में सबसे पहला कदम पेड़ पौधों का नामकरण और वर्गीकरण है। जब तक उनके नाम का पता न लगे और वे पहचान में न आएं, तब तक उनके अध्ययन का कोई महत्त्व नहीं है। अतः वनस्पति विज्ञान का सबसे पुराना और सबसे अधिक महत्त्व का विभाग वर्गिकी या वर्गीकरण विज्ञान है। इसमें केवल नाम का ही पता नहीं लगता, अपितु पेड़ पौधों के पारस्परिक संबंध का अध्ययन कर उन्हें विभिन्न समूहों में रखा भी जाता है।
अवसर कहां-कहां
विश्वविद्यालयों, कालेजों से वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में स्नातक योग्यता प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए कई प्रकार के रोजगार उपलब्ध हैं। जैसे कि ब्रीडर के रूप में, पार्क रेंजर, पादप रोग विज्ञानी, पारिस्थितिकीविद, प्रोफेसर, अध्यापक, कृषि परामर्शदाता, अनुसंधानकर्ता, उद्यान विज्ञानी, नर्सरी प्रबंधक।
दीर्घकालीन करियर की संभावना
व्यापक शिक्षा तथा अनुभव के आधार पर वनस्पति विज्ञानी बना जा सकता है। उसके बाद किसी वनस्पति विज्ञानी के रूप में उन्नति की संभावना सामान्यतः उसकी विश्वविद्यालय डिग्री पर निर्भर होती है। व्याख्यात्मक प्रकृति विज्ञानी, पर्यावरण सुधार तकनीशियन अथवा अनुसंधान सुविधाओं में प्रयोगशाला तकनीशियन के रूप में कार्य किया जा सकता है। कई व्यक्ति पर्यावरण, बागबानी या कृषि से जुड़े क्षेत्रों में परामर्शदाता के रूप में कार्य करते हैं जबकि अन्य व्यक्ति अनुसंधान तथा अध्यापन के क्षेत्र में कार्य करने का निर्णय भी ले सकते हैं।
पर्यावरण संरक्षक के साथ रोजगारपरक भी
शहरी इलाकों में तबदील हो रहे गांव हमारे भविष्य के लिए सवाल बन गए हैं। जहां पर्यावरण को लेकर कई बड़ी मुश्किलें खड़ी हो रही हैं, वहीं शहरी इलाकों में तबदील हुए गांवों में युवा कृषि को छोड़कर रोजगार तलाश कर रहे हैं। लेकिन रोजगार के अवसर इतने अधिक नहीं हैं कि युवाओं का भविष्य संवर सके। इसी बीच वनस्पति विज्ञान जहां पर्यावरण को बेहतर करने के लिए एक अहम कदम है, वहीं युवाओं को रोजगार के नए अवसर भी प्रदान कर रहा है।
स्नातक योग्यता डिग्री वालों के लिए अवसर
निजी क्षेत्र- औषधि कंपनियां, नर्सरी, जैव प्रौद्योगिकी फर्में, खाद्य कंपनियां,  तेल उद्योग, फल उत्पादक, बीज कंपनियां, रसायन कंपनियां, कागज कंपनियां, सरकारी क्षेत्र- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारतीय वन सेवा, कृषि।