विज्ञान पोषण के सिद्धांतों पर आधारित मनुष्य के भोजन का विज्ञान एवं
कला है। इसे ‘‘मनुष्य की पोषणिक देख-रेख का विज्ञान एवं कला” भी कहा जाता
है। रोगियों से जुड़ी संस्थापनाओं में आहार चिकित्सा-विज्ञान तथा इसका
अनुप्रयोग आहार विज्ञान का एक मुख्य केंद्र बिंदु है। इस तरह आहार-विज्ञान
(क) व्यक्ति पर संकेन्द्रित पोषण देख-रेख एवं निगरानी तथा (ख) समूह पर
संकेन्द्रित पोषण देख-रेख एवं निगरानी से संबंधित हो सकता है।
आहार किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य तथा स्वस्थता वर्धन में एक अहम भूमिका निभाता है। एक अच्छे तथा संतुलित आहार की आदत जीवन क्षमता को बेहतर बनाती है तथा घटिया आहार रूग्णता और रोगों को बढ़ाता है। आहार-विज्ञान भोजन प्रबंधन से संबंधित होता है और पोषण स्वास्थ्य वर्धन से जुड़ा होता है।
अधिकांश शहरी जनसंख्या की भोजन-आदतों में परिवर्तन होने के कारण पोषण विज्ञानियों और आहार विज्ञानियों की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण होती जा रही है। वे, किसी व्यक्ति के विभिन्न पहलुओं जैसे आयु, कार्य दिनचर्या तथा बीमारी आदि को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त भोजन आदतों तथा चिकित्सा विज्ञान का सुझाव देते हैं और उससे उनकी जीवन क्षमता में सुधार लाते हैं। वे अपने ग्राहकों को पोषण के सिद्धांतों के अनुसार भोजन बनाने की शिक्षा भी देते हैं। वे खाद्य उत्पादन एवं प्रसंस्करण, खाद्य पसंद को प्रभावित करने वाले मनोवैज्ञानिक तथ्यों, पाचन तथा पोषण संबंधित पहलुओं पर इसके प्रभाव के बारे में जानते हैं। बढ़ रही तथा जरण की ओर अग्रसर जनसंख्या नर्सिंग होम, स्कूलों, कारागारों, सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों तथा गृह स्वास्थ्य देखरेख एजेंसियों में भोजन एवं पोषण संबंधी परामर्श की मांग में वृद्धि करेगी।
आहार विज्ञानी की भूमिका 19 वीं शताब्दी के प्रारंभ से ही काफी महत्वपूर्ण रही है। उनकी भूमिका से अब भी अनेक व्यक्ति अनभिज्ञ हैं। कुछ व्यक्ति सोचते हैं कि आहार विज्ञानी केवल व्यक्तियों को अपना वजन कम करने के लिए आहार संबंधी राय देते हैं, जबकि यह उनकी भूमिका का एक छोटा सा भाग है। आहार विज्ञानी पोषण संबंधी देखभाल के बारे में कठिन निर्णय लेने में रोगी तथा चिकित्सा दल या फिजिशियन के बीच एक सम्पर्क-कड़ी होता है। एशियन सोसायटी ऑफ पैरेंटरल एंड एंटरल न्यूट्रीशन (ए.एस.ई.ए.एन.) का कथन है कि पोषण देखभाल में आहार विज्ञानी की भूमिका ने, देखभाल के पूर्व-स्थापित मानकों के अनुसार संतुलित पोषक तत्वों के पर्याप्त स्रोतों और मात्रा की सिफारिश की है। रोगी की रोग-दशा पोषण संबंधी समर्थन अपर्याप्तता को अस्त व्यस्त कर देती है तो एक दुविधा की स्थिति आ जाती है, जिसके परिणाम-स्वरूप रोगी कुपोषण ग्रस्त हो जाता है आहार विज्ञानी को निम्नलिखित कार्य करने चाहिएं :-
• खाद्य एवं पोषण कार्यक्रमों की योजना बनाना।
• स्कूलों तथा अस्पतालों में भोजन व्यवस्था का पर्यवेक्षण करना।
