Friday, July 16, 2021

एस्ट्रोनॉमी में बनाएं करियर

सरकार द्वारा अंतरिक्ष अभियानों और शोध कार्यों को प्रोत्साहित किए जाने के कारण देश में इन दिनों बड़ी संख्या में खगोलविदों और अंतरिक्ष यात्रियों की जरूरत देखी जा रही है। पिछले दिनों भारत के चांद मिशन-चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण काफी चर्चा में रहा। निकट भविष्य में स्पेस वॉर की चुनौतियों को देखते हुए आने वाले समय में इस सेक्टर में और ज्यादा संभावनाएं बढ़ने की उम्मीद हैं। ऐसे में अगर एस्ट्रोनॉमी (खगोल विज्ञान) या एस्ट्रोफिजिक्स जैसे विषयों में आपकी भी गहरी रुचि है, तो खगोल वैज्ञानिक बनने की ओर अपना कदम बढ़ा सकते हैं...

आर्यन मिश्रा की उम्र मात्र 19 साल है, लेकिन आज वह एस्ट्रोनॉमी के फील्ड में एक जाना-पहचाना नाम हैं। बचपन से ही यह फील्ड उन्हें बहुत पसंद था। वह ब्रह्मांड के रहस्यों को जानने के लिए हमेशा उत्सुक रहते थे। जब वह छोटे थे, तभी यह मन बना लिया था कि वह एस्ट्रोनॉमी में ही करियर बनाएंगे। लेकिन यह राह उनके लिए इतनी आसान नहीं थी। आर्यन के माता-पिता को यह फील्ड बिल्कुल भी पसंद नहीं था। उन्हें यह अप्रचलित फील्ड लगता था। इसलिए वे चाहते थे कि वह किसी और फील्ड में अपना करियर बनाएं।

आर्यन ने मन ही मन इसी फील्ड में आगे बढ़ने की ठान ली। खुद से खगोलीय घटनाओं को जानने-समझने लगे। धीरे-धीरे उन्हें इस फील्ड का इतना नॉलेज हो गया कि आज उन्हें आइआइटी समेत विभिन्न कॉलेजों में एस्ट्रोनॉमी पर व्याख्यान के लिए बुलाया जाता है। इसके अलावा, वह ‘स्पार्क एस्ट्रोनॉमी’ नाम से अपना एक स्टार्टअप भी चला रहे हैं, ताकि अधिक से अधिक स्टूडेंट्स-युवाओं को अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति प्रेरित-प्रोत्साहित किया जा सके। वह कहते हैं, ‘आज खगोलविदों के लिए भारत में नौकरी के अवसरों की कमी नहीं है। एस्ट्रोनॉमी में पढ़ाई करने के बाद वेधशालाओं, अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों तथा विज्ञान केंद्रों में युवाओं के लिए नौकरी के काफी अवसर हैं।’

अंतरिक्ष में भारत की बादशाहत

भारत की अंतरिक्ष गतिविधियां दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैं। चांद के रहस्यों को खोजने के लिए भारत ने चंद्रयान-प्रथम के बाद पिछले दिनों श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) से भारत के दूसरे महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग कर दुनियाभर में खूब वाहवाही बटोरी। इसके साथ ही सेटेलाइट की दुनिया में भारत की बादशाहत को भी पूरे विश्व ने मान लिया है। इसरो यानी इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन भारत की सबसे बड़ी स्पेस एजेंसी है। इसका मुख्य काम ही अंतरिक्ष में शोध करना है। अभी इसरो में करीब 16 हजार से अधिक वैज्ञानिक और इंजीनियर काम करते हैं। सरकार की ओर से अधिक से अधिक अंतरिक्ष अभियानों और खगोलीय शोध कार्यों को प्रोत्साहित किए जाने के कारण देश में इन दिनों बड़ी संख्या में खगोलविदों की जरूरत है। जाहिर है आने वाले समय में इतनी संभावनाओं के बीच स्पेस सेक्टर में नौकरी के अवसरों की काफी संभावनाएं बनेंगी।

वैज्ञानिक या अंतरिक्ष यात्री बनने का मौका: आज के दौर में एक वैज्ञानिक या प्रोफेसर होना सबसे सम्मानित पेशा माना जाता है। एस्ट्रोनॉमी या एस्ट्रोफिजिक्स की पढ़ाई करने के बाद आप न सिर्फ आइंस्टीन, न्यूटन, गैलीलियो, केपलर, हबल तथा हॉकिंग जैसे महान वैज्ञानिक बन सकते हैं, बल्कि यूरी गागरिन, वैलेंटिना, नील आर्मस्ट्रांग, बज एल्ड्रिन, कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स एवं राकेश शर्मा की तरह नामी अंतरिक्ष यात्री यानी एस्ट्रोनॉमर भी बन सकते हैं। लेकिन एक अंतरिक्ष यात्री के लिए आंख, दिमाग, कान, दिल और पूरा शरीर बहुत मजबूत होना चाहिए।

इतना साहसी होना चाहिए कि जब वह अपने सामने मौत को देखें, तब भी न डरे। एक एस्ट्रोनॉमर पृथ्वी आधारित एस्ट्रोनॉमी का विशेषज्ञ भी होता है। यही वजह है कि एक हजार या लाख में से कोई एक अंतरिक्ष यात्री बन सकता है, लेकिन खगोलविद होने के लिए किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है। यह केवल आप पर निर्भर करता है।

कोर्स एवं योग्यता

एस्ट्रोनॉमी या ऑब्जर्वेशंस में करियर बनाने के लिए 10+2 के बाद बीएससी (फिजिक्स या मैथमेटिक्स) करना अच्छा रहेगा। भारत में बीएआरसी (भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर), आइआइए (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स), आरआरआइ (रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट),आइआइएससी (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस), आइआइटी (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) जैसे लगभग एक दर्जन विश्व स्तरीय संस्थानों में एस्ट्रोनॉमी तथा एस्ट्रोफिजिक्स की पढ़ाई कराई जाती है। इसके अलावा, कई इंजीनियरिंग कॉलेजों से भी यह कोर्स किया जा सकता है।

ये हैं प्रमुख संस्थान

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, बेंगलुरु

www.iiap.res.in

इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रॉनामी ऐंड एस्ट्रोफिजिक्स, पुणे

www.iucaa.ernet.in

रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट, बेंगलुरु

www.rri.res.in

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल

रिसर्च, मुंबई

www.tifr.res.in

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