Wednesday, September 30, 2020

केमिकल इंजीनियरिं में करियर


केमिकल इंजीनियरिंग एक बेहतरीन करियर क्षेत्र है। इस फील्ड में रोजगार के अवसरों की कमी नहीं है। इसमें करियर के अवसरों के बारे में जानकारी दे रहे हैं संजीव कुमार सिंह

केमिकल पदार्थों की बढ़ती मात्रा एवं भागीदारी के चलते इसमें रोजगार की संभावना तेजी से बढ़ रही है। इसमें कार्य करने वाले प्रोफेशनल्स ‘केमिकल इंजीनियर’ व यह पूरी प्रक्रिया ‘केमिकल इंजीनियरिंग’ कहलाती है। सामान्यत: केमिकल इंजीनियरिंग को इंजीनियरिंग की एक शाखा के रूप में जाना-समझा जाता है, जिसके अंतर्गत कच्चे पदार्थों एवं केमिकल्स को किसी प्रयोग की चीज में बदला जाता है, जबकि मॉडर्न केमिकल  इंजीनियरिंग कच्चे पदार्थों को बदलने के साथ-साथ तकनीक (नैनोटेक्नोलॉजी और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग) पर भी बल देती है। इस विधा के अंतर्गत रासायनिक उत्पादों के निर्माण में आने वाली समस्याओं का हल ढूंढा जाता है। इसके अलावा उत्पादन प्रक्रिया में होने वाले डिजाइन प्रोसेस का कार्य डिजाइन इंजीनियर देखते हैं। अत: इसमें एक ही साथ कई अलग-अलग क्षेत्रों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि यह पाठ्यक्रम केमिस्ट्री व  इंजीनियरिंग का मिला-जुला रूप है। इसमें कच्चे पदार्थों या केमिकल्स को विभिन्न प्रक्रियाओं के तहत आवश्यक पदार्थों में तब्दील किया जाता है। इसमें नए मेटेरियल एवं तकनीकों की खोज भी की जाती है। इंजीनियरिंग की ही शाखा होने के कारण इसका कार्यस्वरूप काफी कुछ केमिस्ट्री एवं फिजिक्स से मिलता-जुलता है।

कुछ अलग सी है दुनिया
केमिकल इंजीनियर का कार्य केवल डिजाइन एवं मेंटेनेंस तक ही सीमित नहीं होता, बल्कि कई परिस्थितियों में उन्हें कॉस्ट कटिंग एवं प्रोडक्शन सरीखे कार्यों को भी अंजाम देना पड़ता है। एक तरह से देखा जाए तो यह क्षेत्र हमेशा हुनर की तलाश में रहता है। नए आने वाले लोगों को पहले अनुभवी इंजीनियरों के साथ किसी तत्कालीन उपयोगिता वाले कार्य या परियोजना पर काम करने का मौका दिया जाता है।

प्रवेश परीक्षा
इसमें प्रवेश लेने के लिए आईआईटी जेईई या अन्य प्रवेश परीक्षाओं में बैठना अनिवार्य है। इसमें कुछ परीक्षा ऑल इंडिया अथवा कुछ स्टेट लेवल पर आयोजित की जाती हैं। इनमें उत्तीर्ण होने के पश्चात ही प्रमुख कोर्सों में प्रवेश मिल पाता है। इसमें मुख्यत: बीई या बीटेक में मुख्य रूप से इंडस्ट्रियल केमिस्ट्री, पॉलीमर टेक्नोलॉजी, पॉलीमर प्रोसेसिंग, पॉलीमर टेस्टिंग, पॉलीमर सिंथेसिस तथा एम ई स्तर के पाठ्यक्रम में मुख्य रूप से प्लांट डिजाइन, पेट्रोलियम रिफाइन, फर्टिलाइजर टेक्नोलॉजी, पेट्रोकेमिकल्स, सिंथेटिक फाइबर्स, प्रोसेसिंग ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चरल प्रोडक्ट्स आदि की जानकारी दी जाती है।

