Sunday, May 29, 2022

अर्थशास्त्र में बेहतर भविष्य

अर्थशास्त्र को एक ऐसे विषय के तौर पर देखा जा सकता है, जिसकी उपयोगिता लगभग हर क्षेत्र में होती है। सरल शब्दों में कहें तो अर्थशास्त्र समाज के सीमित संसाधनों का दक्षतापूर्ण ढंग से उपयोग करने की अनेक प्रणालियों का अध्ययन है। इसी बुनियादी नियम पर हमारी व्यावसायिक व आर्थिक इकाइयों की गतिविधियां टिकी होती हैं। अर्थशास्त्री आर्थिक आंकड़ों का विश्लेषण और विभिन्न नीतिगत विकल्पों का तुलनात्मक अध्ययन करते हैं। साथ में इनके भावी प्रभाव पर पैनी नजर रखते हैं, ताकि विकास दर पर नियंत्रण रखा जा सके। अर्थशास्त्री इसी दृष्टिकोण से काम करते हैं। इनका कार्यक्षेत्र एक छोटी कंपनी से लेकर देश की अर्थव्यवस्था जैसा बहुआयामी भी हो सकता है।

छात्र में हों ये विशेषताएं
इस विषय की पढ़ाई करने और अर्थशास्त्रमें सफल पेशेवर बनने के लिए आपमें उपलब्ध डाटा का विश्लेषण कर पाने की क्षमता का बेहतर होना जरूरी है। इसी क्रम में *मैथ्स और स्टैटिस्टिक्स की बुनियादी समझ बेहद जरूरी है। आर्थिक विषमताओं/स्थितियों को समझने-बूझने का निरीक्षण कौशल भी इसमें आगे बढ़ने के लिए जरूरी है।

अध्ययन के रास्ते हैं विविध
अर्थशास्त्र 12वीं स्तर पर एक विषय के तौर पर पढ़ाया जाता है,पर इस विषय में करियर बनाने के इच्छुक युवाओं के लिए अर्थशास्त्र से बीए (ऑनर्स) कोर्स से असली शिक्षा की शुरुआत होती है। हालांकि अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन के स्तर पर कई अन्य कोर्सेज भी संचालित किए जाते हैं। इनमें बीए(बिजनेस इकोनॉमिक्स), बीए(डेवलपमेंटल इकोनॉमिक्स) जैसे कोर्स का नाम लिया जा सकता है। देश के कई विश्वविद्यालयों में ये तमाम कोर्स कराये जाते हैं। अर्थशास्त्र से जुड़े विभिन्न कोर्सेज की मांग इसी बात से समझी जा सकती है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों में इसके ग्रेजुएट स्तर के कोर्स में प्रवेश पाने के लिए 90 फीसदी से अधिक अंक चाहिए होते हैं।

विशेषज्ञता की ओर बढ़ाएं कदम
ग्रेजुएशन में अच्छे अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को मास्टर्स स्तर पर अर्थशास्त्र की कई शाखाओं में विशेषज्ञता अर्जित करने के लिए विकल्प दिए जाते हैं। इनमें प्रमुख रूप से एनालिटिकल एंड एप्लाइड इकोनॉमिक्स, बिजनेस इकोनॉमिक्स, कॉर्पोरेशन एंड एप्लाइड इकोनॉमिक्स, इकोनॉमेट्रिक्स, इंडियन इकोनॉमिक्स का विशेष रूप से उल्लेख किया जा सकता है। इनके अलावा इंडस्ट्रियल इकोनॉमिक्स ,बिजनेस इकोनॉमिक्स, एग्रीकल्चर इकोनॉमिक्स, एन्वायर्नमेंटल इकोनॉमिक्स, बैंकिंग इकोनॉमिक्स व रूरल इकोनॉमिक्स भी उल्लेखनीय हैं। छात्र चुनिंदा विश्वविद्यालयों में उपलब्ध एमबीए (बिजनेस इकोनॉमिक्स) कोर्स का भी लाभ उठा सकते हैं। अर्थशास्त्र में पीजी डिप्लोमा और पीएचडी की राह भी चुन सकते हैं। देश के ज्यादातर सरकारी विश्वविद्यालयों में अर्थशास्त्र से जुड़े कोर्सेज उपलब्ध हैं।

इंडियन इकोनॉमिक सर्विस
कम ही लोग जानते होंगे कि देश में इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस की तरह इंडियन इकोनॉमिक सर्विस भी है। इसमें उपयुक्त प्रत्याशियों के चयन के लिए अखिल भारतीय स्तर पर यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) प्रतियोगी परीक्षा आयोजित करती है। इस परीक्षा में अर्थशास्त्र/स्टैटिस्टिक्स विषय में कम से कम मास्टर्स डिग्रीधारक युवा ही शामिल हो सकते हैं। प्रत्याशी की आयु 21 वर्ष से लेकर 30 वर्ष तक होनी चाहिए। इस परीक्षा में लिखित परीक्षा के बाद इंटरव्यू लिया जाता है। लिखित परीक्षा में जनरल इंग्लिश, जनरल नॉलेज व अर्थशास्त्र पर आधारित अन्य पेपर्स होते हैं। यह केंद्र सरकार की ग्रुप ‘ए' सर्विस है। सफल प्रत्याशियों को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ, दिल्ली में प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके बाद इनकी पहली नियुक्ति सहायक निदेशक के पद पर होती है। कार्यानुभव बढ़ने के साथ पदोन्नति पाते हुए प्रिंसिपल इकोनॉमिक एडवाइजर के पद तक पहुंच सकते हैं। 

विदेश में नौकरी के अवसर 
अर्थशास्त्र के विशेषज्ञों को विदेशी संस्थानों जैसे इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड, वर्ल्ड बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक के अलावा मल्टी नेशनल कंपनियों में शानदार मौके मिलते हैं। इनकी नियुक्तियां अर्थशास्त्री, नीति-निर्माता, एनालिस्ट, कंसल्टेंट आदि रूपों में होती हैं। विदेशों के सरकारी संस्थानों में भी भारतीय आर्थिक विशेषज्ञों की अच्छी-खासी मांग है। विदेश में बतौर रिसर्च स्कॉलर/प्राध्यापक के पदों पर आकर्षक पैकेज पर नियुक्तियां होती हैं।.

इस विशिष्ट कोर्स का उठाएं लाभ
देश के कुछ चुनिंदा विश्वविद्यालयों में ग्रेजुएशन स्तर पर तीन वर्षीय बैचलर ऑफ बिजनेस इकोनॉमिक्स कोर्स उपलब्ध है। प्राय: परीक्षा के जरिये इस कोर्स की सीमित सीटों पर प्रवेश दिया जाता है। प्रवेश परीक्षा में वर्बल एबिलिटी, क्वांटिटेटिव एबिलिटी, लॉजिकल रीजनिंग, जनरल अवेयरनेस से जुड़े ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न पूछे जाते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के दस कॉलेजों में यह विशिष्ट कोर्स कराया जाता है। इनमें लगभग 480 सीटों पर प्रवेश दिया जाता है।.

रोजगार के अवसर
निजी क्षेत्र की तमाम औद्योगिक इकाइयों, बैंकिंग सेक्टर, फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन, कॉमर्स, टैक्सेशन, इंटरनेशनल ट्रेड, एक्चुरियल साइंस आदि में इस क्षेत्र के पेशेवरों की मांग बनी रहती है। हर साल सरकारी क्षेत्र में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, नीति आयोग, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पालिसी, नेशनल सैम्पल सर्वे तथा विभिन्न राज्य सरकारों के संबंधित विभागों आदि में बड़ी संख्या में अर्थशा्त्रिरयों की नियुक्तियां की जाती है। अर्थशास्त्र का शिक्षक भी बना जा सकता है।

चुनौतियां
ग्रेजुएशन के बाद ही इस क्षेत्र में रोजगार के विकल्प बनते हैं। लेकिन ज्यादा अवसर उपलब्ध हो पाएं, उसके लिए उच्च अध्ययन की ओर कदम बढ़ाना जरूरी होता है। 

' चूंकि इस क्षेत्र में आर्थिक विश्लेषण के लिए स्टैटिस्टिक्स, कैल्कुलस और ऊंचे दर्जे की गणित का इस्तेमाल होता है, इसलिए छात्रों को अनिवार्य रूप से गणित विषय पसंद होना चाहिए।

अर्थशास्त्र की पढ़ाई को गंभीरता से लें। बीए (ऑनर्स) अर्थशास्त्र के सिलेबस को काफी कठिन माना जाता है।