• आहार संबंधी परिवर्तन का सुझाव देना।
• रोगियों को आहार की शिक्षा देना जो उनकी स्थिति में सुधार कर सकती है।
• बहु-विषयक स्वास्थ्य देख-भाल सोच जागृत करने के लिए अन्य स्वास्थ्य देख-भाल व्यवसायियों के साथ कार्य करना।
• बीमारी की गंभीरता तथा उपचार की जटिलता और सभी कल्पनीय मार्गों में भोजन लाभों तथा भार पर जानकारी देना।
• रोगी की पोषण संबंधी स्थिति पर आहर विज्ञानी के रूप में देते हुए तथा फिजिशियन एवं चिकित्सा-दल के सलाहकार के रूप में रोगी की देखभाल में सक्रिय रहना, और
• रोगी की देखभाल के उपायों जैसे अधिक आक्रामकता या प्रशामक देख-भाल करने में सहायक विधिक निर्णयों की जानकारी देना।
नैदानिक आहार विज्ञानी अस्पतालों, आउटपेशेंट क्लीनिक्स तथा प्राइवेट प्रैक्टिस में खाद्य पोषण सेवा विशेषज्ञ होते हैं। वे रोगी की पोषण आवश्यकता का मूल्यांकन करते हैं, उनकी आहार-योजना बनाते हैं, रोगी को सलाह देते हैं और रोगी के ठीक होने की प्रगति पर निगरानी रखते हैं।
सामुदायिक आहार विज्ञानी सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियों, स्वास्थ्य एवं फिटनेस क्लबों तथा डे-केयर सेंटरों में कार्य करते हैं। वे पोषण संबंधी जागरूकता तथा रोग-निवारण में खाद्य विकल्पों और प्रत्यक्ष कार्यक्रमों पर व्यक्तियों को सलाह देते हैं।
प्रबंधन आहार विज्ञानी खाद्य सेवा प्रणालियों या नैदानिक प्रबंधन में विशेषज्ञ होते हैं। वे अस्पतालों, नर्सिंग होम्स, स्कूल खाद्य सेवा, कैफेटेरिया तथा रेस्तरां में कार्य करते हैं। वे कार्मिकों का प्रबंधन करते हैं, कर्मचारी प्रशिक्षण कार्यक्रमों की योजना बनाते हैं और उन्हें संचालित करते हैं, खाद्य व्यवस्था की रूपरेखा तैयार करते हैं और बजट योजना बनाते हैं।
सलाहकार आहार विज्ञानी स्वतंत्र व्यवसाय व्यक्ति होते हैं जो नर्सिंग होम सलाहकार, पुस्तक लेखक होते हैं तथा चिकित्सा केंद्रों एवं फिटनेस कार्यक्रमों में रोगी के सलाहकार के रूप में कार्य करते हैं। वे खाद्य सेवा व्यवस्था का विकास एवं मूल्यांकन भी करते हैं और उद्योग के स्वतंत्र सलाहकार के रूप में कार्य करते हैं।
सरकारी क्षेत्र : सरकारी अस्पतालों, सरकारी स्वास्थ्य देखभाल विभागों, स्कूलों, कॉलेजों, कारखानों और कैफेटेरिया में पोषण संबंधी आवश्यकताओं के नियोजन के कार्य कर सकते हैं।
खेल एवं स्वास्थ्य क्लब : खेल होस्टलों और एथलीट कैम्पों के लिए भी कार्य कर सकते हैं। स्वास्थ्य तथा मनोरंजन क्लबों, कैंटीन तथा नर्सिंग देख-भाल संस्थाओं को भी पोषण विज्ञानियों और आहार विज्ञानियों की सेवाओं की आवश्यकता होती है। सितारा होटलों तथा रेस्तरां के खानपान विभाग में भी उनके लिए रोज़गार के अवसर विद्यमान होते हैं।
