Thursday, April 28, 2016

केमिकल इंजीनियरिंग में करियर

केमिकल इंजीनियरिंगके क्षेत्र में आप अपने करियर को बेहतर बना सकते। औद्योगिक क्षेत्रों, जैसे-प्लास्टिक, पेंट्स, फ्यूल्स, फाइबर्स, मेडिसिन, फर्टिलाइजर्स, सेमीकंडक्टर्स, पेपर में काम करने के अलावा, पर्यावरण सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभाते हैं। आइए, जानते हैं केमिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में आपके लिए किस तरह के मौके हैं।

समय के साथ करियर
समय के साथ स्टूडेंट्स के सामने करियर के ढेरों नए ऑप्शंस खुल हुए रहते हैं, लेकिन आज भी इंजीनियरिंग फील्ड स्टूडेंट्स के लिए पसंदीदा करियर ऑप्शन बना हुआ है। जिसमें करियर के हमेशा ऑप्शंस रहते है। इंजीनियरिंग से जुड़ी एक फील्ड है केमिकल इंजीनियरिंग का, जिसमें करियर ऑप्शंस की कोई कमी नहीं रहती है। जैसे-जैसे इसका दायरा बढ़ रहा है, इस फील्ड में प्रोफेशनल्स की डिमांड भी बढ़ती जा रही है।

केमिकल इंजीनियर का मुख्य काम विभिन्न रसायनों और रासायनिक उत्पादों के निर्माण में आने वाली समस्याओं को सॉल्व करना है। इस फील्ड से जुड़े प्रोफेशनल्स पेट्रोलियम, रिफाइनिंग, फर्टिलाइजर टेक्नोलॉजी, खाद्य व कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग, सिंथेटिक फूड, पेट्रो केमिकल्स, सिंथेटिक फाइबर्स, कोयला, खनिज उद्योग और एनवॉयर्नमेंटल इंजीनियरिंग जैसे अन्य क्षेत्रों में अपने करियर को बेहतर बना सकते हैं। अपनी फील्ड में एक्सपर्ट होने के लिए आपको फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग आदि की पढ़ाई भी करनी होती है। कुछ केमिकल इंजीनियर ऑक्सीडेशन, पॉलीमराइजेशन या प्रदूषण नियंत्रण जैसी फील्ड में भी एक्सपर्ट्स हो जाते हैं।

किस जगह ज्यादा संभावनाएं है
कोर्स करने के बाद सबसे ज्यादा नियुक्तियां केमिकल, प्रोसेसिंग, मैन्युफैक्चरिंग, प्रिंटिंग, फूड व मिल्क इंडस्ट्री में होती हैं। इसके अलावा, प्रोफेशनल्स मिनरल इंडस्ट्री, पेट्रोकेमिकल प्लांट्स, फार्मास्यूटिकल, सिंथेटिक फाइबर्स, पेट्रोलियम रिफाइनिंग प्लांट्स, डाई, पेंट, वार्निश, औषधि निर्माण, पेट्रोलियम टेक्सटाइल एवं डेयरी प्लास्टिक उद्योग आदि क्षेत्रों में जॉब के ऑप्शंस रहते है। शोध में रुचि रखने वाले रिसर्च इंजीनियरिंग का विभाग संभालते हैं। प्राइवेट एवं सरकारी संस्थानों में केमिकल इंजीनियरिंग से संबंधित जॉब्स की भरमार है। यह कोर्स करने के बाद आप विदेशी कपंनीयों में जॉब पा सकेते है। विदेशों में केमिकल इंजीनियर की काफी डिमांड है।

कैसे ले एंट्री

इस फील्ड में एंट्री के लिए ग्रेजुएट होना अनिवार्य है। अच्छे कॉलेज में एडमिशन के लिए ऑल इंडिया लेवल पर होने वाले एंट्रेंस एग्जाम को क्वालिफाई करना जरूरी होता है। एग्जाम क्लीयर करने के बाद आइआइटी, बीएचयू, रुडक़ी एवं कुछ अन्य बड़े इंजीनियरिंग कॉलेजों में मेरिट के बेस पर एडमिशन मिल जाता है। इसके अलावा, विभिन्न राज्यों के अलग-अलग इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन के लिए राज्यस्तरीय प्रवेश परीक्षा के जरिए एडमिशन लिया जा सकता है। ग्रेजुएट एप्टिट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग (गेट) एग्जाम को क्वालिफाई करके पोस्टग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन लिया जा
सकता है।

सैलरी पैकेज
केमिकल इंजीनियरिंग की फील्ड में सैलरी प्रोफेशनल के एक्सपीरियंस, क्वालिफिकेशन आदि पर निर्भर करती है। प्राइवेट सेक्टर में प्रोफेशनल्स को ज्यादा पैसा ऑफर किया जाता है। बतौर फ्रेशर्स करियर शुरू करने पर सैलरी 20 से लेकर 25 हजार रुपये प्रतिमाह हो सकती है। इस क्षेत्र में जॉब की कोई कमी नही है तथा इस क्षेत्र में करियर के ऑप्शंस हमेशा रहते है।

Saturday, April 23, 2016

एथिकल हैकिंग में करियर

वचरुअल दुनिया का दायरा जिस तरह दिन-दुनी रात-चौगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है, आईटी (इफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी) आधारित सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं भी परेशानी का सबब बन रही हैं। हर रोज दुनिया के किसी न किसी कोने में नेटवर्क, वेबसाइट और ई-मेल अकाउंट्स की सुरक्षा दांव पर लगी होती है। इंटरनेट पर साइबर अपराध के मामलों में चिंताजनक रफ्तार से वृद्धि देखी जा रही है
इन मामलों में किसी व्यक्ति या संस्था के कंप्यूटर सिस्टम में सेंध लगाकर संवेदनशील डाटा चुराने से लेकर पासवर्ड चोरी करने, भद्दे ई-मेल भेजने और ई-मेल अकाउंट को हैक करने जैसी घटनाएं शामिल होती हैं। इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटरों से सूचनाओं को अवैध ढंग से प्राप्त करने वालों को हैकर कहा जाता है। मगर जब यही काम कंप्यूटर सिस्टम के सुरक्षा उपायों को जांचने और उसे पुख्ता बनाने के उद्ेदश्य से किया जाता है, तो उसे एथिकल हैकिंग कहते हैं। इस कार्य को करने वाले पेशेवर एथिकल हैकर के नाम से जाने जाते हैं। साइबर अपराधों की बढ़ती तादाद के बीच मूल्यवान इंफॉर्मेशन सिस्टम की सुरक्षा के लिए एथिकल हैकरों की मांग जोर पकड़ रही है। इस कारण यह पेशा नौकरी की आकर्षक संभावनाओं के द्वार खोल रहा है।

एथिकल हैकर का काम

इन पेशेवरों को व्हाइट हैट्स या पेनिशन टेस्टर के नाम से भी जाना जाता है। कंप्यूटर और नेटवर्क से संबंधित तकनीकों में इन्हें विशेषज्ञता प्राप्त होती है।

इनका काम अपने नियोक्ता (कंप्यूटर सिक्योरिटी उत्पाद बनाने वाली कंपनी) के लिए किसी निर्धारित कंप्यूटर सिस्टम पर हमला करना होता है, ताकि सिस्टम की उन कमियों का पता लगाया जा सके, जिन्हें तलाशकर हैकर साइबर अपराधों को अंजाम देते हैं।

एक प्रकार से एथिकल हैकर भी हैकरों (साइबर अपराधी) जैसा ही काम करते हैं, लेकिन उनका उद्देश्य किसी कंप्यूटर सिस्टम को नुकसान पहुंचाने की बजाए उसे पहले से ज्यादा सुरक्षित बनाना होता है। इंटरनेट पर बढ़ती निर्भरता के कारण एथिकल हैकर आईटी सिक्योरिटी इंडस्ट्री की अहम जरूरत बन गए हैं। यह एक चुनौतीपूर्ण पेशा है, जो जरूरत पड़ने पर 24 घंटे काम में जुट रहने की भी अपेक्षा रखता है। एथिकल हैकर को हमेशा खुद को कंप्यूटर सिस्टम से संबंधित नई तकनीकों से अपडेट रखना होता है, ताकि वह नई चुनौतियों का तेजी से हल तलाश सकें।

