Thursday, June 29, 2017

सोलर एनर्जी में बनाएं करियर

बिजली की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी के घरेलू बजट को बिगाड़कर रख दिया है। ऐसे में सोलर एनर्जी लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प बनकर उभरी है। इसकी मदद से न केवल बिजली का बिल कम किया जा सकता है, बल्कि ग्रिड एनर्जी से निर्भरता भी घटाई जा सकती है। यह पर्यावरण और सेहत के लिए भी अनुकूल है। सोलर एनर्जी से चलने वाले प्रॉडक्ट्स की पूरी जानकारी दे रही हैं नेहा जैन :

क्या है सोलर एनर्जी
अभी तक सूरज की गर्मी में जहां कपड़े, पापड़ आदि ही सुखाए जाते थे, वहीं अब इससे बिजली की सप्लाई भी मुमकिन हो रही है। सोलर पैनल द्वारा सोलर एनर्जी को बिजली में बदल दिया जाता है। इसके लिए पैनल को छत पर रखा जाता है, जहां उस पर सूरज की सीधी धूप आती हो। गौरतलब है कि अपने देश में लगभग 250-300 दिन सूरज निकलता है जिसके कारण यहां सोलर एनर्जी की बहुत ज्यादा संभावनाएं हैं।
जयपुर। सोलर एनर्जी सेक्टर में कॅरियर बनाने के इच्छुक लोग जामिया मिलिया इस्लामिया के बैचलर ऑफ वोकेशनल सोलर एनर्जी कोर्स में आवेदन कर सकते हैं। तीन वर्षीय इस कोर्स में स्टूडेंट के पास पहले या दूसरे साल भी पासआउट हो जाने का विकल्प होगा।
बैचलर ऑफ वोकेशनल सोलर एनर्जी कोर्स तीन साल का कोर्स है। इस कोर्स का प्रमुख उद्देश्य सोलर एनर्जी सेक्टर के विभिन्न उद्योगों की जरूरतों के अनुरूप श्रमबल तैयार करना है। इस कोर्स के लिए आवेदकों का चयन मेरिट के आधार पर ही होगा। इसके लिए संस्थान की ओर से कोई भी एंट्रेंस एग्जाम आयोजित नहीं करवाया जाएगा।
कोर्स की अवधि 03 साल है, यह वोकेशनल डिग्री कोर्स। इसके लिए आवेदन करने की तिथि 30 सितंबर 2015 है।
- 50 फीसदी अंकों के साथ 12वीं पास, 12वीं में फिजिक्स व मैथ्स में 50-50 फीसदी अंक।
- सोलर एनर्जी इंडस्ट्री में एनएसक्यूएफ लेवल 4 सर्टिफिकेट
- एनएसक्यूएफ का लेवल 4 सर्टिफिकेट, लेकिन सोलर एनर्जी में वोकेशनल कोर्स के इच्छुक।
सीटें और फीस
जामिया के इस कोर्स में कुल 50 सीट्स हैं, जिनका वितरण विश्वविद्यालय के नियमों के अनुरूप होगा। इस कोर्स के लिए वार्षिक तौर पर भरी जाने वाली फीस 10 हजार रूपए निर्घारित की गई है।
एप्लीकेशन फॉर्म
जामिया मिलिया इस्लामिया के बैचलर ऑफ वोकेशनल इन सोलर एनर्जी कोर्स में आवेदन के लिए संस्थान की वेबसाइट www.jmi.ac.in� से फॉर्म डाउनलोड करके भरें और इसके साथ 100 रूपए का डीडी बनवाएं।
यहां भेजें आवेदन
फॉ र्म, डीडी, क्वालीफाइंग एग्जाम व 10वीं की सेल्फ अटेस्टेड मार्क शीट की कॉपीज इस पते पर 30 सितंबर तक पहुंचा दें- Dept. of Physics, Faculty of Natural Sciences, Jamia Milia Islamia , New Delhi

Tuesday, June 27, 2017

वुड साइंस-टेक्नोलॉजी में कॅरियर

नई दिल्ली. वुड साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में करियर के चमकीले अवसर हैं। वर्तमान में इस क्षेत्र में भारी मांग है तथा यह मांग भविष्य में भी बने रहने की संभावना है। कई संस्थानों में इससे संबंधित संचालित स्पेशलाइज्ड कोर्स कर वुड साइंस के क्षेत्र में करियर बनाया जा सकता है। इस बारे में और विस्तार से जानिए।
 
