फूड
टेक्नोलॉजी आज के युवाओं के लिए एक आकर्षक करियर के रूप में सामने आयी है।
आने वाले समय में इस क्षेत्र में रोजगार की व्यापक संभावनाएं हैं।
देश
में कई ऐसे क्षेत्र हैं जो दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की कर रहे हैं।
रोजगार प्रदान करने के मामले में भी इनका कोई सानी नहीं है। इन्हीं में से
एक फूड टेक्नोलॉजी का क्षेत्र भी है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या और लोगों की
जीवनशैली में बदलाव व खानपान में दिलचस्पी के चलते इस क्षेत्र का तेजी से
विस्तार हुआ है।
क्या है फूड टेक्नोलॉजी
फूड टेक्नोलॉजी विज्ञान की ऐसी शाखा है, जिसके अंतर्गत किसी भी फूड प्रोडक्ट के कैमिकल, फिजिकल व माइक्रोबायोलॉजिकल मेकअप का अध्ययन किया जाता है। साथ ही इसमें किसी भी फूड प्रोडक्ट के उत्पादन, भंडारण, परीक्षण, पैकेजिंग तथा वितरण संबंधी कार्य किए जाते हैं। इसके अंतर्गत सभी प्रकार के भोज्य पदार्थों जैसे मीट, फ्रूट, वेजिटेबल, फिश, अनाज, अंडा, दूध आदि को शामिल किया जाता है। फूड टेक्नोलॉजिस्ट का पहला कार्य कच्चे पदार्थों की जांच, भोज्य पदार्थो की क्वालिटी, भोजन का परीक्षण, न्यूट्रीशन वैल्यू जांचने से संबंधित होता है। ये भोजन की प्रॉसेसिंग, संरक्षण एवं उन्हें खराब होने से बचाने के लिए कई तरह की तकनीक इजाद करते हैं।
फूड टेक्नोलॉजी विज्ञान की ऐसी शाखा है, जिसके अंतर्गत किसी भी फूड प्रोडक्ट के कैमिकल, फिजिकल व माइक्रोबायोलॉजिकल मेकअप का अध्ययन किया जाता है। साथ ही इसमें किसी भी फूड प्रोडक्ट के उत्पादन, भंडारण, परीक्षण, पैकेजिंग तथा वितरण संबंधी कार्य किए जाते हैं। इसके अंतर्गत सभी प्रकार के भोज्य पदार्थों जैसे मीट, फ्रूट, वेजिटेबल, फिश, अनाज, अंडा, दूध आदि को शामिल किया जाता है। फूड टेक्नोलॉजिस्ट का पहला कार्य कच्चे पदार्थों की जांच, भोज्य पदार्थो की क्वालिटी, भोजन का परीक्षण, न्यूट्रीशन वैल्यू जांचने से संबंधित होता है। ये भोजन की प्रॉसेसिंग, संरक्षण एवं उन्हें खराब होने से बचाने के लिए कई तरह की तकनीक इजाद करते हैं।
बारहवीं के बाद रखें कदम
इसके बैचलर कोर्स में प्रवेश केलिए छात्र के पास न्यूनतम डिग्री 10+2 (फिजिक्स, कैमिस्ट्री, मैथ्स अथवा बॉयोलॉजी सहित) होनी चाहिए, तभी बीएससी में एडमिशन मिल पाएगा, जबकि मास्टर एवं डिप्लोमा पाठय़क्रमों में प्रवेश के लिए शैक्षिक योग्यता स्नातक होना है। यदि किसी ने होम साइंस, न्यूट्रीशन, डायटीशियन एवं होटल मैनेजमेंट में ग्रेजुएशन किया है तो फूड टेक्नोलॉजी में उच्च शिक्षा हासिल कर सकता है।
इसके बैचलर कोर्स में प्रवेश केलिए छात्र के पास न्यूनतम डिग्री 10+2 (फिजिक्स, कैमिस्ट्री, मैथ्स अथवा बॉयोलॉजी सहित) होनी चाहिए, तभी बीएससी में एडमिशन मिल पाएगा, जबकि मास्टर एवं डिप्लोमा पाठय़क्रमों में प्रवेश के लिए शैक्षिक योग्यता स्नातक होना है। यदि किसी ने होम साइंस, न्यूट्रीशन, डायटीशियन एवं होटल मैनेजमेंट में ग्रेजुएशन किया है तो फूड टेक्नोलॉजी में उच्च शिक्षा हासिल कर सकता है।
