मैडीकल लैब टैक्रीशियन, डाक्टरों के निर्देश पर काम करते हैं। उपकरणों के रख-रखाव और कई तरह के काम इनके जिम्मे होता है। लैबोरेटरी में नमूनों की जांच और विश्लेषण में काम आने वाला घोल भी लैब टैक्नीशियन ही बनाते हैं। इन्हें मैडीकल साइंस के साथ-साथ लैब सुरक्षा नियमों और जरूरतों के बारे में पूरा ज्ञान होता है। लैब टैक्नीशियन नमूनों की जांच का काम करते हैं, लेकिन वे इसके परिणामों के विश्लेषण के लिए प्रशिक्षित नहीं होते।
नमूनों के परिणामों का विश्लेषण पैथोलॉजिस्ट या लैब टैक्नोलॉजिस्ट ही कर सकता है। जांच के दौरान एम.एल.टी. कुछ सैम्पलों को आगे की जांच या फिर जरूरत के अनुसार उन्हें सुरक्षित भी रख लेता है। एम.एल.टी. का काम बहुत ही जिम्मेदारी और चुनौती भरा होता है। इसमें धैर्य और निपुणता की बड़ी आवश्यकता होती है। जमा किए गए डाटा की सुरक्षा और गोपनीयता की भी जिम्मेदारी उसकी होती है।
डी.पी.एम.आई. की प्रिंसीपल अरुणा सिंह के मुताबिक मैडीकल लैब टैक्नोलॉजिस्ट में सर्टीफिकेट डिप्लोमा, डिग्री एवं मास्टर्स के दौरान बेसिक फिजियोलॉजी, बेसिक बायोकैमिस्ट्री एंड ब्लड बैंकिंग, एनाटोमी एंड फिजियोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, पैथोलॉजी, एनवायरनमैंट एंड बायोमैडीकल वेस्ट मैनेजमैंट, मैडीकल लैबोरेटरी टैक्नोलॉजी एवं अस्पताल प्रशिक्षण दिया जाता है।
सर्टीफिकेट इन मैडीकल लैब टैक्नोलॉजी (सी.एम.एल.टी.) छह महीने का कोर्स है जिसके लिए योग्यता है 10वीं पास। वहीं डिप्लोमा इन मैडीकल लैब टैक्नोलॉजी के लिए 12वीं पास होना जरूरी है। इस कोर्स की अवधि है एक वर्ष। 12वीं प्रमुख विषय के रूप में फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बायोलॉजी (पी.सी.बी.) तथा फिजिक्स, कैमिस्ट्री या मैथ्स (पी.सी.एम.) के साथ पास होना अनिवार्य है। बी.एससी. इन एम.एल.टी. के लिए 12वीं विज्ञान विषयों के साथ उत्तीर्ण होना जरूरी है। जिसकी अवधि है 3 वर्ष। एम.एस.सी. इन मैडीकल लैबोरेटरी टैक्नोलॉजिस्ट (एम.एल.टी.) प्रोग्राम में प्रवेश करने के लिए अभ्यर्थी के पास पहले हाई स्कूल डिप्लोमा होना चाहिए, इसके बाद 2 साल का एसोसिएट प्रोग्राम करना होता है। यह प्रोग्राम कम्युनिटी कालेज, टैक्रीकल, स्कूल, वोकेशनल स्कूल या विश्वविद्यालय द्वारा कराया जाता है।
मैडीकल लैबोरेटरी तकनीशियनों को काम में निपुणता और जरूरत के अनुसार प्रशिक्षण की जरूरत पड़ती है। छात्र इस तरह क प्रशिक्षण लैबोरेटरी कार्यों के दौरान ही साथ ही साथ प्राप्त कर सकते हैं। अधिकतर प्रांतों में मैडीकल लैबोरेटरी तकनीशियनों के लिए कोई प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं होती, लेकिन कुछ राज्यों में इन तकनीशियनों के पास काम करने के लिए प्रमाण पत्र होना जरूरी है। प्रमाण पत्र वाले तकनीशियनों के लिए इस क्षेत्र में बेहतर संभावनाएं होती हैं। आप किसी भी मैडीकल लैबोरेटरी हॉस्पिटल, पैथोलॉजिस्ट के साथ काम कर सकते हैं। ब्लड बैंक में इनकी खासी मांग रहती है। आप बतौर रिसर्चर व कंसल्टैंट के अलावा खुद का क्लीनिक खोल सकते हैं।
सामान्य तौर पर एक एम.एल.टी. का वेतन 10 हजार से शुरू होता है जबकि पैथोलॉजिस्ट को तीस हजार रुपए से चालीस हजार रुपए तक सैलरी मिल जाती है। साथ ही योग्यता और तजुर्बे के आधार पर उनके वेतन में इजाफा होता चला जाता है। देश के साथ-साथ विदेशों में भी इनकी खासी मांग है।
डेल्ही पैरामैडीकल एंड मैनेजमैंट इंस्टीच्यूट (डी.पी.एम.आई.), नई दिल्ली
शिवालिक इंस्टीच्यूट ऑफ पैरामैडीकल टैक्रोलॉजी, चंडीगढ़
पैरामैडीकल कालेज, दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल
इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ पैरामैडीकल साइंसेज, लखनऊ
डिपार्टमैंट ऑफ पैथालॉजी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
नमूनों के परिणामों का विश्लेषण पैथोलॉजिस्ट या लैब टैक्नोलॉजिस्ट ही कर सकता है। जांच के दौरान एम.एल.टी. कुछ सैम्पलों को आगे की जांच या फिर जरूरत के अनुसार उन्हें सुरक्षित भी रख लेता है। एम.एल.टी. का काम बहुत ही जिम्मेदारी और चुनौती भरा होता है। इसमें धैर्य और निपुणता की बड़ी आवश्यकता होती है। जमा किए गए डाटा की सुरक्षा और गोपनीयता की भी जिम्मेदारी उसकी होती है।
डी.पी.एम.आई. की प्रिंसीपल अरुणा सिंह के मुताबिक मैडीकल लैब टैक्नोलॉजिस्ट में सर्टीफिकेट डिप्लोमा, डिग्री एवं मास्टर्स के दौरान बेसिक फिजियोलॉजी, बेसिक बायोकैमिस्ट्री एंड ब्लड बैंकिंग, एनाटोमी एंड फिजियोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, पैथोलॉजी, एनवायरनमैंट एंड बायोमैडीकल वेस्ट मैनेजमैंट, मैडीकल लैबोरेटरी टैक्नोलॉजी एवं अस्पताल प्रशिक्षण दिया जाता है।
सर्टीफिकेट इन मैडीकल लैब टैक्नोलॉजी (सी.एम.एल.टी.) छह महीने का कोर्स है जिसके लिए योग्यता है 10वीं पास। वहीं डिप्लोमा इन मैडीकल लैब टैक्नोलॉजी के लिए 12वीं पास होना जरूरी है। इस कोर्स की अवधि है एक वर्ष। 12वीं प्रमुख विषय के रूप में फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बायोलॉजी (पी.सी.बी.) तथा फिजिक्स, कैमिस्ट्री या मैथ्स (पी.सी.एम.) के साथ पास होना अनिवार्य है। बी.एससी. इन एम.एल.टी. के लिए 12वीं विज्ञान विषयों के साथ उत्तीर्ण होना जरूरी है। जिसकी अवधि है 3 वर्ष। एम.एस.सी. इन मैडीकल लैबोरेटरी टैक्नोलॉजिस्ट (एम.एल.टी.) प्रोग्राम में प्रवेश करने के लिए अभ्यर्थी के पास पहले हाई स्कूल डिप्लोमा होना चाहिए, इसके बाद 2 साल का एसोसिएट प्रोग्राम करना होता है। यह प्रोग्राम कम्युनिटी कालेज, टैक्रीकल, स्कूल, वोकेशनल स्कूल या विश्वविद्यालय द्वारा कराया जाता है।
मैडीकल लैबोरेटरी तकनीशियनों को काम में निपुणता और जरूरत के अनुसार प्रशिक्षण की जरूरत पड़ती है। छात्र इस तरह क प्रशिक्षण लैबोरेटरी कार्यों के दौरान ही साथ ही साथ प्राप्त कर सकते हैं। अधिकतर प्रांतों में मैडीकल लैबोरेटरी तकनीशियनों के लिए कोई प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं होती, लेकिन कुछ राज्यों में इन तकनीशियनों के पास काम करने के लिए प्रमाण पत्र होना जरूरी है। प्रमाण पत्र वाले तकनीशियनों के लिए इस क्षेत्र में बेहतर संभावनाएं होती हैं। आप किसी भी मैडीकल लैबोरेटरी हॉस्पिटल, पैथोलॉजिस्ट के साथ काम कर सकते हैं। ब्लड बैंक में इनकी खासी मांग रहती है। आप बतौर रिसर्चर व कंसल्टैंट के अलावा खुद का क्लीनिक खोल सकते हैं।
सामान्य तौर पर एक एम.एल.टी. का वेतन 10 हजार से शुरू होता है जबकि पैथोलॉजिस्ट को तीस हजार रुपए से चालीस हजार रुपए तक सैलरी मिल जाती है। साथ ही योग्यता और तजुर्बे के आधार पर उनके वेतन में इजाफा होता चला जाता है। देश के साथ-साथ विदेशों में भी इनकी खासी मांग है।
डेल्ही पैरामैडीकल एंड मैनेजमैंट इंस्टीच्यूट (डी.पी.एम.आई.), नई दिल्ली
शिवालिक इंस्टीच्यूट ऑफ पैरामैडीकल टैक्रोलॉजी, चंडीगढ़
पैरामैडीकल कालेज, दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल
इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ पैरामैडीकल साइंसेज, लखनऊ
डिपार्टमैंट ऑफ पैथालॉजी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
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