Wednesday, August 31, 2016

मर्चेंट नेवी बनकर करे लहरों से अठखेलियां


समुद्र की लहरों पर अठखेलियां करने के साथ अगर आपको विदेशों की सैर करने का शौक है तो निश्चय ही आपके लिए मर्चेंट नेवी का करियर मददगार साबित हो सकती है। दरअसल यह फील्ड रोमांच और साहस से भरा होता है। पर आपके अंदर थोड़े से सब्र और साहस के साथ कुछ नया जानने व करने की ललक होनी चाहिए। अगर ऐसा है तो निश्चय ही आप मर्चेंट नेवी बनकर बुलंदियों तक जा सकते हैं। बता रहे हैं मनीष झा-
नौसेना से अलग: मर्चेंट नेवी में जहाज के सामान और लोगों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का काम करते हैं। इसलिए अगर आप जहाज पर काम करना चाहते हैं, पर नौसेना में नहीं तो मर्चेंट नेवी आपके लिए एक बेहतर करियर विकल्प है। अक्सर लोगों को मर्चेंट नेवी का नाम सुनते ही ऐसा लगता है कि यह नौसेना का हिस्सा है, जबकि ऐसा नहीं है।
क्या है मर्चेंट नेवी: मर्चेंट नेवी के तहत यात्री जहाज, मालवाहक जहाज, तेल और रेफ्रिजरेटेड जहाज आते हैं। इन जहाजों के संचालन के लिए एक ट्रेंड टीम की जरूरत होती है, जिसमें तकनीकी टीम से लेकर क्रू मेंबर तक शामिल होते हैं। जहाज में काम करने वाले प्रफेशनल्स जहाज के संचालन, तकनीकी रखरखाव और यात्रियों को कई प्रकार की सेवाएं देते हैं। इनकी ट्रेनिंग विशिष्ट और मेहनत से भरी होती है। इसके तहत बड़े व्यापारिक और यात्री जहाजों का बेड़ा है।
आवश्यक योग्यता: समुद्री इंजिनियरिंग में बीएससी की डिग्री हासिल करने के बाद मर्चेंट नेवी में जा सकते हैं। भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और गणित विषयों के साथ 12वीं पास करने के बाद आप किसी जहाज में डेक कैडेट के रूप में प्रवेश ले सकते हैं। यहां आप तीन साल तक काम करते हुए प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। नेविगेटिंग ऑफिसर या नौ-संचालन अधिकारी के रूप में नियुक्ति के लिए प्रशिक्षण के बाद भूतल परिवहन मंत्रलय द्वारा ली जाने वाली दक्षता परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक होता है। इसके अलावा उम्मीदवारों को शारीरिक और मानसिक रूप से भी फिट होना चाहिए। नेविगेशन का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद कैप्टन श्रेणी के अधिकारी के रूप में नियुक्ति होती है।
रोजगार के अवसर: भारत इंटरनैशनल ट्रेड का सबसे बड़ा केंद्र बनता जा रहा है, जिसमें समुद्री परिवहन हमेशा से ही सहायक रहा है। इसलिए मर्चेंट नेवी काफी डिमांड में है। भारत के अलावा फ्रांस, ब्रिटेन, नॉर्वे, जापान, ग्रीस और सिंगापुर की बड़ी शिपिंग कंपनियों में भी डिमांड है।
इनकम: शुरूआत में 10 से 15 हजार रुपये प्रतिमाह, लेकिन अनुभव बढऩे के साथ-साथ वेतन में बढ़ोत्तरी होती है। पद और अनुभव के साथ 10-15 लाख रुपये महीना भी कमा सकते हैं।
अधिक जानकारी: जहाजरानी महानिदेशालय, जहाज भवन, बालचंद-हीराचंद मार्ग, बलार्ड एस्टेट, मुंबई तथा मरीन इंजिनियरिंग रिसर्च इंस्टिटय़ूट ताराटोला रोड, कोलकाता के अलावा शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की वेबसाइट www.shipindia.com और इग्नू की वेबसाइट www.ignou.ac.in पर सर्च सकते हैं।
शैक्षणिक योग्यता: विज्ञान विषयों के साथ 10+2 पास छात्र जेईई के माध्यम से कोर्स कर सकते हैं। कुछ कोर्सेज के लिए 10वीं पास होना आवश्यक है। अधिकतम आयु सीमा 20 वर्ष सामान्य और 25 वर्ष एससी व एसटी के लिए है।
प्रशिक्षण संस्थान
लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज ऑफ अडवांस मरीन टाइम स्टडीज ऐंड रिसर्च, मुंबई
www.imu.tn.nic.in
ट्रेनिंग शिप चाणक्य, नवी मुंबई
www.dgshipping.com
इंडियन मेरिटाइम यूनिवर्सिटी, चेन्नै
www.imu.tn.nic.in re
मरीन इंजिनियरिंग ऐंड रिसर्च संस्थान, कोलकाता
www.merical.ac.in