पर्याप्त हैं रोजगार के अवसर
•फिलहाल देश में एथिकल हैकरों की काफी कमी है। इसलिए कई-कई कंपनियां अपने नेटवर्क में मौजूद खामियों को खोजने के लिए एक ही पेशेवर की मदद लेती हैं। इन पेशेवरों की सरकारी क्षेत्र के संस्थानों में भी काफी पूछ है। सेना, पुलिस बलों (सीबीआई और एनआईए शामिल), फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं और रक्षा अनुसंधान संगठनों में विशेष रूप से एथिकल हैकरों की मदद ली जाती है। जासूसी एजेंसियों में भी इनके लिए काफी अवसर हैं।

 योग्यता
•    इस पेशे में आने के लिए कंप्यूटर प्रोग्रामिंग का अच्छा ज्ञान जरूरी होता है। इसलिए कंप्यूटर साइंस, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी या कंप्यूटर इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री का होना आवश्यक है। शैक्षणिक योग्यता के साथ उ, उ++ और ढ83ँल्लआदि प्रोग्रामिंग लैंग्वेज और कंप्यूटर में इस्तेमाल होने वाले ऑपरेटिंग सिस्टम मसलन विंडोज या लिनक्स की जानकारी का होना भी जरूरी है।

•    उपलब्ध पाठय़क्रम
•    सर्टिफिकेट कोर्स इन साइबर लॉ
•    सीसीएनए सर्टिफिकेशन
•    सर्टिफाइड एथिकल हैकर
•    सर्टिफाइड इंफॉर्मेशन सिस्टम सिक्योरिटी प्रोफेशनल
•    एमएससी साइबर फॉरेंसिक्स एंड इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी
•    पीजी डिप्लोमा इन डिजिटल एंड साइबर फॉरेंसिक्स
•    पीजी डिप्लोमा इन साइबर लॉ
•    पीजी डिप्लोमा इन आईटी सिक्योरिटी
•    एडवांस डिप्लोमा इन एथिकल हैकिंग
•    संबंधित संस्थान
•    एनआईईएलआईटी
•    सीईआरटी
•    इंडियन स्कूल ऑफ एथिकल हैकिंग
•    तिलक महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी
•    इन्नोबज नॉलेज सॉल्यूशन्स प्रा. लि.
•    आईएमटी गाजियाबाद
•    इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी

Friday, April 22, 2016

मॉडलिंग में करियर

सुंदर-सुंदर पोशाकों में खूबसूरत चेहरे जब दर्शकों के सामने आते हैं तो अपनी नपी-तुली चाल से रैम्प पर चलते हुए उनके दिलों में उतर जाते हैं। फिर चाहे वे किसी फैशन डिजाइनर के लिए मॉडलिंग कर रहे हों या किसी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के लिए। रौशनी, चकाचौंध, नाम-पहचान और ग्लैमर से भरा मॉडलिंग का प्रोफेशन सभी को, खासकर युवाओं को शुरू से ही अपनी ओर काफी आकर्षित करता रहा है, लेकिन इन दिनों दूसरे उद्योगों की फैशन शोज में बढ़ती रुचि के कारण आज उनके सामने बतौर करियर मॉडलिंग में ढेरों विकल्प हैं।
न सिर्फ फैशन, बल्कि आज हर बड़ी कंपनी को अपने नए उत्पादों या सेवाओं को एन्डोर्स करने के लिए खूबसूरत मॉडल्स की जरूरत होती है। नाम और पैसे के साथ-साथ इस क्षेत्र में मॉडल्स को घूमने और नए-नए लोगों के साथ काम करने का मौका मिलता है। ग्लिट्ज मॉडलिंग एजेंसी एंड एकेडमी, नई दिल्ली के संस्थापक प्रणव अवस्थी का कहना है, ‘आज एक फ्रेशर अपने एक शो के लिए 10 से 15 हजार रुपये कमा सकता है, वहीं कुछ जाने-माने चेहरे भारतीय बाजार में भी प्रति शो 60 से 70 हजार रुपये कमाते हैं। नाम के साथ-साथ पैसा एक ऐसा फैक्टर है, जिसकी वजह से युवा मॉडलिंग की ओर आकर्षित होते हैं। वैसे भी पहले के मुकाबले अब मॉडलिंग सिर्फ रैम्प तक सीमित नहीं है। टीवी कॉमर्शियल्स, प्रिंट एडवर्टाइजिंग, टीवी धारावाहिकों आदि के रूप में भी कई विकल्प मौजद हैं।’
कैसे करें शुरुआत
मॉडलिंग की दुनिया से जुड़े लोगों का मानना है कि अगर आप मॉडलिंग की दुनिया में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो आपको 12वीं के बाद ही इस दिशा में बढ़ जाना चाहिए, क्योंकि यहां किसी विशेष शैक्षिक योग्यता की आवश्यकता नहीं है। लेकिन यहां अपना भविष्य बनाने के लिए जरूरी है कि लड़कियों की लंबाई 5.6 फुट और लड़कों की 5.10 फुट हो। इसके अलावा आपका चेहरा और रंग दोनों साफ होने चाहिए तथा शरीर भी बिल्कुल फिट हो। तभी आप रैम्प मॉडलिंग के बारे में सोचें। मॉडलिंग के क्षेत्र में उतरने से पहले आप स्कूल और कॉलेज के स्तर पर ही फैशन शोज और थिएटर में भाग लें। कम उम्र से ही फोटो शूट्स में भाग लेना भी आपके लिए फायदेमंद रहेगा।
प्रशिक्षण 
इसके लिए कोई आधिकारिक प्रशिक्षण फिलहाल मौजूद नहीं है। बावजूद इसके कुछ प्रशिक्षण केंद्र या संस्थान हैं, जहां मॉडलिंग के क्षेत्र के साथ लंबे समय से जुड़े नाम आपको मॉडलिंग जगत से रूबरू होने में मददगार साबित हो सकते हैं। यह केंद्र मुख्य तौर पर दिल्ली और मुंबई में हैं। ये केंद्र आपको ग्रूमिंग, पर्सनेलिटी डेवलपमेंट, मेकअप टिप्स, कैमरा फेसिंग में प्रशिक्षण मुहैया कराते हैं। फैशन जगत में अपना नाम कमाने के लिए जरूरी है कि इन पाठय़क्रमों के अलावा आपके मॉडलिंग की दुनिया से जुडम्े दूसरों लोगों के साथ संपर्क भी हों।
फीस
15 सेशन के किसी पाठय़क्रम के लिए जहां आपको 15 हजार रुपये तक फीस देनी पड़ सकती है, वहीं 2 महीने के पाठय़क्रम के लिए आपको 50 हजार रुपये तक देने पड़ेंगे।
संभावनाएं 
मॉडलिंग की दुनिया में आप उत्पाद एडवर्टाइजिंग से लेकर लाइव फैशन शोज, म्यूजिक वीडियोज, गार्मेट फेयर्स और टीवी धारावाहिकों या फिल्मों में काम कर सकते हैं। इस उद्योग जगत में लंबे समय तक बने रहने के बाद जब आप काफी अनुभवी हो जाते हैं तो अपना स्कूल, केंद्र या संस्थान भी खोल सकते हैं, जहां मॉडल बनने की इच्छा रखने वाले युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा सकता है। अनुभवी मॉडल्स चाहें तो अपनी मॉडल कोऑर्डिनेटिंग एजेंसी भी शुरू कर सकते हैं।
वेतन 
शुरुआत में आपको प्रति शो 5 से 10 हजार रुपये मिल सकते हैं। वैसे यह शो के स्तर व ब्रांड पर भी निर्भर करता है। वहीं अनुभव के साथ यह बढ़ कर 50 हजार रुपये प्रति शो तक पहुंच सकता है।
प्रमुख संस्थान एवं उनकी वेबसाइट
देश में कई मॉडलिंग एजेंसियां हैं, जिन्होंने मॉडल को-ऑर्डिनेटिंग की अपनी भूमिका को बढ़ाते हुए मॉडल्स को प्रशिक्षित करने का काम शुरू किया है। इनमें प्रमुख रूप से फेस 1, ओजोन मॉडल्स मैनेजमेंट, एलीट मॉडल मैनेजमेंट इंडिया, कैटवॉक, ग्लिट्ज, प्लैटिनम मॉडल्स, ग्लैडरैग्स मीडिया, दी रैम्प आदि शामिल हैं।
क्राफ्ट: सेंटर फॉर रिसर्च इन आर्ट ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन, दिल्ली
ग्लैडरैग्स मीडिया लिमिटेड, मुंबई
http://www.gladrags.in/careeracademy.php
मेहर भसीन एकेडमी, दिल्ली
www.meyharbhasinacademy.co.in/contact.htm
आर.के. फिल्म एंड मीडिया एकेडमी, दिल्ली
www.rkfma.com/fashion-modelling-for-ramp.html
ग्लिट्ज मॉडलिंग एजेंसी एंड एकेडमी, दिल्ली

