Tuesday, June 30, 2015

मौसम विज्ञान में हैं शानदार अवसर


मौसम जितने मोहक और मादक होते हैं, उनसे जुड़े करियर भी उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं। कल तक यह माना जाता था कि मौसम का संबंध केवल खेती-किसानी से ही है तो अब यह धारणा पुरानी हो चुकी है। सैटेलाइट के इस युग में सुनामी तूफान से बचाने की कवायद से लेकर एयरलाइंस की उड़ानों, जहाजों के परिवहन से लेकर खेल मैदानों की हलचल में मौसम विज्ञान महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

यही कारण है कि सरकारी विभागों से लेकर मौसम विज्ञान की भविष्यवाणी करने वाली प्रयोगशालाओं, अंतरिक्ष विभाग और टेलीविजन चैनल पर मौसम विज्ञान एक अच्छे करियर की दावत दे रहा है। यदि आपको हवा, बादल, समुद्र, बरसात, धुँध-कोहरे, आँधी-तूफान और बिजली में दिलचस्पी है तो मौसम विज्ञान का क्षेत्र न केवल आपकी इन क्षेत्रों की जिज्ञासाओं की पूर्ति करेगा, बल्कि एक शानदार करियर भी प्रदान करेगा, जो बदलते मौसम की तरह ही मोहक होगा।

बहुआयामी करियर 
मौसम विज्ञान के इतने अधिक आयाम हैं कि इस क्षेत्र में अध्ययन कर अपनी अभिरुचि के अनुसार परिचालन, अनुसंधान तथा अनुप्रयोग अर्थात ऑपरेशंस-रिसर्च या एप्लिकेशंस के क्षेत्र में बहुआयामी करियर बनाया जा सकता है। ऑपरेशंस के तहत मौसम उपग्रहों, राडार, रिमोट सेंसर तथा एयर प्रेशर, टेम्प्रेचर, एनवायरमेंट, ह्यूमिडिटी से संबंधित सूचनाएँ एकत्रित कर मौसम की भविष्यवाणी की जाती है।

यह भविष्यवाणी समुद्र में आने वाले तूफान तथा चक्रवाती हवाओं से मछुआरों तथा समुद्री राह में चलने वाले जहाजों को सुरक्षा प्रदान कर जान-माल के नुकसान से बचाने का कार्य करती है। इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए क्लाइमेटोलॉजी, हाइड्रोमेट्रोलॉजी, मेरिन मीट्रिओलॉजी तथा एविएशन मीट्रिओलॉजी में विशेषज्ञता हासिल करना होता है। शोध-कार्य के लिए मौसम विज्ञान में काफी अच्छी संभावनाएँ हैं।

मौसम के आधार पर ही उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा जाता है, फसलों का आकलन किया जाता है और अब तो खेल के मैदान में खिलाड़ी भी मौसम का हाल जानकर ही खेलने या न खेलने का निर्णय लेने लगे हैं। मौसम विज्ञान से जुड़े शोधार्थी मौसम के विशेष अवयवों हवा, नमी, तापमान संबंधी सूचनाओं और आँकड़ों का विश्लेषण करते हैं तथा यह तय करते हैं कि मौसम का मिजाज कैसा रहेगा।

मौसम विज्ञान का एप्लिकेशंस क्षेत्र वातावरण के संरचनात्मक अवयवों उनके प्रभावों अर्थात एप्लिकेशंस का अध्ययन कर एनवायरमेंट पर रिपोर्ट तैयार करते हैं जो न केवल सरकारी विभागों के लिए महत्वपूर्ण होती है, बल्कि टीवी चैनल पर मौसम की सूचना देने के काम भी आती है। इसके माध्यम से मछुआरों से लेकर आकाश में उड़ने वाले हवाई जहाजों को मौसम के बिगड़ते मिजाज से अवगत करा जोखिम से बचाया जा सकता है।

कैसे हैं अवसर मौसम विज्ञानियों के लिए?
औद्योगीकरण के इस युग में मौसम विज्ञान का महत्व कुछ ज्यादा ही ब़ढ़ गया है। इस क्षेत्र में बतौर इंडस्ट्रीयल मीट्रिओलॉजिस्ट अर्थात औद्योगिक मौसम विज्ञानी के रूप में आकर्षक करियर बनाया जा सकता है। ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण प्रदूषण के प्रति आज सारी दुनिया इतनी जागरूक हो गई है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं, जिनमें मौसम विज्ञानियों का सर्वाधिक महत्व है।

यही कारण है कि आज की परिस्थिति में मौसम विज्ञानियों के लिए सारी दुनिया में शानदार प्रतिष्ठापूर्ण करियर बनाने के अवसर उपलब्ध हैं। उद्योग के अतिरिक्त अंतरिक्ष, कृषि और पर्यावरण के क्षेत्र में भी इस क्षेत्र में अच्छे अवसर मौजूद हैं। स्पेशलाइजेशन के इस दौर में मौसम भविष्यवक्ता के रूप में एम्प्लायमेंट के बेहतरीन अवसर सामने दिखाई देते हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित मौसम विज्ञान कार्यालयों और प्रयोगशालाओं के अतिरिक्त सिविल एविएशन, शिपिंग, सेना में मौसम सलाहकार के पद उपलब्ध हैं।

कर्मचारी चयन आयोग द्वारा नागपुर, चेन्नाई, कोलकाता और नई दिल्ली स्थित मौसम विभागों में भर्ती के लिए प्रतियोगी परीक्षाएँ आयोजित की जाती हैं, जिसमें फिजिक्स विषय लेकर स्नातक उपाधि प्राप्त युवा आवेदन कर सकते हैं। इस परीक्षा में फिजिक्स, मैथ्स का एक पर्चा होता है तथा दूसरा प्रश्न-पत्र जनरल नॉलेज और इंग्लिश पर आधारित होता है। दोनों पेपर ऑब्जेक्टिव होते हैं। चुने गए प्रत्याशियों को मौसम विज्ञान विभाग द्वारा अपने खर्च से प्रशिक्षण देकर नियुक्ति प्रदान की जाती है।

क्या खासियत होनी चाहिए मौसम विज्ञानी में?
मौसम का मिजाज जानना एक विशेष कार्य है, जिसके लिए व्यक्ति में कुछ विशेष गुणों का होना फायदेमंद माना जाता है। आमतौर पर मौसम संबंधी आँकड़ों का संकलन और विश्लेषण का कार्य प्रयोगशालाओं में होता है। कई प्रयोगशालाएँ दूरस्थ बनी होती हैं जैसे अंटार्कटिका की प्रयोगशालाएँ। इसलिए इस क्षेत्र में करियर बनाने वालों को एकाकी स्थानों पर रहने का अभ्यस्त होना चाहिए।

इस कार्य के लिए ऑफिस की तरह 10 से 5 का समय भी निर्धारित नहीं है। कई बार घंटों खाली बैठे रहना होता है तो कई बार चौबीसों घंटे व्यस्त रहना पड़ता है, जिसके लिए पर्याप्त धैर्य की आवश्यकता होती है। आपातकालीन स्थिति में इस क्षेत्र पर भारी दबाव आता है। साथ ही इसमें टीम वर्क के रूप में काम करना भी अपेक्षित है। इसलिए ये सब काम किसी चुनौती से कम नहीं हैं। इसीलिए इस क्षेत्र का चयन ऐसे युवाओं को ही करना चाहिए, जो चुनौतीपूर्ण और साहसिक कार्य करने में दिलचस्पी रखते हों।

क्या हो योग्यता?
मौसम विज्ञान एक ऑपरेशंस-रिसर्च और एप्लिकेशंस का क्षेत्र है इसलिए इसमें प्रवेश के लिए कम से कम मौसम विज्ञान अथवा पर्यावरण विज्ञान विषय में स्नातकोत्तर उपाधि तो होनी ही चाहिए। इसके लिए स्नातक स्तर पर पीसीएम विषय होना आवश्यक है। हमारे यहाँ कई विश्वविद्यालयों में इस विषय की पढ़ाई होती है।

मौसम विज्ञान संचालित करने वाले प्रमुख संस्थान
- भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू
- आईआईटी खड़गपुर
- पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला
- आंध्रा यूनिवर्सिटी, विशाखापट्टनम
- मणिपुर यूनिवर्सिटी इम्फाल
- देवी अहिल्या विवि इंदौर-पर्यावरण विज्ञान
- अरतियार विश्वविद्यालय कोयम्बटूर
- कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी
- एमएस यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ौदा, बड़ौदा
- शिवाजी यूनिवर्सिटी विद्यानगर, कोल्हापुर