पद और कार्य
डेक विभाग- जहाज के कप्तान, उप कप्तान, सहायक कप्तान, चालक।
उप कप्तान- जहाज का दूसरा मुख्य अधिकारी उपकप्तान होता है जो कप्तान की सहायता करने के साथ-साथ डेक कर्मचारियों और माल लदान जैसी गतिविधियों पर नजर रखता है।
सहायक कप्तान- फस्र्ट मेट और कप्तान को जहाज के कामकाज संचालन में सहयोग करना है। माल लादने और उतारने के समय मुख्य रूप से इसे रात्रि पाली की देखरेख करनी होती है।
थर्ड मेट- सिग्नल उपकरणों, सुरक्षा और लाइफ बोट्स आदि की देखभाल करना।
पायलट ऑफ शिप- जहाज की गति एवं दिशा तय करने जैसे कार्य करना।
सेरंग-डेक कर्मचारियों पर नियंत्रण और सुपरवाइजरी का कार्य।
इंजन विभाग- जहाज के इंजन पर नियंत्रण रखने वाले उपकरणों का रखरखाव व मरम्मत।
जहाज इंजिनियर- सभी इंजनों, बायलरों, सेनेटरी उपकरणों, डेक मशीनरी व स्टीम कनेक्शनों के संचालन की जिम्मेदारी।
इलेक्ट्रिकल ऑफिसर- इंजन रूम के सभी इलेक्ट्रिकल उपकरणों की देखभाल करना इनका काम है।
नॉटिकल सर्वेयर- समंदर के नक्शे, चार्ट आदि तैयार करना।
रेडियो ऑफिसर- डेक पर काम करने वालों पर नियंत्रण।
सेवा विभाग- जहाज पर काम करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के रहने, भोजन की व्यवस्था का काम।
कोर्सेज के स्वरूप
12वीं (साइंस)
डिग्री कोर्स: नॉटिकल साइंस ( 3 साल)
और मरीन इंजिनियरिंग (4 साल)
डिप्लोमा: 2 साल
ग्रैजुएट मकैनिकल इंजिनियर्स: 1 साल
डेक कैडेट: 3 माह
10वीं (साइंस)
प्री-सी कोर्स: 4 महीने
डेक रेटिंग: 3 महीने
इंजन रेटिंग: 3 महीने
सेलून रेटिंग: 4 महीने
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क्कष्टक्च और क्कष्टक्चरू से ओपन होता है मेडिकल का दरवाजा
12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायॉलजी (पीसीबी) या फिजिक्स, केमिस्ट्री, बॉयलजी और मैथ्स (पीसीबीएम) की पढ़ाई करने के बाद आपके पास कई सारे विकल्प होते हैं। सिर्फ मेडिकल ही नहीं, अन्य भी कई ऐसे कोर्सेज हैं, जिनमें बेहतरीन करियर बनाया जा सकता है। बावजूद इसके आज भी मेडिकल का एक अलग क्रेज है। शायद यही वजह जीव विज्ञान की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स पहले मेडिकल ऐंट्रेस को ही क्रैक करने की सोचते हैं। बता रहे हैं मनीष झा-
एमबीबीएस
बैचलर ऑफ मेडिसिन ऐंड बैचलर ऑफ सर्जरी (एमबीबीएस) कोर्स बायॉलजीपहली पसंद है। ऐडमिशन ऑल इंडिया लेवल पर आयोजित होने वाली टेस्ट के आधार पर दिया जाता है। पहले यह स्टेट लेवल पर होता था। एम्स के एंट्रेस एग्जाम के अलावा सीबीएसई द्वारा आयोजित होने वाले ऐंट्रेस एग्जाम प्रमुख है। प्राइवेट कॉलेज भी अपने-अपने तरीके से ऐडमिशन देते हैं।
बीडीएस
12वीं में बायॉलजी की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स बीडीएस यानी बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (चार साल) का कर सकते हंै। कोर्स के साथ एक साल का इंटर्नशिप भी जुड़ा हुआ है। बीडीएस करने के बाद आप एक डेंटिस्ट के रूप में कोई अस्पताल जॉइन कर सकते हैं या फिर प्रैक्टिस शुरू कर सकते हैं।
बीएएमएस
फिजिक्स और केमिस्ट्री के साथ बायॉलजी की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स बीएएमएस यानी बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन ऐंड सर्जरी कर सकते हैं। यह कोर्स साढ़े पांच साल का होता है, जिसमें 1 साल का इंटर्नशिप होता है।
वेटरनेरी साइंस
देश में जानवरों के इलाज के लिए अच्छे डॉक्टरों की कमी है। आप बायॉलजी से 12वीं पास करने के बाद यह कोर्स कर सकते हैं। डिग्री लेने के बाद सरकारी नौकरी ही नहीं, प्राइवेट प्रैक्टिस भी कर सकते हैं।
हेल्थकेयर / पैरामेडिकल
बायॉलजिकल साइंस के फील्ड में तकनीक के इस्तेमाल से जुड़े यह कोर्स आपके लिए फार्मा, रिसर्च, फूड प्रॉडक्ट्स, ऐग्रिकल्चर और केमिकल इंडस्ट्री में प्रवेश के लिए प्लैटफॉर्म तैयार करता है। सीधे मेडिकल में न जा सकने वालों के लिए यह भी एक ऑप्शन है। फिजियोथेरपिस्ट, ऑडियोलॉजिस्ट, सोनोग्राफर, रेडियोलॉजिस्ट, एमआरई और एमएलटी जैसे जॉब्स कर सकते हैं।
माइक्रोबायॉलजी
माइक्रोऑर्गेनिज्म की पढ़ाई और उसके ऐप्लीकेशन से संबंधित इस कोर्स में नंबर और टेस्ट दो प्रोसेस के आधार पर ऐडमिशन मिलता है। सरकारी नौकरियों के अलावा फार्मा, रिसर्च, फूड प्रॉडक्ट्स, एग्रीकल्चर सेक्टर्स में जॉब्स हैं। फॉर्मा और फूड ऐंड बेवरेज इंडस्ट्री में माइक्रोबायॉलॉजिस्ट की भारी मांग है।
क्रिमिनॉलजी
क्राइम के नेचर और कारण से जुड़े इस सब्जेक्ट को करने के बाद आप सरकारी और फॉरेंसिक लैब्स में काम करने के अलावा आप टीचिंग का भी काम कर सकते हैं।
जेनेटिक्स
रिसर्चर या जेनेटिक काउंसिलर के तौर पर काम कर सकते हैं। इस कोर्स में जीनों की बनावट और उनके काम करने के तरीके पढ़ाए जाते हैैं।
बीएससी नर्सिंग
महिलाओं के लिए यह कोर्स बेहतरीन माना जाता है। बीएससी करने के बाद सरकारी और प्राइवेट, दोनों सेक्टरों में अच्छी नौकरी है। टेस्ट के आधार पर दिया जाता है। ऐडमिशन टेस्ट के आधार पर मिलता है।
फॉरेंसिक साइंस
क्राइम से जुड़ी चीजों का विश्लेषण करने में दिलचस्पी रखने वाले स्टूडेंट्स के लिए फॉरेंसिक साइंस का कोर्स बेस्ट ऑप्शन है। आप इसे करने के बाद फॉरेंसिक साइंटिस्ट बन सकते हैं।
ऐग्रिकल्चर साइंस
खेती की बारीकियों से लेकर मार्केटिंग तक को हैंडल करना सिखाया जाता है। यह कोर्स कई सरकारी कॉलेजों में उपलब्ध है। 12वीं में कम से कम 50-60 पर्सेंट अंक होना चाहिए। ऐडमिशन टेस्ट के आधार पर होता है।
ऐग्रिकल्चरल इंजिनियरिंग
यह सब्जेक्ट ऐग्रिकल्चर के तकनीकी पक्ष की समझ पैदा करता है। इसके तहत ऐग्रिकल्चरल मशीनरी और सिंचाई से लेकर डेयरी इंजिनियरिंग तक शामिल है। रोजगार की संभावनाएं काफी है।
बायोइंफॉर्मेटिक्स
इसमें बायो केमिस्ट्री, माल्युकुलर बायॉलजी और इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी शामिल है। बायॉलजी से जुड़ी समस्याओं को कंप्यूटर का इस्तेमाल करके दूर किया जाता है। यह कोर्स काफी डिमांड में है।
बायोकेमिस्ट्री
जीव-जंतुओं के भीतर होने वाली रासायनिक प्रक्रियाओं के अध्ययन से जड़ा यह विषय है। केमिस्ट्री में जहां मूल रूप से शरीर के बाहर होने वाले प्रतिक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, वहीं बायोकेमिस्ट्री में अंदरूनी प्रतिक्रियाओं पर फोकस होता है। फॉर्मा व फूड इंडस्ट्री में करियर बना सकते हैं।
फॉर्मा कोर्सेज
देश में फॉर्मा इंडस्ट्री के तेजी से हुए विकास के बाद इस कोर्स की डिमांड बढ़ गई है। मार्केटिंग वाले को शुरुआत में भी अच्छे पैसे मिलते हैं।
Top Medical Colleges in Mumbai
Seth GS Medical College and KEM Hospital
Topiwala National Medical College
Grant Medical College
Padmashree Dr DY Patil Dental College and Hospital
RA Podar Ayurved Medical College
Terna Medical College
Rajiv Gandhi Medical College
Nair Hospital Dental College
Mahatma Gandhi Medical College
KJ Somaiya Medical College

1.King Edward Memorial (KEM) Hospital
Parel
Phone- 91-22-2410 7000
2.Topiwala National Medical College
Phone- 022 2308 1490
3. Grant Medical College
Sir J J Hospital, Byculla
Phone:: 022 2373 5555
4. Dr DY Patil Dental College and Hospital
CBD Belapur
Phone - 22 39486000
5. RA Podar Ayurved Medical College
Worli
Phone::: 022 2493 3533
6. Terna Medical College
Nerul, Navi Mumbai
Phone:-022 2772 0563
7. Rajiv Gandhi Medical College
Kalwa
Phone::(022) 5348790
8 Nair Hospital Dental College
Mumbai Central
Phone-:096 54 999202
9. Mahatma Gandhi Medical College
Phone: 022-27423404, 27421723, 5618116
10. v®. KJ Somaiya Medical College
Sion (East)
Phone: (022) 24020932, (022) 24020933

Monday, August 29, 2016

वैश्विक ऊर्जा प्रबंधन में एमएससी

क्यों इस कोर्स?

वैश्विक ऊर्जा प्रबंधन में एमएससी (मणि) ऊर्जा के क्षेत्र में भविष्य के नेताओं का उत्पादन लक्ष्य एक गहन पाठ्यक्रम है। वैश्विक ऊर्जा प्रणाली सहित तेजी से परिवर्तन की एक प्रक्रिया के दौर से गुजर रहा है:
  • तना मांग
  • आपूर्ति पर बाधाओं
  • ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि
  • नियामक दबाव कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए
  • ऊर्जा का उपयोग और आपूर्ति की जनसांख्यिकी और पैटर्न बदल रहा है
इंडस्ट्रीज, अर्थव्यवस्था और समाज के लिए भविष्य में और अधिक उग्र हो सकता है कि जटिल चुनौतियों और अनिश्चितताओं का सामना। सरकार और उद्योग दोनों को समझते हैं और इस बदलते संदर्भ के लिए अनुकूल करने में सक्षम होने की जरूरत है।
इस पाठ्यक्रम के माध्यम से वैश्विक ऊर्जा प्रणालियों की एक कठोर विश्लेषणात्मक प्रशिक्षण और गहराई में वास्तविक दुनिया ज्ञान हासिल करेंगे। वहाँ भी हाथ-पर ऊर्जा से संबंधित मुद्दों के प्रबंधन में प्रशिक्षण। अपने प्रशिक्षण आप ऊर्जा रोजगार के बाजार में एक बेजोड़ धार देने में मदद मिलेगी।
इस परास्नातक डिग्री अर्थशास्त्र विभाग द्वारा दिया जाता है।

आप अध्ययन करेंगे

कोर वर्ग आज ऊर्जा प्रबंधकों का सामना करना पड़ मुद्दों पर नवीनतम शैक्षिक अनुसंधान आसपास डिजाइन किए हैं। तुम भी वैकल्पिक पाठ्यक्रम की एक किस्म के माध्यम से अपने खुद के हितों को आगे बढ़ाने का अवसर होगा।
हम ग्लोबल एनर्जी फोरम बुलाया इंटरैक्टिव सेमिनारों की एक श्रृंखला चला रहे हैं। व्यापार में अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा अग्रणी विशेषज्ञों, सरकार और अन्य संगठनों व्यावहारिक अंतर्दृष्टि और अंदर ज्ञान प्रदान करते हैं।
वहाँ क्षेत्र यात्राएं, सम्मेलनों भी कर रहे हैं और आप गर्मियों में एक परियोजना को पूरा करेंगे।
कोर वर्ग
  • वैश्विक ऊर्जा के मुद्दों, उद्योग और बाजार
  • वैश्विक ऊर्जा प्रौद्योगिकी, प्रभावों और कार्यान्वयन
  • वैश्विक ऊर्जा नीति, राजनीति, व्यापार संरचनाओं और वित्त
  • ग्लोबल एनर्जी फोरम
  • ऊर्जा अर्थशास्त्र
  • सूक्ष्म अर्थशास्त्र या समष्टि
वैकल्पिक वर्ग
आप में देने की पेशकश स्नातकोत्तर कक्षाओं से चयन करने में सक्षम हो जाएगा:
  • स्ट्रेथक्लाइड बिजनेस स्कूल
  • इंजीनियरिंग के संकाय
  • मानविकी और सामाजिक विज्ञान के संकाय

