Sunday, July 31, 2022

रिन्यूएबल एनर्जी में करियर

आजकल भारत सहित पूरी दुनिया में रिन्यूएबल एनर्जी, एनर्जी का सबसे महत्त्वपूर्ण साधन है. भारत में इंजीनियर्स के लिए रिन्यूएबल एनर्जी में अनेक विशेष करियर्स उपलब्ध हैं. आइये इस आर्टिकल को पढ़कर जानें.

रिन्यूएबल एनर्जी’ हमें ऐसे प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्त होती है जो कभी समाप्त नहीं होते हैं जैसेकि, सूरज से सोलर पॉवर, पानी से बिजली और हवा से विंड एनर्जी. भारत सरकार ने अपने “आत्मनिर्भर भारत मिशन” के तहत, वर्ष 2030 तक इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड में 500 गीगावाट्स रिन्यूएबल एनर्जी प्रोडक्शन टारगेट हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. वर्ष 2022 तक भारत सरकार का 175 गीगावाट्स या इससे अधिक रिन्यूएबल एनर्जी जनरेट करने का लक्ष्य है.

इन दिनों सोलर एनर्जी का इस्तेमाल 10,902 मेगावाट के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच सकता है और विंड एनर्जी का इस्तेमाल भी 18 फीसदी तक बढ़ सकता है. इस साल भारत में रिन्यूएबल एनर्जी की क्षमता 50 फीसदी या इससे अधिक बढ़ सकती है. रिन्यूएबल एनर्जी रिसोर्सेज को अपनाने के बाद हम ग्रीनहाउस गैसेस पर नियंत्रण करके अपने देश भारत में स्वच्छ हवा के साथ अपने एनवायरनमेंट को भी सुरक्षित और ज्यादा स्वास्थ्य-वर्द्धक बनाने का लक्ष्य हासिल करने में सक्षम बन सकते हैं. रिन्यूएबल एनर्जी में हायर लेवल पर रिक्रूटमेंट के बारे में अगर हम चर्चा करें तो ‘रिन्यूएबल एनर्जी’ इंजीनियरिंग की एक ऐसी ब्रांच है जिसके माध्यम से रिन्यूएबल एनर्जी के विभिन्न आस्पेक्ट्स की थ्योरीटिकल, प्रैक्टिकल और टेक्निकल इंजीनियरिंग की शिक्षा दी जाती है. इसलिए इंडियन इंजीनियर्स रिन्यूएबल एनर्जी में अपना शानदार करियर शुरू कर सकते हैं. आप इस आर्टिकल को पढ़कर रिन्यूएबल एनर्जी के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

भारत में रिन्यूएबल एनर्जी कोर्सेज के लिए एलिजिबिलिटी

•    ऐसे स्टूडेंट्स जिन्होंने किसी मान्यताप्राप्त एजुकेशन बोर्ड से साइंस के विभिन्न विषयों के साथ अपनी 12वीं क्लास प्रथम श्रेणी में पास की हो, यूजीसी से मान्यताप्राप्त किसी यूनिवर्सिटी से रिन्यूएबल एनर्जी की फील्ड में बीएससी या बीटेक कोर्स कर सकते हैं.
•    ऐसे स्टूडेंट्स जिन्होंने किसी मान्यताप्राप्त यूनिवर्सिटी से रिन्यूएबल एनर्जी की फील्ड में बीएससी या बीटेक कोर्स करके ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की हो, इस फील्ड में एमएससी या एमटेक की डिग्री हासिल कर सकते हैं.
•    रिन्यूएबल एनर्जी की फील्ड में रिसर्च वर्क में दिलचस्पी रखने वाले कैंडिडेट्स इस फील्ड में एमफिल और पीएचडी की डिग्री हासिल कर सकते हैं.

रिन्यूएबल एनर्जी प्रोफेशनल्स के लिए एकेडमिक क्वालिफिकेशन

•    बीएससी – रिन्यूएबल एनर्जी
•    एमएससी – रिन्यूएबल एनर्जी
•    बीटेक – रिन्यूएबल एनर्जी
•    एमटेक – रिन्यूएबल एनर्जी

भारत के इन टॉप इंडियन इंस्टीट्यूट्स से करें रिन्यूएबल एनर्जी के विभिन्न कोर्सेज

•    इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, दिल्ली
•    इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, मुंबई
•    नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, त्रिची
•    नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, हमीरपुर
•    यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज, देहरादून
•    अमृता विश्व विद्यापीठम, कोयम्बटूर
•    स्कूल ऑफ़ एनर्जी स्टडीज, पुणे यूनिवर्सिटी
•    एसआरएम यूनिवर्सिटी, चेन्नई
•    एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ़ रिन्यूएबल एंड अल्टरनेटिव एनर्जी, नोएडा
•    स्कूल ऑफ़ एनर्जी स्टडीज, जादवपुर यूनिवर्सिटी, कोलकाता.

भारत में रिन्यूएबल एनर्जी इंजीनियर्स के लिए प्रमुख जॉब प्रोफाइल्स    

रिन्यूएबल एनर्जी इंजीनियर्स ऐसे प्रोफेशनल्स होते हैं जो एनवायर्नमेंट के अनुकूल प्रोडक्शन से संबद्ध ग्रीन जॉब्स के कार्य करते हैं. ये पेशेवर विंड एंड सोलर एनर्जी, जियोथर्मल एंड हाइड्रोपॉवर सहित क्लीन एनर्जी सोर्सेज की संभावनाओं का अधिकतम इस्तेमाल करते हैं. रिन्यूएबल एनर्जी इंजीनियर्स वैकल्पिक एनर्जी प्रोडक्ट्स की निगरानी और विकास से संबद्ध कार्य करते हैं. कोई रिन्यूएबल एनर्जी इंजीनियर एक रिसर्चर या कंसलटेंट के तौर पर काम सकता है और एनवायरनमेंट के अनुकूल एनर्जी एक्सट्रैक्शन प्रोजेक्ट्स को तैयार करने और उनकी निगरानी करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं. इसी तरह, एनर्जी के ज्यादा फायदेमंद इस्तेमाल के लिए ये पेशेवर मैकेनिकल सेक्टर, डिजाइनिंग मशीन्स और अन्य डिवाइसेज को डेवलप करने में अपना योगदान दे सकते हैं. सोलर या विंड एनर्जी के उत्पादन में रिन्यूएबल एनर्जी इंजीनियरिंग का अच्छा उदाहरण मिलता है. 

