स्पीच पैथोलॉजिस्ट एवं
ऑडियोलॉजिस्ट बोलने या सुनने की समस्या से ग्रस्त बच्चों या बड़ों में
समस्या के स्तर की पहचान कर उसकी रोकथाम व उसे सामान्य बनाने का प्रयास
करते हैं। ऑडियोलॉजिस्ट हर उम्र के व्यक्तियों की जाँच कर श्रवण शक्ति में
कमी, ऑडिटरी, बैलेंस, सेंसर वेन्यूरल समस्याओं का आकलन करते हैं। ये
कंप्यूटर, ऑडियोमीटर, और दूसरे उपकरणों की मरीज को सही उपचार देने की कोशिश
करते हैं।
स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट्स को स्पीच डिसऑर्डर, स्पीच रिद्म, बोलने में मुश्किल या बोलते हुए लफ्जों को छोड़ देने की समस्या पर ध्यान देना होता है। इनके काम में समस्या को समझना, उपचार निवारण शामिल है।
ये मरीज और उसके परिवार के सदस्यों को इस तरह की स्थिति से सामंजस्य बैठाना सिखाते हैं। इन मरीजों को डील करना विशेषज्ञों के अलावा परिवार के लोगों को भी आना चाहिए जिससे मरीज को सही माहौल मिले और वह बेहतर अवस्था की तरफ विकास करे।
स्पीच-लैंग्वेज पैथोलॉजी एवं ऑडियोलॉजी दो जुदा क्षेत्र हैं लेकिन एक दूसरेमें इतने गुंथे हुए हैं कि एक में दक्ष होने के लिए आपको दूसरे की जानकारी होनी आवश्यक है। ये दोनों ही स्पीच, भाषा और श्रवण शक्ति से जुड़े हैं। इनका लक्ष्य उपरोक्त समस्याओं से पीड़ित व्यक्ति को अलग-अलग तरह के सामाजिक हालात में अपनी बात कहने, समझने या समझा पाने के काबिल बनाना है।
स्पीच पैथोलॉजी एवं ऑडियोलॉजी स्वास्थ्य से जुड़ा करियर है जिसमें काम करने वाले पेशेवरों को खास प्रशिक्षण और शिक्षा प्रदान की जाती है ताकि ये लोग स्वास्थ्य क्षेत्र में सेवा तथा उपचार दे सकें। इस क्षेत्र में कार्यरत लोगों को स्पीच पैथोलॉजिस्ट कहते हैं। इस कार्य में संवेदनशीलता की आवश्यकता है।
पेशेवरों को पीड़ित व्यक्ति की समस्या समझकर उसकी मदद करनी होती है। संभव है कि किसी मरीज का सुधार धीमा हो, ऐसे में आपको धैर्य की आदत डालनी होती है। उसकी प्रोग्रेस का रिकॉर्ड रखना और उसका समय-समय पर अवलोकन करना भी आपको आना चाहिए। इन मरीजों को अपने विशेषज्ञ, परिजन व रिश्तेदारों सभी से सहानुभूति व मदद की दरकार होती है अतः इस क्षेत्र से जुड़े पेशेवरों को इसका खास ध्यान रखना चाहिए।
ऑडियोलॉजिक उपचार में मरीज का परीक्षण, ईयर कैनाल की सफाई, सुनने के उपकरण लगाना, हटाना, कॉकलियर इंप्लांट आदि शामिल हैं। इसका पूरा रिकॉर्ड ऑडियोलॉजिस्ट रखते हैं। ज्यादातर बच्चे, बूढ़े या बोलने-सुनने में कमजोर लोगों को ही विशेष उपचार की आवश्यकता होती है।
स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट्स को स्पीच डिसऑर्डर, स्पीच रिद्म, बोलने में मुश्किल या बोलते हुए लफ्जों को छोड़ देने की समस्या पर ध्यान देना होता है। इनके काम में समस्या को समझना, उपचार निवारण शामिल है।
ये मरीज और उसके परिवार के सदस्यों को इस तरह की स्थिति से सामंजस्य बैठाना सिखाते हैं। इन मरीजों को डील करना विशेषज्ञों के अलावा परिवार के लोगों को भी आना चाहिए जिससे मरीज को सही माहौल मिले और वह बेहतर अवस्था की तरफ विकास करे।