कई तरह के गुण आवश्यकएक
फूड टेक्नोलॉजिस्ट के अंदर साइंटिफिक आंकलन की क्षमता, हेल्थ एवं
न्यूट्रीशन में अभिरुचि, काम की पूर्णता जैसे गुण होने जरूरी हैं। उन्हें
टीम के एक महत्वपूर्ण अंग के रूप में काम करना होता है, इसलिए उनकी
कम्युनिकेशन स्किल मजबूत होनी जरूरी है। फूड एवं न्यूट्रीशन के संदर्भ में
होने वाले साइंटिफिक एवं टेक्नोलॉजिकल बदलावों के बारे में अपडेट रहना भी
जरूरी है।
कोर्स की रूपरेखा
इसमें बैचलर, मास्टर व डिप्लोमा जैसे कई तरह के कोर्स मौजूद हैं। बैचलर डिग्री तीन साल, मास्टर दो साल तथा डिप्लोमा कोर्स एक साल का होता है। कुछ कोर्स निम्न हैं-
इसमें बैचलर, मास्टर व डिप्लोमा जैसे कई तरह के कोर्स मौजूद हैं। बैचलर डिग्री तीन साल, मास्टर दो साल तथा डिप्लोमा कोर्स एक साल का होता है। कुछ कोर्स निम्न हैं-
बीएससी इन फूड टेक्नोलॉजी
बीएससी इन फूड साइंस
बीएससी इन फूड एंड न्यूट्रीशन
बीएससी इन फूड प्रिजर्वेशन
एमएससी इन फूड साइंस
एमएससी इन फूड टेक्नोलॉजी
डिप्लोमा कोर्सेज इन फूड एनालिसिस एंड फूड साइंस
बीएससी इन फूड साइंस
बीएससी इन फूड एंड न्यूट्रीशन
बीएससी इन फूड प्रिजर्वेशन
एमएससी इन फूड साइंस
एमएससी इन फूड टेक्नोलॉजी
डिप्लोमा कोर्सेज इन फूड एनालिसिस एंड फूड साइंस
सिलेबस फूड
टेक्नोलॉजी कोर्स के अंतर्गत विभिन्न बिंदुओं जैसे माइक्रोबायोलॉजी, खाद्य
संरक्षण तकनीक, जेनेटिक्स, फूड पैकेजिंग आदि को शामिल किया जाता है।
हालांकि पिछले कुछ सालों से इसके सिलेबस में व्यापक बदलाव देखने को मिले
हैं। इंडस्ट्री की मांग के मुताबिक समय-समय पर बदलाव किया जाता है, ताकि
छात्र नई-नई जानकारी से अवगत होते रहें। थ्योरी के साथ-साथ प्रेक्टिकल की
जानकारी विविध रूपों में छात्रों को दी जा रही है।
कई जगह मिलेंगे अवसर
सफलतापूर्वक कोर्स पूरा करने के बाद कई जगह रोजगार के अवसर मिलते हैं। मुख्य रूप से फूड प्रोसेसिंग कंपनियों, फूड रिसर्च लेबोरेटरी, होटल, रेस्तरां, एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के अलावा कई सरकारी व प्राइवेट सेक्टर में फूड टेक्नोलॉजिस्ट, फूड इंस्पेक्टर व हेल्थ इंस्पेक्टर के रूप में अपनी सेवा दे सकते हैं। यदि कोई फ्रीलांस कंसल्टेंट या किसी स्कूल/कॉलेज में रिसर्चर, लेक्चरर, एडवाइजर या हेल्थ डॉक्टर के रूप में कार्य करने का इच्छुक है तो उसे भी निराशा नहीं मिलती। विदेशों में भी काफी अवसर मौजूद हैं।