भारत में रिन्यूएबल एनर्जी में विशेष करियर ऑप्शन्स

इस फील्ड में करियर के काफी आकर्षक विकल्प आजकल हमारे देश में उपलब्ध हैं. हमारे देश की कई बड़ी कंपनियां और मल्टीनेशनल कंपनियां, विभिन्न सरकारी विभाग और नॉन-गवर्नमेंट ऑर्गनाइजेशन्स, इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन कंपनियां, स्टील और पॉवर पर आधारित इंडस्ट्रीज, एनर्जी से जुड़ी विभिन्न इंडस्ट्रीज और प्राइवेट फर्म्स अपने यहां रिन्यूएबल एनर्जी और संबद्ध फ़ील्ड्स में इंजीनियर्स को काफी अच्छे सैलरी पैकेज पर जॉब्स ऑफर कर रही हैं. आजकल हमारे देश में रिन्यूएबल एनर्जी की फील्ड में इंजीनियर्स के लिए निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण करियर ऑप्शन्स उपलब्ध हैं:

·         एनर्जी इंजीनियर्स 

यह पेशा या इंजीनियरिंग फील्ड रिन्यूएबल एनर्जी से सह-संबद्ध है और इन पेशेवरों का प्रमुख काम प्राकृतिक संसाधनों से तेल और गैस जैसा एनर्जी उत्पादन करना और इस संबंध में रिसर्च वर्क करना होता है. ये पेशेवर बायोफ्यूल्स, हाइड्रो पॉवर, विंड पॉवर और सोलर पॉवर जैसी रिन्यूएबल एनर्जी के प्रोडक्शन में भी अपना बहुमूल्य योगदान देते हैं ताकि पेट्रोल और कोयले पर निर्भरता कम हो सके और पर्यावरण को दूषित करने वाले जहरीली गैसों के एमिशन्स को रोका जा सके. भारत में इन पेशेवरों को एवरेज सालाना 4 -15 लाख रुपये का सैलरी पैकेज ऑफर किया जाता है. 

·         ग्रीन बिल्डिंग इंजीनियर्स 

ये पेशेवर पर्यावरण के अनुकूल भवन और मशीनरी आदि डिजाइन करने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं. ये लोग ऐसे डिजाइन्स तैयार करते हैं जिनमें कम पानी का इस्तेमाल हो और सोलर या विंड एनर्जी का इस्तेमाल किया जा सके. एक परम्परागत तरीके से बने भवन की तुलना में इनके द्वारा तैयार किये गए भवन स्वास्थ्य और सुरक्षा की दृष्टि से पर्यावरण के ज्यादा अनुकूल होते हैं. इन पेशेवरों को हमारे देश में आमतौर पर सालाना 5 – 8 लाख के एवरेज सैलरी पैकेज पर नौकरी मिलती है. यह सैलरी पैकेज  बढ़ते हुए कार्य अनुभव के साथ- साथ बढ़ता ही जाता है. 

·         लेक्चरर्स और प्रोफेसर्स 

रिन्यूएबल एनर्जी इंजीनियरिंग की फील्ड और सोलर, विंड, हाइड्रो और अन्य एनर्जी फ़ील्ड्स में स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए ये एक्सपर्ट्स अपना बहुमूल्य योगदान देते हैं. इन पेशेवरों को 3 – 7 लाख रुपये सालाना के एवरेज सैलरी पैकेज पर जॉब ऑफर्स मिलते हैं.

·         टेक्निकल प्रोडक्ट मैनेजर्स 

ये पेशेवर कस्टमर्स की जरूरतों के मुताबिक नए प्रोडक्ट्स तैयार करने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं. ये पेशेवर लेटेस्ट टेक्नोलॉजीज का इस्तेमाल करके नए प्रोडक्ट्स तैयार करने के साथ ही उपलब्ध प्रोडक्ट्स में सुधार करने में अपनी काबिलियत का इस्तेमाल करते हैं. ये पेशेवर अन्य संबद्ध विभागों के साथ मिलजुल कर काम करते हैं और नए प्रोडक्ट्स की उपयोगिता आदि के संबंध में निगरानी करते हैं.

·         रिन्यूएबल एनर्जी इंजीनियर्स 

ये पेशेवर विंड एनर्जी और सोलर पॉवर जैसे क्लीन एनर्जी सोर्सेज से एनवायरनमेंट के अनुकूल एनर्जी प्रोडक्शन को लगातार बढ़ाने की कोशिश करते हैं. ये लोग एनर्जी-एफिशिएंट मशीनरी डिजाइन करने के साथ ही एनर्जी एक्सट्रैक्शन के नये साधन और एनर्जी प्रोडक्शन के नए विकल्प तैयार करते हैं और उनकी निगरानी भी करते हैं. इन पेशेवरों को सालाना 4 – 8 लाख रुपये का सैलरी पैकेज मिलता है. 

·         वाटर नेटवर्क प्लानिंग इंजीनियर्स 

इन पेशेवरों का काम वाटर डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क की प्लानिंग बनाना और डिजाइन तैयार करना है ताकि पानी जैसे प्राकृतिक संसाधन का समुचित उपयोग हो सके. हमारे देश में इन पेशेवरों को एवरेज 3 – 6 लाख रुपये का सालाना सैलरी पैकेज मिलता है.

भारत में रिन्यूएबल एनर्जी के अन्य करियर ऑप्शन्स

•     विंड टरबाइन फैब्रिकेटर
•    सोलर फैब्रिकेटर
•    अल्टरनेटिव एनर्जी रिसर्चर
•    एनर्जी सिस्टम इंजीनियर
•    एनर्जी की फील्ड से संबद्ध डाटा एनालिस्ट/ डाटा साइंटिस्ट

भारत और विदेशों में रिन्यूएबल एनर्जी का सैलरी पैकेज

भारत में रिन्यूएबल एनर्जी की फील्ड में फ्रेशर्स को एवरेज 4 लाख रुपये सालाना का सैलरी पैकेज मिलता है और इस फील्ड में कुछ वर्षों के कार्य-अनुभव के बाद इंजीनियर्स को मिलने वाला ये सैलरी पैकेज अधिकतम 15 लाख रुपये सालाना तक हो जाता है. इस फील्ड में लेक्चरर्स और प्रोफेसर्स को भी संबध एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के निर्धारित मानकों के मुताबिक आकर्षक सैलरी पैकेज मिलता है जो बढ़ते हुए अनुभव के साथ बढ़ता ही जाता है. टेक्निकल प्रोडक्ट मैनेजर्स को एवरेज 2 – 5 लाख रुपये सालाना का सैलरी पैकेज मिलता है. सरकारी क्षेत्र की तुलना में प्राइवेट सेक्टर में इन पेशेवरों को ज्यादा बेहतरीन सैलरी पैकेज पर काम मिलता है. पोस्ट और कार्य-अनुभव के मुताबिक सैलरी पैकेज में काफी अंतर हो सकता है. विदेशों में यह सैलरी पैकेज एवरेज 20 हजार – 28 हजार पौंड सालाना तक है.

