पर्यावरण
संतुलन के लिए जल और जंगल दोनों का संरक्षण जरूरी है। इनके कंजर्वेशन पर
जितना ध्यान देंगे, हमारा जीवन उतना ही सिक्योर होगा। भारत सरकार ने
2015-16 को वॉटर कंजर्वेशन वर्ष के रूप में मनाने का फैसला लिया है। साथ
ही, वन संपदा को बढ़ाने के लिए ग्रीन जॉब्स को प्रोत्साहन देने पर भी जोर
है। देश के पैशनेट युवा फॉरेस्ट्री, फॉरेस्ट मैनेजमेंट, वॉटर मैनेजमेंट,
वॉटर कंजर्वेशन आदि सेक्टर्स में अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं। वल्र्ड
फॉरेस्ट्री डे (21 मार्च) और वल्र्ड वॉटर डे (22 मार्च) के मौके पर जानें
इन दोनों क्षेत्रों में आकर्षक करियर संभावनाओं के बारे में ...
बात
ग्लोबल वार्मिंग की हो, मौसम में बदलाव की, जल संकट की या प्राकृतिक
विपदाओं की। ये सभी समस्याएं कहीं न कहीं, जंगलों से जुड़ी हैं। यानी अगर
जंगलों की सही देखरेख और प्रबंधन हो, तो पर्यावरण संतुलन को बनाए रखना काफी
हद तक आसान हो जाता है। पर्यावरण और एडवेंचर के शौकीन बहुत से युवा आज इस
बात को समझने लगे हैं। इसीलिए फॉरेस्ट्री में करियर बनाने को लेकर दिलचस्पी
और रुझान दोनों बढ़े हैं।
फॉरेस्टर की दुनिया
एक
फॉरेस्टर के ऊपर वन संसाधनों की सुरक्षा की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती
है। वह जंगल को आग, बीमारी, कीड़ों एवं अवैध कब्जे से बचाता है। जंगलों में
किस तरह काम किया जाए, कौन-से वृक्ष लगाना सही रहेगा, फिर उन्हें कैसे
मार्केट तक पहुंचाया जाए, यह सब एक फॉरेस्टर की निगरानी में होता है। जो
लोग जंगलों में काम करते हैं, उन्हें सुपरवाइज करने की जिम्मेदारी भी
इन्हीं की होती है। ये वेस्टलैंड के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। इसके
अलावा, वन्यजीव या पर्यावरण को आसपास के वातावरण से महफूज रखना, इनका काम
होता है। ये ईको-टूरिज्म को प्रोत्साहन देने में भी अहम रोल निभाते हैं।
साइंटिफिक टेम्परामेंट की जरूरत
अगर
आप आउटडोर रहना पसंद करते हैं, एडवेंचर में मजा आता है, तो फॉरेस्टर एक
बेहतरीन करियर विकल्प हो सकता है। हां, इसके लिए आपको फिजिकली फिट रहना
होगा। इसमें धैर्य के साथ साइंटिफिक टेम्परामेंट भी जरूरी है। आपके अंदर
ऑर्गनाइजिंग क्षमता के साथ-साथ पब्लिक रिलेशन स्किल होनी चाहिए। अगर
फॉरेस्टर में निर्णय लेने की क्षमता नहीं होगी, तो वह वन क्षेत्र की सही
तरीके से देख-रेख नहीं कर सकेगा। आपमें रिसर्च को लेकर भी दिलचस्पी होनी
चाहिए।
कहां-कहां से कर सकते हैं कोर्स
साइंस
स्ट्रीम से 12वीं करने वाले फॉरेस्ट्री में ग्रेजुएशन कर सकते हैं। इसके
लिए विभिन्न यूनिवर्सिटीज द्वारा आयोजित किए जाने वाले एंट्रेंस एग्जाम को
क्लियर करना होगा। हालांकि कुछ यूनिवर्सिटीज में सीधे मेरिट और सीटों की
उपलब्धता के आधार पर दाखिला मिल जाता है। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल
रिसर्च (आइसीएआर) के ऑल इंडिया एंट्रेंस एग्जाम उत्तीर्ण करने वाले
फॉरेस्ट्री स्टूडेंट्स के लिए भी यूनिवर्सिटीज में अलग से कोटा होता है।
कोर्स करने के बाद आप फॉरेस्ट मैनेजमेंट, कॉमर्शियल फॉरेस्ट्री, फॉरेस्ट
इकोनॉमिक्स, फूड साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी, वाइल्ड लाइफ साइंस, एग्रो
फॉरेस्ट्री में दो साल का मास्टर्स या इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट
मैनेजमेंट, भोपाल से दो साल का पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन फॉरेस्ट्री
मैनेजमेंट कर सकते हैं। यहां दाखिले के लिए ग्रेजुएशन में 50 प्रतिशत अंक
होना चाहिए।
गवर्नमेंट-प्राइवेट सेक्टर में मौके
एक
फॉरेस्टर अपनी स्पेशलाइजेशन के अनुसार सरकारी संस्थानों, एनजीओ या
लैबोरेट्री में काम कर सकता है। आप इंडस्ट्रियल एवं एग्रीकल्चरल कंसल्टेंट
के तौर पर भी करियर शुरू कर सकते हैं। इनके अलावा जू, वाइल्ड लाइफ रेंज,
पेटा, वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के साथ भी काम करने के मौके हैं। अगर
सरकारी सेवा में जाना चाहते हैं, तो संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा
आयोजित होने वाले इंडियन फॉरेस्ट सर्विस एग्जाम में शामिल हो सकते हैं।
रिटेन एग्जाम क्लियर करने के बाद आपको पर्सनैलिटी टेस्ट, वॉकिंग टेस्ट और
स्टैंडर्ड मेडिकल फिटनेस टेस्ट में शामिल होना होगा। इसके अलावा, स्टेट
फॉरेस्ट सर्विस भी ज्वाइन कर सकते हैं, जैसे-केरल, कर्नाटक, झारखंड जैसे
राज्यों में फॉरेस्ट्री ग्रेजुएट्स के लिए रेंज ऑफिसर बनने का मौका होता
है। आप सॉयल कंजर्वेशन डिपार्टमेंट में भी काम कर सकते हैं। फॉरेस्ट्री में
मास्टर्स करने वाले एग्रीकल्चरल रिसर्च सर्विस एग्जाम क्लियर कर साइंटिस्ट
बन सकते हैं। वहीं, जो लोग पीएचडी करते हैं, वे किसी भी उच्च शिक्षण
संस्थान, एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी आदि में फैकल्टी, लेक्चरर, जूनियर रिसर्च
ऑफिसर के रूप में अपनी सेवा दे सकते हैं।
और भी हैं ऑप्शंस
-डेंड्रोलॉजिस्ट्स
-एथनोलॉजिस्ट्स
-एन्टमोलॉजिस्ट्स
-सिल्वीकल्चरिस्ट्स
-जू क्यूरेटर्स
प्रमुख इंस्टीट्यूट्स
-डॉ. वाइ.एस.परमार यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टीकल्चर, सोलन
-तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, कोयंबटूर
-बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी
-बिरसा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, रांची
-जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर
-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट मैनेजमेंट, भोपाल,
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