Wednesday, August 30, 2017

वुड साइंस-टेक्नोलॉजी में कॅरियर

वुड साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में करियर के चमकीले अवसर हैं। वर्तमान में इस क्षेत्र में भारी मांग है तथा यह मांग भविष्य में भी बने रहने की संभावना है। कई संस्थानों में इससे संबंधित संचालित स्पेशलाइज्ड कोर्स कर वुड साइंस के क्षेत्र में करियर बनाया जा सकता है। इस बारे में और विस्तार से जानिए।
 
काष्ठ उत्पाद यानी वुड प्रोडक्ट्स हमारी विविध आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। अगर हम अपने आस-पास की वस्तुओं पर नजर डालें तो पाएंगे कि कार्य के औजार, खिलौने, मकान, फर्नीचर, पुस्तकें और समाचारपत्र आदि अनेक वस्तुएं काष्ठ द्वारा बनाई जाती हैं। ऐसी सूची में प्लाइवुड पार्टिकल बोर्ड, फाइबर बोर्ड, पैलेट्स और अनेक अन्य औद्योगिक एवं उपभोक्ता सामग्री भी शामिल हैं और इस सूची में अन्य ढेरों नाम और सम्मिलित किए जा सकते हैं।
 
हमारे देश में लकड़ी के  कुल योगदान में से लगभग 40 प्रतिशत भाग कागज बनाने में प्रयुक्त होता है। टिंबर प्रोसेसिंग उद्योग की प्राइमरी वुड प्रोसेसिंग (सॉ मिलिंग पैनल्स तथा लुगदी एवं कागज) और वानिकी व्यवसायों में रोजगार देने में अहम भूमिका है। इनमें से अधिकांश व्यवसाय लघु तथा मझोले उद्यम हैं। काष्ठ एवं इससे बने विविध उत्पादों का उपयोग बढ़ने से काष्ठ उद्योग तेजी से विकसित हो रहे हैं। 

मेन कोर्सेस-एंट्री
भारत में  आईसीएफआरई के अधीन वन अनुसंधान संस्थान विश्वविद्यालय, देहरादून काष्ठ प्रौद्योगिकी में मास्टर डिग्री पाठ्यक्रम चलाता है। काष्ठ प्रौद्योगिकी में स्नातकोत्तर डिग्री पाठ्यक्रम में चयन के लिए कोई भी स्टूडेंट, विज्ञान/वानिकी/कृषि/बुनियादी विज्ञान आदि में स्नातक योग्यता पूरी करने के बाद आवेदन कर सकता है। स्नातकोत्तर डिग्री पाठ्यक्रम में चयन अखिल भारतीय स्तर की प्रवेश परीक्षा के माध्यम से किया जाता है। इसी तरह काष्ठ विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईडब्ल्यूएसटी), बैंगलुरु, भारतीय प्लाइवुड उद्योग अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (आईपीआईआरटीआई), बैंगलुरु, केंद्रीय लुगदी एवं कागज अनुसंधान संस्थान, (सीपीपीआरआई) सहारनपुर में पीएचडी तथा अनुसंधान पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड (एएसआरबी) जो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, पूसा, नई दिल्ली से संबद्ध है, के द्वारा संचालित वानिकी कोर्स भी बहुत उपयोगी है। इसके अतिरिक्त काष्ठ प्रौद्योगिकी तथा समवर्गी विज्ञान में अध्येतावृत्तियां भी विभिन्न राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों/संगठनों द्वारा चलाई जाती हैं। 
 
कोर्स कंटेंट
बीएससी वानिकी में काष्ठ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पढ़ाया जाने वाला एक अनिवार्य विषय है। इंजीनियरी, सामग्री विज्ञान तथा प्रसंस्करण, रसायन विज्ञान या विपणन में रुचि रखने वाले विद्यार्थियों के लिए काष्ठ विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी एक बहुत ही आकर्षक करियर है। यह एक ऐसा मल्टी डिसिप्लीनरी क्षेत्र है, जिसका प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग से सीधा संबंध होने के साथ भौतिकी विज्ञान से भी गहरा जुड़ाव है। काष्ठ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के स्नातक पाठ्यक्रम में एनाटॉमिकल, भौतिकी, रासायनिक तथा यांत्रिक संपत्तियों का ज्ञान शामिल होता है।
 