Saturday, July 23, 2022

टेक्निकल राइटर

से पहचान 
टेक्निकल राइटर का काम है उपभोक्ता विशेष वर्ग के लिए उत्पाद या सेवा के बारे में सरल तरीके से आवश्यक जानकारी मुहैया कराना। किसी-किसी कंपनी में टेक्निकल राइटर को इंफॉर्मेशन डेवलपर, डॉक्यूमेंटेशन स्पेशलिस्ट, डॉक्यूमेंटेशन इंजीनियर या टेक्निकल कंटेंट डेवलपर भी कहा जाता है। इन दिनों टेक्निकल राइटिंग के क्षेत्र में कॅरियर की अच्छी संभावनाएं हैं।



कार्यक्षेत्र पर नजर 
टेक्निकल राइटर के काम का दायरा विभिन्न क्षेत्रों और नियोक्ता की मांग के अनुरूप तय होता है। वह केवल उत्पाद की  विशेषताओं और क्रियांवयन का सरलीकरण नहीं करते, बल्कि संगठनात्मक प्रक्रियाओं से संबंधित अधिनियमों, नियमों आदि का स्पष्ट प्रस्तुतीकरण भी करते हैं। अपने उत्पाद और उसके प्रयोग की विभिन्न वस्तुओं को उपभोक्ता तक पहुंचाने के लिए कंपनियां जो लेटर, ब्राउशर, प्रॉस्पेक्टस आदि बनवाती है, उनको टेक्निकल राइटर की मदद से ही बनवाया जाता है। इसके अलावा ऐसे राइटर प्रोजेक्ट, रिसर्च मैटीरियल, यूजर गाइड, ऑनलाइन रिपोर्ट, ग्राफिकल प्रेजेंटेशन, जर्नल आदि बनाने का भी कार्य करते हैं। 

योग्यता क्या हो 
इस क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिए लेखन की क्षमता के अलावा कोई संबंधित कोर्स कर लेना फायदेमंद होता है। देश के कुछ शिक्षण संस्थानों में टेक्निकल राइटिंग में डिग्री व डिप्लोमा से लेकर सर्टिफिकेट कोर्स भी चलाए जा रहे हैं। कुछ संस्थानों से ऑनलाइन कोर्स भी किया जा सकता है। पत्रकारिता व जनसंचार, विज्ञापन्, सूचना-प्रौद्योगिकी और अंग्रेजी साहित्य में डिग्री हासिल कर चुके व्यक्ति इस क्षेत्र अपने लिए संभावनाएं तलाश सकते हैं। 

व्यक्तिगत गुण 
सरल और प्रभावपूर्ण भाषा का प्रयोग करने की क्षमता होनी चाहिए, ताकि उपभोक्ता वस्तु के बारे में आसानी से समझ सके। अंग्रेजी और हिंदी भाषा के साथ स्थानीय भाषा पर भी अच्छी पकड़ होनी चाहिए। इसके अलावा कंप्यूटर का वांछित ज्ञान, पब्लिशिंग से जुडी बातों की समझ और उत्पाद के ज्ञान के अलावा इस क्षेत्र की प्रौद्योगिकी जानकारी का होना भी आवश्यक है। 


अवसर कहां-कहां 
सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में टेक्निकल राइटर की मांग बढ़ती जा रही है। बडी-बडी आईटी कंपनियां, जैसे टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इंफोसिस, इंफोटेक आदि में टेक्निकल राइटर की जरूरत बनी रहती है। विज्ञापन एजेंसियों, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट फर्मोँ और मीडिया में काफी संभावनाएं मौजूद हैं। अब तो सरकारी तंत्र में भी इनकी सेवाएं ली जाने लगी हैं। कोई जरूरी नहीं कि आप जॉब ही करें, अनुभव प्राप्त करके बतौर फ्रीलांसर भी आप काम कर सकते हैं।   


प्रमुख संस्थान 
डॉक्यूमेंटेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर, बेंगलुरू 
फॉर सी कंटेंट एक्सपर्ट्स, बेंगलुरू 
टी. डब्ल्यू.बी. इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल कम्युनिकेशन, बेंगलुरू 
टेक्नोप्वॉइंट, बेंगलुरू 
टेक्नोराइटर्स एकेडमी, पुणे 
एक्स.आई.सी, मुंबई 
यूनिवर्सिटी ऑफ कालीकट, केरल714

Tuesday, July 19, 2022

डिजिटल मार्केटिंग में करियर

 डिजिटल दुनिया में कई ऐसे करियर विकल्प हैं जहां भरपूर कमाई के अवसर मौजूद हैं. उन्हीं विकल्पों (Career Options) में से एक है एसईओ यानी सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (Search Engine Optimization). इसकी अहमियत लगातार बढ़ती जा रही है क्योंकि यह इंटरनेट और डिजिटल दुनिया की जरूरत है. ऑनलाइन बिज़नेस की संख्या बढ़ने के साथ कंपनियों के लिए लोगों तक अपनी पहुंच बढ़ाना चुनौतीपूर्ण हो रहा है. आजकल प्रोडक्ट्स की डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing) की जा रही है और इसके लिए नए-नए टूलकिट प्रयोग किए जा रहे हैं. कंटेंट क्रिएशन और प्रमोशन का काम एसईओ के जरिए हो रहा है. प्रोडक्ट्स को सर्च इंजन और सोशल मीडिया फ्रेंडली बनाया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक यूज़र्स तक इसकी पहुंच हो. इन दिनों बड़ी-छोटी सभी कंपनियां अपने बजट का अच्छा खासा हिस्सा SEO पर खर्च कर रही हैं. इस लिहाज से SEO एक्सपर्ट्स की डिमांड लगातार बढ़ रही है. डिजिटल मार्केटिंग में रुचि रखने वाले युवा एसईओ (SEO) में महारत हासिल कर लाखों रुपये महीने कमा सकते हैं. यह फील्ड तरक्‍की की राह आसान बनता है. अब आपके मन में कई तरह के सवाल उठ रहे होंगे. जैस- एसईओ क्या है? इस फील्ड के एक्सपर्ट क्या करते हैं? करियर बनाने के लिए जरूरी योग्यता क्या है? कौन सा कोर्स कहां से करें? कितनी कमाई होगी? जवाब के लिए इस आर्टिकल को पढ़िए. आपकी सुविधा के लिए 10 पॉइंट्स में सभी बातें बताई गई हैं.


 एसईओ क्या है? सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (Search engine optimization) डिजिटल मार्केटिंग का हिस्सा है, जिसका उपयोग किसी भी वेबसाइट की रैंकिंग बढ़ाने के लिए किया जाता है. कोई भी व्यवसायी अपनी वेबसाइट बनाता है तो उसकी पहली प्राथमिकता होती है की उसे वेबसाइट ज्यादा से ज्यादा लोग देखें. इसलिए लोगों तक अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए SEO एक्सपर्ट्स की मदद लेते हैं. बता दें, SEO का उपयोग सिर्फ वेबसाइट ही नहीं बल्कि यूट्यूब चैनल और ब्लॉग के लिए भी किया जाता है.