काष्ठ उत्पाद यानी वुड प्रोडक्ट्स हमारी विविध आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। अगर हम अपने आस-पास की वस्तुओं पर नजर डालें तो पाएंगे कि कार्य के औजार, खिलौने, मकान, फर्नीचर, पुस्तकें और समाचारपत्र आदि अनेक वस्तुएं काष्ठ द्वारा बनाई जाती हैं। ऐसी सूची में प्लाइवुड पार्टिकल बोर्ड, फाइबर बोर्ड, पैलेट्स और अनेक अन्य औद्योगिक एवं उपभोक्ता सामग्री भी शामिल हैं और इस सूची में अन्य ढेरों नाम और सम्मिलित किए जा सकते हैं।
 
हमारे देश में लकड़ी के  कुल योगदान में से लगभग 40 प्रतिशत भाग कागज बनाने में प्रयुक्त होता है। टिंबर प्रोसेसिंग उद्योग की प्राइमरी वुड प्रोसेसिंग (सॉ मिलिंग पैनल्स तथा लुगदी एवं कागज) और वानिकी व्यवसायों में रोजगार देने में अहम भूमिका है। इनमें से अधिकांश व्यवसाय लघु तथा मझोले उद्यम हैं। काष्ठ एवं इससे बने विविध उत्पादों का उपयोग बढ़ने से काष्ठ उद्योग तेजी से विकसित हो रहे हैं। 

मेन कोर्सेस-एंट्री
भारत में  आईसीएफआरई के अधीन वन अनुसंधान संस्थान विश्वविद्यालय, देहरादून काष्ठ प्रौद्योगिकी में मास्टर डिग्री पाठ्यक्रम चलाता है। काष्ठ प्रौद्योगिकी में स्नातकोत्तर डिग्री पाठ्यक्रम में चयन के लिए कोई भी स्टूडेंट, विज्ञान/वानिकी/कृषि/बुनियादी विज्ञान आदि में स्नातक योग्यता पूरी करने के बाद आवेदन कर सकता है। स्नातकोत्तर डिग्री पाठ्यक्रम में चयन अखिल भारतीय स्तर की प्रवेश परीक्षा के माध्यम से किया जाता है। इसी तरह काष्ठ विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईडब्ल्यूएसटी), बैंगलुरु, भारतीय प्लाइवुड उद्योग अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (आईपीआईआरटीआई), बैंगलुरु, केंद्रीय लुगदी एवं कागज अनुसंधान संस्थान, (सीपीपीआरआई) सहारनपुर में पीएचडी तथा अनुसंधान पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड (एएसआरबी) जो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, पूसा, नई दिल्ली से संबद्ध है, के द्वारा संचालित वानिकी कोर्स भी बहुत उपयोगी है। इसके अतिरिक्त काष्ठ प्रौद्योगिकी तथा समवर्गी विज्ञान में अध्येतावृत्तियां भी विभिन्न राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों/संगठनों द्वारा चलाई जाती हैं। 
 
कोर्स कंटेंट
बीएससी वानिकी में काष्ठ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पढ़ाया जाने वाला एक अनिवार्य विषय है। इंजीनियरी, सामग्री विज्ञान तथा प्रसंस्करण, रसायन विज्ञान या विपणन में रुचि रखने वाले विद्यार्थियों के लिए काष्ठ विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी एक बहुत ही आकर्षक करियर है। यह एक ऐसा मल्टी डिसिप्लीनरी क्षेत्र है, जिसका प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग से सीधा संबंध होने के साथ भौतिकी विज्ञान से भी गहरा जुड़ाव है। काष्ठ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के स्नातक पाठ्यक्रम में एनाटॉमिकल, भौतिकी, रासायनिक तथा यांत्रिक संपत्तियों का ज्ञान शामिल होता है।
 