वैज्ञानिक अभिरुचि से प्रगति
विज्ञान में रुचि एवं सिद्धांतों की जानकारी रखने वाले छात्रों के लिए यह एक विशिष्ट क्षेत्र है। चूंकि यह क्षेत्र अनुसंधान कार्य से जुड़ा है। अत: इसमें करियर बनाने वाले छात्रों को परिश्रमी, धैर्यवान, साहसी व लंबे समय तक अकेले कार्य करने की क्षमता रखनी होगी। साथ ही विश्लेषक, कम्युनिकेशन की दृष्टि से मजबूत, तकनीकी रुचि रखने वाला, कम्यूटर पर अच्छी पकड़ तथा आर्ट की कला में माहिर होना भी आवश्यक है। ऐसे व्यक्ति, जिनमें संख्या आकलन और विश्लेषक की क्षमता के साथ-साथ वैज्ञानिक झुकाव हो तो वे आसानी से इस व्यवस्था की तरफ मुड़ सकते हैं।

पाठय़क्रम संबंधी जानकारी
केमिकल इंजीनियरिंग का पाठय़क्रम केमिकल टेक्नोलॉजी से भिन्न होता है। इसमें आर्गेनिक व इनआर्गेनिक केमिकल्स को शामिल किया जाता है। इसके अंतर्गत बड़ी कंपनियों में डिजाइन एवं मैन्युफैक्चरिंग से संबंधित कार्य किए जाते हैं। रेगुलर कोर्सेज के अलावा दूरस्थ शिक्षा के जरिए भी कई तरह के कोर्स संचालित किए जाते हैं। एक केमिकल इंजीनियर का कार्य केमिकल प्लांट्स को डिजाइन, ऑपरेट एवं उसके प्रोडक्शन से जुड़े कार्यों को अंजाम देना होता है।

कुछ प्रमुख कोर्स
डिप्लोमा इन केमिकल इंजीनियरिंग
बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग इन केमिकल इंजीनियरिंग
बैचलर ऑफ साइंस इन केमिकल इंजीनियिरग
बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी इन केमिकल इंजीनियरिंग
मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग इन केमिकल इंजीनियरिंग
मास्टर ऑफ साइंस इन केमिकल इंजीनियिरग
मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी इन केमिकल इंजीनियरिंग
इंट्रिग्रेटेड एमटेक इन केमिकल इंजीनियरिंग
पोस्ट डिप्लोमा इन पेट्रो केमिकल टेक्नोलॉजी

व्यापक है इसका कार्यक्षेत्र
कोर्स करने के बाद सबसे ज्यादा नियुक्तियां केमिकल, प्रोसेसिंग, मैन्युफैक्चरिंग, प्रिंटिंग, फूड व मिल्क इंडस्ट्री में होती हैं। इसके अलावा प्रोफेशनल्स मिनरल इंडस्ट्री, पेट्रोकेमिकल प्लांट्स, फार्मास्यूटिकल, सिंथेटिक फाइबर्स, पेट्रोलियम रिफाइनिंग प्लांट्स, डाई, पेंट, वार्निश, औषधि निर्माण, पेट्रोलियम टेक्सटाइल एवं डेयरी प्लास्टिक उद्योग आदि क्षेत्रों में रोजगार पा सकते हैं। रासायनिक उद्योग की दृष्टि से भी यह क्षेत्र काफी उत्तम है। शोध में रुचि रखने वाले रिसर्च इंजीनियरिंग का विभाग संभालते हैं। कुछ लोग विपणन व प्रबंधन का काम देखते हैं। प्राइवेट एवं सरकारी संस्थानों में केमिकल इंजीनियरिंग से संबंधित रोजगार की भरमार है। एक केमिकल इंजीनियर को प्रयोगशाला जैसे सरकारी प्रयोगशाला, उद्योग शोध संघ, निजी परामर्श केंद्र, विश्वविद्यालय शोध दल में भी तरह-तरह के कार्य एवं अनुसंधान करने पड़ते हैं। इसके अतिरिक्त वे अन्य कई मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज में विश्लेषण, निर्माण संबंधी कार्य देखते हैं। 

इस रूप में मिलेगा काम
सुपरवाइजर या मैनेजर
टेक्निकल स्पेशलिस्ट
प्रोजेक्ट मैनेजर
प्रोजेक्ट इंजीनियर
केमिकल इंजीनियर
केमिकल डेवलपमेंट इंजीनियर
क्वालिटी कंट्रोलर’ लेबोरेटरी असिस्टेंट 