Monday, June 29, 2015

साइबर लॉ एक्सपर्ट इंटरनेट के डिटेक्टिव


आज शायद ही कोई स्टूडेंट या प्रोफेशनल हो, जिसका ई-मेल एकाउंट या सोशल वेबसाइटï्स पर कोई प्रोफाइल न हो। इंटरनेट पर समय बिताने या काम करने वाले लोगों की संख्या भी दिनों-दिन बढ़ रही है। अब तो मोबाइल और स्मार्टफोन यूजर्स भी इसमें शामिल हो गए हैं। हालांकि इसके साथ साइबर क्राइम का खतरा भी बढ़ रहा है। पर्सनल एकाउंट की हैकिंग से लेकर वायरस के प्रसार, स्टॉकिंग, साइबर वॉर, साइबर टेररिज्म, साइबर फ्रॉड जैसी घटनाएं आम होती जा रही हैं। साइबर रिलेटेड केसेज बढ़ रहे हैं। अगर आप आइटी के साथ-साथ लॉ में भी इंट्रेस्ट रखते हैं, तो साइबर लॉ फील्ड में लुक्रेटिव करियर बना सकते हैं।
क्या है साइबर लॉ?
डिजिटल इंफॉर्मेशन एवं कम्युनिकेशंस टेक्नोलॉजी ने एक नए कानूनी कार्यक्षेत्र को जन्म दिया है, जिसे साइबर लॉ कहते हैं। साइबर लॉ के तहत इंटरनेट और साइबर स्पेस से जुड़े मामले सुलझाए जाते हैं। इसके एक्सपर्ट छोटे-बड़े साइबर क्राइम की रोकथाम के अलावा उसकी जांच में सहायक भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, सॉफ्टवेयर
पेटेंट, नेट बैंकिंग से जुड़े कानूनी मामले भी यही देखते हैं।
एजुकेशनल क्वालिफिकेशन
साइबर लॉ एक्सपर्ट बनने के लिए आपके पास लॉ की डिग्री या मास्टर्स होना आवश्यक है। वैसे, कोई भी लॉयर, आइटी प्रोफेशनल, आइटी सिक्योरिटी पर्सनल, मैनेजमेंट प्रोफेशनल साइबर लॉ में पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री या डिप्लोमा करके साइबर लॉ एक्सपर्ट बन सकता है। देश में आज ऐसे कई कॉलेज या इंस्टीट्यूट्स हैं, जहां से आप साइबर लॉ में शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म कोर्स कर सकते हैं। आप चाहें तो ऑनलाइन कोर्स भी कर सकते हैं।
टेक्निकल स्किल्स
साइबर लॉ एक नया और तेजी से उभरता हुआ फील्ड है, इसलिए जो लोग इसमें करियर बनाने का इरादा रखते हैं, उन्हें हर संभव मेहनत के लिए तैयार रहना होगा। एक सफल साइबर लॉ एक्सपर्ट होने के लिए आइटी की गहरी जानकारी और दिलचस्पी होने के साथ-साथ साइबर स्पेस की बेहतर समझ होना जरूरी है। साथ ही, साइबर लॉ से जुड़े प्रॉब्लम्स की एनालिसिस और उन्हें सॉल्व करने की क्षमता हो। इसलिए आपको वर्चुअल वल्र्ड की तमाम तकनीकी जटिलताओं का अहसास होना जरूरी है। इसके अलावा, जिनके पास इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी, कॉमर्शियल और सिविल लॉ की स्पेशलाइजेशन होगी और जो समय-समय पर खुद को एडवांस टेक्नोलॉजी से अपडेट करते रहेंगे, उन्हें करियर ग्रोथ में मदद मिलेगी।
करियर स्कोप
इंडिया के अलावा पूरी दुनिया में साइबर लॉ एक्सपट्र्स के लिए काफी स्कोप है। आज कंपनीज अपने डाटा को डिजिटली स्टोर कर रही हैं। दूसरी ओर ई-बैंकिंग, ई-कॉमर्स, ई-टिकटिंग और ई-गवर्नेंस आदि की लोकप्रियता बढ़ रही है। ऐसे में साइबर अपराध और विवाद भी बढ़ रहे हैं, जिन्हें सुलझाने के लिए निजी आइटी, कंप्यूटर या इंटरनेट बेस्ड कंपनीज से लेकर सरकारी एजेंसीज साइबर लॉ एक्सपट्र्स को हायर कर रही हैं। एक साइबर लॉयर किसी लॉ फर्म, पुलिस डिपार्टमेंट, बैंक, टेक्नोलॉजी फर्म या कॉरपोरेट ऑर्गेनाइजेशन में साइबर कंसल्टेंट, रिसर्च असिस्टेंट या एडवाइजर के रूप में काम कर सकता है।
सैलरी पैकेज
साइबर लॉ एक्सपर्ट का सैलेरी पैकेज उसके एक्सपीरियंस और एक्सपर्टीज पर निर्भर करता है। फ्रेशर को शुरुआत में 10 से 25 हजार रुपये मिलते हैं, जबकि अनुभवी साइबर लॉ एक्सपर्ट महीने में 50 हजार रुपये आसानी से कमा सकता है। किसी रिप्यूटेड फर्म को ज्वाइन करते हैं, तो उससे सही करियर ग्रोथ मिलती है।
प्रमुख इंस्टीट्यूट्स
-एशियन स्कूल ऑफ साइबर लॉ, मुंबई
-इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट, दिल्ली
-एनएएलएसएआर, हैदराबाद
-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, इलाहाबाद,
-एमिटी लॉ स्कूल, दिल्ली
एक्सपर्टीज के साथ बढ़ाएं कदम
साइबर स्पेस को संचालित करने वाले कानून को साइबर लॉ कहते हैं। सभी इंटरनेट यूजर्स इस कानून के दायरे में आते हैं। इस तरह साइबर लॉ एक टेक्नो-लीगल फील्ड है, जिसमें टेक्नोलॉजी के साथ-साथ कानून की जानकारी होना बेहद जरूरी है। इस तरह पूरी एक्सपर्टीज के साथ आप साइबर लिटिगेशन में सुनहरा करियर बना सकते हैं। मार्केट में डिमांड को देखते हुए एक्सपट्र्स की कमी भी है, जिससे यह और ज्यादा लुक्रेटिव करियर च्वाइस बन सकता है।

Sunday, June 28, 2015

पेशेवर पायलट: रोमांच भी करियर भी


नई दिल्ली। पायलट ’ शब्द जोखिम, ग्लैमर, विशेष भत्तों और ऊंची उड़ान से जुड़ा है। वस्तुत: इस करियर में अत्याधिक आकर्षण है, जबकि अन्य सामान्य नौकरियों में इसका अभाव है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि सफलता की ऊंची उड़ान भरने के लिए इच्छुक पायलट को अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ता है, जिसमें बहुत कम लोग सफल हो पाते हैं।

यद्यपि यह करियर बहुत पुराना है, फिर भी इस क्षेत्र में नए-नए अवसर मिलते रहते हैं। आज तो भारत के आकाश में घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों की भरमार होती जा रही है। एयर इंडिया ने सबसे पहले सन 1948 में लंदन की उड़ान भरी थी और आज भारत का सिविल तथा वाणिज्यिक एयरवे क्षेत्र काफी विस्तृत हो चुका है।

पायलट के लिए आवश्यक गुणः-

अगले पांच वर्षों के भीतर वाणिज्यिक पायलट की आवश्यकता दोगुनी हो जाएगी। व्यावसायिक (पेशेवर) पायलट का कार्य काफी मानसिक दबाव वाला होता है, क्योंकि उसके कंधों पर सैकड़ों यात्रियों की जिम्मेदारी होती है। ऐसे पायलट को केवल उड़ान प्रक्रिया से ही भली-भांति परिचित नहीं होना चाहिए बल्कि उसे मौसम-विज्ञान, वायु-संचालन, अत्याधिक अधुनातन उपकरण व यांत्रिकी की जटिलताओं का भी ज्ञान होना चाहिए।

पढ़ें:  देश की रक्षा भी रोजगार का विकल्प

इसके अतिरिक्त सफल पायलट बनने के लिए आपके पास समुचित मानसिक योग्यता एवं शीघ्र प्रतिक्रिया करने की क्षमता भी होनी चाहिए। उच्च स्तरीय मानसिक योग्यता के बलबूते पर पायलट को तूफान, एयर ट्रैफिक नियंत्रण से संपर्क टूट जाने पर अचानक यांत्रिक रुकावट तथा विमान अपहरण जैसे खतरों से बचाव के लिए तुरंत निर्णय लेने पड़ते हैं। इसके बाद पायलट के प्रशासनिक अनुसूचियों से संबंधित कार्य आते हैं।

जिम्मेदारियां:- 

इन्हें उड़ान की समय सारणी, रिफ्यूलिंग अनुसूची, फ्लाइट पाठ्यक्रम आदि तैयार करने होते हैं। उड़ान से पहले पायलट और उनके समूह को मौसम-विज्ञान को पढ़ना, उपकरण की स्थिति, वायुदाब और वायुयान के भीतर का तापमान दो बार जांचना पड़ता है।

ये लोग विमान की यांत्रिक एरोनॉटिकल तथा इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग क्षेत्र में विशेषज्ञ होते हैं। पायलट को यह भी सुनिश्चित करना पड़ता है कि वायुयान का भार समुचित रूप से संतुलित तथा इष्टतम है। दूसरे शब्दों में, पायलट सुचारु उड़ान, यात्रा एवं विमान उतरने की प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार होता है।

इसके कार्यक्षेत्र में सहायक पायलट, कर्मीदल की संक्षिप्त जानकारी देना शामिल है। वह रिफ्यूलिंग और कार्गो/सामान रखने (लोडिंग) का पर्यवेक्षण करता है। पायलट को उड़ान के दौरान तनाव के दौर से गुजरना पड़ता है। विमान के उपकरण अति आधुनिक होते हैं और जरा सी त्रुटि जानलेवा साबित हो सकती है।

पायलट को यंत्रों एवं नियंत्रण बोर्ड पर प्रस्तुत डाटा का विश्लेषण करना पड़ता है। वह अति आधुनिक कम्प्यूटर की सहायता से यह कार्य करता है। उड़ान के सर्वाधिक जटिल पहलू- उड़ान भरना तथा जमीन पर उतरना है।