प्रमुख संस्थान
दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, दिल्ली
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, दिल्ली
यूनिवर्सिटी ऑफ बॉम्बे, मुंबई
बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, वाराणसी
प्रेसिडेंसी कॉलेज, कोलकाता

Friday, May 27, 2022

Company Secretary कैसे बनें

 एक कंपनी सेक्रेटरी कंपनी की कानूनी और प्रशासनिक जिम्मेदारियों को संभालने का काम करता है। यदि इस क्षेत्र में रुचि है तो आप भी बन सकते हैं सीएस। ऐसे अहम पद पर काम करने वाले व्यक्ति को कंपनी सचिव बनने के लिए एक कड़ी परीक्षा और अभ्यास से गुजरना जरूरी है। इस क्षेत्र में आने से पहले उसे कंपनी सचिव का कोर्स करना होता है। यह कोर्स पूरे देश में जो संस्था कराती है, उसका नाम है दि इंस्टीटय़ूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरी ऑफ इंडिया। कॉस्ट और टैक्स के टीचर हेमेंद्र सोनी बताते हैं “कंपनी की प्रशासनिक जिम्मेदारियों को संभालने का काम आमतौर पर सीएस यानी कंपनी सेक्रेटरी ही करता है। कंपनी में कानून का पालन हो रहा है या नहीं, उसका विकास किस दिशा में हो रहा है, इसे सेक्रेटरी ही देखता है। उसे लॉ, मैनेजमेंट, फाइनेंस और कॉरपोरेट गवर्नेस जैसे अनेक विषयों की जानकारी रखनी होती है। वह किसी कंपनी के बोर्ड ऑफ गवर्नेस, शेयरधारकों, सरकार और अन्य एजेंसियों को जोड़ने वाली कड़ी है।”

 वह आगे बताते हैं “कॉरपोरेट लॉ, सुरक्षा कानून, कैपिटल मार्केट और कॉरपोरेट गवर्नेस का जानकार होने की वजह से सीएस कंपनी का आंतरिक कानूनी विशेषज्ञ होता है। वह कॉरपोरेट प्लानर और रणनीतिक मैनेजर का काम भी करता है।” ऐसे अहम पद पर काम करने वाले व्यक्ति को कंपनी सचिव बनने के लिए एक कड़ी परीक्षा और अभ्यास से गुजरना जरूरी है। इस क्षेत्र में आने से पहले उसे कंपनी सचिव का कोर्स करना होता है। यह कोर्स पूरे देश में जो संस्था कराती है, उसका नाम है दि इंस्टीटय़ूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरी ऑफ इंडिया।

 कॉस्ट और टैक्स के टीचर हेमेंद्र सोनी बताते हैं कि कंपनी सेक्रेटरी बनने के लिए तीन स्तर की परीक्षा को पास करना जरूरी होता है। सीएस कोर्स में दाखिला पूरे साल खुला रहता है। इसके लिए प्रवेश परीक्षा या साक्षात्कार नहीं होता, सिर्फ रजिस्ट्रेशन कराना ही काफी है। साइंस, आर्ट्स या कॉमर्स, सभी विषय के छात्र इसमें आ सकते हैं। फाइन आर्ट्स के छात्र को दाखिला नहीं दिया जाता। इससे जुड़ी संस्था पत्राचार माध्यम से छात्रों को प्रशिक्षित करती है। कंपनी सेक्रेटरी बनने के लिए आपको बारहवीं के बाद 8 महीने का फाउंडेशन कोर्स करने के बाद एग्जीक्यूटिव प्रोग्राम में दाखिला ले सकते हैं। इसके बाद प्रोफेशनल प्रोग्राम कर सकते हैं। यदि आप ग्रेजुएट हैं तो और कंपनी सेक्रेटरी का कोर्स करना चाहते हैं इसके लिए आप सीधा एग्जीक्यूटिव प्रोग्राम में प्रवेश ले सकते हैं। इसके बाद प्रोफेशनल प्रोग्राम और प्रैक्टिकल ट्रैनिंग करनी होती है। प्रोफेशनल प्रोग्राम करने के बाद ICSI (Institute of Company Secretaries of India) के एसोसिएट मेंबर बन जाते हैं। दाखिले का कार्यक्रम हमेंद्र बताते हैं कोर्स में दाखिला लेने वालों के लिए परीक्षा साल में दो बार जून और दिसम्बर में होती है। उदाहरण के तौर पर अगर आपको फाउंडेशन प्रोग्राम के तहत दिसम्बर में आयोजित होने वाली परीक्षा में शामिल होना है तो इसके लिए 31 मार्च तक रजिस्ट्रेशन कराना होगा। जून की परीक्षा में शामिल होने के लिए 30 सितम्बर तक रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। इसी तरह एग्जिक्यूटिव प्रोग्राम के लिए दिसम्बर में होने वाली परीक्षा के लिए 28 फरवरी तक और अगले साल जून की परीक्षा के लिए एक वर्ष पहले 31 अगस्त तक रजिस्ट्रेशन होना जरूरी है। रजिस्ट्रेशन से परीक्षा की तिथि के बीच कम से कम नौ माह का गैप होना जरूरी है। नौकरी के अवसर कंपनी सेक्रेटरी की डिग्री हासिल करने वाला छात्र रोजगार के रूप में निजी प्रैक्टिस शुरू कर सकता है। पांच करोड़ से ऊपर के शेयर वाली कंपनी को एक ऐसा पूर्णकालिक कंपनी सेक्रेटरी रखना जरूरी होता है, जो आईसीएसआई का सदस्य भी हो। बैंक और वित्तीय संस्थाओं में ऐसे छात्रों के लिए काम करने के ढेरों अवसर हैं। कंपनी के काम में सीएस आज ज्यादातर संस्थानों की जरूरत बन गया है। भारत में ही नहीं, विदेशों में भी जैसे अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, सिंगापुर, मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया और मध्य-पूर्व अफ्रीका के देशों में कंपनी सेक्रेटरी के लिए काम के अवसर हैं। ग्लोबलाइजेशन के दौर में कंपनियों को ऐसे दक्ष लोगों की खासी जरूरत है, जो कंपनी से जुड़े कानून और उसे इस्तेमाल की तरकीब जानते हैं। सीएस कोर्स विभिन्न विश्वविद्यालयों में पीएचडी कोर्स में दाखिले के लिए स्वीकृत है। आईसीएसआई कॉरपोरेट गवर्नेंस में पोस्ट मेम्बरशिप क्वालिफिकेशन कोर्स भी कराती है। फीस फाउंडेशन कोर्स की फीस 3600 रुपए, एग्जिक्यूटिव प्रोग्राम में कॉमर्स छात्रों के लिए 7000 और गैर कॉमर्स छात्रों के लिए 7750 और प्रोफेशनल कोर्स की फीस 7500 रुपए है।

