Thursday, December 31, 2015

मेडिकल टूरिज्म में कैरियर संभावनाएं

पिछले कुछ वर्षों से भारत मेडिकल टूरिज्म के लिए आकर्षक डेस्टिनेशन बना हुआ है। सस्ते और क्वालिटी मेडिकल सर्विसेज के कारण दुनियाभर से लोग यहां इलाज करवाने आ रहे हैं। हर साल लाखों की संख्या में आने वाले मेडिकल टूरिस्ट की वजह से इस फील्ड में जॉब के मौके भी खूब देखे जा रहे हैं। अगर आप इस फील्ड से रिलेटेड डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स कर लेते हैं, तो इसमें शानदार करियर बना सकते हैं…देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और जॉब क्रिएशन में इंडियन हेल्थकेयर इंडस्ट्री का बड़ा रोल माना जा रहा है। ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन, बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप और कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज की एक ज्वाइंट रिपोर्ट के अनुसार, 2020 तक हेल्थकेयर सेक्टर में करीब 40 मिलियन से ज्यादा जॉब जेनरेट होने का अनुमान है। उम्मीद की जा रही है कि दुनिया के दूसरे विकसित देशों के मुकाबले भारत में उपलब्ध सस्ते मेडिकल ट्रीटमेंट और एजुकेशन सर्विसेज के कारण यह मेडिकल टूरिज्म का ग्लोबल हब बन सकता है। हर साल लाखों की तादाद में मेडिकल ट्रैवलर्स या टूरिस्ट्स भारत का दौरा करते हैं। करीब 60 से ज्यादा देशों के मरीज इंडिया इलाज कराने आते हैं। इस तरह ग्लोबल टूरिज्म में भारत का हिस्सा लगभग तीन प्रतिशत है। एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2015 तक हेल्थकेयर टूरिज्म का मार्केट 11 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। जाहिर है, मेडिकल टूरिज्म सेक्टर में युवाओं के लिए अपॉच्र्युनिटीज की कमी नहीं रहेगी।
क्या है मेडिकल टूरिज्म
मेडिकल टूरिज्म को मेडिकल ट्रैवल भी कहते हैं, जिसमें टूरिज्म इंडस्ट्री और मेडिकल केयर के सहयोग से विदेशी या देशी पर्यटकों को कम खर्च पर मेडिकल की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। ट्रीटमेंट के साथ-साथ सैलानियों को उस जगह या देश को एक्सप्लोर करने का मौका भी दिया जाता है। उन्हें अपने घर जैसा एहसास कराया जाता है। लोकेशन या ट्रीटमेंट प्रोसिजर के आधार पर मेडिकल वैकेशन में विदेशी सैलानियों की 10 से लेकर 50 प्रतिशत तक की बचत हो जाती है। वहीं, मेडिकल टूरिज्म प्रोवाइडर्स लोगों को मेडिकल फैसिलिटी, सेफ्टी और लीगल इश्यूज के अलावा हॉस्पिटल्स, क्लीनिक्स, डॉक्टर्स, ट्रैवल एजेंसीज, रिजॉट्र्स, ट्रैवल इंश्योरेंस आदि की जानकारी देता है। इस तरह वह मरीज और हेल्थकेयर प्रोवाइडर के बीच सेतु का काम करता है। पूरे मेडिकल ट्रिप, ट्रीटमेंट के अलावा टूरिज्म एक्टिविटीज की प्लानिंग करता है।
एजुकेशनल क्वालिफिकेशन
अगर आपका रुझान इस क्षेत्र में है, तो आप हायर सेकंडरी या ग्रेजुएशन के बाद मेडिकल टूरिज्म से रिलेटेड कोर्स कर सकते हैं। इंडिया में कई इंस्टीट्यूट्स मेडिकल टूरिज्म में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा और एमबीए कोर्स संचालित करते हैं। इसके तहत कैंडिडेट को ट्रैवल और टूरिज्म इंडस्ट्री के साथ लॉजिस्टिक्स, हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री की भी जानकारी दी जाती है। रेगुलर के अलावा ऑनलाइन और डिस्टेंस एजुकेशन के जरिए भी मेडिकल टूरिज्म से संबंधित कोर्स किए जा सकते हैं। मार्केटिंग, पीआर प्रोफेशनल्स भी इस इंडस्ट्री से जुड़ सकते हैं।
पर्सनल स्किल
मेडिकल टूरिज्म सेक्टर में करियर बनाने के लिए आपके पास स्ट्रॉन्ग कम्युनिकेशन, लीडरशिप और ऑर्गेनाइजेशनल स्किल होनी चाहिए। आपको अलग-अलग जगहों और हॉस्पिटल्स की पूरी नॉलेज होनी चाहिए, ताकि विदेशी सैलानियों को अस्पताल के चुनाव में सही से गाइडेंस दे सकें। आपको हेल्थकेयर से संबंधित कानूनों और सरकारी नियमों की भी जानकारी होनी चाहिए। मेडिकल टूरिज्म के प्रोफेशनल्स के पास प्राइसिंग, कंटेंट, ट्रीटमेंट, हॉस्पिटल रेटिंग, एक्रीडिशन के साथ-साथ अमुक देश की वीजा पॉलिसी की भी जानकारी होनी चाहिए।
करियर अपॉच्र्युनिटी
मेडिकल टूरिज्म प्रोफेशनल्स के लिए हेल्थकेयर के अलावा टूरिज्म सेक्टर में संभावनाओं की कमी नहीं है। आप गेस्ट रिलेशनशिप मैनेजर, हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेटर, मेडिकल टूर कंसल्टेंट, स्पा थेरेपिस्ट, मैनेजर, पब्लिक रिलेशन पर्सनल, ट्रैवल एडवाइजर, इंश्योरेंस फैसिलिटेटर, एंटरप्रेटर, शेफ के तौर पर गवर्नमेंट या प्राइवेट हॉस्पिटल, ट्रैवल फर्म, एयरलाइंस, होटल्स, स्पा सेंटर में काम कर सकते हैं।
सैलरी
प्राइवेट या गवर्नमेंट हॉस्पिटल या ट्रैवल कंपनी में काम करने वाले फ्रेश ग्रेजुएट्स को शुरुआत में 10 से 15 हजार रुपये मिल जाते हैं। वैसे, काफी कुछ कंपनी, आपके अपने क्वालिफिकेशन, एक्सपीरियंस और परफॉर्मेंस पर निर्भर करता है। इस फील्ड में आप कम से कम 20 हजार रुपये से शुरुआत कर सकते हैं। वहीं, एमबीए ग्रेजुएट्स को उनके अनुभव के अनुसार, 30 से 50 हजार रुपये के बीच में आसानी से मिल सकता है।

विशेषज्ञों की राय

जामिया मिलिया इस्लामिया में ट्रेवल एंड टूरिज्म कोर्स के प्रोफेसर जैदी का कहना है कि मेडिकल टूरिज्म हमारे यहां चल रहे ट्रेवल एंड टूरिज्म कोर्स का हिस्सा है। चूंकि विकसित देशों में चिकित्सीय सुविधाएं महंगी हैं इसलिए अरब, नाइजीरिया और फ्रांस आदि से पर्यटक बड़ी संख्या में हमारे देश में ईलाज कराने आते हैं। इसके चलते मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में प्रतियोगिता बढ़ रही है। इस मामले में भारत की प्रतियोगिता सिंगापुर और फिलिपींस से है।

इस क्षेत्र में और अवसर बढ़ें इसके लिए जरूरी है कि यहां मेडिकल टूरिज्म के लिए आने वाले पर्यटकों को वाजिब दामों में बिना किसी हेर-फेर के जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जाएं और साथ ही ईलाज कराने के बाद वे अगर किसी धार्मिक स्थल की यात्रा करना चाहें तो उसके लिए भी उन्हें सही सलाह देने के साथ ही बढ़िया पैकेज दिए जाएं।

वहीं इंस्टिट्यूट ऑफ क्लीनिकल रिसर्च, इंडिया के दिल्ली कैंपस की जोनल मैनजर चारू साहनी का कहना है कि भारत में स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं और इंफ्रास्ट्रक्चर में अच्छी-खासी प्रगति हो रही है जिसकी वजह से यहां आकर अपना इलाज कराने वाले पर्यटकों की संख्या में भारी इजाफा हो रहा है और इसकी वजह से मेडिकल टूरिज्म को अब हमारे देश में बहुत बढ़ावा मिल रहा है।

इसके चलते इन दिनों कई निजी इंस्टिट्यूट छात्रों को मेडिकल टूरिज्म में स्पेशल कोर्स करवा रहे हैं। इस पेशे में प्रशिक्षित पेशेवरों की इन दिनों खूब मांग है। हमारे देश में मिडिल ईस्ट देशों से काफी पर्यटक खासतौर से अपना ईलाज कराने आते हैं। ऐसे में उन्हें हर तरह की मेडिकल सुविधाएं, होटल इत्यादि मुहैया करना ही मेडिकल टूरिज्म प्रोफेशनल का काम है।

यहां है पेशेवरों की मांग
इन दिनों कई बड़ी ट्रेवल एजेंसियों में मेडिकल टूरिज्म का अलग डिपार्टमेंट होता है। इसके अलावा बड़े अस्पतालों में भी मेडिकल टूरिज्म डेस्क की सुविधा होती है। यह डेस्क उन पर्यटकों की मदद के लिए होता है जो भारत में ईलाज कराने आते हैं। कई प्राइवेट एयरलाइंस में भी मेडिकल टूरिज्म हेल्प डेस्क की सुविधा होती है।

योग्यता
मेडिकल टूरिज्म में इन दिनों कई इंस्टिट्यूट कई तरह के डिग्री, सर्टिफिकेट और बैचलर कोर्स कराते हैं। इसके अलावा हेल्थकेयर में एमबीए भी कई इंस्टिट्यूट करवा रहे हैं। जहां तक बात है सर्टिफिकेट कोर्स की तो इसके लिए आपका किसी भी स्ट्रीम से 12वीं पास होना जरूरी है। इसके अलावा एमबीए प्रोग्राम के लिए बैचलर डिग्री की आवश्कता है।

यहां से करें कोर्स :
1. जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय
पता - जामिया नगर, नई दिल्ली।
फोन - 011-26981717, 26984617

2. इंस्टिट्यूट ऑफ क्लीनिकल रिसर्च
पता - ए-201, ओखला इंडस्ट्रीयल एरिया, फेज-1
फोन - 011-40651000

3. इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड हाईजीन
पता - आरजेड-ए-44, महिपालपुर एक्सटेंशन, नई दिल्ली।
फोन - 011-26781075/76

Monday, December 28, 2015

ऑटो मोबाइल इंजीनियरिंग में करियर

यू.के. की एक यूनिवर्सिटी द्वारा करवाए जाने वाली ऑटोमोटिव सिस्टम्स इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री इंडस्ट्री की वर्तमान जरूरतों के अनुरूप छात्रों को शिक्षित करती है। 

हाल के वर्षों में दुनिया भर में ईंधन की कीमतों तथा धुएं एवं गैसों के उत्सर्जन में हो रहे इजाफे को देखते हुए ऑटो इंडस्ट्री में तेजी से तकनीकी विकास हुआ है ताकि ग्राहकों की मांग को पूरा करने के साथ-साथ पर्यावरण के हितों का ध्यान भी रखा जा सके। इस सारे तकनीकी विकास के पीछे सबसे महत्वपूर्ण योगदान ऑटोमोटिव सिस्टम्स इंजीनियर्स का है। इन उन्नत तकनीकों की बदौलत ही वाहन पहले की अपेक्षा कम ईंधन का प्रयोग करने लगे हैं तथा अधिक पर्यावरण हितैषी बनते जा रहे हैं।

ऐसे में जाहिर तौर पर यह क्षेत्र बड़ी संख्या में युवाओं को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है। इंजीनियरिंग, डिजाइन एवं नवीनता में रुचि रखने वाले युवाओं के लिए तो यह क्षेत्र खास है जहां वे अपना भविष्य उज्ज्वल कर सकते हैं।