स्पीच-लैंग्वेज पैथोलॉजी एवं ऑडियोलॉजी दो जुदा क्षेत्र हैं लेकिन एक दूसरेमें इतने गुंथे हुए हैं कि एक में दक्ष होने के लिए आपको दूसरे की जानकारी होनी आवश्यक है। ये दोनों ही स्पीच, भाषा और श्रवण शक्ति से जुड़े हैं। इनका लक्ष्य उपरोक्त समस्याओं से पीड़ित व्यक्ति को अलग-अलग तरह के सामाजिक हालात में अपनी बात कहने, समझने या समझा पाने के काबिल बनाना है।
स्पीच पैथोलॉजी एवं ऑडियोलॉजी स्वास्थ्य से जुड़ा करियर है जिसमें काम करने वाले पेशेवरों को खास प्रशिक्षण और शिक्षा प्रदान की जाती है ताकि ये लोग स्वास्थ्य क्षेत्र में सेवा तथा उपचार दे सकें। इस क्षेत्र में कार्यरत लोगों को स्पीच पैथोलॉजिस्ट कहते हैं। इस कार्य में संवेदनशीलता की आवश्यकता है।
पेशेवरों को पीड़ित व्यक्ति की समस्या समझकर उसकी मदद करनी होती है। संभव है कि किसी मरीज का सुधार धीमा हो, ऐसे में आपको धैर्य की आदत डालनी होती है। उसकी प्रोग्रेस का रिकॉर्ड रखना और उसका समय-समय पर अवलोकन करना भी आपको आना चाहिए। इन मरीजों को अपने विशेषज्ञ, परिजन व रिश्तेदारों सभी से सहानुभूति व मदद की दरकार होती है अतः इस क्षेत्र से जुड़े पेशेवरों को इसका खास ध्यान रखना चाहिए।
ऑडियोलॉजिक उपचार में मरीज का परीक्षण, ईयर कैनाल की सफाई, सुनने के उपकरण लगाना, हटाना, कॉकलियर इंप्लांट आदि शामिल हैं। इसका पूरा रिकॉर्ड ऑडियोलॉजिस्ट रखते हैं। ज्यादातर बच्चे, बूढ़े या बोलने-सुनने में कमजोर लोगों को ही विशेष उपचार की आवश्यकता होती है।
जॉब राडार
ऑडियोलॉजिस्ट
गवर्नमेंट और प्राइवेट हॉस्पिटल्स, चाइल्ड डेपलपमेंट सेंटर्स, प्री स्कूल,
काउंसिलिंग सेंटर्स, फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर्स, एनजीओ के
अलावा ऑडियोलॉजी एंड स्पीच थेरेपी से रिलेटेड कोर्स करने के बाद खुद का
क्लीनिक भी खोल सकते हैं। ऑडियोलॉजिस्ट की सैलरी 15 हजार से शुरू होती है,
जो एक्सपीरियंस के साथ बढती जाती है। अगर इसके स्पेशलिस्ट के रूप में आपको
विदेश में काम करने का चांस मिल जाता है, तो सैलरी इंडिया की तुलना में कई
गुना तक बढ जाती है।
मेन इंस्टीट्यूट्स
-ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली
-आईपी यूनिवíसटी, दिल्ली
-अली यावरजंग नेशनल इंस्टीट्यूट फार द हियरिंग हैंडिकैप्ड, बांद्रा, मुंबई
-ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच एंड हियरिंग, मैसूर यूनिवíसटी, बैंगलुरु
-पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ
-जे एम इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच एंड हियरिंग, इंद्रपुरी, केशरीनगर, पटना
-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एजुकेशन, पटना
-इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच एंड हियरिंग, बैंगलुरु
-उस्मानिया यूनिवíसटी, हैदराबाद
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