Wednesday, December 28, 2016

रिहैबिलिटेशन थेरेपी में करियर

जो लोग मेडिकल फील्ड में करियर बनाने के साथ-साथ समाज के लिए भी कुछ करना चाहते हैं, वे रिहैबिलिटेशन थेरेपिस्ट के रूप में इस सफर की शुरुआत कर सकते हैं। आज इंडिया में जिस तरह से स्पोर्ट्स इंजरीज, आर्थराइटिस, स्ट्रोक, सेरिब्रल पाल्सी, ट्रॉमेटिक ब्रेन सर्जरी, स्पाइनल कॉर्ड इंजरी आदि के मामले बढ़ रहे हैं, उन्हें देखते हुए हेल्थकेयर सेक्टर में एक्सपर्ट्स या स्पेशलिस्ट मेडिकल प्रोफेशनल्स की मांग में भी तेजी आई है मसलन-फिजियोथेरेपिस्ट, स्पीच थेरेपिस्ट, ऑक्यूपेशनलिस्ट आदि। लेकिन इनमें अगर रिहैबिलिटेशन थेरेपिस्ट की बात करें, तो वह मरीजों को संपूर्ण रूप से किसी भी तरह के ट्रॉमा से निकालने में मददगार साबित होते हैं।
बेसिक स्किल्स
एक सक्सेसफुल रिहैबिलिटेशन थेरेपिस्ट बनने के लिए युवाओं के पास धैर्य के साथ-साथ अच्छी कम्युनिकेशन और एनालिटिकल स्किल होनी जरूरी है। इसके अलावा, एकेडमिक और रिसर्च बैकग्राउंड भी स्ट्रॉन्ग होना चाहिए। कैंडिडेट को मोटिवेटेड भी होना होगा। उन्हें स्पीच थेरेपिस्ट, रिहैबिलिटेशन काउंसलर आदि से तालमेल रखना आना चाहिए।
एजुकेशनल क्वालिफिकेशन
रिहैबिलिटेशन थेरेपिस्ट बनने के लिए इस फील्ड में बैचलर्स या मास्टर्स डिग्री जरूरी होती है। बैचलर्स कोर्स करने के लिए साइंस स्ट्रीम के साथ हायर सेकंडरी जरूरी है। ज्यादातर इंस्टीट्यूट्स या यूनिवर्सिटीज में एंट्रेंस एग्जाम के जरिए एडमिशन दिया जाता है। इसके अलावा, कई इंस्टीट्यूट रिहैबिलिटेशन थेरेपी में मास्टर्स भी ऑफर करते हैं। आप चाहें, तो रिहैबिलिटेशन थेरेपी में बीएससी या डिप्लोमा कर सकते हैं।
वर्क स्कोप
रिहैबिलिटेशन थेरेपिस्ट हॉस्पिटल, साइकाइएट्रिक इंस्टीट्यूट्स से लेकर हेल्थ सेंटर में काम कर सकते हैं। इसके अलावा, स्पेशल स्कूल्स, कम्युनिटी मेंटल हेल्थ सेंटर या स्पोर्ट्स टीम के साथ जुडक़र भी काम किया जा सकता है। अगर कोई समाजसेवा के क्षेत्र में जाना चाहे, तो बुजुर्गो, बच्चों या फिजिकली डिसएबल लोगों के लिए काम करने वाली संस्था के साथ भी काम कर सकता है।
फाइनेंशियल ग्रोथ
रिहैबिलिटेशन थेरेपिस्ट के पास फुलटाइम के अलावा पार्टटाइम काम करने के विकल्प हैं। रिहैबिलिटेशन थेरेपी या इससे संबंधित पेशे से जुड़े प्रोफेशनल्स शुरुआत में हर माह कम से कम 10 से 15 हजार रुपये आसानी से कमा सकते हैं। ट्रेनिंग और एक्सपीरियंस बढऩे के साथ सैलरी 50 हजार रुपये महीने या उससे अधिक जा सकती है। रिहैबिलिटेशन फिजिशियन की सैलरी एलाइड हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स से ज्यादा होती है।
टीम वर्क है रिहैबिलिटेशन
रिहैबिलिटेशन थेरेपी में टीम अप्रोच से काम होता है। इसमें फिजियोथेरेपिस्ट, ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट, स्पीच थेरेपिस्ट आदि की एक पूरी टीम होती है, जो ऑर्थोपेडिक्स, न्यूरोलॉजिस्ट्स, न्यूरोसर्जन्स आदि के साथ मिलकर काम करती है। इनके अलावा रिहैबिलिटेशन फिजिशियन बर्थ डिफेक्ट, सेरिब्रल पाल्सी, स्ट्रोक से ग्रसित मरीजों को देखते हैं। ये एमबीबीएस डिग्री धारी और दूसरे मेडिकल स्पेशलिस्ट्स से भिन्न होते हैं।
क्या है रिहैबिलिटेशन थेरेपी?
हादसों के बाद अक्सर लोगों को गंभीर शारीरिक चोटों के अलावा भी कई तरह की मानसिक और दूसरी परेशानियों से दो-चार होना प?ता है। इससे उबरने के लिए उन्हें फिजिकल के साथ-साथ ऑक्यूपेशनल थेरेपी की जरूरत प?ती है। ऑक्यूपेशनल थेरेपी जहां मरीज को उसके सामान्य दिनचर्या में लौटने में मदद करती है, वहीं फिजियोथेरेपी (एक्सरसाइज) शारीरिक रूप से सशक्त बनाती है। लेकिन रिहैबिलिटेशन थेरेपी को इन दोनों का मिश्रण कहा जा सकता है। इसमें मरीज की शारीरिक, मानसिक या कॉग्निटिव दिक्कतों पर एक साथ फोकस किया जाता है। इसके कई सारे ब्रांच हैं, जैसे-स्पेशल एजुकेशन, क्लीनिकल या साइकोलॉजिकल रिहैबिलिटेशन।