लफबर यूनिवर्सिटी
इस संबंध में यूनाइटेड किंगडम की लफबर यूनिवर्सिटी में करवाए जाने वाले एक पोस्ट ग्रैजुएट कोर्स का लक्ष्य छात्रों, प्रोडक्ट डिवैल्पमैंट इंजीनियर्स तथा अन्य इंजीनियर्स को डिजाइन एवं ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग में दक्ष बनाना है। यह यूनिवर्सिटी लेस्टरशायर प्रांत के कस्बे लफबर में स्थित है।

कोर्स का विवरण
ऑटोमोटिव सिस्टम्स इंजीनियरिंग में एम.एससी. एक वर्षीय कोर्स है। इसके तीन अनिवार्य भाग हैं-
1. व्हीकल एंड पावरट्रेन फंक्शनल परफोर्मैंस,
2. व्हीकल सिस्टम्स एनालिसिस और
3. मैन्युफैक्चरिंग सिस्टम्स एंड इंटीग्रेटेड डिजाइन

साथ ही छात्रों को 5 विषयों में से किन्हीं 3 अन्य का चुनाव भी करना पड़ता है। ये 5 विषय हैं -
1.सस्टेनेबल व्हीकल पावरट्रेन्स,
2. बॉडी इंजीनियरिंग,
3. कैलीब्रेशन एंड एमिशन्स,
4. व्हीकल डाइनैमिक्स एंड कंट्रोल,
5. व्हीकल इलैक्ट्रिकल सिस्टम्स इंटीग्रेशन।

इस कोर्स के पाठ्यक्रम को फोर्ड एवं जगुआर लैंड रोवर जैसी ऑटो कम्पनियों में कार्यरत पेशेवरों की मदद से तैयार किया गया है। यूनिवॢसटी के प्रवक्ता के अनुसार, ‘‘इन कम्पनियों के विशेषज्ञ हमारे शिक्षकों को इंडस्ट्री में चल रहे रुझानों के बारे में अवगत करते रहते हैं तथा छात्रों के लिए विभिन्न विषयों पर गैस्ट लैक्चर भी देते हैं।’’

ये विशेषज्ञ न केवल इंडस्ट्री में चल रहे रुझानों तथा नवीन तकनीकों पर रोशनी डालते हैं बल्कि पाठ्यक्रम को अपडेट रखने तथा उसे इंडस्ट्री की भावी जरूरतों के अनुरूप बनाए रखने में भी विशेष सहायता करते हैं।

कोर्स के तहत छात्रों को अनिवार्य रूप से एक प्रोजैक्ट में भी हिस्सा लेना पड़़ता है। इस प्रोजैक्ट की मदद से छात्रों को शोध आधारित शिक्षा प्राप्त होती है। इसके तहत किए जाने वाले कामों में एक्सपैरिमैंटल मेजरमैंट्स, थ्यूरैटिकल एनालिसिस, कम्प्यूटर सिमुलेशन या इनका संयुक्त रूप से प्रयोग आदि शामिल हो सकते हैं।
हालांकि यूनिवर्सिटी अपनी ओर से इंटर्नशिप नहीं करवाती है, छात्र चाहें तो स्वयं ऐसा कर सकते हैं। पूर्व में अनेक छात्र कोर्स खत्म करने के बाद विभिन्न ऑटो कम्पनियों में 3 महीने तक इंटर्नशिप करते रहे हैं। इस कोर्स को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले युवा विभिन्न ऑटो कम्पनियों में बतौर सिस्टम्स इंजीनियर्स  या प्रोडक्ट डिजाइनर्स काम कर सकते हैं।

इंडस्ट्री का भविष्य
गत एक दशक के दौरान इस आलोचना के बीच कि ऑटो इंडस्ट्री वाहनों को अधिक पर्यावरण हितैषी नहीं बना रही है, इस फील्ड में इसके लिए काफी तकनीकी विकास किया गया है।  इन प्रयासों की बदौलत ही जहां जरा भी धुआं पैदा नहीं करने वाली बिजली चलित कारें तैयार हुई हैं, वहीं पैट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों से होने वाले धुएं एवं गैसों के उत्सर्जन में काफी कमी लाने में सफलता मिली है।  साथ ही अब हाइड्रोजन से वाहनों को चलाने की दिशा में भी काम किया जा रहा है जो ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन के विपरीत पानी उत्सर्जित करता है। 

कौशल
इंडस्ट्री अब कम से कम ईंधन पर चलने वाले वाहन तैयार करने तथा पर्यावरण हितैषी इंजनों पर जोर दे रही है। इसका अर्थ है कि इस क्षेत्र में कदम रखने वाले युवाओं को अपनी सोच को नवीन विधियों के लिए खुला रखना होगा। उन्हें इलैक्ट्रिकल एवं मैकेनिकल इंजीनियरिंग जैसे संबंधित विषयों पर भी काम करने को तैयार रहना होगा। उन्हें किताबी जानकारी की मदद से वाहनों संबंधित वास्तविक समस्याओं के हल तथा नवीन तकनीकों का आविष्कार करने की दिशा में प्रयास करने होते हैं। इस क्षेत्र में बेहद जटिल  विधियों एवं विषयों पर काम करना होता है। इन सभी बाधाओं पर पार पाकर ही ऑटो इंडस्ट्री ग्राहकों तथा उद्योग की जरूरतों पर खरी उतर पाती है।

सम्भावनाएं
बेशक हाल के सालों में दुनिया भर की ऑटो इंडस्ट्री में कुछ मंदी देखने को मिली है परंतु चूंकि यह कोर्स छात्रों को इंडस्ट्री की नवीन जरूरतों के अनुरूप तैयार करता है, छात्रों को विभिन्न कम्पनियां अपने यहां सहर्ष नियुक्तियां देती हैं।

एक नजर में
अवधि: एक वर्षीय
योग्यता: प्रथम श्रेणी में इंजीनियरिंग या फिजीकल साइंस डिग्री
सीटों की संख्या: 15 से 18
फीस : लगभग साढ़े 17 लाख रुपए
छात्रवृत्ति : अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए यूनिवर्सिटी 5 छात्रवृत्तियां देती है जो ट्यूशन फीस के 10 प्रतिशत के समान होती हैं।

Sunday, December 27, 2015

अंतरिक्ष क्षेत्र में बनाएं करियर

जयपुर। अंतरिक्ष और उसमें होने वाली घटनाएं बेशक मानव के लिए कौतूहल का विषय रही हैं लेकिन समय अब वह नहीं रहा जब इंसान सिर्फ आसमान की ओर देखकर हैरान ही होता था। आज अंतरिक्ष से जुड़े तमाम रहस्य धरती पर रहने वाले मानव द्वारा सुलझाए जा रहे हैं। 

इस क्षेत्र मे होने वाली नई-नई खोजों और रहस्यों से उठते हुए पर्दों ने युवा पीढ़ी को इसकी ओर आकर्षित किया है। इस क्षेत्र के बढ़ते महत्व के कारण ही 2007 में भारत में एशिया के पहले स्पेस इंस्टीटयूट \"इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी\" की स्थापना की गई।

यदि आप भी अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अपना कॅरियर बनाना चाहते हैं तो आईआईएसटी में प्रवेश के लिए आवेदन कर सकते हैं। क्योंकि इसमें ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होने वाली है।

कोर्स और योग्यता-
तिरूवनंतपुरम स्थित आईआईएसटी में स्पेस साइंस की तीन मुख्य शाखाओं से जुड़े बीटेक प्रोग्राम्स संचालित हैं। चार साल की अवधि वाले प्रोग्राम और उनमें सीटो की संख्या इस प्रकार है - 
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग-60 सीट, एवियॉनिक्स-60 सीट, फिजिकल साइंसेज-36 सीट

आईआईएसटी के बीटेक प्रोग्राम्स में प्रवेश की सबसे पहली योग्यता आपका फिजिक्स, कैमिस्ट्री और मैथ्य विषयों में कम से कम 70 फीसदी अंकों के साथ 12वीं या समकक्ष होना है। इसके बाद आपने जेईई मेन्स दिया हो और जेईई एडवांस के लिए क्वालिफाई किया हो। जेईई एडवांस में भी न्यूनतम अंकों की अनिवार्यता रखी गई है-
:-सामान्य जाति तीनों विषयों में 5 फीसदी अंक, एग्रीगेट -20 फीसदी 
:-ओबीसी-नॉन क्रीमीलेयर ओबीसी तीनों विषयों में 4.5 फीसदी अंक, एग्रीगेट - 18 फीसदी 
:-एससी, एसटी, शारिरीक विकलांग तीनों विषयों में 2.5 फीसदी अंक और एग्रीगेट- 10 फीसदी। 

निर्धारित योग्यता के बाद ही आप प्रवेश की पात्रता रख सकते हैं।

कैसे होगा चयन-
आईआईएसटी में प्रवेश के लिए चयन मुख्यत: सीबीएसई द्वारा तैयार की जाने वाली ऑल इंडिया रैंक के आधार पर होगा लेकिन प्रवेश के लिए जेईई एडवांस के लिए क्वालिफाई किया होना जरूरी है। आवेदन उन्हीं का मान्य होगा जिन्होंने आधिकारिक वेबसाइट पर अपना रजिस्ट्रेशन भी करवाया होगा। इसके बाद आईआईएसटी अपनी रैंक लिस्ट तैयार करेगा और आवेदकों को काउंसलिंग के लिए बुलाया जाएगा।

कैसे करें आवेदन-
ऑनलाइन आवेदन के लिए डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.आईआईएसटी.एसी.आईएन पोर्टल पर रजिस्टे्रशन कराना होगा। रजिस्ट्रेशन के समय आपके पास आईआईटी मेन्स और एडवांस दोनों का रोल नंबर होना जरूरी है। यहां अपनी डिटेल्स भरने के बाद चालान का प्रिंट आउट लें। फॉर्म भरने के अगले दिन एसबीआई या यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में चालान के जरिए आवेदन शुल्क जमा कराएं। चालान की डिटेल्स एप्लीकेशन वाले पोर्टल पर जाकर डालें और संस्थान की कॉपी पीडीएफ या जेपीईजी फॉर्मेट में स्कैन करके अपलोड कर दें।

मिलेगी आर्थिक मदद-
आईआईएसटी में बीटेक के दौरान स्टूडेंट्स की पढ़ाई, हॉस्टल और मेडिकल कवर का खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाता है। यदि स्टूडेंट यहां पढ़ने के दौरान ग्रेड प्वाइंट एवरेज स्केल पर 10 में से 7.5 प्वाइंट लाने में विफल रहता है तो यह आर्थिक मदद बंद की जा सकती है। यहां से बीटेक करने वाले स्टूडेंट्स को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अंतरिक्ष विभाग से जुड़ने के अवसर मिलता है। देश-विदेश के प्रतिष्ठित संस्थानों से उच्च शिक्षा ग्रहण करने के भी अवसर हैं।

अगर आप भी अंतरिक्ष को गहराई से समझना चाहते हैं तो आप स्पेस साइंस और टेक्नोलॉजी की पढ़ाई कर सकते हैं। बीटेक प्रोग्राम्स चलाया जाता है। बारहवीं के बाद आप इसमें प्रवेश ले सकते हैं। आपके पास अपने सपनों को पाने का और उन्हें साकार करने का सुनहरा मौका है।

गौर करें कि आईआईएसटी के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया आगामी 8 जून, 2014 को शुरू होनी है और रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि 7 जुलाई, 2014 रहने की संभावना है

कैसे करें आवेदन
आईआईएसटी के एमटेक या एमएस प्रोग्राम में आवेदन के लिए आप http://www.iist.ac.in/admissions/postgraduate/regularपर जाएं। यहां ऑनलाइन एप्लीकेशन का लिंक दिया है। यहां अपना फॉर्म भरें, फोटो, साइन आदि अपलोड करें। इसे जमा करवाने के बाद एक रजिस्ट्रेशन नंबर व लॉगइन पासवर्ड मिलेगा। इसकी मदद से अब कोर्स रजिस्टे्रशन करवाएं। फिर चालान से एप्लीकेशन फीस जमा करवाएं और फिर मुहर लगे चालान की कॉपी वेबसाइट पर अपलोड करें। ऑनलाइन आवेदन आठ मई तक करें। एप्लीकेशन फीस 14 मई 2015 तक भरी जा सकती है। आवेदन और भुगतान समय रहते कर दें

