20 वीं शताब्दी के शुरुआत में जहां एक बार में एक ही जीन तथा प्रोटीन के बारे में अध्ययन सम्भव था , वहीं अब एक ही बार में जीन की पूरी संरचना को जानना सम्भव है। पहले जहां एक-एक केमिकल और ड्रग्स का अध्ययन अलग-अलग करना पड़ता था , वहीं अब करीब पांच लाख केमिकल कम्पाउंडों के बारे में एक या दो सप्ताह में ही जाना जा सकता है। जाहिर है , इतने
बड़े पैमाने पर किए गए अध्ययन से मिलने वाले आंकड़ों को व्यवस्थित रूप से
रखना और दूसरे लोगों की जानकारी के लिए सुविधाजनक बनाना जरूरी है। वह शख्स , जो इसे सम्भव बनाता है , वह है - बायोइन्फॉर्मेटिक्स विशेषज्ञ। एक बायोइन्फॉर्मेटिक्स सूक्ष्म जीव विज्ञानी और कम्प्यूटर प्रोग्रामर का एकीकृत रूप है।
बायोइन्फॉर्मेटिक्स एक उभरता हुआ क्षेत्र है और इसका उपयोग मुख्य रूप से ड्रग डिजाइन , जीन थेरेपी ,डायग्नोस्टिक , क्रॉप इम्प्रूवमेंट , बॉयोकेमिकल प्रोसेस जैसे जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में होता है । जैव प्रौद्योगिकी में आंकड़ों के विश्लेषण के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें खास तौर पर प्रोटीन मॉलीक्यूल्स और जीनोम के लिए व्यापक इलेक्ट्रॉनिक्स डाटा बेस का निर्माण तथा बायोमॉलीक्यूल और बायोलॉजिक सिस्टम का त्रिआयामी चित्रण होता है ।
भारत में ऑन लाइन या ऑफ लाइन तरीकों से , जैवकीय आंकड़ों के बेहतर इस्तेमाल के लिए एक नेशनल बायोइन्फॉर्मेटिक्स नेटवर्क (एनबीएन) का विकास किया गया है , जिसमें एक प्रधान केंद्र , दस डिस्ट्रीब्यूटेड इन्फॉर्मेशन सेंटर (डीआईसी) तथा 44 उप सेंटर शामिल हैं।
शिक्षण तथा प्रशिक्षण
बायोइन्फॉर्मेटिक्स एक ऐसी विद्या है , जिसका अब भी दुनिया भर में विस्तार हो रहा है। भारत में विज्ञान या चिकित्सा विज्ञान , इंजीनियरिंग कृषि , फॉर्मेसी तथा इससे सम्बंधित स्नातकों के लिए एक वर्षीय एडवांस पोस्ट डिप्लोमा कोर्स का चयन सबसे उपयुक्त है। कुछ विश्वविद्यालयों द्वारा चलाए जा रहे औपचारिक पाठ्यक्रमों के अलावा कई अनौपचारिक प्रशिक्षण भी चलाए जा रहे हैं । लेकिन कोर्स करने के लिए बायोलॉजी के साथ-साथ कंप्यूटर की अच्छी जानकारी होना भी बेहद जरूरी है। जीव विज्ञान की पृष्ठभूमि और कंप्यूटर की बेहतर समझ रखने वाले छात्रों के लिए बायोइन्फॉर्मेटिक्स एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
कुछ औपचारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम
पुणे विश्वविद्यालय के बायोइन्फॉर्मेटिक सेंटर की स्थापना 1987 में की गई थी। यहां बायोइन्फॉर्मेटिक्स में एक वर्ष का एडवांस डिप्लोमा कोर्स कराया जाता है।
योग्यता : किसी भी विज्ञान विषय- एमबीएससी , एमएससी (कृषि) , एमफॉर्मा , एमडी , एमई , एमसीए या बीई ,एमबीबीएस अथवा बीटेक में 60 प्रतिशत
अंकों के साथ पोस्ट ग्रेजुएट करने वाले छात्र दाखिले के लिए आवेदन कर सकते
हैं। आरक्षित वर्ग के छात्रों के लिए छूट दी गई है। 55 प्रतिशत
अंक प्राप्त करने वाले आरक्षित वर्ग के छात्र दाखिले के लिए आवेदन कर सकते
हैं। दाखिले के लिए आवेदन करने वाले छात्रों का चयन प्रवेश परीक्षा के
आधार पर किया जाता है। विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा का आयोजन हर साल जून