Wednesday, April 6, 2016

बायो-इन्फॉर्मेटिक्स में करियर

चिकित्सा का क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है। इसी कडी में बायोइन्फॉर्मेटिक्समें संभावनाओं के मद्देनजर यह युवाओं के लिए पंसदीदा करियर ऑप्शन बनता जा रहा है।
क्या है बायोइन्फॉर्मेटिक्स
यह शब्द इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और बायोटेक्नोलॉजी से मिल कर बना है। इन दिनों बायोइन्फॉर्मेटिक्स का इस्तेमाल मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के क्षेत्र में खासतौर से किया जाता है। यह एक स्पेशलाइज्ड एरिया है। विशेषज्ञों की मानें, तो इन दिनों बायोइन्फॉर्मेटिक एक्सप‌र्ट्स की डिमांड सप्लाई से कहीं ज्यादा है।
क्या करते हैं बायोइन्फॉर्मेटिस्ट
इस फील्ड से जुडे पेशेवर कंप्यूटर टेक्नोलॉजी के माध्यम से बायोलॉजिकल डाटा का सुपरविजन और एनालिसिस करते हैं। साथ ही, इनका काम डेटाज को स्टोर करने के साथ-साथ एकत्र किए गए बायोलॉजिकल डाटा को एक-दूसरे के साथ मिलान भी करना होता है।
इन दिनों बायोइन्फॉर्मेटिक्स का इस्तेमाल रिसर्च के क्षेत्र में खूब होने लगा है। इस फील्ड से जुडे लोगों के लिए ह्यूमन हेल्थ, एग्रीकल्चर, एंवायरनमेंट और ऊर्जा के क्षेत्र में काम करने का भी भरपूर मौका होता है। इन दिनों बायोमॉलिक्यूलर के लिए क्षेत्र में बायोइन्फॉर्मेटिक्स का इस्तेमाल दवाओं की गुणवत्ता को सुधारने के लिए किया जाता है।
कैसे होती है एंट्री
साइंस स्ट्रीम से 12वीं पास करने वाले स्टूडेंट्स बायोइन्फॉर्मेटिक्स की फील्ड में एंट्री ले सकते हैं। यदि इस सब्जेक्ट में अपनी रिसर्च स्किल को और बेहतर करना चाहते हैं, तो ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन में मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, जेनेटिक, माइक्रोबायोलॉजी, केमिस्ट्री, फॉर्मेसी, वेटेनरी साइंस, फिजिक्स और मैथ्स जैसे विषय जरूर होने चाहिए।
संभावनाएं
करियर एक्सपर्ट जितिन चावला कहते हैं, हर फील्ड में तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। साइंस की फील्ड में बायोइन्फॉर्मेटिक्स से जुडे लोगों की मांग इन दिनों तेजी से बढ रही है, खासकर जीवीके बायोसाइंसेज, एस्ट्राजेनेका, डॉ.रेड्डी लेबोरेटरीज, इनजेनोविस, जुबिलेंट बायोसिस, लैंडस्काई सोल्युशंस आदि जैसी बडी कंपनियां लोगों को हायर करती हैं।
इस फील्ड में सरकारी और निजी मेडिकल इंस्टीट्यूशंस, हॉस्पिटल आदि में रिसर्च कार्यो के लिए बायोइन्फॉर्मेटिक्स के क्षेत्र से जुडे पेशेवरों को हायर किया जाता है, लेकिन बायोइन्फॉर्मेटिक्स से जुडे लोगों के लिए फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री रोजगार का सबसे बडा डेस्टिनेशन है।
इस क्षेत्र से जुडे पेशेवर सीक्वेंस एसेंबलिंग, सीक्वेंस एनालिसिस, प्रोटेओमिक्स, फार्माकोजेनोमिक्स, फार्माकोलॉजी, क्लीनिकल फार्माकोलॉजी, इन्फॉर्मेटिक डेवलपमेंट, कंप्यूटेशनल केमिस्ट्री, बायोएनालिटिक्स, एनालिटिक्स आदि में बेहतरीन करियर बना सकते हैं।
पर्सनल स्किल
बायोइन्फॉर्मेटिक्स का फील्ड रिसर्च से जुडा हुआ है, इसलिए इसमें कदम रखने वाले को जिज्ञासु प्रवृत्ति का होना चाहिए। उसमें आ‌र्ब्जेवशन स्किल जरूरी है। उसे टीम भावना में भी विश्वास होना आवश्यक है।
सैलरी वॉच
बायोइन्फॉर्मेटिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री रखने वाले स्टूडेंट्स इस इंडस्ट्री में 12 से 20 हजार रुपये प्रति महीने की उम्मीद कर सकते हैं, वहीं गवर्नमेंट रिसर्च ऑर्गनाइजेशन में शुरुआत में नौ हजार रुपये प्रति माह के अलावा अलाउंसेज भी मिलते हैं। आमतौर पर एमएनसी में इस क्षेत्र से जुडे लोगों को अच्छी सैलरी मिल जाती है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
बंबई यूनिवर्सिटी, मुंबई
कलकत्ता यूनिवर्सिटी, कोलकाता
मनिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, मनिपाल
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट ट्रेनिंग, पुणे
यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद

Tuesday, April 5, 2016

कार्टोग्राफी में करियर

आज क्रिएटिविटी की एक अलग दुनिया है। इसमें  मानचित्रकला भी एक है। पिछले पांच-छह साल से लगातार मानचित्रकला  के क्षेत्र में ग्रोथ दिखाई दे रही है। डिमांड के अनुसार इस फील्ड में ट्रेंड प्रोफेशनल्स के लिए स्कोप भी बढ़ा है, लेकिन यह केवल उन्हीं के लिए है, जो अपने विषय के साथ-साथ इसमें प्रयोग होने वाली नई टेक्नोलॉजी में भी पूरी तरह से निपुण हैं। मानचित्र तथा विभिन्न संबंधित उपकरणों की रचना, इनके सिद्धांतों और विधियों का ज्ञान एवं अध्ययन मानचित्रकला  कहलाता है। मानचित्र के अतिरिक्त तथ्य प्रदर्शन के लिये विविध प्रकार के अन्य उपकरण, जैसे उच्चावचन मॉडल, गोलक, मानारेख आदि भी बनाए जाते हैं। मानचित्रकला में विज्ञान, सौंदर्यमीमांसा तथा तकनीक का मिश्रण है। इसका रूपांतर कार्टोग्राफी है जो कि  ग्रीक शब्द से बना है।
योग्यता
मानचित्रकार बनने के लिए बैचलर ऑफ कार्टोग्राफी करनी होती है। अर्थ साइंस और अन्य फिजिकल साइंस ग्रेजुएट स्टूडेंट्स भी इस क्षेत्र में करियर बना सकते हैं। उन्हें अपनी बीएससी या बीटेक में एक विषय कार्टोग्राफी रखना चाहिए। अगर आप मानचित्रकार बनना चाहते हैं तो इससे संबंधित डिग्री या डिप्लोमा कोर्स करके इस फील्ड में एंट्री करें। कार्टोग्राफी में बैचलर डिग्री के अलावा ज्योग्राफी, जियोलॉजी, इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस, अर्थ साइंस और फिजिकल साइंस के ग्रेजुएट भी इसमें करियर बना सकते हैं।
मानचित्रकार  की खूबियां
मानचित्रकार साइंटिफिकल, टेक्नोलॉजिकल और ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन को डायग्राम, चार्ट, स्प्रेडशीट और मैप के रूप में पेश करता है। इसमें डिजिटल मैपिंग और ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) सबसे ज्यादा काम में आता है। साथ ही अन्य कौशल का होना भी जरूरी है, जैसे- भूगोल के लिए जुनून, उत्कृष्ट डिजाइन और आईटी कौशल, अच्छी स्थानिक जागरूकता, विश्लेषणात्मक कौशल आदि।
अवसर
मैप का इस्तेमाल एक इंडिविजुअल से लेकर इंडस्ट्रियल पर्पज तक के लिए किया जाने लगा है, इसलिए प्लानर्स, यूटिलिटी कंपनियों, स्टेट एजेंसीज, कंस्ट्रक्शन कंपनियों, सर्वेयर्स, आर्किटेक्ट्स सभी को मानचित्रकार  की जरूरत पड़ती है। इस तरह वेदर फोरकास्टिंग, ट्रैवल एंड टूरिज्म, ज्योलॉजिकल, मिनिरल एक्सप्लोरेशन, मिल्रिटी डिपार्टमेंट, पब्लिशिंग हाउसेज में जॉब के अच्छे मौके हैं। इस कोर्स को करने के बाद रोजगार की कोई समस्या नहीं होती। बहरहाल मानचित्र के बढ़ते हुए प्रयोग को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह क्षेत्र रोजगार की दृष्टि से काफी सुरक्षित है। साथ ही इससे संबंधित निम्न नौकरियां यह भी हैं-मैपिंग तकनीशियन, मैप लाइब्रेरियन, अधिकारी चार्टिग, भौगोलिक सूचना प्रणाली अधिकारी, भूविज्ञानी, भूभौतिकीविद्, ग्राफिक डिजाइनर, जल सर्वेक्षण सर्वेयर, भूमापक सॉफ्टवेयर इंजीनियर।
टेक्निकल जानकारी
वैसे तो मैप बनाने का आर्ट तकरीबन 7 हजार साल से भी ज्यादा पुराना है। पहले मैप बनाने वाले ज्यादातर वक्त फील्ड में बिताते थे और फिर हाथ से मैप बनाते थे, लेकिन अब यह काम कंप्यूटर के जरिए किया जाता है। इसलिए कंप्यूटर स्किल्स के अलावा ज्योग्राफिकल इंफॉर्मेशन सिस्टम और डिजिटल मैपिंग तकनीकी जानकारी रखनी होगी।
मानचित्रकार  एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स होता है, जिसके लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता स्नातक है।
वेतन
शुरुआती दौर में इसमें 15 से 20 हजार रुपये महीना आसानी से कमाया जा सकता है। हालांकि यह संस्थान पर काफी निर्भर करता है। विदेश से अनुभव प्राप्त कार्टोग्राफर 5-10 लाख रुपये प्रति माह भी कमा लेते हैं।
संस्थान
जामिया मिल्लिया इस्लामिया, जामिया नगर, नई दिल्ली 
इंस्टीटय़ूट ऑफ जियोइन्फॉर्मेटिक्स एंड रिमोट सेंसिंग, कोलकाता
मद्रास विश्वविद्यालय
पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़
उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद
नेशनल एटलस एंड थीमैटिक मैपिंग ऑर्गनाइजेशन, कोलकाता
जिम्मेदारियां: मानचित्रकार मुख्य रूप से सार्वजनिक क्षेत्र (स्थानीय अधिकारियों, सरकारी एजेंसियों, रक्षा मंत्रालय, संरक्षण ट्रस्टों और कंपनियों), सर्वेयर और प्रकाशन कंपनियों के लिए काम करते हैं। काम के मुताबिक उन्हें अपना आउटपुट देना होता है।

Monday, April 4, 2016

फिलॉसफी में करियर

फिलॉसफी एक वैज्ञानिक विषय है, जिसमें सच्चाई और वास्तविकता के कारणों का पता लगाने के लिए तर्क का प्रयोग किया जाता है। एक व्यक्ति जो फिलॉसफी सीखता है, उसे फिलॉस्फर कहा जाता है और यह जीवन भर सीखी जाने वाली प्रक्रिया है। जिन्हें मेटाफिजिक्स, लॉजिक, रेशनलिज्म आदि में रुचि है, फिलॉसफी उन बुद्धिजीवियों के लिए यह उचित प्रोफेशन है। फिलॉसफी दूसरे विषयों की तरह नहीं है। दूसरी कई अकादमिक शिक्षा छात्रों को एक बेहतर कैरियर बनाने के लिए प्रदान करवाई जाती है, लेकिन फिलॉसफी इन सबसे अलग है। यह कोई ट्रेनिंग नहीं है, बल्कि जीवन भर सीखने वाली शिक्षा है। यदि आपकी रुचि इस क्षेत्र में है, तो यह एक बेहतर कैरियर विकल्प बन सकता है। फिलॉसफी की कुछ उप शाखाएं हैं, जिनमें से किसी एक को चुनकर आप बेहतर कैरियर बना सकते हैं, वे हैं-  एस्थेटिक्स ः यह मुख्य रूप से  सौंदर्य, रुचि और भावनात्मक सार्थकता पर आधारित शिक्षा है। एस्थेटिक्स मुख्य रूप से फिलॉसफी आफ आर्ट से संबंधित है। एपिस्टमोलॉजी ः इस शाखा में प्रकृति से लगाव, विश्वास और ज्ञान के बारे में बताया जाता है। एथिक्स ः यह अच्छे, कीमती और सही की शिक्षा है। इसमें अप्लायड नीति शास्त्र की शिक्षा भी दी जाती है। लॉजिक ः इसमें अच्छे तर्क-वितर्क की शिक्षा दी जाती है, वाद-विवाद के जरिए तर्कों को आंका जाता है। मेटाफिजिक्स ः यह शाखा वास्तविकता की असली पहचान की शिक्षा देती है।
शैक्षणिक योग्यता 
फिलॉसफी विषय में प्रवेश के लिए छात्र का बारहवीं पास होना आवश्यक होता है। इस कोर्स को करने की अवधि तीन साल की है। कई संस्थानों द्वारा इस कोर्स में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है। फिलॉसफी के मुख्य कोर्सों में आप बीए, एमए, एमफिल और पीएचडी आदि कर सकते हैं। डाक्टर आफ फिलॉसफी में प्रवेश पाने के लिए छात्र का संबंधित विषय में एमफिल होना आवश्यक है। 
कोर्स 
फिलॉसफी के कोर्स आप दुनिया के किसी भी हिस्से से कर सकते हैं। एथिक्स और एस्थेटिक्स भी इस कोर्स का हिस्सा हैं। लॉजिक एक दूसरा हिस्सा है, जो फिलॉसफी के कोर्स में छात्रों को करवाया जाता है। भारत में कई सरकारी और निजी संस्थानों द्वारा फिलॉसफी में कोर्स करवाए जाते हैं। इसके मुख्य कोर्सों में आप बीए इन फिलॉसफी, अंडरग्रेजुएट कोर्स इन फिलॉसफी, पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स इन फिलॉसफीमास्टर डिग्री इन फिलॉसफी, पीएचडी इन फिलॉसफी, मास्टर आफ फिलॉसफी (लॉ), डाक्टर आफ फिलॉसफी (पार्ट टाइम), मास्टर आफ फिलॉसफी (एमफिल) इन इकोनोमिक्स, बीए (ऑनर्स) इन फिलॉसफी और डिप्लोमा इन फिलॉसफी एंड रिलीजन आदि कोर्स भी कर सकते हैं। बीए करने के बाद आप लिंग्विस्टिक्स, सोशियोलॉजी, साइकोलॉजी और यहां तक कि इतिहास के क्षेत्रों में आप उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं। 
रोजगार की संभावनाएं  
इस कोर्स को करने के बाद ग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट छात्रों के लिए सरकारी, कारपोरेट क्षेत्रों में कई कैरियर विकल्प उपलब्ध रहते हैं। कारपोरेट क्षेत्र में एक फिलॉसफी ग्रेजुएट मैनपावर डिवेलपमेंट मैनेजर और मैनपावर सर्विसेज को-आर्डिनेटर के रूप में नौकरी प्राप्त कर सकता है। सरकारी क्षेत्र में आप एक आर्किविस्ट के रूप में काम कर सकते हैं। एक कंसल्टिंग फिलॉस्फर की मांग उनके विचारों और फिलॉसफी की वजह से पूरी दुनिया में रहती है। इसके अलावा एक फिलॉस्फर जर्नलिज्म और पब्लिशिंग इंडस्ट्री में एक राइटर और एडीटर के रूप में रोजगार प्राप्त कर सकता है। इसके साथ ही आप रिसर्च में भी जा सकते हैं। एक ग्रेजुएट डिग्री प्राप्त करने वाला दूसरे अन्य कई क्षेत्रों में नौकरी प्राप्त कर सकता है। इस क्षेत्र में निपुण व्यक्ति सरकारी और निजी फर्मों में बेहतर रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। सरकारी और निजी स्कूलों में भी फिलॉसफी के क्षेत्र में ढेरों संभावनाएं हैं। इसके अलावा कालेजों और विश्वविद्यालयों में भी आप बेहतर रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। यहां पर आप एक प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में नौकरी प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही आप भारत के अलावा विदेशों में अच्छे वेतनमान पर नौकरी प्राप्त कर सकते हैं। यहां पर आप कारपोरेट क्षेत्रों में नौकरी प्राप्त करके बेहतर कमाई भी कर सकते हैं।
वेतनमान 
फिलॉसफी के क्षेत्र में वेतनमान ऊंचाइयां छूता है। टीचिंग के क्षेत्र में एक असिस्टेंट प्रोफेसर 30000 रुपए प्रतिमाह से ऊपर वेतनमान प्राप्त करता है। इसके अलावा एक प्रोफेसर 80000 रुपए प्रतिमाह प्राप्त करता है। 
कोर्स 
1.    बीए इन फिलॉसफी 
2.    अंडरग्रेजुएट कोर्स इन फिलॉसफी 
3.    पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स इन फिलॉसफी   
4.    मास्टर डिग्री इन फिलॉसफी 
5.    पीएचडी इन फिलॉसफी 
6.    मास्टर आफ फिलॉसफी (लॉ)  
7.    डाक्टर आफ फिलॉसफी (पार्ट टाइम)  
8.    मास्टर आफ फिलॉसफी (एमफिल) इन    इकोनोमिक्स  
9.    बीए (ऑनर्स) इन फिलॉसफी 
10. डिप्लोमा इन फिलॉसफी एंड रिलीजन 
संस्थान 
1.  राजकीय कन्या महाविद्यालय, शिमला 
2.  गवर्नमेंट डिग्री कालेज, नालागढ़
3. महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी, रोहतक 
4.  एसआर गवर्नमेंट कालेज फार वूमेन, अमृतसर 
5.  गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर 
6.  पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला 
7.  देव समाज कालेज फार वूमन, फिरोजपुर 
8. डीएवी कालेज फार वूमन, अमृतसर 
9. पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ 
10. कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, कुुरुक्षेत्र 
11. गवर्नमेंट नेशनल कालेज, सिरसा 
12. दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली

Sunday, April 3, 2016

ऊर्जा प्रबंधन एमबीए

वैश्विक पर्यावरण परिवर्तन और नई प्रौद्योगिकियों के विकास, ऊर्जा प्रबंधन, एक जटिल, तेजी से पुस्तक क्षेत्र बन जाता है नए समाधान की आवश्यकता होती है अत्यधिक कुशल और उचित रूप से प्रशिक्षित व्यक्तियों द्वारा वितरित किया जाना है।
हमारे मास्टर कार्यक्रम टीयू कैम्पस EUREF पर "ऊर्जा प्रबंधन" बर्लिन में न केवल ऊर्जा प्रबंधन के मुद्दों के क्षेत्र में नवीनतम अंतर्दृष्टि बता देते हैं, लेकिन चापलूस की चुनौतियों पर चर्चा और, उद्योग को आकार देने में अग्रणी भूमिका, और समाज के लिए छात्रों को तैयार भविष्य के लिए आगे।
एमबीए ऊर्जा प्रबंधन कार्यक्रम Technische Universität बर्लिन (EUREF-कैम्पस), और व्यापक जर्मनी में विश्वविद्यालय शिक्षा की दुनिया में एक नेता के एक पूर्णकालिक मास्टर कार्यक्रम है। शिक्षा की भाषा अंग्रेजी है। कार्यक्रम extraoccupational है और स्नातकोत्तर काम करने का अनुभव के कम से कम एक वर्ष की आवश्यकता है।

कार्यक्रम सामग्री

ऊर्जा के क्षेत्र में प्रबंधन के निर्णय क्षेत्र के तकनीकी, आर्थिक, कानूनी, और उद्यमशीलता की विशेषताओं की गहरी समझ की आवश्यकता होती है। जलवायु परिवर्तन, आर्थिक परिवर्तन, जनता की राय, तकनीकी प्रगति और विनियमन आकार और उद्यमशीलता की छूट की सीमा है, लेकिन यह भी अक्सर अनपेक्षित संभावना है और अवसर प्रदान करते हैं। इसलिए मोटे तौर पर इस उद्योग में कुशल व्यक्तियों, जो क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं की आवश्यकता है।
मास्टर कार्यक्रम तीन सेमेस्टर की अवधि में सिखाया जाता है। पहले सेमेस्टर ऊर्जा के क्षेत्र में प्रबंधन के निर्णय के लिए तकनीकी, आर्थिक, उद्यमशीलता और कानूनी नींव शामिल किया गया; दूसरे सेमेस्टर के इस दृश्य गहरा और मुख्य रूप से ग्रिड आधारित उपयोगिताओं, और निवेश की, व्यवसाय प्रथाओं पर लग रहा है; तीसरे सेमेस्टर दृश्य, जबकि एक साथ छात्र की व्यक्तिगत हितों के अनुसार अभ्यास पर ध्यान केंद्रित कर broadens। सभी सेमेस्टर व्याख्यान, ट्यूटोरियल, सेमिनार के साथ ही आस, अभ्यास करने के लिए संबंधित ऑनलाइन सामग्री और पाठ्येतर गतिविधियों में शामिल हैं। तीसरे सेमेस्टर में होने के कारण मास्टर थीसिस कार्यक्रम समाप्त।

मॉड्यूल

  • तकनीकी बुनियादी बातों
  • आर्थिक नींव
  • सामरिक नेतृत्व और वैश्विक प्रबंधन
  • ऊर्जा कानून
  • बिजली के जाल
  • ऊर्जा अर्थव्यवस्था और ऊर्जा व्यापार
  • ग्रिड, भंडारण और बिजली संयंत्रों में निवेश
  • बिल्डिंग ऊर्जा दक्षता (अनिवार्य वैकल्पिक)

लाभ और अवसर

कार्यक्रम अग्रणी उद्यमों, परामर्शी और ऊर्जा के क्षेत्र में नियामक अधिकारियों के साथ निकट सहयोग में विकसित किया गया है। अध्ययन स्थान रोमांचक EUREF-परिसर में जहां कई उद्योग के नेताओं के कार्यालय की स्थापना की और लगता है कि टैंक है। औद्योगिक दुकानों और कंपनियों के लिए यात्रा आगे सिद्धांत और व्यवहार के बीच की कड़ी को मजबूत।
हम Technische Universität (टीयू) बर्लिन, जो वर्तमान में 30,000 से अधिक छात्रों के साथ जर्मनी के सबसे बड़े विश्वविद्यालयों में से एक है का हिस्सा हैं। टीयू बर्लिन समर्थन और पाठ्येतर गतिविधियों की एक विस्तृत रेंज प्रदान करता है।
कार्यक्रम के अंतःविषय सामग्री है, जो, ऊर्जा बाजार की राजनीतिक, आर्थिक, तकनीकी और कानूनी पहलुओं को शामिल किया छात्रों और भविष्य के कर्मचारियों के लिए एक विशिष्ट प्रोफ़ाइल देता है और ऊर्जा के क्षेत्र में प्रमुख पदों के लिए उन्हें उत्तीर्ण। सीखने और करने के लिए 30 छात्रों के छोटे समूहों में पढ़ने वाले व्यक्ति और उत्कृष्ट शिक्षा की स्थिति के लिए अनुमति देता है।
मास्टर शोध करे के लिए विषयों शीर्ष पायदान अनुसंधान और अक्सर उद्योग या सरकार के प्रस्तावों के आधार पर कर रहे हैं। कौशल और ज्ञान हमारे पाठ्यक्रम में स्थानांतरित कर सभी ऊर्जा से संबंधित उद्योगों में उच्च मांग में हैं, इसलिए स्नातकों के लिए कैरियर के अवसरों असाधारण रहे हैं।