 कंपनी सेक्रेटरी कोर्स में क्या है? कंपनी सेक्रेटरी कोर्स के तहत फाउंडेशन में चार पेपरों की तैयारी करनी होती है। इसमें अंग्रेजी और बिजनेस कम्युनिकेशन, अर्थशास्त्र व सांख्यिकी, फाइनेंशियल अकाउंटिंग तथा बिजनेस लॉ व मैनेजमेंट एलिमेंट जैसी चीजों के बारे में बताया जाता है। एग्जिक्यूटिव कोर्स में छह पेपर पढ़ाए जाते हैं। इनमें जनरल और कमर्शियल लॉ, कंपनी अकाउंट्स, कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटिंग, टैक्स लॉ आदि के बारे में बताया जाता है। कंपनी लॉ, आर्थिक और श्रम कानून, सुरक्षा से जुड़े कानून आदि के बारे में बताया जाता है। एग्जिक्यूटिव कोर्स को पूरा करने के बाद प्रोफेशनल प्रोग्राम में अलग-अलग मॉडयूल्स में 8 पेपरों की तैयारी करवाई जाती है। इसमें कंपनी सेक्रेटेरियल प्रैक्टिस, ड्राफ्टिंग, फॉरेक्स मैनेजमेंट, स्ट्रेटेजिक मैनेजमेंट, एडवांस्ड टैक्स लॉ एंड प्रैक्टिस, गवर्नेस, बिजनेस एथिक्स आदि के बारे में बताया जाता है। एग्जिक्यूटिव और प्रोफेशनल परीक्षा पास करने के बाद छात्र को प्रैक्टिकल और मैनेजमेंट ट्रेनिंग के लिए जाना पड़ता है। इसके बाद ही उसे कंपनी सेक्रेटरी की योग्यता प्रदान की जाती है। एग्जिक्यूटिव प्रोग्राम या प्रोफेशनल प्रोग्राम पूरा करने के बाद छात्र को 15 माह किसी कंपनी के तहत ट्रेनिंग प्रोग्राम करना होता है। इस दौरान उसे कंपनी द्वारा स्टाइपेंड भी दिया जाता है। इसके अलावा 15 दिन की किसी स्पेशलाइज्ड एजेंसी में ट्रेनिंग भी होती है। सीएस प्रोफेशनल प्रोग्राम पूरा करने के बाद छात्र अपने नाम के आगे एसोसिएट मेम्बर के रूप में संस्थान में अपना रजिस्ट्रेशन करा सकता है। प्रमुख संस्थान 
दि इंस्टीटय़ूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) वेबसाइट- www.icai.org
 (हेड ऑफिस नई दिल्ली में स्थित है। इसके चार रीजनल ऑफिस मुंबई, कोलकाता, चेन्नई तथा कानपुर में हैं, जबकि पूरे देश में 87 शाखाएं और विदेशों में नौ चैप्टर मौजूद हैं) वेतनमान कोर्स पूरा करने वाले छात्रों के लिए संस्थान हर साल प्लेसमेंट का कार्यक्रम आयोजित करता है। इसमें जरूरत के हिसाब से छात्रों के चयन के लिए बैंक, सरकारी और निजी सेक्टर की कंपनियां आमतौर पर साक्षात्कार लेने आती हैं। हाल के दिनों में कंपनी सेक्रेटरी का पैकेज सालाना 3 से 5 लाख तक का रहा है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों का पैकेज इससे अधिक होता है।

Saturday, May 21, 2022

रेडियोलॉजी में करियर

रेडियोलॉजी चिकित्सा विज्ञान की हाइटेक शाखा है,जो विभिन्न रोगों, शारीरिक गड़बडिय़ों की पहचान और उपचार में मदद करती है। आज रेडियोलॉजी की अनेक क्षमताओं का व्यापक विस्तार हो पाया है। अब यह क्षेत्र चिकित्सा विज्ञान में स्नातकों के लिए एक अति महत्वाकांक्षी स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम बन गया है। एक रेडियोलॉजिस्ट लंबे समय तक क्लीनिकल कार्य और संबंधित शोध करने के बाद रेडियोलॉजी के एक या अधिक उपक्षेत्रों में भी महारत हासिल कर सकता है। मेडिकल प्रोफेशन का दायरा सिर्फ डाक्टर और नर्स तक ही सीमित नहीं है। इससे कई और लोग भी जुड़े हुए हैं, जिनकी भूमिका अहम होती है। उन्हीं में से एक है रेडियोलॉजिस्ट।

दरअसल किसी भी बीमारी के सफल और सही इलाज के लिए पहले बीमारी की पहचान बेहद जरूरी है। बीमारी की पहचान के लिए कई बार मरीज के शरीर के अंदरूनी हिस्सों की जांच की जाती है, जिसे रेडियोलॉजी कहा जाता है। रेडियोलॉजी को दो भागों में बांटा गया है। पहला डायग्नोस्टिक रेडियोलॉजी और दूसरा थेराप्यूटिक रेडियोलॉजी। रेडियोलॉजी चिकित्सा विज्ञान की हाइटेक शाखा है, जो विभिन्न रोगों, शारीरिक गड़बडिय़ों की पहचान और उपचार में मदद करती है

क्या हों गुण 
एक्स- रे करते वक्त रेडियो एक्टिव किरणों से मरीज और आसपास के लोगों का बचाव करना।
किरणों का साइड इफेक्ट न हो इस बात की पुष्टि करना।
रेडियोग्राफिक उपकरणों, मशीनों की देखभाल करना।
पेशेंट के रिकार्ड्स भी मेंटेन करना।
डाक्टर्स के आदेशों का पालन करना।
शिफ्ट में काम करना।
सेवाभाव का जज्बा।
मरीज को समझने की क्षमता।
सतर्कता, धैर्य, हार्डवर्किंग और मृदुभाषी होना।

रेडियोलॉजी के प्रकार 
सरल रेडियोग्राफी और अल्ट्रासाउंड से जुड़े हुए टेस्ट
कम्प्यूटेड टोमोग्राफी (अंदरूनी हिस्से का टेस्ट)
मैगनेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई)
पोजिट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी
सीटी या एमआरआई
स्तन संबंधित बीमारियों की रेडियोलॉजी
कार्डियोवस्क्युलर रेडियोलॉजी
सीने संबंधित बीमारियों की रेडियोलॉजी
 पेट से संबंधित (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल) की रेडियोलॉजी
गले से संबंधित बीमारियों की रेडियोलॉजी
मस्तिष्क संबंधित बीमारियों की रेडियोलॉजी

कोर्सेज 
बीएससी इन रेडियोलॉजी -3 साल
सर्टिफिकेट इन रेडियोग्राफी -1 साल
डिप्लोमा इन एक्स-रे टेक्नीशियन -1 साल
पीजी डिप्लोमा इन रेडियो थैरेपी टेक्नोलॉजी -2 साल

रोजगार की संभावनाएं 
रेडियोलॉजी कोर्स करने के बाद आप सरकारी तथा प्राइवेट अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिक, मिलिट्री सर्विस, शिक्षा संस्थानों तथा रिसर्च लैबोरेटरी आदि में नौकरी प्राप्त कर सकते हैं। केवल भारत में ही नहीं, विदेशों में भी हैल्थ सेक्टर में विशेषज्ञ और ट्रेंड रेडियोलॉजिस्ट की काफी जरूरत महसूस की जा रही है।

विशेषज्ञता के क्षेत्र 
रेडियोग्राफी के तहत एक्स-रे, फ्लोरोस्कोपी, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, मैगनेटिक रेजोनेंस इमेजिंग, एंजियोग्राफी और पोसोट्रॉन इमिशन टोमोग्राफी जैसे टेस्ट आते हैं।

आवश्यक योग्यताएं 
इस क्षेत्र से संबंधित स्नातक डिग्री, सर्टिफिकेट तथा डिप्लोमा कोर्स करने के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री व बॉयोलॉजी में 50 प्रतिशत अंकों के साथ बारहवीं पास होना जरूरी है। यदि आप साइंस विषयों में स्नातक हैं, तो पीजी डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं। गौरतलब है कि इसमें प्रवेश मुख्यत: बारहवीं पास अंकों के आधार पर ही होता है, लेकिन कुछ संस्थान एंट्रेंस टेस्ट व इंटरव्यू के आधार पर भी चयन करते हैं।

कार्य
रेडियोलॉजिस्ट शरीर के विभिन्न अंगों का एक्स- रे करते हैं। एक्स- रे करते वक्त मरीज तथा आसपास के लोगों पर रेडियोएक्टिव किरणों का साइड इफेक्ट न हो, इस बात की निगरानी भी रखते हैं। इसके अलावा वे रेडियोग्राफिक उपकरणों की देखभाल तथा रोगियों के रिकार्ड्स भी मेंटेन करते हैं ।

रेडियोलॉजी के फायदे 
रेडियोलॉजिस्ट अलग- अलग प्रकार की तकनीकों का प्रयोग करते हैं। जिससे डाक्टर्स को मरीजों की स्थिति और बीमारियों के बारे में पता चलता है। यह एक तरह की मदद है जो एक्स- रे टेक्नीशियन या रेडियोलॉजिस्ट चिकित्सा के दौरान डाक्टर्स को देता है। रेडियोलॉजी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अलग- अलग टेस्ट के जरिये यह पता चल सकता है कि किस मरीज को क्या बीमारी है और उसे किस तरह का उपचार दिया जाना है।

प्रमुख संस्थान 
ऑल इंडिया इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, नई दिल्ली
आईजीएमसी, शिमला, हिमाचल प्रदेश
डा. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज, टांडा कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)
महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कालेज झांसी, उत्तर प्रदेश
पटना मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल पटना, बिहार
दरभंगा मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल दरभंगा, बिहार
मेडिकल कालेज पटियाला, पंजाब
बीजे मेडिकल कालेज, अहमदाबाद गुजरात
क्रिश्चियन मेडिकल स्कूल वैल्लूर, तमिलनाडु
मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल, कोलकाता
गवर्नमेंट मेडिकल कालेज पटियाला, पंजाब
टाटा मेमोरियल हास्पिटल, परेल, मुंबई

