Wednesday, September 2, 2015

शोध में करियर की खोज

देश में अनुसंधान के क्षेत्र में पिछले कुछ समय से हलचल देखी जाने लगी है। शोध का महत्व विज्ञान और अन्य विषयों में स्पष्ट होने लगा है। इसमें रोजगार के अवसर भी सामने आ रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञता इसकी सबसे पहली शर्त है। शोध क्षेत्र में रोजगार के अवसरों पर विशेष।
शोध या अनुसंधान को कई तरीकों से पारिभाषित किया जा सकता है। व्यापक रूप से देखें तो शोध में ज्ञान की अगले पायदान पर जाने के लिए आंकड़ों, सूचनाओं और तथ्यों को जुटाना और उनके आधार पर किसी नतीजे पर पहुंचना शामिल है। दरअसल किसी भी विषय को समझने के लिए उससे संबंधित सामग्री की जरूरत होती है। सबसे पहले एक प्रश्न खड़ा होता है, फिर उस प्रश्न का उत्तर पाने के लिए आंकड़े जुटाए जाते हैं और उनके आधार पर उत्तर हासिल किया जाता है।
रिसर्च के लिए निम्न बिंदुओं पर काम करना होता है-
शोध के विषय की पहचान,
शोध का उद्देश्य,
शोध से संबंधित प्रश्न,
आंकड़ों का संग्रह,
आंकड़ों का विश्लेषण,
निष्कर्ष
ये सारे कदम शोध की संपूर्ण प्रक्रिया बताते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि यही वे कदम हैं, जिनको अपना कर हर अनुसंधान पूरा किया जाता है। नये बिंदु हमेशा शामिल हो सकते हैं। रिसर्च ऐसी प्रक्रिया है, जो स्थापित सिद्धांतों से आगे चलते हुए नए मानकों व नई व्याख्याओं की तलाश करती है, ताकि हर क्षेत्र में नया और बेहतर किया जा सके और मानव सभ्यता उसका अधिक से अधिक लाभ उठा सके। शोध की गुंजाइश हर क्षेत्र में है, चाहे मानव विज्ञान हो, सामाजिक विज्ञान हो, साहित्य हो, अभियांत्रिकी हो या विज्ञान हो, जिसमें भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान शामिल हैं।
बेशक हमारे देश में शोध अभी उस स्तर तक नहीं पहुंचा है, जो अधिक से अधिक विद्यार्थियों को अपनी तरफ आकर्षित करे, लेकिन काफी सुधार हो रहा है। भारत के विश्वविद्यालयों में इस तरफ काफी गंभीरता दिखाई जा रही है। कहा जा रहा है कि अगले 10 से 12 सालों में देश रिसर्च के क्षेत्र में सुपरपावर बन सकता है।
एक अध्ययन के मुताबिक, भारत में शोध के स्तर में तेजी से सुधार आ रहा है और वे सभी चीजें मुहैया करवाई जाने लगी हैं, जो इसके लिए जरूरी हैं।
शैक्षणिक योग्यता
अगर आप किसी भी विषय में शोध या रिसर्च करना चाहते हैं तो आप 55 फीसदी अंकों के साथ पोस्ट ग्रेजुएट होने चाहिए। तभी किसी मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय के गाइड के अधीन शोध या अनुसंधान कर सकते हैं। कुछ विश्वविद्यालयों में प्री-पीएचडी टैस्ट भी होता है, जिसे पास करने के बाद अनुभवी, मान्यताप्राप्त गाइड चुना जा सकता है। जो भी पीएचडी करेगा, उसका गाइड सर्टिफाई करेगा कि जो काम रिसर्चर ने किया है, वह मौलिक है।
नया हो विषय
शोध का विषय चाहे जो हो, लेकिन शोध कार्य ऐसा होना चाहिए, जिससे सबको फायदा हो। सिनॉप्सिस और रिसर्च प्रपोजल रिसर्च का पहला कदम है। सिनॉप्सिस में आपकी रिसर्च का सारा लेखा-जोखा होता है। इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है-
रिसर्च का विषय नया हो।
ऐसे गाइड का चयन करें, जो विषय का विशेषज्ञ हो।
सिनॉप्सिस बनाने से पहले आधारभूत चीजों की जानकारी ले लें।
सिनॉप्सिस को कई अध्यायों में बांट लें।
नौकरी के अवसर
रिसर्च के बाद आप विश्वविद्यालय, डिग्री कॉलेज, संस्थानों में असिस्टेंट प्रोफेसर, रिसर्च एसोसिएट जैसे पदों पर जॉब्स पा सकते हैं। निजी संस्थानों एवं कंपनियों के आरएंडडी डिपार्टमेंट, सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी डिपार्टमेंट में भी वरिष्ठ पदों पर नौकरी पा सकते हैं। इसके अलावा, इन दिनों अलग-अलग विषय के अनुवादक के रूप में भी नियुक्ति होने लगी है।
शोध के विषय
मानव विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, साहित्य, अभियांत्रिकी, विज्ञान के अलावा आज मार्केट रिसर्च, क्लीनिकल रिसर्च, ऑपरेशनल रिसर्च, आईटी और हेल्थ क्षेत्रों में काफी शोध हो रहा है। इन विषयों पर अगर छात्र शोध कार्य करने पर जोर दें तो बेहतरी की उम्मीद है, क्योंकि ये विषय जॉब ओरिएंटेड हैं।