अध्यापन, अनुसंधान एवं विकास : अनुसंधान एवं विकास कार्य में विभिन्न खाद्य मदों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उन मदों पर अनुसंधान करना और विभिन्न प्रकार के आहारों के शरीर पर प्रभाव का प्रयोगशालाओं में अध्ययन करना शामिल होता है। अनुसंधान आहार विज्ञानी या पोषण विज्ञानी खाद्य पदार्थों के पोषण-मूल्यों पर अनुसंधान करते हैं, जो हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन के विभिन्न घटकों और मानव-शरीर के लिए आवश्यक विटामिन, खनिज आदि जैसे अनिवार्य तत्वों की संतुलित मात्रा देने वाले सही प्रकार के भोजन को समझने में सहायता करते हैं। वे विश्वविद्यालयों, को समझने में सहायता करते हैं। वे विश्वविद्यालयों, सार्वजनिक या निजी क्षेत्र के अनुसंधान संस्थानों, खाद्य उत्पादन विनिर्माता कंपनियों तथा अस्पतालों में भी अनुसंधान करियर चुन सकते हैं। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में आहार विज्ञान या पोषण विज्ञान अध्यापन भी एक अच्छा विकल्प है।
मास मीडिया : इन सबके अतिरिक्त वे मास मीडिया में भी अवसर तलाश सकते हैं जहां स्वस्थ जीवन-यापन/रहन-सहन पर महत्वपूर्ण सूचना के प्रचार-प्रसार को उच्च प्राथमिकता दी जाती है।
निजी सलाहकार/प्रेक्टिशनर अनुभवी आहार विज्ञानी किसी आहार विभाग के सहायक, एसोसिएट, या निदेशक बन सकते हैं या स्व-रोज़गार प्राप्त व्यक्ति बन सकते हैं। कुछ आहार विज्ञानी बाल आहार विज्ञान जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त करते हैं। इन सबके अतिरिक्त वे निजी सलाहकार या निजी प्रेक्टिशनर के रूप में भी कार्य कर सकते हैं।
वेतन : आहार विज्ञान एवं पोषण एक वेतनग्राही कार्य है। सरकारी अस्पतालों, शैक्षिक संस्थाओं, अनुसंधान संस्थाओं तथा अन्य एजेंसियों में वेतन कार्य-प्रोफाइल एवं अनुभव के आधार पर सरकार द्वारा निर्धारित होता है। कुछ निजी क्षेत्र के होटलों, रेस्तरां, खाद्य विनिर्माता उच्च वेतन तथा आकर्षक लाभ देते हैं। स्वतंत्र प्रेक्टिशनर एवं निजी सलाहकार भी अच्छी आय कमाते हैं। जो उनके ग्राहकों की संख्या तथा प्रकृति पर निर्भर होती है।
एंट्री स्तर पर : वेतन क्षमता तथा अनुभव के आधार पर 10000 रु. से 25000/- रु. प्रतिमाह होता है।
उच्च पद पर : वेतन योग्यताओं, धारित पद, अनुभव तथा स्थान के आधार पर 25000 रु. से 90000/- रु. प्रतिमाह तक होता है।
कार्य संभावनाएं अच्छी हैं और औसत कार्य के साथ क्षेत्र में उन्नति होने की प्रत्याशा होती है।
स्नातक व्यक्ति पीएच.डी. या एम.डी प्राप्त करने के अपने ध्येय के साथ अपना अध्ययन चालू रख सकते हैं। आहार विज्ञान एवं जीव विज्ञान कार्यक्रम छात्रों को आहार विज्ञान डिग्री प्राप्त करने का अवसर देता है।
आहार किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य तथा स्वस्थता वर्धन में एक अहम भूमिका निभाता है। एक अच्छे तथा संतुलित आहार की आदत जीवन क्षमता को बेहतर बनाती है तथा घटिया आहार रूग्णता और रोगों को बढ़ाता है। आहार-विज्ञान भोजन प्रबंधन से संबंधित होता है और पोषण स्वास्थ्य वर्धन से जुड़ा होता है।