इसके अतिरिक्त छात्र व्यापक काष्ठ  प्रसंस्करण कार्यों, काष्ठ सीजनिंग, काष्ठ परिरक्षण, पुनर्निर्मित काष्ठ आधारित पैनलों, वन उत्पादों, गोंद, टिंबर इंजीनियरी तथा निर्माण, उत्पाद-डिजाइन तथा अवसंरचना, काष्ठ कार्य तथा परिष्करण और रासायनिक परिशोधन में भी प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। अपनी रुचि के  करियर के आधार पर छात्र किसी निर्दिष्ट क्षेत्र में अतिरिक्त पाठ्यक्रमों का चयन करके काष्ठ का अपना ज्ञान और विस्तृत कर सकते हैं। कुछ विश्वविद्यालय काष्ठ इंजीनियरी में डिग्री को अपने इंजीनियरी पाठ्यक्रम के एक भाग के रूप में चलाते हैं। काष्ठ प्रौद्योगिकी से संबंधित सभी पहलू पाठ्यक्रमों में सम्मिलित किए जाते हैं। 
 
जॉब आॅप्शंस-इनकम
विनिर्माण, तकनीकी सेवा, अनुसंधान तथा विपणन ऐसे विभिन्न क्षेत्र हैं, जहां काष्ठ प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों की जरूरत होती है। काष्ठ प्रौद्योगिकी में पीजी कैंडिडेट्स केंद्र सरकार, राज्य सरकारों तथा वन विभागों में वैज्ञानिक, हस्तशिल्प संवर्धन अधिकारी, गुणवत्ता निरीक्षक तथा लॉगिंग अधिकारी के पदों पर भर्ती किए जाते हैं। ग्रामीण विकास से जुड़ी परियोजनाओं में काष्ठ प्रौद्योगिकी एक्सपर्ट लघु और कुटीर उद्योगों से संबंधित कार्यों के लिए परियोजना अधिकारी के रूप में नियुक्त किए जाते हैं। निजी क्षेत्र में ये व्यवसायी अपनी विशेषज्ञता के आधार पर काष्ठ आधारित उद्योगों, अनुसंधान एवं विकास कंपनियों में तकनीकी कार्मिक के रूप में नियुक्त होते हैं।
 
आजकल काष्ठ प्रौद्योगिक विशेषज्ञों को चारकोल उद्योग, काष्ठ निर्माण उद्योग, इंजीनियर्ड वुड या संयुक्त काष्ठ उद्योगों, सॉ मिलिंग तथा सॉ डाक्टरिंग, रेजिन तथा टर्पेंटाइन उद्योग एवं औधषीय पादप यूनिट, काष्ठ नमूना निर्धारण, लुगदी एवं कागज उद्योगों एवं अन्य काष्ठ उत्पाद आधारित उद्योगों में क्वालिटी कंट्रोलर तथा प्रोडक्शन मैनेजर के रूप में भर्ती किया जाता है। इनके अतिरिक्त, नेट एग्जाम क्लीयर कर प्रोफेसर पद के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं। काष्ठ विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मिलने वाले वेतन की तुलना देश में इंजीनियरों को दिए जाने वाले वेतन से की जा सकती है। 
 
प्रमुख संस्थान 
-इंदिरा गांधी कृषि विवि, रायपुर 
वेबसाइट: www.igau.edu.in
-भारतीय वन प्रबंधन संस्थान
वेबसाइट: : www.iifm.ac.in
-जेएलएन एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, जबलपुर
वेबसाइट: www.jnkvv.org