सुविधाएं

स्ट्रेथक्लाइड बिजनेस स्कूल ग्लासगो शहर के केंद्र के दिल में एक आधुनिक इमारत में स्थित है। यह कॉर्पोरेट ग्राहकों और छात्रों दोनों की मांगों को पूरा करने के लिए तैयार है। हमारे स्कूल अप-टू-डेट कंप्यूटिंग और प्रौद्योगिकी सुविधाओं, अध्ययन के क्षेत्रों और अपने स्वयं के कैफे से लैस है।

मान्यता

वैश्विक ऊर्जा प्रबंधन में एमएससी ऊर्जा संस्थान, ऊर्जा उद्योग के लिए पेशेवर शरीर द्वारा मान्यता प्राप्त है। यह चार्टर्ड ऊर्जा प्रबंधक के पेशेवर की स्थिति के लिए शैक्षणिक मान्यता पकड़ पहली परास्नातक पाठ्यक्रम है।
स्ट्रेथक्लाइड बिजनेस स्कूल के एक ट्रिपल मान्यता प्राप्त बिजनेस स्कूल है। यह अंतरराष्ट्रीय निकायों, अंबा, AACSB और विद्यालयों से पूर्ण मान्यता के साथ, इस प्रतिष्ठित स्थिति धारण करने के लिए दुनिया भर में केवल एक छोटा सा प्रतिशत में से एक है।

ऊर्जा मास्टर आदान-प्रदान कार्यक्रम (EMEP)

स्ट्रेथक्लाइड बिजनेस स्कूल और Dauphine विश्वविद्यालय, पेरिस, ऊर्जा मास्टर आदान-प्रदान कार्यक्रम (EMEP) कार्यशाला के गठन से एक साथ ऊर्जा बाजार पेशेवरों अग्रणी भविष्य में लाने के लिए बलों में शामिल हो गए हैं।

पाठ्यक्रम सामग्री

अनिवार्य कक्षाएं
  • वैश्विक ऊर्जा के मुद्दों, उद्योग और बाजार
  • वैश्विक ऊर्जा प्रौद्योगिकी, प्रभावों और कार्यान्वयन
  • वैश्विक ऊर्जा नीति, राजनीति, व्यापार संरचनाओं और वित्त
  • ग्लोबल एनर्जी फोरम
  • ऊर्जा अर्थशास्त्र
कोर वैकल्पिक वर्ग
  • सूक्ष्मअर्थशास्त्र
या
  • मैक्रोइकॉनॉमिक्स
वैकल्पिक वर्ग
  • वैकल्पिक वर्ग

अध्ययन और अध्यापन

आप अपनी ऊर्जा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त अनुसंधान और पर्यावरण से संबंधित क्षेत्रों से प्रतिष्ठित उच्च प्रतिबद्ध और उत्साही कर्मचारियों द्वारा सिखाया जाएगा।
पाठ्यक्रम संगठनों की एक सीमा से अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा विशेषज्ञों के साथ नेटवर्क के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करता है।

प्रवेश आवश्यकताऎं

एक ऊपरी द्वितीय श्रेणी ऑनर्स की डिग्री है, या विदेशी समकक्ष। आवेदन भी कर रहे हैं महत्वपूर्ण उच्च क्षमता उद्योग या सरकार के अनुभव के साथ उम्मीदवारों से स्वागत करते हैं।
जिनकी पहली भाषा अंग्रेजी, स्ट्रेथक्लाइड में अध्ययन के लिए अंग्रेजी भाषा आवश्यकताओं के बारे में अधिक जानकारी यहां पाया जा सकता है नहीं है छात्रों के लिए।
हम आपको उपलब्ध होने के कारण रिक्त स्थान की संख्या सीमित करने के लिए जल्दी अपने हित रजिस्टर करने के लिए सलाह।
पूर्व मास्टर्स प्रिपरेशन कोर्स
पूर्व मास्टर्स कार्यक्रम स्ट्रेथक्लाइड विश्वविद्यालय में एक मास्टर्स डिग्री के लिए प्रवेश आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय छात्रों (गैर यूरोपीय संघ / ब्रिटेन) के लिए एक पाठ्यक्रम तैयार करना है। प्री-परास्नातक कार्यक्रम डिग्री विकल्पों में से एक नंबर के लिए प्रगति प्रदान करता है।

शुल्क एवं अनुदान

पाठ्यक्रम कितना खर्च होगा?
उद्धृत सभी शुल्क जब तक अन्यथा कहा पूर्णकालिक पाठ्यक्रम के लिए और शैक्षणिक प्रति वर्ष कर रहे हैं।
  • स्कॉटलैंड / यूरोपीय संघ
2015/16 - £ 13,000
  • ब्रिटेन के बाकी
2015/16 - £ 13,000
  • अंतरराष्ट्रीय
2015/16 - £ 17,000

करियर

ऊर्जा वैश्विक अर्थव्यवस्था में आज की सबसे बड़ी और सबसे महत्वपूर्ण उद्योग है। यह 135,000 लोगों को सीधे और सहायक भूमिकाओं में 500,000 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं।
नियोक्ता ऊर्जा उद्योग और संबंधित क्षेत्रों में काम करने के लिए कुशल स्नातकों की मांग कर रहे हैं। वैश्विक ऊर्जा प्रबंधन में स्नातक के रूप में, आप अच्छी तरह से 21 वीं सदी में वैश्विक ऊर्जा प्रणाली का सामना करना पड़ जटिल चुनौतियों का प्रबंधन करने के लिए रखा जाएगा।
हम उद्योग सगाई के लिए अवसरों को अधिकतम करने के लिए इस पाठ्यक्रम तैयार किया है। आप इस तरह के स्कॉटिश तेल क्लब के रूप में उद्योग की घटनाओं में भाग ले जाऊँगा।
पाठ्यक्रम पर है, जबकि आप ऊर्जा संस्थान के प्रशिक्षण सहयोगी बनने देंगे। आप ऊर्जा संस्थान सदस्यता को मुक्त करने के हकदार हैं। सदस्यता:
  • ऊर्जा से संबंधित जानकारी का खजाना के लिए उपयोग
  • महत्वपूर्ण छूट सम्मेलनों और सेमिनारों में भाग लेने के लिए
  • ऊर्जा क्षेत्र में पेशेवरों से मिलने के लिए कई अवसर

मैं कितना कमा होगा?

एक ऊर्जा प्रबंधक के लिए ठेठ शुरू वेतन की सीमा के काम सेक्टर और भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर £ 22,000 £ 33,000 है। शुरू वेतन स्नातकोत्तर योग्यता और अनुभव के साथ उन लोगों के लिए अधिक हो सकती है। जानकारी केवल एक गाइड के रूप में करना है। संभावनाएँ से लिया आंकड़े

Sunday, August 21, 2016

अतीत की खोज में भविष्य

हजारों साल पहले मानव जीवन कैसा रहा होगा? किन-किन तरीकों से जीवन से जुड़े अवशेषों को बचाया जा सकता है? एक सभ्यता, दूसरी सभ्यता से कैसे अलग है? क्या हैं इनकी वजहें? ऐसे अनगिनत सवालों से सीधा सरोकार होता है आर्कियोलॉजिस्ट्स का।

अगर आप भी देश की धरोहर और इतिहास में रुचि रखते हैं तो आर्कियोलॉजिस्ट के रूप में एक अच्छे करियर की शुरुआत कर सकते हैं। इसमें आपको नित नई चीजें जानने को तो मिलेंगी ही, सैलरी भी अच्छी खासी है। आर्कियोलॉजी के अंतर्गत पुरातात्विक महत्व वाली जगहों का अध्ययन एवं प्रबंधन किया जाता है।

हेरिटेज मैनेजमेंट के तहत पुरातात्विक स्थलों की खुदाई का कार्य संचालित किया जाता है और इस दौरान मिलने वाली वस्तुओं को संरक्षित कर उनकी उपयोगिता का निर्धारण किया जाता है। इसकी सहायता से घटनाओं का समय, महत्व आदि के बारे में जरूरी निष्कर्ष निकाले जाते हैं।



जरूरी योग्यता


एक बेहतरीन आर्कियोलॉजिस्ट अथवा म्यूजियम प्रोफेशनल बनने के लिए प्लीस्टोसीन पीरियड अथवा क्लासिकल लैंग्वेज, मसलन पाली, अपभ्रंश, संस्कृत, अरेबियन भाषाओं में से किसी की जानकारी आपको कामयाबी की राह पर आगे ले जा सकती है।

पर्सनल स्किल

आर्कियोलॉजी ने केवल दिलचस्प विषय है बल्कि इसमें कार्य करने वाले प्रोफेशनल्स के लिए यह चुनौतियों से भरा क्षेत्र भी है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए अच्छी विशेलषणात्मक क्षमता, तार्किक सोच, कार्य के प्रति समर्पण जैसे महत्वपूर्ण गुण जरूर होेने चाहिए। कला की समझ और उसकी पहचान भी आपको औरों से बेहतर बनाने में मदद करेगी। इसके अलावा आप में चीजों और उस देशकाल को जानने की ललक भी होनी चाहिए।