अधिकांश शहरी जनसंख्या की भोजन-आदतों में परिवर्तन होने के कारण पोषण विज्ञानियों और आहार विज्ञानियों की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण होती जा रही है। वे, किसी व्यक्ति के विभिन्न पहलुओं जैसे आयु, कार्य दिनचर्या तथा बीमारी आदि को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त भोजन आदतों तथा चिकित्सा विज्ञान का सुझाव देते हैं और उससे उनकी जीवन क्षमता में सुधार लाते हैं। वे अपने ग्राहकों को पोषण के सिद्धांतों के अनुसार भोजन बनाने की शिक्षा भी देते हैं। वे खाद्य उत्पादन एवं प्रसंस्करण, खाद्य पसंद को प्रभावित करने वाले मनोवैज्ञानिक तथ्यों, पाचन तथा पोषण संबंधित पहलुओं पर इसके प्रभाव के बारे में जानते हैं। बढ़ रही तथा जरण की ओर अग्रसर जनसंख्या नर्सिंग होम, स्कूलों, कारागारों, सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों तथा गृह स्वास्थ्य देखरेख एजेंसियों में भोजन एवं पोषण संबंधी परामर्श की मांग में वृद्धि करेगी।
स्वास्थ्य देखभाल में आहार विज्ञानी की भूमिका
आहार विज्ञानी की भूमिका 19 वीं शताब्दी के प्रारंभ से ही काफी महत्वपूर्ण रही है। उनकी भूमिका से अब भी अनेक व्यक्ति अनभिज्ञ हैं। कुछ व्यक्ति सोचते हैं कि आहार विज्ञानी केवल व्यक्तियों को अपना वजन कम करने के लिए आहार संबंधी राय देते हैं, जबकि यह उनकी भूमिका का एक छोटा सा भाग है। आहार विज्ञानी पोषण संबंधी देखभाल के बारे में कठिन निर्णय लेने में रोगी तथा चिकित्सा दल या फिजिशियन के बीच एक सम्पर्क-कड़ी होता है। एशियन सोसायटी ऑफ पैरेंटरल एंड एंटरल न्यूट्रीशन (ए.एस.ई.ए.एन.) का कथन है कि पोषण देखभाल में आहार विज्ञानी की भूमिका ने, देखभाल के पूर्व-स्थापित मानकों के अनुसार संतुलित पोषक तत्वों के पर्याप्त स्रोतों और मात्रा की सिफारिश की है। रोगी की रोग-दशा पोषण संबंधी समर्थन अपर्याप्तता को अस्त व्यस्त कर देती है तो एक दुविधा की स्थिति आ जाती है, जिसके परिणाम-स्वरूप रोगी कुपोषण ग्रस्त हो जाता है आहार विज्ञानी को निम्नलिखित कार्य करने चाहिएं :-
• खाद्य एवं पोषण कार्यक्रमों की योजना बनाना।
• स्कूलों तथा अस्पतालों में भोजन व्यवस्था का पर्यवेक्षण करना।
• आहार संबंधी परिवर्तन का सुझाव देना।
• रोगियों को आहार की शिक्षा देना जो उनकी स्थिति में सुधार कर सकती है।
• बहु-विषयक स्वास्थ्य देख-भाल सोच जागृत करने के लिए अन्य स्वास्थ्य देख-भाल व्यवसायियों के साथ कार्य करना।
• बीमारी की गंभीरता तथा उपचार की जटिलता और सभी कल्पनीय मार्गों में भोजन लाभों तथा भार पर जानकारी देना।
• रोगी की पोषण संबंधी स्थिति पर आहर विज्ञानी के रूप में देते हुए तथा फिजिशियन एवं चिकित्सा-दल के सलाहकार के रूप में रोगी की देखभाल में सक्रिय रहना, और
• रोगी की देखभाल के उपायों जैसे अधिक आक्रामकता या प्रशामक देख-भाल करने में सहायक विधिक निर्णयों की जानकारी देना।
आहार विज्ञान में विभिन्न विशेषज्ञता-क्षेत्र :
नैदानिक आहार विज्ञानी अस्पतालों, आउटपेशेंट क्लीनिक्स तथा प्राइवेट प्रैक्टिस में खाद्य पोषण सेवा विशेषज्ञ होते हैं। वे रोगी की पोषण आवश्यकता का मूल्यांकन करते हैं, उनकी आहार-योजना बनाते हैं, रोगी को सलाह देते हैं और रोगी के ठीक होने की प्रगति पर निगरानी रखते हैं।