Monday, December 26, 2016

फिलॉसफी के कोर्स

फिलॉसफी के क्षेत्र में वेतनमान ऊंचाइयां छूता है। टीचिंग के क्षेत्र में एक असिस्टेंट प्रोफेसर 30000 रुपए प्रतिमाह से ऊपर वेतनमान प्राप्त करता है। इसके अलावा एक प्रोफेसर 80000 रुपए प्रतिमाह प्राप्त करता है। आरकेएमवी शिमला में हर वर्ष 60 छात्राएं यह कोर्स करके निकल रही हैं। हिमाचल में इस समय 50 से अधिक लोग इस क्षेत्र से जुड़े हैं
फिलॉसफी एक वैज्ञानिक विषय हैजिसमें सच्चाई और वास्तविकता के कारणों का पता लगाने के लिए तर्क का प्रयोग किया जाता है। एक व्यक्ति जो फिलॉसफी सीखता हैउसे फिलॉस्फर कहा जाता है और यह जीवन भर सीखी जाने वाली प्रक्रिया है। जिन्हें मेटाफिजिक्सलॉजिकरेशनलिज्म आदि में रुचि हैफिलॉसफी उन बुद्धिजीवियों के लिए यह उचित प्रोफेशन है। फिलॉसफी दूसरे विषयों की तरह नहीं है। दूसरी कई अकादमिक शिक्षा छात्रों को एक बेहतर कैरियर बनाने के लिए प्रदान करवाई जाती हैलेकिन फिलॉसफी इन सबसे अलग है। यह कोई ट्रेनिंग नहीं हैबल्कि जीवन भर सीखने वाली शिक्षा है। यदि आपकी रुचि इस क्षेत्र में हैतो यह एक बेहतर कैरियर विकल्प बन सकता है। फिलॉसफी की कुछ उप शाखाएं हैंजिनमें से किसी एक को चुनकर आप बेहतर कैरियर बना सकते हैंवे हैं-  एस्थेटिक्स ः यह मुख्य रूप से  सौंदर्यरुचि और भावनात्मक सार्थकता पर आधारित शिक्षा है। एस्थेटिक्स मुख्य रूप से फिलॉसफी आफ आर्ट से संबंधित है। एपिस्टमोलॉजी ः इस शाखा में प्रकृति से लगावविश्वास और ज्ञान के बारे में बताया जाता है। एथिक्स ः यह अच्छेकीमती और सही की शिक्षा है। इसमें अप्लायड नीति शास्त्र की शिक्षा भी दी जाती है। लॉजिक ः इसमें अच्छे तर्क-वितर्क की शिक्षा दी जाती हैवाद-विवाद के जरिए तर्कों को आंका जाता है। मेटाफिजिक्स ः यह शाखा वास्तविकता की असली पहचान की शिक्षा देती है।
शैक्षणिक योग्यता 
फिलॉसफी विषय में प्रवेश के लिए छात्र का बारहवीं पास होना आवश्यक होता है। इस कोर्स को करने की अवधि तीन साल की है। कई संस्थानों द्वारा इस कोर्स में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है। फिलॉसफी के मुख्य कोर्सों में आप बीएएमएएमफिल और पीएचडी आदि कर सकते हैं। डाक्टर आफ फिलॉसफी में प्रवेश पाने के लिए छात्र का संबंधित विषय में एमफिल होना आवश्यक है। 
कोर्स 
फिलॉसफी के कोर्स आप दुनिया के किसी भी हिस्से से कर सकते हैं। एथिक्स और एस्थेटिक्स भी इस कोर्स का हिस्सा हैं। लॉजिक एक दूसरा हिस्सा हैजो फिलॉसफी के कोर्स में छात्रों को करवाया जाता है। भारत में कई सरकारी और निजी संस्थानों द्वारा फिलॉसफी में कोर्स करवाए जाते हैं। इसके मुख्य कोर्सों में आप बीए इन फिलॉसफीअंडरग्रेजुएट कोर्स इन फिलॉसफीपोस्ट ग्रेजुएट कोर्स इन फिलॉसफी,  मास्टर डिग्री इन फिलॉसफीपीएचडी इन फिलॉसफीमास्टर आफ फिलॉसफी (लॉ)डाक्टर आफ फिलॉसफी (पार्ट टाइम)मास्टर आफ फिलॉसफी (एमफिल) इन इकोनोमिक्सबीए (ऑनर्स) इन फिलॉसफी और डिप्लोमा इन फिलॉसफी एंड रिलीजन आदि कोर्स भी कर सकते हैं। बीए करने के बाद आप लिंग्विस्टिक्ससोशियोलॉजीसाइकोलॉजी और यहां तक कि इतिहास के क्षेत्रों में आप उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं। 
रोजगार की संभावनाएं  
इस कोर्स को करने के बाद ग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट छात्रों के लिए सरकारीकारपोरेट क्षेत्रों में कई कैरियर विकल्प उपलब्ध रहते हैं। कारपोरेट क्षेत्र में एक फिलॉसफी ग्रेजुएट मैनपावर डिवेलपमेंट मैनेजर और मैनपावर सर्विसेज को-आर्डिनेटर के रूप में नौकरी प्राप्त कर सकता है। सरकारी क्षेत्र में आप एक आर्किविस्ट के रूप में काम कर सकते हैं। एक कंसल्टिंग फिलॉस्फर की मांग उनके विचारों और फिलॉसफी की वजह से पूरी दुनिया में रहती है। इसके अलावा एक फिलॉस्फर जर्नलिज्म और पब्लिशिंग इंडस्ट्री में एक राइटर और एडीटर के रूप में रोजगार प्राप्त कर सकता है। इसके साथ ही आप रिसर्च में भी जा सकते हैं। एक ग्रेजुएट डिग्री प्राप्त करने वाला दूसरे अन्य कई क्षेत्रों में नौकरी प्राप्त कर सकता है। इस क्षेत्र में निपुण व्यक्ति सरकारी और निजी फर्मों में बेहतर रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। सरकारी और निजी स्कूलों में भी फिलॉसफी के क्षेत्र में ढेरों संभावनाएं हैं। इसके अलावा कालेजों और विश्वविद्यालयों में भी आप बेहतर रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। यहां पर आप एक प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में नौकरी प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही आप भारत के अलावा विदेशों में अच्छे वेतनमान पर नौकरी प्राप्त कर सकते हैं। यहां पर आप कारपोरेट क्षेत्रों में नौकरी प्राप्त करके बेहतर कमाई भी कर सकते हैं।
वेतनमान 
फिलॉसफी के क्षेत्र में वेतनमान ऊंचाइयां छूता है। टीचिंग के क्षेत्र में एक असिस्टेंट प्रोफेसर 30000 रुपए प्रतिमाह से ऊपर वेतनमान प्राप्त करता है। इसके अलावा एक प्रोफेसर 80000 रुपए प्रतिमाह प्राप्त करता है। 
कोर्स 
1.    बीए इन फिलॉसफी 
2.    अंडरग्रेजुएट कोर्स इन फिलॉसफी 
3.    पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स इन फिलॉसफी   
4.    मास्टर डिग्री इन फिलॉसफी 
5.    पीएचडी इन फिलॉसफी 
6.    मास्टर आफ फिलॉसफी (लॉ)  
7.    डाक्टर आफ फिलॉसफी (पार्ट टाइम)  
8.    मास्टर आफ फिलॉसफी (एमफिल) इन    इकोनोमिक्स  
9.    बीए (ऑनर्स) इन फिलॉसफी 
10. डिप्लोमा इन फिलॉसफी एंड रिलीजन 
संस्थान 
1.  राजकीय कन्या महाविद्यालयशिमला 
2.  गवर्नमेंट डिग्री कालेजनालागढ़
3. महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटीरोहतक 
4.  एसआर गवर्नमेंट कालेज फार वूमेनअमृतसर 
5.  गुरु नानक देव यूनिवर्सिटीअमृतसर 
6.  पंजाबी यूनिवर्सिटीपटियाला 
7.  देव समाज कालेज फार वूमनफिरोजपुर 
8. डीएवी कालेज फार वूमनअमृतसर 
9. पंजाब यूनिवर्सिटीचंडीगढ़ 
10. कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटीकुुरुक्षेत्र 
11. गवर्नमेंट नेशनल कालेजसिरसा 
12. दिल्ली विश्वविद्यालयदिल्ली

Friday, December 23, 2016

वॉटर साइंस में करियर

जल का महत्व अब पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गया है। एक ओर जहां यह जीवन देता है, वहीं दूसरी ओर कॅरियर के लिए भी यह कई तरह से उपयोगी बन गया है। कॅरियर के रूप में जल का महत्व शुद्ध पानी (फ्रेश वाटर) के लिए भी बढ़ा है और मेरिन वाटर लाइफ (समुद्री जल-जीवन) के लिए भी। इसी का अध्ययन एक्वाकल्चर कहलाता है। एक्वाकल्चरिस्ट तालाब, झील, नहर या समुद्र के इर्द-गिर्द काम करता है।
 
विषय का स्वरूप
जल की उपलब्धता, जल प्रदूषण आदि विषय इसके तहत आते हैं। फ्रेश वाटर और समुद्री जीव-जंतुओं के पालन-पोषण और उनके संरक्षण से संबंधित बातें भी इसमें शामिल हैं। मछलियों के पालन-पोषण, संरक्षण, उत्पादन और कारोबार से जुड़ी बातें भी इसके अंतर्गत आती हैं। उपयोगी जलीय वनस्पतियों से भी इस विषय का संबंध है। एक्वाक्ल्चर के अध्ययन का मुख्य उद्देश्य इससे संबंधित वस्तुओं को मानव जीवन के लिए उपयोगी बनाना है। इसके तहत जीव-जंतुओं के सामान्य आहार के अलावा दवाओं और अन्य आवश्यक चीजों के बारे में भी जानकारी दी जाती है। जलीय जीव-जंतुओं और पौधों की नस्लों को बेहतर बनाने की कोशिश भी इसमें की जाती है, जिसके लिए विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल होता है।

पाठ्यक्रम कैसे-कैसे
एक्वाकल्चर के कोर्स विभिन्न संस्थानों में उपलब्ध हैं। फिशरी साइंस में बीएफएससी और एमएफएससी जैसे कोर्स उपलब्ध हैं। बीएफएससी की अवधि 4 वर्ष, जबकि एमएफएससी की अवधि 2 वर्ष है। जो विद्यार्थी फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी से 12वीं उत्तीर्ण हों, वे ग्रेजुएशन स्तर के पाठ्यक्रमों में दाखिला ले सकते हैं। एमएससी इन मेरिकल्चर जैसा कोर्स भी उपलब्ध है। ग्रेजुएशन के बाद पीजी और रिसर्च लेवल के कोर्स में नामांकन कराया जा सकता है। इस फील्ड में कई शॉर्ट टर्म कोर्स भी हैं।

व्यक्तिगत योग्यता
जल, कृषि और प्रकृति में दिलचस्पी आपको इस क्षेत्र में सफल बनाएगी। दूरदराज के जलीय इलाकों में भी काम करने में रुचि होनी चाहिए।

मौके कहां-कहां
जिस तरह भारत में विस्तृत समुद्री क्षेत्र है तथा आंतरिक नदियों और जलाशयों की भरमार है, उससे एक्वाकल्चर के जानकारों को यहां कई तरह के अवसर मिलने लगे हैं। ऐसे एक्सपर्ट को विभिन्न एक्वाकल्चर फार्म्स में डिजाइन, कंस्ट्रक्शन और मैनेजमेंट से संबंधित अवसर प्राप्त होते हैं। फिश प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज और कृषि विज्ञान केंद्र के अलावा संबंधित रिसर्च सेंटरों में वैज्ञानिक के रूप में मांग बनी रहती है। सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएफटीआरआई), इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (आईसीएआर), मेरिन प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमपीईडीए) आदि में विशेषज्ञ मौके पाते हैं। मत्स्य पालन और जल वितरण से संबंधित स्वरोजगार के मौके भी हैं।