सेलरी
कार्य, अनुभव, योग्यता एवं पद को देखते हुए प्राइवेट सेक्टर में अधिक पारिश्रमिक दिया जाता है। फ्रेशर्स को प्रारंभ में 15000 से लेकर 25000 रुपए प्रतिमाह तथा अन्य सुविधाएं मिलती हैं, जबकि एक डिप्लोमा धारक को सरकारी संस्थानों द्वारा 14000 से 15000 रुपए प्रतिमाह प्राप्त होते हैं।

कॉलेज के लेक्चरर को प्रारंभिक वेतन 50,000 से 60,000 रुपए प्रतिमाह प्रदान किया जाता है। एक इंजीनियर को सरकारी संस्थानों द्वारा 30,000-40,000 एवं सरकारी आवास तथा अन्य सुविधाएं मिलती हैं।

विज्ञान का ज्ञान आवश्यक
केमिकल इंजीनियर बनने के लिए बीई या बीटेक (स्नातक स्तर) तथा परा स्नातक स्तर पर एमई होना आवश्यक है। ऐसे में जो छात्र आगे चल कर केमिकल इंजीनियर बनना चाहते हैं, उन्हें बारहवीं में विज्ञान विषय लेना होगा। अधिकांश संस्थान ऐसे हैं, जो दसवीं के पश्चात डिप्लोमा या पॉलिटेक्निक से संबंधित कोर्स करवाते हैं। बीई तथा बीटेक चार वर्ष का तथा एमई दो वर्ष का होता है। यदि बारहवीं के पश्चात सीधे एमई में दाखिला लेते हैं तो वह पांच वर्ष का हो जाता है। इसी तरह से केमिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कोर्स तीन वर्ष का होता है।

एक्सपर्ट व्यू
प्रो.एएसके सिन्हा

चैलेंज व स्कोप दोनों हैं अनलिमिटेड
आमतौर पर लोगों का मानना है कि केमिकल इंजीनियरिंग का पूरा आधार केमिस्ट्री पर होता है तथा सिलेबस में भी यह सब्जेक्ट ज्यादा हावी होता है, जबकि यह सत्य नहीं है। केमिस्ट्री के अलावा इसमें अन्य कई चीजों को शामिल किया जाता है। आज बायोमास, हाइड्रोजन, सोलर एनर्जी, आरओ प्लांट आदि सभी के पीछे केमिकल इंजीनियरों की मेहनत छिपी होती है। प्रदूषण दूर करने में भी इसका योगदान सराहनीय होता है। फर्टिलाइजर, यूरिया, अमोनिया व दवाओं आदि को केमिकल इंजीनियरों की मदद से ही तैयार किया जाता है। इस आधार पर कहना गलत न होगा कि केमिकल इंजीनियरिंगजीवन के हर क्षेत्र से जुड़ी है। जो भी एनर्जी के सोर्स हैं,वे सब केमिकल हैं, इसलिए इसका दायरा व स्कोप काफी बडम है। इसमें प्रोफेशनल्स को कदम-कदम पर तमाम तरह की चुनौतियां भी उठानी पडम्ती हैं। एनर्जी क्राइसेस, मेन्युफेक्चरिंग सेक्टर के ऑटोमेशन आदि का सामना केमिकल इंजीनियरों को करना पड़ता है। इस फील्ड में लड़कियों की संख्या पहले की अपेक्षा बढ़ी है। कुछ वर्ष पहले तक क्लास में 1-2 प्रतिशत लड़कियां होती थीं, लेकिन अब उनकी संख्या बढ़कर 10-12 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
प्रो. एएसके सिन्हा, हेड केमिकल  इंजीनियरिंगडिपार्टमेंट, आईआईटी, बीएचयू, वाराणसी

फैक्ट फाइल
प्रमुख संस्थान
देश में कई ऐसे संस्थान हैं, जो केमिकल इंजीनियरिंग एवं केमिकल टेक्नोलॉजी के पाठय़क्रम मुहैया कराते हैं। प्रमुख संस्थान निम्न हैं-

इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
वेबसाइट- www.iitd.ernet.in
(मुंबई, गुवाहाटी, कानपुर, खड़गपुर, चेन्नई, रुड़की आदि में भी शाखाएं मौजूद)

बिड़ला इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटीएस), रांची
वेबसाइट- www.bitmesra.ac.in

दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, नई दिल्ली
वेबसाइट- www.dce.edu

इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, इलाहाबाद
वेबसाइट- www.iiita.ac.in

इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीएचयू), वाराणसी
वेबसाइट- www.iitbhu.ac.in

जाकिर हुसैन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, अलीगढ़
वेबसाइट-  www.amu.ac.in

Sunday, September 13, 2020

इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में करियर

इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग क्या है?

इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग (ईईई) की फील्ड इलेक्ट्रिसिटी, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म के एप्लीकेशन्स से संबद्ध है. इसके कोर्सवर्क में छात्रों को इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट्स को डिज़ाइन करने, विकसित करने और टेस्ट करने के लिये प्रैक्टिकल ट्रेनिंग देना शामिल है. यह फील्ड छात्रों को कोर इंजीनियरिंग विषयों जैसेकि कम्युनिकेशन्स, कंट्रोल सिस्टम्स, सिग्नल प्रोसेसिंग, रेडियो फ्रीक्वेंसी डिज़ाइन, माइक्रोप्रोसेसर्स, पॉवर जनरेशन आदि में फंडामेंटल नॉलेज की एक व्यापक रेंज उपलब्ध करवाती है.

इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर क्या करता है?

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग पढ़ने वाले छात्र का मेन फोकस इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज, मेकाट्रोनिक्स टेक्नोलॉजीज़, ऑटोमेशन और कंट्रोल सिस्टम्स आदि की डिजाइनिंग, डेवलपमेंट और निर्माण कार्य से संबद्ध होगा. ये छात्र इलेक्ट्रिकली ऑपरेटेड व्हीकल्स, कंप्यूटर्स, इलेक्ट्रॉनिक मेमोरी स्टोरेज डिवाइसेज, इंडस्ट्रियल रोबोट्स, सीएनसी मशीन्स आदि के लिए सर्किट्स डिज़ाइन करने के लिए भी जिम्मेदार होते हैं. इसके साथ ही इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स पॉवर जनरेशन ट्रांसमिशन और टेलीकम्यूनिकेशन सेक्टर्स में भी काम करते हैं.

कोर्सेज और ड्यूरेशन

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की फील्ड छात्रों के बीच बड़ी तेज़ी से लोकप्रिय इंजीनियरिंग करियर ऑप्शन बन रही है. इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग के लिए एकेडेमिक क्राइटेरिया को मुख्य तौर पर  निम्नलिखित चार कोर्सेज/ प्रोग्राम्स में बांटा गया है:

  • डिप्लोमा कोर्सेज – यह कोर्स छात्रों को इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में एक पॉलिटेक्निक डिप्लोमा ऑफर करता है और आप 10 वीं और 12 वीं क्लास पास करने के बाद यह कोर्स कर सकते हैं. इस कोर्स की ड्यूरेशन या अवधि 3 वर्ष है.
  • अंडरग्रेजुएट कोर्सेज – यह एक 4 वर्ष की अवधि का कोर्स है जिसे पूरा करने पर आपको इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक (बैचलर ऑफ़ टेक्नोलॉजी) की डिग्री मिलती है. आप 12 वीं क्लास पास करने के बाद यह कोर्स कर सकते हैं.
  • पोस्टग्रेजुएट कोर्सेज – यह 2 वर्ष की अवधि का कोर्स है जो इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में एमटेक (मास्टर ऑफ़ टेक्नोलॉजी) की पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री ऑफर करता है. इस कोर्स में एडमिशन लेने से पहले आपके पास उपयुक्त फील्ड में अंडरग्रेजुएट डिग्री होनी चाहिए.
  • डॉक्टोरल कोर्सेज – यह इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में डॉक्टोरल डिग्री या पीएचडी (डॉक्टर ऑफ़ फिलोसोफी की डिग्री) प्राप्त करने के लिए एक 3 वर्ष की अवधि का कोर्स है. यह कोर्स करने के लिए छात्रों के पास किसी उपयुक्त विषय में पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए.

