एक प्रशिक्षित एन्वायरमेंटल इंजीनियर से यह अपेक्षा की जाती है कि वह बेस्ट
मैनेजमेंट सिस्टम को इस तरह डिजाइन, कन्सट्रक्ट और मेंटेन करे, ताकि
ग्रामीण और शहरी इलाकों में रहने वाले लोग स्वस्थ्य जीवन जी सकें।
संपूर्ण विश्व में पर्यावरण प्रदूषण जिस तेजी से बढ़ रहा है उसे कम करने की दिशा में आए दिन नए शोध और विकास कार्य होते रहते हैं। यही वजह है कि इस दिशा में कार्य कर रहे एन्वायरमेंटल इंजीनियर्स की मांग न सिर्फ देश में, बल्कि विदेश में भी काफी बढ़ रही है। एन्वायरमेंटल इंजीनियर्स विज्ञान और इंजीनियरंग के तरीकों को मिला –जुलाकर पर्यावरण सुधारने का कार्य करते हैं, ताकि लोगों को पीने के लिए स्वच्छ पानी, सांस लेने के लिए प्रदूषण रहित हवा और अनाज आदि पैदा करने के लिए उपजाऊ भूमि मिल सके।
पिछले कुछ दशकों में तो इस क्षेत्र में संभावनाएं और भी बढ़ी है। अब इस क्षेत्र के प्रेफेशनल्श की मांग कैमिकल, जियोलॉजिकल, पेट्रोलियम और माइनिंग सेक्टर्स से जुड़ी कंपनियों में भी हैं। एक प्रशिक्षित एन्वायरनमेंटल इंजीनियर से यह अपेक्षा की जाती है कि वह वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम को इस तरह डिजाइन, कन्स्ट्रक्ट और मेंटेन करे, ताकि ग्रामीण और शहरी इलाकों में रहने वाले लोग स्वस्थ जीवन जी सकें।
शैक्षणिक स्तर पर एन्वायरनमेंटल इंजीनियरिंग स्नातक और स्नातकोतर और शोध तीनों स्तरों पर उपलब्ध है। एन्वायरनमेंटल साइंस में बीएससी तीन वर्षीय स्नातक कोर्स है, वहीं एन्वायरमेंट इंजीनियरिंग में एमएससी दो साल का स्नातकोतर कोर्स है। इस कोर्स को करने के लिए फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बायोलॉजी में 12वीं पास छात्र एन्वायरमेंटल साइंस में बीएससी कर सकते हैं। इसी प्रकार एन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग में एमएससी करने के लिए छात्र का एन्वायरमेंटल साइंस में बीएससी होना अनिवार्य है। इस क्षेत्र में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के अलावा छात्र पीजी डिप्लोमा भी कर सकते हैं जो इस क्षेत्र में आपके ज्ञान और योग्यताओं को नया आयाम देता है। वहीं अगर आपके पास 12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स रहा है तो आप एन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग में बीई कर सकते हैं। इसके अलावा एनर्जी एंड एन्वायरमेंट मैनेजमेंट में एमटेक भी की जा सकती है जो आप एन्वायरमेंट में बीई या सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद कर सकते हैं।
कैमिकल, बायोलॉजिकल, थर्मल, रेडियोएक्टिव और यहां तक कि मैकेनिकल इंजीनियरिंग में क्वालिफाइड छात्रों के लिए भारत में एन्वायरमेंटल इंजीनियिंग के क्षेत्र में काफी स्कोप है। इसके अलावा प्रोसेस इंजीनियरिंग, एन्वायरमेंटल केमिस्ट्री, वॉटर एंड सीवेज ट्रीटमेंट, वेस्ट रिडक्शन मेनेजमेंट, पॉल्यूशन प्रीवेन्शन आदि क्षेत्रों के प्रोफेशनल्श की भी यहां काफी मांग है। गैर सरकारी संस्थाएं और कई सरकारी विभाग भी हरित विकास की दिशा में कार्य कर रहे हैं। शोध से जुड़े कार्यक्रम में भी इस क्षेत्र केम प्रोफशनल्श की अच्छी-खासी मांग है। एमटेक इंजीनियंरिग कर चुके छात्र सरकारी एसेसमेंट कमेटियों में भी कार्य कर सकते हैं।