महीने में करता है। प्रश्नपत्र दो भागों (सेक्शन ए और बी) में बंटा होता
है , जिसमें बहुविकल्पीय और व्याख्यात्मक दोनों तरह के प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रवेश परीक्षा का निर्धारित समय दो घंटे का होता है।
परीक्षा पत्र के सेक्शन ए में बहुविकल्पीय प्रश्नपत्र होते हैं , जिसमें बारहवीं तक के पाठ्यक्रम के आधार पर प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रश्नपत्र में तर्कबुद्धि परीक्षा , रीजनिंग और अंग्रेजी विषय से सम्बंधित प्रश्न होते हैं। सेक्शन ए के सभी प्रश्न अनिवार्य होते हैं।
सेक्शन बी में व्याख्यात्मक प्रश्न पूछे जाते हैं , जिसमें भौतिक , रसायन , सूक्ष्म जीव विज्ञान , जैव , भौतिकी , गणित तथा सांख्यिकी के प्रश्न शामिल होते हैं। सेक्शन बी में पूछे गए करीब 75 प्रश्नों में से 90 प्रश्नों का उत्तर करीब 100-150 शब्दों में देना होता है।
बायोइन्फार्मेटिक्स सेंटर ,
पुणे विश्वविद्यालय , पुणे - 411007
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय
यहां बायो इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (बीआईसी) 1989 में स्थापित किया गया था। बीआईसी जेनेटिक इंजीनियरिंग , जैव भौतिकी , जैव प्रौद्योगिकी तथा बायोकम्प्यूटिंग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में शोध तथा विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
योग्यता: जीव विज्ञान की किसी भी शाखा जैसे बायो केमस्ट्री , बायो फिजिक्स , माइक्रोबायोलॉजी , मॉ लीक्यूलर बायोलॉजी , बायो टेकनेलॉजी , लाइफ साइंसेज , बॉटनी , जूलॉजी , एमब ीबीएस में द्वितीय श्रेणी (कम से कम 55प्रतिशत
अंक तथा समानांतर ग्रेड) में स्नातक और दसवीं कक्षा तक गणित का अनिवार्य
विषय के रूप में अध्ययन होना जरूरी है। प्रवेश परीक्षा मई में आयोजित की
जाती है। इस परीक्षा में कम्प्यूटर जीनोमिक्स , मॉलीक्यूलर ,मॉडलिं ग , स्टेटिस्टीकल मेथड्स , कम्पयूटेशन टेकनीक आदि विषयों से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। बीआईसी में प्रवेश परीक्षा की सूचना फरवरी में दी जाती है।
बायोइन्फॉर्मेटिक्स सेंटर स्कूल ऑफ बायोटेकनेलॉजी
मदुरई कामराज यूनिवर्सिटी पलकलई नगर , मदुरई- 625021
पाठ्यक्रम: बायोइन्फॉर्मेटिक्स में एक वषीर्य एडवांस डिप्लोमा कोर्स
योग्यता: भौतिक , रसायन , गणित , बायोटे कनेलॉजी , माइक्रोबायोलॉजी , फॉ मेर्कोलॉजी , कम्प्यूटर
साइंस आदि में स्नातकोत्तर (एमए) या किसी भी मान्यता प्राप्त
विश्वविद्यालय से एमटेक या एमबीबीएस डिग्रीधारी आवेदन कर सकते हैं।
इंडस्ट्री स्पॉन्सर्ड उम्मीदवार भी दाखिला ले सकते हैं। चयनित उम्मीदवार को
हजार रुपये छात्रवृत्ति दी जाती है। उम्मीदवारों का चयन प्रवेश परीक्षा और
साक्षात्कार के आधार पर किया जाता है।
प्रस्तुति: सरोज सिंह
बायोइन्फॉर्मेटिक्स एक उभरता हुआ क्षेत्र है और इसका उपयोग मुख्य रूप से ड्रग डिजाइन , जीन थेरेपी ,डायग्नोस्टिक , क्रॉप इम्प्रूवमेंट , बॉयोकेमिकल प्रोसेस जैसे जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में होता है । जैव प्रौद्योगिकी में आंकड़ों के विश्लेषण के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें खास तौर पर प्रोटीन मॉलीक्यूल्स और जीनोम के लिए व्यापक इलेक्ट्रॉनिक्स डाटा बेस का निर्माण तथा बायोमॉलीक्यूल और बायोलॉजिक सिस्टम का त्रिआयामी चित्रण होता है ।