वेतनः-

पायलट को उड़ान के दौरान मौसम की स्थितियों या तकनीकी रुकावटों के आधार पर समायोजन करना होता है। वाणिज्यिक पायलट का प्रारंभिक वेतन काफी अच्छा होता है। यह राशि एयरलाइन और उड़ान घंटों पर निर्भर करती है। बाद में आय की कोई सीमा नहीं है।

उच्च वेतन के अलावा पायलट अनेक विशेष सुविधाओं का भी हकदार है, जैसे ड्यूटी के समय नि:शुल्क आवास सुविधा, उसके एवं परिवार के लिए बिना टिकट विश्व में कहीं भी घूमने की सुविधा आदि।

चूंकि पायलट का कार्य जटिलता से भरा होता है, अत: उसमें आत्मविश्वास, धर्य एवं शांत स्वभाव जैसे गुण होने चाहिए। अच्छा स्वास्थ्य, आरोग्यता, सामान्य नेत्र दृष्टि आदि महत्वपूर्ण अर्हताएं हैं। वाणिज्यिक उड़ान का लाइसेंस लेना इच्छुक/भावी पायलट की पूर्व अपेक्षा है।
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अतिरिक्त जानकारीः-

लाइसेंसः-

विद्यार्थी पायलट लाइसेंस किसी पंजीकृत उड़ान क्लब से लेना चाहिए। यह क्लब वाणिज्यिक विमानन के महानिदेशक कार्यालय से जुड़ा होता है। एसपीएल लेने के बाद आप निजी पाइलट का लाइसेंस लेते हैं, इसके बाद वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस (सीपीएल) मिलता है।

योग्यता व प्रशिक्षणः- 


सीपीएल वाणिज्यिक पायलट की अंतिम पात्रता है। एसपीएल प्राप्त करने के लिए प्रत्येक राज्य में फ्लाइंग क्लबों द्वारा आयोजित सैद्धांतिक परीक्षा देनी होती है। इस परीक्षा में वायु-नियंत्रण, विमानन-मौसम विज्ञान, वायु-संचालन आदि विषय शामिल हैं।

पढ़ें:  योग: स्वास्थ्य के साथ रोजगार भी 

प्रत्याशी की आयु सोलह वर्ष हो तथा उसने दसवीं कक्षा उत्तीर्ण कर ली हो। इन मूलभूत शर्तों के अलावा प्रत्याशी को चिकित्सा प्रमाण-पत्र देना होता है, साथ ही सुरक्षा संबंधी अनुमति एवं 10,000 की बैंक गारंटी देनी होती है। प्रत्याशियों को परीक्षा से एक मास पूर्व अपना नाम लिखाना पड़ता है। लिखित परीक्षा में चयन हो जाने पर उन्हें साक्षात्कार देना होता है। दोनों स्तरों पर परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद चिकित्सा परीक्षा ली जाती है।

वायुसेना की केंद्रीय चिकित्सा स्थापना बेंगलूरु के पास आरोग्यता प्रमाण-पत्र देने का अंतिम प्राधिकार है। चिकित्सा परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद व्यक्ति को एसपीएल मिलता है। एसपीएल मिलने के बाद शिक्षक द्वारा प्रारंभिक फ्लाइंग प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें पंद्रह घंटे की उड़ानें शामिल हैं। इसके बाद प्रत्याशी स्वतंत्र रूप से हवाई जहाज उड़ाता है। कुल साठ घंटे की अवधि तक उड़ान भरना जरूरी है, जिसमें से बीस घंटे अकेले उड़ान भरनी है तथा पांच घंटे क्षेत्र से पार उड़ान भरनी होती है।

पीपीएल की पात्रता सत्रह वर्ष की आयु तथा +2 परीक्षा है। पी.पी.एल. प्राप्त करने के बाद ही सी.पी.एल. मिल सकता है। अधिकांश फ्लाइंग क्लब एक सौ नब्बे घंटे का व्यावहारिक उड्डयन अनुभव प्रदान करते हैं, जिसमें यथा विनिर्दिष्ट अकेले फ्लाइंग से लेकर क्षेत्र पार मापन यंत्र (इंस्ट्रूमेंट) तथा रात के दौरान उड़ान भरना शामिल है। सीपीएल की परीक्षा के बाद प्रत्याशी को दो सौ पचास घंटे की फ्लाइंग पूरी करनी होती है, जिसमें पीपीएल के साठ घंटे शामिल हैं।

डीजीसीए के अनुसार अपेक्षित है कि सीपीएल आवेदक के पास लाइसेंस की बोली (बिड) की तारीख तक कम से कम छह मास में दस घंटों का फ्लाइंग अनुभव होना चाहिए। इन दस घंटों की फ्लाइंग में कम से कम पांच घंटे रात्रि की उड़ानें हों और दस उड़ानें भरने तथा जमीन पर जहाज उतारने का अनुभव हो।

भारत में दो प्रमुख एयरलाइंस हैं-इंडियन एयरलायंस, जो घरेलू सरकारी एयरलायंस है तथा दूसरी एयर इंडिया है। इसके अलावा निजी घरेलू एयरलाइंस हैं, जैसे -जैट एयरवेज और सहारा। इन एयरलाइंस के अलावा यूनाइटेड एयरलाइंस, लुफ्थांसा, केएलएमजेएएल जैसी अन्य विश्व की प्रमुख एयरलाइंस हैं। भारत में वाणिज्यिक पायलट की रोजगार संभावनाएं काफी व्यापक हैं।

संस्थानः-

भारत में निम्नलिखित फ्लाइंग संस्थान हैं: 
पूर्वी क्षेत्र


1. फ्लाइंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट बेहाला, कोलकाता - 700 060
2. जमशेदपुर को-ऑपरेटिव फ्लाइंग क्लब लि., सांसी हवाई अड्डा, जमशेदपुर
3. बिहार फ्लाइंग इंस्टीट्यूट, सिविल एयरोड्रॉम, पटना
4. गवर्मेंट एविएशन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, सिविल एयरोड्रॉम, भुवनेश्वर
5. असम फ्लाइंग क्लब, गुवाहाटी एयरपोर्ट, गुवाहाटी, असम

पश्चिमी क्षेत्र 

1. मुंबई फ्लाइंग क्लब, जुहू एयरोड्रॉम, सांताक्रूज (पश्चिम) मुंबई
2. राजस्थान स्टेट फ्लाइंग स्कूल, सांगनेर एयरपोर्ट, जयपुर
3. नागपुर फ्लाइंग क्लब, सोनगांव एयरोड्रॉम, नागपुर
4. फ्लाइंग क्लब, सिविल एयरोड्रॉम, हांसी रोड, वड़ोदरा
5. अजंता फ्लाइंग क्लब, औरंगाबाद

उत्तरी क्षेत्र

1. स्कूल ऑफ एविएशन, साइंस एंड टेक्नोलॉजी दिल्ली फ्लाइंग क्लब लिमिटेड, सफदरजंग एयरपोर्ट, नई दिल्ली
2. गवर्मेंट फ्लाइंग क्लब, एयरोड्रॉम, लखनऊ
3. स्टेट सिविल एविएशन, उ.प्र. गवर्मेंट फ्लाइंग ट्रेनिंग सेंटर, कानपुर और वाराणसी
4. पटियाला एविएशन क्लब, पटियाला पंजाब
5. एम.पी. फ्लाइंग क्लब, सिविल एय रोड्रॉम, भोपाल
6. करनाल एविएशन क्लब, कुंजपुर रोड, करनाल हरियाणा

दक्षिणी क्षेत्र

1. गवर्नमेंट फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूल, जाकुर एयरोड्रॉम, बेंगलूरु
2. आंध्र प्रदेश फ्लाइंग क्लब, हैदराबाद एयरपोर्ट
3. मद्रास फ्लाइंग क्लब लि. सिविल एयरपोर्ट, चेन्नई
4. कोयंबतूर फ्लाइंग क्लब लि., सिविल एयरोड्रॉम, कोयम्बतूर
5. करेल एविएशन ट्रेनिंग सेंटर, सिविल एयरोड्रॉम, फेहाह, तिरुवनंतपुरम

निजी फ्लाइंग स्कूल

1. उड़ान, इंदौर
2. अहमदाबाद एविशन अकादमी
3. ऑरिएंट फ्लाइट स्कूल, सेंट थॉमस माउंट, मद्रास
4. बेंगलूरु एयरोनॉटिक्स एंड टेक्निल सर्विस, बेंगलूरु

Saturday, June 27, 2015

Career in विज्ञापन


सन्देश को लोगों तक पहुंचने  की कला ही विज्ञापन है. साधारणतः विज्ञापन किसी उत्पाद, सेवा अथवा सामाजिक मुद्दे के बारे में लोगों को जागरूक करते हैं. विज्ञापन विभाग किसी भी उद्योग  के उन प्रमुख विभागों में से एक होता है जो आज के कॉर्पोरेट परिवेश में उद्योग को प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाता है. भारतीय विज्ञापन उद्योग आज प्रगति के उस पथ पर अग्रसर है जहाँ ये अगले कुछ वर्षों में हज़ारों युवाओं को रोज़गार प्रदान करेगा.
तेज़ी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था में विज्ञापन का क्षेत्र रोज़गार की नई  संभावनाओ को लेकर आया है. विज्ञापन एजेंसियों को ऐसे मौलिक एवं प्रतिभावान लोगों की सदैव खोज रहती है जो समूह में काम करने के साथ ही अपने स्वतंत्र विचारों को प्रस्तुत कर सके.

