Sunday, June 14, 2015

बीएमई का Magic

टॉप टेन में शामिल बीएमई यानी बायोमेडिकल इंजीनियर की अगले 10 सालों में जॉब ग्रोथ रेट सबसे अधिक 62 परसेंट तक है..
हेल्थ साइंस में हम इन दिनों जीन और टिश्यू मैनिपुलेशन, ऑर्टिफिशिअल ऑर्गस, लाइफ सेविंग इक्विपमेंट्स, एमआरआई, सीटी स्कैनिंग और सोनोग्राफी जैसे नए-नए शब्द सुनते हैं। ये सब बायोमेडिकल इंजीनियरिंग का मैजिक है। नई विशेषताओं से भरपूर बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में यूथ के लिए जॉब ऑप्शंस की कमी नहीं है। इंडिया के हेल्थकेयर सेक्टर में आई ग्रोथ ने इस फील्ड में इजाफा किया है। नेशनल और इंटरनेशनल लेवल के हेल्थ एक्सप‌र्ट्स कम रेट पर इस टेक्नोलॉजी के जरिए पेशेंट्स को फिट कर रहे हैं।
क्या है बीएमई?
बायोमेडिकल इंजीनियरिंग यानी बीएमई मेडिकल सेक्टर की एक ग्रोथ करती हुई रोमांचक ब्रांच है। इसके स्पेशलिस्ट ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स डिजाइन करते हैं, जो क्लीनिकल नजरिए से यूजफुल हों। इनमें क्लीनिकल कंप्यूटर्स, आर्टिफिशियल हॉर्ट, व्हील चेयर आदि शामिल हैं।
एलिजिबिलिटी
इसके बैचलर प्रोग्राम में एंट्री के लिए मैथमेटिक्स और बायोलॉजी से मिनिमम 55 परसेंट मा‌र्क्स के साथ हायर सेकेंडरी पास होना जरूरी है। इसके लिए आपको इंस्टीट्यूट का एंट्रेंस एग्जाम क्वालिफाई करना होगा। इस कोर्स का पीरियड चार साल है। चाहें तो इसे कंप्लीट करने के बाद बीएमई में पीजी करने का भी ऑप्शन है।
पर्सनल स्किल्स
जिनका टेक्नोलॉजी की ओर रुझान है और जो हमेशा कुछ न कुछ नया करना चाहते हैं, यह फील्ड उन्हीं के लिए है। टीम वर्क इस फील्ड का मेन पार्ट है। कैंडिडेट को टीम वर्क के रूप में काम करना आना चाहिए।
वर्क कुछ हट के
इनका वर्क अन्य मेडिकल प्रोफेशनल्स से अलग है, क्योंकि ये खुद ट्रीटमेंट नहीं करते हैं, बल्कि ट्रीटमेंट में हेल्पफुल इंस्ट्रूमेंट्स बनाते हैं। अपने इंस्ट्रूमेंट्स के जरिए ये मेडिकल प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने में मदद करते हैं। ये किसी इमरजेंसी ब्रेकडाउन और मेंटिनेंस से रिलेटेड प्रॉब्लम होने पर खराब हो चुके इंस्ट्रूमेंट्स को भी ठीक करते हैं।
मेन इंस्टीट्यूट्स
-आईआईटी, मुंबई
-एम्स, नई दिल्ली
-बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी
-जेबी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग, हैदराबाद
-जादवपुर यूनिवर्सिटी, कोलकाता
हॉट है जॉब सेक्टर
हेल्थ केयर सेक्टर में बडे-बडे प्राइवेट ग्रुप भी कदम रख रहे हैं, जिसके चलते लेटेस्ट फैसिलिटीज से लैस नए-नए हॉस्पिटल खुलते जा रहे हैं। मेडिकल टूरिज्म की कॉन्सेप्ट आकार ले रही है। इन चीजों को देखते हुए बायो-मेडिकल इंजीनियर की डिमांड आने वाले समय में और भी बढने की उम्मीद है। बायोमेडिकल इंजीनियर के लिए जॉब के चांस मेडिकल इंस्ट्रूमेंट मैन्युफैक्चरिंग, ऑर्थोपेडिक एंड री-हैबिलिटेशन इंजीनियरिंग, मॉलिक्यूलर इंजीनियरिंग की कई ब्रांचेज में है। ये कॉरपोरेट सेक्टर्स के साथ मिलकर भी काम कर सकते हैं। रिसर्च एंड डेवलपमेंट फील्ड तो इनके लिए हॉट ऑप्शन हमेशा से रही है। बीपीएल, लार्सन एंड टर्बो, विप्रो मेडिकल और सिमेंस जैसी कंपनियां तो क्वॉलिफिकेशन और एक्सपीरियंस के बेस पर इसके प्रोफेशनल्स को अपने सेल्स और मार्केटिंग डिपार्टमेंट में फटाफट रिक्रूट तो करती ही हैं, साथ ही कई दूसरे डिपार्टमेंट्स में भी इनकी काफी डिमांड है।

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