भारत में ऑन लाइन या ऑफ लाइन तरीकों से , जैवकीय आंकड़ों के बेहतर इस्तेमाल के लिए एक नेशनल बायोइन्फॉर्मेटिक्स नेटवर्क (एनबीएन) का विकास किया गया है , जिसमें एक प्रधान केंद्र , दस डिस्ट्रीब्यूटेड इन्फॉर्मेशन सेंटर (डीआईसी) तथा 44 उप सेंटर शामिल हैं।
शिक्षण तथा प्रशिक्षण
बायोइन्फॉर्मेटिक्स एक ऐसी विद्या है , जिसका अब भी दुनिया भर में विस्तार हो रहा है। भारत में विज्ञान या चिकित्सा विज्ञान , इंजीनियरिंग कृषि , फॉर्मेसी तथा इससे सम्बंधित स्नातकों के लिए एक वर्षीय एडवांस पोस्ट डिप्लोमा कोर्स का चयन सबसे उपयुक्त है। कुछ विश्वविद्यालयों द्वारा चलाए जा रहे औपचारिक पाठ्यक्रमों के अलावा कई अनौपचारिक प्रशिक्षण भी चलाए जा रहे हैं । लेकिन कोर्स करने के लिए बायोलॉजी के साथ-साथ कंप्यूटर की अच्छी जानकारी होना भी बेहद जरूरी है। जीव विज्ञान की पृष्ठभूमि और कंप्यूटर की बेहतर समझ रखने वाले छात्रों के लिए बायोइन्फॉर्मेटिक्स एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
कुछ औपचारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम
पुणे विश्वविद्यालय के बायोइन्फॉर्मेटिक सेंटर की स्थापना 1987 में की गई थी। यहां बायोइन्फॉर्मेटिक्स में एक वर्ष का एडवांस डिप्लोमा कोर्स कराया जाता है।
योग्यता : किसी भी विज्ञान विषय- एमबीएससी , एमएससी (कृषि) , एमफॉर्मा , एमडी , एमई
परीक्षा पत्र के सेक्शन ए में बहुविकल्पीय प्रश्नपत्र होते हैं , जिसमें बारहवीं तक के पाठ्यक्रम के आधार पर प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रश्नपत्र में तर्कबुद्धि परीक्षा , रीजनिंग और अंग्रेजी विषय से सम्बंधित प्रश्न होते हैं। सेक्शन ए के सभी प्रश्न अनिवार्य होते हैं।
सेक्शन बी में व्याख्यात्मक प्रश्न पूछे जाते हैं , जिसमें भौतिक , रसायन , सूक्ष्म जीव विज्ञान , जैव , भौतिकी , गणित तथा सांख्यिकी के प्रश्न शामिल होते हैं। सेक्शन बी में पूछे गए करीब 75 प्रश्नों में से 90 प्रश्नों का उत्तर करीब 100-150 शब्दों में देना होता है।
बायोइन्फार्मेटिक्स सेंटर ,
पुणे विश्वविद्यालय , पुणे - 411007
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय
यहां बायो इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (बीआईसी) 1989 में स्थापित किया गया था। बीआईसी जेनेटिक इंजीनियरिंग , जैव भौतिकी , जैव प्रौद्योगिकी तथा बायोकम्प्यूटिंग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में शोध तथा विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
योग्यता: जीव विज्ञान की किसी भी शाखा जैसे बायो केमस्ट्री , बायो फिजिक्स , माइक्रोबायोलॉजी , मॉ
बायोइन्फॉर्मेटिक्स सेंटर स्कूल ऑफ बायोटेकनेलॉजी
मदुरई कामराज यूनिवर्सिटी पलकलई नगर , मदुरई- 625021
पाठ्यक्रम: बायोइन्फॉर्मेटिक्स में एक वषीर्य एडवांस डिप्लोमा कोर्स
योग्यता: भौतिक , रसायन , गणित , बायोटे
प्रस्तुति: सरोज सिंह
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