चरणबद्ध प्रक्रिया

विज्ञापन कम्पनियाँ अपने विभागों के विभिन्न स्तरों पर अलग-अलग शैक्षिक पृष्भूमि के लोगों को नियोजित करती हैं. शुरूआत करने के लिए आपके पास किसी विशेष क्षेत्र में पेशेवर डिग्री या डिप्लोमा होना चाहिए. इसके अलावा, भाषा पर मजबूत पकड़ और उच्च कोटि की संवाद क्षमता आपको इस क्षेत्र का महारथी बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

विज्ञापन कम्पनी के किसी विशेष विभाग में नियोजन के लिए के लिए आप निम्न में से कोई एक  पाठ्यक्रम चुन सकते हैं-
(अ) ग्राहक सेवा- मार्केटिंग में पीजी डिप्लोमा अथवा एमबीए
(ब) स्टूडियो- कमर्शियल या फाईन आर्ट में बीफ़ऐ अथवा एम्फ़ऐ
(स) मीडिया- पत्रकारिता, जनसंचार अथवा एमबीए
(द) वित्त- सीए, आईसीडब्ल्यूए अथवा एमबीए (वित्त)
(य) फिल्म- ऑडियो-विजुअल में विशेषज्ञता
(फ) प्रोडक्शन- प्री-प्रेस प्रोसेस और प्रिंटिंग में पाठ्यक्रम
पाठ्यक्रम पूर्ण होने के पश्चात विज्ञापन के क्षेत्र में उतरने के लिए सबसे उत्तम जरिया है- 'ऑन-जॉब ट्रेनिंग’ जिसे लगभग सभी अच्छे संस्थान पाठ्यक्रम के एक महत्त्वपूर्ण भाग के रूप में प्रदान करते हैं.

पदार्पण

विज्ञापन जगत में पदार्पण करने  के लिए प्रथम व सबसे आवश्यक है आपका रचनात्मक होना. ये रचनात्मकता किसी भी रूप में हो सकती है- चाहे वह भाषा के रूप में हो या संवाद क्षमता के रूप में, कला के रूप में या नवीन विचारों के रूप में.
विज्ञापन में परास्नातक करने के लिए न्यूनतम योग्यता है किसी भी विषय में 50 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक. अधिकांशतः इन सभी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा, साक्षात्कार अथवा दोनों को उत्तीर्ण करना आवश्यक है. कुछ संस्थान स्नातक स्तर पर भी विज्ञापन में प्रशिक्षण देते हैं, जिसके लिए अभ्यार्थी का कक्षा 12 उत्तीर्ण करना आवश्यक है.

क्या यह मेरे लिए सही करियर है?

यदि आप उत्साही, स्वतः कार्य करने वाले, रचनात्मक, आशावादी तथा कई कार्यों को एक साथ करने की क्षमता वाले हैं तो विज्ञापन का क्षेत्र आपके लिए एक बेहतरीन करियर विकल्प साबित हो सकता है. जनसंवाद एवं लोगों को समझने की क्षमता विज्ञापन में करियर चाहने वालों के लिए एक आवश्यक कौशल है जो कि ग्राहकों की ज़रूरतों को समझने तथा उसकेआधार पर निर्णय लेने में सहायक सिद्ध होती  है.  विज्ञापन के क्षेत्र में प्रशिक्षण देने वाले संस्थान निम्न गुणों को अभ्यार्थी में विकसित करते हैं-
(अ) प्रभावशाली संवाद
(ब) प्रस्तुतिकरण एवं प्रबंधन
(स) समूह में कार्य करने एवं उसे नेतृत्व प्रदान करने की क्षमता
(द) तनाव प्रबंधन
(य) प्रबोधन क्षमता
(र)  आत्मविश्वास
(ल) प्रतिस्पर्धी क्षमता
भारत में कार्यरत विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों को विज्ञापन के लिए शैक्षिक रूप से योग्य एवं अनुभवी कामगारों की सदैव आवश्यकता रहती है.  हालाँकि इस तेज़ी से बढ़ते व्यवसाय में शैक्षिक योग्यता से ज्यादा व्यक्ति की रचनात्मकता और हरदम कुछ नया करने की क्षमता को प्राथमिकता दी जाती है.

कितना खर्चा होगा?

मुद्रा इंस्टीटयूट ऑफ कम्युनिकेशन,  अहमदाबाद,  जैसे संस्थानों में वार्षिक फीस लगभग 1 लाख रुपये है.परन्तु कुछ सरकारी तथा निजी संस्थानों में फीस इससे कम है.

छात्रवृत्ति

छात्रवृत्ति प्राप्त करना एक कठिन कार्य है. अधिकांशतः,  छात्रवृत्ति उत्कृष्ट शैक्षिक प्रदर्शन के आधार पर दी जाती है.

रोज़गार के अवसर

विज्ञापन के क्षेत्र में रोज़गार के कई अवसर हैं- निजी विज्ञापन कम्पनियों से लेकर बड़ी सरकारी एवं निजी कंपनियों के विज्ञापन विभाग तक. इसके अलावा आप अखबारों, पत्रिकाओं, रेडियो और टीवी के व्यापारिक विभाग में,  मार्केट रिसर्च कंपनी इत्यादि में भी नियोजित हो सकते हैं. फ्रीलांसिंग भी एक विकल्प हो सकता है.
विज्ञापन प्रबंधक, बिक्री प्रबंधक, पब्लिक रिलेशंस डाईरेक्टर, क्रिएटिव डाईरेक्टर, कॉपी राईटर तथा मार्केटिंग कम्युनिकेशंस डाईरेक्टर विज्ञापन एजेंसी के कुछ महत्वपूर्ण पद हैं जहाँ नियोजित हुआ जा सकता है.

वेतनमान

विज्ञापन एजेंसियों के आकर एवं उनके टर्नओवर के आधार पर वेतनमान निर्भर करता है. बड़ी और नामी-गिरामी एजेंसियां एक सुव्यवस्थित व्यवस्था के अनुसार कार्य करतीं हैं जबकि छोटी और मंझले स्तर की कंपनियों में एक ही व्यक्ति को कई कार्य प्रतिपादित करने होते हैं.
इस क्षेत्र में उचित व्यक्ति के लिए वेतनमान की कोई रुकावट नहीं है. वास्तव में यह व्यक्ति की योग्यता, शिक्षा और उसके अनुभव पर निर्भर करता है. शुरूआत में आपको आधारभूत कार्य सौंपे जाते हैं परन्तु जैसे-जैसे आपका अनुभव बढ़ता जाता है आपको ग्राहकों के साथ डील करने जैसी बड़ी ज़िम्मेदारी भी सौंपी जा सकती है.
आप किसी भी एजेंसी में आसानी से किसी निचले स्तर से शुरूआत कर सकते हैं पर सफलता की सीढ़ी चढ़ने के लिए आपमें उपरोक्त बताये गुणों का होना आवश्यक है. आपके कार्य करने की क्षमता एवं अनुभव बढ़ने के साथ ही आपका वेतनमान भी बढ़ता रहता है. क्रियेटिव विभाग से शुरूआत करने पर आपको आसानी से 8 से 15 हज़ार का मासिक वेतन मिल सकता है.

मांग एवं आपूर्ति

भारत में विज्ञापन के क्षेत्र में प्रतिभा शाली व्यक्तियों के लिए अपार संभावनाएं मौजूद हैं विशेषकर उनके लिए जिन्होंने कॉमर्शिअल आर्ट में शिक्षा हासिल की हो. ग्राहक-सेवा के क्षेत्र में एमबीए भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. विज्ञापन जगत में रचनात्मक लोगों की सदैव मांग रहती है. इस क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए बहुआयामी प्रतिभा होना बहुत आवश्यक है.

मार्केट वाच

वैश्विक वित्तीय संकट के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी पर है तथा विज्ञापन बाज़ार भी लगातार अपने पैर पसार रहा है. लगभग सभी उद्योगों में बढ़ोतरी का सकारात्मक प्रभाव विज्ञापन उद्योग पर पड़ा है.
भारतीय विज्ञापन उद्योग उच्च कोटि का है तथा यहाँ रोचक व नवीन विचारों को उच्च निष्पादन क्षमता के साथ प्रतिपादित करने वाले प्रतिभाशाली व्यक्तिओं की कमी नहीं है. यही कारण है कि आज भारतीय प्रतिभाओं को भर्ती करने के लिए राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां लालायित रहती हैं.

अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन

भारतीय विज्ञापन एजेंसियों के विश्वस्तरीय प्रदर्शन को न केवल पहचाना जा रहा है बल्कि उसको  संपूर्ण विश्व में सराहा भी जा रहा है.  भारतीय एजेंसियां आज राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय दोनों प्रकार के प्रोजेक्ट्स को सफलतापूर्वक निष्पादित कर रही हैं और ऐसा इसलिए संभव हो सका है चूंकि भारतीय एजेंसियां ग्राहकों की हर समस्या का समाधान करती हैं. मीडिया प्लानिंग, सर्विसिंग, मीडिया बायिंग, प्री एंड पोस्ट कैम्पेन एनालिसिस, क्रियेटिव कौन्सेप्चुलायिज़ेशन, मार्केट रिसर्च, मार्केटिंग, पब्लिक रिलेशंस और ब्रांडिंग- इन सभी प्रकार सेवाओं को प्रदान करने वाला भारतीय विज्ञापन जगत आज विश्व के अग्रणी विज्ञापन उद्योगों के साथ लगातार आगे बढ़ रहा है.

