करियर कुछ अलग हटकर।
आज के युवाओं का यह एक फेवरेट जुमला बन चुका है। परंपरागत करियर की बजाय आज वे कुछ ऐसे करियर विकल्प को चुन रहे हैं, जो रोचक होने के साथ-साथ चुनौतीपूर्ण भी हों। साथ ही उनमें हों बढिया कमाई का स्कोप भी। यदि आप भी कुछ इसी तरह की ख्वाहिश रखते हैं, तो जेमोलॉजी अच्छा ऑप्शन है।
बढता बाजार
जूलरी भारतीय परंपरा का अभिन्न अंग रही है। भारतीय कारीगरों और जूलरी को विदेशों में काफी पसंद किया जाता है। यही कारण है कि देश के कुल निर्यात में जेम्स ऐंड जूलरी सेक्टर का सबसे महत्वपूर्ण योगदान है। भारत दुनिया में सोने का सबसे बडा उपभोक्ता है और यहां डायमंड कटिंग के लिए बेहतरीन बुनियादी सुविधाएं भी मौजूद हैं। जयपुर को विश्व का सबसे बडा जेम्स कटिंग सेंटर के रूप में जाना जाता है। जयपुर के साथ-साथ सूरत, मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद आदि शहरों में जेम्स ऐंड जूलरी के विशाल एक्सपोर्ट हाउस मौजूद हैं। उदारीकरण के बाद भारत के इस उभरते हुए सेक्टर को एक नया आयाम मिला है। दरअसल, जेमोलॉजी के क्षेत्र में दबदबा रखनेवाले दुनिया की बडी-बडी कंपनियां भारत में तेजी से अपनी शाखाएं खोल रही हैं।
नेचर ऑफ वर्क
दरअसल, एक जेमोलॉजिस्ट का काम जहां एक ओर जेम्स स्टोन्स की पहचान, छंटाई और ग्रेडिंग का होता है, वहीं दूसरी ओर वे जूलरी के डिजायनिंग-पार्ट की भी बारीक समझ रखते हैं। यही वजह है कि वे रिसर्च से लेकर डिजायनिंग तक से जुडे सभी तरह के कामों में माहिर होते हैं। यदि आपकी रुचि है, जेमोलॉजी और इस तरह के कार्यो में तो, चले आइए इस चमकते करियर में।
कैसे होगी एंट्री?
जेमोलॉजी के कोर्स के अंतर्गत जेम्स की पहचान, उसकी रंगत, धातु की पहचान, ड्राइंग टेक्निक्स, डिजाइन मेथॅडोलॉजी, कम्प्यूटर ऐडेड डिजाइन आदि पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। वैसे, जेमोलॉजी डिप्लोमा (एक से दो-वर्षीय) और सर्टिफिकेट कोर्सेज (छह से एक साल) के साथ-साथ ट्रेंड प्रोफेशनल्स के लिए कुछ स्पेशलाइज्ड कोर्सेज भी उपलब्ध हैं। इन स्पेशलाइज्ड कोर्सेज की अवधि छह माह से छह हफ्ते तक भी हो सकती है। इन कोर्सेज इसके लिए जरूरी होता है कि आप थ्योरिटिकल के साथ साथ प्रैक्टिकल टेस्ट भी पास करें। जो अंडरग्रेजुएट हैं, वे यह न सोचें कि उन्हें किसी तरह की स्पेशलाइज्ड नॉलेज की डिग्री की जरूरत है। वास्तव में वे भी जेमोलॉजी का कोर्स कर सकते हैं और इस खास करियर में बढिया अवसर तलाश सकते हैं।
कितने योग्य हैं आप?