Thursday, December 22, 2016

एग्रीकल्चर में करियर

कृषि से आपको लगाव है लेकिन किसी वजह से इस क्षेत्र में आने से संकोच कर रहे हैं, तो आप नए व आधुनिक तरीके से नकदी फसलों की खेती कर कृषि उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग व निर्यात करते हुए आकर्षक मुनाफे के साथ-साथ कृषि क्षेत्र और अपने करियर को एक बेहतर आयाम दे सकते हैं...
भारत आज भी एक कृषि प्रधान देश है, लेकिन ऐसा नहीं है कि कृषि केवल पारंपरिक किसानों के लिए ही है। आज के युवा भी आधुनिक तरीके से खेती करके या एग्रीकल्चर से जुड़े काम करके अच्छे पैसे कमा सकते हैं। वैज्ञानिक तरीके से ऐसी खेती करने से आत्म-सम्मान के साथ-साथ समाज में एक अलग पहचान और बेहतर मुनाफे के रास्ते भी खुले हैं। देश की काफी बड़ी आबादी आज भी कृषि क्षेत्र से ही रोजगार पाती है। कृषि क्षेत्र में मौजूद विकास की व्यापक संभावनाओं को भांपते हुए आईटीसी, मोनसेंटो और रिलायंस जैसी बड़ी कंपनियां इस क्षेत्र में उतर चुकी हैं। फसलों से जुड़े शोध कार्यक्रमों में भी कृषि विशेषज्ञों की मांग तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में इस कृषि क्षेत्र को अपना करियर विकल्प चुनकर मित्र्ी की खुशबू के साथ रहते हुए अपने करियर को सुगंधित कर सकते हैं।
आधुनिक तरीकों से खेती
मशरूम : इसे सफेद सोना कहा जाता है। मशरूम का सफल उत्पादन दो से तीन महीने में आसानी से हो जाता है। मशरूम की बुआई से लेकर कटाई तक में लगभग दो-तीन महीने का समय लगता है। इतने समय में इसका अच्छा उत्पादन किया जा सकता है। मशरूम के कई प्रोडक्ट की मार्केट में काफी डिमांड है। मशरूम की खेती को छोटी जगह और कम लागत में आसानी से शुरू किया जा सकता है और कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है।
फूलों की खेती : फूलों के बगैर कोई भी पार्टी या फंक्शन अधूरा-सा लगता है। फूलों की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। फूलों की बढ़ती मांग ने फूलों के कारोबार को काफी विकसित किया है। बीते कुछ सालों में इस क्षेत्र में काफी विकास हुआ है। खुद की नर्सरी खोल कर अच्छी कमाई की जा सकती है। इसके अलावा फ्लोरल डिजाइनर, लैंडस्केप डिजाइनर, फ्लोरीकल्चर थेरेपिस्ट, फार्म या स्टेट मैनेजर, प्लांटेशन एक्सपर्ट, प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर के साथ आप रिसर्च और टीचिंग भी कर सकते हैं।
ऑर्गेनिक खेती : पिछले कुछ समय में ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों की काफी डिमांड बढ़ी है। डिमांड के मुकाबले काफी कम उत्पादन हो रहा है। ऐसे में इस कार्य को करके आप बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं।
आयुर्वेदिक औषधि : लोगों का रुझान एक बार फिर से आयुर्वेद की तरफ बढ़ा है। नित नई आयुर्वेदिक दवा कंपनियां खुल रही हैं, जिन्हें आयुर्वेदिक औषधियों की हमेशा जरूरत रहती है। आप चाहें तो नीम, तुलसी, एलोवेरा, अश्वगंधा, मुलेठी जैसे कई आयुर्वेदिक औषधियों की पैदावार कर बेहतर कमाई कर सकते हैं।
प्रोडक्ट करें एक्सपोर्ट
पारंपरिक फसलों की जगह अगर नकदी फसलों का उत्पादन करते हैं तो उसे आसानी से देश-विदेश में एक्सपोर्ट कर सकते हैं। सरकार द्वारा इसके लिए कई तरह की कोशिशें की जा रही हैं। जरूरत है तो सिर्फ सही तरीके से उत्पादन और उसे सही बाजार तक पहुंचाने की। एक बार सही मार्केट का रास्ता मिल जाने के बाद उत्पाद हाथों-हाथ बिक जाएगा।
आकार लेतीं संभावनाएं
शोध : वैश्विक समस्या का रूप ले रहे खाद्यान्न संकट ने इस क्षेत्र को शोध संस्थाओं की प्राथमिकता का केंद्र बना दिया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद सहित देश की तमाम कृषि शोध संस्थाएं कृषि उत्पादकता बढ़ाने वाली तकनीकें और फसलों की ज्यादा उपज देने वाली प्रजातियां विकसित करने में जुटी हैं।
फूड प्रोसेसिंग : निजी क्षेत्र की कई कंपनियां कृषि उत्पादों का ज्यादा समय तक उपभोग सुनिश्चित करने के लिए बड़े पैमाने पर फूड प्रोसेसिंग शुरू कर चुकी हैं। डिब्बाबंद जूस, आइसक्रीम, दुग्ध उत्पाद और चिप्स जैसे उत्पाद प्रोसेस्ड फूड के उदाहरण हैं।
संगठित खुदरा बाजार
रिलायंस फ्रेश, फूड बाजार, बिग एप्पल आदि कंपनियां अपने हजारों केंद्रों के माध्यम से फल, सब्जियों, अनाज और ढेरों अन्य खाद्य वस्तुओं की बिक्री करती हैं। इसके लिए कंपनियों को थोक में खाद्य उत्पादों की खरीद करनी पड़ती है। इस कार्य में मदद के लिए ये कंपनियां कृषि विशेषज्ञों और कृषि उत्पादों की मार्केटिंग से जुड़े विशेषज्ञों की नियुक्ति करती हैं।
कोर्स
-बीएससी एग्रीकल्चर
-बीएससी क्रॉप फिजियोलॉजी
-एमएससी एग्रीकल्चर
-एमएससी (एग्रीकल्चर बॉटनी/ बायोलॉजिकल साइंसेज)
-एमबीए इन एग्रीबिजनेस मैनेजमेंट
-डिप्लोमा इन फूड प्रोसेसिंग
-डिप्लोमा कोर्स इन एग्रीकल्चर एंड एलाइड प्रैक्टिसेज
एलिजिबिलिटी
एग्रीकल्चर से संबंधित डिप्लोमा व बैचलर पाठ्यक्रम में दाखिले की न्यूनतम योग्यता विज्ञान विषयों (बायोलॉजी जरूरी) के साथ 12वीं पास होना जरूरी है। एग्रीकल्चर में ग्रेजुएशन के बाद एमएससी में दाखिला लिया जा सकता है। स्पेशलाइजेशन के लिए एग्रोनॉमी, हॉर्टिकल्चर, प्लांट ब्रीडिंग, एग्रीकल्चर जेनेटिक्स, एग्रीकल्चर एंटोमोलॉजी आदि विकल्प मौजूद हैं। ग्रेजुएशन के बाद एग्री-बिजनेस मैनेजमेंट में एमबीए किया जा सकता है।
संभावनाएं
-शुगर मिल
-फूड कॉर्पोरशन ऑफ इंडिया
-बैंक
-कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कंपनी
-नेशनल सीड कॉर्पोरेशन
-रिसर्च इंस्टीट्यूट
-चाय बागान
-यूनिवर्सिटी/ कॉलेज
-एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी

Tuesday, December 20, 2016

पर्यावरण इंजीनियरिंग और जैविक में स्नातक

प्रयोगशाला में और बगल में वास्तविक स्थितियों के साथ लगातार संपर्क भी शामिल है कि एक पाठ्यक्रम और पाठ्यक्रम के द्वारा समर्थित एक ठोस, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। इस चक्र के प्रारूप उत्कृष्ट कैरियर के अवसरों के लिए कौशल की एक विविध सेट के विकास पर आधारित है और स्नातकोत्तर और मास्टर की पढ़ाई को आगे बढ़ाने के लिए।