Thursday, December 24, 2015

कार्टोग्राफर के रूप में एक्साइटिंग एवं क्रिएटिव कैरियर

प्रोफेशनल्स जिन्हें मैप या चार्ट बनाने का आर्ट आता है, वे कार्टोग्राफर या मैप मेकर के नाम से जाने जाते हैं। एक कार्टोग्राफर साइंटिफिक, टेक्नोलॉजिकल और आर्टिस्टिक तरीके से मैप बनाता है। इसके लिए वह सर्वे, एरियल फोटोग्राफ, सैटेलाइट इमेज की मदद लेता है। कुछ क्रिएटिव और एक्साइटिंग करना चाहते हैं, तो बतौर कार्टोग्राफर करियर बना सकते हैं।
कॉम्बिनेशन ऑफ स्किल्स
एक कार्टोग्राफर को ज्योग्राफी और एनवॉयरनमेंट की बेसिक नॉलेज होनी चाहिए। जिन लोगों में डिजाइनिंग का सेंस होता है, वे किसी फोटोग्राफ और ड्रॉइंग को बारीकी से समझ कर मैप क्रिएट कर सकते हैं। कार्टोग्राफी के फील्ड में आने के लिए मैथमेटिकल स्किल्स और रिसर्च वर्क भी आना चाहिए। उनमें विजुअलाइजेशन, पेशेंस, हार्डवर्क और काम को लेकर डेडिकेशन जैसी क्वॉलिटीज भी होनी चाहिए।
फोकस ऑन क्लाइंट डिमांड
कार्टोग्राफर अपने क्लाइंट की डिमांड के हिसाब से मैप बनाता है। ये मिलिट्री, ज्योग्राफिकल, हिस्टॉरिकल, एजुकेशनल, पॉलिटिकल या टूरिस्ट्स का रोड मैप हो सकता है। इसके अलावा, ये मैप्स डिजिटल और ग्राफिक, दोनों फॉर्म में हो सकते हैं।
टेक्निकल नॉलेज
वैसे तो मैप बनाने की आर्ट तकरीबन 7 हजार साल से भी ज्यादा पुरानी है। पहले मैप बनाने वाले ज्यादातर वक्त फील्ड में बिताते थे और फिर हाथ से मैप बनाते थे। लेकिन अब यह काम कंप्यूटर के जरिए किया जाता है। इसलिए कंप्यूटर स्किल्स के अलावा ज्योग्राफिकल इंफॉर्मेशन सिस्टम और डिजिटल मैपिंग टेक्निक की जानकारी रखनी होगी।
कोर्स और एलिजिबिलिटी
कार्टाेग्राफर बनना चाहते हैं, तो इससे रिलेटेड डिग्री या डिप्लोमा कोर्स करके इस फील्ड में एंट्री करें। कार्टोग्राफी में बैचलर डिग्री के अलावा ज्योग्राफी, जियोलॉजी, इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस, अर्थ साइंस और फिजिकल साइंस के ग्रेजुएट भी इसमें करियर बना सकते हैं। अगर ज्योमेट्री, मैकेनिकल ड्रॉइंग और ड्राफ्टिंग की नॉलेज हो, तो और भी अच्छा रहेगा।
जॉब प्रॉस्पेक्ट्स
मैप का इस्तेमाल एक इंडिविजुअल से लेकर इंडस्ट्रियल पर्पज तक के लिए किया जाने लगा है। इसलिए प्लानर्स, यूटिलिटी कंपनियों, स्टेट एजेंसीज, कंस्ट्रक्शन कंपनियों,सर्वेयर्स, आर्किटेक्ट्स सभी को कार्टोग्राफर की जरूरत पडती है। इस तरह वेदर फोरकास्टिंग, ट्रैवल ऐंड टूरिज्म, ज्योलॉजिकल, मिनिरल एक्सप्लोरेशन, मिलिट्री डिपार्टमेंट, पब्लिशिंग हाउसेज में जॉब के अच्छे चांसेज हैं। इसमें शुरुआती दौर में ही 15 से 20 हजार रुपये आसानी से कमाए जा सकते है। हालांकि यह ऑर्गेनाइजेशन या कंपनी पर डिपेंड करता है। विदेश में एक्सपीरियंस्ड कार्टोग्राफर 5-10 लाख रुपये मंथली भी कमा लेता है।
वेब लिंक्स

इन वेबसाइट्स से संस्थानों की जानकारी ले सकते हैं।

- www.unom.ac.in

- www.jmi.ac.in

- www.iirs.gov.in


- इंस्टीट्यूट ऑफ ज्योइन्फॉर्मेटिक्स ऐंड रिमोट सेंसिंग, कोलकाता

Wednesday, December 23, 2015

बेकिंग स्पैशलिस्ट

बेकिंग दुनिया के सबसे पुराने व्यवसायों में से एक है लेकिन समय के साथ इसके स्वरूप व तकनीक में काफी परिवर्तन आया है । आजकल पूरी दुनिया में लोग बेक की हुई चीजों का बहुत बड़े स्तर पर प्रयोग करते हैं । ऐसे में एक प्रोफैशनल बेकर की डिमांड भी काफी बढ़ी है । यदि आपको भी खाना बनाना पसंद है तो आप एक बेकर के रूप में अपना उज्ज्वल भविष्य देख सकते हैं ।

एक बेकर के लिए बेहद जरूरी है कि उसे भोजन व उससे संबंधित सामग्री से बेहद प्यार हो । इसके अतिरिक्त वह बेकरी प्रॉडक्ट्स और उसकी सामग्री से परिचित हो । उसे सिर्फ खाना पकाना ही नहीं आता हो बल्कि अपनी क्रिएटिविटी के बलबूते वह उसे एक नया रूप देने में सक्षम हो । साथ ही एक अच्छी प्रैजैंटेशन खाने को और भी अधिक लाजवाब बनाती है इसलिए उसमें खाने की प्रस्तुति करने का कौशल भी हो । 
खाना बनाते समय उसे सिर्फ टेस्ट पर ही ध्यान नहीं देना बल्कि सजावट व हाइजीन भी उतनी ही जरूरी है । उसका शारीरिक रूप से मजबूत होना भी आवश्यक है ताकि वह घंटों खड़े होकर काम कर सके व भारी सामान भी आसानी से उठा सके । एक बेकर तभी सफलता के नए मुकाम हासिल कर सकता है जब वह अपने ग्राहक को संतुष्ट कर पाए । इसके लिए उसके खाने में जादू के साथ-साथ उसमें स्वयं कम्युनिकेशन स्किल भी बेहतर होनी चाहिए । कड़ी मेहनत के साथ-साथ अच्छा टीमवर्क व मैनेजमैंट स्किल उसकी सफलता की राह आसान करती है ।

योग्यता 
वैसे तो इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं है बस आपको  बेकिंग, आइसिंग व डैकोरेटिंग की जानकारी होनी चाहिए लेकिन अगर आप चाहें तो अपने स्किल्स में निखार लाने के लिए बेकिंग व कन्फैक्शनरी में शॉर्ट टर्म या डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं । इस कोर्स की अवधि 4 से 6 महीने हो सकती है तथा आप 10वीं व 12वीं के बाद यह कोर्स आसानी से कर सकते हैं ।

कोर्स 
कोर्स के दौरान छात्रों को न्यूट्रिशन, फूड सर्विस, बेकिंग के सिद्धांतों, सैनिटेशन, बेकिंग के दौरान काम आने वाली मशीनरी को चलाने आदि के बारे में विस्तार से समझाया जाता है । कोर्स में छात्रों को बेकिंग की बेसिक जानकारी के साथ-साथ एडवांस ट्रेनिंग दी जाती है । इसमें उन्हें इंडस्ट्रीयल इक्विपमैंट के जरिए सारी सामग्री को मिक्स करना व बेक करना सिखाया जाता है। इस ट्रेनिंग के जरिए छात्र सिर्फ बेकिंग के दम पर अपना भविष्य उज्ज्वल बना सकते हैं ।

अवसर 
आप इस क्षेत्र में किसी होटल, बेकरी शॉप, केटरर आदि के जरिए कदम रख सकते हैं । वैसे आप बेकरी मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के साथ भी जुड़ सकते हैं । यदि आप किसी के साथ जुड़कर काम नहीं करना चाहते तो आप खुद की बेकरी शॉप भी खोल सकते हैं । यदि आपके अंदर बेकिंग का हुनर लाजवाब है तो आप विदेश में भी नौकरी तलाश सकते हैं ।

आमदनी 
इस क्षेत्र में आपकी आय का स्रोत सिर्फ आपका हुनर है । वैसे प्रारंभ में एक बेकर को 10 से 15 हजार आसानी से मिल जाते हैं ।  वहीं एक अनुभवी बेकर की आमदनी 35 हजार से 50 हजार रुपए प्रतिमाह हो सकती है । यदि आप घर पर ही बेकिंग करते हैं तो आपकी आमदनी आपको मिलने वाले ऑर्डर पर निर्भर करेगी ।

प्रमुख संस्थान 
- नैशनल काऊंसिल फॉर होटल मैनेजमैंट एंड केटरिंग टैक्नोलॉजी,नोएडा,उत्तरप्रदेश
www.nchmct.org
-एल.बी.आई.आई .एच.एम.,पीतमपुरा,दिल्ली-34
www.Ibiihm.com
- दिल्ली पैरामैडिकल एंड मैनेजमेंट इंस्टीच्यूट,दिल्ली
www.dpmiindia.com

Tuesday, December 22, 2015

मैडीकल लैब टैक्रीशियन

मैडीकल लैब टैक्रीशियन, डाक्टरों के निर्देश पर काम करते हैं। उपकरणों के रख-रखाव और कई तरह के काम इनके जिम्मे होता है। लैबोरेटरी में नमूनों की जांच और विश्लेषण में काम आने वाला घोल भी लैब टैक्नीशियन ही बनाते हैं। इन्हें मैडीकल साइंस के साथ-साथ लैब सुरक्षा नियमों और जरूरतों के बारे में पूरा ज्ञान होता है। लैब टैक्नीशियन नमूनों की जांच का काम करते हैं, लेकिन वे इसके परिणामों के विश्लेषण के लिए प्रशिक्षित नहीं होते। 

नमूनों के परिणामों का विश्लेषण पैथोलॉजिस्ट या लैब टैक्नोलॉजिस्ट ही कर सकता है। जांच के दौरान एम.एल.टी. कुछ सैम्पलों को आगे की जांच या फिर जरूरत के अनुसार उन्हें सुरक्षित भी रख लेता है। एम.एल.टी. का काम बहुत ही जिम्मेदारी और चुनौती भरा होता है। इसमें धैर्य और निपुणता की बड़ी आवश्यकता होती है। जमा किए गए डाटा की सुरक्षा और गोपनीयता की भी जिम्मेदारी उसकी होती है।
 
डी.पी.एम.आई. की प्रिंसीपल अरुणा सिंह के मुताबिक मैडीकल लैब टैक्नोलॉजिस्ट में सर्टीफिकेट डिप्लोमा, डिग्री एवं मास्टर्स के दौरान बेसिक फिजियोलॉजी, बेसिक बायोकैमिस्ट्री एंड ब्लड बैंकिंग, एनाटोमी एंड फिजियोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, पैथोलॉजी, एनवायरनमैंट एंड बायोमैडीकल वेस्ट मैनेजमैंट, मैडीकल लैबोरेटरी टैक्नोलॉजी एवं अस्पताल प्रशिक्षण दिया जाता है।

सर्टीफिकेट इन मैडीकल लैब टैक्नोलॉजी (सी.एम.एल.टी.) छह महीने का कोर्स है जिसके लिए योग्यता है 10वीं पास। वहीं डिप्लोमा इन मैडीकल लैब टैक्नोलॉजी के लिए 12वीं पास होना जरूरी है। इस कोर्स की अवधि है एक वर्ष। 12वीं  प्रमुख विषय के रूप में फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बायोलॉजी (पी.सी.बी.) तथा फिजिक्स, कैमिस्ट्री या मैथ्स (पी.सी.एम.) के साथ पास होना अनिवार्य है। बी.एससी. इन एम.एल.टी. के लिए 12वीं विज्ञान विषयों के साथ उत्तीर्ण होना जरूरी है। जिसकी अवधि है 3 वर्ष। एम.एस.सी. इन मैडीकल लैबोरेटरी टैक्नोलॉजिस्ट (एम.एल.टी.) प्रोग्राम में प्रवेश करने के लिए अभ्यर्थी के पास पहले हाई स्कूल डिप्लोमा होना चाहिए, इसके बाद 2 साल का एसोसिएट प्रोग्राम करना होता है। यह प्रोग्राम कम्युनिटी कालेज, टैक्रीकल,  स्कूल, वोकेशनल स्कूल या विश्वविद्यालय द्वारा कराया जाता है। 
  