सकारात्मक/नकारात्मक पहलू

सकारात्मक
  1. चुनौतीपूर्ण व संतुष्टिपरक जॉब
  2. देश के अग्रणी उद्योगों में शामिल होने के कारण लगातार आगे बढ़ने कि अपार संभावनाएं
  3. उच्च वेतन के साथ कार्य आधारित इनसेंटिव्स
  4. उद्योग जगत की मशहूर हस्तियों से मिलने का मौका
 नकारात्मक
  1. अत्यंत लम्बे वर्किंग आवर्स के लिए कुख्यात
  2. उच्च तनाव व दबाव वाला कार्यक्षेत्र

भूमिका और पदनाम

विज्ञापन का क्षेत्र कई प्रकार के रोचक व लाभकारी करियर प्रदान करता है. मोटे तौर पर इन्हें दो भागों में बांटा जा सकता है- एग्जीक्यूटिव और क्रिऐटिव.

एग्जीक्यूटिव: इसमें शामिल है- ग्राहक सेवा, मार्केट रिसर्च और मीडिया रिसर्च. एग्जीक्यूटिव विभाग का कार्यक्षेत्र है- ग्राहकों की आवश्यकताओं को समझना तथा अपने स्थापित व्यापार को रखते हुए व्यापार की नयी संभावनाएं खोजना. यह विभाग ग्राहकों के लिए उचित मीडिया विश्लेषण, विज्ञापन की सही जगह व समय का निर्धारण तथा ग्राहक के साथ व्यापारिक सौदे व इससे जुड़े वित्तीय मामलों को अंतिम रूप देता है.
क्रियेटिव: क्रियेटिव टीम में कॉपी राईटर, स्क्रिप्ट राईटर, विज़ुअलाइज़र, क्रियेटिव डाइरेक्टर, फोटोग्राफर, टाइपोग्राफर, एनिमेटर इत्यादि आते हैं. ये विभाग विभिन्न मीडिया फोर्मेट्स में वास्तविक विज्ञापन का निर्माण करता है. इस विभाग के क्रियेटिव लोग ग्राहक की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विज्ञापन को मूर्तरूप देने का काम करते हैं.
चूंकि विभिन्न मीडिया रूपों ( प्रिंट-अखबार, पत्रिका, बिलबोर्ड आदि;  ब्रोडकास्ट-टीवी, रेडिओ, इंटरनेट आदि) के आधार पर विज्ञापन के विभिन्न प्रकार होते हैं अतः आप अपनी रूचि के अनुसार विशेषज्ञ पाठ्यक्रम चुन सकते हैं.

अग्रणी कंपनियों की सूची

विज्ञापन व मीडिया प्लानिंग के क्षेत्र के कुछ बड़े नाम जिनके साथ प्रत्येक विद्यार्थी जुड़ना चाहता है,  इस प्रकार हैं:
हिन्दुस्तान थोमसन एसोसिअट्स (एच टी ए), मैक्कैन एरिक्सन, लिओ बर्नेट, ग्रे, आर के स्वामी (बी बी डी ओ), बेट्स, रीडिफ्यूज़न डीवाई एंड आर, लिंटास इण्डिया लिमिटेड, ऑगिल्वी एंड मादर लिमिटेड एवं मुद्रा कम्युनिकेशंस लिमिटेड.

रोज़गार प्राप्त करने के लिए सुझाव

  1. विज्ञापन व पब्लिक रिलेशंस में करियर बनाने की चाहत रखने वालों के लिए इन्टर्नशिप विज्ञापन जगत का दरवाज़ा खोलने वाली कुंजी साबित हो सकती है.
  2. विज्ञापन जगत रचनात्मक व नए विचारों एवं अवधारणाओं का सदैव स्वागत करता है. यद्यपि भारत में ये उद्योग पश्चिमी देशों की तुलना में कम विकसित है तथापि इसने बदलते परिवेश में अपने आपको ढाल लिया है.
  3. उत्कृष्ट संवाद क्षमता के साथ मान्यता प्राप्त संस्थान से किसी विषय में विशेषज्ञता आपको अपने अन्य साथियों की तुलना में लाभ देगी.

कुछ अग्रणी संस्थान

  1. इन्डियन इंस्टीटयूट ऑफ़ मॉस कम्युनिकेशन, अरुणा आसफ अली मार्ग, जेएनयु, न्यू कैम्पस, नई दिल्ली - 110067, (www.iimc.nic.in)
  2. मुद्रा इंस्टीटयूट ऑफ कम्युनिकेशन,  शेला, अहमदाबाद- 380007, गुजरात (www.mica-india.net)
  3. नरसी मोन्जी इंस्टीटयूट ऑफ़ मैनेजमेंट स्टडीज़, वी एल मेहता रोड, विले पार्ले (पश्चिम), मुंबई-400056, महाराष्ट्र (www. nmims.edu)
  4. जेविअर इंस्टीटयूट ऑफ़ कम्युनिकेशन, सेंट जेविअर कॉलेज, 5, महापालिका मार्ग, मुंबई-400001, महाराष्ट्र (www.xaviercomm.org)  
  5. सिम्बोयासिस इंस्टीटयूट ऑफ़ मीडिया कम्युनिकेशन, पुणे (www.simc.edu)

Thursday, June 25, 2015

Career in पोषण एवं आहारिकी (न्यूट्रीशन एंड डायटेटिक्स

परिचय

बारहवीं के उपरान्त ही पोषण एवं आहारिकी का कोर्स आपको एक रोमांचक करियर प्रदान कर सकता है. गृह विज्ञान अथवा होटल प्रबंधन में डिग्री आपको पोषण एवं आहारिकी का उच्च-स्तर का ज्ञान करा सकती हैं. भारत में पारंपरिक रूप से इस क्षेत्र में वैसे तो महिलाएं ही पदार्पण करती हैं परन्तु आजकल अवसरों की अधिकता होने के कारण पुरुष भी इस क्षेत्र में करियर बनाने लगे हैं.

चरणबद्ध प्रक्रिया

  1. साधारणतः पोषण एवं आहारिकी कोर्स का मुख्य उद्देश्य होता है- पोषण एवं आहार से जुड़ी परेशानियों को जनसँख्या के एक तबके को लेकर चिह्नित करना. 
  2. देश में मौजूद पोषण एवं आहार से जुडी समस्याओं के नियंत्रण के लिए सामाजिक, आर्थिक एवं तकनीकी रूप से सक्षम विधिओं का विकास करना.
  3. पोषण एवं आहार से जुडी योजनाओं के प्रबंधन व प्रशासन के लिए नयी तकनीकों का विकास करना तथा उन्हें ज़मीनी स्तर पर लागू करना.
  4. पोषण के क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देकर भावी वैज्ञानिकों की एक पौध तैयार करना.
  5. पोषण से जुड़े मुद्दों पर सरकार एवं अन्य स्वस्थ्य संस्थानों को समय-समय पर सलाह देते रहना. 

पदार्पण

स्कूली शिक्षा ख़त्म करने के पश्चात आप पोषण एवं आहारिकी में स्नातक कोर्स में दाखिला ले सकती हैं पर तभी जब आपके पास इसमें दाखिले के लिए न्यूनतम अंक हों. अन्यथा इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए आप किसी भी प्रसिद्ध संस्थान के एक-वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम में दाखिला ले सकते हैं.
हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पोषण संस्थान इस क्षेत्र का सबसे प्रसिद्ध संस्थान है. यह कॉलेज पोषण में सर्टिफिकेट कोर्स तथा डिग्री कोर्स प्रदान करता है. पोषण के क्षेत्र में अनुसंधान के कारण इस कॉलेज की प्रतिष्ठा सम्पूर्ण विश्व में है. एसएनडीटी कॉलेज (मुम्बई) तथा मैंगलोर विश्वविद्यालय भी इस क्षेत्र में कोर्स संचालित करते हैं.

क्या यह मेरे लिए सही करियर है?

यदि आपको बचपन से ही खाना पकाना एवं विभिन्न देशों के विभिन्न व्यंजनों की खोज करना पसंद है तो पोषण एवं आहारिकी विषय आपके लिए है जहां आप नियंत्रित खान-पान की रूप-रेखा बनाना जान सकते हैं. शरीर के भार और माप पर आधारित बॉडी-मास इंडेक्स के अनुसार शरीर के लिए प्रतिदिन ज़रूरी वसा,  कार्बोहाईड्रेट व प्रोटीन की मात्रा का निर्धारण करने के लिए किसी व्यक्ति के खान-पान का चार्ट बनाया जाता है.
शुरूआती तौर पर यह करियर कम पारिश्रमिक देने वाला होता है परन्तु अनुभव लेने के बाद इस क्षेत्र में बहुत अवसर हैं तथा यहाँ आपके विदेश जाने के भी अवसर हैं.

खर्चा कितना होगा?

कॉलेज के चयन के आधार पर स्नातक कोर्स की फीस 10000 रूपये तथा इससे अधिक भी हो सकती है. डिप्लोमा कोर्स की फीस इससे हालांकि अधिक हो सकती है पर यह एक-वर्षीय कोर्स में दो वर्ष का कॉन्टेंट समाहित होने पर यह ज्यादा आकर्षित होता है.