Sunday, June 18, 2017

चिप डिजाइन में करियर

टेक्‍नोलॉजी ने जहां लोगों के जीवन को सरल और आधुनिक बना दिया है, वहीं टेक्‍नोलॉजी के कई क्षेत्रों में करियर के शानदार विकल्‍प भी उभ्‍ार कर सामने आए हैं। टेक्‍नोलॉजी के क्षेत्र में जो प्रगति हुई है उसमें चिप डिजाइनिंग इंडस्‍ट्री ने महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है। अगर आप भी इंजीनियरिंग में रूचि रखते हैं और साथ ही चैलेंजिंग काम करना चाहते हैं तो चिप डिजाइनिंग में करियर बना सकते हैं। चिप सिलिकॉन का एक छोटा और पतला टुकड़ा होता है जो मशीनों के लिए इंटीग्रेटेड सर्किट बेस का काम करता है। चिप डिजाइनिंग की मदद से बड़े आकार के उपकरणों को भी छोटे आकार में बदला जा सकता है।
बढ़ रही है डिमांड
चिप डिजाइन के रूप में आप एक सुनहरा करियर बना सकते हैं। इसकी हर सेक्‍टर में मांग है। एक चिप डिजाइनर का मुख्‍य काम छोटी-बड़ी इलेक्‍ट्रॉनिक डिवाइसेस की कार्यक्षमता को बढ़ाना और उसे आसान बनाना है। मोबाइल, टीवी रिमोट से लेकर कंज्‍यूमर इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स, ऑटोमोबाइल सेक्‍टर तक में चिप का इस्‍तेमाल हो रहा है। आप इस इंडस्ट्री से डिजाइन इंजीनियर, प्रोडक्ट इंजीनियर, टेस्ट इंजीनियर, सिस्टम्स इंजीनियर, प्रॉसेस इंजीनियर, पैकेजिंग इंजीनियर, सीएडी इंजीनियर आदि के रूप में जुड सकते हैं।
योग्‍यता
चिप डिजानिंग में करियर बनाने के लिए आपके पास इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स, टेली कम्‍यूनिकेशन या कम्‍प्‍यूटर साइंस में बीई या बीटेक डिग्री होना चाहिए। चिप डिजाइनिंग इंडस्‍ट्री में विशेष रूप से डिजाइन, प्रोडक्‍शन, टेस्टिंग, एप्‍लीकेशंस और प्रॉसेस इं‍जीनियरिंग शामिल होता है। वैसे इस क्षेत्र में कुछ संस्थानों द्वारा शॉर्ट टर्मकोर्सेस भी कराए जाते हैं, जिनका संबंध आईसी, सर्किट डिजाइन और माइक्रो प्रोसेसर से होता है।
जरूरी स्किल्‍स
इस क्षेत्र में करियर बनाने के इच्‍छुक युवाओं को हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का नॉलेज होना जरूरी है। इसके अलावा अच्‍छी कम्‍यूनिकेशन स्किल्‍स, टीम वर्क, प्रॉब्‍लम सॉल्विंग एटिट्यूड बहुत जरूरी है। प्रोग्रामिंग और मैथमेटिकल स्किल्‍स बहुत जरूरी है। इस क्षेत्र में करियर बनाने के इच्‍छुक युवाओं को टेक्‍नोलॉजी डेवलपमेंट्स और लेटेस्‍ट इनोवेशन का ज्ञान होना जरूरी है।
प्रमुख संस्‍थान:
- बिटमैपर इंट्रीगेशन टेक्नोलजी, पुणे, महाराष्ट्र
- सेंट्रल फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांसड कंप्यूटिंग, बेंगलूर
- जामिया मिलीया इस्लामिया, नई दिल्ली