सबसे लोकप्रिय उप-विषय

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की फील्ड में कई स्पेशलाइजेशन्स होते हैं और छात्र बैचलर डिग्री प्राप्त करने के बाद हायर डिग्रीज प्राप्त करने के लिए इन उप-विषयों में से किसी एक में स्पेशलाइजेशन हेतु अपनी  स्टडीज जारी रख सकते हैं. इस फील्ड के कुछ सबसे लोकप्रिय स्पेशलाइजेशन्स निम्नलिखित हैं:

• सॉफ्टवेयर

• इलेक्ट्रॉनिक्स

• सिग्नल प्रोसेसिंग

• कंप्यूटर इंजीनियरिंग

• पॉवर इलेक्ट्रॉनिक्स

• कम्युनिकेशन्स

• नैनो टेक्नोलॉजी

• एम्बेडेड सिस्टम्स

• बायोमेडिकल इमेजिंग

• हार्डवेयर

• पावर सिस्टम इंजीनियरिंग (रिन्यूएबल एनर्जी सहित)

• कंट्रोल

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की फील्ड में शामि मेन सब्जेक्ट्स

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की फील्ड में शामिल कुछ मेन सब्जेक्ट्स निम्नलिखित हैं:

• एडवांस्ड डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग

• कम्युनिकेशन सिस्टम्स

• कंट्रोल सिस्टम एनालिसिस

• इलेक्ट्रोमैग्नेटिक

• लो नॉइज़ एम्पलीफायर

• माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स

• पॉवर सिस्टम्स

• सिग्नल सिस्टम्स एंड नेटवर्क्स एनालिसिस

• इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज एंड सर्किट्स

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में कैसे लें एडमिशन?

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में छात्र कई कोर्स कर सकते हैं. यद्यपि इनमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय कोर्स 4 वर्ष का अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम है और छात्र 12 वीं पास करने के बाद इसमें एडमिशन ले सकते हैं. इसके अलावा, इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में विभिन्न कोर्सेज के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया निम्नलिखित है: 

विभिन्न कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया

  • डिप्लोमा कोर्सेज – छात्र ने किसी मान्यताप्राप्त शिक्षा बोर्ड से 10 वीं क्लास का एग्जाम पास किया हो.
  • अंडरग्रेजुएट कोर्सेज – यूजी प्रोग्राम में एडमिशन लेने के लिए छात्र को उपयुक्त एंट्रेंस एग्जाम्स देने होते हैं. इसके अलावा, छात्र ने फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स आदि मुख्य विषयों के साथ 12 वीं क्लास पास की हो.
  • पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज – पीजी प्रोग्राम्स में एडमिशन लेने के लिए भी छात्र को उपयुक्त एंट्रेंस एग्जाम्स पास करने होते हैं. छात्र के पास किसी मान्यताप्राप्त यूनिवर्सिटी से संबद्ध विषय में अंडरग्रेजुएट की डिग्री भी होनी चाहिए.

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग कोर्सेज के लिए एंट्रेंस एग्जाम्स

इंजीनियरिंग के विभिन्न विषयों में एडमिशन लेने के लिए राष्ट्रीय, राज्य और यूनिवर्सिटी लेवल पर एंट्रेंस एग्जाम्स आयोजित किये जाते हैं. इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने के लिए छात्र निम्नलिखित लोकप्रिय एग्जाम्स दे सकते हैं:

• जॉयंट एंट्रेंस एग्जाम - मेन (जेईई मेन)

• जॉयंट एंट्रेंस एग्जाम - एडवांस्ड (जेईई एडवांस्ड)

• ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग (गेट)

• वीआईटी इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम (वीआईटीईई)

• वीआईटी यूनिवर्सिटी मास्टर’स एंट्रेंस एग्जाम (वीआईटीएमईई)

• बिड़ला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड साइंस हायर डिग्री एग्जाम (बीआईटीएस एचडी)

• दी महाराष्ट्र कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (एमएचटीसीईटी)

• उत्तर प्रदेश राज्य एंट्रेंस एग्जाम (यूपीएसईई)

• बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस एडमिशन टेस्ट (बीआईटीएसएटी)

भारत में टॉप 10 इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग इंस्टिट्यूट्स

भारत में इंजीनियरिंग कोर्सेज करने के लिए सबसे बढ़िया कॉलेजों के तौर पर ‘इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजीज़’ अर्थात आईआईटी’ज माने जाते हैं. एनआईआरएफ रैंकिंग वर्ष 2018 के अनुसार भी, भारत में यूजीसी से मान्यताप्राप्त टॉप 10 इंजीनियरिंग कॉलेज निम्नलिखित हैं:

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी मद्रास, मद्रास

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी बॉम्बे, बॉम्बे

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी खड़गपुर, खड़गपुर

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी दिल्ली, दिल्ली

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी कानपुर, कानपुर

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी रुड़की, रुड़की

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी गुवाहाटी, गुवाहाटी

• अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई

• जादवपुर यूनिवर्सिटी, कोलकाता

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी हैदराबाद, हैदराबाद

छात्रों के लिए करियर प्रॉस्पेक्ट्स

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की फील्ड इलेक्ट्रिसिटी, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म के एप्लीकेशन्स से संबद्ध है. इन कोर्सेज को करने वाले छात्र इंजीनियरिंग वर्क्स, कंस्ट्रक्शन्स, इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के विभिन्न कार्यक्षेत्रों में करियर ऑप्शन्स तलाश सकते हैं. एक इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर के तौर पर आप इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट, सॉफ्टवेयर और नेटवर्किंग सिस्टम्स को डिज़ाइन करने, डेवलप करने और टेस्ट करने के कार्य करेंगे.

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग का फ्यूचर स्कोप

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स के लिए जॉब के काफी अच्छे अवसर और स्कोप मौजूद हैं. एक इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर के तौर पर आप उन इंडस्ट्रीज में काम कर सकते हैं जो प्रोडक्ट डेवलपमेंट, कंट्रोल सिस्टम्स, सिस्टम मैनेजमेंट, प्रोडक्ट डिज़ाइन, सेल्स, वायरलेस कम्युनिकेशन, मैन्युफैक्चरिंग, केमिकल, ऑटोमोटिव और स्पेस रिसर्च संगठनों से संबद्ध कार्य करती हैं. इस फील्ड में डॉक्टोरल डिग्री प्राप्त करने के बाद छात्र रिसर्च फील्ड में भी कार्य कर सकते हैं.

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स के लिए लोकप्रिय जॉब प्रोफाइल्स

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग के विभिन्न कोर्स करने वाले छात्रों के लिए कुछ लोकप्रिय जॉब प्रोफाइल्स निम्नलिखित हैं:

• चीफ इंजीनियर

• क्वालिटी कंट्रोल इंजीनियर

• कंट्रोल एंड इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियर

• डिज़ाइन इंजीनियर

• इलेक्ट्रिकल इंजीनियर

• ब्रॉडकास्टिंग इंजीनियर

• मैन्युफैक्चरिंग सिस्टम्स इंजीनियर

• सिस्टम एनालिस्ट

• इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर

• आईटी कंसलटेंट

• सिस्टम्स डेवलपर

• नेटवर्क इंजीनियर

रोज़गार के बढ़िया अवसर ऑफर करने वाले लोकप्रिय रिक्रूटर्स

इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स को रिक्रूट करने वाले कुछ प्रसिद्ध ऑर्गेनाइजेशन्स निम्नलिखित हैं:

गवर्नमेंट सेक्टर

• भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल)

• पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पीजीसीआईएल)

• स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल)

• इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो)

• नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनटीपीसी)

• एनएसपीसीएल

• स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड

• गेल

प्राइवेट सेक्टर

• टाटा मोटर्स

• टाटा स्टील एंड पावर लिमिटेड

• एल एंड टी कंस्ट्रक्शन एंड स्टील

• जेनिथ कंस्ट्रक्शन

• जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड

• ओमेगा एलीवेटर

Friday, September 11, 2020

हाउसकीपिंग क्षेत्र में युवाओं के लिए अवसर

वर्तमान समय में हर परिवार की समस्या है बेरोज़गारी,  आज के समय में मास्टर्स (Masters), एमबीए  (MBA), पीएचडी (PHD) करने के बावजूद भी लोग नौकरी की तलाश में लगे है. हर व्यक्ति चाहता है कि हमारी अच्छी जॉब, अच्छी सैलरी हो तो इसके लिए एक ऐसा क्षेत्र है, जहा आपको अच्छी जॉब के साथ अच्छी सैलरी भी मिल सकती है.