इसके अतिरिक्त छात्र व्यापक काष्ठ  प्रसंस्करण कार्यों, काष्ठ सीजनिंग, काष्ठ परिरक्षण, पुनर्निर्मित काष्ठ आधारित पैनलों, वन उत्पादों, गोंद, टिंबर इंजीनियरी तथा निर्माण, उत्पाद-डिजाइन तथा अवसंरचना, काष्ठ कार्य तथा परिष्करण और रासायनिक परिशोधन में भी प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। अपनी रुचि के  करियर के आधार पर छात्र किसी निर्दिष्ट क्षेत्र में अतिरिक्त पाठ्यक्रमों का चयन करके काष्ठ का अपना ज्ञान और विस्तृत कर सकते हैं। कुछ विश्वविद्यालय काष्ठ इंजीनियरी में डिग्री को अपने इंजीनियरी पाठ्यक्रम के एक भाग के रूप में चलाते हैं। काष्ठ प्रौद्योगिकी से संबंधित सभी पहलू पाठ्यक्रमों में सम्मिलित किए जाते हैं। 
 
जॉब आॅप्शंस-इनकम
विनिर्माण, तकनीकी सेवा, अनुसंधान तथा विपणन ऐसे विभिन्न क्षेत्र हैं, जहां काष्ठ प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों की जरूरत होती है। काष्ठ प्रौद्योगिकी में पीजी कैंडिडेट्स केंद्र सरकार, राज्य सरकारों तथा वन विभागों में वैज्ञानिक, हस्तशिल्प संवर्धन अधिकारी, गुणवत्ता निरीक्षक तथा लॉगिंग अधिकारी के पदों पर भर्ती किए जाते हैं। ग्रामीण विकास से जुड़ी परियोजनाओं में काष्ठ प्रौद्योगिकी एक्सपर्ट लघु और कुटीर उद्योगों से संबंधित कार्यों के लिए परियोजना अधिकारी के रूप में नियुक्त किए जाते हैं। निजी क्षेत्र में ये व्यवसायी अपनी विशेषज्ञता के आधार पर काष्ठ आधारित उद्योगों, अनुसंधान एवं विकास कंपनियों में तकनीकी कार्मिक के रूप में नियुक्त होते हैं।
 
आजकल काष्ठ प्रौद्योगिक विशेषज्ञों को चारकोल उद्योग, काष्ठ निर्माण उद्योग, इंजीनियर्ड वुड या संयुक्त काष्ठ उद्योगों, सॉ मिलिंग तथा सॉ डाक्टरिंग, रेजिन तथा टर्पेंटाइन उद्योग एवं औधषीय पादप यूनिट, काष्ठ नमूना निर्धारण, लुगदी एवं कागज उद्योगों एवं अन्य काष्ठ उत्पाद आधारित उद्योगों में क्वालिटी कंट्रोलर तथा प्रोडक्शन मैनेजर के रूप में भर्ती किया जाता है। इनके अतिरिक्त, नेट एग्जाम क्लीयर कर प्रोफेसर पद के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं। काष्ठ विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मिलने वाले वेतन की तुलना देश में इंजीनियरों को दिए जाने वाले वेतन से की जा सकती है। 
 
प्रमुख संस्थान 
-इंदिरा गांधी कृषि विवि, रायपुर 
वेबसाइट: www.igau.edu.in
-भारतीय वन प्रबंधन संस्थान
वेबसाइट: : www.iifm.ac.in
-जेएलएन एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, जबलपुर
वेबसाइट: www.jnkvv.org

Saturday, August 26, 2017

एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस में करियर

एविएशन का नाम आते ही आसमान में उड़ने का मन करता है लेकिन यदि आप बनाना चाहते हो हो एविएशन में अपना करियर तो आप कहाँ पर अपनी लाइफ बना सकते हो। एविएशन सेक्टर (Aviation Sector) में हो रहे लगातार विस्तार से रोजगार के अवसरों में काफी इजाफा हुआ है। ऐसे में बहुत से अवसर हैं कई लोग सोचते हैं केवल पायलट या एयर होस्टेस तक ही एविएशन में जॉब सीमित हैं,  लेकिन ऐसा कतई नही है क्योंकि इनके इलावा भी आप एविएशन में अपना करियर बना सकते हो। इसी लाइन में में एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर (AME) भी बहुत अच्छा विकल्प है।

एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर की कार्य प्रकृति कैसी है उसका क्या काम होता है: किसी भी जहाज की तकनीकी जिम्मेदारी एएमई के ऊपर होती है। हर उड़ान के पहले एएमई जहाज का पूरी तरह से निरीक्षण करता है और सर्टिफिकेट जारी करता है कि जहाज उड़ान भरने को तैयार है। इस काम के लिए उसके पास पूरी तकनीकी टीम होती है। कोई भी विमान एएमई के फिटनेस सर्टिफिकेट के बिना उड़ान नहीं भर सकता। गौरतलब है कि एक हवाईजहाज के पीछे करीब 15-20 इंजीनियर काम करते हैं। इसी से इनकी जरूरत का अनुमान लगाया जा सकता है।

कैसे बन सकते हो आप एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर बन सकते हो: जैसे की पायलट बनने के लिए लाइसेंस लेने की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है वैसे ही एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर बनने के लिए भी लाइसेंस लेना पड़ता है। यह लाइसेंस डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन द्वारा प्रदान किया जाता है। कोई भी संस्थान, जो इससे संबंधित कोर्स कराता है, उसे भारत सरकार के विमानन मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाले डीजीसीए से इसके लिए अनुमति लेनी होती है। जो इंस्टिट्यूट इससे मान्यता प्राप्त हैं उनसे भी आप ये लाइसेंस हासिल कर सकते हैं।
एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर बनने के लिए क्या शैक्षणिक योग्यता की आवश्कयता होनी चाहिए: जो विद्यार्थी इस कोर्स के लिए आवेदन करना चाहते हैं, उनके लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथेमेटिक्स विषयों की पढ़ाई जरूरी है। पीसीएम से 12वीं उत्तीर्ण विद्यार्थी एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग से संबंधित पाठ्यक्रमों में दाखिला ले सकते हैं। कोर्स के दौरान मैकेनिकल इंजीनियरिंग और वैमानिकी की विभिन्न शाखाओं के बारे में जानकारी दी जाती है।
एविएशन सेक्टर में कहाँ मिलेंगे अवसर: ऐसे तकनीकी प्रोफेशनल्स के लिए देश-विदेश में सभी जगह मौके हैं। एयर इंडिया, इंडिगो, इंडियन एयरलाइन्स, जेट एयरवेज, स्पाइस जेट, गो एयर जैसे एयरलाइंस में तो मौके मिलते ही हैं, इसके अलावा देश के तमाम हवाईअड्डों और सरकारी उड्डयन विभागों में भी रोजगार के बेहतरीन अवसर उपलब्ध होते हैं। भारत में ही करीब 450 कंपनियां हैं, जो इस क्षेत्र में रोजगार प्रदान करती हैं। एएमई का शुरुआती वेतन 20-30 हजार हो सकता है, जिसमें अनुभव और विशेष शिक्षा के साथ बढ़ोतरी होती जाती है। इसके साथ-2 आप विदेशी या प्राइवेट कंपनियो जो प्राइवेट एयरक्राफ्ट की सुविधा उपलब्ध कराती उनमे भी आप अपना करियर चुन सकते हो
देश में कौन कौनसे मुख्य संस्थान हैं जहाँ पर एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर के लिए कोर्स किया जा सकता है: जो संस्थान संबंधित कोर्स कराने का इच्छुक होता है, उसको डीजीसीए से मान्यता लेनी होती है। ऐसे कुछ प्रमुख संस्थान हैं-
  • जेआरएन इंस्टीट्यूट ऑफ एविएशन टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
  • भारत इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोनॉटिक्स, पटना एयरपोर्ट, पटना
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोनॉटिक्स साइंस, कोलकाता
  • एकेडमी ऑफ एविएशन इंजीनियरिंग, बेंगलुरु
  • आंध्र प्रदेश एविएशन एकेडमी, हैदराबाद

Monday, August 21, 2017

बी.एससी (नर्सिंग)

बी.एससी (नर्सिंग) क्या है
आजकल चिकित्सा (medical) के क्षेत्र में काफी विस्तार हो गया है. जिसके कारण इस क्षेत्र में छात्रों को रोजगार के अनेक अवसर मिल जाते हैं. चिकित्सा के क्षेत्र में केवल डॉक्टर और सर्जन ही शामिल नही हैं. बल्कि इस क्षेत्र में कई लोग काम करते हैं. मानव सेवा के साथ चिकित्सा के क्षेत्र में रुचि रखने वाली युवतियों के लिए नर्सिग भी एक बहुत ही अच्छा करियर ऑप्शन माना जाता है.