संभावनाएं व वेतन

आर्कियोलॉजिस्ट की मांग सरकारी और निजी हर क्षेत्र में है। इन दिनों कॉरपोरेट हाउसेज में भी नियुक्ति हो रही है। वे अपने रिकॉर्ड्स के रख-रखाव के लिए एक्सपर्ट की नियुक्ति करते हैं। इसी तरह रिचर्स के लिए भी इसकी मांग रहती है। आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया में आर्कियोलॉजिस्ट पदों के लिए संघ लोक सेवा आयोग हर वर्ष परीक्षा आयोजित करता है। राज्यों के आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट में भी असिस्टेंट आर्कियोलॉजिस्ट की मांग भी रहती है। वहीं नेट क्वालीफाई करके लेक्चररशिप भी कर सकते हैं। आर्कियोलॉजी के क्षेत्र में किसी भी पद पर न्यूनतम वेतन 25 हजार रुपए है। उसके बाद वेतन का निर्धारण पद और अनुभव के आधार पर होता है।

कोर्सेज

आर्कियोलॉजी से जुड़े रेगुलर कोर्स जैसे पोस्ट ग्रेजुएशन, एमफिल या पीएचडी देश के अलग-अलग संस्थानों में संचालित किए जा रहे हैं। हालांकि हेरिटेज मैनेजमेंट और आर्किटेक्चरल कंजरवेशन से जुड़े कोर्स केवल गिने-चुने संस्थानों में ही पढ़ाए जा रहे हैं। आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया की फंक्शनल बॉडी इंस्टीट्यूट ऑफ आर्कियोलॉजी में दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स की पढ़ाई होती है। अखिल भारतीय स्तर की प्रवेश परीक्षा के आधार पर इस कोर्स में दाखिला दिया जाता है। इसी तरह गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी नई दिल्ली से एफिलिएटेड इंस्टीट्यूट, दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ हेरिटेज रिसर्च एंड मैनेजमेंट, आर्कियोलॉजी और हेरिटेज मैनेजमेंट में दो वर्षीय मास्टर कोर्स का संचालन होता है।

Saturday, August 13, 2016

एनर्जी इंजीनियरिंग में कॅरियर

एनर्जी इंजीनियरिंग का कोर्स इन दिनों काफी पॉपुलर हो रहा है। यदि भविष्य की बात करें, तो इसकी मांग आगे भी बनी रहेगी। यदि आप इससे संबंधित कोर्स कर लेते हैं, तो करियर के लिहाज से बेहतर हो सकता है।
योग्यता व कोर्स
इस क्षेत्र में करियर की संभावनाएं तलाशने वाले छात्रों को बीई या बीटेक करने के लिए 12वीं में भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान व गणित होना आवश्यक है। अगर आप चाहें, तो बीटेक करने के बाद एमटेक भी कर सकते हैं। अधिकतर संस्थानों में एडमिशन प्रवेश परीक्षाओं द्वारा दिया जाता है। वैसे एनर्जी में दक्षता या स्पेशलाइजेशन अंडर ग्रेजुएट स्तर पर उतना लोकप्रिय नहीं है, जितना पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर। मास्टर्स कोर्स में ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों और ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोतों में सुधार पर अधिक जोर दिया जाता है।
संभावनाएं
जलवायु में बदलाव और ग्लोबल वार्मिंग के बारे में बढी जागरूकता के चलते नौकरियों के बाजार में ऊर्जा इंजीनियरिंग की बहुत मांग है। विभिन्न सरकारी संस्थानों, खासकर विभिन्न राज्यों की नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसियों में प्रशिक्षित कर्मचारियों की काफी मांग है। सरकार ने उद्योगों के लिए अब ऊर्जा ऑडिटिंग, ऊर्जा सरंक्षण और ऊर्जा प्रबंधन में स्पेशलाइजेशन करने वालों की नियुक्ति को भी अनिवार्य कर दिया है।
कार्य
एक एनर्जी इंजीनियर सिर्फ ऊर्जा के व्यावसायिक उपयोग को ही नहीं समझता, अपितु ऊर्जा खपत के पैटर्न का अनुमान भी लगाता है। करियर काउंसलर मीनाक्षी ठक्कर बताती हैं कि एक सफल एनर्जी इंजीनियर बनने के लिए तार्किक व विश्लेषणात्मक होना जरूरी है। इस क्षेत्र में बहुत अधिक लोगों से संपर्क करने की आवश्यकता नहीं पडती, इसलिए एक अंतर्मुखी व्यक्ति भी आसानी से एनर्जी इंजीनियर बन सकता है। साथ ही आपको कई बार बाहर भी जाना पड सकता है, इसलिए आपको घर से दूर रहने की भी आदत डालनी पडेगी। इसके अतिरिक्त आपको धैर्यशील व हमेशा अपडेट रहना चाहिए।

Friday, August 12, 2016

ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग में करियर

नई दिल्ली। अगर आप रेडियो या टेलीविजन ब्रॉडकास्टिंग इंजीनियरिंग में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो आप इसके लिए ज्यादा सोचिए मत। आपको बता दें कि ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की ही ब्रांच है। इसे रेडियो, टेलीविजन ब्रॉडकास्टिंग में सिग्नल स्ट्रेंथ, साउंड व कलर्स रेंज के लिए डिवाइस की देखरेख के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसमें इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग, कम्प्यूटर इंजीनियरिंग, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एंड ऑडियो इंजीनियरिंग भी शामिल हैं। वहीं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के दो प्रमुख एरिया, ऑडियो इंजीनियरिंग और रेडियो फ्रीक्वेंसी इंजीनियरिंग भी ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग से संबंधित हैं।
योग्यता
ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग अंडरग्रेजुएट इंजीनियरिंग कोर्स में मुख्य विषय के तौर पर नहीं पढ़ाया जाता है। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग, कम्प्यूटर इंजीनियरिंग, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एंड ऑडियो इंजीनियरिंग में चार वर्षीय बैचलर्स कोर्स कर चुके उम्मीदवार पीजी स्तर पर इसमें स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं। वहीं, सीधे ब्रॉडकास्टिंग फर्म्स के साथ काम शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा कुछ संस्थान इस विषय में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स भी करवाते हैं। इनमें दाखिला लेने के लिए मैथ्स और फिजिक्स जैसे विषयों सहित साइंस में बारहवीं उत्तीर्ण होना जरूरी है।
कहां से करें कोर्स
> ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग सोसाइटी, नई दिल्ली
> जी इंस्टीट्यूट ऑफ मीडिया आर्ट्स, मुंबई
www.zimainstitute .com
> इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट, मेरठ
अवसर
ब्रॉडकास्ट इंजीनियर आमतौर पर प्रोड्यूसर, स्टूडियो मैनेजर, प्रजेंटर और अन्य तकनीकी स्टाफ के साथ काम करते हैं। यहां ब्रॉडकास्ट, डिजाइन इंजीनियर, ब्रॉडकास्ट सिस्टम इंजीनियर, ब्रॉडकास्ट नेटवर्क इंजीनियर, ब्रॉडकास्ट मेंटेनेंस इंजीनियर, वीडियो ब्रॉडकास्ट इंजीनियर, टीवी स्टूडियो ब्रॉडकास्ट इंजीनियर, रिमोट ब्रॉडकास्ट इंजीनियर के रूप में काम किया जा सकता है।