हाउसकीपिंग इंडस्ट्री जो बहुत तेज़ी से बढ़ रही है. यह आपके लिए सुनहरा मौका साबित हो सकता है.आज के ज्यादातर युवा अब इसमें अपना भविष्य देख रहे है. क्योंकि हाउसकीपिंग मल्टीटास्किंग होता है हर जॉब में हाउसकीपिंग डिपार्टमेंट अलग -अलग तरीको से काम करता है पर इसकी ज्यादा मांग होटल, हॉस्पिटल और कॉर्पोरेट कंपनियों में है. लोगों के मन में इस प्रोफेशन को लेकर कई तरह की गलतफहमियां है. कई लोगों का मानना है कि हाउसकीपिंग सिर्फ साफ सफाई का काम है. लेकिन ऐसा नहीं है एक हाउस कीपर को सफाई के अलावा और भी बहुत से काम करने पड़ते है. जैसे अतिथियों(Guest) का स्वागत करना या उनका ध्यान रखना हर कार्य को समय पर पूरा करना आपातकालीन स्थिति (Emergency situation ) में सुरक्षा करना आदि.

शैक्षिक योग्यता

हाउसकीपिंग के बहुत सारे कोर्सेस (Courses ) होते है. इस क्षेत्र में मुख्य रूप से 2 तरह के कोर्स होते है -एक जो दसवीं के बाद 3 साल का डिप्लोमा और दूसरा बारहवीं व स्नातक (Graduation ) के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन इन हाउसकीपिंग (Post Graduation in Housekeeping) और मैनेजमेंट का डिप्लोमा जिसके बाद आप हाउस कीपर बन सकते है. यहाँ अलग -अलग पदों में काम किया जाता है. जैसे - एग्जीक्यूटिव हाउसकीपर (Executive House Keeper), असिस्टेंट हाउसकीपर(Assistant House Keeper ), फ्लोर सुपरवाइजर (Floor Supervisor) , स्टोरकीपर (Store Keeper), डेस्क सुपरवाइजर (Desk Supervisor) आदि इस कोर्स को करने के लिए बारहवीं में 50 प्रतिशत अंकों से सफल होना अनिवार्य है. आज कल इस कोर्स के लिए प्रवेश परीक्षा  (Entrance Exam) को भी पास करना पड़ता है. जिसमे लिखित परीक्षा (Theory ) व ग्रुप डिस्कशन (Group Discussion) में पास होने के बाद ही चुनाव किया जाता है.

हाउसकीपिंग कोर्सेज व डिप्लोमा के टॉप इंस्टिट्यूट:

एशियाई इंस्टिट्यूट ऑफ़ हॉस्पिटैलिटी एंड टूरिज्म

क्रैडल ऑफ़ मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट

फ्रैंकफिन इंस्टिट्यूट

हाउसकीपिंग में करियर व सैलरी

वैसे तो हाउसकीपिंग डिपार्टमेंट हर क्षेत्र में होता है. लेकिन इनकी प्रमुख मान्यताएं होटल्स, हॉस्पिटल, कॉर्पोरेट कंपनी व मीडिया हाउस में ज़्यादा होती है. इसमें शुरुआती दिनों में सैलरी 10  से 15 हज़ार के बीच  होती है. लेकिन काम व अनुभव के साथ -साथ वेतन में भी बढ़ोतरी होती है.

हाउसकीपिंग के लिए टॉप प्रशिक्षण स्थान

ओबेरॉय ग्रुप ऑफ़  होटल्स (Oberoi Group of hotels)

हयात कॉर्पोरेशन (Hayat Corporation)

रैडिसन ब्लू (Radisson Blu)

इम्पीरियल होटल (Imperial Hotel)

अशोका होटल (Ashoka Hotel)

ताज ग्रुप्स ऑफ होटल्स ( Taj Groups of Hotel)

मैक्स  हॉस्पिटल (Max Hospital)

मेदांता हॉस्पिटल गुरुग्राम (Medanta Hospital Gurugram)

फोर्टिस हेल्थ केयर (Fortis Health Care)

एयरपोर्ट्स (Airports)

Saturday, September 5, 2020

मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजी का कोर्स कर सवारें अपना भविष्‍य

अब मेडिकल फील्ड में भी राहों की कमी नहीं है. बायोलॉजी के हर स्टुडेंट की ख्वाहिश होती है कि वह डॉक्टर बने. लेकिन अगर वह उसमें सफल नहीं होते, तो निराश होने की जरूरत नहीं है. मेडिकल में अन्य फील्ड भी हैं जहां जॉब की अच्छी संभावनाएं हैं. उनमें से एक है- मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजी. मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजिस्ट की डिमांड निजी और गवर्नमेंट फील्ड्स में भी खूब है.