नर्सिंग के क्षेत्र में कई प्रकार के पाठ्यक्रम कराये जाते हैं. मगर बेचलर ऑफ़ साइंस (नर्सिंग) कोर्स अधिकतर युवतियों की पसन्द होता है. इस कोर्स को करने के बाद छात्राये आसानी से मेडिकल लाइन में अपना करियर बना सकती हैं.
बेचलर ऑफ़ साइंस (नर्सिंग) कोर्स करने के लिए शैक्षिक योग्यता
बीएससी (नर्सिंग) कोर्स चार वर्ष का कोर्स होता है. बीएससी (नर्सिंग) के क्षेत्र में प्रवेश पाने के लिए भौतिकी, रसायन, अंग्रेजी, जीव विज्ञान विषय के साथ इंटरमीडिएट (12th) की परीक्षा (exam) उत्तीर्ण करनी अनिवार्य होती है. इसके अलावा इंटरमीडिएट परीक्षा में कम-से-कम 55 प्रतिशत अंक होने अनिवार्य होते हैं.
बी.एस.सी (नर्सिंग) करने के फायदे
बीएससी (नर्सिंग) करने के अनेक फायदे होते हैं. इस कोर्स को करने के बाद कई जॉब आसानी से मिल जाती हैं. बीएससी (नर्सिंग) कोर्स के बाद नर्स एनेस्थेटिस्ट, नर्स एडुकेटर, नर्स प्रैक्टिशनर, स्टाफ नर्स आदि के लिए आसानी से जॉब मिल जाती है.
बीएससी (नर्सिंग) के बाद करियर की सम्भावनाये किस फिल्ड में पा सकते हैं रोजगार
बीएससी (नर्सिंग) कोर्स करने के बाद छात्रों को अनेक स्थानों में आसानी से जॉब मिल जाती है. हॉस्पिटल्स, नर्सिंग होम्स, डिफेंस सर्विसेज, रेलवेज एंड एयरोनॉटिकल ज़ोन्स आदि सेक्टरों में जॉब कर सकते हैं.
  • हॉस्पिटल्स
  • नर्सिंग होम्स
  • डिफेंस सर्विसेज
  • रेलवेज एंड एयरोनॉटिकल ज़ोन्स
  • इंडस्ट्रियल हाउसेस
  • फैक्ट्रीज एंड सोसाइटीज
  • रिसर्च नर्स
  • सप्लीमेंटल नर्स
  • ट्रेवल नर्स
टॉप 10 बी.एस.सी (नर्सिंग) कॉलेजेस इन इंडिया 
बीएससी (नर्सिंग) कोर्स करने के लिए इंडिया में अनेक कॉलेजेस है. इन में बीएससी (नर्सिंग) के अंतर्गत आने वाले सभी विषयो के बारे में पढाया जाता है. 
  1. आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज – (AFMC), पुणे
  2. जवाहरलाल इंस्टिट्यूट ऑफ़ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च – (JIPMER), पांडिचेरी
  3. मद्रास मेडिकल कॉलेज – (MMC), चेन्नई
  4. किंग जॉर्जस मेडिकल यूनिवर्सिटी – (KGMU), लखनऊ
  5. गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज – (GMC), अमृतसर
  6. इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज – (IMS), वाराणसी
  7. आयुष एंड हेल्थ साइंस यूनिवर्सिटी – (AHSU), रायपुर
  8. बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी – (BHU), वाराणसी
  9. शरद यूनिवर्सिटी – (SU), नॉएडा
  10. गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज/ राजिंद्र हॉस्पिटल –(GMCP), पटियाला