Thursday, June 15, 2017

कैसे बने आरजे ,सिंगर ,न्यूज़ एंकर

बदलते जमाने में कैरियर के ऐसे-ऐसे विकल्प नजर आने लगे हैं, जिनके बारे में पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। तात्पर्य यह है कि छात्र अब परंपरागत जॉब फील्ड्स से बंधे नहीं हैं। ऐसे ही माहौल में आवाज भी आपके कैरियर निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। वाकई आपकी आवाज का जादू आपके कैरियर को बुलंदियों पर पहुंचा सकता है। परंपरागत गायन जैसे क्षेत्र के अलावा अब आवाज के माध्यम से और भी कई कैरियर विकल्प सामने आए हैं।
न्यूजरीडर/एंकर (News Reader/Anchor): पूरे देश में न सिर्फ चैनलों, बल्कि न्यूज चैनलों की भी जैसे बाढ़ आ गई है। एक ओर जहां बहुत सारे राष्ट्रीय समाचार चैनल हैं तो वहीं राज्यों का अपना क्षेत्रीय समाचार चैनल भी है। परिणामस्वरूप न्यूजरीडरों और एंकरों की अच्छीखासी मांग है। चेहरे से पहचान मिलने के कारण भी यह प्रोफेशन अत्यंत लोकप्रिय है। यह काम न सिर्फ बेहतर कैरियर देता है, बल्कि अच्छी जीवनशैली का प्रतीक भी है। समाचार वाचन अथवा अन्य कार्यक्रमों जैसे, फिल्म आधारित प्रोग्राम, रियलिटी शो, हास्य-व्यंग्य के कार्यक्रम, अपराध समाचार आदि में एंकरिंग ऐसे प्रोफेशनल्स का मुख्य काम है।
योग्यता(Eligibility For News readers anchors ): अभ्यर्थी को आत्मविश्वास से भरा होना चाहिए। कैमरा और दर्शकों के समक्ष प्रस्तुतीकरण की कला में उसे माहिर होना चाहिए। भाषा पर अच्छी पकड़ अनिवार्य है। तथ्यों के ज्ञान और समसामयिक गतिविधियों की अच्छी समझ के अलावा दर्शकों को बांधे रखने की कला भी उसे आनी चाहिए। इसके अंतर्गत संस्थान और कोर्स के अनुसार अलग-अलग शैक्षणिक योग्यता की मांग की जाती है।
मौके(Job Opportunities for News Readers Anchors ): इस व्यवसाय का कार्यक्षेत्र अत्यंत ही विशाल है। चैनलों की बढ़ती संख्या के कारण मौके लगातार बढ़ रहे हैं। देसी-विदेशी, दोनों ही चैनलों में अवसर उपलब्ध हैं।
मुख्य संस्थान (Main Institutors)  :
  • आईआईएमसी, नई दिल्ली,
  • वाईएमसीए इंस्टीटूट फॉर मीडिया स्टडीज ऐंड इन्फॉरमेशन टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली,
  • जानकीदेवी महाविद्यालय, नई दिल्ली,
  • जेवियर इंस्टीटूट ऑफ कम्युनिकेशन, मुंबई
गायक (Singer): संगीत का क्षेत्र सदाबहार है, जिसमें योग्य लोगों के लिए अवसरों की कोई कमी नहीं है। मनोरंजन के बढ़ते दायरे के साथ गायन के क्षेत्र व अवसरों में और विस्तार हुआ है। यही कारण है कि युवाओं में गायन क्षेत्र में कैरियर बनाने की दिलचस्पी पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है। विभिन्न चैनलों पर सिंगिंग टैलेंट हंट शो इसका स्पष्ट प्रमाण है। वाकई गायन अब केवल एक शौक नहीं है, बल्कि एक शानदार कैरियर भी है, जिसमें पैसा भी है और शोहरत भी।
योग्यता (Eligibility for Singers): संगीत की बारीकियों को समझने के लिए इसमें प्रशिक्षण अत्यंत ही जरूरी है। यह एक साधना की तरह है, जिसमें सफलता आपके कठोर परिश्रम पर निर्भर करती है। रोजाना अभ्यास के अलावा संगीत की विभिन्न विधाओं की समझ जरूरी है। शैक्षणिक योग्यता संस्थान और कोर्स के स्वरूप पर निर्भर करती है।
मौके(Singers Opportunity): इस फील्ड में मौकों की कोई कमी नहीं है। गायन के क्षेत्र में तो दरवाजे खुले ही रहते हैं, एलबम, स्टेज शो और विज्ञापनों में भी मौके मिलते हैं। आप चाहें तो संगीत शिक्षक बनकर अपने कैरियर को दिशा दे सकते हैं या फिर संगीतकार या म्यूजिक थेरेपिस्ट के रूप में भी भविष्य की रूपरेखा तय कर सकते हैं।