सामुदायिक आहार विज्ञानी सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियों, स्वास्थ्य एवं फिटनेस क्लबों तथा डे-केयर सेंटरों में कार्य करते हैं। वे पोषण संबंधी जागरूकता तथा रोग-निवारण में खाद्य विकल्पों और प्रत्यक्ष कार्यक्रमों पर व्यक्तियों को सलाह देते हैं।
प्रबंधन आहार विज्ञानी खाद्य सेवा प्रणालियों या नैदानिक प्रबंधन में विशेषज्ञ होते हैं। वे अस्पतालों, नर्सिंग होम्स, स्कूल खाद्य सेवा, कैफेटेरिया तथा रेस्तरां में कार्य करते हैं। वे कार्मिकों का प्रबंधन करते हैं, कर्मचारी प्रशिक्षण कार्यक्रमों की योजना बनाते हैं और उन्हें संचालित करते हैं, खाद्य व्यवस्था की रूपरेखा तैयार करते हैं और बजट योजना बनाते हैं।
सलाहकार आहार विज्ञानी स्वतंत्र व्यवसाय व्यक्ति होते हैं जो नर्सिंग होम सलाहकार, पुस्तक लेखक होते हैं तथा चिकित्सा केंद्रों एवं फिटनेस कार्यक्रमों में रोगी के सलाहकार के रूप में कार्य करते हैं। वे खाद्य सेवा व्यवस्था का विकास एवं मूल्यांकन भी करते हैं और उद्योग के स्वतंत्र सलाहकार के रूप में कार्य करते हैं।
करियर के अवसर :
सरकारी क्षेत्र : सरकारी अस्पतालों, सरकारी स्वास्थ्य देखभाल विभागों, स्कूलों, कॉलेजों, कारखानों और कैफेटेरिया में पोषण संबंधी आवश्यकताओं के नियोजन के कार्य कर सकते हैं।
खेल एवं स्वास्थ्य क्लब : खेल होस्टलों और एथलीट कैम्पों के लिए भी कार्य कर सकते हैं। स्वास्थ्य तथा मनोरंजन क्लबों, कैंटीन तथा नर्सिंग देख-भाल संस्थाओं को भी पोषण विज्ञानियों और आहार विज्ञानियों की सेवाओं की आवश्यकता होती है। सितारा होटलों तथा रेस्तरां के खानपान विभाग में भी उनके लिए रोज़गार के अवसर विद्यमान होते हैं।
अध्यापन, अनुसंधान एवं विकास : अनुसंधान एवं विकास कार्य में विभिन्न खाद्य मदों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उन मदों पर अनुसंधान करना और विभिन्न प्रकार के आहारों के शरीर पर प्रभाव का प्रयोगशालाओं में अध्ययन करना शामिल होता है। अनुसंधान आहार विज्ञानी या पोषण विज्ञानी खाद्य पदार्थों के पोषण-मूल्यों पर अनुसंधान करते हैं, जो हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन के विभिन्न घटकों और मानव-शरीर के लिए आवश्यक विटामिन, खनिज आदि जैसे अनिवार्य तत्वों की संतुलित मात्रा देने वाले सही प्रकार के भोजन को समझने में सहायता करते हैं। वे विश्वविद्यालयों, को समझने में सहायता करते हैं। वे विश्वविद्यालयों, सार्वजनिक या निजी क्षेत्र के अनुसंधान संस्थानों, खाद्य उत्पादन विनिर्माता कंपनियों तथा अस्पतालों में भी अनुसंधान करियर चुन सकते हैं। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में आहार विज्ञान या पोषण विज्ञान अध्यापन भी एक अच्छा विकल्प है।