Friday, August 18, 2017

समाज सेवा में करियर

समाज सेवा कोई फुलटाइम काम थोड़ी है। आम धारणा है कि समाज सेवा को पार्टटाइम आधार पर किया जाता है। यह एक अपेक्षाकृत हल्का विकल्प है, जो लड़कियों को ही करना चाहिए। दरअसल, यह सब विचार गलतफहमियां हैं। आज समाज सेवा एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जिसमें कॉरपोरेट और अनेक बहुराष्ट्रीय एनजीओ भी भारत में अपनी पहचान बनाने के लिए सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के आधार पर पैसा लगा रहे हैं। इसका एक उदाहरण है अजीम प्रेमजी द्वारा अपनी निजी आय में से 9000 करोड़ रुपए दान किया जाना, जिसका इस्तेमाल प्रेमजी फाउंडेशन शिक्षा और ग्राम सुधार के लिए कर रही है। इसके अलावा, इंडियन ऑयल, यूनीलिवर, नेस्ले, एनटीपीसी, एलएंडटी आदि कंपनियों के कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी विभाग हैं। वह अपनी परियोजनाओं के लिए एमएसडब्ल्यू (मास्टर इन सोशल वर्क) को रखते हैं। यहां तक कि बहुराष्ट्रीय संस्थाएं जैसे यूनेस्को, यूनिसेफ और अन्य संस्थाएं भी समाज सेवा पृष्ठभूमि वाले लोगों को रखती हैं।
एक समाज सेवी मूलत: मॉडर्न मैनेजमेंट और समाज विज्ञान के विचारों को मिला कर सामाजिक समस्याओं का हल खोजता है। आज के समाज सेवियों को सरकारों और निजी संस्थानों से फंडिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, काउंसलिंग, कैम्प ऑर्गेनाइजेशन आदि कार्यों के लिए लॉबिंग करनी पड़ती है। समाज सेवा को तीन व्यापक हिस्सों में बांटा जा सकता है, ये हैं सर्विस, एडवोकेसी और कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर)। इनकी सेवाओं में पूंजी स्नोत, निर्धनों और जरूरतमंदों के लिए रोजगार का इंतजाम करना भी होता है। समाज सेवा के दायरे में अनाथालयों या वृद्धाश्रमों और छात्रवृत्ति को सहयोग देना भी आता है।
समाज सेवा के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय और सरकारी संस्थान और बड़े एनजीओ जैसे क्राई, एसओएस चिल्ड्रंस विलेजेज ऑफ इंडिया और हैल्पएज भी काम करते हैं, जो बाल सुधार, महिलाओं और श्रम अधिकारों के क्षेत्र में काम करते हैं। समाज सेवा को सबसे अधिक संतोषप्रद कार्यक्षेत्रों में भी माना जाता है। इसमें अपनी जैसी सोच वाले व्यक्तियों के साथ मिल कर राष्ट्र निर्माण के क्षेत्र में कार्य कर सकते हैं। यही नहीं, समाजसेवा करने वाले व्यक्तियों को सरकारी योजना निर्माण में भी मदद के लिए बुलाया जाता है।
कार्य गतिविधियां
अधिकांश समाजसेवी युवाओं और उनके परिवारों के साथ कार्य करते हैं। वह इन समूहों के साथ भी कार्य कर सकते हैं:
युवा अपराधी
दिमागी बीमारियों से जूझ रहे युवा
स्कूल न जाने वाले युवा
नशे के आदि युवा
शारीरिक तौर पर अक्षम लोग
बेघरों और वृद्धों के साथ
स्वास्थ्य और सामाजिक सेवा क्षेत्र से जुड़े सरकारी प्रावधान के अंतर्गत समाजसेवी विभिन्न दलों के साथ काम कर सकते हैं।

समाजसेवियों की जिम्मेदारियां
मेडिकल स्टाफ के साथ अनुमानित आंकड़ों को एकत्र करना, जो निश्चित मानदंड और समय के अनुसार कार्य में लाए जाते हैं।
पिछड़ा क्षेत्र के लोगों और उनके परिवारों से बात, ताकि उन्हें पहुंच रहे लाभ का आकलन किया जा सके।
पिछड़ा क्षेत्र के लोगों को सूचना और सहयोग देना।
पिछड़ा क्षेत्र के लिए सपोर्ट पैकेज उपलब्ध कराना।
किसी विशिष्ट सेवा प्रदाता द्वारा दिए जा रहे सहयोग के संबंध में आवश्यक निर्णय लेना।
अन्य एजेंसियों के साथ सहयोग स्थापित करना।
बाल सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा जैसे क्षेत्रों से जुड़े दलों की बैठकों में शिरकत करना।
किसी भी कानूनी कार्रवाई के लिए रिकॉर्ड की संभाल करना।
ट्रेनिंग, सुपरविजन और टीम मीटिंग्स में शामिल होना।
इस क्षेत्र में जॉब मार्केट बहुआयामी है। किसी बड़ी कंपनी के सीएसआर विभाग में काम करने पर आप 30,000 से 70,000 रुपए तक कमा सकते हैं। यदि आप किसी आईडीआरसी या किसी एक्शन एड में काम करते हैं तो भी वेतनमान अच्छा होता है, जो समय के साथ-साथ बढ़ता है। एक्शन एड का सलाहकार एक लाख रुपए प्रतिमाह तक कमा सकता है। लेकिन ऐसे जॉब्स कम और बेहद प्रतिस्पर्धात्मक होते हैं। अनेक एनजीओ भी 15,000 से 25,000 रुपए तक देते हैं। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि व्यक्ति ने किस संस्थान से शिक्षा प्राप्त की है और उसे कार्य का कितना अनुभव है। टीआईएसएस शीर्ष इंस्टीटय़ूट्स में से है और वहां से श्रेष्ठतम नौकरियां मिलती हैं।
किसी बी या सी श्रेणी इंस्टीटय़ूट से शिक्षा प्राप्ति पर भी 10,000 रुपए शुरुआती वेतन पर काम मिल जाता है। इसलिए यदि किसी अच्छे संस्थान से एमएसडब्ल्यू (मास्टर्स इन सोशल वर्क) किया है तो यह किसी बी श्रेणी संस्थान से एमबीए करने से बेहतर होगा। लिहाजा, आप बीएसडब्ल्यू या समाजविज्ञान या मनोविज्ञान में शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं, जिसके बाद एमएसडब्ल्यू करके इस करियर में अपनी शुरुआत कर सकते हैं। निजी और सरकारी विभाग भी सोशल वर्क डिग्री को तरजीह देते हैं। बेशक यह एक विकास कर रहा क्षेत्र है और इसमें युवाओं के लिए रोजगार के अनेक अवसर मौजूद हैं।