कैसे करें शुरुआत? अपने शुरुआती दौर में सर्च इंजन विजिबिलिटी-रैंकिंग के लिए एडमिन और वेबसाइट डेवलपर्स ही वेबसाइट सेट करते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं है. अगर आप मार्केटिंग, ब्लॉगिंग, एनालिटिक्स को लेकर जुनूनी हैं तो यह करियर के लिए सही क्षेत्र है. इस फील्ड में ग्रोथ है, जहां स्किल्स बढ़ने के साथ आप डिजिटल मार्केटिंग मैनेजर (Digital Marketing Manager) बन सकते हैं. SEO इंडस्ट्री में फ्रीलांसिंग के अनेक अवसर मिलते हैं. SEO में करियर बनाना चाहते हैं तो इन 10 बातों का ख्याल रखें 1. एसईओ एक ऐसा क्षेत्र हैं जहां आप अनुभव से सीखते हैं. आमतौर पर यह विश्वविद्यालयों में पारंपरिक पाठ्यक्रम के रूप में नहीं पढ़ाया जाता है, इसलिए इस फील्ड में एक्सपर्ट बनने के लिए लिए नौकरी से शुरुआत करें। SEO इंडस्ट्री के लीडर जैसे नील पटेल, ब्रायन डीन, रैंड फिश, बैरी श्वार्ट्ज जैसे लोगों को फॉलो करें और उनके अनुभवों से सीखते रहें. मार्केटिंग एक्सपर्ट्स से जुड़ने का प्रयास करें और उनकी किताबें, आर्टिकल और ब्लॉग पढ़ें. अगर आप साइंस बैकग्राउंड से नहीं हैं, तो भी SEO में करियर की शुरुआत कर सकते हैं. बस आपको कुछ टेक्निकल कॉन्सेप्ट्स (SEO technical concepts) समझने की जरुरत होगी. काम करने के साथ-साथ आप इसके एक्सपर्ट बन जाएंगे. SEO की बारीकियां सीखने के लिए शॉर्ट टर्म ऑनलाइन कोर्स कर सकते हैं. आप किसी ऑनलाइन ग्रुप या फोरम से जुड़ सकते हैं. कुछ प्राइवेट संस्थान ऑनलाइन कोर्स चलाते हैं; उनके बारे में सर्च करिए जुड़ जाइए. आजकल बड़े शहरों में एसईओ ट्रेनिंग सेंटर्स खुलने लगे हैं, जहां 3 से 6 महीने की अवधि वाले सर्टिफिकेट कोर्स करवाए जाते हैं. कोई भी 12वीं पास या ग्रेजुएट युवा इस फील्ड में आ सकता है. कई ऑनलाइन वेबसाइट्स फ्री में एसईओ की बेसिक जानकारी देते हैं. आप इसका फायदा उठा सकते हैं. हालांकि एडवांस कोर्स फ्री नहीं हैं. आप अपनी सुविधानुसार कभी भी किसी भी कोर्स ज्वाइन कर सकते हैं. कुछ संस्थान भी कोर्स करवाते हैं, इनमें से प्रमुख हैं: – लिप्स इंडिया (LIPS India)- मुंबई, पुणे और बंगलुरू में इसके सेंटर्स हैं. आईआईटी, आईआईएम और इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स इसका संचालन करते हैं. – डिजिटल विद्या, दिल्ली – दिल्ली स्कूल ऑफ़ डिजिटल मार्केटिंग – CIIM, चंडीगढ़ आजकल डिजिटल मार्केटिंग तेजी से विकास कर रहा हैं और SEO इसका अहम पहलू है. इस फील्ड बहुत अच्छा करने के लिए आपको डाटाबेस कनेक्टिविटी, फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल, फाइल मैंनेजमेंट जैसे महत्वपूर्ण वेब बेसिक्स सीखने होंगे. कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम (CMS) की समझ भी आवश्यक है. SEO मार्केट की जरूरतों को पूरा करने और अपनी कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए आपको वेब प्लगइन (web plugin), स्कीमा मार्कअप, https 2 प्रोटोकॉल, इंटरनेशनल एसईओ और पेजिनेशन जैसे आधुनिक टूल्स सीखने होंगे.

Saturday, July 16, 2022

एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में करियर


अगर आपका इंट्रेस्ट एग्रीकल्चर फील्ड में है और इसी क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं तो एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग आपके लिए बेस्ट ऑप्शन हो सकता है. एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग फार्मिंग में टेक्नोलॉजी को अप्लाई करती है. जैसे नए और उन्नत फार्मिंग इक्विपमेंट्स डिज़ाइन करना, एग्रीकल्चरल इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे वाटर रिजर्वोयर्स, वेयरहाउसेज, डेम्स और दूसरे फार्मिंग से जुड़े स्ट्रक्चर्स को डिज़ाइन और तैयार करना, एग्रीकल्चर इक्विपमेंट्स और पार्ट्स बनाना उनकी टेस्टिंग करने का काम करते हैं.

इस फील्ड से जुड़े इंजीनियर्स फार्मिंग और उससे जुड़े काम को आसान बनाने की कोशिश करते हैं. इसके अलावा फूड प्रोसेसिंग प्लांट्स और फूड स्टोरेज स्ट्रक्चर्स को डिजाइन करने का काम भी करते हैं. कुछ इंजीनियर्स पुशुओं के लिए हाउसिंग और एनवायरनमेंट्स भी डिज़ाइन करते हैं इसके अलावा बड़े फार्म्स में पोल्यूशन कंट्रोल के लिए भी रिसर्च की जाती है. साथ ही कुछ एग्रीकल्चरल इंजीनियर्स नॉन-फ़ूड रिसोर्सेज जैसे एलगी और एग्रीकल्चरल वेस्ट से बायो-फ्यूल्स की नई वैरायटी डेवलप करने का काम भी करते हैं.

क्वालिफिकेशन एंड कोर्स आप इस फील्ड में करियर बनाने के लिए 10वीं और 12वीं के बाद पॉलीटेक्निक डिप्लोमा कर सकते हैं. ये 3 साल का डिप्लोमा कोर्स होता है. अगर आपको इंजीनियरिंग करनी है तो आप बीटेक या बीई कर सकते हैं इसके लिए आपको साइंस स्ट्रीम से 12वीं पास होना जरूरी है. ये 4 साल का ग्रेजुएट कोर्स है. इसके बाद आप पोस्टग्रेजुएशन कोर्स यानि एमटेक या एमई कर सकते हैं. ये 2 साल का कोर्स होता है.