Monday, August 8, 2016

एस्ट्रोनॉमी में बनाएं अपना कॅरियर

आसमान में लाखों जगमगाते एवं टिमटिमाते तारों को निहारना दिमाग को सुकून से भर देता है। इन्हें देखने पर मन में यही आता है कि अगली रात में पुन: आने का वायदा कर जगमगाते हुए ये सितारे आखिर कहां से आते हैं और कहां गायब हो जाते हैं?  हालांकि,  इसी तरह के कई अन्य सवालों जैसे उल्कावृष्टि, ग्रहों की गति एवं इन पर जीवन जैसे रहस्यों से ओत-प्रोत बातें सोचकर व्यक्ति खामोश रह जाता है। एस्ट्रोनॉमी (Astronomy) या खगोल विज्ञान वह करियर है, जो इन सभी रहस्यों, सवालों एवं गुत्थियों को सुलझाता है। अगर आप ब्रह्मांड (Universe) के रहस्यों से दो-चार होकर अंतरिक्ष को छूना चाहते हैं तो यह करियर आपके लिए बेहतर है। वैसे भी कल्पना चावला (Kalpana Chawla), राकेश शर्मा (Rakesh Sharma) तथा सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) जैसे प्रतिभावान एस्ट्रोनॉट (Astronaut) के कारण आज यह करियर युवाओं के बीच अत्यंत लोकप्रिय है।
एस्ट्रोनॉमी (Astronomy) क्या है
एस्ट्रोनॉमी (Astronomy) वह विज्ञान है, जो पृथ्वी के वातावरण से परे अंतरिक्ष (Space) से संबंधित है। यह ब्रह्मांड में उपस्थित खगोलीय पिंडों (Celestial Bodies) की गति, प्रकृति और संघटन का शास्त्र है। साथ ही इनके इतिहास और संभावित विकास हेतु प्रतिपादित नियमों का अध्ययन भी है। यह एस्ट्रोलॉजी (Astrology) या ज्योतिष विज्ञान जिसमें सूर्य, चंद्र और विभिन्न ग्रहों द्वारा व्यक्ति के चरित्र, व्यक्तित्व एवं भविष्य पर पडने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जाता है, से पूरी तरह से अलग शास्त्र है। अत्याधुनिक तकनीक एवं गैजेट्स के प्रयोग ने हालांकि एस्ट्रोनॉमी को एक विशिष्ट विधा बना दिया है, परंतु वास्तव में यह बहुत ही पुरानी विधा है। प्राचीन काल से ही मानव ग्रहों (Human Planet) एवं अंतरिक्ष पिंडों (Space Bodies) का अध्ययन करता रहा है, जिनमें आर्यभट्ट (Aryabhatta), भास्कराचार्य (Bhaskaracharya), गैलीलियो (Galileo) और आइजक न्यूटन (Isaac Newton) जैसे महान गणितज्ञों एवं खगोलशास्त्रियों (Astronomers) का महत्वपूर्ण योगदान है। एस्ट्रोनॉमी में अंतरिक्ष पिंडों के बारे में जानकारी संग्रह करने के बाद उपलब्ध आंकडों से तुलना कर निष्कर्ष निकाला जाता है तथा पुराने सिद्घांतों को संशोधित कर नए नियम प्रतिपादित किए जाते हैं।
शैक्षिक योग्यता  (Educational Qualification)
यदि आप भी अंतरिक्ष की रहस्यमय और रोमांचक दुनिया में कदम रखना चाहते हैं, तो एस्ट्रोनॉमी (Astronomy) का कोर्स कर सकते हैं। फिजिक्स या मैथमेटिक्स से स्नातक पास स्टूडेंट्स थ्योरेटिकल एस्ट्रोनॉमी (Theoretical Astronomy) के कोर्स में एंट्री ले सकते हैं। इंस्ट्रूमेंटेशन/ एक्सपेरिमेंटल एस्ट्रोनॉमी में प्रवेश के लिए बीई (बैचलर ऑफ इलेक्ट्रॉनिक/ इलेक्ट्रिकल/ इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन) की डिग्री जरूरी है। यदि आप पीएचडी कोर्स (फिजिक्स, थ्योरेटिकल व ऑब्जर्वेशनल एस्ट्रोनॉमी, एटमॉस्फेरिक ऐंड स्पेस साइंस आदि) में प्रवेश लेना चाहते हैं, तो ज्वाइंट एंट्रेंस स्क्रीनिंग टेस्ट-जेईएसटी (Joint Entrance Screening Test) से गुजरना होगा। इस एग्जाम में बैठने के लिए फिजिक्स में मास्टर डिग्री या फिर इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री जरूरी है। यूनिवर्सिटी ऑफ पुणे (University of Pune) में स्पेस साइंस में एमएससी कोर्स उपलब्ध है। बेंगलुरु यूनिवर्सिटी (Bangalore University) और कालीकट यूनिवर्सिटी (University of Calicut) से एस्ट्रोनॉमी में एमएससी कोर्स कर सकते हैं।
एस्ट्रोनॉमी के प्रकार (Type of Astronomy)
एस्ट्रोनॉमी में वैज्ञानिक तरीकों से तारे (Stars), ग्रह (Planets), धूमकेतु (Comets) आदि के बारे में अध्ययन किया जाता है। साथ ही पृथ्वी (Earth) के वायुमंडल के बाहर किस तरह की गतिविधियां हो रही हैं, यह भी जानने की कोशिश की जाती है। इसकी कई ब्रांचेज हैं..
एस्ट्रोकेमिस्ट्री (Astrochemistry): इसमें केमिकल कॉम्पोजिशन (Chemical Composition) के बारे में अध्ययन किया जाता है। साथ ही विशेषज्ञ स्पेस में पाए जाने वाले रासायनिक तत्व के बारे में गहन अध्ययन कर जानकारियां एकत्र करते हैं।
एस्ट्रोमैटेरोलॉजी (Astro Meteorology): एस्ट्रोनॉमी के इस हिस्से में खगोलीय चीजों की स्थिति और गति के बारे में जानकारी जुटाई जाती है। साथ ही, यह भी जानने की कोशिश की जाती है कि खगोलीय चीजों का पृथ्वी के वायुमंडल पर किस तरह का प्रभाव पडता है। यदि आप वायुमंडल पर पडने वाले खगोलीय प्रभाव को ठीक से समझ गये और इस विद्या का डीप अध्ययन कर लिया तो आपकी डिमांड का ग्राफ बढ जाएगा।
एस्ट्रोफिजिक्स  (Astrophysics): इसके अंतर्गत खगोलीय चीजों की फिजिकल प्रॉपर्टी के बारे में अध्ययन किया जाता है। खगोलीय फिजिकल प्रॉपर्टी को समझना इतना आसान नहीं होता, जितना लोग समझते हैं। इसे समझने में अध्ययन कर रहे स्टूडेंटस को सालों गुजर जाते हैं।
एस्ट्रोजिओलॉजी  (Astrogeology): इसके तहत ग्रहों की संरचना और कॉम्पोजिशन के बारे स्टडी की जाती है। इस क्षेत्र के विशेषज्ञ आप तभी बन सकेंगे जब ग्रहों की तह में जाकर गहन अध्ययन करेंगे। एकाग्रचित होकर की गयी सिस्टमेटिक पढाई ही ग्रहों के फार्मूलों के करीब ले जाएगी। इसे समझने के लिए सोलर सिस्टम, प्लेनेट, स्टार, सेटेलाइट आदि का डीप अध्ययन जरूरी है।
एस्ट्रोबायोलॉजी  (Astrobiology): पृथ्वी के वायुमंडल के बाहर भी जीवन है? इस बात की पडताल एस्ट्रोबायोलॉजी के अंतर्गत किया जाता है। एस्ट्रोबायोलॉजी के जानकार ही वायुमंडल के बाहर जीवन होने के रहस्य से पर्दा उठा सकते हैं, इसके पीछे छुपी होती है उनकी वर्षो की तपस्या।
 संभावनाएं (Opportunities)
एस्ट्रोनॉमी का कोर्स पूरा करने के बाद विकल्पों की कमी नहीं रहती है। यदि सरकारी संस्थाओं की बात करें, तो इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (Indian Space Research Organisation), नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स पुणे (National Centre for Radio Astrophysics), फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी अहमदाबाद (Physical Research Laboratory), विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (Vikram Sarabhai Space Center), स्पेस फिजिक्स लेबोरेटरीज, स्पेस ऐप्लिकेशंस सेंटर, इंडियन रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन बेंगलुरु, एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ऑफ इंडिया आदि में नौकरी की तलाश कर सकते हैं। यदि रिसर्च के क्षेत्र में कुछ वर्षो का अनुभव हासिल कर लें, तो अमेरिका की नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) जैसी संस्थाओं में नौकरी हासिल कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त समय-समय पर विभिन्न देशों में आयोजित सेमिनार एवं गोष्ठियों में हिस्सा लेने का भी अवसर प्राप्त होता है।
सैलरी (Salary)
शोध के दौरान जूनियर रिसर्चर (Junior Researcher) को 8 हजार एवं सीनियर रिसर्चर (Senior Researcher) को 9 हजार रूपये मिलते हैं। हॉस्टल में रहने-खाने, चिकित्सा तथा ट्रैवल की सुविधा संस्थान द्वारा दी जाती है। साथ ही विभिन्न राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय सेमिनार एवं कांफे्रंस में भाग लेने का भी मौका मिलता है। शोध पूरा करने के पश्चात् विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों में वैज्ञानिक एवं एस्ट्रोनामर या एस्ट्रोनाट के पद पर उच्च वेतनमान के साथ अन्य उत्कृष्ट सुविधाएं भी मिलती हैं।
कहां से करें कोर्स (Course)
रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट, सीवी रमन एवेन्यू, बेंगलुरू
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स,
फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी, अहमदाबाद
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुम्बई
रेडियो एस्ट्रोनॉमी सेंटर, तमिलनाडु
उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद
मदुरै कामराज विश्वविद्यालय, मदुरै, तमिलनाडु
पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला, पंजाब
महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, कोट्टयम, केरला