Tuesday, August 8, 2017

रिन्यूएबल एनर्जी मैनेजमेंट में करियर

आज जिस तेजी से दुनिया में विकास हो रहा है, उससे भी कहीं ज्यादा तेजी से एनर्जी की मांग बढ़ रही है। किसी भी इंडस्ट्री या प्रोजेक्ट को शुरू करने से पहले वहां की ऊर्जा की संभावनाओं की पड़ताल जरूरी होती है। जरूरतों के साथ ही अब पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को भी देखा जाने लगा है। तमाम पावर प्रोजेक्ट्स पर्यावरण संबंधी विषयों के चलते ही अटके पड़े हैं। इसलिए रिन्यूएबल एनर्जी पर फोकस्ड रहना उनकी मजबूरी है। इस क्षेत्र में भारत ने कई महत्वाकांक्षी योजनाएं बना रखी हैं। इसलिए आज हम आपको बता रहे हैं कि कैसे इस क्षेत्र में अपना करियर बनाएं।
बायोफ्यूल की लगातार कम होती जा रही मात्रा और देश में एनर्जी की मांग को देखते हुए एनर्जी प्रोडक्शन और उसका प्रबंधन पहली प्राथमिकता बन चुका है। सरकारी के साथ-साथ निजी कंपनियां भी इस ओर विशेष जोर दे रही हैं। यही कारण है कि रिन्यूएबल एनर्जी मैनेजमेंट के कोर्स की तेजी से मांग बढ़ रही है। समय के साथ-साथ ऊर्जा की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसलिए ऊर्जा के अतिरिक्त स्रोतों यानी वैकल्पिक ऊर्जा, सौर ऊर्जा, विंड एनर्जी, बायो एनर्जी, हाइड्रो एनर्जी आदि पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके अलावा पर्यावरण के मुद्दों को देखते हुए भारत ने रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में महत्वाकांक्षी योजना बना रखी है, क्योंकि सरकार का इरादा अगले साल तक 55 हजार मेगावॉट बिजली उत्पादन का है। कॉरपोरेट कंपनियां भी इस क्षेत्र में निवेश कर रही हैं।
क्या है रिन्यूएबल एनर्जी मैनेजमेंट
मौजूदा प्रौद्योगिकी के अलावा नई तकनीक को अपना कर रिन्यूएबल एनर्जी (अक्षय ऊर्जा) के उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है, ताकि बिजली की मांग के एक बड़े हिस्से की आपूर्ति व प्रदूषण में कमी के साथ-साथ हजारों करोड़ रुपये की बचत भी की जा सके। इसलिए सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा देने पर बल दिया है।
कौन से हैं कोर्स
इसमें जो भी कोर्स हैं, वे पीजी अथवा मास्टर लेवल के हैं। छात्र उन्हें तभी कर सकते हैं, जब उन्होंने किसी विश्वविद्यालय या मान्यताप्राप्त संस्थान से बीटेक, बीई या बीएससी सरीखा कोर्स किया हो। एमएससी फिजिक्स के छात्रों को यह क्षेत्र सबसे अधिक भाता है।
एमबीए कोर्स
कई बिजनेस संस्थानों में एनर्जी मैनेजमेंट या पावर मैनेजमेंट जैसे एमबीए कोर्स भी ऑफर किए जा रहे हैं। इनको ग्रेजुएशन के बाद किया जाता है। रिसर्च करने के लिए मास्टर होना जरूरी है।
कौन से हैं प्रमुख कोर्स
  • एमएससी इन रिन्यूएबल एनर्जी