मैडीकल लैबोरेटरी तकनीशियनों को काम में निपुणता और जरूरत के अनुसार प्रशिक्षण की जरूरत पड़ती है। छात्र इस तरह क प्रशिक्षण लैबोरेटरी कार्यों के दौरान ही साथ ही साथ प्राप्त कर सकते हैं। अधिकतर प्रांतों में मैडीकल लैबोरेटरी तकनीशियनों के लिए कोई प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं होती, लेकिन कुछ राज्यों में इन तकनीशियनों के पास काम करने के लिए प्रमाण पत्र होना जरूरी है।  प्रमाण पत्र वाले तकनीशियनों के लिए इस क्षेत्र में बेहतर संभावनाएं होती हैं। आप किसी भी मैडीकल लैबोरेटरी  हॉस्पिटल, पैथोलॉजिस्ट के साथ काम कर सकते हैं। ब्लड बैंक में इनकी खासी मांग रहती है। आप बतौर रिसर्चर व कंसल्टैंट के अलावा खुद का क्लीनिक खोल सकते हैं। 

सामान्य तौर पर एक एम.एल.टी. का वेतन 10 हजार से शुरू होता है जबकि पैथोलॉजिस्ट को तीस हजार रुपए से चालीस हजार रुपए तक सैलरी मिल जाती है। साथ ही योग्यता और तजुर्बे के आधार पर उनके वेतन में इजाफा होता चला जाता है। देश के साथ-साथ विदेशों में भी इनकी खासी मांग है। 

डेल्ही पैरामैडीकल एंड मैनेजमैंट इंस्टीच्यूट (डी.पी.एम.आई.), नई दिल्ली
 
शिवालिक इंस्टीच्यूट ऑफ पैरामैडीकल टैक्रोलॉजी, चंडीगढ़

पैरामैडीकल कालेज, दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल 

इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ पैरामैडीकल साइंसेज, लखनऊ

डिपार्टमैंट ऑफ पैथालॉजी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश

Monday, December 21, 2015

केमिकल इंजीनियरिंग में बनाएं ब्राइट करियर

केमिकल इंजीनियरिंगके क्षेत्र में आप अपने करियर को बेहतर बना सकते। औद्योगिक क्षेत्रों, जैसे-प्लास्टिक, पेंट्स, फ्यूल्स, फाइबर्स, मेडिसिन, फर्टिलाइजर्स, सेमीकंडक्टर्स, पेपर में काम करने के अलावा, पर्यावरण सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभाते हैं। आइए, जानते हैं केमिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में आपके लिए किस तरह के मौके हैं।

समय के साथ करियर
समय के साथ स्टूडेंट्स के सामने करियर के ढेरों नए ऑप्शंस खुल हुए रहते हैं, लेकिन आज भी इंजीनियरिंग फील्ड स्टूडेंट्स के लिए पसंदीदा करियर ऑप्शन बना हुआ है। जिसमें करियर के हमेशा ऑप्शंस रहते है। इंजीनियरिंग से जुड़ी एक फील्ड है केमिकल इंजीनियरिंग का, जिसमें करियर ऑप्शंस की कोई कमी नहीं रहती है। जैसे-जैसे इसका दायरा बढ़ रहा है, इस फील्ड में प्रोफेशनल्स की डिमांड भी बढ़ती जा रही है।

केमिकल इंजीनियर का मुख्य काम विभिन्न रसायनों और रासायनिक उत्पादों के निर्माण में आने वाली समस्याओं को सॉल्व करना है। इस फील्ड से जुड़े प्रोफेशनल्स पेट्रोलियम, रिफाइनिंग, फर्टिलाइजर टेक्नोलॉजी, खाद्य व कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग, सिंथेटिक फूड, पेट्रो केमिकल्स, सिंथेटिक फाइबर्स, कोयला, खनिज उद्योग और एनवॉयर्नमेंटल इंजीनियरिंग जैसे अन्य क्षेत्रों में अपने करियर को बेहतर बना सकते हैं। अपनी फील्ड में एक्सपर्ट होने के लिए आपको फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग आदि की पढ़ाई भी करनी होती है। कुछ केमिकल इंजीनियर ऑक्सीडेशन, पॉलीमराइजेशन या प्रदूषण नियंत्रण जैसी फील्ड में भी एक्सपर्ट्स हो जाते हैं।

किस जगह ज्यादा संभावनाएं है
कोर्स करने के बाद सबसे ज्यादा नियुक्तियां केमिकल, प्रोसेसिंग, मैन्युफैक्चरिंग, प्रिंटिंग, फूड व मिल्क इंडस्ट्री में होती हैं। इसके अलावा, प्रोफेशनल्स मिनरल इंडस्ट्री, पेट्रोकेमिकल प्लांट्स, फार्मास्यूटिकल, सिंथेटिक फाइबर्स, पेट्रोलियम रिफाइनिंग प्लांट्स, डाई, पेंट, वार्निश, औषधि निर्माण, पेट्रोलियम टेक्सटाइल एवं डेयरी प्लास्टिक उद्योग आदि क्षेत्रों में जॉब के ऑप्शंस रहते है। शोध में रुचि रखने वाले रिसर्च इंजीनियरिंग का विभाग संभालते हैं। प्राइवेट एवं सरकारी संस्थानों में केमिकल इंजीनियरिंग से संबंधित जॉब्स की भरमार है। यह कोर्स करने के बाद आप विदेशी कपंनीयों में जॉब पा सकेते है। विदेशों में केमिकल इंजीनियर की काफी डिमांड है।

कैसे ले एंट्री

इस फील्ड में एंट्री के लिए ग्रेजुएट होना अनिवार्य है। अच्छे कॉलेज में एडमिशन के लिए ऑल इंडिया लेवल पर होने वाले एंट्रेंस एग्जाम को क्वालिफाई करना जरूरी होता है। एग्जाम क्लीयर करने के बाद आइआइटी, बीएचयू, रुडक़ी एवं कुछ अन्य बड़े इंजीनियरिंग कॉलेजों में मेरिट के बेस पर एडमिशन मिल जाता है। इसके अलावा, विभिन्न राज्यों के अलग-अलग इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन के लिए राज्यस्तरीय प्रवेश परीक्षा के जरिए एडमिशन लिया जा सकता है। ग्रेजुएट एप्टिट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग (गेट) एग्जाम को क्वालिफाई करके पोस्टग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन लिया जा
सकता है।

सैलरी पैकेज
केमिकल इंजीनियरिंग की फील्ड में सैलरी प्रोफेशनल के एक्सपीरियंस, क्वालिफिकेशन आदि पर निर्भर करती है। प्राइवेट सेक्टर में प्रोफेशनल्स को ज्यादा पैसा ऑफर किया जाता है। बतौर फ्रेशर्स करियर शुरू करने पर सैलरी 20 से लेकर 25 हजार रुपये प्रतिमाह हो सकती है। इस क्षेत्र में जॉब की कोई कमी नही है तथा इस क्षेत्र में करियर के ऑप्शंस हमेशा रहते है।