कैसे होती है एंट्री?
लैब टेक्नोलॉजिस्ट के रूप में करियर बनाने के लिए कई रास्ते खुल गए हैं. इसके लिए सर्टिफिकेट इन मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी, बीएससी मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजी, डिप्लोमा इन मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजी जैसे कोर्स किए जा सकते हैं. आम तौर पर ऐसे कोर्स 12वीं के बाद किए जा सकते हैं. डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश के लिए 12वीं में बायोलॉजी सब्जेक्ट होना जरूरी है, जिसकी अवधि दो वर्ष की होती है. ऐसे इंस्टीट्यूट में एडमिशन लें, जहां अच्छे लैब उपकरण हों. इस फील्ड में जॉब तो बीएससी या डिप्लोमा करके ही हासिल किया जा सकता है. लेकिन किसी अच्छे सब्जेक्ट से पोस्ट ग्रेजुएशन कर लेने से ऑप्शन बढ़ जाते हैं और डिमांड एक स्पेशलिस्ट के रूप होने लगती है.

इस फील्ड में दो तरह के प्रोफेशनल्स काम करते हैं- एक मेडिकल लैबोरेट्री टेक्निशियन और दूसरे मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजिस्ट. आम तौर पर टेक्निशियन के काम को तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है- नमूना तैयार करना, जांच की मशीनों को ऑपरेट करना और उनका रखरखाव तथा जांच की रिपोर्ट तैयार करना. वहीं मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजिस्ट रोगी के खून की जांच, टीशू, माइक्रोआर्गनिज्म स्क्रीनिंग, केमिकल एनालिसिस और सेल काउंट से जुड़े परीक्षण को अंजाम देता है

इस फील्ड में हैं कई राहें
पैरा मेडिकल सिर्फ नर्सिंग और हॉस्पिटल के प्रशासनिक कार्यों तक ही सीमित नहीं है. इसके दायरे में कई सारे फील्ड्स, जैसे- मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी, ऑपरेशन थिएटर टेक्नोलॉजी, फिजियोथेरेपी और ऑक्यूपेशनल थेरेपी, ऑर्थोटिक और प्रोस्थेटिक टेक्नोलॉजी, फार्मेसी, हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन ऐंड मैनेजमेंट, ऑडियोलॉजी ऐंड स्पीच थेरेपी, डेंटल हाइजिन ऐंड डेंटल मैकेनिक और स्वास्थ्य स्वच्छता निरीक्षण आदि आते हैं.

जॉब की संभावनाएं
डीपीएमआइ की प्रिंसिपल डॉ. अरुणा सिंह बताती हैं, ''इसमें गवर्नमेंट फील्ड के जॉब के लिए वैकेंसीज का इंतजार करना पड़ सकता है, लेकिन प्राइवेट सेक्टर में ऐसी बात नहीं है. मेडिकल फील्ड में प्रोडक्ट डेवलपमेंट, मार्केङ्क्षटग सेल्स, क्वालिटी इंश्योरेंस, एन्वायरनमेंट हेल्थ ऐंड इंश्योरेंस जैसे फील्ड्स में भी मेडिकल टेक्नोलॉजिस्ट की डिमांड है.” इस फील्ड में प्रोफेशनल्स की शुरुआती सैलरी 10,000-15,000 रु. प्रति माह है. अनुभव के बाद सैलरी बढऩे के साथ-साथ अपना लैब भी खोला जा सकता है. सरकारी फील्ड में शुरुआत से ही अच्छी सैलरी मिलती है.

हेल्थ सेक्टर में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए डॉक्टर्स के साथ ही पारा मेडिकल प्रोफेशनल्स की जबरदस्त मांग है. इस सेक्टर में इनकी तादाद करीब 60 फीसदी होती है. एक सर्वे के मुताबिक, देश में 2015 तक 60 लाख से अधिक ऐसे प्रोफेशनल्स की जरूरत पड़ेगी. योजना आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में करीब 10,00,000 नर्सों और बड़ी तादाद में ऐसे प्रोफेशनल्स की कमी है. जाहिर है इस फील्ड में करियर की काफी संभावनाएं हैं.