लक्ष्य

पर्यावरण और जैव इंजीनियरिंग के कोर्स के लिए एक प्रारंभिक चरण, गणित, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान की बुनियादी विज्ञान के क्षेत्र में सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान के एक विस्तार पर अपने स्नातकों प्रदान करता है। बाद के चरणों में, प्रशिक्षण पर्यावरण और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों के विभिन्न आयामों की अनिवार्य और वैकल्पिक प्रकृति के साथ काम कर एक तेजी से विशिष्ट प्रकृति का फायदा हुआ। , लेकिन यह भी प्राकृतिक संसाधनों, बेकार, जैव ईंधन और पर्यावरणीय प्रभाव की समस्या के लिए हवा, पानी और मिट्टी - पर्यावरण के संदर्भ में, यह तीन क्लासिक डिब्बों को शामिल किया गया। जैव प्रौद्योगिकी में जोर आनुवंशिक और एंजाइम इंजीनियरिंग, जैव प्रौद्योगिकी में जैविक रिएक्टरों और जुदाई प्रक्रियाओं को दिया जाता है।

करियर

पर्यावरण और जैव इंजीनियरिंग में स्नातक के क्षेत्रों में सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में, विदेशों में पुर्तगाल में कार्य करते हैं और कर सकते हैं:
  • प्रबंधन और पर्यावरण की गुणवत्ता के नियंत्रण;
  • पर्यावरण आडिट;
  • रासायनिक, जैव रासायनिक और सूक्ष्मजीवविज्ञानी विश्लेषण;
  • पर्यावरण प्रभाव आकलन;
  • योजना और भूमि उपयोग की योजना बना;
  • प्रस्तावित उपचार संयंत्र, परिशोधन और पुनर्वास;
  • पर्यावरण के प्रति जागरूकता और प्रशिक्षण;
  • कृषि खाद्य, दवा और सौंदर्य प्रसाधन;
  • पर्यावरण जैव प्रौद्योगिकी।

योग्यता आवश्यकताओं

180 ECTS क्रेडिट साल, पूर्ण समय के अनुसार अध्ययन के 40 सप्ताह (प्रति सेमेस्टर 20 सप्ताह) के साथ छह सेमेस्टर (तीन वर्ष), प्रत्येक में फैला हुआ है। प्रति वर्ष अध्ययन 1620 कुल घंटे (क्रेडिट ECTS प्रति अध्ययन के 27 कुल घंटे)।
पाठ्यक्रम इस सेमेस्टर पर्यावरण इंजीनियरिंग डिजाइन और जैविक (10 ECTS) विकसित होने के नाते, केवल 5 कर रहे हैं जो पिछले के लिए छोड़कर प्रति सेमेस्टर 6 पाठयक्रम इकाइयों में शामिल हैं। पाठ्यक्रम ज्यादातर अनिवार्य है और वहाँ पिछले 2 सेमेस्टर चार वैकल्पिक इकाइयों में हैं।

स्नातक आवश्यकताएँ

पाठ्यक्रम के पूरा होने में उपलब्ध पाठ्यक्रमों के विकल्प के बीच चयन करने के लिए एक कुल 180 ECTS और अनिवार्य 158 और वैकल्पिक 22, परियोजना के काम की सार्वजनिक रक्षा सहित यह शामिल है कि सभी पाठ्यक्रमों, गुजर बनाने की आवश्यकता है एक स्कूल वर्ष में पाठ्यक्रम और सामान्य और विशिष्ट मूल्यांकन सिद्धांत के अनुसार।

सीखने के परिणामों

शैक्षिक स्नातक की डिग्री के साथ पेशेवर प्रक्रियाओं और संसाधनों की योजना, प्रबंधन और मूल्यांकन करने के लिए विशेष पर्यावरण की समस्याओं से निपटने के लिए अग्रणी तकनीकी कार्यों के स्वायत्त पूर्ति के लिए पात्र हैं। लाइसेंसधारियों भी पर्यावरण और जीव विज्ञान के क्षेत्रों में प्रशिक्षण और अनुसंधान के क्षेत्र में कार्रवाई हो सकती है।

पाठयक्रम संरचना

  • कोई सौंपा वैज्ञानिक क्षेत्र
  • पर्यावरण और गुणवत्ता
  • भौतिक
  • गणित
  • औद्योगिक प्रक्रियाओं
  • शारीरिक और अकार्बनिक रसायन
  • जनरल और एनालिटिकल कैमिस्ट्री
  • कार्बनिक रसायन विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी
  • रासायनिक प्रौद्योगिकी
  • पर्यावरण प्रौद्योगिकी

आगे की पढ़ाई

छात्रों को एक और उच्च शिक्षा संस्थान में पढ़ाया जाता है रासायनिक प्रौद्योगिकी में परास्नातक या एक और मास्टर की डिग्री सहित IPT, स्था संस्था में पढ़ाया जाता है मास्टर्स में से एक में अपनी पढ़ाई जारी रख सकते हैं।
छात्रों को भी स्नातक पर्यावरणीय प्रभाव का अध्ययन, स्था, IPT में प्रदर्शन अध्ययन का पीछा कर सकते हैं।

Monday, December 19, 2016

एमएससी रसायन इंजीनियरी

एमएससी केमिकल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम अतिरिक्त प्रशिक्षण कंपनियों को अब उद्योग के भविष्य के नेताओं के होने की रासायनिक इंजीनियरों की अगली पीढ़ी से उम्मीद है, की क्षमता के साथ बेहद सक्षम स्नातकों का उत्पादन करता है।
पाठ्यक्रम रासायनिक इंजीनियर्स संस्थान (IChemE) द्वारा मान्यता प्राप्त है और ब्रिटेन कल्पना जो पहले से ही एक BEng, बीएससी या गैर मान्यता प्राप्त केमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री पकड़ उन छात्रों के लिए IChemE की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बनाया गया है और चार्टर्ड स्थिति के लिए आगे बढ़ना चाहते हैं ।
आप उन्नत इंजीनियरिंग अभ्यास है, जो डिजाइन, संचालन, समस्या सुलझाने और व्यावहारिक तत्व शामिल हैं में कौशल हासिल करेंगे। उन्नत अभ्यास ऊर्जा और पर्यावरण अनुप्रयोगों में विषयों पर केंद्रित है, ताकि आप भी इस तरह के पेट्रोलियम संसाधन, ऊर्जा दक्षता, कार्बन को पकड़ने और पानी के उपचार जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अनुभव हासिल कर सकते हैं।
इस कोर्स भी नॉटिंघम विश्वविद्यालय के मलेशिया कैम्पस में सिखाया जाता है।

मुख्य तथ्य

  • उद्योग के लिए प्रासंगिक शिक्षण स्टाफ की एक उच्च अनुपात चार्टर्ड इंजीनियर्स जा रहा है और / या प्रासंगिक औद्योगिक अनुभव है, साथ ही उद्योग के लिए चल रहे अनुसंधान लिंक होने के साथ, इस पाठ्यक्रम के एक मजबूत सुविधा है।
  • बाहर किए गए परियोजनाओं में से कई उद्योग द्वारा प्रायोजित कर रहे हैं, और औद्योगिक प्रायोजन सुविधाओं में सुधार करने में मदद करने के लिए पिछले कुछ वर्षों में प्राप्त किया गया है।
  • विभाग व्यापक प्रयोगशाला सुविधाओं और महत्वपूर्ण प्रायोगिक संयंत्र और औद्योगिक पैमाने पर रासायनिक प्रसंस्करण के उपकरण समेटे हुए है।
  • इंजीनियरिंग और विज्ञान कौशल का एक अनूठा संयोजन की पेशकश, विभाग के अनुसंधान और शिक्षण के बीच घनिष्ठ संबंध के साथ एक मजबूत और गतिशील वातावरण प्रदान करता है।

शैक्षिक उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी Presessional

अंग्रेजी भाषा शिक्षा केन्द्र (मनाने) एक 5 सप्ताह इंजीनियरिंग अंग्रेजी भाषा और अध्ययन कौशल पाठ्यक्रम चलाता है। इस कोर्स इंजीनियरिंग के संकाय के सहयोग से isdesigned इंजीनियरिंग कार्यक्रमों पर जा रहे छात्रों को तैयार करने के लिए।
क्या आप अपनी एमएससी कोर्स के लिए पर जाने की जरूरत है अंग्रेजी भाषा के स्तर के करीब हैं और आप प्रासंगिक cele पाठ्यक्रम के लिए प्रवेश आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, तो आप एक संयुक्त प्रस्ताव के लिए पात्र हो सकता है। इस का मतलब है कि:
  • आप केवल एक टीयर 4 वीजा और कैस की जरूरत है
  • आप एक 10 या 5 सप्ताह अंग्रेजी भाषा और शैक्षिक कौशल तैयारी पाठ्यक्रम ले, और फिर अपनी एमएससी पाठ्यक्रम पर जाना
  • आप एमएससी पाठ्यक्रम पर एक गारंटी जगह है
  • एमएससी करने के लिए अपनी प्रगति आप में भाग लेने के लिए और सभी शोध को पूरा प्रदान की है, स्वचालित है