Sunday, December 20, 2015

केमिस्ट्री के विभिन्न कोर्स

आज के दिन हम बहुत सी ऐसी चीजें लेते हैं, जो केमिकल प्रोसेस के जरिए बनी होती हैं। दवाई हो या कॉस्मेटिक्स सभी केमिकल प्रक्रिया के जरिए ही अपना स्वरूप पाते हैं। साइंस की एक प्रमुख ब्रांच होने के चलते केमिस्ट्री एक तरफ  भौतिकी तो दूसरी तरफ  बायोलॉजी को लेते हुए सभी चीजों के निर्माण में अहम भूमिका निभाती है। वैसे केमिस्ट्री के जरिये जब आप तमाम प्रयोग कर कुछ नए तत्त्व बनाते हैं तो यह प्रक्रिया बहुत ही रोमांचकारी होती है। इस फील्ड में काम करने पर आपको पॉलिमर साइंस, फूड प्रोसेसिंग, एनवायरन्मेंट मानिटरिंग, बायो टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में करियर निर्माण का मौका मिलता है। साइंस के हरेक विषय की खासियत है कि वह अपनी अलग-अलग शाखाओं में करियर और रिसर्च के ढेरों बेहतरीन अवसर देता है। केमिस्ट्री भी ऐसा ही एक विषय है। हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करने वाला यह विज्ञान नौकरी के मौकों से भरपूर है। साथ ही परंपरागत सोच रखने वालों को भी अब यह समझ आ गया है कि केमिस्ट्री प्रयोगशाला के बाहर भी ढेरों अवसर पैदा कर रही है और इंडस्ट्री आधारित बेहतरीन जॉब प्रोफाइल्स उपलब्ध करवा रही है। ऐसे में भविष्य के लिहाज से यह एक सुरक्षित विकल्प है।
वेतनमान
केमिस्ट्री के क्षेत्र प्राइवेट सेक्टर में 20 से 30 हजार तक आरंभिक पैकेज मिलता है। निजी क्षेत्र में आपकी सैलरी आपके अनुभव और कार्यक्षमता पर निर्भर करती है। सरकारी क्षेत्र में 30 हजार से लेकर 50 हजार तक आरंभिक सैलरी मिल जाती है।
प्रमुख संस्थान
* हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी शिमला (हिप्र)
* राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय धर्मशाला, हिप्र
* राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय बिलासपुर, हिप्र
* यूनिवर्सिटी ऑफ  मुंबई, मुंबई
* दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली
* सेंट जेवियर्स कालेज, मुंबई
* कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ  साइंस एंड टेक्नोलॉजी, केरल
* इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ  टेक्नोलॉजी, खड़गपुर
* लोयोला कालेज, चेन्नई
केमिस्ट्री के विभिन्न कोर्स
वर्तमान में केमिस्ट्री की कई ब्रांच चलाई जा रही हैं, जिसमें विभिन्न करियर ऑप्शन चुना जा सकता है। प्योर केमिस्ट्री में पीजी कर सीधे असिस्टेंट प्रोफेसर व लैब में जा सकते हैं। वहीं फार्मास्यूटिकल केमिस्ट्री, इंडस्ट्रियल केमिस्ट्री, एनेलिटिकल केमिस्ट्री में पीजी कर रिसर्च, इंडस्ट्रीज, लैबोरेटरी रिसर्च, ऑयल इंडस्ट्री, गैस इंडस्ट्री, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री,  ओएनजीसी और जीएसई तक में केमिस्ट्री के एप्लिकेंट नियुक्त हो सकते हैं। केमिकल की जांच करने के लिए ज्यादातर इंडस्ट्रीज अब एक केमिस्ट को जरूर नियुक्त करती है। इससे अब केमिस्ट्री का स्कोप काफी बढ़ गया है। करियर आप के कोर्स पर निर्भर है।
क्या है रसायन विज्ञान
यह विज्ञान की वह शाखा है, जिसमें पदार्थों के संघटन, संरचना, गुणों और रासायनिक प्रक्रया के दौरान इसमें हुए परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है। संक्षेप में रसायन विज्ञान रासायनिक पदार्थों का वैज्ञानिक अध्ययन है।
क्या पढ़ना होगा
केमिस्ट्री में रुचि रखने वाले स्टूडेंट्स 12वीं कक्षा (साइंस) अच्छे अंकों से पास करने के बाद केमिकल साइंस में पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड मास्टर्स प्रोग्राम का विकल्प चुन सकते हैं या फिर केमिस्ट्री में बीएससी, बीएससी (ऑनर्स) डिग्री कोर्स चुन सकते हैं।
केमिस्ट्री में स्पेशलाइजेशन
आगे चलकर एनालिटिकल केमिस्ट्री, इनआर्गेनिक केमिस्ट्री, हाइड्रो केमिस्ट्री, फार्मास्यूटिकल केमिस्ट्री, पोलिमर केमिस्ट्री, बायो केमिस्ट्री, मेडिकल बायो केमिस्ट्री और टेक्सटाइल केमिस्ट्री में स्पेशलाइजेशन के जरिए आप एक मजबूत करियर की शुरुआत कर सकते हैं।
इन क्षेत्रों में बढ़ रही मांग
ऊर्जा एवं पर्यावरण
रसायनों के मिश्रण या रासायनिक प्रतिक्रियाओं से ऊर्जा पैदा करने के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आए हैं। इन बदलावों ने बड़ी संख्या में रसायन तकनीशियनों की बाजार मांग पैदा कर दी है। ढेरों कंपनियां ऐसी प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए कैंपस प्लेसमेंट आयोजित कर रही हैं। साथ ही अंतरराष्ट्रीय कंपनियों पर लगातार पर्यावरण को नुकसान न करने वाले उत्पाद बनाने का दबाव बना हुआ है। ऐसे में संबंधित रसायनों पर लगातार रिसर्च हो रही है और इस तरह के उत्पाद बनाने वाले प्रतिभाशाली प्रोफेशनल्ज की जरूरत बढ़ती जा रही है। खासकर रेजीन उत्पाद संबंधी क्षेत्रों में उत्कृष्ट रसायनविद को बढि़या पैकेज मिल रहा है।
लाइफ  स्टाइल एंड रिक्रिएशन
नए उत्पादों की खोज और पुराने उत्पादों को बेहतर बनाने की दौड़ ने नए रसायनों के मिश्रण और आइडियाज के लिए बाजार में जगह बनाई है। लाइफ  स्टाइल प्रोडक्ट्स जिनमें कॉस्मेटिक्स से लेकर एनर्जी ड्रिंक्स तक शामिल हैं, ने केमिस्ट्री स्टूडेंट्स के लिए अच्छे मौके उत्पन्न किए हैं। इस क्षेत्र में रुचि रखने वालों को हाउस होल्ड गुड्स साइंटिस्ट, क्वालिटी एश्योरेंस केमिस्ट, एप्लीकेशंस केमिस्ट और रिसर्चर जैसे पदों पर काम करने का अवसर प्राप्त हो रहा है।
ह्यूमन हैल्थ
रक्षा उत्पादों के बाद ड्रग एंड फार्मा इंडस्ट्री दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा पैसा कमाने वाला उद्योग है। इसी के चलते फार्मेसी और ड्रग इंडस्ट्री में फार्मासिस्ट और ड्रगिस्ट की भारी मांग मार्केट में लगातार बनी रहने वाली है। इसके अलावा मेडिसिनल केमिस्ट, एसोसिएट रिसर्चर, एनालिटिकल साइंटिस्ट और पालिसी रिसर्चर जैसे पदों पर भी रसायनविदों की जरूरत रहती है। मनुष्य की सेहत से जुड़ा एक व्यापक क्षेत्र रसायन विज्ञान को कवर करता है। हैल्थ के लिए नए-नए उत्पादों को जांचने का जिम्मा रसायनविद का ही होता है। आजकल मनुष्य सेहत के प्रति वैसे भी सजग हो गया है, तो रसायन विज्ञान में करियर की बेहतर संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। इस क्षेत्र में कुशल होने के बाद कमाई के अवसर कम नहीं हैं।
अवसर यहां भी
रसायन विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में पारंगत विशेषज्ञ एनालिटिकल केमिस्ट, शिक्षक, लैब केमिस्ट, प्रोडक्शन केमिस्ट, रिसर्च एंड डिवेलपमेंट मैनेजर, आर एंड डी डायरेक्टर, केमिकल इंजीनियरिंग एसोसिएट, बायोमेडिकल केमिस्ट, इंडस्ट्रियल रिसर्च साइंटिस्ट, मैटीरियल टेक्नोलॉजिस्ट, क्वालिटी कंट्रोलर, प्रोडक्शन आफिसर और सेफ्टी हैल्थ एंड एन्वायरनमेंट स्पेशलिस्ट जैसे पदों पर काम कर सकते हैं। फार्मास्यूटिकल, एग्रोकेमिकल, पेट्रोकेमिकल, प्लास्टिक मेन्यूफैक्चरिंग, केमिकल मेयूफैक्चरिंग, फूड प्रोसेसिंग, पेंट मेन्यूफैक्चरिंग, टेक्सटाइल्स, फोरेंसिक और सिरेमिक्स जैसी इंडस्ट्रीज में पेशेवरों की मांग बनी हुई है।
केंद्रीय विज्ञान भी है रसायन विज्ञान
रसायन विज्ञान को केंद्रीय विज्ञान भी कहते हैं। इसकी वजह यह है कि यह दूसरे विज्ञानों जैसे खगोल विज्ञान, भौतिक विज्ञान, पदार्थ विज्ञान, जीव विज्ञान और भू-विज्ञान को जोड़ता है।
अध्यापन भी है बेहतर विकल्प
अगर आपने केमिस्ट्री से पीजी व नेट का एग्जाम क्वालिफाई कर लिया है तो आपके पास कई यूनिवर्सिटीज व कालेजेज में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के मौके हैं। अध्यापन के क्षेत्र में भी केमिस्ट्री में अपार संभावनाएं हैं। अध्यापन के जरिए आप इस क्षेत्र में बेहतर साइंटिस्ट तैयार कर सकते हैं।
व्यापक क्षेत्र
रसायन विज्ञान का क्षेत्र बहुत व्यापक है तथा दूसरे विज्ञानों के समन्वय से प्रतिदिन विस्तृत होता जा रहा है। परिणाम स्वरूप आज हम भौतिक एवं रसायन भौतिकी, जीव रसायन, शरीर क्रिया रसायन, सामान्य रसायन, कृषि रसायन आदि अनेक नवीन उपांगों का इस विज्ञान में अध्ययन करते हैं। विज्ञान का दायरा बढ़ता जा रहा है, तो इसके साथ रसायन विज्ञान का भी विस्तार हुआ है।
रसायन विज्ञान की शाखाएं
रसायन विज्ञान की कई शाखाएं हैं, जिन्हें पदार्थों के अध्ययन के आधार पर बांटा गया है। रसायन विज्ञान की शाखाओं में कार्बनिक रसायन, अकार्बनिक रसायन, जैव रसायन, भौतिक रसायन और विश्लेषणात्मक रसायन आदि प्रमुख हैं। कार्बनिक रसायन में कार्बनिक पदार्थों, अकार्बनिक रसायन में अकार्बिनक पदार्थों, जैव रसायन में सूक्ष्म जीवों में उपस्थित पदार्थों, भौतिक रसायन में पदार्थ की बनावट, संघटन और उसमें सन्निहित ऊर्जा और विश्लेषणात्मक रसायन में नमूने के विश्लेषण का अध्ययन किया जाता हैताकि उसकी बनावट और संरचना का पता चल सके।
रसायन विज्ञान और हमारा जीवन
मानव जीवन को समुन्नत करने के लिए रसायन विज्ञान का महत्त्वपूर्ण योगदान है। मानव जाति के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए रसायन विज्ञान का विकास अनिवार्य है। यह तभी संभव होगा, जब आमजन इस विज्ञान के प्रति आकर्षित होगा। इस विज्ञान का विवेकपूर्ण प्रयोग करना ही समय की मांग है। संपूर्ण ब्रह्मांड रसायनों का विशाल भंडार है। जिधर भी हमारी नजर जाती है, हमें विविध आकार-प्रकार की वस्तुएं नजर आती हैं। समूचा संसार ही रसायन विज्ञान की प्रयोगशाला है। रसायन विज्ञान को जीवनोपयोगी विज्ञान की संज्ञा भी दी गई है।

Saturday, December 19, 2015

वीडियो गेमिंग के क्षेत्र में करियर के अवसर

  मनोरंजन और खेल के नाम से अब मैदानी भागदौड ही मस्तिष्क में नहीं आती कंप्यूटर ने उसे घर बैठे दिमागी भागदौड का खेल बना दिया है। शहरी परिवेश में पले-बढ़े बच्चे आज गुल्ली-डंडा, कबड्डी या खो-खो जैसे खेलों से वाफिक हों या न हों लेकिन मारियो, सुपर कांट्रा, बॉबरमैन जैसे वीडियो गेमों से वे भली-भांति वाकिफ होते हैं। जैसे-जैसे वीडियो गेम की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है, उसी तेजी से यह उद्योग भी फल-फूल रहा है। नए-नए वीडियो गेमों के लिए नई-नई तकनीकें भी ईजाद की जा रही हैं।

गौरतलब है कि वीडियो गेम के निर्माण की प्रक्रिया काफी जटिल होती है। वीडियो गेमों का निर्माण मल्टीमीडिया, ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के प्रयोग द्वारा किया जाता है। एक बड़े कंप्यूटर गेम का निर्माण करने में कई अनुभवी लोगों की टीम को कुछ महीनों का समय लग सकता है। आजकल वीडियो गेस को अंतरराष्ट्रीय लोकप्रियता को ध्यान में रखकर डिजाइन किया जाता है।

सबसे पहले वीडियो गेम की स्क्रिप्ट में लिखित रूप में यह तय कर लिया जाता है कि गेम में कौन से पात्र डाले जाएँ तथा कैसे दृश्य निर्मित किए जाएँ। इसके बाद स्टोरी बोर्ड तैयार किया जाता है जिसमें सभी संभावित दृश्यों के फ्रेम तैयार किए जाते हैं। इसके बाद एडोब फोटोशॉप सॉफ्टवेयर में 3-डी तथा फोटोमैस सॉफ्टवेयर में 2-डी एनिमेटेड चित्र बनाए जाते हैं।

इन चित्रों में एसएसआई जैसे सॉफ्टवेयर की मदद से गति उत्पन्न की जाती है। इसके बाद गेमिंग इंजन की मदद से एनिमेटेड इमेज को की-बोर्ड तथा माउस की सहायता से नियंत्रित किया जाता है। गेम इंजन में लिखे कमांड से ही कंप्यूटर के किसी बटन को दबाने से गोली चलती है या एनीमेटेड इमेज आगे-पीछे, ऊपर-नीचे बढ़ती है।

वीडियो गेम को मुख्य तौर पर चार भागों में बांटा जाता है। एस बॉस गेम, कंप्यूटर गेम, मोबाइल गम तथा थिएटर गेम। एस बॉस गेम में एक मशीन को तार द्वारा टीवी स्क्रीन से जोड़ा जाता है। कंप्यूटर गेम को कंप्यूटर पर सीडी या इंटरनेट की मदद से लोड किया जाता है। मोबाइल गेम का फार्मेट कंप्यूटर गेम से मिलता-जुलता ही होता है लेकिन सेटछोटा हो जाता है। थिएटर गेम बड़े-बड़े एम्यूजमेंट पार्क, मल्टीप्लेस तथा मॉल्स में लगाए जाते हैं।

वीडियो गेम बनाने की प्रक्रिया वैज्ञानिक ज्ञान और कलात्मक एवं रचनात्मक क्षमता का अनोखा मिश्रण है। यह काफी वक्त लेने वाला काम है इसलिए वीडियो गेम के निर्माण में कलात्मक प्रतिभा, दिमागी कौशल ही नहीं बल्कि धैर्य का होना भी बहुत आवश्यक है।

वीडियो गेम डिजाइनिंग में करियर बनाने हेतु रचनात्मक अभिरुचि के अलावा कंप्यूटर गेम खेलने का शौक भी होना चाहिए चूंकि गेमिंग कंप्यूटर एनिमेशन क्षेत्र की ही एक नई शाखा है इसलिए पहले एनिमेशन के एक्स्पर्ट ही गेम डेवलप का कार्य किया करते थे लेकिन गेमिंग बाजारकी बढ़ती मांग औरनए गेमिंग सॉफ्टवेयर के विकास ने गेमिंग को एक नए अध्ययन क्षेत्र के रूप में विकसित कर दिया है।

वीडियो गेमिंग के क्षेत्र में सबसे ज्यादा काम कनाड़ा में होता है। अब भारत में भी इसका दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। भारत में गेमिंग में डिप्लोमा या एडवांस डिप्लोमा पाठ्यक्रम कराया जाता है। वीडियो गेम डिजाइनिंग सिखाने वाले संस्थानों में प्रवेश लेने के लिए स्नातक होना आवश्यक है। कुछ संस्थान एनीमेशन तथा मल्टीमीडिया के कोर्स के दौरान ही गेमिंग की जानकारी देते हैं। इन सभी कोर्सों की अवधि एक से दो वर्ष होती है।