मार्केट रिसर्च
मार्केट रिसर्च एक तरह की मार्केटिंग तकनीक है, जिसमें सर्वे, लोगों से बातचीत करने के बाद नए उत्पाद के बारे में जानकारी ली जाती है। मार्केट रिसर्च के तहत किसी नए उत्पाद या सेवाओं को बाजार में फैलाने के लिए सबसे पहले डेटा इकट्ठा करने की जरूरत पड़ती है, जिसे अंजाम देते हैं मार्केट रिसर्चर।
क्लीनिकल रिसर्च
भारत में क्लीनिकल रिसर्च का बाजार तकरीबन 50 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। जब कोई दवा जारी करने की तैयारी होती है तो वह दवा लोगों के लिए कितनी सुरक्षित है, इसके लिए क्लीनिकल ट्रायल होता है।
अगर आप भी इसका हिस्सा बनना चाहते हैं तो क्लीनिकल ट्रायल या क्लीनिकल रिसर्च से जुड़े कोर्स कर सकते हैं।
ऑपरेशनल रिसर्च
ऑपरेशनल रिसर्च टीम ऐसे प्रोजेक्टों पर काम करती है, जिसके लिए जरूरी बिजनेस स्किल्स की जरूरत होती है। यह एक अच्छा प्रोफेशन है, जहां क्रिएटिविटी, उत्साह और काम करने की उतनी ही जरूरत है, जितनी टेक्नोलॉजी को समझने की।
डिफेंस
डिफेंस के क्षेत्र में शोध बेहद काम आता है। सेल्फ डिफेंस के लिए नए उपकरणों और हथियारों का निर्माण करना पड़ता है। इसके लिए लगातार शोध चलता है।
आईटी
आईटी में रिसर्च में करियर बनाने के लिए आपको डेटाबेस सिस्टम, नॉलेज मैनेजमेंट, बिजनेस इंटेलिजेंस विषयों की जानकारी होनी चाहिए, ताकि वे तकनीकी तौर पर किसी भी समस्या का आकलन कर सकें।
स्वास्थ्य क्षेत्र
हेल्थ सेक्टर पूरी तरह शोध पर आधारित है। इसमें लगातार शोध करने पड़ते हैं।
सोशल वेलफेयर
इसका क्षेत्र काफी व्यापक है। शिक्षा, गरीबी, ग्रामीण विकास, आपदा प्रबंधन वगैरह में रिसर्च की बेहद गुंजाइश है।
क्या-क्या सावधानी बरतें?
रिसर्च के बारे में मूलभूत जानकारी होनी चाहिए। यह भी प्रयास करें कि जो विषय चुना है, उसका संपूर्ण संदर्भ या ज्ञान, जो पहले से उपलब्ध है, उस पर संग्रह प्रस्तुत करें और यह भी प्रकाश डालें कि उन्होंने अनुसंधान पूर्ण करने पर उस विषय में क्या उपलब्धियां प्राप्त की हैं, अर्थात् उनका क्या योगदान है। पीएचडी के लिए प्रस्तुत किए जाने वाले शोध का पैनल डिस्कशन होना चाहिए, जो स्पष्ट करे कि छात्र ने इस क्षेत्र में अच्छा अध्ययन किया है।
केवल उन्हीं विषयों पर शोध की इजाजत मिलनी चाहिए, जिन पर पहले से कार्य या अनुसंधान न हुआ हो या अगर हुआ है तो वह स्तर का न हो या उसे एक निश्चित निष्कर्ष के रूप में मान्यता न मिली हो। रिसर्च के दो रूप होते हैं। पहला- जिसमें किसी विषय पर थोड़ा बहुत प्रारंभिक ज्ञान दिया गया हो, परंतु वह पूर्ण न माना जाए। दूसरा- कोई विद्यार्थी उसमें अतिरिक्त ज्ञान हासिल करके उस विषय को और स्पष्ट कर दे। कुछ अनछुए विषय हैं, जिन पर नये सिरे से खोजबीन हो, क्योंकि ऐसे अनुसंधान अपेक्षाकृत ज्यादा लाभदायक और ज्ञानवर्धक होते हैं।
प्रमुख संस्थान
डीआरडीओ (डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट) तिमारपुर, दिल्ली
वेबसाइट:
www.drdo.gov.in
सीएसआईआर (काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च), अनुसंधान भवन, रफी मार्ग, नई दिल्ली
वेबसाइट:
  www.csir.res.in
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
वेबसाइट
: www.jnu.ac.in
साई नाथ विश्वविद्यालय, रांची, झारखंड
वेबसाइट
: www.sainathuniversity.com
आईआईटी, कानपुर।
वेबसाइट
: www.iitk.ac.in
आधुनिक तकनीक के साथ परंपरागत शोध के क्षेत्र में उतने अवसर नहीं हैं, जितने इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, नैनो टेक्नोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी, माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स, मार्केट रिसर्च, क्लीनिकल रिसर्च, ऑपरेशनल रिसर्च और हेल्थ सेक्टर आदि में। ये सभी जॉब ओरिएंटेड क्षेत्र हैं। अपने देश में रिसर्च के क्षेत्र में तेजी से सुधार हो रहा है और सुधार की गुंजाइश है।

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