वेतनमान 
इससे जुड़े चिकित्सकों की आय अलग-अलग होती है और यह कार्यस्थल और कार्यक्षमता पर निर्भर करती है। किसी शैक्षणिक अस्पताल में वरिष्ठ रेजिडेंट डाक्टर (तीन वर्षों का अनुभव) को लगभग 50 से 60 हजार रुपए मासिक वेतन मिलते हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर को प्रतिमाह 70 हजार रुपए से अधिक मिलते हैं। एसोसिएट प्रोफेसर (लगभग आठ वर्षों का अनुभव) प्रतिमाह 75 हजार रुपए मिलते हैं। प्राइवेट कारपोरेट अस्पतालों में एक साल के अनुभव वाले असिस्टेंट कंसल्टेंट का प्रतिमाह 1.2 लाख रुपए तक का वेतन पैकेज हो सकता है।

Sunday, May 15, 2022

इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में करियर

आंकड़ों की मानें तो पिछले कुछ समय में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अच्छी तेजी देखने को मिली है। डिजिटल तकनीक के प्रसार में तेजी आने के कारण इस क्षेत्र में रोजगार के नए मौके बने हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशंस, इंजीनियरिंग की प्रमुख शाखाओं में शामिल है। जानकारों की मानें तो इस क्षेत्र में रोजगार की कभी कमी नहीं देखी गई। इस कोर्स की अच्छी बात यह है कि युवा टेलीकॉम इंडस्ट्रीज और सॉफ्टवेयर इंडस्ट्रीज, दोनों में काम तलाश सकते हैं। वैसे, यह क्षेत्र काफी बड़ा है। इसके तहत माइक्रोवेव और ऑप्टिकल कम्यूनिकेशन, सिग्नल प्रोसेसिंग, टेलीकम्यूनिकेशन, एडवांस्ड कम्यूनिकेशन, माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इंजीनियरिंग की यह शाखा रोजमर्रा की जिंदगी में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है।

सरल शब्दों में बात करें तो इंजीनियरिंग की इस विधा के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क, इलेक्ट्रिक मैग्नेटिक फील्ड, कंप्यूटर फंडामेंटल आदि के सिद्धांतों का व्यावहारिक प्रयोग किया जाता है। इसका इस्तेमाल स्मार्टफोन, टेबलेट्स, प्रोसेसर, स्मार्ट रिस्ट वॉच, स्मार्ट एलईडी टेलीविजन, लैपटॉप, कंप्यूटर सहित अन्य कम्यूनिकेशन उपकरणों, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के विकास, टेस्टिंग तथा प्रोडक्शन के काम के दौरान किया जाता है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि आज के दौर में इंजीनियरिंग की इस की विधा की ‘कटिंग एज टेक्नोलोजी’ के तौर पर पहचान बन चुकी है।

इंडस्ट्री में क्या हैं संभावनाएं  
जून 2021 के मॉन्स्टर एम्पलॉयमेंट इंडेक्स की मानें, तो टेलीकॉम और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर सेक्टर में बीते साल की तुलना में 39 फीसदी की वृद्धि हुई है। साथ ही, इस अवधि में टेलीकॉम इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा नियुक्तियां हुई हैं। अनुमान है कि टेलीकॉम इंडस्ट्री में इस साल कार्यबल में दस फीसदी की वृद्धि होगी और इसके लिए भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, 5जी और इंटरनेट ऑफ थिंग्स और क्लाउड जैसी तकनीकों में माहिर लोगों की ज्यादा मांग होगी। वहीं दुनिया की सबसे तेज विकास करने वाली इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन इंडस्ट्री जल्द ही दो खरब डॉलर का आंकड़ा पार कर जाएगी, जिसमें भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सर्विस इंडस्ट्री के 2025 तक 6.5 गुना बढ़ जाने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि भारत की कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड एप्लाएंसेज इंडस्ट्री 2025 तक विश्व में पांचवें नंबर पर पहुंच जाएगी। 
 
क्या होगा शिक्षा का रास्ता
इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग बहुत महत्त्वपूर्ण इंजीनियरिंग है और भारत के विभिन्न संस्थानों में प्रतिवर्ष हजारों छात्र इस कोर्स में एडमिशन लेते हैं। यह कोर्स छात्रों को टेलीकॉम इंडस्ट्री और सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री से सम्बद्ध दो विभिन्न सेक्टरों में भी आकर्षक जॉब ऑफर उपलब्ध करवाता है।

डिप्लोमा कोर्स: यह तीन वर्षीय डिप्लोमा कोर्स देश भर में स्थित सरकारी और निजी पॉलिटेक्निक और इंजीनियरिंग संस्थानों से किया जा सकता है। एडमिशन के लिए जरूरी है कि 12वीं में मैथ्स-फिजिक्स सहित विज्ञान के अन्य विषय हों। नामी संस्थानों में प्रवेश परीक्षा के आधार पर दाखिले दिए जाते हैं, जबकि अन्य संस्थान 12वीं की मेरिट के आधार पर कोर्स में एडमिशन देते हैं। इस डिप्लोमा के बाद बैचलर्स इंजीनियरिंग डिग्री भी लैटरल एंट्री के माध्यम से की जा सकती है। बाद में मास्टर्स और पीएचडी सरीखे कोर्स के विकल्प भी हैं।

बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी : इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग में बी.टेक. एक चार-वर्षीय  अंडरग्रेजुएट लेवल डिग्री कोर्स है। इस कोर्स में इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकम्यूनिकेशन के विषय को एक साथ पढ़ाया जाता है। इस कोर्स को पढ़ने वाले छात्र इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, सर्किट्स, ट्रांसमीटर, रिसीवर, इंटीग्रेटेड सर्किट्स जैसे कम्यूनिकेशन इक्विपमेंट के बारे में सीखते और जानकारी प्राप्त करते हैं।
 
किसी भी अंडरग्रेजुएट लेवल के इंजीनियरिंग कोर्स में एडमिशन लेने के लिए आवश्यक न्यूनतम योग्यता है- फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स में से कोई एक विषय मुख्य विषय के तौर पर लेकर 12वीं कक्षा उत्तीर्ण होना। पात्रता के लिएन्यूनतम अंक विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अलग-अलग हो सकते हैं।

उम्मीदवार को इंजीनियरिंग के लिए जेईई मेन्स एंट्रेंस एग्जाम और अन्य उपयुक्त प्रतियोगी परीक्षाएं देनी होंगी। इंजीनियरिंग के डिग्री पाठ्यक्रमों के लिए अन्य कई कॉलेजों की अपनी प्रतिष्ठित प्रवेश परीक्षाएं हैं, जैसे वीआईटीईई, बीआईटीएसएटी। 

किस तरह के होंगे अवसर 
इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग  में ट्रेनिंग हासिल करने के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकम्यूनिकेशन, ब्रॉडकास्टिंग, डेटा कम्यूनिकेशंस, इंटरटेनमेंट, रिसर्च एंड डेवलपमेंट, सिस्टम सपोर्ट, मॉडर्न मल्टी मीडिया सर्विस, एविएशन एंड एवियोनिक्स, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, रेडियो एंड टेलीविजन, डायग्नोस्टिक इक्विपमेंट आदि इंडस्ट्री में कई प्रकार की नौकरियों के अवसर मिल सकते हैं।

इसके अतिरिक्त इस विषय में हुनरमंद युवाओं को डिफेंस के क्षेत्र में, जैसे- कम्युनिकेशन सैटेलाइट, मिसाइल आदि में निर्माण या शोध आदि कार्यों में भी नौकरियां मिल सकती हैं।
समुचित ट्रेनिंग और कुछ वर्षों तक सम्बंधित इंडस्ट्री में जॉब अनुभव हासिल करने के बाद इच्छुक युवा स्टार्टअप के बारे में भी सोच सकते हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकम्यूनिकेशन से जुड़ी कंपनियों को खास तरह के उपकरण तैयार कर सप्लाई कर सकते हैं। इस क्षेत्र में कुछ पद इस प्रकार केहोते हैं

इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर : ये इंजीनियर अलग-अलग क्षेत्रों से सम्बंधित सिस्टम, मशीनरी को नियंत्रित करने वाले उपकरणों, रोजमर्रा के उपकरणों की डिजाइनिंग और निर्माण से जुड़े होते हैं। जैसेकि मोबाइल फोन, कंप्यूटर, म्यूजिक सिस्टम आदि। 
 
इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन इंजीनियर : ये इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम की डिजाइन और डेवलपमेंट के लिए तकनीकी सपोर्ट उपलब्ध कराते हैं।   

डेस्कटॉप सपोर्ट इंजीनियर : कंप्यूटर सिस्टम्स में आने वाली समस्याओं को सही करने की जिम्मेदारी इन पर होती है। ये सिक्योरिटी और सर्वर से सम्बंधित गंभीर समस्याओं को सुलझाने में अहम भूमिका निभाते हैं।   

सर्विस इंजीनियर : खासकर उत्पाद की खरीद के बाद ये ऑफसाइट मेंटेनेंस और टेक्निकल सपोर्ट सम्बंधी सेवाएं देते हैं। वे उपभोक्ता के संपर्क में रहते हैं। 

कम्यूनिकेशंस इंजीनियर : कम्यूनिकेशंस इंजीनियर के काम का अहम हिस्सा होता है डिजाइन और प्लानिंग टीम के काम का प्रबंधन करते हुए इलेक्ट्रिकल कम्यूनिकेशन सिस्टमको डिजाइन करना और उनमें बेहतरी के लिए बदलाव करना। वे तात्कालिक नेटवर्क को बेहतर तरीके सेविकसित करने में भी योगदान देते हैं। 

नेटवर्क प्लानिंग इंजीनियर : किसी कंपनी के नेटवर्क की योजना बनाने और उसकी देखरेख का कार्य करते हैं। किसी नए प्रोजेक्ट के आने पर नेटवर्क में उस प्रकार से बदलाव आदि करना और नए मानक बनाना उनकी काय र्िजम्मेदारियों का हिस्सा होता है।  

इसके अलावा फील्ड टेस्ट इंजीनियर,  इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन्स कंसल्टेंट, कस्टमर सपोर्ट इंजीनियर,  इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्निशियन, एसोसिएट फर्स्टलाइन टेक्निशियन, रिसर्च एंड डेवलपमेंट सॉफ्टवेयर इंजीनियर, सीनियर सेल्स मैनेजर, टेक्निकल डायरेक्टर आदि के पद भी होते हैं। 

वेतन
यह कई क्षेत्रों को मिलाकर बना जॉब क्षेत्र है, इसलिए उसी के मुताबिक सैलरी पैकेज मिलता है। इसके अलावा, आपके कार्य कौशल, शैक्षिक और निजी योग्यताओं, कार्यक्षेत्र, अनुभव सहित अन्य तथ्य अहम भूमिका निभाते हैं। इस क्षेत्र में शुरुआत कर रहे ग्रेजुएट के तौर पर, आप 2-3 लाख प्रतिवर्ष सैलरी आसानी से पा सकते हैं और 5-7 वर्ष के अनुभव के बाद आपको प्रति वर्ष 8-9 लाख रुपए की आय हो सकती है। 

और बढ़ेंगे मौके
‘ब्यूरो लेबर ऑफ स्टैटिस्टिक्स’ की रिपोर्ट की मानें, तो उनका कहना है कि इंजीनियरों के लिए 2026 तक हर साल नौकरियों में 7 प्रतिशत का इजाफा होगा। इलेक्ट्रॉनिक्स कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग की काफी मांग रहेगी। बीते साल के अनुभव को देखते हुए अनुमान है कि इस क्षेत्र में पेशेवरों के लिए रोजगार की अधिक संभावनाएं बनी रहेंगी।

चुनौतियां
-   इस क्षेत्र की तकनीक बहुत तेजी से बदलती है, इसलिए खुद को अपडेट करते रहना बेहद जरूरी है।  
-  इस कार्य की प्रवृत्ति इनडोर ज्यादा है। ऐसे में किसी प्रोजेक्ट पर काम करने के दौरान सामाजिकता के अवसर नहीं बचते। 
-    कई बार काम कई दिनों तक लगातार चलते रह सकता है। 
-   टेक्नोलॉजी अपडेशन के लिए बजट भी एक चुनौती साबित हो सकता है।
-   फिजिक्स और मैथ्स जैसे विषयों पर अगर अच्छी पकड़ नहीं है, तो इस कोर्स की पढ़ाई के दौरान भी अच्छा प्रदर्शन मुश्किल होगा। 
-  नेटवर्क सिक्योरिटी बड़ी चुनौती है। 
-   तकनीक के साथ प्रोजेक्ट की जरूरत के अनुसार नया करने की चुनौती हमेशा रहेगी।

प्रमुख संस्थान 
-  इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, खड़गपुर, पश्चिम बंगाल
-  इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली
-  इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कानपुर, उत्तर प्रदेश
-  इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रुड़की, उत्तराखंड
-  इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, गुवाहाटी, असम
-  अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई, तमिलनाडु
-  जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता, पश्चिम बंगाल
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, हैदराबाद, तेलंगाना

Wednesday, May 11, 2022

बायोटेक्नोलॉजी में करियर

भारत में बायोटेक्नोलॉजी ने काफी महत्वपूर्ण जगह बना ली है. इस फील्ड के तहत सभी संभावित फ़ील्ड्स जैसेकि, फार्मास्यूटिकल, फ़ूड मैन्युफैक्चरिंग, हेल्थकेयर, एग्रीकल्चर, एजुकेशन और रिसर्च से संबद्ध कार्य शामिल हो गये हैं. उक्त फ़ील्ड्स के अलावा भी अन्य कई फ़ील्ड्स में बायोटेक्नोलॉजी के योगदान को नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता है. चाहे वह बायोफ़र्टिलाइज़र्स, बायोपेस्टीसाइड्स, ग्रीन रेवोलुशन या आईटी की फ़ील्ड में रेवोलुशन लाने वाली बायोइन्फॉर्मेटिक्स से संबंधित मुद्दे हों, बायोटेक्नोलॉजी भारत के युवा वर्ग के लिए रोज़गार के ढेरों अवसर मुहैया करवा रही है. अब हम उन विभिन्न एरियाज का जिक्र करते हैं जिनमें बायोटेक्नोलॉजी पढ़ने वाले छात्रों के करियर के अभूतपूर्व विकास के लिए काफी संभावनाएं हैं.

1. मेडिकल राइटिंग्स

2. कॉलेज और विश्वविद्यालय

3. फार्मास्युटिकल कंपनियां

4. आईटी कंपनियां

5. हेल्थ केयर सेंटर्स

6. एग्रीकल्चर सेक्टर

7. एनिमल हसबेंड्री

8. जेनेटिक इंजीनियरिंग

9. रिसर्च लैबोरेट्रीज

10. फ़ूड मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री

सैलरी प्रॉस्पेक्ट्स

मेक इन इंडिया डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, भारत विश्व के टॉप 12 बायोटेक डेस्टिनेशन्स में से एक है और एशिया पेसिफिक में इसका तीसरा रैंक है. इससे पता चलता है कि बायोटेक्नोलॉजी की फील्ड से प्रोफेशनल्स की मांग लगातार बढ़ रही है. भारत में 350 से ज्यादा बायोटेक्नोलॉजिकल कंपनियां हैं और बायोटेक में स्पेशलाइजेशन कोर्स करना अब काफी फायदेमंद साबित हो सकता है.

यहां इस फील्ड की सैलरी एक्सपेक्टेशन्स पेश की जा रही हैं जिनके बारे में आपको इस फील्ड में अपना करियर शुरु करने से पहले पता होना चाहिए. ये सैलरी एक्सपेक्टेशन्स किसी भी कंपनी में आपके सीनियरटी लेवल के अनुसार अलग-अलग हैं जिनका विवरण नीचे देखें: 

लेवल

सैलरी एक्सपेक्टेशन्स (लाख रु.)