  • एमएससी इन फिजिक्स/एनर्जी स्टडीज
  • एमटेक इन एनर्जी स्टडीज
  • एमटेक इन एनर्जी मैनेजमेंट
  • एमटेक इन एनर्जी टेक्नोलॉजी
  • एमटेक इन रिन्यूएबल एनर्जी मैनेजमेंट
  • एमई इन एनर्जी इंजीनियरिंग
  • पीजी डिप्लोमा इन एनर्जी मैनेजमेंट
  • एमबीए इन रिन्यूएबल एनर्जी मैनेजमेंट
  • एमफिल इन एनर्जी
जरूरी गुण
  • आवश्यक स्किल्स
  • लॉजिकल व एनालिटिकल स्किल्स
  • कठिन परिश्रम से न भागना
  • मेहनती व अनुशासन में रहना
  • नई चीजें सीखने के लिए तत्पर रहना
  • कठिन परिस्थितियों में बेहतर निर्णय लेने की क्षमता
वेतनमान
रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में डिप्लोमाधारी युवाओं को शुरू-शुरू में 25-30 हजार रुपये प्रतिमाह की नौकरी मिलती है। इस क्षेत्र में जैसे-जैसे वे समय व्यतीत करते जाते हैं, उनकी आमदनी भी बढ़ती जाती है।
अनुभव से बढ़ेगी सैलरी
अमूमन 3-4 साल के अनुभव के बाद यह सेलरी बढ़ कर 50-55 हजार रुपये प्रतिमाह हो जाती है। कई ऐसे प्रोफेशनल्स हैं, जो इस समय 5-6 लाख रुपये सालाना सेलरी पैकेज पा रहे हैं। टीचिंग व विदेश जाकर काम करने वाले प्रोफेशनल्स की सेलरी भी काफी अच्छी होती है। इस क्षेत्र के जानकार प्रोफेशनल्स को अकसर सेलरी के लिए ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ती, क्योंकि आज भी इस क्षेत्र में मांग की तुलना में करियर प्रोफेशनल्स की भारी कमी है।
यहां पर मिल सकता है काम
रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर से संबंधित सरकारी व निजी उद्योगों में करियर के तमाम विकल्प मौजूद हैं।
पर्याप्त संभावनाएं
देश में रिन्यूएबल एनर्जी की पर्याप्त संभावनाएं मौजूद हैं। इससे लगभग 1.79 लाख मेगावॉट बिजली पैदा की जा सकती है। इसके अंतर्गत एचआर मैनेजमेंट, ऑपरेशन, फाइनेंस, मार्केटिंग तथा स्ट्रैटिजिक मैनेजमेंट जैसे कार्य शामिल हैं। इसमें प्रोफेशनल्स एनर्जी कॉर्पोरेशन के मैनेजमेंट में बड़ी भूमिका निभाते हैं। यह क्षेत्र भले ही अभी शुरुआती दौर में है, लेकिन इसमें बड़े पैमाने पर करियर की संभावनाएं मौजूद हैं।
संस्थान
- यूनिवर्सिटी ऑफ लखनऊ, लखनऊ
वेबसाइट- www.lkouniv.ac.in
- यूनिवर्सिटी ऑफ पुणे, पुणे
वेबसाइट- www.unipune.ac.in
- आईआईटी दिल्ली, नई दिल्ली
वेबसाइट- www.iitd.ac.in
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, तिरुचिरापल्ली
वेबसाइट- www.nitt.edu
- राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भोपाल
वेबसाइट- www.rgpv.ac.in
- इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट (डीम्ड यूनिवर्सिटी), इलाहाबाद
वेबसाइट- www.shiats.edu.in
- पेट्रोलियम कंजर्वेशन रिसर्च एसोसिएशन, नई दिल्ली
वेबसाइट- www.pcra.org