पाठ्यक्रम विवरण

पाठ्यक्रम के छात्रों के लिए एक 12 महीने की अवधि में 180 क्रेडिट पूरा करने के साथ, एक मॉड्यूलर संरचना इस प्रकार है। छात्र मुख्य मॉड्यूल के 50 क्रेडिट, वैकल्पिक मॉड्यूल के 40 क्रेडिट, एक 30 क्रेडिट विकास परियोजना उन्नत डिजाइन अभ्यास में कौशल प्रदान करने और एक 60 क्रेडिट गर्मियों परियोजना है जो अनुसंधान के क्षेत्र में कौशल विकसित ले।
बेशक एक एकीकृत शैक्षिक दृष्टिकोण, जिसमें प्रमुख तत्वों से व्याख्यान, उदाहरण कक्षाओं, प्रयोगशालाओं और सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करता है।
परियोजनाओं के इस कोर्स पर किए गए कई औद्योगिक प्रायोजन को आकर्षित करने और उद्योग की आवश्यकताओं को प्रतिबिंबित करते हैं। इन परियोजनाओं आप डिजाइन, परियोजना प्रबंधन, समस्या को हल करने, अनुसंधान और रिपोर्टिंग में महत्वपूर्ण कौशल विकसित करने में मदद मिलेगी।
एमएससी केमिकल इंजीनियरिंग एक साल में एक पूर्णकालिक आधार पर सिखाया जाता है, देर से सितम्बर में शुरू।
अधिकांश आवेदकों एक इंजीनियरिंग पहली डिग्री है, और सबसे आम पर्यावरण या केमिकल इंजीनियरिंग शामिल हैं।

करियर

नॉटिंघम में केमिकल इंजीनियरिंग उद्योग, हमारे स्नातकों को लगातार प्रमुख कंपनियों के साथ शीर्ष नौकरियों पाने के साथ सहयोग का एक लंबा इतिहास रहा है। इस कोर्स के लिए अनुसंधान के क्षेत्र में मौजूदा और उभरती प्रौद्योगिकियों, उन्नत डिजाइन कौशल और मजबूत कौशल का एक ठोस समझ के साथ छात्रों, समस्या सुलझाने और परियोजना प्रबंधन, अब नियोक्ताओं द्वारा रासायनिक प्रक्रियाओं और उत्पादों के विकास के लिए मांग की।
इस कार्यक्रम को पूरा करने वाले छात्रों के लिए तेल और गैस, पेट्रो रसायन, खाद्य, पर्यावरण संरक्षण, नैनो, परामर्श और प्रबंधन सहित उद्योगों की एक रेंज में रोजगार के अवसर मिल गया है।
इस कार्यक्रम में भी पीएचडी के स्तर पर और अनुसंधान के क्षेत्र में एक कैरियर का पीछा में आगे के अध्ययन के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करना है। विश्वविद्यालय डॉक्टरेट प्रशिक्षण ब्रिटेन अनुसंधान परिषद द्वारा वित्त पोषित केन्द्रों में से एक पोर्टफोलियो है। इन केन्द्रों अत्याधुनिक डॉक्टरेट अध्ययन, एक सहायक और रोमांचक काम के माहौल के साथ संयुक्त अनुसंधान क्षेत्रों में इस तरह के एक जीवाश्म ऊर्जा, जैव प्रौद्योगिकी और टिकाऊ रसायन प्रसंस्करण की एक किस्म में प्रदान करते हैं।
औसत शुरू वेतन और कैरियर में प्रगति
रासायनिक और पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग के लिए रोजगार और वेतन डेटा के लिए उपलब्धता एक छोटा सा नमूना आकार की वजह से प्राप्य नहीं है। *
* पूर्णकालिक घर और यूरोपीय संघ के स्नातकोत्तर, 2013/14 के ज्ञात स्थलों।
कैरियर की संभावनाओं और रोजगार
स्नातकोत्तर की डिग्री के अधिग्रहण के लिए एक विशेष क्षेत्र में ज्ञान के एक उच्च स्तर को दर्शाता है। आप आगे शैक्षिक अनुसंधान के लिए या व्यावसायिक प्रशिक्षण के एक साधन के रूप में तैयार करने के रूप में, अपने रोजगार को बढ़ाने के लिए इसे प्रयोग कर रहे हैं, आप अपनी पूरी क्षमता के लिए अपने नए पाया कौशल का उपयोग कैसे कर सकते हैं करने के लिए के रूप में कॅरिअर सलाह से लाभ हो सकता है। हमारा करियर और रोजगार सेवा अपने विकल्पों को तलाशने के लिए आप के साथ काम कर रहा है और आप इस तरह प्रासंगिक कार्य अनुभव प्लेसमेंट और कौशल कार्यशालाओं के रूप में संभावित नियोक्ताओं, साथ ही सुझाव आगे विकास के अवसर, पूरा कर सकते हैं जहां भर्ती घटनाओं में शामिल करने के लिए आमंत्रित, तो आप ऐसा करने में मदद करेगा।

Thursday, December 15, 2016

मैथमेटिकल में करियर

गणित मनुष्य के ज्ञान की एक उपयोगी व आकर्षक शाखा है। गणित एक मान्यताप्राप्त व्यावसायिक करियर है। भारत में छात्रों द्वारा करियर के रूप में चुना जाने वाला एक प्रमुख विषय है। इसमें अध्ययन के कई आयाम सम्मिलित हैं...