मास मीडिया : इन सबके अतिरिक्त वे मास मीडिया में भी अवसर तलाश सकते हैं जहां स्वस्थ जीवन-यापन/रहन-सहन पर महत्वपूर्ण सूचना के प्रचार-प्रसार को उच्च प्राथमिकता दी जाती है।
जिम, स्लिमिंग सेंटर :
निजी सलाहकार/प्रेक्टिशनर अनुभवी आहार विज्ञानी किसी आहार विभाग के सहायक, एसोसिएट, या निदेशक बन सकते हैं या स्व-रोज़गार प्राप्त व्यक्ति बन सकते हैं। कुछ आहार विज्ञानी बाल आहार विज्ञान जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त करते हैं। इन सबके अतिरिक्त वे निजी सलाहकार या निजी प्रेक्टिशनर के रूप में भी कार्य कर सकते हैं।
वेतन : आहार विज्ञान एवं पोषण एक वेतनग्राही कार्य है। सरकारी अस्पतालों, शैक्षिक संस्थाओं, अनुसंधान संस्थाओं तथा अन्य एजेंसियों में वेतन कार्य-प्रोफाइल एवं अनुभव के आधार पर सरकार द्वारा निर्धारित होता है। कुछ निजी क्षेत्र के होटलों, रेस्तरां, खाद्य विनिर्माता उच्च वेतन तथा आकर्षक लाभ देते हैं। स्वतंत्र प्रेक्टिशनर एवं निजी सलाहकार भी अच्छी आय कमाते हैं। जो उनके ग्राहकों की संख्या तथा प्रकृति पर निर्भर होती है।
एंट्री स्तर पर : वेतन क्षमता तथा अनुभव के आधार पर 10000 रु. से 25000/- रु. प्रतिमाह होता है।
उच्च पद पर : वेतन योग्यताओं, धारित पद, अनुभव तथा स्थान के आधार पर 25000 रु. से 90000/- रु. प्रतिमाह तक होता है।
कार्य संभावनाएं अच्छी हैं और औसत कार्य के साथ क्षेत्र में उन्नति होने की प्रत्याशा होती है।
भारत में पोषण एवं आहार विज्ञान संस्थानों की सूची
कॉलेज/विश्वविद्यालय का नाम | पात्रता | पाठ्यक्रम के विषय | ||
अविनासीलिंगम महिला गृह विज्ञान एवं उच्च शिक्षा संस्थान कोयम्बत्तूर-641043 | विज्ञान विषयों सहित 10+2 | खाद्य विज्ञान एवं परिरक्षण | ||
अखिल भारतीय स्वास्त्य विज्ञान एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान्, चितरंजन एवेन्यू, कोलकाता –700073 | भारतीय चिकित्सा परिषद द्वारा मान्यताप्राप्त औषधि एवं शल्य चिकित्सा स्नातक अथवा शरीर विज्ञान या रसायन विज्ञान या नैदानिक पोषण सहित विश्वविद्यालय की डिग्री तथा आहार विज्ञान एक विषय के रुप में रहा हो। किसी मान्यताप्राप्त संस्था या विश्वविद्यालय से डोमेस्टिक अथवा नर्सिंग में डिग्रीधारी | आहार विज्ञान में एक वर्षीय डिप्लोमा | ||
श्रीमती नत्थीबाई दामोदर ठाकरसे महिला विश्वविद्यालय (एस.एन.डी.टी.) मुंबई-400020 | नैदानिक पोषण या पोषण एवं आहार विज्ञान में बी.एससी. | एम.एससी-नैदानिक पोषण, आहार विज्ञान एवं पोषण में पी.जी. डिप्लोमा | ||
गृह अर्थशास्त्र विश्वविद्यालय (दिल्ली विश्वविद्यालय) | विज्ञान विषयों सहित 10+2 | आहार विज्ञान एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य पोषण में डिप्लोमा | ||
लेडी इर्विन कॉलेज, नई दिल्ली | विज्ञान विषयों सहित 10+2 | आहार विज्ञान में डिप्लोमा | ||
सैम हिगीन्बोटम इन्स्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर इलाहाबाद उ.प्र. | एस.सी. –खाद्य, पोषण एवं आहार विज्ञान | एम. एस.सी. खाद्य, पोषण एवं आहार-विज्ञान | ||