जेमोलॉजी के क्षेत्र में आना चाहते हैं, तो यह जरूरी है कि आपको इस क्षेत्र में दिलचस्पी हो। स्टोंस की बारीकी को समझने, उन्हें बेहतरी से तराशने का हुनर और महंगे स्टोंस को पहचानने की कला सीखना चाहते हों। आपको न केवल स्टोंस, बल्कि इन्हें तराशने वाले व अन्य उपकरणों की भी तकनीकी जानकारी रखनी होगी। रचनात्मकता, एकाग्र होकर लंबे समय तक काम करने की क्षमता भी होनी चाहिए। अच्छी कम्युनिकेशन स्किल्स आज हर क्षेत्र की जरूरत बन चुकी है। यहां भी यह एक महत्वपूर्ण योग्यता है। क्योंकि कस्टमर डीलिंग की क्वॉलिटी ही आपको यहां देती है आगे बढने का अवसर।
संभावनाओं की बात कहते हैं, जिस सेक्टर में जितनी तेजी से विकास होता है, उसे और विकसित करने के लिए ट्रेंड प्रोफेशनल्स की जरूरत अनिवार्य रूप से होती है। इस लिहाज से देखें, तो जेम्स ऐंड जूलरी सेक्टर भी इस बात से अछूता नहीं है। जेमोलॉजी का कोर्स कर लेने के बाद आपको प्राइवेट एक्सपोर्ट हाउसेज, जूलरी डिजायनिंग ऐंड कटिंग फर्म्स और इससे जुडी कंपनियों में काफी आकर्षक जॉब मिल सकती है। इसके अलावा, यदि आप अपना बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, तो संबंधित क्षेत्र में अनुभव और कौशल प्राप्त करने के बाद अपना रिटेल, होलसेल या जूलरी-शॉप्स खोल सकते हैं। वैसे, यदि आप इस क्षेत्र के प्योर क्रिएटिव जॉब्स से जुडते हैं, तो यहां आपकी शुरुआती सैलरी तकरीबन पंद्रह हजार महीने हो सकती है।बहरहाल, जेमोलॉजी के क्षेत्र में आप निम्न पदों पर काम कर सकते हैं..
ज्यॅूलरी-डिजायनर
प्रोडक्ट डेवलॅपमेंट ऑफिसर
मर्केडाइजर
सेल्स ऐंड मार्केटिंग प्रोफेशनल
कॅन्सल्टेंट
कैड-डिजायनर
रिसर्चर आदि।
प्रॉस ऐंड कॉन्स
यह काफी अच्छा करियर है। लेकिन इसके साथ-साथ जुडे हैं, कुछ वे पहलू, जिन्हें जानना बेहद जरूरी है। मसलन, यदि आप खुद का बिजनेस शुरू करते हैं, तो यह जरूरी है कि आपकी कस्टमर डीलिंग क्वॉलिटी बेहतर हो। इसी तरह, परंपरागत करियर की तरह, इसमें आप तुरंत तरक्की की आशा नहीं कर सकते।
जेमोलॉजी के क्षेत्र में भारत तेजी से उभर रहा है। आने वाले 5-10 सालों में यह एक विशाल मार्केट में तब्दील हो सकता है, जिसमें बेहतरीन करियर की संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं। परंपरागत करियर की अपेक्षा इस क्षेत्र में तेजी तो नहीं, लेकिन यह बात जरूर है कि बढते मार्केट के हिसाब से ही यहां अवसरों में भी इजाफा हो रहा है। भारत के साथ-साथ विदेशों में भी जेमोलॉजी के क्षेत्र में स्कोप काफी है। वर्तमान में जो युवा इस क्षेत्र में आना चाहते हैं, यह जरूरी है कि उन्हें इस फील्ड में दिलचस्पी जरूर हो। पैनी नजर और अवलोकन करने की क्षमता जरूर होनी चाहिए। हां, वे यह न सोचें कि अपना बिजनेस शुरू करने के लिए फायनेंशियली अच्छा होना जरूरी है। थोडी सी सूझ-बूझ से वे अपना बढिया बिजनेस शुरू कर सकते हैं।
गुरमीत सिंह, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ जेमोलॉजी, दिल्ली के डायरेक्टर
प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान
आर्च जेमोलॉजी ऐंड ज्यूॅलरी इंस्टीट्यूट, जयपुर www.archins.com
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ जेमोलॉजी www.iigdelhi.com
इनसाइन-द ज्वेल डिजाइन इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली www.ensign.in
इंडियन डायमंड इंस्टीट्यूट-सरदार बल्लभ भाई पटेल सेंटर ऑफ जूलरी डिजाइन ऐंड मेन्युफैक्चर, सूरतwww.diamondinstitute.net
जीआईए, मुंबई www.giaindia.in
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