एंट्रेंस एग्जाम बीटेक या बीई में एडमिशन लेने के लिए बहुत सारे प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज और यूनिवर्सिटीज अपने एंट्रेंस एग्जाम कराती हैं लेकिन कुछ स्टेट लेवल और नेशनल लेवल के टेस्ट पास करने के बाद आपको अच्छे कॉलेज मिल जाते हैं जो आपके करियर के लिए बेहतर साबित होते हैं.
बीटेक/ बीई के लिए टेस्ट 1 इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चरल रिसर्च ऑल इंडिया एंट्रेंस एग्जाम 2 कॉमन इंजीनियरिंग एंट्रेंस टेस्ट, हरियाणा 3 ऑल इंडिया इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम 4 भारथ यूनिवर्सिटी इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम 5 इंजीनियरिंग, एग्रीकल्चरल एंड मेडिकल कॉमन एंट्रेंस एग्जाम 6 गुजरात कॉमन एंट्रेंस टेस्ट 7 इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी बीएचयू एंट्रेंस एग्जाम 8 नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, कंबाइंड प्री-एंट्रेंस टेस्ट 9 इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम 10 इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, ज्वाइन एडमिशन टेस्ट
एमटेक / एमई के लिए टेस्ट 1 नॉर्थ ईस्टर्न रीजनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी एंट्रेंस एग्जाम 2 इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चरल रिसर्च ऑल इंडिया एंट्रेंस एग्जाम 3 ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट, इंजीनियरिंग 4 इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, ज्वाइन एडमिशन टेस्ट
टॉप एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटीज 1 तमिलनाडु वेटेरिनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी, चेन्नई 2 चौधरी चरण सिंह हरियाणा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, हिसार 3 चंद्रशेखर आजाद एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी 4 तमिलनाडु एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, तमिलनाडु 5 सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, मणिपुर 6 सरदार वल्लभ भाई पटेल यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, उत्तर प्रदेश 7 गोविंद बल्लभ पंत यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी 8 आचार्य एनजी रंगा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी 9 इलाहाबाद यूनिवर्सिटी 10 जीबी पंत यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजीजॉब एंड रिक्रूटर्स एग्रीकल्चरल इंजीनियर्स के लिए जॉब के अच्छे ऑप्शन हैं. हमारे देश में करीब 80 प्रतिशत लोग खेती करते हैं ऐसे में इस फील्ड में नौकरी की संभावनाएं बहुत ज्यादा हैं. ज्यादतर एग्रीकल्चरल इंजीनियर्स फार्मिंग, फॉरेस्ट्री और फ़ूड प्रोसेसिंग जैसे सेक्टर्स में आसानी से नौकरी पा सकते हैं. ये इंजीनियर्स इंजीनियरिंग के अलावा आर्किटेक्चरल और उससे जुड़ी सर्विसेज में भी काम करते हैं. इसके अलावा फ़ूड मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े फील्ड में भी अच्छे जॉब ऑप्शन हैं. इस फील्ड में सरकारी नौकरी के भी अच्छे विकल्प हैं. एग्रीकल्चरल इंजीनियर्स इंडोर और आउटडोर दोनों जगहों पर काम करते हैं.टॉप रिक्रूटमेंट कंपनी
1 अमूल डेरी 2 मदर डेरी 3 नेस्ले इंडिया 4 फ्रीगोरिफीको अल्लाना 5 आईटीसी 6 फार्मिंग इंडस्ट्री कंसल्टेंट्स 7 एग्रीकल्चरल कमोडिटीज प्रोसेसर्स 8 एस्कॉर्ट्स 9 प्रोएग्रो सीड 10 पीआरएडीएएन

Sunday, July 10, 2022

माइक्रोबायोलॉजी में करियर

माइक्रोबायोलॉजी के विशेषज्ञों की बदौलत हाल-फिलहाल में कई संक्रामक बीमारियों, जैसे जीका वायरस, एचआईवी और स्वाइन फ्लू आदि की पहचान से लेकर उपचार तक में कारगर कदम उठाए जा सके हैं। डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ व डेयरी उत्पादों की जांच-पड़ताल करना भी अब माइक्रोबायोलॉजी के इस्तेमाल से काफी आसान हो गया है। चिकित्सा के क्षेत्र में शोध के अलावा जीन्स थैरेपी व प्रदूषण पर रोक की दिशा में माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने कई नए आयाम गढ़े हैं। बीते कुछ वर्षों में माइक्रोबायोलॉजी के अध्ययन में ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं की रुचि बढ़ी है। स्थानीय स्तर पर इस क्षेत्र के लोगों को पर्याप्त अवसर मिल रहे हैं। .

क्या है माइक्रोबायोलॉजी
माइक्रोबायोलॉजी के अंतर्गत सूक्ष्म जीवों जैसे प्रोटोजोआ, एल्गी, बैक्टीरिया व वायरस का गहराई से अध्ययन किया जाता है। इस विषय के जानकार लोग इन जीवाणुओं के जीवजगत पर अच्छे व बुरे प्रभावों को जानने की कोशिश करते हैं। जीन थेरेपी तकनीक के जरिए इनसानों में होने वाली गंभीर आनुवंशिक गड़बड़ियों के बारे में पता लगाते हैं। .

रोजगार की संभावनाएं.
दुनिया भर में नई-नई बीमारियों के सामने आने से आज माइक्रोबायोलॉजिस्ट की जरूरत कई उद्योगों में पड़ रही है। ये अवसर सरकारी व निजी, दोनों क्षेत्रों में मिल रहे हैं। इस क्षेत्र के जानकार दवा कंपनियों, वॉटर प्रोसेसिंग प्लांट्स, चमड़ा व कागज उद्योग, फूड प्रोसेसिंग, फूड बेवरेज, रिसर्च एवं डेवलपमेंट सेक्टर, बायोटेक व बायो प्रोसेस संबंधी उद्योग, प्रयोगशालाओं, अस्पतालों, होटल, जनस्वास्थ्य के काम में लगे गैरसरकारी संगठनों के साथ ही अनुसंधान एवं अध्यापन के क्षेत्र में भी जा सकते हैं।


पेशेवर बढ़ें नई खोज की ओर
इस क्षेत्र में बुलंदी तक तभी पहुंचा जा सकता है जब खुद के अंदर कुछ नया खोज लेने का कौशल हो। यानी छोटी से छोटी चीज को गहराई से परखते हुए किसी उद्देश्य तक पहुंचना इस क्षेत्र की खास मांग है। इसमें पेशेवरों के लिए काम के घंटे निर्धारित नहीं हैं। घंटों प्रयोगशालाओं में बैठ कर जीवाणुओं व विषाणुओं पर अध्ययन करना इनकी कार्यशैली में शामिल होता है। .

आकर्षक वेतन
इसमें निजी सेक्टर खासकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों में सबसे अच्छा वेतन मिलता है। मास्टर या पीजी डिप्लोमा कोर्स के बाद किसी चिकित्सा संस्थान से जुड़ने पर पेशेवर को 40-45 हजार रुपए प्रतिमाह मिलते हैं। शोध या अध्यापन में यही आमदनी 70-80 हजार प्रतिमाह के करीब पहुंच जाती है।

इन रूपों में है रोजगार
मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट: ये शरीर में होने वाले संक्रमण व इन्हें नियंत्रित करने वाले उपायों की तलाश पर जोर देते हैं।
ये नए रोगाणुओं की खोज भी करते हैं।

पब्लिक हेल्थ माइक्रोबायोलॉजिस्ट: ये पेशेवर पानी एवं खाद्य पदार्थों की आपूर्ति के दौरान उनमें फैलने वाली बीमारियों का अध्ययन करते हैं तथा उन पर समय रहते नियंत्रण की कोशिश करते हैं।

एग्रीकल्चर माइक्रोबायोलॉजिस्ट: ये पेशेवर फसलों कीसेहत सुधारने, उन्हें हानिकारक न होने देने, मृदा परीक्षण कर उसकी उत्पादकता बढ़ाने आदि पर ध्यान देते हुए अपने काम को गति देते हैं।

माइक्रोबियल इकोलॉजिस्ट: इनकी बदौलत सूक्ष्म जीवों की उत्पत्ति एवं मिट्टी व पानी के रासायनिक चक्र में उनके महत्व को परखा जाता है। ये वातावरण को प्रदूषित होने से भी बचाते हैं।

फूड एंड डेयरी माइक्रोबायोलॉजिस्ट: ये पेशेवर खाद्य पदार्थों एवं डेयरी उत्पादों पर सूक्ष्म जीवों के प्रतिकूल प्रभावों की जांच करते हैं। डेयरी उत्पाद की गुणवत्ता बनाए रखने का जिम्मा भी इन्हीं का होता है।