आवेदन

आवेदन की समय सीमा उसी वर्ष अक्टूबर में शुरू करने के लिए प्रत्येक वर्ष की 31 मई है।
आप हमें अगले शैक्षणिक वर्ष 2016/2017 अक्टूबर 2016 में शुरू होने के लिए मई 2016 के माध्यम से जनवरी से अपने आवेदन दस्तावेजों भेज सकते हैं। कृपया केवल पीडीएफ फाइलों को भेजें।
आवश्यक आवेदन दस्तावेजों:
  • अंग्रेजी में प्रेरणा पत्र (अधिकतम। 1 पृष्ठ ए 4, सीए 400 शब्द)
  • शैक्षिक और व्यावसायिक पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी के साथ सारणीबद्ध बायोडेटा
  • विश्वविद्यालय की डिग्री (एस) जर्मन विश्वविद्यालयों द्वारा मान्यता प्राप्त (कम से कम 210 ECTS पर)
  • कम से कम एक साल के काम करने का अनुभव प्रमाण (अधिमानतः ऊर्जा के क्षेत्रों में काम कर रहे प्रासंगिक) के अध्ययन के पूरा होने के बाद
  • आम यूरोपीय भाषाओं के लिए संदर्भ के फ्रेमवर्क (CEFR) के स्तर बी 2 (या अधिक) में अंग्रेजी भाषा के ज्ञान का प्रमाण - अंग्रेजी भाषा के साथ उच्च विद्यालय के स्नातक स्तर की पढ़ाई के लिए आवश्यक नहीं
  • प्रवेश प्रक्रिया इस विस्तृत टीयू विनियमन के अधीन है।
छात्रों की संख्या 30 प्रति वर्ष तक सीमित है। एक प्रवेश समिति के पूर्व अध्ययन, अध्ययन प्रोफ़ाइल है, और आगे प्रासंगिक योग्यता है कि विश्वविद्यालय के बाहर प्राप्त कर रहे थे के परिणामों के आधार पर चयन के बारे में फैसला करेंगे।

अर्थसाइंस से बनाएं सुनहरा भविष्य

अर्थसाइंस एक तरह से जियोलॉजी की ही अगली कड़ी है। इस कोर्स को बाजार की आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर ही तैयार किया गया है, इसलिए इसमें जॉब के विभिन्न स्तरों पर अनेक संभावनाएं हैं।
पृथ्वी के उदगम, विकास और इसके अंदर और बाहर चलने वाली हलचलों को जानना खासा रोचक है। क्या अन्य ग्रहों पर कोई जीवन है? चन्द्रमा, मंगल, बृहस्पति और अन्य ग्रहों पर क्या संसाधन उपलब्ध हैं? इनमें क्या बदलाव आ रहे हैं? सिकुड़ते ग्लेशियरों का महासागरों और जलवायु पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? इस तरह की तमाम बातें और अनसुलझी पहेलियों के बारे में डाटा एकत्र करने का काम भूवैज्ञानिक करते हैं, उसका विश्लेषण करते हैं और एक निष्कर्ष पर पहुंचने का प्रयास करते हैं।
आज जब पूरे विश्व की धरती को लेकर तरह-तरह की खबरें आ रही हैं, इसे समझने और उसकी तह तक जाने के लिए ऐसे विशेषज्ञों की अच्छी-खासी जरूरत पड़ रही है। दिल्ली विश्वविद्यालय ने इस क्षेत्र में कुशल वैज्ञानिक और विशेषज्ञों की मांग को ध्यान में रखते हुए अर्थसाइंस का पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स शुरू किया है। खास बात यह कि एमएससी इन अर्थसाइंस नाम से प्रचारित इस कोर्स में प्रवेश का दरवाजा बारहवीं कक्षा के बाद ही खोला गया है। पांच साल के इस कोर्स को पूरा करने के बाद सीधे करियर अपनाने या चुनने का मौका मिलता है।
क्या है कोर्स में?
इस कोर्स में पहले तीन साल स्नातक स्तर की पढ़ाई होती है। इसके बाद सीधे एमएससी में दाखिला मिलता है। कुल 10 सेमेस्टर हैं। इसमें अर्थसाइंस के विविध पहलुओं जैसे भूभौतिकी, जल विज्ञान, समुद्र विज्ञान, वातावरणीय विज्ञान, ग्रहीय विज्ञान, मौसम विज्ञान, पर्यावरणीय विज्ञान और मृदा विज्ञान को व्यापक तौर पर पढ़ने व समझने का मौका मिलता है। महाद्वीपों के खिसकने, पर्वतों के बनने, ज्वालामुखी फटने के क्या कारण हैं, वैश्विक पर्यावरण किस तरह परिवर्तित हो रहा है, पृथ्वी प्रणाली कैसे काम करती है, हमें औद्योगिक कूड़े का निपटान कैसे और कहां करना चाहिए, भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हुए समाज की ऊर्जा और पानी की बढ़ती मांग को कैसे पूरा किया जा सकता है, जिस तरह विश्व की जनसंख्या बढ़ रही है, क्या हम उसके लिए पर्याप्त खाद्य तैयार कर सकते हैं तथा किस प्रकार खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं, ये सब चीजें अर्थसाइंस के अध्ययन क्षेत्र में हैं।
भूवैज्ञानिक समस्याओं को सुलझाने और संसाधन प्रबंधन, पर्यावरणीय सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुरक्षा तथा मानव कल्याण के लिए सरकारी नीतियों को तैयार करने में प्रयुक्त अनिवार्य सूचना या डाटाबेस उपलब्ध कराते हैं। कोर्स के दौरान खनन, तेल व प्राकृतिक गैस, भूजल, कोयला, जियो तकनीक, जीआईएस व रिमोट सेंसिंग, पर्यावरण अध्ययन, ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन जैसे कई क्षेत्रों को जानने और समझने का अवसर दिया जाता है। इनसे जुडे क्षेत्रों में से एक क्षेत्र में छात्रों को आगे चल कर स्पेशलाइजेशन चुनना होता है। यह काम एमएससी स्तर पर होता है। एमएससी में चार पेपर थ्योरी के हैं। इसके अलावा कई पेपर वैकल्पिक हैं, जिसमें से छात्र किसी एक को चुन कर अपना करियर बना सकता है।
कोर्स के दौरान छात्रों को दो तरह की ट्रेनिंग भी दी जाती है। पहले स्तर पर हर साल छात्रों को फील्ड ट्रिप पर भेजा जाता है। एमएससी स्तर पर समर ट्रेनिंग और समर इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग के अलावा डिजर्टेशन का काम पूरा करना होता है। यहां फील्ड वर्क के बहुत विकल्प हैं।
शाखाएं
अर्थसाइंस की कई शाखाएं हैं। इनमें पर्यावरण अध्ययन, माइनिंग, जियोटेक्नोलॉजी, डिजास्टर मैनेजमेंट, एटमॉसफेरिक साइंस, जियोहैजर्डस, क्लाइमेट चेंज, ओशनोग्राफी, रिमोट सेंसिंग, एप्लायड हाइड्रोजियोलॉजी, काटरेग्राफी और जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम आदि प्रमुख हैं।
अवसर हैं कहां
कोर्स के छात्र के लिए राज्य और केन्द्र सरकार में जियोलॉजिस्ट बनने के कई अवसर हैं। एमएससी पास छात्रों के लिए जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा समय-समय पर जियोलॉजिस्ट की भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की जाती है। सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड भी इस कोर्स के छात्रों को काम करने का अवसर मुहैया कराता है। इसमें हाइड्रोजियोलॉजिस्ट के रूप में उसी स्केल पर नियुक्ति होती है, जिस स्केल पर जियोलॉजिस्ट की। इनके अलावा पीएचडी करने के बाद साइंटिस्ट पद पर भर्ती होती है। ये सभी पद ग्रेड ए स्तर के अधिकारी के हैं। रिसर्च संस्थाओं के अलावा आजकल निजी कंपनियों में एग्जिक्यूटिव के रूप में भी क्लास वन पद पर इसके विशेषज्ञ रखे जा रहे हैं।
ओएनजीसी, वेदांता, हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड, ईएसएसआर, केर्न इंडिया जैसी कई कंपनियां हैं, जहां इनकी मांग है। पीएचडी करने वालों के लिए रिसर्च एसोसिएट और अध्यापन के भी मौके हैं। इसके अलावा इनकी मांग देश में जहां पेयजल के लिए काम हो रहा है या फिर सीमेंट, माइनिंग आदि के कामों में इस कोर्स के छात्रों की मांग है।
दाखिला कैसे
इसमें बारहवीं की मेरिट के आधार पर दाखिला दिया जाता है। साइंस के छात्र के लिए बारहवीं में भौतिकी, गणित और रसायनशास्त्र पढ़ा होना जरूरी है, तभी उसे दाखिला दिया जाता है। हंसराज कॉलेज इस कोर्स की कट ऑफ लिस्ट निकाल कर मेरिट के हिसाब से दाखिला देता है। आईआईटी प्रवेश परीक्षा पास करने वाले को कट ऑफ में 5 फीसदी की छूट दी जाती है। ओबीसी वर्ग के लिए कट ऑफ में दस फीसदी तक रियायत है।
फैक्ट फाइल
कोर्स कराने वाले संस्थान
इस कोर्स की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग में होती है। हालांकि दाखिला हंसराज कॉलेज में हो रहा है। वहां छात्रों को मुख्य पेपर के लिए नहीं, बल्कि उसके साथ पढ़ाए जाने वाले स्पेशलाइजेशन पेपरों के लिए जाना होता है। मुख्य कोर्स की पढ़ाई और क्लास जियोलॉजी विभाग में होती है। कुल 25 सीटें हैं।
विश्वविद्यालय में इसके अलावा जियोलॉजी ऑनर्स का कोर्स रामलाल आनंद कॉलेज में चलाया जा रहा है, लेकिन अर्थसाइंस का सिलेबस इससे थोड़ा भिन्न है। यह कोर्स इसके अलावा देश में आईआईटी खड़गपुर और रुड़की में चलाया जा रहा है।
दिल्ली विश्वविद्यालय, हंसराज कॉलेज
आईआईटी, खड़गपुर और रुड़की
पांडिचेरी यूनिवसिटी, पुड्डुचेरी
इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद
फैक्ट फाइल
स्कॉलरशिप
इस कोर्स में आईआईटी संस्थानों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए आयोजित गेट पास करने के बाद छात्रों को 8 हजार रुपये प्रतिमाह मिलते हैं। एमएससी के बाद एमफिल या पीएचडी की पढ़ाई पूरी करने के लिए जेआरएफ यानी जूनियर रिसर्च फेलोशिप के रूप में करीब 20 हजार रुपये मिलते हैं।
एमफिल स्तर पर केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में सरकार की ओर से करीब तीन हजार रुपए प्रतिमाह स्कॉलरशिप दी जाती है।
पीएचडी में यह राशि पांच हजार प्रतिमाह है। अर्थ विज्ञान के क्षेत्र में शोध कार्य के लिए अन्य सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं भी स्कॉलरशिप देती हैं। यह रिसर्च कार्यों, पीएचडी या पोस्ट डॉक्टरेट फेलोशिप के लिए दी जाती है।
वेतन
इस कोर्स के छात्रों को रिसर्च संस्थान 30 हजार से लेकर 40 हजार तक के पैकेज पर ले जा रही हैं। निजी क्षेत्रों में युवाओं की सैलरी स्किल को देखते हुए तय की जाती है। जियोलॉजिस्ट का वेतनमान भी 40 हजार रुपये से 50 हजार रुपये है।
कॉलेज शिक्षण और रिसर्च एसोसिएट के रूप में वेतनमान शुरुआती तौर पर 40 से 45 हजार रुपये है।
कोचिंग संस्थान
कोर्स में दाखिला आमतौर पर 12वीं के अंकों के आधार पर होता है। भौतिकी, रसायनशास्त्र और गणित की पृष्ठभूमि से लैस छात्रों को ही इंटीग्रेटेड एमएससी अर्थसाइंस में दाखिला मिलता है। अगर चाहें तो बारहवीं के बोर्ड में इन विषयों में अच्छे अंक लाने के लिए कोचिंग संस्थान की मदद ले सकते हैं। अपने पास किसी स्तरीय कोचिंग का चुनाव कर सकते हैं। जो छात्र आईआईटी प्रवेश परीक्षा में सफल होकर इधर आना चाहते हैं, वे भी कोचिंग की मदद ले सकते हैं।
एजुकेशन लोन
कॉलेज में इससे जुड़े कोर्स में दाखिले की फीस बहुत कम है, इसलिए लोन की जरूरत नहीं पड़ती। विदेश में पीचएडी की पढ़ाई के लिए बैंक में लोन आदि की व्यवस्था है।
अवसर 
स्नातक की डिग्री हासिल कर चुके छात्रों के लिए बीएड करने के बाद शिक्षण, टूरिज्म में सर्टिफिकेट कोर्स करके टूर एंड ट्रेवल्स एजेंसी आदि में काम के अवसर मिलते हैं। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होकर बैंक व अन्य निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्रों में नौकरी कर सकते हैं। सरकारी क्षेत्र की ओर देखें तो यूपीएससी की परीक्षा में शामिल होकर आईएएस, आईपीएस बन सकते हैं।
अगर इतिहास की अच्छी समझ है तो ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बनने वाले धारावाहिक या फिल्म में पटकथा लेखन का काम कर सकते हैं। एमए, एमफिल करने के बाद कॉलेजों में अध्यापन का काम करने के काफी अवसर हैं। पुरातत्व विभाग से डिप्लोमा कोर्स करने के बाद केन्द्र व राज्य सरकार के संग्रहालयों में काम किया जा सकता है
Dear Sir
       Please find encloser
thanx n regards...
ph:9278320005