छात्रवृत्ति

स्टेट बैंक ऑफ़ इण्डिया व अन्य कई बैंक भारत में शिक्षा के लिए 7.5 लाख रूपये तक का ऋण व विदेश में पढ़ाई के लिए 15 लाख रूपये तक का ऋण देते हैं . यह धनराशि छात्र आसान किश्तों में अदा कर सकते हैं.

रोज़गार के अवसर

करियर बनाने की दृष्टि से देखें तो आज होटल, क्रूज़ लाइंस, अस्पताल और सरकारी स्वास्थ्य विभाग भी पोषण एवं आहारिकी विशेषज्ञ को अच्छे-खासे वेतन पर नियुक्त करते हैं. यदि आप शेल, मर्स्क जैसी शिपिंग कंपनियों अथवा उनकी सहायक कंपनियों में जॉब का अवसर प्राप्त करते हैं तो आपको विश्वभ्रमण का मौका भी मिल सकता है.

वेतनमान

पोषण एवं आहारिकी में कोर्स करने वाले फ्रेशर को किसी अच्छे अस्पताल या नर्सिंग होम में 10 से 20 हज़ार की नौकरी आसानी से मिल जाती है. बहुत सी खेल संस्थाएं, कम्पनियाँ और कारखाने अपने आहार-गृह के लिए व्यंजन-सूची बनाने वाले पोषण एवं आहारिकी विशेषज्ञों की सेवाएं लेती हैं. स्पा और कई क्लीनिक भी अपने ग्राहकों के लिए स्वस्थ एवं कम-कैलोरी वाला फ़ूड-चार्ट बनाने के लिए आहार विशेषज्ञों की सेवाएं लेते हैं. यदि इस कोर्स के साथ होटल मैनेजमेंट का कोर्स भी कर लिया जाए तो वेतन 20 से 25 हज़ार भी हो सकता है.

मांग एवं आपूर्ति

स्वस्थ रहने तथा ज़्यादा कैलोरी वाले भोजन जो कि मोटापा और हाइपर-टेंशन जैसी बीमारियों को निमंत्रण देता है, के प्रति लोगों को जागरूक होने की वजह से पोषण एवं आहारिकी विशेषज्ञों की मांग बढ़ गयी है. जबकि मांग की तुलना में आपूर्ति कम है.
शुरूआती वेतन कम होने की वजह से केवल महिलाएं ही इस्क्षेत्र में करियर बनाने के बारे में सोचती हैं चूंकि यह एक कम थकावट व कम व्यस्तता वाला प्रोफेशन है. हालांकि आज इस क्षेत्र के कई डॉक्टर एवं पोषण विशेषज्ञ जाना-पहचाना नाम बन गए हैं. ये टीवी पर आकर लोगों को डाईट-चार्ट के बारे में समझाते हैं. कई बड़े नाम बड़ी कंपनियों में भी कार्यरत हैं.

मार्केट वॉच

डॉक्टर या इंजीनियर की तरह यह एक मुख्यधारा का करियर न होकर सहायक (सपोर्टिंग) करियर माना जाता है .हालांकि उपभोक्ता सामान बनाने वाली लगभग सभी कम्पनियां जैसे कॉलगेट,  क्लोज़-अप,  अमूल,  बॉर्नविटा,  कॉम्प्लान इत्यादि अपने अनुसंधान से जुड़े कार्यों के लिए आहार विशेषज्ञों को नौकरी देती हैं.

अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन

विकसित देशों में डाईट-मास्टर का बहुत महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है तथा अब भारत में भी इनकी ज़रुरत महसूस की जाने लगी है. यूएस जैसे देशों में औषधीय आहार विशेषज्ञों को 20 से 40 हज़ार अमेरिकी डॉलर मासिक वेतन मिल जाता है पर उसके लिए उन्हें उन कंपनियों द्वारा वांछित विशेषज्ञता हासिल करनी होती है.

सकारात्मक/नकारात्मक पहलू

सकारात्मक
  1. यदि स्कूल में आपके ज़्यादा अंक नहीं हों तो चिंता की कोई बात नहीं है चूंकि पोषण एवं आहारिकी पाठ्यक्रम में आसानी से दाखिला मिल जाता है.
  2. परास्नातक डिग्री के अलावा, कॉलेज पीजी डिप्लोमा तथा एक-वर्षीय एडवांस डिप्लोमा भी प्रदान करते हैं.
  3. यह विषय बहुत ही रोचक तथा हमारी ज़िंदगी से जुडा है. आप ग्राहकों के अलावा अपने परिवार के लिए भी डाईट-चार्ट बना सकते हैं. यह विषय आपके व्यक्तिगत अनुसंधान के लिए भी महत्वपूर्ण होता है .

नकारात्मक
  1. शुरूआती वेतन अन्य प्रोफेशन के मुकाबले कम होता है.
  2. यदि आप अपने ही क्षेत्र, शहर या गाँव में उच्च वेतनमान वाली अच्छी नौकरी की चाह रखते हैं तो आपको निराशा हाथ लग सकती है. दूसरी ओर यदि आपको यात्रा करना पसंद है तो आपको उच्च वेतन वाले जॉब मिल सकती है.
  3. बड़े जहाज़ों और क्रूज़-लाइंस में जॉब करने पर आपको कई हफ़्तों या महीनों तक घर से दूर रहना पड़ सकता हैI 

भूमिका और पदनाम

पोषण एवं आहारिकी कोर्स होटल मैनेजमेंट जितना ही अच्छा है पर ऐसा तभी हो सकता है जब खान-पान,  उसके औषधीय गुण और उनके मापने के तरीकों के बारे में लगातार आप अपने आपको अपडेट करते रहे. यदि आप किसी अस्पताल के लिए काम करते हैं तो आपको परिचर्या एवं औषधि विज्ञान की भी जानकारी हो जाती है जोकि आपके आहारिकी के करियर के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.

अग्रणी कंपनियों की सूची

पोषण विशेषज्ञों को नौकरी देने वाली हॉस्पीटेलिटी उद्योग की पांच अग्रणी कम्पनियां निम्न हैं:
  1. हयात कॉर्पोरेशन
  2. एकॉर हॉस्पीटेलिटी
  3. ताज ग्रुप ऑफ़ होटल्स
  4. वाटिका ग्रुप
  5. ला मरेदियन
इनके अलावा अपोलो ग्रुप ऑफ़ हॉस्पीटाल्स, एम्स तथा अन्य निजी नर्सिंग होम्स भी पोषण एवं आहारिकी विशेषज्ञों की सेवाएं लेते हैं. कुछ अग्रणी स्पोर्ट्स-क्लब और फिटनेस सेंटर भी इन प्रोफेशनल्स को नियुक्त करते हैं.

रोज़गार प्राप्त करने के लिए कुछ सुझाव

आहारिकी विशेषज्ञ के रूप में नौकरी पाने के लिए निम्न सुझाव दिए जाते हैं:
  1. भोजन में कैलोरी तथा विभिन्न पोषक तत्वों (वसा, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन) की मात्रा मापने की नयी-नयी तकनीकों के बारे में अपने आपको अपडेट करते रहें. इसके लिए आप विभिन्न पात्र-पत्रिकाओं में प्रतिष्ठित आहारिकी विशेषज्ञों के लेखों को पढ़ सकते हैं.
  2. आपकी संवाद-क्षमता अच्छी होनी चाहिए जिससे कि साक्षात्कार के दौरान आप आत्मविश्वासी तथा आशावादी लगें

Wednesday, June 24, 2015

Genetic Counsellor डिकोडिंग द डिसऑर्डर


ह्यूमन बॉडी में मौजूद क्रोमोजोम्स में करीब 25 से 35 हजार के बीच जीन्स होते हैं। कई बार इन जीन्स का प्रॉपर डिस्ट्रीब्यूशन बॉडी में नहीं होता है, जिससे थैलेसेमिया, हीमोफीलिया, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, क्लेफ्ट लिप पैलेट, न्यूरोडिजेनेरैटिव जैसी एबनॉर्मलिटीज या हेरेडिटरी प्रॉब्लम्स हो सकती है। इससे निपटने के लिए हेल्थ सेक्टर में ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट और दूसरे इनेशिएटिव्स लिए जा रहे हैं, जिसे देखते हुए जेनेटिक काउंसलिंग का रोल आज काफी बढ गया है। अब जो लोग इसमें करियर बनाना चाहते हैं, उनके लिए स्कोप कहीं ज्यादा हो गए हैं।
जॉब आउटलुक
एक अनुमान के अनुसार, करीब 5 परसेंट आबादी में किसी न किसी तरह का इनहेरेटेड डिसऑर्डर पाया जाता है। ये ऐसे डिसऑर्डर्स होते हैं, जिनका पता शुरुआत में नहीं चल पाता है, लेकिन एक जेनेटिक काउंसलर बता सकता है कि आपमें इस तरह के प्रॉब्लम होने की कितनी गुंजाइश है। काउंसलर पेशेंट की फैमिली हिस्ट्री की स्टडी कर इनहेरेटेंस पैटर्न का पता लगाते हैं। वे फैमिली मेंबर्स को इमोशनल और साइकोलॉजिकल सपोर्ट भी देते हैं।
स्किल्स रिक्वायर्ड
जेनेटिक काउंसलिंग के लिए सबसे इंपॉर्टेट स्किल है कम्युनिकेशन। इसके अलावा, कॉम्पि्लकेटेड सिचुएशंस से डील करने का पेशेंस। एक काउंसलर का नॉन-जजमेंटल होना भी जरूरी है, ताकि सब कुछ जानने के बाद मरीज अपना डिसीजन खुद ले सके। उन्हें पेशेंट के साथ ट्रस्ट बिल्ड करना होगा।
करियर अपॉच्र्युनिटीज
अगर इस फील्ड में ऑप्शंस की बात करें, तो हॉस्पिटल में जॉब के अलावा प्राइवेट प्रैक्टिस या इंडिपेंडेंट कंसलटेंट के तौर पर काम कर सकते हैं। इसी तरह डायग्नॉस्टिक लेबोरेटरीज में ये फिजीशियन और लैब के बीच मीडिएटर का रोल निभा सकते हैं। कंपनीज को एडवाइज देने के साथ टीचिंग में भी हाथ आजमा सकते हैं। वहीं, जेनेटिक रिसर्च प्रोजेक्ट्स में स्टडी को-ओर्डिनेटर के तौर पर काम कर सकते हैं। बायोटेक और फार्मा इंडस्ट्री में भी काफी मौके हैं।
क्वॉलिफिकेशन
जेनेटिक काउंसलर बनने के लिए बायोलॉजी, जेनेटिक्स और साइकोलॉजी में अंडरग्रेजुएट की डिग्री के साथ-साथ लाइफ साइंस या जेनेटिक काउंसलिंग में एमएससी या एमटेक की डिग्री होना जरूरी है।
सैलरी
जेनेटिक काउंसलिंग के फील्ड में फाइनेंशियल स्टेबिलिटी भी पूरी है। हालांकि जॉब प्रोफाइल और सेक्टर के मुताबिक सैलरी वैरी करती है। प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाला प्रोफेशनल महीने में 50 हजार रुपये तक अर्न कर सकता है, जबकि गवर्नमेंट डिपार्टमेंट में काम करने वाले महीने में 25 से 40 हजार के बीच अर्न कर सकते हैं।
ट्रेनिंग
-गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर

-कामिनेनी इंस्टीट्यूट, हैदराबाद

-संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट, लखनऊ

-सेंट जॉन्स मेडिकल कॉलेज, बेंगलुरु

-महात्मा गांधी मिशन, औरंगाबाद

-जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, दिल्ली

-सर गंगाराम हॉस्पिटल, नई दिल्ली
एक्सपर्ट बाइट
जेनेटिक काउंसलिंग इंडिया में काफी तेजी से पॉपुलर हो रहा है। एप्लीकेशन के नजरिए से इसमें बहुत स्कोप है। नई लेबोरेटरीज खुल रही हैं, जिनके लिए जेनेटिक काउंसलर्स की काफी डिमांड है। वैसे, ट्रेडिशनल हॉस्पिटल्स के अलावा फार्मा कंपनीज में, कॉरपोरेट एनवॉयरनमेंट के बीच काम करने के पूरे मौके मिलते हैं। अब तक मेडिकल प्रोफेशन से जुडे स्टूडेंट्स ही इसमें आते थे, लेकिन अब नॉन-मेडिकल स्टूडेंट्स भी आ रहे हैं।

Tuesday, June 23, 2015

कॅरियर के लिए बीमा का क्षेत्र भी बेहतर


मेट्रो के बाद ग्रामीण इलाकों की तरफ इंश्योरेंस के बढ़ते कदम से इस क्षेत्र में कॅरियर के नए रास्ते खुलने लगे हैं. भारत की आधी से अधिक आबादी अभी भी 20-60 आयु वर्ग के दायरे में आते हैं। यही वजह है कि इंश्योरेंस सेक्टर की रफ्तार इस दौर में भी कायम है। अब स्थिति यह है कि इस प्रोफेशन से हाई प्रोफाइल लोग भी जुड़ने लगे हैं।

योग्यता
12वीं के बाद इंश्योरेंस के क्षेत्र में कॅरियर बनाया जा सकता है। इसके बाद आप बीए (इंश्योरेंस) में एडमिशन ले सकते हैं या फिर एजेंट के रूप में कॅरियर की शुरुआत कर सकते हैं। यदि आपने साइंस सब्जेक्ट से 12वीं पास किया है, तो बीएससी एक्चुरिअल साइंस में एंट्री ले सकते हैं।

कोर्सेज
इंश्योरेंस में डिप्लोमा, सर्टिफिकेट से लेकर डिग्री और मास्टर डिग्री कोर्स तक उपलब्ध हैं। कोर्स की अवधि अलग-अलग है। कुछ कॉलेज बीए (इंश्योरेंस) कोर्स ऑफर कर रहे हैं, जिसकी अवधि तीन वर्ष है। वैसे, सर्टिफाइड रिस्क ऐंड इंश्योरेंस मैनेजमेंट में पीजी डिप्लोमा भी कर सकते हैं। इस कोर्स की अवधि अमूमन तीन साल की होती है। यदि इंश्योरेंस ऐंड रिस्क मैनेजमेंट में डिप्लोमा करना चाहते हैं, तो इसकी अवधि एक वर्ष की है। वैसे, डिस्टेंस लर्निग के माध्यम से भी इंश्योरेंस से जुड़े कोर्स कर सकते हैं। एजेंट बनने के लिए इंश्योरेंस एजेंट का कोर्स भी किया जा सकता है, इसकी अवधि 100-150 घंटे की होती है।

कॅरियर प्लानिंग
यदि कम्युनिकेशन स्किल अच्छी है, तो इंश्योरेंस सेक्टर में खूब स्कोप हैं। यहां आप असिस्टेंट एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर, इंश्योरेंस सर्वेयर, रिस्क मैनेजर, अंडररायटरएक्चुरिजइंश्योरेंस कंसल्टेंटएजेंट आदि के रूप में कॅरियर बना सकते हैं।

सेफ जोन
इंश्योरेंस सेक्टर को कॅरियर के लिहाज से सेफ जोन माना जा सकता है, क्योंकि कुछ कंपनियां इन दिनों बड़ी संख्या में लोगों की बहाली कर रही हैं। नई-नई कंपनियों के इंश्योरेंस के क्षेत्र में कदम रखने की वजह से इस फील्ड में कॅरियर की भरपूर संभावनाएं दिख रही हैं। खासकर इन दिनों एक्चुरिज और ट्रेजरी मैनेजमेंट के क्षेत्र से जुड़े पेशेवर लोगों की मार्केट में अधिक डिमांड है, क्योंकि इनकी मांग दूसरे क्षेत्रों में भी खूब है। इसके अलावा, मार्केटिंग और सेल्स में भी लोगों की अधिक मांग है। आने वाले दिनों में बीमा कंपनियों में तीन लाख फाइनेंशियल प्लानिंग एडवाइजर और तीस हजार मैनेजर की भर्तियां भी हो सकती हैं।

सैलॅरी पैकेज
इंश्योरेंस सेक्टर में शुरुआती सैलॅरी 10 से 12 हजार रुपये हो सकती है। सेल्स मैनेजर के रूप में काम करने वालों की सैलरी 25-30 हजार रुपये के बीच होती है। इसके अलावा, कई तरह के अलाउंस भी मिलते हैं। अनुभव हासिल करने के बाद प्रति माह 40 से 45 हजार रुपये आसानी से कमा सकते हैं।