Wednesday, August 2, 2017

मैन्युफैक्चरिंग, रिटेल, एफएमसीजी

लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट एेसी प्रक्रिया है, जिसमें जानकारी, गुड्स और अन्य संसाधनों को शुरुआत से लेकर सप्लाई तक कस्टमर की जरूरतों के अनुसार मैनेज किया जाता है। अन्य शब्दों मंे कहें, तो यह खरीद, ट्रांसपोर्टेशन, स्टोरेज और मटीरियल के डिस्ट्रीब्यूशन को मैनेज करना है। सप्लाई चेन मैनेजमेंट इसका ही एक हिस्सा है, जिसमें इंवेंट्री, ट्रांसपोर्टेशन, वेयरहाउसिंग, मटीरियल हैंडलिंग और पैकेजिंग भी शामिल है। घर, ऑफिस अौर फैक्टरी में होने वाले मटीरियल की सप्लाई की जिम्मेदारी लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट कंपनी की होती है।
भारत में मैन्युफैक्चरिंग, रिटेल, एफएमसीजी और ई-कॉमर्स में तेजी के कारण लॉजिस्टिक्स मार्केट के 2020 तक सालाना 12.17 फीसदी की दर से बढ़ने की संभावना है। भारत फिलहाल लॉजिस्टिक्स में जीडीपी का 14.4 फीसदी खर्च करता है, जो विकसित देशों में हाेने वाले 8 फीसदी खर्च से कहीं ज्यादा है। नेशनल स्किल डेवलपमेंट की रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल भारत के लॉजिस्टिक्स मार्केट में 1.7 करोड़ एम्प्लाॅई काम कर रहे हैं और 2022 तक 1.11 करोड़ अतिरिक्त एम्प्लॉई की आवश्यकता होगी।
देश के फ्रेट ट्रांसपोर्ट मार्केट के 2020 तक 13.35 फीसदी की सालाना दर से बढ़ने की संभावना है। देश के फ्रेट ट्रांसपोर्ट में लगभग 60 फीसदी हिस्सा रोड फ्रेट का है और 2020 तक इसके 15 फीसदी की सालाना दर से बढ़ने की संभावना है। लॉजिस्टिक्स कई प्रकार का हो सकता है जैसे प्रोडक्शन, बिज़नेस और प्रोफेशनल लॉजिस्टिक्स।
अधिकतर कोर्स पीजी स्तर के
लॉजिस्टिक मैनेजमेंट के क्षेत्र में कॅरिअर बनाने के लिए कई तरह के कोर्स उपलब्ध हैं। इसके लिए पार्ट टाइम, सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा और पीजी डिग्री प्रोग्राम में प्रवेश लिया जा सकता है। किसी भी स्ट्रीम में बैचलर डिग्री करने वाले छात्र इसमें प्रवेश ले सकते हैं। प्रमुख कोर्स में पीजी डिप्लोमा इन लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट, एमबीए इन लॉजिस्टिक एंड सप्लाई चेन मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन लॉजिस्टिक्स एंड पोर्ट मैनेजमेंट और एग्जीक्यूटिव पीजी डिप्लोमा इन बिज़नेस लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट एंड एससीएम शामिल हैं। शीर्ष संस्थानों में प्रवेश कैट, मैट, ज़ैट जैसी परीक्षाओं के स्कोर के आधार पर मिलता है। एग्जीक्यूटिव कोर्स में प्रवेश के लिए एक्सपीरियंस जरूरी है।
सभी तरह की कंपनियों में अवसर
छोटी और बड़ी सभी तरह की कम्पनियों में लॉजिस्टिक्स मैनेजर की जरूरत होती है। कई संस्थाएं विश्वभर में लॉजिस्टिक मैनेजर की नियुक्ति करती हैं। यह कम्पनियां मैन्युफैक्चरर, होलसेलर, इलेक्ट्रिसिटी सप्लायर, लोकल गवर्नमेंट से लेकर आर्मी और चैरिटी संस्थाएं भी हो सकती हैं। रिटेल, क्लियरिंग एंड फाॅरवर्डिंग कंपनी, कूरियर एंड सप्लाई चेन मैनेजमेंट एंटरप्राइजेस में कॅरिअर की बेहतर संभावनाएं होती हैं। इसमें कस्टमर सर्विस मैनेजर, लॉजिस्टिक मैनेजर, मटीरियल मैनेजर, पर्चेस मैनेजर और इंवेंट्री कंट्रोल मैनेजर के पदों पर जॉब की जा सकती है।
कमाई
इस क्षेत्र में सैलरी पैकेज आमतौर पर अच्छे होते हैं। फ्रेशर को क्वालिफिकेशन और संस्थान के आधार पर प्रति माह 12 हजार से 20 हजार रुपए तक मिलने की संभावना होती है। कुछ वर्ष के अनुभव के बाद 35 हजार से 50 हजार रुपए प्रति माह का सैलरी पैकेज मिल सकता है।