Saturday, August 6, 2016

जोअलॉजी: जीव-जंतुओं संग पाएं मंजिल

जीव-जंतु प्रेमियों को निश्चय ही उनके साथ समय बिताना अच्छा लगता है। आप अपने इसी प्रेम को अपने करियर में भी बदल सकते हैं। प्राणि विज्ञान या जोअलॉजी जीव विज्ञान की ही एक शाखा है, जिसमें जीव-जंतुओं का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है। इसमें प्रोटोजोआ, मछली, सरीसृप, पक्षियों के साथ-साथ स्तनपायी जीवों के बारे में अध्ययन किया जाता है। इसमें हम न सिर्फ जीव-जंतुओं की शारीरिक रचना और उनसे संबंधित बीमारियों के बारे में जानते हैं, बल्कि मौजूदा जीव-जंतुओं के व्यवहार, उनके आवास, उनकी विशेषताओं, पोषण के माध्यमों, जेनेटिक्स व जीवों की विभिन्न जातियों के विकास के साथ-साथ  विलुप्त हो चुके जीव-जंतुओं के बारे में भी जानकारी हासिल करते हैं।
अब आपके मन में सवाल उठ रहे होंगे कि प्राणि विज्ञान में किस-किस प्रकार के जीवों का अध्ययन किया जाता है। जवाब है, इस पाठय़क्रम के तहत आप लगभग सभी जीवों, जिनमें समुद्री जल जीवन, चिडियाघर के जीव-जंतु, वन्य जीवों, यहां तक कि घरेलू पशु-पक्षियों के जीव विज्ञान एवं जेनेटिक्स का अध्ययन करते हैं। आइए जानते हैं कि इस क्षेत्र में प्रवेश करने का पहला पड़ाव क्या है?
प्राणि विज्ञान के क्षेत्र में आने के लिए सबसे पहले आपको स्नातक स्तर पर जोअलॉजी की डिग्री लेनी होगी। आमतौर पर यह विषय देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में विज्ञान के विभिन्न विषयों की तरह ही तीन वर्षीय डिग्री पाठय़क्रम के तहत पढ़ाया जाता है।
योग्यता 
जोअलॉजी या प्राणि विज्ञान में स्नातक में प्रवेश के लिए जरूरी है कि छात्र 12वीं कक्षा विज्ञान विषयों, जीव विज्ञान, भौतिकी, रसायन विज्ञान के साथ-साथ गणित से उत्तीर्ण करें। स्नातकोत्तर में प्रवेश के लिए छात्रों का स्नातक स्तर पर 50 प्रतिशत के साथ जोअलॉजी विषय उत्तीर्ण करना जरूरी है।
पाठय़क्रम बी. एससी. जोअलॉजी (प्राणि विज्ञान)
बी. एससी. जोअलॉजी एंड इंडस्ट्रियल माइक्रोबायोलॉजी (डबल कोर)
बी. एससी. बायो-टेक्नोलॉजी, जोअलॉजी एंड केमिस्ट्री
बी. एससी. बॉटनी, जोअलॉजी एंड केमिस्ट्री
एम. एससी. मरीन जोअलॉजी
एम. एससी. जोअलॉजी विद स्पेशलाइजेशन इन मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी
एम. एससी. जोअलॉजी
एम. फिल. जोअलॉजी
पी. एचडी. जोअलॉजी
फीस 
स्नातक स्तर के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय में फीस लगभग 6,500-10,000 रुपये तक हो सकती है। स्नातकोत्तर और उससे आगे की शिक्षा के लिए फीस संबंधित जानकारी के लिए संबंधित विश्वविद्यालय या संस्थान से संपर्क करें।
ऋण एवं स्कॉलरशिप  स्नातक स्तर पर जहां तक ऋण की बात है तो अभी यहां ऋण के लिए कोई खास सुविधा नहीं है, जबकि विभिन्न कॉलेज व विश्वविद्यालय अपने छात्रों के लिए स्कॉलरशिप जरूर मुहैया कराते हैं। स्नातक से आगे की पढ़ाई के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग या यूजीसी के साथ-साथ विभिन्न अनुसंधानों में जुटे विभागों या संस्थानों की ओर से भी स्कॉलरशिप की सुविधा प्राप्त की जा सकती है।
यह पाठय़क्रम किसी अन्य प्रोफेशनल कोर्स की तरह नहीं है, जहां स्नातक की डिग्री के साथ ही आप काम के लिए तैयार हो जाते हैं। आमतौर पर माना जाता है कि कम से कम स्नातकोत्तर की डिग्री के साथ जोअलॉजी की किसी खास शाखा में विशेषज्ञता हासिल करने के बाद आप इस क्षेत्र में अपनी सेवाएं देंगे।
शिक्षा सलाहकार अशोक सिंह का कहना है, ‘अगर आप अनुसंधान और शोध के क्षेत्र में आना चाहते हैं तो जोअलॉजी में बी.एससी. के बाद आप एम.एससी. और फिर पीएच.डी. करें। लेकिन छात्रों के लिए 12वीं के स्तर पर ही यह निर्णय लेना जरूरी है कि वे अनुसंधान व शोध के क्षेत्र में आगे जाना चाहते हैं या शिक्षा में।’
प्राणि विज्ञान चूंकि जीव विज्ञान की ही एक शाखा है, जो जीव-जंतुओं की दुनिया से संबंधित है, इसलिए यहां पक्षियों के अध्ययन में विशेषज्ञता हासिल करने वाले को पक्षी वैज्ञानिक, मछलियों का अध्ययन करने वाले को मत्स्य वैज्ञानिक, जलथल चारी और सरीसृपों का अध्ययन करने वाले को सरीसृप वैज्ञानिक और स्तनपायी जानवरों का अध्ययन करने वालों को स्तनपायी वैज्ञानिक कहा जाता है। जोअलॉजिस्ट की जिम्मेदारी जानवरों, पक्षियों, कीड़े-मकौड़ों, मछलियों और कृमियों के विभिन्न लक्षणों और आकृतियों पर रिपोर्ट तैयार करना और विभिन्न जगहों पर उन्हें संभालना भी है। एक जोअलॉजिस्ट अपना काम जंगलों आदि के साथ-साथ प्रयोगशालाओं में भी करता है, जहां वे उच्च तकनीक की मदद से अपने जमा किए आंकड़ों को रिपोर्ट की शक्ल देता है और एक सूचना के डेटाबैंक को बनाता है। जोअलॉजिस्ट सिर्फ जीवित ही नहीं, बल्कि विलुप्त हो चुकी प्रजातियों पर भी काम करते हैं।
संभावनाएंजोअलॉजी में कम से कम स्नातकोत्तर की डिग्री लेने के बाद छात्रों के सामने विभिन्न विकल्प हैं। सबसे पहला विकल्प है कि वे बी.एड. करने के बाद आसानी से किसी भी स्कूल में अध्यापक पद के लिए योग्य हो जाते हैं। इस क्षेत्र में विविधता की वजह से छात्रों के सामने काफी संभावनाएं मौजूद हैं। वे किसी जोअलॉजिकल या बोटैनिकल पार्क, वन्य जीवन सेवाओं, संरक्षण से जुड़ी संस्थाओं, राष्ट्रीय उद्यानों, प्राकृतिक संरक्षण संस्थाओं, विश्वविद्यालयों, फॉरेंसिक विशेषज्ञों, प्रयोगशालाओं, मत्स्य पालन या जल जगत, अनुसंधान एवं शोध संस्थानों और फार्मा कंपनियों के साथ जुड़ सकते हैं। इसके अलावा कई टीवी चैनल्स मसलन नेशनल जीअग्रैफिक, एनिमल प्लैनेट और डिस्कवरी चैनल आदि को अक्सर शोध और डॉक्यूमेंटरी फिल्मों के लिए जोअलॉजिस्ट  की जरूरत रहती है।
वेतन  अगर आप शिक्षा जगत से जुड़ते हैं तो सरकारी और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से निर्धारित वेतन पर नौकरी करेंगे। आमतौर पर एक बी. एड. अध्यापक का वेतन 32 से 35 हजार रुपये प्रति माह होता है। अगर आप एक फ्रेशर के रूप में अनुसंधान और शोध क्षेत्र में प्रवेश करेंगे तो आप प्रति माह 10 से 15 हजार रुपये कमा सकते हैं।
नए क्षेत्रकरियर काउंसलर जितिन चावला की राय में आजकल जोअलॉजी के छात्रों में वाइल्ड लाइफ से संबंधित क्रिएटिव वर्क और चैनलों पर काम करने के प्रति काफी रुझान है, लेकिन यह आसान काम नहीं है। ऐसे काम की डिमांड अभी भी सीमित है। हालांकि इन दिनों निजी स्तर पर चलाए जा रहे फिश फार्म्स काफी देखने में आ रहे हैं। जोअलॉजी के छात्रों के लिए यह एक बढिया व नया करियर विकल्प हो सकता है, खासकर प्रॉन्स फार्मिंग शुरू करने का।
मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज के जोअलॉजी डिपार्टमेंट की हेड प्रोफेसर स्मिता कृष्णन का कहना है कि जोअलॉजी के छात्रों के लिए इको टूरिज्म, ह्यूमन जेनेटिक्स और वेटरनरी साइंसेज के क्षेत्र खुल रहे हैं। जोअलॉजी में डिग्री के बाद वेटरनरी साइंसेज या एनिमल साइंस से संबंधित कोर्सेज किए जा सकते हैं।
करियर एक्सपर्ट कुमकुम टंडन के अनुसार कम्युनिकेशन जोअलॉजिस्ट के तौर पर इलेक्ट्रॉनिक संवाद माध्यमों का उपयोग करते हुए आप जोअलॉजी की जानकारी के प्रसार-विस्तार के क्षेत्र में सक्रिय हो सकते हैं। ट्रैवल इंडस्ट्री में प्लानिंग और मैनेजमेंट लेवल पर अहम भूमिका निभा सकते हैं। समुद्री जीवों और पशुओं की विलुप्त होती प्रजातियों के संरक्षण की दिशा में अपना करियर बनाने की सोचें। यह वक्त की जरूरत है कि जोअलॉजिस्ट को जीअग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम और पशुओं की ट्रैकिंग से संबंधित तकनीकों को मिला कर काम करना आता हो।