बायोमेडिकल साइंटिस्ट: यह लैब से जुड़ा हुआ काम होता है। ये पेशेवर जीवों मे ंबीमारियों का अध्ययन करने व जैविक सूचनाओं का सही प्रबंधन करते हुए उनके हानिकारक तत्वों को कम करते हैं।

छात्र स्नातक के बाद क्लीनिकल व डायग्नोसिस लैबोरेट्री में बतौर असिस्टेंट या रिसर्च असिस्टेंट के रूप में काम कर सकते हैं। फार्मा व फूड इंडस्ट्री में उसके लिए बेहतरीन मौके हैं।

चुनौतियां
इस क्षेत्र में अपनी उपयोगिता बनाए रखने के लिए पेशेवरों को नियमित अध्ययन करने की जरूरत होती है। लैब सेटअप का बेहतर ज्ञान होना चाहिए। हानिकारक जीवाणुओं का प्रभाव रोकने, पर्यावरण को दूषित होने से बचाने सरीखे कार्य चुनौतीपूर्ण होते हैं। इस क्षेत्र के जानकारों को कॉर्पोरेट जगत में सुनहरे अवसर तो मिलते हैं, लेकिन मार्केटिंग, प्रबंधन, सेल्स सरीखे कार्य पेशेवरों के लिए नई चुनौती लेकर आते हैं। ज्यादा नौकरियां सरकारी क्षेत्रों में हैं।.

संस्थान
- दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली.
- बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, वाराणसी.
- एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा.
- अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़.
- चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ.
- छत्रपति साहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर.
- पटना विश्वविद्यालय, पटना, बिहार.

योग्यता
इस क्षेत्र में कदम रखने के लिए युवाओं को माइक्रोबायोलॉजी विषय से बैचलर होना जरूरी है। इसके बैचलर स्तर के विशिष्ट पाठ्यक्रमों में बायोलॉजी विषय से 12वीं पास करने वाले छात्रों को प्रवेश दिया जाता है। इस क्षेत्र से संबंधित करीब दर्जन भर मास्टर्स स्तर के पाठ्यक्रमों में माइक्रोबायोलॉजी या लाइफ साइंस में स्नातक करने के बाद प्रवेश लिया जा सकता है। कई छात्र माइक्रोबायोलॉजी में मास्टर करने के बाद शोध की ओर कदम बढ़ाते हैं। इसके कुछ प्रमुख कोर्सेज में हैं-बीएससी इन माइक्रोबायोलॉजी/एप्लायड माइक्रोबायोलॉजी ' बीएससी इन फूड टेक्नोलॉजी/क्लीनिकल माइक्रोबायोलॉजी ' एमएससी इन माइक्रोबायोलॉजी/एप्लायड माइक्रोबायोलॉजी ' एमएससी इन मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी ' स्पेशलाइजेशन इन एग्रीकल्चर माइक्रोबायोलॉजी ' स्पेशलाइजेशन इन नैनो माइक्रोबायोलॉजी/सेलुलर माइक्रोबायोलॉजी.


Wednesday, July 6, 2022

वाइल्ड लाइफ में करियर

यदि प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखना है और आने वाली पीढ़ी को एक स्वस्थ पर्यावरण मुहैया करवाना है, तो जीव जंतुओं के बीच की कड़ी को बनाए रखना होगा। अगर आपको वन क्षेत्र और जंगली जीव-जंतुओं से प्यार है, वन क्षेत्र में समय बिताने में आपको आनंद आता है, यदि वाइल्ड लाइफ आपको आकर्षित करता है, तो वाइल्ड लाइफ के क्षेत्र में आप शानदार करियर बना सकते हैं। आज हम अापको बता रहे है कि कैसे आप इस फील्ड में करियर बना सकते है 

कैसे पहुंचें मुकाम पर 
इस क्षेत्र में प्रवेश के लिए विज्ञान विषय से 12वीं उत्तीर्ण होना आवश्यक है और 12वीं के बाद बायोलॉजिकल साइंस से बीएससी की डिग्री जरूरी है। एग्रीकल्चर में बैचलर डिग्री भी इस क्षेत्र में प्रवेश दिला सकती है। फोरेस्ट्री या एन्वायरनमेंटल साइंस से भी स्नातक की डिग्री ली जा सकती है। बीएससी के बाद वाइल्ड लाइफ साइंस से एमएससी करने वालों के लिए भी यह क्षेत्र असीम संभावनाओं से भरा हुआ है।

रोजगार के अवसर 
आज इस क्षेत्र में संभावनाओं की कमी नहीं है। अपेक्षित डिग्री हासिल करने के बाद मुंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी, वर्ल्ड वाइड फंड, वाइल्ड लाइफ इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया, वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अलावा कई ऐसे आर्गेनाइजेशंज हैं, जिनमें रिसर्चज और प्रोजेक्ट आफिसर्ज के रूप में काम कर सकते हैं। वाइल्ड बायोलॉजिस्ट के क्षेत्र में भी भरपूर अवसर हैं। इस क्षेत्र में कोर्स पूरा करने के बाद वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरीज, एन्वायरनमेंटल एजेंसी, जूलॉजिकल फर्म, एन्वायरनमेंटल कंसल्टेंसी फर्म, नॉन गवर्नमेंटल आर्गेनाइजेशन, एग्रीकल्चरल कंसल्टेंट फर्म, इंडियन काउंसिल ऑफ फोरेस्ट रिसर्च एंड एजुकेशन और ईको रिहैबिलीटेशन फर्मों में नौकरी पा सकते हैं।

सैलरी 
प्राइवेट सेक्टर में वाइल्ड लाइफ साइंटिस्ट को 20 से 25 हजार रुपए मासिक वेतन मिलता है। यह वेतन सीनियोरिटी और अनुभव के साथ बढ़ता जाता है। पीएचडी होल्डर एक वरिष्ठ वैज्ञानिक का 50 हजार प्रतिमाह वेतन हो सकता है। इसके विपरीत एनजीओ या सरकारी विभाग में वाइल्ड लाइफ साइंस से जुड़े कर्मचारियों को काफी अच्छे वेतनमान पर नौकरियां मिलती हैं।

योग्यता
बायोलॉजी, मैथमेटिक्स तथा स्टेटिस्टिक्स में मजबूत पकड़ हो।
वन्य जीवन के प्रति आकर्षण हो।
बेहतर कम्युनिकेशन स्किल व आंतरिक दक्षता हो।
कम्प्यूटर पर काम करने की जानकारी हो।

क्या करना होता है काम 
फील्ड साइट पर पहुंच कर डाटा एकत्र करना।
फील्ड साइट की भौगोलिक स्थिति के मुताबिक ऊबड़-खाबड़ और मुश्किल रास्तों पर चढ़ाई या ड्राइव करना होता है।
वन्य जीव विशेषज्ञों से मिलना और बातचीत करना।
साइंटिफिक पेपर, टेक्निकल रिपोर्ट या पॉपुलर ऑर्टिकल्स का काम पूरा करना या अनुदान या वित्तीय सहायता के लिए लिखना तथा नीति निर्माताओं या कॉलेबोरेटर्स से मुलाकात करना।