मुख्य संस्थान (Main Institutions):
  • संगीत रिसर्च अकादमी, कोलकाता,
  • संगीत निकेतन, दिल्ली,
  • दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ल
  • इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, राजनंदगांव (छत्तीसगढ़)
  • बनस्थली विद्यापीठ, जयपुर (राजस्थान)
  • रेडियो जॉकी (Radio Jockey RJ)
एफएम रेडियो के विस्तार से रेडियो की सुस्त चाल एकदम से तेज हो उठी है। इसी से उत्पन्न हुआ है रेडियो जॉकी (आरजे) का प्रभावशाली व्यवसाय, जो युवाओं में अत्यंत ही लोकप्रिय है। संगीत के साथ चुटीले अंदाज में रेडियो पर किसी कार्यक्रम को पेश करना ही आरजे का मुख्य काम है। इसके अलावा मौसम का हाल, ट्रैफिक, आसपास की घटनाएं, लोगों से इंटरव्यू आदि बातें इसके कार्यक्षेत्र में आती हैं।
योग्यता (Eligibility for RJ) : आरजे के लिए जरूरी है कि वह एक बेहतरीन आवाज का स्वामी हो। वाद-संवाद का उसका खास अंदाज हो और श्रोताओं से सीधे जुड़ने की क्षमता हो। एक से अधिक भाषा का ज्ञान व क्षेत्रीय भाषा की समझ से सफलता की संभावना बढ़ जाती है। संस्थान और कोर्स के अनुसार शैक्षणिक योग्यता अलग-अलग हो सकती है।
मौके(Radio Jockey Opportunities): आकाशवाणी के विभिन्न केंद्रों में तो मौके हैं ही, विभिन्न शहरों में खुलने वाले एफएम रेडियो में भी अवसर हैं। इसके अलावा आजकल कम्युनिटी रेडियो के चलन ने भी आरजे के लिए मौकों में इजाफा किया है।
मुख्य संस्थान (Top main Institutions of Radio Jockey Course) :
  • एकेडमी ऑफ रेडियो मैनेजमेंट, नई दिल्ली,
  • एकेडमी ऑफ ब्रॉडकास्टिंग, चंडीगढ़,
  • स्पैरो एक्सप्रेशंस इंस्टीटूट फॉर रेडियो ऐंड ब्रॉडकास्टिंग, लखनऊ,
  • जेवियर इंस्टीटूट ऑफ कम्युनिकेशन, मुंबई
डबिंग आर्टिस्ट (Dubbing Artist Courses):डबिंग आर्टिस्ट वो कलाकार है जो परदे के पीछे से अपनी आवाज के बल पर दृश्यों को सजीव करता है। तात्पर्य है कि डबिंग आर्टिस्ट बिना कैमरे का सामना किए कमेंट्री प्रस्तुत करता है। ऐसे कलाकार को वाचक, ध्वनि कलाकार, उद्घोषक आदि के नाम से भी जाना जाता है। डबिंग आर्टिस्ट का मुख्य कार्य है, संवाद के लिए आवाज पेश करना। यह आवश्यक नहीं कि डबिंग आर्टिस्ट अपना संवाद खुद तैयार करे।
योग्यता (Dubbing Artists Eligibility): डबिंग आर्टिस्ट के लिए भाषा का अच्छा ज्ञान होना चाहिए। आवाज में उतार-चढ़ाव यानी वॉयस मॉडूलेशन की समझ जरूरी है, यानी संवाद पेश करके पात्रों को सजीव करने की कला आनी चाहिए। इसके तहत कोर्सेज के लिए संस्थान के अनुसार शैक्षणिक योग्यता अलग-अलग हो सकती है।
मौके(Dubbing Artists Eligibility): ऐसे प्रोफेशनल्स को टेलीविजन व फिल्मों में सबसे ज्यादा मौके मिलते हैं। इसके अलावा कार्टून या एनिमेटेड फिल्मों में इनकी सबसे ज्यादा जरूरत महसूस की जाती है। कार्टून चैनलों में तो इनकी जरूरत बनी ही रहती है। इसके अलावा, डॉक्यूमेंट्री व विज्ञापन एजेंसियों में भी अवसर बने रहते हैं। इंटरैक्टिव वॉयस रिस्पॉन्स सिस्टम (ढ्ढङ्) के अंतर्गत भी अभ्यर्थियों को मौके मिल सकते हैं।
मुख्य संस्थान (Main Institutions for Dubbing Artists Course) :
  • इंस्टीटूट ऑफ वॉयस मॉडूलेशन, बेंगलुरु,
  • AAROHA -दि सेंटर फॉर वॉयस ऐंड परफॉर्मेंस एम्पॉवरमेंट, मुंबई,
  • एशियन एकेडमी ऑफ फिल्म ऐंड टेलीविजन, नोएडा,
  • आईएसओएमईएस, बैग फिल्म्स, नोएडा (उत्तर प्रदेश)
कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां आप अपनी आवाज के बल पर अपना बेहतर भविष्य तलाश सकते हैं। जरूरत है तो बस खुद में आवश्यक योग्यता विकसित करने की