फ्रेशर्स

2-3

मिड-लेवल

4-6

सीनियर लेवल

7-10

टॉप लेवल

<10

सोर्सपेस्केल डॉट कॉम

बायोटेक इंजीनियर्स के लिए मशहूर फर्म्स

इंडियन ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन अर्थात आईबीईएफ की सिफारिशों के अनुसार, बायोटेक इंजीनियर्स के करियर के शानदार विकास के लिए निम्नलिखित टॉप 10 फर्म्स विकास के अवसर ऑफर करती हैं:

1. बायोकॉन लिमिटेड

2. नेशनल डेरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) द्वारा संचालित इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड (आईआईएल)

3. ग्लैक्सोस्मिथक्लिन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड

4. ट्रांसएशिया बायो-मेडिकल्स

5. वॉकहार्ट

6. पिरामल ग्रुप

7. सेरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया लिमिटेड

8. रासी सीड्स(पी) लिमिटेड

9 शांथा बायोटेक्निक लिमिटेड

10. क्रेब्स बायोकेमिकल्स एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड (केबीआईएल)

आईबीईएफ द्वारा लिस्टेड कंपनियों में एग्रीकल्चर, डेरी, केमिकल्स, फार्मास्यूटिकल और अन्य कई फ़ील्ड्स शामिल हैं. ये कंपनियां प्रसिद्ध जॉब प्रोफाइल्स के साथ ही उभरते हुए बायोटेक्नोलॉजिस्ट्स को केवल जॉब्स के बेशुमार अवसर ही नहीं मुहैया करवाती हैं बल्कि, उन्हें विशेष इनोवेशन्स के लिए अवसर भी मुहैया करवाती हैं और ये इनोवेशन्स हमारे आजकल के काम करने के तरीकों में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं. 

बायोटेक्नोलॉजी स्ट्रीम पर और अधिक अपडेट्स प्राप्त करने के लिए, समय-समय पर jagranjosh.com पर विजिट करते रहें और सारी जानकारी एक ही साइट पर प्राप्त करें.

कोर्सेज के प्रकार और अवधि

बायोटेक्नोलॉजी एक प्रोमिसिंग कोर्स है जिसके तहत कई कोर्सेज और सिलेबस शामिल किये जा सकते हैं. इस स्ट्रीम में अपना करियर बनाने के इच्छुक कैंडिडेट्स 10 वीं क्लास (इंटरमिडीएट लेवल) की पढ़ाई पूरी करने के बाद भी यह कोर्स कर सकते हैं. इस कोर्स को पढ़ कर, समझकर और विश्लेषण करके आप काफी अच्छी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. आप इस कोर्स के तहत डॉक्टोरल डिग्री भी प्राप्त कर सकते हैं बशर्ते आप विज्ञान की इस ब्रांच में शामिल विभिन्न बारीकियों और विवरण का पता लगाना चाहते हों.

 

डिप्लोमा कोर्सेज

बायोटेक्नोलॉजी में डिप्लोमा प्राप्त करने के लिए, छात्र उन कॉलेजों में इस कोर्स के लिए अप्लाई कर सकते हैं जो 10 वीं क्लास पास करने के बाद छात्रों को यह डिप्लोमा कोर्स ऑफर करते हैं. भारत में इस कोर्स की अवधि 3 वर्ष है. 

अंडरग्रेजुएट कोर्सेज

जो इंस्टिट्यूट्स और यूनिवर्सिटीज अंडरग्रेजुएट कोर्सेज ऑफर करते हैं, वहां आप बायोटेक्नोलॉजी में ग्रेजुएशन करने के लिए अप्लाई कर सकते हैं. इस अंडरग्रेजुएट कोर्स की अवधि 4 वर्ष है और छात्रों को इस अंडरग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन लेने के लिए एक एंट्रेंस एग्जाम पास करना पड़ता है.

पोस्टग्रेजुएट कोर्सेज

पोस्टग्रेजुएशन के लेवल पर, इस कोर्स को अक्सर बायोटेक्नोलॉजी में एमटेक या बायोटेक्नोलॉजी में एमएससी के नाम से जाना जाता है. यह उस यूनिवर्सिटी या इंस्टिट्यूट पर निर्भर करता है जो कैंडिडेट्स को पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री या डिप्लोमा ऑफर करता है. पोस्टग्रेजुएशन लेवल पर इस कोर्स की अवधि केवल 2 वर्ष है.

डॉक्टोरल प्रोग्राम्स

जो उम्मीदवार बायोटेक्नोलॉजी में डॉक्टोरल डिग्री हासिल करना चाहते हैं, वे अपनी पोस्टग्रेजुएशन पूरी करने के बाद पीएचडी कोर्सेज के लिए अप्लाई कर सकते हैं. पीएचडी कोर्सेज की अवधि आमतौर पर 3 से 4 वर्ष की होती है जो थीसिस पूरी करने के लिए शामिल रिसर्च वर्क पर निर्भर करती है. पीएचडी फुल टाइम और पार्ट टाइम तरीके से की जा सकती है.

बायोटेक्नोलॉजी के तहत सब-स्पेशलाइजेशन कोर्सेज

जब कोई छात्र बायोटेक्नोलॉजी प्रोग्राम करना चाहता है तो वह निम्नलिखित में से कोई एक स्पेशलाइजेशन कोर्स चुन सकता है. ये स्पेशलाइजेशन्स अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट लेवल पर किये जा सकते हैं लेकिन, हरेक इंस्टिट्यूट अपने छात्रों को निम्नलिखित सभी स्पेशलाइजेशन्स ऑफर नहीं करते हैं. अगर आप किसी विशेष डोमेन में अपना करियर शुरू करना चाहते हैं तो किसी इंस्टिट्यूट में एडमिशन लेने से पहले इस इंस्टिट्यूट के प्रोग्राम ब्रोशर में उस इंस्टिट्यूट द्वारा ऑफर किये जा रहे स्पेशलाइजेशन कोर्सेज के नाम चेक कर लें.

जेनेटिक्स

जेनेटिक्स और सेल बायोलॉजी से संबद्ध वैज्ञानिक खोज में रूचि रखने वाले छात्र यह कोर्स चुन सकते हैं. उन्हें विभिन्न मेडिकल डायग्नोस्टिक्स, थेरेपीज और थेरापियूटिक्स के बारे में सिखाया जायेगा. उदाहरण के लिए: ह्यूमन जीनोम की सिक्वेंसिंग पर प्रोजेक्ट्स.

वीरोलॉजी

यह विषय आमतौर पर बायोटेक्नोलॉजी के चौथे  सेमेस्टर में पढ़ाया जाता है. वीरोलॉजी की स्टडी से आपको मॉलिक्यूलर वीरोलॉजी के फंडामेंटल्स और वास्तविक दुनिया में इसके एप्लीकेशन्स को समझने में सहायता मिलती है.

इम्युनोलॉजी

यह कोर्स ह्यूमन इम्यून सिस्टम के काम करने के तरीके और समझने में मदद करता है ताकि हमें यह पता चल सके कि टेक्नोलॉजी कैसे इम्यून सिस्टम को कमजोर होने से बचाने में मनुष्यों की मदद कर सकती है.

बायो-स्टेटिस्टिक्स

बायो-स्टेटिस्टिक्स बायोटेक्नोलॉजी की वह फील्ड है जिस के जरिये कोई भी व्यक्ति रिसर्चर्स द्वारा किये जाने वाले विभिन्न एक्सपेरिमेंट्स में मैथमेटिक्स और स्टेटिस्टिक्स के कॉन्सेप्ट्स अप्लाई कर सकता है. इस जानकारी का इस्तेमाल करते हुए, बायो-स्टेटिस्टीशियन डाटा कलेक्ट, डिसेक्ट और समराइज़ कर सकते हैं और फिर, ठोस जानकारी पेश कर सकते हैं.

फार्माकोलॉजी

फार्माकोलॉजी पढ़ने वाले छात्र कम लागत पर ड्रग्स तैयार करने के तरीके और मनुष्यों तथा जानवरों के टिश्यू एवं सेल फंक्शन पर इन ड्रग्स के प्रभाव का मुल्यांकन करना सीखते हैं.

मॉलिक्यूलर बायोलॉजी

यह स्पेशलाइजेशन ह्यूमन और एनिमल हेल्थ, एग्रीकल्चर और एनवायरनमेंट जैसे क्षेत्रों में न्यूक्लिक एसिड्स और प्रोटीन्स के एप्लीकेशन्स के लिए इनकी बारीकियों को समझने में मदद करता है. इस कोर्स को पढ़ने वाले छात्र ह्यूमन और एनिमल हेल्थ कायम रखने के लिए ड्रग्स, थेरेपीज और डायग्नोस्टिक टेस्ट्स तैयार करने के लिए अपने ज्ञान का इस्तेमाल कर सकते हैं.  

एनिमल हसबेंड्री

बायोटेक्नोलॉजी लाइवस्टॉक ब्रीडिंग के लिए एक आश्चर्यजनक वरदान बन चुकी है. बायोटेक्नोलॉजी की यह ब्रांच पृथ्वी पर जीवजंतुओं की हेल्थ और कल्याण के लिए छात्रों को एम्ब्रॉय ट्रांसफर, आर्टिफीशल इनसेमिनेशन, क्लोनिंग और अन्य कई कंसेप्ट्स की जानकारी प्राप्त करने में मदद करती है.