जोखिम के साथ पैसा भी 
यदि आपको प्रकृति और वन्य जीवों से थोड़ा भी लगाव है या इनके क्रियाकलापों और जीवन को जानने में आपकी विशेष रुचि है तो समझ लीजिए आपको रोजगार की राहें खुल गई हैं। क्योंकि सरकारी संस्थाओं के अलावा देश-विदेश के एनजीओ भी वाइल्ड लाइफ से जुड़े कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट की तलाश करते रहते हैं। हालांकि इस क्षेत्र में अन्य क्षेत्रों की तरह सुविधाएं नहीं हैं, लेकिन आपमें काम करने का जुनून है तो पैसे कोई मायने नहीं रखते। वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट के काम को समझते हुए संस्थान इस क्षेत्र से जुड़े पेशवरों को धन संबंधी समस्याएं नहीं आने देते।

कोर्स 
बीएससी इन वाइल्ड लाइफ
एमएससी इन वाइल्ड लाइफ बायोलॉजी
एमएससी इन वाइल्ड लाइफ
पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री इन वाइल्ड लाइफ साइंस
अंडर ग्रेजुएट कोर्स इन वाइल्ड लाइफ
पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन एडवांस्ड वाइल्ड लाइफ साइंस
बीएससी इन फोरेस्ट्री इन वाइल्ड लाइफ मैनेजमेंट
डिप्लोमा इन जू एंड वाइल्ड एनिमल हैल्थ केयर एंड मैनेजमेंट
सर्टिफिकेट कोर्स इन वाइल्ड लाइफ मैनेजमेंट

प्रमुख संस्थान 
वाइल्ड लाइफ इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया,देहरादून
हिमाचल फोरेस्ट रिसर्च इंस्टीच्यूट, शिमला
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, बंगलूर
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बंगलूर
नेचर कंजरवेशन फाउंडेशन, मैसूर
सौराष्ट्र विश्वविद्यालय राजकोट, गुजरात
गुरु घासीराम विश्वविद्यालय बिलासपुर, मध्यप्रदेश
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़, उत्तरप्रदेश

Friday, July 1, 2022

जूलॉजिस्ट और वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट

भारत अपनी विशिष्ट, मनोहर और विविध पारिस्थतिकी प्रणाली के कारण वन्यजीवों से भरा-पड़ा है। वन्यजीव के अंतर्गत ऐसा कोई भी प्राणी, जलीय या भू-वनस्पति आती है जो किसी तरह के प्राकृतिक वास के रूप में होती है। यदि आपको प्रकृति के बारे में जानने की उत्सुकता रहती है, यदि आप जीव-जतुंओ और मानव के अस्तित्व के बारे में जानाना चाहते हैं तो आप  प्राणीविज्ञानी और वन्यजीव जीवविज्ञानी के रुप में अच्छा करियर बना सकते हैं।  इस क्षेत्र में नौकरी की वृद्धि जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान द्वारा जारी है। इसके कई क्षेत्रों में विशेषज्ञ शामिल हैं - वन्यजीव अनुसंधान और प्रबंधन, भूमि और जल क्षेत्रों के वर्तमान और संभावित उपयोग के पर्यावरणीय प्रभावों को निर्धारित करने के लिए जैविक डेटा का संग्रह और विश्लेषण। प्राणीविज्ञान और वन्यजीव जीवविज्ञान जीव विज्ञान की ही एक शाखा है, जिसमें जीव-जंतुओं का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है। इसमें प्रोटोजोआ, मछली, सरीसृप, पक्षियों के साथ-साथ स्तनपायी जीवों के बारे में अध्ययन किया जाता है। इसमें हम न सिर्फ  जीव-जंतुओं की शारीरिक रचना और उनसे संबंधित बीमारियों के बारे में जानते हैं बल्कि मौजूदा जीव-जंतुओं के व्यवहार, उनके आवास, उनकी विशेषताओं, पोषण के माध्यमों, जेनेटिक्स व जीवों की विभिन्न जातियों के विकास के साथ-साथ विलुप्त हो चुके जीव-जंतुओं के बारे में भी जानकारी हासिल करते हैं।

वन्य जीव जीवविज्ञान : पशुओं और उनके ठहरने के स्थानों की संख्या का अध्ययन वन्यजीव बायोलॉजी कहलाता है। वन्य जीवों के लिए अपेक्षित जीवन मार्ग तथा प्राकृतिक वातावरण आदि क्षेत्रों का वन्यजीव-विज्ञानी गहराई से अध्ययन करते हैं। वन्यजीव वैज्ञानिक पारिस्थितिकी, गणना, रूपविज्ञान, व्यवहार और शरीरविज्ञान, वन्यजीवों के रोगों, वन्यजीव बंदी और रोकथाम, पशु आवास, प्रजनन,पुनर्वास, फारेंसिक, संरक्षण और प्रबंधन से जुड़े पहलुओं का अध्ययन करते हैं और नई-नई खोज करते हैं। 

प्राणिविज्ञानः यह विज्ञान जीव, जीवन और जीवन के प्रक्रियाओं के अध्ययन से सम्बन्धित है। इस विज्ञान में हम जीवों की संरचना, कार्यों, विकास, उद्भव, पहचान, वितरण एवं उनके वर्गीकरण के बारे में पढ़ते हैं। आधुनिक जीव विज्ञान एक बहुत विस्तृत विज्ञान है, जिसकी कई शाखाएँ हैं। प्राणिविज्ञान का अध्ययन मनुष्य के लिए बड़े महत्व का है। मनुष्यके चारों ओर अलग-अलग प्रकार के जंतु रहते हैं। वह उन्हें देखता है और उसे उनसे बराबर काम पड़ता है। कुछ जंतु मनुष्य के लिए बड़े उपयोगी सिद्ध हुए हैं। अनेक जंतु मनुष्य के आहार होते हैं। जंतुओं से हमें दूध प्राप्त होता है। कुछ जंतु ऊन प्रदान करते हैं, जिनसे बहुमूल्य ऊनी वस्त्र तैयार होते हैं। जंतुओं से ही रेशम, मधु, लाख आदि बड़ी उपयोगी वस्तुएँ प्राप्त होती हैं। जंतुओं से ही अधिकांश खेतों की जुताई होती है। बैल, घोड़े, खच्चर तथा गदहे इत्यादि परिवहन का काम करते हैं। प्राणीविज्ञान उन्हें समझने का अवसर देता है।

प्राणीविज्ञानी और वन्यजीव जीवविज्ञानी मौलिक जीवन प्रक्रियाओं की बेहतर समझ हासिल करने के लिए अनुसंधान करते हैं। शोध की दो सामान्य श्रेणियां बुनियादी और अनुप्रयुक्त अनुसंधान हैं।

बुनियादी अनुसंधान: बुनियादी अनुसंधान का लक्ष्य केवल मानव ज्ञान पर विस्तार करना है। प्राणी विज्ञानी और वन्यजीव जीवविज्ञानी जो बुनियादी अनुसंधान करते हैं, वे आमतौर पर एक विश्वविद्यालय, सरकारी या निजी उद्योग प्रयोगशाला में काम करते हैं। यह उनके लिए कॉलेज में शुरू किए गए विशेष शोध पर विस्तार के लिए आम है।