कोर्स के दौरान ड्राइंग, डिजाइनिंग, प्रोडशन, प्रोग्रामिंग, लाइटिंग के साथ-साथ एनीमेशन व डिजीटल आर्ट्स सिखाया जाता है। गेम डेवलपमेंट में लाइफ ड्राइंग तथा स्कल्पचर जैसी कलाओं को समझना जरूरी होता है। वीडियो गेमिंग के पाठ्यक्रम के दौरान सभी संस्थान छात्रों को प्रोजेक्ट वर्क देते हैं जिसके तहत उन्हें एक छोटा गेम तैयारकरना होता है। कोर्स में छात्रों को यूँ तो गेम डेवलपमेंट की पूरी जानकारी दी जाती हैलेकिन कोर्स के दौरान ही छात्र अपनी रुचि का क्षेत्र चुन लेते हैं और बाद में इसी क्षेत्र के विशेषज्ञ बनते हैं। वैसे भी आज मार्केट में विशेषज्ञ की ही माँग है।

कंप्यूटर जीवन के जिस-जिस क्षेत्र से जुड़ता जा रहा है, उस-उस क्षेत्र में रोजगारके नए अवसर पैदा करता जा रहा है। कंप्यूटर के प्रयोग के कारण भारत में गेमिंग उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है। एक अनुमान के अनुसार भारत में आज करीब पचास हजार गेमिंग प्रोफेशनल्स की जरूरत है लेकिन मात्र दस से पंद्रह फीसदी प्रोफेशनल्स ही बाजार में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।

गेमिंग मार्केट में गेम डेवलपर, गेम प्रोग्रामर, गेम ऑथर, एनिमेटर, ग्राफिक डिजाइनर, स्कल्पचर, गेम लाइटिंग व साउंड एक्सपर्ट की जबर्दस्त मांग है। देश में अभी गेम डेवलपमेंट के क्षेत्र में इंडिया गेम, ध्रुव इंटरेटिव, पाराडौस, वी-बीइंग जैसी कुछ प्रमुख कंपनियाँ काम कर रही हैं। इसके अलावा सोनी, ईए जैसी मल्टीनेशनल कंपनियाँ भी भारत में अपनी दस्तक दे चुकी हैं। भविष्य में इन्हीं कंपनियों में करियर की अपार संभावनाएँ प्रोफेशनल्स तलाश सकते हैं। भारत में गेमिंग उद्योग के तेजी से पनपने की प्रमुख वजह गेम डेवलपमेंट पर अन्य देशों के मुकाबले कम पैसा खर्च होता है।

वीडियो गेमिंग का कोर्स कराने वाले देश के प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं:
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजाइन पाल्दी, अहमदाबाद।
सेंटर फॉर इलेट्रॉनिस डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी ऑफ इंडिया, चंडीगढ़।
फॉरच्यून इंस्टिट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन, नई दिल्ली।
महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, केरल।
माया एके डमी ऑफ एडवांस सिनेमेटिस, मुंबई।

Wednesday, December 16, 2015

मौसम विज्ञान में हैं शानदार अवसर

मौसम जितने मोहक और मादक होते हैं, उनसे जुड़े करियर भी उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं। कल तक यह माना जाता था कि मौसम का संबंध केवल खेती-किसानी से ही है तो अब यह धारणा पुरानी हो चुकी है। सैटेलाइट के इस युग में सुनामी तूफान से बचाने की कवायद से लेकर एयरलाइंस की उड़ानों, जहाजों के परिवहन से लेकर खेल मैदानों की हलचल में मौसम विज्ञान महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

यही कारण है कि सरकारी विभागों से लेकर मौसम विज्ञान की भविष्यवाणी करने वाली प्रयोगशालाओं, अंतरिक्ष विभाग और टेलीविजन चैनल पर मौसम विज्ञान एक अच्छे करियर की दावत दे रहा है। यदि आपको हवा, बादल, समुद्र, बरसात, धुँध-कोहरे, आँधी-तूफान और बिजली में दिलचस्पी है तो मौसम विज्ञान का क्षेत्र न केवल आपकी इन क्षेत्रों की जिज्ञासाओं की पूर्ति करेगा, बल्कि एक शानदार करियर भी प्रदान करेगा, जो बदलते मौसम की तरह ही मोहक होगा।

बहुआयामी करियर 
मौसम विज्ञान के इतने अधिक आयाम हैं कि इस क्षेत्र में अध्ययन कर अपनी अभिरुचि के अनुसार परिचालन, अनुसंधान तथा अनुप्रयोग अर्थात ऑपरेशंस-रिसर्च या एप्लिकेशंस के क्षेत्र में बहुआयामी करियर बनाया जा सकता है। ऑपरेशंस के तहत मौसम उपग्रहों, राडार, रिमोट सेंसर तथा एयर प्रेशर, टेम्प्रेचर, एनवायरमेंट, ह्यूमिडिटी से संबंधित सूचनाएँ एकत्रित कर मौसम की भविष्यवाणी की जाती है।

यह भविष्यवाणी समुद्र में आने वाले तूफान तथा चक्रवाती हवाओं से मछुआरों तथा समुद्री राह में चलने वाले जहाजों को सुरक्षा प्रदान कर जान-माल के नुकसान से बचाने का कार्य करती है। इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए क्लाइमेटोलॉजी, हाइड्रोमेट्रोलॉजी, मेरिन मीट्रिओलॉजी तथा एविएशन मीट्रिओलॉजी में विशेषज्ञता हासिल करना होता है। शोध-कार्य के लिए मौसम विज्ञान में काफी अच्छी संभावनाएँ हैं।

मौसम के आधार पर ही उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा जाता है, फसलों का आकलन किया जाता है और अब तो खेल के मैदान में खिलाड़ी भी मौसम का हाल जानकर ही खेलने या न खेलने का निर्णय लेने लगे हैं। मौसम विज्ञान से जुड़े शोधार्थी मौसम के विशेष अवयवों हवा, नमी, तापमान संबंधी सूचनाओं और आँकड़ों का विश्लेषण करते हैं तथा यह तय करते हैं कि मौसम का मिजाज कैसा रहेगा।

मौसम विज्ञान का एप्लिकेशंस क्षेत्र वातावरण के संरचनात्मक अवयवों उनके प्रभावों अर्थात एप्लिकेशंस का अध्ययन कर एनवायरमेंट पर रिपोर्ट तैयार करते हैं जो न केवल सरकारी विभागों के लिए महत्वपूर्ण होती है, बल्कि टीवी चैनल पर मौसम की सूचना देने के काम भी आती है। इसके माध्यम से मछुआरों से लेकर आकाश में उड़ने वाले हवाई जहाजों को मौसम के बिगड़ते मिजाज से अवगत करा जोखिम से बचाया जा सकता है।

कैसे हैं अवसर मौसम विज्ञानियों के लिए?
औद्योगीकरण के इस युग में मौसम विज्ञान का महत्व कुछ ज्यादा ही ब़ढ़ गया है। इस क्षेत्र में बतौर इंडस्ट्रीयल मीट्रिओलॉजिस्ट अर्थात औद्योगिक मौसम विज्ञानी के रूप में आकर्षक करियर बनाया जा सकता है। ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण प्रदूषण के प्रति आज सारी दुनिया इतनी जागरूक हो गई है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं, जिनमें मौसम विज्ञानियों का सर्वाधिक महत्व है।

यही कारण है कि आज की परिस्थिति में मौसम विज्ञानियों के लिए सारी दुनिया में शानदार प्रतिष्ठापूर्ण करियर बनाने के अवसर उपलब्ध हैं। उद्योग के अतिरिक्त अंतरिक्ष, कृषि और पर्यावरण के क्षेत्र में भी इस क्षेत्र में अच्छे अवसर मौजूद हैं। स्पेशलाइजेशन के इस दौर में मौसम भविष्यवक्ता के रूप में एम्प्लायमेंट के बेहतरीन अवसर सामने दिखाई देते हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित मौसम विज्ञान कार्यालयों और प्रयोगशालाओं के अतिरिक्त सिविल एविएशन, शिपिंग, सेना में मौसम सलाहकार के पद उपलब्ध हैं।

कर्मचारी चयन आयोग द्वारा नागपुर, चेन्नाई, कोलकाता और नई दिल्ली स्थित मौसम विभागों में भर्ती के लिए प्रतियोगी परीक्षाएँ आयोजित की जाती हैं, जिसमें फिजिक्स विषय लेकर स्नातक उपाधि प्राप्त युवा आवेदन कर सकते हैं। इस परीक्षा में फिजिक्स, मैथ्स का एक पर्चा होता है तथा दूसरा प्रश्न-पत्र जनरल नॉलेज और इंग्लिश पर आधारित होता है। दोनों पेपर ऑब्जेक्टिव होते हैं। चुने गए प्रत्याशियों को मौसम विज्ञान विभाग द्वारा अपने खर्च से प्रशिक्षण देकर नियुक्ति प्रदान की जाती है।

क्या खासियत होनी चाहिए मौसम विज्ञानी में?
मौसम का मिजाज जानना एक विशेष कार्य है, जिसके लिए व्यक्ति में कुछ विशेष गुणों का होना फायदेमंद माना जाता है। आमतौर पर मौसम संबंधी आँकड़ों का संकलन और विश्लेषण का कार्य प्रयोगशालाओं में होता है। कई प्रयोगशालाएँ दूरस्थ बनी होती हैं जैसे अंटार्कटिका की प्रयोगशालाएँ। इसलिए इस क्षेत्र में करियर बनाने वालों को एकाकी स्थानों पर रहने का अभ्यस्त होना चाहिए।

इस कार्य के लिए ऑफिस की तरह 10 से 5 का समय भी निर्धारित नहीं है। कई बार घंटों खाली बैठे रहना होता है तो कई बार चौबीसों घंटे व्यस्त रहना पड़ता है, जिसके लिए पर्याप्त धैर्य की आवश्यकता होती है। आपातकालीन स्थिति में इस क्षेत्र पर भारी दबाव आता है। साथ ही इसमें टीम वर्क के रूप में काम करना भी अपेक्षित है। इसलिए ये सब काम किसी चुनौती से कम नहीं हैं। इसीलिए इस क्षेत्र का चयन ऐसे युवाओं को ही करना चाहिए, जो चुनौतीपूर्ण और साहसिक कार्य करने में दिलचस्पी रखते हों।

क्या हो योग्यता?
मौसम विज्ञान एक ऑपरेशंस-रिसर्च और एप्लिकेशंस का क्षेत्र है इसलिए इसमें प्रवेश के लिए कम से कम मौसम विज्ञान अथवा पर्यावरण विज्ञान विषय में स्नातकोत्तर उपाधि तो होनी ही चाहिए। इसके लिए स्नातक स्तर पर पीसीएम विषय होना आवश्यक है। हमारे यहाँ कई विश्वविद्यालयों में इस विषय की पढ़ाई होती है।

मौसम विज्ञान संचालित करने वाले प्रमुख संस्थान
- भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू
- आईआईटी खड़गपुर
- पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला
- आंध्रा यूनिवर्सिटी, विशाखापट्टनम
- मणिपुर यूनिवर्सिटी इम्फाल
- देवी अहिल्या विवि इंदौर-पर्यावरण विज्ञान
- अरतियार विश्वविद्यालय कोयम्बटूर
- कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी
- एमएस यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ौदा, बड़ौदा
- शिवाजी यूनिवर्सिटी विद्यानगर, कोल्हापुर