मैथमेटिक्स शब्द की व्युत्पत्ति एक ग्रीक शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है ′अध्ययन के प्रति झुकाव′। मैथमेटिक्स (गणित) की एक सर्वमान्य परिभाषा देना यद्यपि काफी कठिन है, तथापि इसे मोटे तौर पर संख्याओं तथा प्रतीकों द्वारा अभिव्यक्ति, मात्रा, उनके संबंध, परिचालन एवं मापन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। यदि हम साधारण बोलचाल की भाषा में कहें तो गणित संख्याओं तथा उनकी विभिन्न गणनाओं के अध्ययन से संबंधित है। सावधानीपूर्वक विश्लेषण करना तथा तर्क देना गणित के अत्यधिक महत्वपूर्ण कौशल हैं। गौरतलब है कि गणित उतना ही प्राचीन है जितनी कि हमारी सभ्यता। गणित मनुष्य के ज्ञान की एक अत्यधिक उपयोगी तथा आकर्षक शाखा है। इसमें अध्ययन के कई आयाम सम्मिलित हैं। गौरतलब है कि गणित एक मान्यताप्राप्त व्यावसायिक करियर है तथा भारत में छात्रों द्वारा करियर के रूप में चुना जाने वाला एक प्रमुख विषय है। भारत में प्राचीन काल से ही गणित की एक सुदृढ़ परम्परा रही है और इसी कारण से यहां गणित एवं संबंधित विज्ञान में अध्ययन के विभिन्न केंद्रों की स्थापना की गई है। आज भी भारत में गणित में विश्व स्तर के अनुसंधान करने वाले अनेक संस्थान हैं। गणनाओं में रुचि रखने वाले छात्र बड़ी संख्या में गणित को करियर के रूप में चुनते हैं। गणित तथा संबंद्ध क्षेत्र में पाठ्यक्रम करने के उपरांत रोजगार के चमकीले अवसर उपलब्ध हो जाते हैं।
कदम-कदम पर गणित
गौरतलब है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में कदम-कदम पर गणित का उपयोग करता है। गणित लगभग सभी वैज्ञानिक अध्ययनों का एक अनिवार्य अंग है। वैज्ञानिक गणित का उपयोग प्रयोगों की रूपरेखा बनाने, सूचना का विश्लेषण करने, गणित के सिद्धांतों द्वारा अपने निष्कर्ष उचित रूप में व्यक्त करने तथा इन निष्कर्षों के आधार पर सटीक भविष्यवाणी करने के लिए करते हैं। खगोल विज्ञान, रसायन विज्ञान तथा भौतिक विज्ञान जैसे विषय तो गणित पर ही निर्भर हैं। सामाजिक-विज्ञान, अर्थशास्त्री, मनोविज्ञान सांख्यिकी आदि भी गणित की ही कई अन्य शाखाओं पर निर्भर होते हैं। अर्थशास्त्री आर्थिक व्यवस्था के गणितीय मॉडल तैयार करने के लिए गणित का जमकर उपयोग करते हैं। गणितज्ञ आर्थिक, वैज्ञानिक, इंजीनियरी, भौतिकी तथा व्यवसाय आधारित समस्याओं का समाधान करने के लिए गणितीय सिद्धांत, कंप्यूूटेशनल तकनीकों, एल्गोरिदम तथा नवीनतम गणितीय प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हैं।
करियर विकल्प
गणित तथा गणित से जुड़े प्रमुख करियर इस प्रकार हैं-
गणितज्ञः गणितज्ञ एक ऐसा व्यक्ति होता है जिसका अध्ययन अथवा अनुसंधान का मुख्य क्षेत्र गणित होता है। 
सॉफ्टवेयर इंजीनियर सॉफ्टवेयर अनुप्रयोग तथा उनकी प्रणाली का सृजन, परीक्षण, विश्लेषण तथा मूल्यांकन करने के लिए कंप्यूटर विज्ञान तथा गणितीय विश्लेषण के सिद्धांतों को कार्यान्वित करते हैं।
गणितज्ञ तर्क, संख्या आदि से संबंधित विशेष समस्याओं से जुड़े होते हैं। वे अनुसंधान करते हैं और समस्याओं का समाधान करते हैं। गणितज्ञ गणित के अनसुलझे रहस्यों को उजागर करने का प्रयास करते हैं।
अध्यापनः गणित के अध्यापक की मांग कल भी थी, आज भी है और भविष्य में भी रहेगी। क्योंकि गणित पूरी स्कूली शिक्षा में एक मुख्य विषय होता है। यदि आप में संख्याओं के प्रति गहरा आकर्षण है तथा विद्यार्थियों को पढ़ाने में आपकी रुचि है तो आप अध्यापन के क्षेत्र में भी करियर बना सकते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वाले गणितज्ञों का अध्यापन तथा अनुसंधान में मिश्रित दायित्व होता है। गणित के क्षेत्र में अध्यापन में करियर के अनेक रास्ते हैं। स्कूल कॉलेजों में नौकरी कर सकते हैं अथवा स्वतंत्र रूप से कोचिंग अथवा ट्यूशन पढ़ाकर अच्छी अजीविका अर्जित कर सकते हैं।
बैंकिंगः वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने तथा प्रधानमंत्री जनधन योजना जैसी योजनाओं के चलते बैंकों में करोड़ों की संख्या में नए खाते खोले जा रहे हैं। इसके चलते बैंक तेजी से अपनी शाखाएं बढ़ा रहे हैं जिससे इस क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर निर्मित हो रहे हैं। गणित में महारथ रखने वाले युवा बैंकिंग में लेखाकार, फ्रंट डेस्क ऑपरेशन, रोकड़ हस्तन, खाता खोलने, बैंक ऐंड ऑपरेशन तथा ग्राहक सेवा कार्यपालक जैसे कई क्षेत्रों में कार्य कर सकते हैं। बैंक व्यवसाय स्थापित करने व विभिन्न विकास कार्यों के लिए ऋण देते हैं, जिससे बैंकिंग वित्त क्षेत्र में रोजगार व करियर के लाखाें अवसर सृजित होते हैं।
परिचालन अनुसंधान विश्लेषकः परिचालन अनुसंधान अनुप्रयुक्त गणित एवं औपचारिक विज्ञान की एक अंतरविषयीय शाखा है, जो निर्णय लेने के लिए जटिल समस्याओं के श्रेष्ठ समाधान के लिए गणितीय मॉडलिंग तथा सांख्यिकीय विश्लेषण जैसी तकनीकों का उपयोग करती है। परिचालन अनुसंधान विश्लेषक सूचनाओं का विकास एवं व्याख्या करने के लिए गणितीय मॉडलिंग तथा कार्यान्वयन करते हैं। वे बेहतर निर्णय लेने तथा समस्या समाधान में प्रबंधकों की सहायता करते हैं। यदि आप इस क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं तो आपको मजबूत मात्रात्मक, कंप्यूटर कौशल तथा गणित का उच्च ज्ञान होना आवश्यक है।
चार्टर्ड अकाउंटेंटः उदारीकरण तथा वैश्वीकरण के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के तीव्र विकास ने लेखा तथा वित्त के क्षेत्र में करियर ने अत्यधिक लोकप्रियता अर्जित की है तथा इस क्षेत्र में चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) का एक अत्यधिक प्रतिष्ठित करियर विकल्प है। चार्टर्ड अकाउंटेंट लेखाकरण, लेखा परीक्षण तथा कराधान में विशेषज्ञ होता है। गणित एवं वाणिज्य में रुचि रखने वाले युवा इस क्षेत्र में चमकीला करियर बना सकते हैं।
सॉफ्टवेयर इंजीनियरः भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की न केवल भारत में अपितु वैश्विक स्तर पर भी धूम मची हुई है। वैश्विक आईटी इंडस्ट्री भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को रोजगार देने के लिए बाहें फैलाए खड़ी है। गौरतलब है कि सॉफ्टवेयर इंजीनियर सॉफ्टवेयर की डिजाइन तैयार कर उसका विकास करते हैं। वे सॉफ्टवेयर अनुप्रयोग तथा उनकी प्रणाली का सृजन, परीक्षण, विश्लेषण तथा मूल्यांकन करने के लिए कंप्यूटर विज्ञान तथा गणितीय विश्लेषण के सिद्धांतों को कार्यान्वित करते हैं। सॉफ्टवेयर संगणना, प्रणालियों, सॉफ्टवेयर इंजीनियर संगणना प्रणालियों, सॉफ्टवेयर की संरचना तथा हार्डवेयर की प्रकृति एवं सीमाओं के भी विशेषज्ञ होते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि ये प्रणालियां उपयुक्त रूप में कार्य कर रही हैं। इस क्षेत्र में रोजगार की उत्कृष्ट संभावनाएं हैं।
कंप्यूटर प्रणाली विश्लेषकः कंप्यूटर प्रणाली विश्लेषक के लिए सॉफ्टवेयर, अनुसंधान, शिक्षा सिक्योरिटी, बैंकिंग, अर्थशास्त्र, इंजीनियरिंग, कंप्यूटर विज्ञान, भौतिकी, तकनीकी शाखाओं आदि में रोजगार के प्रचुर अवसर हैं। अधिकांश प्रणाली विश्लेषक लागत-लाभ एवं निवेश पर मुनाफा का विश्लेषण तैयार करने के लिए विशिष्ट प्रकार की कंप्यूटर प्रणालियों जैसे- व्यवसाय लेखाकरण तथा वित्तीय प्रणालियों या वैज्ञानिक एवं इंजीनियरी प्रणाली पर कार्य करते हैं और प्रबंधकों को यह निर्णय लेने में सहायता प्रदान करते हैं कि क्या प्रस्तावित प्रौद्योगिकी वित्तीय दृष्टि से व्यवहार्य होगी अथवा नहीं।
11वीं तथा 12वीं कक्षाओं में यदि चाहे तो छात्र यह विषय ले सकते हैं। तथापि जो छात्र इंजीनियरी तथा प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रम करना चाहते हैं उन्हें 11वीं तथा 12वीं में गणित अवश्य पढ़ना होता है। देश की अधिकतर प्रवेश एवं भर्ती परीक्षाओं के लिए मात्रात्मक
CAREER
क्षमता तथा सूचना व्याख्या का गणित एक महत्वपूर्ण घटक होता है। स्नातक स्तर पर गणित बीएससी के तहत पढ़ाया जाता है। कुछ विश्वविद्यालयों में गणित एक मुख्य अथवा ऑनर्स विषय के रूप में भी पढ़ाया जाता है।
स्पेशलाइजेशन कोर्सों पर एक नजर
भारत में स्नातक स्तर पर गणित की शिक्षा देने वाले दो विश्वस्तरीय संस्थान भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई), बंगलूरू एवं चेन्नई गणित संस्थान (सीएमआई.), चेन्नई है। आईएसआई गणित तथा कंप्यूटर विज्ञान में बी.मैथ्स डिग्री एवं सीएमआई. गणित की बीएससी डिग्री कोर्स चलाते हैं, जिनमें प्रवेश प्रत्येक वर्ष मई के अंत में आयोजित की जाने वाली एक लिखित प्रवेश परीक्षा के माध्यम से दिया जाता है। आईएसआई एवं सीएमआई दोनों संस्थान ऐसे छात्रों को भी अपने संस्थान में प्रवेश देते हैं, जो इंडियन नेशनल मैथमेटिकल ओलंपियाड (आईएनएमओ) में उत्तीर्ण या किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना (केवीपीवाई) अध्येता होते हैं।
गणित में विशेषज्ञतापूर्ण पाठ्यक्रम चलाने वाले देश के प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं-
  • पुणे विश्वविद्यालय, पुणे (औद्योगिक गणित में पाठ्यक्रम)
  • मदुरै कामराज विश्वविद्यालय, मदुरै (न्यूमेरिकल मैथेमेटिक्स पाठ्यक्रम)
  • देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर (गणितीय अर्थशास्त्री में पाठ्यक्रम )
  • मद्रास विश्वविद्यालय, चेन्नई (अनुप्रयुक्त सांख्यिकी में पाठ्यक्रम )
  • भारत में 135 से भी अधिक विश्वविद्यालय गणित से जुड़े कोर्स चलाते हैं। यह कोर्स गणित विभागों द्वारा चलाए जाते हैं। कुछ विश्वविद्यालय शुद्ध गणित एवं अनुप्रयुक्त गणित में विशिष्टता प्रदान करते हैं। छात्र भारत में कुछ स्थानों पर चलाए जाने वाले एकीकृत एमएससी पीएचडी डिग्री कोर्स के लिए भी आवेदन कर सकते हैं।
  • उच्च शिक्षा का भी है विकल्प
  • एमएससी-पीएचडी कोर्स के लिए देश के-प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं-
  • टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर), मुंबई। लिखित परीक्षा तथा उसके बाद साक्षात्कार के माध्यम से इस संस्थान के पीएचडी पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया जाता है।
  • भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर), कोलकाता/ पुणे/ मोहाली/ त्रिवेन्द्रम/ भोपाल तथा राष्ट्रीय विज्ञान शिक्षा अनुसंधान संस्थान (एनआईएसईआर), भुवनेश्वर में भी गणित में एकीकृत एमएससी डिग्री कोर्स उपलब्ध है। आईआईएसईआर छात्रों को आईआईटी प्रवेश परीक्षा के आधार पर प्रवेश देता है जबकि एनआईएसईआर राष्ट्रीय प्रवेश जांच परीक्षा (एनईएसटी) के माध्यम से प्रवेश देता है।
  • छात्र हैदराबाद विश्वविद्यालय, हैदराबाद द्वारा गणित में चलाए जाने वाले एकीकृत एमएससी पाठ्यक्रम में भी प्रवेश ले सकते हैं। यह विश्वविद्यालय छात्रों को जून के प्रारंभ में आयोजित की जाने वाली एक लिखित परीक्षा के माध्यम से प्रवेश देता है।
  • पुदुचेरी विश्वविद्यालय एवं विभिन्न आईआईटी. गणित में पांच वर्षीय एकीकृत पाठ्यक्रम चलाते हैं।इन विशेष पाठ्यक्रमों के अलावा सामान्य, शुद्ध एवं अनुप्रयुक्त गणित में भी कंप्यूटेशनल मैथमेटिक्स, मैथमेटिकल स्टेटिस्टिक्स तथा मैथमेटिकल, अर्थशास्त्री, कंप्यूटर अनुप्रयोग सहित गणित, औद्योगिक गणित एवं कार्यात्मक गणित के रूप में ऐसे विषयों पर कई कोर्स उपलब्ध हैं। 