कई अंतरराष्ट्रीय विभाग और यूएनओ जैसी संस्थाओं में एन्वायरमेंटल टेक्नोलॉजी से जुड़े प्रशिक्षितों की मांग है। पर्यावरण से जुड़े कई प्रोजेक्ट्स पर फ्रीलांस कम करने का मौका भी मिल सकता है। ऐसे प्रोजेक्ट्स पर काम करने की ऐवज में अच्छा-खासा वेतन भी मिलता है, साथ ही कई जरूरी सुविधाएं भी दी जाती हैं। यूएस में एन्वायमेंटल इंजीनियर्स को अच्छी मोटी तनख्वाह दी जाती है।
एन्वायरमेंटल इंजीनियर्स केंद्र और राज्य स्तरीय पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड्स के साथ काम करने का अवसर मिलता है। स्टेट पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के साथ काम कर रहे प्रशिक्षितों को 15 से 30 हजार रुपए तक का वेतन मिल सकता है। वहीं एन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग में एमटेक कर चुके छात्र इस क्षेत्र में 50 हजार रुपए तक कमा सकते हैं। बात करें इस क्षेत्र में बड़े स्तर पर होने वाले शोध कार्यों की तो इसमें 75 हजार रुपए तक कमाए जा सकते हैं।
• साउथ गुजरात यूनीवर्सिटी, सूरत
• दिल्ली विश्वविद्यालय
• मैसूर यूनिवर्सिटी
• दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग
• राजीव गांधी प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय, इंदौर
• आईआईटी, दिल्ली, कानपुर, खड़गपुर और मद्रास
एन्वायमेंटल इंजीनियरिंग का क्षेत्र चुनने के लिए आपके अंदर इस विषय के लिए पैशन होना बहुत जरूरी है। साथ ही अपनी योग्यताओं और क्षमताओं के बारे में भी आपको ज्ञान होना चाहिए। यह करिअर बेशक चुनौतियों भरा है, क्योंकि यहां आपसे पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं पर हर बार क्रांतिकारी समाधान देने की अपेक्षा की जाएगी। पर बात करें वेतनमान की तो यह काफी आकर्षित करने वाला होता है।
संपूर्ण विश्व में पर्यावरण प्रदूषण जिस तेजी से बढ़ रहा है उसे कम करने की दिशा में आए दिन नए शोध और विकास कार्य होते रहते हैं। यही वजह है कि इस दिशा में कार्य कर रहे एन्वायरमेंटल इंजीनियर्स की मांग न सिर्फ देश में, बल्कि विदेश में भी काफी बढ़ रही है। एन्वायरमेंटल इंजीनियर्स विज्ञान और इंजीनियरंग के तरीकों को मिला –जुलाकर पर्यावरण सुधारने का कार्य करते हैं, ताकि लोगों को पीने के लिए स्वच्छ पानी, सांस लेने के लिए प्रदूषण रहित हवा और अनाज आदि पैदा करने के लिए उपजाऊ भूमि मिल सके।
पिछले कुछ दशकों में तो इस क्षेत्र में संभावनाएं और भी बढ़ी है। अब इस क्षेत्र के प्रेफेशनल्श की मांग कैमिकल, जियोलॉजिकल, पेट्रोलियम और माइनिंग सेक्टर्स से जुड़ी कंपनियों में भी हैं। एक प्रशिक्षित एन्वायरनमेंटल इंजीनियर से यह अपेक्षा की जाती है कि वह वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम को इस तरह डिजाइन, कन्स्ट्रक्ट और मेंटेन करे, ताकि ग्रामीण और शहरी इलाकों में रहने वाले लोग स्वस्थ जीवन जी सकें।
शैक्षणिक योग्यता
शैक्षणिक स्तर पर एन्वायरनमेंटल इंजीनियरिंग स्नातक और स्नातकोतर और शोध तीनों स्तरों पर उपलब्ध है। एन्वायरनमेंटल साइंस में बीएससी तीन वर्षीय स्नातक कोर्स है, वहीं एन्वायरमेंट इंजीनियरिंग में एमएससी दो साल का स्नातकोतर कोर्स है। इस कोर्स को करने के लिए फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बायोलॉजी में 12वीं पास छात्र एन्वायरमेंटल साइंस में बीएससी कर सकते हैं। इसी प्रकार एन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग में एमएससी करने के लिए छात्र का एन्वायरमेंटल साइंस में बीएससी होना अनिवार्य है। इस क्षेत्र में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के अलावा छात्र पीजी डिप्लोमा भी कर सकते हैं जो इस क्षेत्र में आपके ज्ञान और योग्यताओं को नया आयाम देता है। वहीं अगर आपके पास 12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स रहा है तो आप एन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग में बीई कर सकते हैं। इसके अलावा एनर्जी एंड एन्वायरमेंट मैनेजमेंट में एमटेक भी की जा सकती है जो आप एन्वायरमेंट में बीई या सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद कर सकते हैं।
संभावनाएं
कैमिकल, बायोलॉजिकल, थर्मल, रेडियोएक्टिव और यहां तक कि मैकेनिकल इंजीनियरिंग में क्वालिफाइड छात्रों के लिए भारत में एन्वायरमेंटल इंजीनियिंग के क्षेत्र में काफी स्कोप है। इसके अलावा प्रोसेस इंजीनियरिंग, एन्वायरमेंटल केमिस्ट्री, वॉटर एंड सीवेज ट्रीटमेंट, वेस्ट रिडक्शन मेनेजमेंट, पॉल्यूशन प्रीवेन्शन आदि क्षेत्रों के प्रोफेशनल्श की भी यहां काफी मांग है। गैर सरकारी संस्थाएं और कई सरकारी विभाग भी हरित विकास की दिशा में कार्य कर रहे हैं। शोध से जुड़े कार्यक्रम में भी इस क्षेत्र केम प्रोफशनल्श की अच्छी-खासी मांग है। एमटेक इंजीनियंरिग कर चुके छात्र सरकारी एसेसमेंट कमेटियों में भी कार्य कर सकते हैं।
विदेश में संभावनाएं
कई अंतरराष्ट्रीय विभाग और यूएनओ जैसी संस्थाओं में एन्वायरमेंटल टेक्नोलॉजी से जुड़े प्रशिक्षितों की मांग है। पर्यावरण से जुड़े कई प्रोजेक्ट्स पर फ्रीलांस कम करने का मौका भी मिल सकता है। ऐसे प्रोजेक्ट्स पर काम करने की ऐवज में अच्छा-खासा वेतन भी मिलता है, साथ ही कई जरूरी सुविधाएं भी दी जाती हैं। यूएस में एन्वायमेंटल इंजीनियर्स को अच्छी मोटी तनख्वाह दी जाती है।
वेतन
एन्वायरमेंटल इंजीनियर्स केंद्र और राज्य स्तरीय पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड्स के साथ काम करने का अवसर मिलता है। स्टेट पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के साथ काम कर रहे प्रशिक्षितों को 15 से 30 हजार रुपए तक का वेतन मिल सकता है। वहीं एन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग में एमटेक कर चुके छात्र इस क्षेत्र में 50 हजार रुपए तक कमा सकते हैं। बात करें इस क्षेत्र में बड़े स्तर पर होने वाले शोध कार्यों की तो इसमें 75 हजार रुपए तक कमाए जा सकते हैं।
संस्थान
• साउथ गुजरात यूनीवर्सिटी, सूरत
• दिल्ली विश्वविद्यालय
• मैसूर यूनिवर्सिटी
• दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग
• राजीव गांधी प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय, इंदौर
• आईआईटी, दिल्ली, कानपुर, खड़गपुर और मद्रास
एन्वायमेंटल इंजीनियरिंग का क्षेत्र चुनने के लिए आपके अंदर इस विषय के लिए पैशन होना बहुत जरूरी है। साथ ही अपनी योग्यताओं और क्षमताओं के बारे में भी आपको ज्ञान होना चाहिए। यह करिअर बेशक चुनौतियों भरा है, क्योंकि यहां आपसे पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं पर हर बार क्रांतिकारी समाधान देने की अपेक्षा की जाएगी। पर बात करें वेतनमान की तो यह काफी आकर्षित करने वाला होता है।
No comments:
Post a Comment