सफलतापूर्वक कोर्स पूरा करने के बाद कई जगह रोजगार के अवसर मिलते हैं। मुख्य रूप से फूड प्रोसेसिंग कंपनियों, फूड रिसर्च लेबोरेटरी, होटल, रेस्तरां, एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के अलावा कई सरकारी व प्राइवेट सेक्टर में फूड टेक्नोलॉजिस्ट, फूड इंस्पेक्टर व हेल्थ इंस्पेक्टर के रूप में अपनी सेवा दे सकते हैं। यदि कोई फ्रीलांस कंसल्टेंट या किसी स्कूल/कॉलेज में रिसर्चर, लेक्चरर, एडवाइजर या हेल्थ डॉक्टर के रूप में कार्य करने का इच्छुक है तो उसे भी निराशा नहीं मिलती। विदेशों में भी काफी अवसर मौजूद हैं।
स्कॉलरशिप
इस क्षेत्र में छात्रों को देश व विदेश में पढ़ने के लिए कई तरह की स्कॉलरशिप दी जाती हैं। एनएएआरएम आईसीएआर सीनियर रिसर्च फैलोशिप, रामालिंगास्वामी फैलोशिप इस क्षेत्र की दो बड़ी स्कॉलरशिप हैं। इसके अलावा एग्री बायोटेक फाउंडेशन, एबीएफ पीएचडी फैलोशिप, एसके पाटिल लोन स्कॉलरशिप व जेएन
टाटा इनडोमेंट स्कॉलरशिप आदि छात्रों की राह आसान बनाती हैं।
इस क्षेत्र में छात्रों को देश व विदेश में पढ़ने के लिए कई तरह की स्कॉलरशिप दी जाती हैं। एनएएआरएम आईसीएआर सीनियर रिसर्च फैलोशिप, रामालिंगास्वामी फैलोशिप इस क्षेत्र की दो बड़ी स्कॉलरशिप हैं। इसके अलावा एग्री बायोटेक फाउंडेशन, एबीएफ पीएचडी फैलोशिप, एसके पाटिल लोन स्कॉलरशिप व जेएन
टाटा इनडोमेंट स्कॉलरशिप आदि छात्रों की राह आसान बनाती हैं।
अनुभव के साथ बढ़ती है सेलरीफूड
टेक्नोलॉजिस्ट को शुरुआती दौर में कम से कम 20,000 से 30,000 रुपए
प्रतिमाह मिलते हैं। दो-तीन साल के अनुभव के बाद सेलरी में भी बढ़ोतरी होती
है। कई ऐसे फूड टेक्नोलॉजिस्ट हैं, जिनका सालाना पैकेज लाखों में हैं।
विदेश में प्रोफेशनल्स को आकर्षक सेलरी मिलती है, जबकि फ्रीलांस कंसल्टेंट
या एडवाइजर के रूप में काम करने पर योग्यता के अनुसार कीमत मिलती है।
प्रोफेशनल्स चाहें तो अपना काम भी शुरू कर सकते हैं।
एजुकेशनल लोन
छात्रों को प्रमुख राष्ट्रीयकृत, प्राइवेट अथवा विदेशी बैंकों द्वारा एजुकेशन लोन प्रदान किया जाता है। छात्र को जिस संस्थान में एडमिशन लेना होता है, वहां से जारी एडमिशन लेटर, हॉस्टल खर्च, ट्यूशन फीस एवं अन्य खर्चों का ब्योरा बैंक को देना होता है। साथ ही अभिभावक का आय संबंधी प्रमाण पत्र बतौर गारंटर जमा कराना अनिवार्य है। हर बैंक की अपने नियम व शर्तें हैं।
छात्रों को प्रमुख राष्ट्रीयकृत, प्राइवेट अथवा विदेशी बैंकों द्वारा एजुकेशन लोन प्रदान किया जाता है। छात्र को जिस संस्थान में एडमिशन लेना होता है, वहां से जारी एडमिशन लेटर, हॉस्टल खर्च, ट्यूशन फीस एवं अन्य खर्चों का ब्योरा बैंक को देना होता है। साथ ही अभिभावक का आय संबंधी प्रमाण पत्र बतौर गारंटर जमा कराना अनिवार्य है। हर बैंक की अपने नियम व शर्तें हैं।
एक्सपर्ट व्यू
तेजी से बढ़ रहा है स्कोप
तेजी से बढ़ रहा है स्कोप
खाद्य
सुरक्षा विधेयक पारित हो जाने के बाद इस इंडस्ट्री में कई तरह के बदलाव
आएंगे। मसलन, असंगठित क्षेत्र की कंपनियों को संगठित क्षेत्र के दायरे में
लाने, कंपनियों को क्वालिटी पर विशेष ध्यान देने व प्रोसेसिंग को और मजबूत