Friday, April 1, 2016

पेशेवर पायलट: रोमांचक करियर

पायलट ’ शब्द जोखिम, ग्लैमर, विशेष भत्तों और ऊंची उड़ान से जुड़ा है। वस्तुत: इस करियर में अत्याधिक आकर्षण है, जबकि अन्य सामान्य नौकरियों में इसका अभाव है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि सफलता की ऊंची उड़ान भरने के लिए इच्छुक पायलट को अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ता है, जिसमें बहुत कम लोग सफल हो पाते हैं।

  पायलट के लिए आवश्यक गुणः-
अगले पांच वर्षों के भीतर वाणिज्यिक पायलट की आवश्यकता दोगुनी हो जाएगी। व्यावसायिक (पेशेवर) पायलट का कार्य काफी मानसिक दबाव वाला होता है, क्योंकि उसके कंधों पर सैकड़ों यात्रियों की जिम्मेदारी होती है। ऐसे पायलट को केवल उड़ान प्रक्रिया से ही भली-भांति परिचित नहीं होना चाहिए बल्कि उसे मौसम-विज्ञान, वायु-संचालन, अत्याधिक अधुनातन उपकरण व यांत्रिकी की जटिलताओं का भी ज्ञान होना चाहिए।
 
इसके अतिरिक्त सफल पायलट बनने के लिए आपके पास समुचित मानसिक योग्यता एवं शीघ्र प्रतिक्रिया करने की क्षमता भी होनी चाहिए। उच्च स्तरीय मानसिक योग्यता के बलबूते पर पायलट को तूफान, एयर ट्रैफिक नियंत्रण से संपर्क टूट जाने पर अचानक यांत्रिक रुकावट तथा विमान अपहरण जैसे खतरों से बचाव के लिए तुरंत निर्णय लेने पड़ते हैं। इसके बाद पायलट के प्रशासनिक अनुसूचियों से संबंधित कार्य आते हैं।

जिम्मेदारियां:- 

इन्हें उड़ान की समय सारणी, रिफ्यूलिंग अनुसूची, फ्लाइट पाठ्यक्रम आदि तैयार करने होते हैं। उड़ान से पहले पायलट और उनके समूह को मौसम-विज्ञान को पढ़ना, उपकरण की स्थिति, वायुदाब और वायुयान के भीतर का तापमान दो बार जांचना पड़ता है।

ये लोग विमान की यांत्रिक एरोनॉटिकल तथा इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग क्षेत्र में विशेषज्ञ होते हैं। पायलट को यह भी सुनिश्चित करना पड़ता है कि वायुयान का भार समुचित रूप से संतुलित तथा इष्टतम है। दूसरे शब्दों में, पायलट सुचारु उड़ान, यात्रा एवं विमान उतरने की प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार होता है।

इसके कार्यक्षेत्र में सहायक पायलट, कर्मीदल की संक्षिप्त जानकारी देना शामिल है। वह रिफ्यूलिंग और कार्गो/सामान रखने (लोडिंग) का पर्यवेक्षण करता है। पायलट को उड़ान के दौरान तनाव के दौर से गुजरना पड़ता है। विमान के उपकरण अति आधुनिक होते हैं और जरा सी त्रुटि जानलेवा साबित हो सकती है।

पायलट को यंत्रों एवं नियंत्रण बोर्ड पर प्रस्तुत डाटा का विश्लेषण करना पड़ता है। वह अति आधुनिक कम्प्यूटर की सहायता से यह कार्य करता है। उड़ान के सर्वाधिक जटिल पहलू- उड़ान भरना तथा जमीन पर उतरना है।