Tuesday, December 15, 2015

जेमोलॉजी के क्षेत्र में करियर

करियर कुछ अलग हटकर। 
आज के युवाओं का यह एक फेवरेट जुमला बन चुका है। परंपरागत करियर की बजाय आज वे कुछ ऐसे करियर विकल्प को चुन रहे हैं, जो रोचक होने के साथ-साथ चुनौतीपूर्ण भी हों। साथ ही उनमें हों बढिया कमाई का स्कोप भी। यदि आप भी कुछ इसी तरह की ख्वाहिश रखते हैं, तो जेमोलॉजी अच्छा ऑप्शन है।
बढता बाजार 
जूलरी भारतीय परंपरा का अभिन्न अंग रही है। भारतीय कारीगरों और जूलरी को विदेशों में काफी पसंद किया जाता है। यही कारण है कि देश के कुल निर्यात में जेम्स ऐंड जूलरी सेक्टर का सबसे महत्वपूर्ण योगदान है। भारत दुनिया में सोने का सबसे बडा उपभोक्ता है और यहां डायमंड कटिंग के लिए बेहतरीन बुनियादी सुविधाएं भी मौजूद हैं। जयपुर को विश्व का सबसे बडा जेम्स कटिंग सेंटर के रूप में जाना जाता है। जयपुर के साथ-साथ सूरत, मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद आदि शहरों में जेम्स ऐंड जूलरी के विशाल एक्सपोर्ट हाउस मौजूद हैं। उदारीकरण के बाद भारत के इस उभरते हुए सेक्टर को एक नया आयाम मिला है। दरअसल, जेमोलॉजी के क्षेत्र में दबदबा रखनेवाले दुनिया की बडी-बडी कंपनियां भारत में तेजी से अपनी शाखाएं खोल रही हैं।
नेचर ऑफ वर्क
दरअसल, एक जेमोलॉजिस्ट का काम जहां एक ओर जेम्स स्टोन्स की पहचान, छंटाई और ग्रेडिंग का होता है, वहीं दूसरी ओर वे जूलरी के डिजायनिंग-पार्ट की भी बारीक समझ रखते हैं। यही वजह है कि वे रिसर्च से लेकर डिजायनिंग तक से जुडे सभी तरह के कामों में माहिर होते हैं। यदि आपकी रुचि है, जेमोलॉजी और इस तरह के कार्यो में तो, चले आइए इस चमकते करियर में।
कैसे होगी एंट्री?
जेमोलॉजी के कोर्स के अंतर्गत जेम्स की पहचान, उसकी रंगत, धातु की पहचान, ड्राइंग टेक्निक्स, डिजाइन मेथॅडोलॉजी, कम्प्यूटर ऐडेड डिजाइन आदि पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। वैसे, जेमोलॉजी  डिप्लोमा (एक से दो-वर्षीय) और सर्टिफिकेट कोर्सेज (छह से एक साल) के साथ-साथ ट्रेंड प्रोफेशनल्स के लिए कुछ स्पेशलाइज्ड कोर्सेज भी उपलब्ध हैं। इन स्पेशलाइज्ड कोर्सेज की अवधि छह माह से छह हफ्ते तक भी हो सकती है। इन कोर्सेज इसके लिए जरूरी होता है कि आप थ्योरिटिकल के साथ साथ प्रैक्टिकल टेस्ट भी पास करें। जो अंडरग्रेजुएट हैं, वे यह न सोचें कि उन्हें किसी तरह की स्पेशलाइज्ड नॉलेज की डिग्री की जरूरत है। वास्तव में वे भी जेमोलॉजी का कोर्स कर सकते हैं और इस खास करियर में बढिया अवसर तलाश सकते हैं।
कितने योग्य हैं आप?
जेमोलॉजी के क्षेत्र में आना चाहते हैं, तो यह जरूरी है कि आपको इस क्षेत्र में दिलचस्पी हो। स्टोंस की बारीकी को समझने, उन्हें बेहतरी से तराशने का हुनर और महंगे स्टोंस को पहचानने की कला सीखना चाहते हों। आपको न केवल स्टोंस, बल्कि इन्हें तराशने वाले व अन्य उपकरणों की भी तकनीकी जानकारी रखनी होगी। रचनात्मकता, एकाग्र होकर लंबे समय तक काम करने की क्षमता भी होनी चाहिए। अच्छी कम्युनिकेशन स्किल्स आज हर क्षेत्र की जरूरत बन चुकी है। यहां भी यह एक महत्वपूर्ण योग्यता है। क्योंकि कस्टमर डीलिंग की क्वॉलिटी ही आपको यहां देती है आगे बढने का अवसर।
संभावनाओं की बात कहते हैं, जिस सेक्टर में जितनी तेजी से विकास होता है, उसे और विकसित करने के लिए ट्रेंड प्रोफेशनल्स की जरूरत अनिवार्य रूप से होती है। इस लिहाज से देखें, तो जेम्स ऐंड जूलरी सेक्टर भी इस बात से अछूता नहीं है। जेमोलॉजी का कोर्स कर लेने के बाद आपको प्राइवेट एक्सपोर्ट हाउसेज, जूलरी डिजायनिंग ऐंड कटिंग फ‌र्म्स और इससे जुडी कंपनियों में काफी आकर्षक जॉब मिल सकती है। इसके अलावा, यदि आप अपना बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, तो संबंधित क्षेत्र में अनुभव और कौशल प्राप्त करने के बाद अपना रिटेल, होलसेल या जूलरी-शॉप्स खोल सकते हैं। वैसे, यदि आप इस क्षेत्र के प्योर क्रिएटिव जॉब्स से जुडते हैं, तो यहां आपकी शुरुआती सैलरी तकरीबन पंद्रह हजार महीने हो सकती है।बहरहाल, जेमोलॉजी के क्षेत्र में आप निम्न पदों पर काम कर सकते हैं..
ज्यॅूलरी-डिजायनर
प्रोडक्ट डेवलॅपमेंट ऑफिसर
मर्केडाइजर
सेल्स ऐंड मार्केटिंग प्रोफेशनल
कॅन्सल्टेंट
कैड-डिजायनर
रिसर्चर आदि।
प्रॉस ऐंड कॉन्स
यह काफी अच्छा करियर है। लेकिन इसके साथ-साथ जुडे हैं, कुछ वे पहलू, जिन्हें जानना बेहद जरूरी है। मसलन, यदि आप खुद का बिजनेस शुरू करते हैं, तो यह जरूरी है कि आपकी कस्टमर डीलिंग क्वॉलिटी बेहतर हो। इसी तरह, परंपरागत करियर की तरह, इसमें आप तुरंत तरक्की की आशा नहीं कर सकते।
जेमोलॉजी के क्षेत्र में भारत तेजी से उभर रहा है। आने वाले 5-10 सालों में यह एक विशाल मार्केट में तब्दील हो सकता है, जिसमें बेहतरीन करियर की संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं। परंपरागत करियर की अपेक्षा इस क्षेत्र में तेजी तो नहीं, लेकिन यह बात जरूर है कि बढते मार्केट के हिसाब से ही यहां अवसरों में भी इजाफा हो रहा है। भारत के साथ-साथ विदेशों में भी जेमोलॉजी के क्षेत्र में स्कोप काफी है। वर्तमान में जो युवा इस क्षेत्र में आना चाहते हैं, यह जरूरी है कि उन्हें इस फील्ड में दिलचस्पी जरूर हो। पैनी नजर और अवलोकन करने की क्षमता जरूर होनी चाहिए। हां, वे यह न सोचें कि अपना बिजनेस शुरू करने के लिए फायनेंशियली अच्छा होना जरूरी है। थोडी सी सूझ-बूझ से वे अपना बढिया बिजनेस शुरू कर सकते हैं।
गुरमीत सिंह, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ जेमोलॉजी, दिल्ली के डायरेक्टर
प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान
आर्च जेमोलॉजी ऐंड ज्यूॅलरी इंस्टीट्यूट, जयपुर www.archins.com
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ जेमोलॉजी www.iigdelhi.com
इनसाइन-द ज्वेल डिजाइन इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली www.ensign.in
इंडियन डायमंड इंस्टीट्यूट-सरदार बल्लभ भाई पटेल सेंटर ऑफ जूलरी डिजाइन ऐंड मेन्युफैक्चर, सूरतwww.diamondinstitute.net
जीआईए, मुंबई www.giaindia.in

Monday, December 14, 2015

बेहतरीन करियर विकल्प है बायोटैक्नोलॉजी

क्या है बायोटैक्नोलॉजी?
सरल शब्दों में कहें तो बायोटैक्नोलॉजी के तहत जैविक प्रक्रियाओं में बदलाव करके एक ऐसी तकनीक विकसित की जाती है जिसका वाणिज्यीकरण किया जा सके ।  देश में बायोटैक्नोलॉजी की शुरूआत 1980 के दशक के मध्य में हुई थी जब 1986 में भारत सरकार ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत बायोटैक्नोलॉजी विभाग का गठन किया । बायोलॉजी और टैक्नोलॉजी को मिला कर बना है बायोटैक्नोलॉजी । इसके अंतर्गत बायोकैमिस्ट्री, जैनेटिक्स, माइक्रोबायोलॉजी, सीड टैक्नोलॉजी, क्रॉप मैनेजमैंट, इकोलॉजी से लेकर सैल बायोलॉजी तक का अध्ययन किया जाता है ।

बायोटैक्नोलॉजी रिसर्च आधारित विज्ञान है जिसका उद्देश्य वैज्ञानिक सिद्धांतों और तकनीक का प्रयोग करते हुए बायोलॉजिकल सिस्टम में सुधार करना है । बायोलॉजी और टैक्नोलॉजी को मिलाकर बने इस फील्ड में बायोकैमिस्ट्री, जैनेटिक्स, माइक्रोबायोलॉजी, कैमिस्ट्री, इम्युनोलॉजी, इंजीनियरिंग, पेड़-पौधे, हैल्थ और मैडीसिन, क्रॉपिंग सिस्टम व मैनेजमैंट, मृदा-विज्ञान और संरक्षण, इकोलॉजी, बायोस्टैटिस्टिक्स, सैल बायोलॉजी, सीड टैक्नोलॉजी, प्लांट फिजियोलॉजी आदि शामिल हैं । आज के दौर का सबसे विवादास्पद विषय है बायोटैक्नोलॉजी जिसे मुख्यत: शोध आधारित विज्ञान माना जाता है । यह एक विस्तृत फील्ड है जिसके विस्तृत दायरे ने इसे एक बेहतरीन करियर विकल्प बना दिया है । इसका संबंध स्वास्थ्य, चिकित्सा, कृषि, पशुपालन, उद्योग, पर्यावरण से लेकर अनुसंधान तक है ।
विभिन्न उपयोग
बायोटैक्नोलॉजी का प्रयोग विभिन्न प्रकार की दवाइयों और खनिज धातुओं को परिष्कृत करने के काम में भी होता है । बायोटैक्नोलॉजी की सहायता से अधिक पैदावार देने वाली फसलें भी तैयार की जा रही हैं, वहीं इसका प्रयोग जीव-जंतुओं और पौधों में आनुवांशिक प्रवृत्तियां बदलने के लिए भी किया जाता है । बायोटैक्नोलॉजी की बदौलत चिकित्सा के क्षेत्र में कई नई खोजें हुई हैं । इसके अलावा फसलों को बीमारी और कीटाणुरोधी बनाने, ऊर्जा के अतिरिक्त संसाधन जुटाने, पर्यावरण को स्वच्छ रखने की नई तकनीक विकसित करने और ऐसे ही कई उपलब्धियां हासिल करने में बायोटैक्नोलॉजी से ही मदद मिली है ।
योग्यता 
बायोटैक्नोलॉजी में स्नातक स्तर पर आप बी.एससी., बी.ई. और बी.टैक कर सकते हैं तो पोस्ट ग्रैजुएट स्तर पर एम.एससी., एम.टैक या एम.बी.ए. के विकल्प आपके लिए मौजूद हैं । बायोटैक्नोलॉजी पाठ्यक्रम में दाखिला लेने के लिए विज्ञान का अभ्यर्थी होना जरूरी होगा । बायोलॉजी, फिजिक्स, कैमिस्ट्री एवं कृषि की जानकारी जरूरी है । आई.आई.टी. संस्थानों में 5 वर्षीय इंट्रीग्रेटेड एम.टैक कोर्स भी उपलब्ध है जो12वीं के बाद किया जा सकता है ।
विदेशों में भी अवसर
बायोटैक्नोलॉजी की शिक्षा प्राप्त के बाद देश के साथ-साथ विदेश में भी काम करने के ढेरों अवसर हैं । मैडीसिन एंड हैल्थकेयर, पशुपालन, कृषि तथा पर्यावरण इंडस्ट्री में आप मार्कीटिंग, रिसर्च और प्रोडक्शन के क्षेत्र में काम कर सकते हैं
 बायोटैक्नोलॉजिस्ट के कार्यक्षेत्र के तहत पेड़-पौधों और पशुओं की अच्छी नस्ल के उत्पादन के क्षेत्र में काम करना और अच्छे  टीकों का निर्माण करना, रोगों के लक्षणों को शुरूआती स्तर पर पहचानना, डी.एन.ए., जीन प्रोफाइलिंग,माइक्रोबायोलॉजिकल तरीकों से धातु निष्कर्षण, दवा, पॉलिमर, एन्जाइम्स आदि की नई किस्म विकसित करना आदि कार्य आते हैं ।
सम्भावनाएं
इस क्षेत्र में देशी-विदेशी कई कम्पनियां मौजूद हैं जो बायोटैक्नोलॉजिस्ट्स को अनुसंधान और विकास में रोजगार प्रदान करती हैं । सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों में भी अवसरों की कमी नहीं है । लैबोरेटरीज और रिसर्च इंस्टीच्यूट्स में बतौर साइंटिस्ट और असिस्टैंट काम कर सकते हैं । कृषि और बागवानी के संस्थानों में भी इनकी मांग है ।