हेड आफिस, इंश्योरेंस कंपनी का वह स्थान है, जहां विभिन्न विभागों से संबंधित कई तरह के काम संपन्न किए जाते हैं। यहां कई विभागों में अलग-अलग पदों पर कार्य किया जा सकता है।
बीमांकिक विभाग
यह विभाग किसी भी इंश्योरेंस कंपनी का महत्वपूर्ण विभाग होता है क्योंकि इस विभाग का काम नई पालिसियां बनाना व चल रही पालिसियों में समय-समय पर परिवर्तन करना है। यह विभाग हमेशा कंपनी के लाभ के लिए जिम्मेदार रहता है। इस विभाग की यह भी जिम्मेदारी होती है कि वह लाइफ व जनरल इंश्योरेंस बिजनेस की डिजायनिंग व पालिसी की प्राइसिंग तय करे, साथ ही फंड्स से होने वाले लाभ को मॉनीटर करे।
इसके अलावा यह विभाग इंश्योरेंस की मार्जिन, अन्य कानूनी विवादों तथा लाभ में होने वाले नुकसान की देखभाल करता है। गणित या सांख्यिकी में ग्रेजुएट्स के लिए यह जॉब सही है क्योंकि यह पूरी तरह गणितीय व सांख्यिकीय आंकड़ों पर निर्भर होता है। इंश्योरेंस सेक्टर में इस जॉब के लिए सबसे ज्यादा वेतन मिलता है। शुरुआती दौर में इसमें करीब ८ लाख वार्षिक का वेतन मिलता है। इसके लिए इंस्टीट्यूट आफ एक्चुअरीज आफ इंडिया से इसका कोर्स किया जा सकता है।
अंडरराइटिंग डिपार्टमेंट
यह विभाग, इंश्योरेंस कंपनी के जोखिम का कार्य संभालता है जिसके तहत किसी व्यक्ति को पालिसी दी जाती है। यह विभाग ये चेक करता है कि किसी व्यक्ति को पालिसी दी जाए या नहीं। और दी जाए तो किस कीमत पर। लाइफ व नॉन लाइफ सेगमेंट में अंडरराइटर्स की आवश्यकता पड़ती है। अंडरराइटर्स, बीमा के जोखिम को देखते हैं और उसका रिस्क मैनेजमेंट संभालते हैं। ज्यादातर मौकों पर इस विभाग के लिए मेडिकल या लाइफ साइंस बैकग्राउंड के लोगों को वरीयता दी जाती है और शुरुआती सैलरी ५ लाख रुपए वार्षिक तक हो सकती है। एनआईए पुणे, बीमटेक, आईआईआरएम और अन्य इंस्टीट्यूट यह कोर्स संचालित करते हैं, जहां अंडरराइटर की तकनीकी क्षमता इस पद के योग्य बनाई जाती है।
मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन
मार्केटिंग के लिए स्पेशलाइज्ड डिग्री की आवश्यकता होती है। अच्छे इंस्टीट्यूट से मार्केटिंग व फाइनांस में बेहतर अनुभव के साथ आए युवाओं को इस विभाग में शानदार मौके मिल सकते हैं। यहां तक कि अब एजेंट्स का रोल भी बदलने लगा है और वे कंपलीट इंश्योरेंस सॉल्यूशन देने के साथ ही वित्तीय सलाहकार के रुप में भी काम करने लगे हैं। ऐसे कई इंस्टीट्यूट हैं जो मार्केटिंग में स्पेशलाइज्ड डिग्री प्रदान करते हैं लेकिन यदि इंश्योरेंस इंस्टीट्यूट आफ इंडिया से यह कोर्स किया जाएगा तो उन्हें वरीयता दी जाती है।
फंड मैनेजमेंट डिपार्टमेंट
बैंक व म्यूचुअल फंड की तरह ही निवेश विशेषज्ञों की आवश्यकता इंश्योरेंस सेक्टर में भी रहती है। ऐसे प्रोफेशनल जिनकी फाइनांस में डिग्री है या बैंकों व म्यूचुअल फंड का अनुभव है, उनके लिए इस सेक्टर में काफी मौके मौजूद हैं। ये कुछ विभाग हैं जो हेड आफिस से कार्यरत होते हैं और इनमें काम किया जा सकता है।
ब्रांच आफिस में करियर
इंश्योरेंस के कई उत्पादों का डिस्ट्रीब्यूशन करने के लिए देश भर में ढेरों शाखाएं मौजूद हैं। इन शाखाओं में कई विभाग होते हैं। आइए देखते हैं इन विभागों में कहां-कहां और करियर के क्या विकल्प मौजूद हैं।
सेल्स और डिस्ट्रीब्यूशन
सेल्स की कार्यप्रणाली सबसे महत्वपूर्ण होती है और एक समय में किसी इंश्योरेंस कंपनी में हजारों सेल्स प्रोफेशनल काम करते हैं। प्राइवेट बीमा कंपनियों में इसके लिए इंट्री लेवल पर कई पद जैसे- सेल्स एग्जीक्यूटिव, फाइनांशियल प्लानिंग एग्जीक्यूटिव, रिलेशनशिप एक्जीक्यूटिव पद पर भर्तियां होती हैं।
इसके अलावा सेल्स मैनेजर, यूनिट मैनेजर, सेल्स डेवलपमेंट मैनेजर, बिजनेस मैनेजर इत्यादि पदों के लिए भी लोगों की आवश्यकता होती है। इसमें फस्र्ट लेवल मैनेजर की यह जिम्मेदारी होती है कि वह अपनी टीम के लिए रिक्रूटमेंट करें व टीम बनाएं। ये अपनी टीम के एजेंट्स को मासिक रुप से पालिसियां सेल करने का टार्गेट देते हैं। इसमें अच्छा प्रदर्शन करने वाला प्रोन्नति पाकर, ब्रांच मैनेजर, क्लस्टर मैनेजर, एरिया मैनेजर, रीजनल मैनेजर, जोनल मैनेजर के बाद नेशनल सेल्स हेड भी बन सकता है, जो सीधे सीईओ को रिपोर्ट करता है। यहां सेल्स मैनेजर का वही काम होता है जो एलआईसी में डेवलपमेंट मैनेजर का होता है।
बीमा सेल्स में कोई व्यक्ति शुरुआती दौर में किसी ब्रांच में ३ से ३.५ लाख रुपए वार्षिक से शुरुआत करके १० लाख रुपए सालाना वेतनमान तक पहुंच सकता है। एक अच्छे सेल्स प्रोफेशनल को बर्हिमुखी व संबंध बनाने में माहिर होना चाहिए। इस जॉब को वहीं करना ज्यादा मुनासिब हैं, जहां के लोगों को अच्छी तरह जानते हों।
ट्रेनिंग डिपार्टमेंट
ट्रेनिंग डिपार्टमेंट में कंटेंट डेवलपर का कार्य यह होता कि वे ट्रेनिंग से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों के लिए कंटेंट डेवलप करते हैं। दूसरा, इसमें डिलीवरी ट्रेनर की जररुत होती है, जो डिस्ट्रीब्यूटर्स को कंटेंट की डिलीवरी करते हैं। यदि आप टीचिंग में, मोटीवेट करने में और भारी तादात में लोगों से मीटिंग करने में दिलचस्पी रखते हैं तो यह जॉब आपके लिए है। इसके लिए आपके अंदर अच्छे वक्ता व अच्छे श्रोता का गुण होना आवश्यक है। इंश्योरेंस इंस्टीट्यूट आफ इंडिया या अन्य अच्छे इंस्टीट्यूट से डिग्री लेने वालों के लिए प्रोफेशनल ट्रेनर की जॉब में वरीयता दी जाती है। इंश्योरेंस ट्रेनर को मुख्यत: दो भागों में बांटा जाता है। पहला है, इंश्योरेंस डोमेन नॉलेज ट्रेनर व दूसरा है सेल्स ट्रेनर। इंश्योरेंस डोमेन ट्रेनर की विशेषज्ञता बेसिक्स आफ इंश्योरेंस, कांसेप्ट व प्रोडक्ट इत्यादि में होती है।
ये ट्रेनर मुख्य रुप से एजेंट्स के लिए आईआरडीए-प्री रिक्रूटमेंट ट्रेनिंग का आयोजन करते हैं जिसमें इंश्योरेंस संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी जाती है। सेल्स ट्रेनर बाद में ट्रेनिंग मैनेजर, रीजनल ट्रेनिंग मैनेजर और नेशनल ट्रेनिंग हेड तक पहुंंच सकते हैं। एक ब्रांच सेल्स ट्रेनर की सैलरी ३ से ४ लाख रुपए वार्षिक, ट्रेनिंग मैनेजर की सैलरी ५ से लाख रुपए वार्षिक व रीजनल ट्रेनिंग मैनेजर की सैलरी १० से १५ लाख रुपए वार्षिक तक हो सकती है।
बीपीओ, केपीओ व आईटी इंडस्ट्री
अभी तक हमने इंश्योरेंस सेक्टर के मुख्य जॉब विकल्पों पर बात की लेकिन अब विभिन्न बीपीओ, केपीओ व आईटी इंडस्ट्री में भी इंश्योरेंस एक्सपटर््स की मांग बढ़ गई है। आईटी कंपनियों में बिजनेस एनालिस्ट की जरुरत होती है। ये वे प्रोफेशनल होते हैं जिनका इंश्योरेंस सेक्टर में तकनीकी अनुभव होता है। ये कंपनियां विभिन्न प्रकार के लाइफ व नॉन लाइफ साफ्टवेयर तैयार करती हैं, जिसकी मांग न सिर्फ भारत में है बल्कि विदेशों में भी है।
हालांकि इस काम के लिए मुख्यत: आईटी एक्सपर्ट की जरुरत होती है लेकिन चूंकि ये उत्पाद, बीमा से संबंधित होते हैं इसलिए बीमा के लोग साफ्टवेयर डेवलपर को बीमा क्षेत्र की तकनीकी जानकारियां देते हैं। इन एनालिस्ट्स को उनके अनुभव के आधार पर ३.५ लाख से १५ लाख रुपए वार्षिक वेतन मिलता है। ऐसे कई इंस्टीट्यूट हैं जो इस क्षेत्र के लिए कोर्स संचालित करते हैं। इंश्योरेंस इंस्टीट्यूट आफ इंडिया, बिमटेक, आईआईआरएम, एनआई इत्यादि इंस्टीट्यूट से यह कोर्स किया जा सकता है। 



इंस्टीटयूट वाच
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, जोधपुर (एमबीए इंश्योरेंस)
एमिटी स्कूल ऑफ इंश्योरेंस ऐंड एक्चुरिअल साइंस, नई दिल्ली (पीजी डिप्लोमा इन इंश्योरेंस मैनेजमेंट आदि)
आईसीएफएआई यूनिवर्सिटी, हैदराबाद (एमबीए इंश्योरेंस)
द इंस्टीटयूट ऑफ इंश्योरेंस ऐंड रिस्क मैनेजमेंट (पीजी डिप्लोमा कोर्स इन इंश्योरेंस, जनरल इंश्योरेंस ऐंड रिस्क मैनेजमेंट)
भारतीय विद्या भवन केंद्र
(पीजी डिप्लोमा कोर्स इन इंश्योरेंस ऐंड रिस्क मैनेजमेंट, पार्ट-टाइम)
www.bhavanis. info/rp imc
इंस्टीटयूट ऑफ सर्टिफाइड रिस्क ऐंड इंश्योरेंस मैनेजर्स (रिस्क ऐंड इंश्योरेंस मैनेजमेंट प्रोग्राम)
यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली, नई दिल्ली
सिंबायोसिस सेंटर ऑफ डिस्टेंस लर्निग, पुणे
हेड आफिस में करिय