ये कुछ ऐसे स्पेशलाइजेशन कोर्सेज थे जो बायोटेक्नोलॉजी करने वाले छात्र अक्सर चुनते हैं. कुछ अन्य स्पेशलाइजेशन्स भी हैं जो आजकल लोकप्रिय हो रहे हैं.

बायोटेक्नोलॉजी के कोर्सेज में कैसे लें एडमिशन?

किसी भी शानदार करियर की शुरुआत करने के लिए एडमिशन प्रोसेस बहुत चुनौतीपूर्ण लेकिन महत्वपूर्ण कदम होती है. जब कोई छात्र किसी कॉलेज में एक विशेष कोर्स में एडमिशन लेना चाहता है तो उसके लिए विभिन्न स्टेप्स को क्रम से फ़ॉलो करना जरुरी होता है. इस पूरी प्रक्रिया में, पहला कदम किसी खास कोर्स के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को समझना है. जब आपको एक बार एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया का पता चल जाता है तो आप उस कोर्स के लिए अप्लाई करना चाहते हैं तो इस प्रक्रिया का अगला कदम है वांछित कॉलेज में एडमिशन पाने के लिए निर्धारित एग्जाम्स के बारे में पता करना.

सबसे पहले, हम विभिन्न स्तरों पर बायोटेक्नोलॉजिकल कोर्सेज के लिए आवश्यक एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया के बारे में जानकारी हासिल करते हैं: 

बायोटेक में एडमिशन लेने के लिए विभिन्न लेवल्स पर एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया

किसी भी छात्र को बायोटेक्नोलॉजी में एडमिशन लेने के लिए एलिजिबिलिटी के बारे में अवश्य पता होना चाहिए. अगर कोई कैंडिडेट एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को पूरा नहीं करता/ करती है तो उसे कॉलेज में एडमिशन नहीं मिलेगा. इस संबंध में इंस्टिट्यूट्स और एग्जाम लेने वाले संस्थानों ने कुछ गाइडलाइन्स  जारी की हैं. बायोटेक करने के इच्छुक उम्मीदवारों को भारत के किसी बेहतरीन बायोटेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट में सीट प्राप्त करने के लिए अवश्य इस संदर्भ में पूरी जानकारी होनी चाहिए.

डिप्लोमा

जिन छात्रों ने मैथमेटिक्स और साइंस सब्जेक्ट के साथ 10 वीं क्लास पास कर ली है, वे बायोटेक्नोलॉजी में डिप्लोमा कोर्स करने के लिए अप्लाई कर सकते हैं.

ग्रेजुएशन

अंडरग्रेजुएट कोर्स में अप्लाई करने के लिए, छात्र ने फिजिक्स, मैथ्स, बायोलॉजी और केमिस्ट्री के साथ 12 वीं क्लास अवश्य पास की हो. जिन छात्रों ने 10वीं क्लास पास करने के बाद डिप्लोमा प्राप्त किया है, वे भी अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में एडमिशन ले ले सकते हैं. 12 वीं क्लास पास करने वाले छात्रों की बजाय डिप्लोमा प्राप्त करने वाले छात्रों को ज्यादा महत्व दिया जाता है. डिप्लोमा होल्डर्स को बायोटेक्नोलॉजी के 2 वर्ष के बीटेक/ बीई कोर्स में सीधी एंट्री दी जायेगी.

पोस्टग्रेजुएशन

बायोटेक्नोलॉजी में एमटेक करने के लिए अप्लाई करने वाले छात्रों के लिए कम से कम 50% मार्क्स के साथ ग्रेजुएशन या उसके समान योग्यता प्राप्त करना बहुत जरुरी है. रिजर्वेशन कोटा और इंस्टिट्यूट की एडमिशन पॉलिसी के अनुसार हरेक इंस्टिट्यूट की रिक्वायर्ड परसेंटेज अलग-अलग हो सकती है.

डॉक्टोरल प्रोग्राम्स

बायोटेक्नोलॉजी में मास्टर डिग्री किसी डॉक्टोरल प्रोग्राम में एडमिशन लेने के लिए बहुत जरुरी होती है. कुछ यूनिवर्सिटीज अपने यहां पीएचडी प्रोग्राम में एडमिशन देने के लिए मास्टर इन फिलोसोफी (एमफिल) के बारे में भी पूछ सकती हैं.

बायोटेक्नोलॉजी में कोर्सेज करने के लिए एंट्रेंस एग्जाम्स

अंडरग्रेजुएट लेवल पर, बीटेक कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए, जेईई मेन्स और जेईई एडवांस्ड एग्जाम्स सबसे ज्यादा प्रसिद्ध एंट्रेंस एग्जाम्स हैं. जो लोग उच्च शिक्षा अर्थात पोस्ट-ग्रेजुएट लेवल में एडमिशन लेने की तैयारी कर रहे हैं, अक्सर गेट और आईआईटी जेएएम जैसे एंट्रेंस एग्जाम्स की तैयारी करते हैं. आईआईटीज और भारत के अन्य बढ़िया इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन लेने के लिए, छात्र इन एग्जाम्स के डिफिकल्टी लेवल को देखते हुए इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम्स के लिए बहुत ज्यादा मेहनत करते हैं.

डिप्लोमा कोर्सेज के लिए

आमतौर पर इंस्टिट्यूट्स स्टेट लेवल के इंजीनियरिंग डिप्लोमा एंट्रेंस एग्जाम्स के आधार पर ‘बायोटेक्नोलॉजी में डिप्लोमा’ के लिए स्टूडेंट्स को शॉर्टलिस्ट करते हैं. कुछ पॉपुलर इंजीनियरिंग डिप्लोमा एंट्रेंस एग्जाम्स हैं:

1. दिल्ली पॉलिटेक्निक कॉमन एंट्रेंस एग्जाम (दिल्ली सीईटी)

2. ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन काउंसिल, उत्तर प्रदेश (जेईईसीयूपी)

3. जेईएक्सपीओ और वीओसीएलईटी पॉलिटेक्निक एंट्रेंस एग्जाम (पश्चिम बंगाल)

4. पंजाब ज्वाइंट एंट्रेंस टेस्ट (पंजाब पीईटी)

5. हरियाणा डिप्लोमा एंट्रेंस टेस्ट (एचएसटीईएस डीईटी)

अंडरग्रेजुएट कोर्सेज के लिए:

नेशनल लेवल के एग्जाम्स

सीबीएसई द्वारा आयोजित जेईई मेन 2018

आईआईटी और एनआईटी में एडमिशन लेने के लिए जेईई एडवांस्ड 2018

स्टेट लेवल के एग्जाम्स

एपी ईएएमसीईटी 2018

टीएस ईएएमसीईटी 2018

केसीईटी 2018

एमएएच-सीईटी 2018

यूनिवर्सिटी लेवल के एग्जाम्स

वीआईटीईई 2018

पोस्टग्रेजुएट कोर्सेज के लिए:

नेशनल लेवल के एग्जाम्स

गेट 2018

आईआईटी जेएएम (एमएससी के लिए ज्वाइंट एडमिशन टेस्ट)

स्टेट लेवल के एग्जाम्स

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च ग्रेजुएट स्कूल द्वारा बायोलॉजी और इंटरडिसिप्लिनरी बायोलॉजी के लिए आयोजित ज्वाइंट ग्रेजुएट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (जेजीईईबीआईएलएस)

यूनिवर्सिटी लेवल के एग्जाम्स

एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) एमएससी बायोटेक्नोलॉजी

जेएनयू सीईईबी कंबाइंड बायोटेक्नोलॉजी एंट्रेंस एग्जाम

बायोटेक्नोलॉजी क्या है?

बायोटेक्नोलॉजी को आमतौर पर ‘बायोटेक’ के नाम से जाना जाता है और यह इंजीनियरिंग करने के इच्छुक उम्मीदवारों के बीच सबसे ज्यादा पसंदीदा कोर्सेज में से एक कोर्स है. बायोटेक्नोलॉजी साइंस की वह ब्रांच है जिसमें बायोलॉजी और टेक्नोलॉजी के आश्चर्यजनक मेल से रॉ मेटीरियल्स को आश्चर्यजनक इनोवेशन्स, डिस्कवरीज और प्रोडक्ट्स में बदला जाता है. वर्ष 1919 में, हंगरी के एग्रीकल्चरल इंजीनियर कार्ल एरेक्य ने सबसे पहले बायोटेक्नोलॉजी शब्द का इस्तेमाल किया. चाहे वह बैक्टीरिया, यीस्ट या एंजाइम्स जैसे बायोलॉजिकल पदार्थ हों, बायोटेक की जानकारी प्राप्त करने के बाद, आप इंडस्ट्रियल या मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेसेज से संबद्ध कार्य करने के लिए हरेक माइक्रोऑर्गानिज्म को इस्तेमाल कर सकेंगे.