Sunday, December 11, 2016

मेकाट्रॉनिकी (यांत्रिक इंजीनियरी) में करियर

मेकाट्रॉनिकी यांत्रिक इंजीनियरी के विद्युत तथा इलेक्ट्रॉनिक के बारे में होती है। सामान्य शब्दों में यह इलेक्ट्रॉनिकी एवं कम्प्यूटर प्रणाली द्वारा नियंत्रित यांत्रिक प्रणालियों के निर्माण से संबंधित है। मेकाट्रॉनिकी प्रासंगिक रूप में इंजीनियरी की एक नई शाखा है, जो कई क्षेत्रों में व्यापक रूप से स्वीकार की जा रही है। यह विद्युत इंजीनियरी इलेक्ट्रॉनिकी। अंतरविषयीय विज्ञान है। मेकाट्रॉनिकी का उद्देश्य अभिज्ञ प्रणालियों को सरल, उपयोग के लिए बनाना है।
औद्योगिक रोबोटिक्स मेकाट्रॉनिकी प्रणाली एक शानदार उदाहरण है। वास्तव में मेकाट्रॉनिकी का अनुप्रयोग विभिन्न उपकरणों के आंतरिक कार्य पर मोबाइल फोन से लेकर वाशिंग मशीनों, रासायनिक संयंत्र मशीनरी, पॉवर जेनरेटर, ऑटो-फोकस कैमरा एवं रोबोट पर प्रदर्शित होता है।
मेकाट्रॉनिकी का अनुप्रयोग 
मेकाट्रॉनिकी इंजीनियर बढ़ी हुई कार्य क्षमता के साथ हाइब्रिड प्रणालियों-यांत्रिक प्रणालियों के डिजाइन के लिए जिम्मेदार होते हैं। वे अपने ज्ञान का यांत्रिक, इलेक्ट्रॉनिकी, कम्प्यूटर विज्ञान में प्रयोग करते हैं और विभिन्न उद्योगों के उत्पादों, प्रोसेस तथा सेवाओं को सुधारने के लिए सिध्दांत को नियंत्रित करते हैं।
मेकाट्रॉनिक इंजीनियर
औद्योगिक कार्यों के स्वचलन के लिए स्मार्ट उपकरणों एवं अभिज्ञ प्रणालियों का डिजाइन एवं विकास कार्य करते हैं।
औद्योगिक स्वचलन में अनुसंधान करते है और चुनौतियों का समाधान खोजते हैं।
द्वऔद्योगिक विनिर्माण प्रोसेस का रखरखाव एवं सुधार कार्य करते हैं।
कुशल एवं लागत प्रभावी मेकाट्रॉनिक उपकरणों के प्रोटोटाइप का निर्माण करते हैं।
प्रयोक्ता अनुभाव बढ़ाने पर लक्षित वीडियो रिकॉर्डर जैसे उपभोक्ता उत्पादों का डिााइन तथा विनिर्माण कार्य करते हैं।
खनन जैसे खतरनाक कार्यों में मानवीय हस्तक्षेप को हटाने के लिए उपकरण प्रोसेस कार्य करते हैं।
संभाव्यता अध्ययन करते हैं और बजट की योजना बनाते हैं।
सुरक्षा प्रक्रिया की रूपरेखा बनाते हैं।
अपने कार्य का प्रलेखन  करते हैं।
इंजीनियरी क्षेत्रों के अपूर्व सहयोग से रोबोटिक्स, जैसे नए अंतरविषयीय क्षेत्र उभर रहे हैं। उद्योग अपनी प्रैक्टिस तथा पध्दतियों के अन्य क्षेत्रों में क्रांतिकारी उन्नति ला रहे हैं। सीमित संसाधनों से परियोजना कार्यान्वयन की आवश्यकता बढ़ रही है। इसलिए, मेकाट्रॉनिकी को इस क्षेत्र में स्थापित होना ही है।
मेकाट्रॉनिकी ऑटोमोबाईल इंजीनियरी, जैव-चिकित्सा इंस्ट्रूमेंटेशन, औद्योगिक स्वचलन, रोबोटिक्स, एवियोनिक्स, डाता संचार नेटवर्क, एम्बैडेड तथा रियल टाइम प्रणालियों, स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर, मानव-मशीन इंटरफेस इंजीनियरी एवं मोशन नियंत्रण आदि जैसे अनेक क्षेत्रों में जहां यांत्रिक उपकरणों के इलेक्ट्रॉनिक कार्य-निष्पादन को बढ़ाया जाना है, अनुप्रयोग में लाई जाती है। मेकाट्रॉनिकी प्रणालियों की समर्थक एक ऐसी प्रौद्योगिकी है जो प्रोसेस संयंत्रों के रिसाव (लीक) तथा खराबियों पर निगरानी रखती है। एंटी-लॉक ब्रेक इसी प्रौद्योगिकी पर आधारित हैं। फ्लाइट सिमुलेटर भी मेकाट्रॉनिकी इंजीनियरी की देन हैं।
मेकाट्रॉनिकी यांत्रिकी, वैद्युत, इलेक्ट्रॉनिकी, जैव-चिकित्सा, संचार, इंस्ट्रूमेंटेशन, औद्योगिक, विनिर्माण, उत्पादन, आंतरिक तथा रासायनिक इंजीनियरी जैसी शैक्षिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के लिए खुली है। मेकाट्रॉनिकी एक शैक्षिक विकल्प है जो डिप्लोमा, स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर उपलब्ध है। डिप्लोमा स्तर का पाठयक्रम इंजीनियरी पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को मेकाट्रॉनिकी के मूल सिध्दांताें (बेसिक्स) को सीखने तथा उसे उनके कार्यों में लागू करने में, सहायता करता है। स्नातर डिग्री मेकाट्रॉनिकी के क्षेत्र में कॅरिअर प्रारंभ करने के लिए अपेक्षित संकल्पनाओं तथा सिध्दांताें को मजबूत आधार देती है। एम.टेक. कार्यक्रम यह जानकारी देता है कि मेकाट्रॉनिकी को विभिन्न क्षेत्रों में कैसे अनुप्रयुक्त किया जाता है। पाठयक्रम में ऑटोट्रनिकी तथा वाहन इंटैलीजेंस, रोबोट डायनामिक्स तथा विश्लेषण, फाी लॉजिक एवं न्यूरल नेटवर्क, मेकाट्रॉनिकी प्रणाली डिजाइन एवं डिजिटल नियंत्रण प्रणालियां जैसे विषय शामिल हैं।
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि मेकाट्रॉनिकी एक अनुप्रयोग विज्ञान भी है, आप इस विषय को स्नाकोत्तर स्तर पर भी चुन सकते हैं जो इलेक्ट्रॉनिकी या यांत्रिक इंजीनियरी विषय में बी.टेक. के बाद में लिया जा सकता है। इस तरह, आप डायनमिक प्रणालियों साहित अच्छा अनुभव प्राप्त कर सकते हैं और मेकाट्रॉनिकी के प्रभाव को अच्छी तरह समझ सकते हैं।
अपेक्षित कौशल
मेकाट्रॉनिकी के क्षेत्र में अपना कॅरिअर प्रारंभ करने के लिए आपको व्यापक तकनीकी कौशल प्राप्त करना होगा। भौतिकी, डिजिटल प्रणाली डिजाइन, मेकाट्रॉनिकी मॉडलिंग, इलेक्ट्रो-मेग्नेटिक्स, विनिर्माण, प्रोसेस, निर्णय लेने के सिध्दांतों एवं सर्किट विश्लेषण का उत्कृष्ट ज्ञान होना अनिवार्य है।
मेकाट्रॉनिकी के क्षेत्र में कार्यों में, विविध विषय सीमा में चुनौतियों का सामना करने के लिए, यांत्रिक इंजीनियरों तथा सॉफ्टवेर विकासकर्ता जैसे अन्य क्षेत्रों के व्यवसायियों से सहयोग करना शामिल है। इसलिए अच्छा संचार कौशल होना आवश्यक है। एकजुट होकर कार्य करने, विविध कार्य करने, कार्य-तनाव सहने, नई सोच तथा समस्या का समाधान करने की क्षमता जैसे कौशल होना भी आवश्यक है।
कार्य
मेकाट्रॉनिकी इंजीनियर प्रोसेस संयंत्रों, इंजीनियरी डिजाइन कार्यालयों, प्रयोगशालाओं तथा कारखाने जैसे स्थानों पर कार्य करते हैं। वे क्षेत्र, जहां मेकाट्रॉनिकी इंजीनियर रोजगार तलाश सकते हैं। वे हैं- रोबोटिक्स, ऑटोमोबाइल, जैव इंजीनियरी, नेनोटेक्नॉलोजी, एयरोस्पेस, उपभोक्ता उत्पाद, एम्बैडेड सिस्टम, विनिर्माण, खनन, वानिकी, रक्षा, इलेक्ट्रॉनिकी एवं संचार। अनुसंधान संगठन तथा शैक्षिक संस्थाएं भी मेकाट्रॉनिकी इंजीनियरी को रोजगार पर रखते हैं।