साक्षात्कार
संभावनाओं की यहां कोई कमी नहीं
जोअलॉजी विषय की बारीकियों और देश-विदेश में इस क्षेत्र की संभावनाओं के बारे में बता रही हैं दिल्ली विश्वविद्यालय के मैत्रेयी कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रेनु गुप्ता
प्राणि विज्ञान के क्षेत्र में किस प्रकार के छात्र अपना भविष्य देख सकते हैं?जोअलॉजी में वही छात्र प्रवेश लें, जिन्हें जीव-जन्तुओं से प्यार हो, साथ ही साथ वे व्यवहारिक भी हों। पहले तो कॉलेजों में प्रैक्टिकल्स के दौरान चीर-फाड़ भी करनी पड़ती थी, जिसे अब एनिमल एथिक्स के चलते बंद किया जा चुका है, बावजूद इसके छात्र को खुद को इतना मजबूत रखना चाहिए कि वे खून या जीवों से जुड़ी अन्य चीजों को देख कर परेशान न हो जाएं। उन्हें जानवरों से डर नहीं लगना चाहिए।
स्नातक के बाद छात्र किस प्रकार आगे बढ़ सकते हैं?स्नातक तो जोअलॉजी की पहली सीढ़ी है। इससे आगे छात्र विभिन्न दिशाओं में आगे बढ़ सकते हैं। जो छात्र शिक्षा के क्षेत्र में आना चाहते हैं, वे स्नातक के बाद बी.एड. करके 8वीं कक्षा के छात्रों को विज्ञान विषय और स्नातकोत्तर के बाद बी.एड. व एम.एड. करके स्कूल में 10वीं व 12वीं तक के छात्रों को पढ़ा सकते हैं। इसके अलावा स्नातकोत्तर कर वे देश की अनुसंधान एवं शोध संस्थाओं में प्रोजेक्ट फेलो के रूप में शुरुआत कर सकते हैं। आज जोअलॉजी में विशेषज्ञता के लिए इतने विषय हैं कि वे जोअलॉजी विषयों के विशेषज्ञों के साथ-साथ माइक्रोबायोलॉजिस्ट, फूड टेक्नोलॉजिस्ट, एनवायर्नमेंटलिस्ट, इकोलॉजिस्ट आदि की भूमिका भी निभा सकते हैं। 
इस क्षेत्र में करियर के लिहाज से क्या संभावनाएं हैं?संभावनाओं की यहां कोई कमी नहीं है। आप स्नातक के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन और उसके आगे एम. फिल. व पीएच.डी. तक कर सकते हैं। अगर आप स्नातकोत्तर हैं तो वन्य जीवन जगत, अनुसंधान एवं शोध संस्थानों, शिक्षा क्षेत्र आदि में नाम कमा सकते हैं।
प्रमुख संस्थान
दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज, नई दिल्लीwww.dducollege.du.ac.in/
गार्डन सिटी कॉलेज, इंदिरा नगर, बेंगलुरूwww.gardencitycollege.edu/in/
अचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज, दिल्लीandcollege.du.ac.in
मैत्रेयी कॉलेज, दिल्लीwww.maitreyi.ac.in/
देशबंधु कॉलेज, दिल्लीwww.deshbandhucollege.ac.in
श्री वेंकटेश्वर कॉलेज, दिल्लीwww.svc.ac.in/academicpage1.html
सेंट एल्बर्ट्स कॉलेज, महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, कोच्चिwww.alberts.ac.in/ug-courses/
पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज ऑफ साइंस, ओसमानिया विश्वविद्यालय, हैदराबादwww.osmania.ac.in/oupgcs/
किरोड़ी मल कॉलेज, दिल्लीwww.kmcollege.ac.in/

Thursday, August 4, 2016

सिविल इंजीनियरिंग में करियर

आज देश प्रगति के पथ पर सरपट दौड़ रहा है। बड़े शहरों के अलावा छोटे शहरों में भी विकास की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। रियल एस्टेट के कारोबार में आई चमक ने कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों को रोशन किया है। इन्हीं में से एक प्रमुख क्षेत्र ‘सिविल इंजीनियिरग’ भी है। इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कदम रखने वाले अधिकांश छात्र सिविल इंजीनियरिंग की तरफ तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। वह रियल एस्टेट के अलावा भी कई सारे कंट्रक्शन कार्य जैसे पुल निर्माण, सड़कों की रूपरेखा, एयरपोर्ट, ड्रम, सीवेज सिस्टम आदि को अपने कौशल द्वारा आगे ले जाने का कार्य कर रहे हैं।
क्या है सिविल इंजीनियरिंग?जब भी कोई योजना बनती है तो उसके लिए पहले प्लानिंग, डिजाइनिंग व संरचनात्मक कार्यों से लेकर रिसर्च एवं सॉल्यूशन तैयार करने का कार्य किया जाता है। यह कार्य किसी सामान्य व्यक्ति से न कराकर प्रोफेशनल लोगों से ही कराया जाता है, जो सिविल इंजीनियरों की श्रेणी में आते हैं। यह पूरी पद्धति ‘सिविल इंजीनियरिंग’ कहलाती है। इसके अंतर्गत प्रशिक्षित लोगों को किसी प्रोजेक्ट, कंस्ट्रक्शन या मेंटेनेंस के ऊपर कार्य करना होता है। साथ ही इस कार्य के लिए उनकी जिम्मेदारी भी तय होती है। ये स्थानीय अथॉरिटी द्वारा निर्देशित किए जाते हैं। किसी भी प्रोजेक्ट एवं परियोजना की लागत, कार्य-सूची, क्लाइंट्स एवं कांट्रेक्टरों से संपर्क आदि कार्य भी सिविल इंजीनियरों के जिम्मे होता है।
काफी व्यापक है कार्यक्षेत्रसिविल इंजीनियरिंगका कार्यक्षेत्र काफी फैला हुआ है। इसमें जरूरत इस बात की होती है कि छात्र अपनी सुविधानुसार किस क्षेत्र का चयन करते हैं। इसके अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में हाइड्रॉलिक इंजी..., मेटेरियल इंजी..., स्ट्रक्चरल इंजी.....,  अर्थक्वेक इंजी., अर्बन इंजी..., एनवायर्नमेंटल इंजी..., ट्रांसपोर्टेशन इंजी... और जियो टेक्निकल इंजीनियरिंग आदि आते हैं। देश के साथ-साथ विदेशों में भी कार्य की संरचना बढ़ती जा रही है। प्रमुख कंपनियों के भारत आने से यहां भी संभावनाएं प्रबल हो गई हैं।
सिविल इंजीनियर बनने की योग्यतासिविल इंजीनियर बनने के लिए पहले छात्र को बीटेक या बीई करना होता है, जो 10+2 (भौतिकी, रसायन शास्त्र व गणित) या समकक्ष परीक्षा में उच्च रैंक प्राप्त करने के बाद ही संभव हो पाता है, जबकि एमएससी या एमटेक जैसे पीजी कोर्स के लिए बैचलर डिग्री होनी आवश्यक है। इन पीजी कोर्स में दाखिला प्रवेश परीक्षा के जरिए हो पाता है। इंट्रिग्रेटेड कोर्स करने के लिए 10+2 होना जरूरी है। बारहवीं के बाद पॉलिटेक्निक के जरिए सिविल इंजीनियरिंग का कोर्स भी कराया जाता है, जो कि डिप्लोमा श्रेणी में आते हैं।
प्रवेश प्रक्रिया का स्वरूपइसमें दो तरह से प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है। एक पॉलीटेक्निनक तथा दूसरा जेईई व सीईई। इसमें सफल होने के बाद ही कोर्स में दाखिला मिलता है। कुछ ऐसे भी संस्थान हैं, जो अपने यहां अलग से प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं। बैचलर डिग्री के लिए आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षा जेईई (ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम) के जरिए तथा पीजी कोर्स के लिए आयोजित होने वाली परीक्षा सीईई (कम्बाइंड एंट्रेंस एग्जाम) के आधार पर होती है।
ली जाने वाली फीससिविल इंजीनियरिंग के कोर्स के लिए वसूली जाने वाली फीस अधिक होती है। बात यदि प्राइवेट संस्थानों की हो तो वे छात्रों से लगभग डेढ़ से दो लाख रुपए प्रतिवर्ष फीस लेते हैं, जबकि आईआईटी स्तर के संस्थानों में एक से डेढ़ लाख प्रतिवर्ष की सीमा होती है। इसमें काफी कुछ संस्थान के इंफ्रास्ट्रक्चर पर निर्भर करता है, जबकि प्राइवेट संस्थानों का प्रशिक्षण शुल्क विभिन्न स्तरों में होता है।
आवश्यक अभिरुचिसिविल इंजीनियर की नौकरी काफी जिम्मेदारी भरी एवं सम्मानजनक होती है। बिना रचनात्मक कौशल के इसमें सफलता मिलनी या आगे कदम बढ़ाना मुश्किल है। नित्य नए प्रोजेक्ट एवं चुनौतियों के रूप में काम करना पड़ता है। एक सिविल इंजीनियर को शार्प, एनालिटिकल एवं प्रैक्टिकल माइंड होना चाहिए। इसके साथ-साथ संवाद कौशल का गुण आपको लंबे समय तक इसमें स्थापित किए रखता है, क्योंकि यह एक प्रकार का टीमवर्क है, जिसमें लोगों से मेलजोल भी रखना पड़ता है।
इसके अलावा आप में दबाव में बेहतर करने, समस्या का तत्काल हल निकालने व संगठनात्मक गुण होने चाहिए, जबकि तकनीकी ज्ञान, कम्प्यूटर के प्रमुख सॉफ्टवेयरों की जानकारी, बिल्डिंग एवं उसके सुरक्षा संबंधी अहम उपाय, ड्रॉइंग, लोकल अथॉरिटी व सरकारी संगठनों से बेहतर तालमेल, प्लानिंग का कौशल आदि पाठय़क्रम का एक अहम हिस्सा हैं।
रोजगार से संबंधित क्षेत्रएक सिविल इंजीनियर को सरकारी विभाग, प्राइवेट और निजी क्षेत्र की इंडस्ट्री, शोध एवं शैक्षिक संस्थान आदि में काम करने का अवसर प्राप्त होता है। अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा इसमें संभावनाएं काफी तेजी से बढ़ी हैं। इसका प्रमुख कारण रियल एस्टेट में आई क्रांति ही है। इसके चलते हर जगह बिल्डिंग, शॉपिंग, मॉल, रेस्तरां आदि का निर्माण किया जा रहा है। यह किसी भी यूनिट को रिपेयर, मेंटेनेंस से लेकर कंस्ट्रक्शन तक का कार्य करते हैं। बीटेक के बाद रोड प्रोजेक्ट, बिल्डिंग वक्र्स, कन्सल्टेंसी फर्म, क्वालिटी टेस्टिंग लेबोरेटरी या हाउसिंग सोसाइटी में अवसर मिलते हैं। केन्द्र अथवा प्रदेश सरकार द्वारा भी काम के अवसर प्रदान किए जाते हैं। इसमें मुख्य रूप से रेलवे, प्राइवेट कंस्ट्रक्शन कंपनी, मिल्रिटी, इंजीनियरिंग सर्विसेज, कंसल्टेंसी सर्विस भी रोजगार से भरे हुए हैं। अनुभव बढ़ने के बाद छात्र चाहें तो अपनी स्वयं की कंसल्टेंसी सर्विस खोल सकते हैं।
इस रूप में कर सकते हैं कामसिविल इंजीनियरिंग
कंस्ट्रक्शन प्लांट इंजीनियर
टेक्निशियन
प्लानिंग इंजीनियर
कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट इंजीनियर
असिस्टेंट इंजीनियर
एग्जीक्यूटिव इंजीनियर
सुपरवाइजर
प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर
साइट/प्रोजेक्ट इंजीनियर
सेलरीइसमें मिलने वाली सेलरी ज्यादातर केन्द्र अथवा राज्य सरकार के विभाग पर निर्भर करती है, जबकि प्राइवेट कंपनियों का हिसाब उससे अलग होता है। बैचलर डिग्री के बाद छात्र को 20-22 हजार रुपए प्रतिमाह तथा दो-तीन साल का अनुभव होने पर 35-40 हजार के करीब मिलने लगते हैं। मास्टर डिग्री करने वाले सिविल इंजीनियरों को 25-30 हजार प्रतिमाह तथा कुछ वर्षों के बाद 45-50 हजार तक हासिल होते हैं। इस फील्ड में जम जाने के बाद आसानी से 50 हजार रुपये तक कमाए जा सकते हैं। विदेशों में तो लाखों रुपए प्रतिमाह तक की कमाई हो जाती है।
एजुकेशन लोनइस कोर्स को करने के लिए कई राष्ट्रीयकृत बैंक देश में अधिकतम 10 लाख व विदेशों में अध्ययन के लिए 20 लाख तक लोन प्रदान करते हैं। इसमें तीन लाख रुपए तक कोई सिक्योरिटी नहीं ली जाती। इसके ऊपर लोन के हिसाब से सिक्योरिटी देनी
आवश्यक है।
प्रमुख संस्थान
इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
वेबसाइट-
 www.iitd.ernet.in
(मुंबई, गुवाहाटी, कानपुर, खडगपुर, चेन्नई, रुड़की में भी इसकी शाखाएं मौजूद हैं)
बिड़ला इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटीएस), रांची
वेबसाइट
www.bitmesra.ac.in
दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
वेबसाइट
www.dce.edu
इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ साइंस, बेंग्लुरू
वेबसाइट
www.iisc.ernet.in
नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट एंड रिसर्च, नई दिल्ली
वेबसाइट-
  www.nicmar.ac.in( गुड़गांव, बेंग्लुरू, पुणे, मुंबई, गोवा में भी शाखाएं मौजूद)
  