वेतनमान
निजी क्षेत्र की कम्पनियों में बायोटैक्नोलॉजी के छात्र को शुरूआती वेतनमान 12-18 हजार रुपए तक मिल जाता है ।

प्रमुख संस्थान
- ऑल इंडिया इंस्टीच्यूट ऑफ मैडिकल साइंस, नई दिल्ली
- आई.आई.टीज (चेन्नई, रुड़की, मुंबई आदि शहरों में केंद्र हैं)
- बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, बनारस, उत्तर प्रदेश
- अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
- मोतीलाल नेहरू इंस्टीच्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश

Sunday, December 13, 2015

रंग जमाएं, खूब कमाएं

मैरिज, बर्थ डे, वेडिंग रिसेप्शन, एनिवर्सरीज जैसे समारोहों के अलावा प्राइवेट पार्टीज, प्रोडक्ट्स की लॉन्चिंग, चैरिटी इवेंट्स, सेमिनार्स, एग्जीबिशंस, सेलिब्रिटी शोज, इंटरनेशनल आर्टिस्ट शोज, रोड शोज, कॉम्पिटिशंस की बढती संख्या को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस फील्ड में इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों और इवेंट मैनेजर्स की डिमांड जोरदार तरीके से बढ रही है। हालांकि, इसके लिए अलग-अलग एक्सप‌र्ट्स की जरूरत होती है। इस क्षेत्र की सबसे बडी विशेषता यह है कि इसमें असंभव जैसा कोई शब्द नहीं होता। कठिन से कठिन आयोजनों को सफलतापूर्वक साकार कराना एक अच्छे व कुशल इवेंट मैनेजर की पहचान होती है। पहले इवेंट मैनेजर की मांग केवल कॉरपोरेट क्षेत्र के आयोजनों में ही होती थी, लेकिन अब बर्थडे पार्टी से लेकर बडे-बडे कार्यक्रमों में भी एक्सप‌र्ट्स की सहायता ली जाती है। तेजी से बढती कारोबारी गतिविधियों में भी विशेष तरह के आयोजनों को शिद्दत से महसूस किया जाता है। खास बात यह है कि अब छोटे शहरों में भी इवेंट मैनेजमेंट के लोकप्रिय होने के बाद इस क्षेत्र में अनुभवी लोगों की मांग बढी है। इस क्षेत्र का एक आकर्षक पहलू यह भी है कि इसके अंतर्गत आप जो कुछ भी करते हैं, वह सबके सामने होता है और अच्छे काम की हर कोई सराहना करता है।
ख्ास वर्ग, खास आयोजन
इवेंट मैनेजमेंट से जुडे लोग किसी व्यावसायिक या सामाजिक समारोह को एक खास वर्ग के दर्शकों के लिए आयोजित करते हैं। इसके अंतर्गत मुख्य रूप से फैशन शो, संगीत समारोह, विवाह समारोह, थीम पार्टी, प्रदर्शनी, कॉरपोरेट सेमिनार, प्रॉडक्ट लॉन्चिंग, प्रीमियर आदि कार्यक्रम आते हैं। एक इवेंट मैनेजर समारोहों का प्रबंधन करता है और क्लाइंट या कंपनी के बजट के अनुरूप सुविधाएं प्रबंध करने का जिम्मा लेता है। इवेंट मैनेजमेंट कंपनी किसी पार्टी या समारोह की प्लानिंग से लेकर उस पर इम्प्लीमेंटेशन तक का काम करती है। होटल या बैंक्वेट हॉल बुक करने, साज-सज्जा, एंटरटेनमेंट, बे्रकफास्ट/लन्च/डिनर के लिए खास तरह के मेन्यू तैयार करवाने, अतिथियों का स्वागत, भांति-भांति से सत्कार आदि की व्यवस्था इवेंट मैनेजमेंट गु्रप में शामिल लोगों को करनी होती है।
बढता स्कोप
इस समय भारत में 300 से अधिक इवेंट मैनेजमेंट कंपनियां काम कर रही हैं। अनुमान है कि देश में इसका कारोबार 60-70 प्रतिशत वार्षिक की दर से बढ रहा है। नब्बे के दशक में जहां यह केवल 20 करोड रुपये की इंडस्ट्री थी, वहीं आज इस इंडस्ट्री का टर्नओवर 700 करोड रुपये से अधिक हो गया है। इस इडंस्ट्री के ग्रोथ  रेट को देखते हुए फिक्की का अनुमान है कि यह अगले दो से तीन वर्षो में 3500 करोड रुपये से अधिक का हो जाएगा।
मैनेजमेंट स्किल
  इवेंट मैनेजमेंट में किस्मत संवारने के लिए किसी विशेष योग्यता की जरूरत नहीं है। सिर्फ कुशल प्रबंधन क्षमता एवं नेटवर्किग स्किल्स आपको कामयाब बना सकता है। ऐसे स्नातक छात्र, जिनमें जनसंपर्क और संयोजन का हुनर हो, वे आसानी से इस व्यवसाय से जुड सकते हैं। बढते पार्टी कल्चर और इसके लिए इवेंट मैनेजमेंट कंपनी की सेवाएं लेने से अब अनेक संस्थानों ने कई तरह के डिप्लोमा, एडवांस डिप्लोमा, पार्ट टाइम कोर्सेज, ग्रेजुएशन और पोस्ट-गे्रजुएशन कोर्स शुरू कर दिए हैं। अब इस क्षेत्र में एमबीए की डिग्री भी दी जाने लगी है, जो इवेंट मैनेजमेंट के लिए सबसे असरदार डिग्री है। वैसे, फिलहाल ये कोर्स हर जगह सुलभ नहीं हैं। ऐसे में किसी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी में ट्रेनिंग लेकर काम सीखा जा सकता है और अनुभव हासिल करने के बाद रेगुलर जॉब या अपनी खुद की इवेंट मैनेजमेंट कंपनी संचालित की जा सकती है।
उपलबध कोर्स
डिप्लोमा इन इवेंट मैनेजमेंट (डीईएम) एक वर्ष की अवधि का कोर्स है, जिसमें एडमिशन के लिए कम से कम किसी भी स्ट्रीम स्नातक होना चाहिए। पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन इवेंट मैनेजमेंट (पीजीडीईएम) भी एक वर्ष का कोर्स है और इसके लिए भी आपको स्नातक होना जरूरी है। 6-6 माह के सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स भी चलाए जा रहे हैं, जिसमें प्रवेश के लिए मिनिमम योग्यता बारहवीं है। अधिकतर संस्थानों में ये सभी कोर्स पार्ट टाइम में करने की सुविधा उपलब्ध है। एमबीए युवा इस सेक्टर में लीडर की भूमिका निभा सकते हैं। वे इसमें पब्लिक रिलेशन और मार्केटिंग के क्षेत्र में सफलतापूर्वक काम कर सकते हैं।
कोर्स डिटेल्स
इवेंट मैनेजमेंट के क्षेत्र में मूल रूप से दो शाखाएं होती हैं-पहला, लॉजिस्टिक मैनेजमेंट, जिसके अंतर्गत समारोह स्थल, सेलिब्रिटीज, दर्शकों, कार्यक्त्रम का प्रचार आदि का प्रबंध करना सम्मिलित है। दूसरा, मार्केटिंग, जिसमें मीडिया के माध्यमों द्वारा इवेंट का प्रचार-प्रसार तथा आयोजनों का प्रबंध शामिल होता है। इसमें पोस्ट ग्रेजुएट से संबंधित पाठ्यक्रमों में इवेंट मार्केटिंग, पब्लिक रिलेशनशिप तथा स्पांसरशिप, इवेंट कोऑर्डिनेशन, इवेंट प्लॉनिंग, इवेंट टीम रिलेशनशिप, इवेंट अकाउंटिंग आदि की सैद्धांतिक और व्यावहारिक ट्रेनिंग दी जाती है। इस दौरान छात्रों को फिल्म अवॉर्ड समारोह, फैशन शो, ज्यूलरी प्रदर्शन तथा कॉरपोरेट इवेंट्स जैसे बडे समारोहों के लिए काम करने का अवसर मिलता है।
करियर स्कोप
एक दक्ष व्यक्ति किसी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी में मैनेजर का पद या बडे होटल समूह या कॉरपोरेशन में कंसल्टेंट की नौकरी हासिल कर सकता है या फिर स्वतंत्र रूप से भी कार्य कर सकता है। इस क्षेत्र में प्रवेश के बाद शुरुआत में प्रशिक्षु के रूप में कार्य करना पडता है। उसके बाद प्रमोशन पाकर कोऑर्डिनेटर बन जाता है। इन दिनों इवेंट मैनेजमेंट कंपनियां इस पद पर बडी संख्या में युवाओं को नियुक्त कर रही हैं। भारत में एक इवेंट मैनेजर का प्रमुख कार्य क्षेत्र इवेंट मैनेजमेंट कंपनियां, होटल इंडस्ट्रीज, एडवरटाइजिंग कंपनियां, पीआर फर्म, टीवी चैनल्स, कॉरपोरेट्स हाउसेज, मीडिया हाउसेज आदि हैं। इवेंट मैनेजर के रूप में आप फैशन शो का आयोजन एवं मैगजींस के लिए अवॉर्ड समारोह का आयोजन कर सकते हैं। इसके अलावा एक पब्लिक रिलेशन प्रबंधक के रूप में मीडिया एडवरटाइजिंग एजेंसी एवं टूरिज्म क्षेत्र के लिए कार्य कर सकते हैं। विदेशों में एक इवेंट मैनेजर के तौर पर आप प्रमुख कंपनियों के लिए कोऑर्डिनेटर के रूप में कार्य कर सकते हैं।
कमाई का क्रेज
इस उभरते क्षेत्र में वेतन की कोई सीमा नहीं है। पारिश्रमिक का आधार आयोजन किए जाने वाले समारोह की विविधता होती है। अपनी काबिलियत के दम पर आप इसमें सफलता की बुलंदी छू सकते हैं। कोर्स के बाद फ्रेशर्स मैनेजर दस से पंद्रह हजार रुपये प्रति माह अर्जित करते हैं। एक बार इस व्यवसाय में कदम जमाने और अनुभव प्राप्त करने के बाद इवेंट मैनेजर अपने दम पर 50,000 से लेकर 1,00,000 प्रतिमाह कमाई कर सकता है। इसमें सब कुछ मैनेजर की कार्यकुशलता एवं उसकी नेटवर्किग क्षमता पर निर्भर करता है।
प्रमुख संस्थान
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इवेंट मैनेजमेंट, नंदनवन बिल्डिंग, अंसारी रोड, विले पार्ले, मुंबई।
इवेंट मैनेजमेंट डेवॅलेपमेंट इंस्टीट्यूट, 791, एस.के. मार्ग बांद्रा (पश्चिमी) मुंबई।
नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर मीडिया स्टडीज, पंचधारा कॉम्प्लेक्स, एस.जी. हाइवे, अहमदाबाद।
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, एच-12, साउथ एक्सटेंशन, पार्ट-1, नई दिल्ली।
कॉलेज ऑफ इवेंट ऐंड मैनेजमेंट, लेन-11, प्रभात रोड, पुणे।
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इवेंट मैनेजमेंट, जुहू कैम्पस, जुहू तारा रोड, सांताक्रूज (पश्चिमी), मुंबई।
इंटरनेशनल सेंटर फॉर इवेंट मार्केटिंग ऐंड मार्केटिंग, 6/14, द्वितीय तल, सर्वप्रिय विहार, नई दिल्ली