बनाने संबंधित कार्य प्रमुखता से होंगे। ऐसी संभावना बन रही है कि डिप्लोमा
करने वाले छात्रों को भी आसानी से जॉब मिल सकेगी। पिछले कुछ सालों में
सरकारी क्षेत्रों के साथ-साथ टीचिंग में भी स्कोप बढम है। इंडस्ट्री में
क्वालिफाइड प्रोफेशनल्स की डिमांड भी बढ़ी है।
डॉ. एके सिंह, सीनियर साइंटिस्ट, एनडीआरआई, करनाल, हरियाणा
डॉ. एके सिंह, सीनियर साइंटिस्ट, एनडीआरआई, करनाल, हरियाणा
फैक्ट फाइल
कहती है इंडस्ट्री
भारत में फूड इंडस्ट्री का काफी विस्तृत बाजार है। इसकी स्थापना 1942 में हुई थी। जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ इस इंडस्ट्री का दायरा भी बढ़ता जा रहा है। भारत के कृषि प्रधान देश होने का बड़ा फायदा इस इंडस्ट्री को भी मिलता है।
कहती है इंडस्ट्री
भारत में फूड इंडस्ट्री का काफी विस्तृत बाजार है। इसकी स्थापना 1942 में हुई थी। जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ इस इंडस्ट्री का दायरा भी बढ़ता जा रहा है। भारत के कृषि प्रधान देश होने का बड़ा फायदा इस इंडस्ट्री को भी मिलता है।
फेडरेशन
ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की रिपोर्ट के
अनुसार 2010 में जहां फूड इंडस्ट्री का बाजार 8,14,500 करोड़ था वहीं 2015
तक इसके 11,60,000 करोड़ (30 प्रतिशत ग्रोथ की दर से) तक पहुंचने की उम्मीद
है।
यह भी संभावना जताई जा रही है कि 2020 तक इसमें 23 प्रतिशत ग्रोथ के साथ इसका इसका बाजार 14,30,000 करोड़ तक पहुंच जाएगा।
देश
में फलों-सब्जियों की प्रोसेसिंग और बेकरी प्रोडक्ट का बड़ा स्पेक्ट्रम
मौजूद है। एक आंकड़ों की मानें तो भारत विश्व में फलों के उत्पादन में 9
प्रतिशत, सब्जियों में 9.3 प्रतिशत योगदान देता है।
प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान
नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीटय़ूट, करनाल, हरियाणा
वेबसाइट: www.ndri.res.in
वेबसाइट: www.ndri.res.in
यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली, दिल्ली
वेबसाइट: www.du.ac.in
वेबसाइट: www.du.ac.in
गोविन्द बल्लभ पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, पंतनगर
वेबसाइट: www.gbpuat.ac.in
वेबसाइट: www.gbpuat.ac.in
सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीटय़ूट, मैसूर
वेबसाइट: www.cftri.com
वेबसाइट: www.cftri.com
सीएसके कृषि विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश
वेबसाइट: www.hillagric.ac.in
वेबसाइट: www.hillagric.ac.in
एसएनडीटी वुमन यूनिवर्सिटी, मुंबई
वेबसाइट: www.sndt.ac.in
वेबसाइट: www.sndt.ac.in
गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर
वेबसाइट: www.gndu.ac.in
वेबसाइट: www.gndu.ac.in
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