ओस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद, आं.प्र. | विज्ञान सहित 10+2बी. एससी-गृह विज्ञान या खाद्य पोषण तथा आहार विज्ञान | पोषण एवं आहार-विज्ञान में बी.एससी. पोषण एवं आहार-विज्ञान में एम.एससी. | ||
मुंबई विश्वविद्यालय, मुंबई | विज्ञान विषयों सहति 10+2/पोषण एवं आहार विज्ञान में स्नातक | पोषण एवं आहार विज्ञान में बी.एससी/एम.एससी | ||
महाराज सायाजीराव बड़ौदा विश्वविद्यालय, वड़ोदरा | विज्ञान विषयों सहित 10+2/पोषण एवं आहार विज्ञान में स्नातक | पोषण एवं आहार विज्ञान में बी.एस.सी/एम.एस.सी | ||
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर | विज्ञान विषयों सहित 10+2/खाद्य पोषण एवं आहार विज्ञान में स्नातक | पोषण एवं आहार विज्ञान में बी.एससी/एम.एससी. | ||
आचार्य एन.जी.रंगा कृषि विश्वविद्यालय, हैदराबाद | विज्ञान विषयों सहित 10+2/खाद्य पोषण एवं आहार विज्ञान में स्नातक | पोषण एवं आहार-विज्ञान में बी.एससी/एम.एससी. | ||
एल्फोंजा कॉलेज पाला-686574 (स्व वित्त पोषण) (महात्मा गांधी विश्वविद्यालय से संबद्ध) | बी.एससी. खाद्य, पोषण एवं आहार विज्ञान या बी. एससी. गृह विज्ञान | एम.एस.सी. नैदानिक पोषण एवं आहार-विज्ञान (स्व-वित्त पोषण) www.alphonsacollege.org | ||
सेंट टेरेसा कॉलेज, एर्नाकुलम-682011 | गृह विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, प्राणि विज्ञान, जैव रसायन विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी, खाद्य विज्ञान, एवं गुणवत्ता नियंत्रण तथा नैदानिक पोषण एवं आहार विज्ञान में न्यूनतम 55%अंकों सहित किसी मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय विश्वविद्यालय की स्नातक डीग्री। | नैदानिक पोषण एवं आहार विज्ञान में पी.जी. डिप्लोमा www.terasas.ac.in | ||
क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, तोरापड़ी पोस्ट, बागायम, वेल्लोर-632 | बी.एससी. खाद्य पोषम एवं आहार विज्ञान या बी.एससी-गृह विज्ञान | आहार विज्ञान में पीजी डिप्लोमा | ||
श्री रामचंद्र चिकित्सा कॉलेज एवं अनुसंधान संस्थान (मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय), चेन्नै-600116 | बी.एससी-खाद्य, पोषण एवं आहार विज्ञान या बीएससी गृह प्रवेश एक प्रवेश परीक्षा पर आधारित होता है। | नैदानिक पोषण में एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा। | ||
मुंबई विश्वविद्यालय, एमजी रोड, फोर्ट, मुंबई-400032 | बी.एससी-खाद्य, पोषण एवं आहार विज्ञान या बी.एससी कृषि विज्ञान | आहार विज्ञान एवं अनुप्रयुक्त पोषण में पी.जी. डिप्लोमा | ||
श्री पद्मावती महिला विश्वविद्यालय, तिरुपति 517502 | बी.एससी खाद्य, पोषण एवं आहार विज्ञान या बी.एससी गृह विज्ञान | पोषण एवं आहार विज्ञान में पी.जी. डिप्लोमा | ||
विवेकानंद महिला कला एवं विज्ञान कॉलेज, विज्ञान नामक्कल, तमिलनाडु | बी.एससी, पोषण एवं आहार विज्ञान | एम.एससी. पोषण | ||
