क्या है रोबोटिक्स इंजीनियरिंग
मेकेनिकल इंजीनियरिंग की उप-शाखा के रूप में रोबोटिक्स इंजीनियरिंग को शुरुआती पहचान मिली लेकिन अब इंजीनियरिंग की दुनिया में इस विधा का अलग मुकाम है। इसके जरिए स्वचालित (ऑटोमेटिक) मशीनों के विकास पर काम किया जाता है, जो इंसानों जैसी कार्यक्षमता के साथ उनके काम कर सके। ऐसी मशीनों के निर्माण का ध्येय जोखिमभरे कामों से इंसानों को बचाना है। रोबोटिक्स इंजीनियरिंग में रोबोट की डिजाइनिंग, निर्माण और उसकी संचालन तकनीक के विकास पर काम किया जाता है। रोबोट के संचालन के लिए एक कंप्यूटरीकृत नियंत्रण तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, जो सेंसर और इंफॉर्मेशन प्रोसेसर के तालमेल पर आधारित होता है। कंप्यूटर आधारित यह तकनीक जितनी उन्नत होगी, रोबोट की कार्यक्षमता उतनी ही ज्यादा होगी।
रोबोटिक इंजीनियरिंग के क्षेत्र में हुए शोध कार्यों और विकास ने रोबोट की उपयोगिता को काफी बढ़ा दिया है। रक्षा संबंधी गतिविधियों, चिकित्सकीय कार्यों और व्यावसायिक जरूरतों में रोबोट का इस्तेमाल आम हो चुका है।
इंजीनियर का काम
रोबोट को डिजाइन करना और उनके लिए कंप्यूटरीकृत एप्लीकेशन विकसित करना रोबोटिक इंजीनियर का प्रमुख काम होता है। इस काम में उन्हें लोगों/ उद्यमों (जिन्हें रोबोट की जरूरत हो) की आवश्यकता का ध्यान रखना पड़ता है। यह आवश्यकता ही रोबोट के डिजाइन, सेंसर, प्रोसेसर, कलपुर्जों के पदार्थ और आकार का निर्धारण करती है। इसके अलावा इंजीनियर को रोबोट में लगे इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों का निरीक्षण, रोबोट का परीक्षण और उसकी तकनीक संबंधी खामियों का पता लगाना होता है। वह रोबोट को डिस्असेंबल/ रिअसेंबल करने के साथ ही टेक्नीशियन को रोबोट की सर्विसिंग के लिए प्रशिक्षित करते हैं।
प्रमुख कोर्स
प्रमुख कोर्स
डिप्लोमा इन रोबोटिक्स
बीई इन रोबोटिक्स इंजीनियरिंग
बीटेक इन रोबोटिक्स
बीई इन एडवांस्ड रोबोटिक्स
बीई इन रोबोटिक्स एंड ऑटोमेशन इंजीनियरिंग
बीटेक इन मेकेट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग
एमई/ एमटेक इन ऑटोमेशन एंड रोबोटिक्स
एमई/ एमटेक इन रोबोटिक्स इंजीनियरिंग
योग्यता
बैचलर कोर्स
फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स विषय के साथ 12वीं पास करने वाले छात्र रोबोटिक इंजीनियरिंग के बीई या बीटेक कोर्स में दाखिला ले सकते हैं। चार वर्षीय इस कोर्स में प्रवेश परीक्षा के जरिए दाखिला होता है।
शैक्षणिक सत्र 2013-14 के लिए जेईई(मेंस) और जेईई (एडवांस) को प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश का अधार बनाया गया है। जेईई(मेंस) की मेरिट सूची से तमाम राजकीय (एनआईटी, ट्रिपलआईटी आदि) और निजी क्षेत्र के इंजीनियरिंग संस्थान अपनी सीटें भरेंगे। वहीं, आईआईटी की इंजीनियरिंग सीटें जेईई मेंस और एडवांस परीक्षा के आधार पर भरी जाएंगी। इन परीक्षाओं में 12वीं के अंकों को भी वरीयता दी गई है।
मास्टर्स कोर्स
रोबोटिक्स, कंप्यूटर साइंस, मेकेनिकल या इंस्ट्रूमेंटेशन आदि इंजीनियरिंग शाखाओं में बैचलर डिग्री कोर्स पास करने के बाद मास्टर कोर्स में दाखिला लिया जा सकता है। मास्टर कोर्स संचालित करने वाले इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश गेट स्कोर के आधार पर
होता है।
किन क्षेत्रों में मिलेगी नौकरी
डीआरडीओ, हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड और इसरो सरीखे सरकारी संगठनों में काम करने के अलावा रोबोटिक्स क्षेत्र में निर्माण और शोध गतिविधियों में लगी निजी कंपनियों में भी नौकरी के काफी अवसर हैं। टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स, कूका रोबोटिक्स, हाई-टेक रोबोटिक सिस्टम्स लिमिटेड और पेरी लिमिटेड सहित देश में कई निजी रोबोटिक्स कंपनियां हैं, जो हर साल रोबोटिक्स पेशेवरों को नियुक्त करती हैं। इस क्षेत्र में छात्रों की रुचि बढ़ने पर इंजीनियरिंग शिक्षण संस्थानों में भी रोबोटिक्स इंजीनियरिंग की ब्रांच शुरू हो रही है, इसलिए लेक्चरर के रूप में काम करने के भी अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं।
वेतन
रोबोटिक्स इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री धारकों को शुरुआत में 30 से 35 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन पर निजी कंपनियां नियुक्त करती हैं। मास्टर्स कोर्स करने या अनुभव बढ़ने के बाद इसमें आसानी से पच्चीस फीसदी का इजाफा हो जाता है। सरकारी क्षेत्र के शोध संस्थानों में नियुक्ति मिलने पर मासिक वेतन के साथ-साथ कई प्रकार के भत्तों का भी लाभ मिलता है।
आगे जानें स्पेशलाइजेशन के विषयों के बारे में
स्पेशलाइजेशन के विषय
ऑटोमेशन, ऋ माइक्रो-रोबोटिक्स,
बायो-साइबरनेटिक्स, ऋ मेडिकल रोबोटिक्स
सिग्नल प्रोसेसिंग, ऋ रोबोट मेनिपुलेटर्स
डिजाइन एंड कंट्रोल, ऋ रोबोट मोशन प्लानिंग
कंप्यूटेशनल जियोमेट्री, ऋ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऋ कंप्यूटर एडेड मैनुफैक्चरिंग,
कंप्यूटर इंटीग्रेटेड मैनुफैक्चरिंग सिस्टम
डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स एंड माइक्रो-प्रोसेसर्स
प्रमुख संस्थान
कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पुणे
आईआईटी-बॉम्बे, चेन्नई, दिल्ली, कानपुर
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु
जादवपुर यूनिवर्सिटी, कोलकाता
बिट्स, पिलानी
ओस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बीएचयू, वाराणसी
दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
एमएस यूनिवर्सिटी, वडोदरा
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