Tuesday, December 6, 2016

सिस्मोलॉजी इंजीनियरिंग में करियर

नई दिल्ली: जब हम अपनी स्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद कॉलेज में दाखिला लेने की सोचते है तो बहुत कम लोगों को पता होता है कि उन्हें आगे क्या करना हैं।बच्चे अपने मां बाप के कहने पर किसी कोर्स में दाखिला ले लेते है लेकिन कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने के बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिलती । इसलिए हम आपको बता रहे है कुछ एेसे कोर्स के बारे में।
सिस्मोलॉजी इंजीनियरिंग
इंजीनियरिंग की एक ऐसी ब्रांच है जिसके बारे में कम ही लोग सोचते हैं। लेकिन करियर के लिहाज से देखें तो इस क्षेत्र में जॉब की अपार संभावनाएं हैं। इस फील्ड में नौकरियां बहुत तेजी से बढ़ रही हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस क्षेत्र में जितने प्रोफेशनल्स की मांग है उससे लगभग आधी संख्या में ही इस फील्ड के विशेषज्ञ इस समय हैं।
क्या है सिस्मोलॉजी
वैसे तो अर्थक्वेक इंजीनियरिंग यानी सिस्मोलॉजी को इंजीनियरिंग का एक बहुत पुराना हिस्सा हैं। पहले सिस्मोलॉजी की तरफ युवाओं का ज्यादा ध्यान नहीं था, लेकिन हाल के दिनों में पृथ्वी की प्लेटों में बढ़ती हलचलों, भूकंप संबंधित क्षेत्रों में हो रहे विस्तार ने लोगों का ध्यान इस फील्ड की तरफ काफी खीचा हैं। क्योंकि भूकंप से बचने का सबसे अच्छा तरीका इसका पूर्वानुमान लगाना ही है।
क्या पढ़ाया जाता हैं।
सिस्मोलॉजी की पढ़ाई में पृथ्वी के भीतर होने वाले कंपनों के कारणो के बारे में बताया जाता है और भूकंप की वजह से लोगों को होने वाले नुकसान के अलावा पर्यावरण को होने वाले नुकसान का भी अध्ययन किया जाता है। एक भू-वैज्ञानिक का मुख्य उद्देश्य भूकंप से होने वाले जान-माल के नुकसान को कम करना और भूकंप के आने के पहले और बाद की घटनाओं तथा इसके कारण पर्यावरण पर पड़ने वाले असर का अध्ययन करना होता है।
कहां मिलेगी नौकरी
पिछले कुछ सालों में देखें तो भूकंप की घटनाओं में वृद्धि हुई है। रिकॉर्ड के मुताबिक नेशनल अर्थक्वेक इंफोर्मेशन सेंटर हर साल करीब 20,000 भूकंप रिकॉर्ड करता है, जिसमें से 100 भूकंप ऐसे होते हैं जिनसे जान-माल का नुकसान होता है। आए दिन भूंकप से होने वाली घटनाओं के बढ़ने के चलते सिस्मोलॉजी एक ऐसे करियर ऑप्शन के तौर पर उभरा हैं जिसमें आपको जॉब अपॉर्चुनिटी और अच्छी सैलेरी के साथ-साथ एक ऐसे फील्ड में काम करने का मौका मिलता है जो बेहद रोचक और चुनौतीपूर्ण है।
आजकल लोग हर बड़ी इमारत से लेकर घरों तक के निर्माण के लिए भूकंपरोधी तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह क्षेत्र केवल आपदा या उसके बाद के आकलन तक ही सीमित नहीं रह गया है बल्कि देश की कई डेवेलपमेंट अथॉरिटियों ने भवन के निर्माण में भूकंपरोधी तकनीक के इस्तेमाल को अनिवार्य कर दिया है। इस कारण भी सिस्मोलॉजी से जुड़े प्रोफेशनल्स की मांग और बढ़ी है। सिस्मोलॉजी से जुड़ा कोर्स करने के बाद इस क्षेत्र में सरकारी और प्राइवेट दोनों ही तरह की नौकरियों के ऑप्शन मौजूद हैं। इस फील्ड से जुड़ी कंपनियां सिस्मोलॉजी प्रोफेशनल्स को 50 हजार रुपये से 1 लाख रुपये प्रतिमाह तक सैलेरी ऑफर कर रही हैं। इसके अलावा आप अपनी रुचि के मुताबिक किसी शिक्षण संस्थान में शिक्षक का कार्य भी कर सकते हैं।
जरूरी योग्यता
भारत में सीस्मोलॉजी का कोर्स करने के लिए आपका ग्रेजुएट होना जरुरी हैं। अर्थक्वेक इंजीनियरिंग में आप मॉस्टर ऑफ इंजीनियरिंग (ME) या मॉस्टर ऑफ टेक्नोलॉजी (M.Tech) की डिग्री हासिल कर सकते हैं। इस कोर्स में एडमिशन लेने के लिए कैंडिडेट को ग्रेजुएट एप्टीट्यूट टेस्ट इन इंजीनियरिंग (GATE) एग्जाम क्वालीफाई करना जरूरी है।
कहां से करें कोर्स
भारत में सीस्मोलॉजी से जुड़े कोर्स के प्रमुख संस्थान हैं...
आइआइटी कानपुर
वेबसाइट: http://www.iitk.ac.in
आईआईटी रुड़की
वेबसाइट: www.iitr.ac.in
आईआईटी खड़गपुर
वेबसाइट: www.iitkgp.ac.in
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी
वेबसाइट: www.bhu.ac.in
अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई
वेबसाइट: www.annauniv.edu
उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद
वेबसाइट: www.osmania.ac.in
मुंबई विश्वविद्यालय
वेबसाइट: www.mu.ac.in
कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, हरियाणा
वेबसाइट: www.kuk.ac.in
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, देहरादून
वेबसाइट: www.wihg.res.in