एक बायोटेक्नोलॉजी इंजीनियर क्या करता है?

एक प्रसिद्ध कहावत है कि, “विनर्स अलग काम नहीं करते हैं, वे कामों को अलग तरीके से करते हैं.” यह कहावत एक बायोटेक्नोलॉजिस्ट/ बायोटेक इंजीनियर पर खरी उतरती है. बायोटेक्नोलॉजी कामों को अलग तरीके से करने के लिए विभिन्न पहलू तलाश करने से संबद्ध है ताकि इस दुनिया में परिवर्तन लाया जा सके. एक बायोटेक्नोलॉजी इंजीनियर ग्रेजुएशन और पोस्टग्रेजुएशन लेवल पर किये गए स्पेशलाइजेशन और अपनी रूचि के अनुसार विभिन्न फ़ील्ड्स जैसेकि, एनिमल हसबेंड्री, एग्रीकल्चर, मेडिसिन, जेनेटिक इंजीनियरिंग, एनवायरनमेंट कन्जर्वेशन, हेल्थकेयर और रिसर्च एंड डेवलपमेंट से जुड़े कार्य करता/ करती है.

भारत में टॉप 10 बायोटेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट्स

बायोटेक्नोलॉजी एक महत्वपूर्ण कोर्स है जो भारत में विभिन्न इंस्टिट्यूट्स ऑफर करते हैं. उनमें से यूजीसी द्वारा मान्यताप्राप्त टॉप 10 बायोटेक्नोलॉजिकल इंस्टिट्यूट्स के नाम निम्नलिखित हैं जिन्हें वर्ष 2018 के लिए एनआईआरएफ रैंकिंग में भी प्रमुख स्थान देने के साथ इन इंस्टिट्यूट्स की काफी तारीफ की गई है:

क्रमसंख्या

इंस्टिट्यूट

लोकेशन

1

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी

मद्रास

2

डिपार्टमेंट ऑफ़ बायोसाइंसेज एंड बायोइंजीनियरिंग (बीएसबीई), आईआईटी 

बॉम्बे

3

डिपार्टमेंट ऑफ़ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी

नई दिल्ली

4

डिपार्टमेंट ऑफ़ बायोटेक्नोलॉजी, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी

खड़गपुर

5

डिपार्टमेंट ऑफ़ बायोलॉजिकल साइंसेज एंड बायोइंजीनियरिंग, आईआईटी

कानपुर

6

डिपार्टमेंट ऑफ़ बायोटेक्नोलॉजी, आईआईटी

रूड़की

7

डिपार्टमेंट ऑफ़ बायोटेक्नोलॉजी, आईआईटी

गुवाहाटी

8

सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी, अन्ना यूनिवर्सिटी

चेन्नई

9

डिपार्टमेंट ऑफ़ बायोटेक्नोलॉजी, आईआईटी

हैदराबाद

10

इंस्टिट्यूट ऑफ़ केमिकल टेक्नोलॉजी

मुंबई

उक्त बायोटेक्नोलॉजिकल इंस्टिट्यूट्स का चयन बेहतरीन प्लेसमेंट रिकॉर्ड, स्टेट ऑफ़ दी आर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर, हाइली क्वालिफाइड फैकल्टी और उनके द्वारा अपनाई जा रही सख्त एडमिशन प्रोसेस के आधार पर किया गया है. हमें आशा है कि उक्त लिस्ट आपके शानदार करियर के लिए, आपको बढ़िया बायोटेक्नोलॉजिकल इंस्टिट्यूट चुनने में मदद करेगी.

बायोटेक्नोलॉजी के स्टूडेंट्स के लिए करियर ऑप्शन्स

बायोटेक्नोलॉजी की फील्ड का विकास बड़ी तेज़ रफ्तार से हो रहा है और बायोटेक्नोलॉजी में डिप्लोमा/ बीटेक/ एमटेक या डॉक्टोरल डिग्री करने वाले छात्रों के लिए अवसरों की कोई कमी नहीं है. चाहे वह कोई प्राइवेट सेक्टर हो या कोई गवर्नमेंट जॉब, बायोटेक कैंडिडेट्स को विभिन्न कंपनियों में बेहतरीन जॉब प्रोफाइल्स मिल सकते हैं. बायोटेक कैंडिडेट्स को आमतौर पर ऑफर किये जाने वाले कुछ प्रसिद्ध जॉब प्रोफाइल्स की लिस्ट नीचे दी जा रही है:

जॉब प्रोफाइल्स

डिप्लोमा प्राप्त करने के बाद पलब्ध जॉब प्रोफाइल्स

भारत में विभिन्न पॉलिटेक्निक्स बायोटेक्नोलॉजी में डिप्लोमा करने वाले फ्रेशर्स को कोर्स पूरा होने के बाद निम्नलिखित जॉब ऑफर मिलते हैं:

1. क्लिनिकल लेबोरेटरी टेक्निशियन

2. बायोलॉजिकल सप्लाइज मैन्युफैक्चरर

3. एनवायर्नमेंटल टेक्निशियन

4. फ़ूड सेफ्टी टेक्निशियन

5. फार्मास्युटिकल रिसर्च टेक्निशियन

बीटेक करने के बाद उपलब्ध जॉब प्रोफाइल्स

बायोटेक्नोलॉजी में बीटेक करने वाले छात्रों को आमतौर पर इंडियन और मल्टीनेशनल फर्म्स द्वारा निम्नलिखित जॉब ऑफर्स मिलते हैं:

1. लेबोरेटरी असिस्टेंट

2. प्रोफेसर / एसोसिएट प्रोफेसर

3. बायोटेक्नोलॉजी एक्सपर्ट

4. बिजनेस डेवलपमेंट एग्जीक्यूटिव

5. सेल्स मैनेजर

6. मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव ट्रेनी

एमटेक करने के बाद उपलब्ध जॉब प्रोफाइल्स

बायोटेक्नोलॉजी में एमटेक करने वाले छात्रों को उनके शानदार करियर के लिए बहुत बढ़िया और रिवॉर्डिंग जॉब प्रोफाइल्स में काम करने के अवसर मिलते हैं:

1. बैक्टीरियोलॉजिस्ट

2. मॉलिक्यूलर बायोलॉजिस्ट

3. एम्ब्र्योलॉजिस्ट

4. जेनेटिसिस्ट

5. इम्यूनोलॉजिस्ट

6. माइक्रोबायोलॉजिस्ट

7. बायो-इन्फॉर्मेटिशियन

8. फार्माकोलॉजिस्ट

9. बायो-एनालिटिकल केमिस्ट

10. फ़ूड केमिस्ट

11. एनवायरनमेंटल केमिस्ट

12. मेडिकल बायोकेमिस्ट

पीएचडी करने के बाद उपलब्ध जॉब प्रोफाइल्स

डॉक्टोरल डिग्री की पढ़ाई करना काफी मुश्किल काम है. लेकिन, एक बार पीएचडी या डॉक्टोरल डिग्री प्राप्त कर लेने के बाद आपको इंडस्ट्री में लीडिंग रोल्स ऑफर किये जाते हैं. कुछ विशेष जॉब रोल्स निम्नलिखित हैं:

1. बायोटेक्नोलॉजी रिसर्चर

2. प्रोसेस इंजीनियर

3. बायोटेक्नोलॉजी एंड फार्मास्यूटिकल रिसर्च एनालिस्ट

4. लीड बायोटेक्नोलॉजी कंसलटेंट

5. क्लिनिकल प्रोजेक्ट मैनेजर

6. पेटेंट सर्च एनालिस्ट

7. रिसर्च साइंटिस्ट

8. मेडिकल टेक्नोलॉजिस्ट एंड लेबोरेटरी टेक्नोलॉजिस्ट

9. क्वालिटी अश्योरेंस / क्वालिटी कंट्रोल एग्जीक्यूटिव

10. बायोटेक्नोलॉजी एक्सपर्ट