हॉली क्रॉस होम साइंस कॉलेज, थूथुकुड़ी, विज्ञान तमिलनाडु | बी.एससी, पोषण एवं आहार विज्ञान | पोषण एवं आहार-में पी.जी. डिप्लोमा;आहार-विज्ञान एवं खाद्य प्रबंधन में एम.एससी | ||
श्री रामचन्द्र विश्वविद्यालय, चेन्नै, तमिलनाडु | नैदानिक पोषण या पोषण एवं आहार विज्ञान में बी.एससी | नैदानिक पोषण में एमएससी. | ||
भारत में दूरस्थ शिक्षा माध्यम के पोषण एवं आहार विज्ञान संस्थानों की सूची | ||||
मदुरई कामराज विश्वविद्यालय, मदुरई (तमिलनाडु) www.mkudde.org देखें | आहार विज्ञान, खाद्य एवं पोषण में या किसी संबंधित क्षेत्र में स्नातक डिग्री | अनुप्रयुक्त पोषण एवं आहार विज्ञान में एक वर्षीय डिप्लोमा, पोषण एवं आहार विज्ञान/नैदानिक पोषण/गृह विज्ञान में बी.एससी. डिग्री | ||
पोषण संस्थान (एमटीआर स्वास्थ्य विज्ञान से संबद्ध) | एम.बी.बी.एस. या जैव रसायन विज्ञान/शरीर विज्ञान/खाद्य एवं पोषण/आहार विज्ञान में मास्टर डिग्री | एम.एससी (अनुप्रयुक्त पोषण) | ||
श्री पद्मावती महिला विश्वविद्यालय, तिरुपति (आ.प्र.) | बी.एस.सी गृह विज्ञान (50%अंक) | पोषण एवं आहार-विज्ञान में एक वर्षीय डिप्लोमा | ||
बबई विश्वविद्यालय, एम.जी.रोड, फोर्ट, मुंबई-400032 | बी.एससी.-गृह विज्ञान | पोषण एवं आहार विज्ञान में एक वर्षीय डिप्लोमा | ||
बंगलौर विश्वविद्यालय, सेंट्रल कॉलेज, कैम्पस, डॉ. अम्बेडकर वीधि, बंगलौर-560001 | गृह विज्ञान/रसायन विज्ञान एक वैकल्पिक विषय के रूप में लेकर पी.यू.सी. या समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण हों | अनुप्रयुक्त पोषण एवं आहार विज्ञान में एक वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम (इंजी माध्यम) | ||
गृह अर्थशास्त्र विश्वविद्यालय (दिल्ली विश्वविद्यालय) | विज्ञान सहित 10+2 | आहार विज्ञान एवं सार्वजनिक स्वास्त्य पोषण में डिप्लोमा | ||
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, www.ignou.ac. पद देखें | गृह विज्ञान या खाद्य एवं पोषण/या आहार विज्ञान एवं खाद्य सेवा प्रबंधन में बी.एससी. या संबंधित क्षेत्र में स्नातक | आहार विज्ञान एवं खाद्य सेवा प्रबंधन में एससी | ||
उत्कल विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर | गृह विज्ञान या खाद्य एवं पोषण/या आहार विज्ञान एवं खाद्य सेवा प्रबंधन में बी.एस.सी | आहार विज्ञान एवं पोषण प्रबंधन में पी.जी. डिप्लोमा | ||
मध्य प्रदेश भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय भोपाल | गृह विज्ञान या खाद्य एवं पोषण/या आहार विज्ञान एवं खाद्य सेवा प्रबंधन में बी.एससी | स्नातकों के लिए आहार विज्ञान एवं थेराप्यूटिक पोषण में पी.जी. डिप्लोमा |
स्नातक व्यक्ति पीएच.डी. या एम.डी प्राप्त करने के अपने ध्येय के साथ अपना अध्ययन चालू रख सकते हैं। आहार विज्ञान एवं जीव विज्ञान कार्यक्रम छात्रों को आहार विज्ञान डिग्री प्राप्त करने का अवसर देता है।
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