वेतनः-

पायलट को उड़ान के दौरान मौसम की स्थितियों या तकनीकी रुकावटों के आधार पर समायोजन करना होता है। वाणिज्यिक पायलट का प्रारंभिक वेतन काफी अच्छा होता है। यह राशि एयरलाइन और उड़ान घंटों पर निर्भर करती है। बाद में आय की कोई सीमा नहीं है।

उच्च वेतन के अलावा पायलट अनेक विशेष सुविधाओं का भी हकदार है, जैसे ड्यूटी के समय नि:शुल्क आवास सुविधा, उसके एवं परिवार के लिए बिना टिकट विश्व में कहीं भी घूमने की सुविधा आदि।

चूंकि पायलट का कार्य जटिलता से भरा होता है, अत: उसमें आत्मविश्वास, धर्य एवं शांत स्वभाव जैसे गुण होने चाहिए। अच्छा स्वास्थ्य, आरोग्यता, सामान्य नेत्र दृष्टि आदि महत्वपूर्ण अर्हताएं हैं। वाणिज्यिक उड़ान का लाइसेंस लेना इच्छुक/भावी पायलट की पूर्व अपेक्षा है।

लाइसेंसः-

विद्यार्थी पायलट लाइसेंस किसी पंजीकृत उड़ान क्लब से लेना चाहिए। यह क्लब वाणिज्यिक विमानन के महानिदेशक कार्यालय से जुड़ा होता है। एसपीएल लेने के बाद आप निजी पाइलट का लाइसेंस लेते हैं, इसके बाद वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस (सीपीएल) मिलता है।

योग्यता व प्रशिक्षणः- 


सीपीएल वाणिज्यिक पायलट की अंतिम पात्रता है। एसपीएल प्राप्त करने के लिए प्रत्येक राज्य में फ्लाइंग क्लबों द्वारा आयोजित सैद्धांतिक परीक्षा देनी होती है। इस परीक्षा में वायु-नियंत्रण, विमानन-मौसम विज्ञान, वायु-संचालन आदि विषय शामिल हैं। 
प्रत्याशी की आयु सोलह वर्ष हो तथा उसने दसवीं कक्षा उत्तीर्ण कर ली हो। इन मूलभूत शर्तों के अलावा प्रत्याशी को चिकित्सा प्रमाण-पत्र देना होता है, साथ ही सुरक्षा संबंधी अनुमति एवं 10,000 की बैंक गारंटी देनी होती है। प्रत्याशियों को परीक्षा से एक मास पूर्व अपना नाम लिखाना पड़ता है। लिखित परीक्षा में चयन हो जाने पर उन्हें साक्षात्कार देना होता है। दोनों स्तरों पर परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद चिकित्सा परीक्षा ली जाती है।

वायुसेना की केंद्रीय चिकित्सा स्थापना बेंगलूरु के पास आरोग्यता प्रमाण-पत्र देने का अंतिम प्राधिकार है। चिकित्सा परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद व्यक्ति को एसपीएल मिलता है। एसपीएल मिलने के बाद शिक्षक द्वारा प्रारंभिक फ्लाइंग प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें पंद्रह घंटे की उड़ानें शामिल हैं। इसके बाद प्रत्याशी स्वतंत्र रूप से हवाई जहाज उड़ाता है। कुल साठ घंटे की अवधि तक उड़ान भरना जरूरी है, जिसमें से बीस घंटे अकेले उड़ान भरनी है तथा पांच घंटे क्षेत्र से पार उड़ान भरनी होती है।

पीपीएल की पात्रता सत्रह वर्ष की आयु तथा +2 परीक्षा है। पी.पी.एल. प्राप्त करने के बाद ही सी.पी.एल. मिल सकता है। अधिकांश फ्लाइंग क्लब एक सौ नब्बे घंटे का व्यावहारिक उड्डयन अनुभव प्रदान करते हैं, जिसमें यथा विनिर्दिष्ट अकेले फ्लाइंग से लेकर क्षेत्र पार मापन यंत्र (इंस्ट्रूमेंट) तथा रात के दौरान उड़ान भरना शामिल है। सीपीएल की परीक्षा के बाद प्रत्याशी को दो सौ पचास घंटे की फ्लाइंग पूरी करनी होती है, जिसमें पीपीएल के साठ घंटे शामिल हैं।

डीजीसीए के अनुसार अपेक्षित है कि सीपीएल आवेदक के पास लाइसेंस की बोली (बिड) की तारीख तक कम से कम छह मास में दस घंटों का फ्लाइंग अनुभव होना चाहिए। इन दस घंटों की फ्लाइंग में कम से कम पांच घंटे रात्रि की उड़ानें हों और दस उड़ानें भरने तथा जमीन पर जहाज उतारने का अनुभव हो।

भारत में दो प्रमुख एयरलाइंस हैं-इंडियन एयरलायंस, जो घरेलू सरकारी एयरलायंस है तथा दूसरी एयर इंडिया है। इसके अलावा निजी घरेलू एयरलाइंस हैं, जैसे -जैट एयरवेज और सहारा। इन एयरलाइंस के अलावा यूनाइटेड एयरलाइंस, लुफ्थांसा, केएलएमजेएएल जैसी अन्य विश्व की प्रमुख एयरलाइंस हैं। भारत में वाणिज्यिक पायलट की रोजगार संभावनाएं काफी व्यापक हैं।

संस्थानः-

भारत में निम्नलिखित फ्लाइंग संस्थान हैं: 
पूर्वी क्षेत्र


1. फ्लाइंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट बेहाला, कोलकाता - 700 060
2. जमशेदपुर को-ऑपरेटिव फ्लाइंग क्लब लि., सांसी हवाई अड्डा, जमशेदपुर
3. बिहार फ्लाइंग इंस्टीट्यूट, सिविल एयरोड्रॉम, पटना
4. गवर्मेंट एविएशन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, सिविल एयरोड्रॉम, भुवनेश्वर
5. असम फ्लाइंग क्लब, गुवाहाटी एयरपोर्ट, गुवाहाटी, असम

पश्चिमी क्षेत्र 

1. मुंबई फ्लाइंग क्लब, जुहू एयरोड्रॉम, सांताक्रूज (पश्चिम) मुंबई
2. राजस्थान स्टेट फ्लाइंग स्कूल, सांगनेर एयरपोर्ट, जयपुर
3. नागपुर फ्लाइंग क्लब, सोनगांव एयरोड्रॉम, नागपुर
4. फ्लाइंग क्लब, सिविल एयरोड्रॉम, हांसी रोड, वड़ोदरा
5. अजंता फ्लाइंग क्लब, औरंगाबाद

उत्तरी क्षेत्र

1. स्कूल ऑफ एविएशन, साइंस एंड टेक्नोलॉजी दिल्ली फ्लाइंग क्लब लिमिटेड, सफदरजंग एयरपोर्ट, नई दिल्ली
2. गवर्मेंट फ्लाइंग क्लब, एयरोड्रॉम, लखनऊ
3. स्टेट सिविल एविएशन, उ.प्र. गवर्मेंट फ्लाइंग ट्रेनिंग सेंटर, कानपुर और वाराणसी
4. पटियाला एविएशन क्लब, पटियाला पंजाब
5. एम.पी. फ्लाइंग क्लब, सिविल एय रोड्रॉम, भोपाल
6. करनाल एविएशन क्लब, कुंजपुर रोड, करनाल हरियाणा

दक्षिणी क्षेत्र

1. गवर्नमेंट फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूल, जाकुर एयरोड्रॉम, बेंगलूरु
2. आंध्र प्रदेश फ्लाइंग क्लब, हैदराबाद एयरपोर्ट
3. मद्रास फ्लाइंग क्लब लि. सिविल एयरपोर्ट, चेन्नई
4. कोयंबतूर फ्लाइंग क्लब लि., सिविल एयरोड्रॉम, कोयम्बतूर
5. करेल एविएशन ट्रेनिंग सेंटर, सिविल एयरोड्रॉम, फेहाह, तिरुवनंतपुरम

निजी फ्लाइंग स्कूल

1. उड़ान, इंदौर
2. अहमदाबाद एविशन अकादमी
3. ऑरिएंट फ्लाइट स्कूल, सेंट थॉमस माउंट, मद्रास
4. बेंगलूरु एयरोनॉटिक्स एंड टेक्निल सर्विस, बेंगलूरु