फायदे एवं नुकसान
बड़े शहरों में अन्य प्रोफेशनल्स की अपेक्षा न्यू कमर को अधिक सेलरी
कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में बूम आने से प्रोफेशनल्स की भारी मांग
समाज व देश की प्रगति में भागीदार बनने पर अतिरिक्त खुशी
कई बार निर्धारित समय से अधिक काम करने से थकान की स्थिति
चिह्न्ति क्षेत्रों में शिफ्ट के रूप में काम करने की आवश्यकता
जॉब के सिलसिले में अधिक यात्राएं परेशानी का कारण

Wednesday, August 3, 2016

ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग के साथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में मौका

अगर आप रेडियो या टेलीविजन ब्रॉडकास्टिंग इंजीनियरिंग में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो आप इसके लिए ज्यादा सोचिए मत। आपको बता दें कि ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की ही ब्रांच है। इसे रेडियो, टेलीविजन ब्रॉडकास्टिंग में सिग्नल स्ट्रेंथ, साउंड व कलर्स रेंज के लिए डिवाइस की देखरेख के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसमें इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग, कम्प्यूटर इंजीनियरिंग, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एंड ऑडियो इंजीनियरिंग भी शामिल हैं। वहीं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के दो प्रमुख एरिया, ऑडियो इंजीनियरिंग और रेडियो फ्रीक्वेंसी इंजीनियरिंग भी ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग से संबंधित हैं।
योग्यता
ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग अंडरग्रेजुएट इंजीनियरिंग कोर्स में मुख्य विषय के तौर पर नहीं पढ़ाया जाता है। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग, कम्प्यूटर इंजीनियरिंग, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एंड ऑडियो इंजीनियरिंग में चार वर्षीय बैचलर्स कोर्स कर चुके उम्मीदवार पीजी स्तर पर इसमें स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं। वहीं, सीधे ब्रॉडकास्टिंग फर्म्स के साथ काम शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा कुछ संस्थान इस विषय में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स भी करवाते हैं। इनमें दाखिला लेने के लिए मैथ्स और फिजिक्स जैसे विषयों सहित साइंस में बारहवीं उत्तीर्ण होना जरूरी है।
कहां से करें कोर्स
> ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग सोसाइटी, नई दिल्ली
> जी इंस्टीट्यूट ऑफ मीडिया आर्ट्स, मुंबई
www.zimainstitute .com
> इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट, मेरठ
अवसर
ब्रॉडकास्ट इंजीनियर आमतौर पर प्रोड्यूसर, स्टूडियो मैनेजर, प्रजेंटर और अन्य तकनीकी स्टाफ के साथ काम करते हैं। यहां ब्रॉडकास्ट, डिजाइन इंजीनियर, ब्रॉडकास्ट सिस्टम इंजीनियर, ब्रॉडकास्ट नेटवर्क इंजीनियर, ब्रॉडकास्ट मेंटेनेंस इंजीनियर, वीडियो ब्रॉडकास्ट इंजीनियर, टीवी स्टूडियो ब्रॉडकास्ट इंजीनियर, रिमोट ब्रॉडकास्ट इंजीनियर के रूप में काम किया जा सकता है।

Tuesday, August 2, 2016

औषधीय रसायन विज्ञान

औषधीय रसायन विज्ञान में मास्टर इस मास्टर में "उच्च स्तर के अनुसंधान के माध्यम से प्रशिक्षण के लिए एक मजबूत बिंदु है" मान्यता है कि जो राष्ट्रीय प्रत्यायन एजेंसी (A3ES) से छह साल के लिए, 2015 में मान्यता प्राप्त थी।
बेशक निदान और उपचार के लिए डिजाइन, संश्लेषण और नई दवाओं के विकास के लिए सक्षम है कि कौशल पैदा करना है। औषधीय रसायनज्ञ जीव विज्ञान के लिए सैद्धांतिक रसायन विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ बातचीत के दौरान, इन दोनों क्षेत्रों की टीमों में काम को विकसित करने के लिए सक्षम होना चाहिए।
कोर्स औषधीय रसायन विज्ञान बोलोग्ना घोषणा के दिशा निर्देशों का पालन करता है और चार सेमेस्टर में आयोजित किया जाता है। 1 वर्ष, जो प्रयोगशाला चरित्र के दो 10 पाठ्यक्रम इकाइयों (यूसी) अनिवार्य है। सैद्धांतिक UCs में कार्बनिक रसायन विज्ञान, संरचनात्मक लक्षण और संश्लेषण रणनीतियों में ज्ञान की गहराई में हैं। वे पेश कर रहे हैं और विस्तृत आणविक मॉडलिंग अवधारणाओं को इस क्षेत्र में छात्र सबसे आम उपकरण देने के लिए। औषधीय रसायन विज्ञान के सिद्धांतों शुरू की है और मामले के अध्ययन के लिए लागू कर रहे हैं। प्रयोगशाला UCs में अर्जित ज्ञान के एकीकरण के अनुसंधान प्रयोगशालाओं में, छोटी परियोजनाओं के प्रदर्शन के द्वारा किया जाता है। 2 वर्ष के दौरान, यह थीसिस प्रारूप में प्रस्तुत किया है, शिक्षा या उद्योग में, एक अनुसंधान परियोजना विकसित की है और मौखिक रूप से बचाव किया। 

करियर

औषधीय रसायन विज्ञान में मास्टर्स में, इन दोनों क्षेत्रों की राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय टीमों में एकीकृत उनके व्यावसायिक गतिविधियों का विकास होगा: - फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज - अनुसंधान प्रयोगशालाओं - वाणिज्यिक विभागों - प्रौद्योगिकी आधारित उद्योगों स्नातक (रासायनिक परिवर्तनों का उपयोग कर मूल्य वर्धित उत्पादों का निर्माण) यह भी (सी 3) डॉक्टरेट की पढ़ाई जारी रख सकते हैं