अनुप्रयुक्त अनुसंधान: अनुप्रयुक्त अनुसंधान का लक्ष्य एक विशेष समस्या को हल करने की दिशा में निर्देशित होता है। प्रायोगिक अनुसंधान या उत्पाद विकास में काम करने वाले प्राणीविज्ञानी और वन्यजीव जीवविज्ञानी नए उपचार, दवाओं और चिकित्सा नैदानिक परीक्षणों का निर्माण करने के लिए बुनियादी अनुसंधान में प्राप्त ज्ञान का उपयोग करते हैं साथ ही यह नए जैव ईंधन विकसित करने  और फसल की पैदावार में वृद्धि करने का कार्य भी करते हैं।।


प्राणीविज्ञानी और वन्यजीव जीवविज्ञानी की भूमिका

  • प्राणीविज्ञानी और वन्यजीव जीवविज्ञानी आमतौर पर निम्नलिखित कार्य करते हैं:
  • नियंत्रित या प्राकृतिक परिवेश में जानवरों के साथ प्रयोगात्मक अध्ययन का विकास और संचालन करना।
  • आगे के विश्लेषण के लिए जैविक डेटा और नमूने एकत्र करना।
  • जानवरों की विशेषताओं का अध्ययन करना, जैसे कि अन्य प्रजातियों, प्रजनन, बीमारियों और आंदोलन के पैटर्न के साथ उनकी बातचीत को समझना।
  • उस गतिविधि का विश्लेषण करना जो मानव गतिविधि के तहत वन्यजीवों और उनके प्राकृतिक आवासों पर है।
  • वन्यजीवों की आबादी का अनुमान लगाना।
  • शोध पत्र, रिपोर्ट और विद्वानों के लेख लिखना जो उनके निष्कर्षों की व्याख्या करते हैं।
  • अनुसंधान निष्कर्षों पर प्रस्तुतियाँ देंना।
  • वन्यजीव संरक्षण और प्रबंधन के मुद्दों पर नीति निर्माताओं और आम जनता के लिए सिफारिशें करना।

प्राणीविज्ञानी और वन्यजीव जीवविज्ञानी के आवश्यक कौशल

ध्वनि तर्क और निर्णय कौशलः प्रायोगिक परिणामों और वैज्ञानिक टिप्पणियों से निष्कर्ष निकालने के लिए प्राणीविदों और वन्यजीव जीव विज्ञानियों को ध्वनि तर्क और निर्णय की आवश्यकता होती है।

डाटा एकत्र करने का कौशलः जूलॉजिस्ट और वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट को जानवरों और प्राणियों से संबधित डाटा एकत्र करने की आवश्यकता होती है।

बोलने का कौशलः जूलॉजिस्ट और वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट के अंदर बातचीत करने का कौशल होना चाहिए। 

लेख कौशलः जूलॉजिस्ट और वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट को लिखने का कौशल आना चाहिए। उन्हें कई बार अपनी रिपोर्टों को लिखित रुप में प्रस्तुत करना होता है अतः प्रभावी ढंग से लिखना आना चाहिए। प्राणीविज्ञानी और वन्यजीव जीवविज्ञानी वैज्ञानिक शोधपत्र, रिपोर्ट और लेख लिखते हैं जो उनके निष्कर्षों की व्याख्या करते हैं।

टीम कार्यकर्ता: प्राणीविज्ञानी और वन्यजीव जीवविज्ञानी आमतौर पर टीमों पर काम करते हैं। उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दूसरों के साथ प्रभावी ढंग से काम करने में सक्षम होना चाहिए।

अवलोकन कौशल: प्राणीविज्ञानी और वन्यजीव जीवविज्ञानी किसी जानवर की विशेषताओं, जैसे उनके व्यवहार या उपस्थिति में थोड़े से बदलाव को देख सकते हैं।

समस्या-समाधान कौशल: वन्यजीव और वन्यजीव जीवविज्ञानी वन्यजीवों को प्रभावित करने वाले खतरों जैसे बीमारी और निवास स्थान के नुकसान के सर्वोत्तम संभव समाधान खोजने की कोशिश करते हैं।

अच्छा आदेशक: प्राणीविज्ञानी और वन्यजीव जीवविज्ञानी अक्सर सहयोगियों, प्रबंधकों, नीति निर्माताओं और आम जनता के लिए प्रस्तुतियाँ देते हैं। उन्हें वन्यजीव संरक्षण और प्रबंधन के मुद्दों पर दूसरों को शिक्षित करने में सक्षम होने की आवश्यकता है।

शैक्षणिक योग्यता

जूलॉजिस्ट और वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट में करियर बनाने के लिए छात्रों को बॉयोलॉजी विषय के साथ बारहवीं की परीक्षा पास करनी चाहिए। छात्रों को 12वीं कक्षा विज्ञान विषयों, जीव विज्ञान, भौतिकी, रसायन विज्ञान के साथ-साथ गणित से उत्तीर्ण करना जरुरी होता है।  पेशेवर वन्यजीव जीवविज्ञानी बनने के लिए जूलॉजी विषय के साथ स्नातक की डिग्री आवश्यक है जिसके बाद मास्टर और / या पीएच.डी. डिग्री के लिए आप जा सकते हैं। कई छात्र वन्यजीव जीव विज्ञान और संरक्षण में एम.एससी के विकल्प  के रुप में चुनते हैं।

प्राणीविज्ञानी और वन्यजीव जीवविज्ञानी की करियर संभावनाएं

जूलॉजिस्ट और वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट के रुप में छात्रों के पास इस क्षेत्र से जुड़ेने का मौका होता है। उनके पास चुनने के लिए कई कैरियर विकल्प हैं। वे एनिमल बिहेवियरिस्ट, एनिमल ब्रीडर्स, एनिमल ट्रेनर्स, एनिमल केयरटेकर, एनिमल एंड वाइल्डलाइफ एजुकेटर्स, एनिमल रिहैबिलिटेटर, कंजर्वेशनिस्ट्स, डॉक्यूमेंट्री मेकर, फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स, लैब टेक्नीशियन, रिसर्चर, वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट, वेटेरिनरी, ज़ू केपर, जू क्यूरेटर, और कई काम कर सकते हैं।  एक जूलॉजिस्ट को नेशनल ज्योग्राफिक, एनिमल प्लैनेट, डिस्कवरी चैनल आदि जैसे चैनल्स द्वारा भी नियुक्त किया जाता है, जिन्हें रिसर्च और डॉक्यूमेंट्रीज़ के लिए ज़ूलॉजिस्ट की लगातार ज़रूरत होती है। वे चिड़ियाघरों, वन्यजीव सेवाओं, वनस्पति उद्यान, संरक्षण संगठनों, राष्ट्रीय उद्यानों, प्रकृति भंडार, विश्वविद्यालयों, प्रयोगशालाओं, एक्वैरियम, पशु क्लीनिक, मत्स्य पालन और जलीय कृषि, संग्रहालय, अनुसंधान, दवा कंपनियों, पशु अस्पतालों आदि में भी काम करते हैं।