Sunday, July 25, 2021

वाणिज्य में स्नातक

 वाणिज्य क्षेत्र में एक मात्र स्नातक की डिग्री पर्याप्त नहीं है। आपको बेहतर पद प्राप्त करने के लिए, व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में स्नातकोत्तर या फिर एक विशेष पाठ्यक्रम करने की आवश्यकता होती है। बैंकिंग और वित्त, शेयर बाजार, बीमा, पूँजी बाजार, वित्तीय नियोजन, इक्विटी अनुसंधान, लेखांकन, आदि जैसे लाभपूर्ण व्यवसाय विभिन्न क्षेत्रों में हैं। हालांकि, समस्या यह है कि जब वाणिज्य क्षेत्र में इतने सारे पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं, तो सबसे अच्छी नौकरी को प्राप्त करने के लिए किस पाठ्यक्रम को चुनें।

यहाँ, हम वाणिज्य में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद सर्वश्रेष्ठ नौकरियों पर आधारित पाठ्यक्रमों की सूची नीचे दे रहे हैं:

रेगुलर स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम

वाणिज्य में स्नातकोत्तर (एम.कॉम): बीकॉम को पूरा करने के बाद ज्यादातर छात्र एम.कॉम या वाणिज्य में स्नातकोत्तर करना पसंद करते हैं। यह 2 वर्ष का पाठ्यक्रम होता है जिसमें छात्र लेखांकन, वित्त, व्यापारिक अध्ययन, सांख्यिकी, कराधान, अर्थशास्त्र, विपणन और प्रबंधन इत्यादि जैसे विषयों को विशेषज्ञता के लिए चुनते हैं। एआईसीटीई द्वारा अनुमोदित कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से एम.कॉम की डिग्री प्राप्त करना चाहिए और यह डिग्री सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त होनी चाहिए।

नौकरी की संभावना: एम.कॉम के छात्र परिवीक्षाधीन अधिकारी या ग्राहक संबंधी कार्यकारी के रूप में राष्ट्रीयकृत बैंकों में शामिल हो सकते हैं। इसके साथ ही सार्वजनिक या निजी क्षेत्रों के उपक्रमों के रूप में कानून समिति सहायक, संबंध प्रबंधक, लेखपाल, विक्रय अधिकारी (लेखा); बीमा कंपनियों, क्रेडिट अधिकारी, वित्तीय विश्लेषक या ऋण अधिकारी के रूप में नौकरी पा सकते हैं।

व्यापार प्रबंधन (एमबीए) में परास्नातक: एमबीए पाठ्यक्रम को बी.कॉम के बाद कर सकते हैं, जो एक लोकप्रिय नौकरी उन्मुख पाठ्यक्रम है। यह एक दो साल का पाठ्यक्रम है और किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक छात्र इस कोर्स के लिए पात्र है। हालांकि, उन्हें एमबीए के संस्थान में प्रवेश पाने के लिए अपनी प्रवेश परीक्षा, समूह चर्चा और साक्षात्कार को पार करना होगा। बी.कॉम स्नातक को बेहतर रोजगार की संभावनाओं के लिए विपणन प्रबंधन, वित्तीय प्रबंधन, मानव संसाधन प्रबंधन, बैंकिंग और बीमा प्रबंधन, योजना प्रबंधन में विशेषज्ञता का विकल्प चुनना चाहिए।

प्रबंधन में परास्नातक: यह पाठ्यक्रम उन छात्रों के लिए एक विकल्प प्रदान करता है जो एमबीए की डिग्री प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं लेकिन अभी भी प्रबंधन की बारीकियों को सीखना चाह रहे हैं। प्रबंधन में परास्नातक आमतौर पर 2 साल का कोर्स है, यह पाठ्यक्रम व्यवसाय के विशिष्ट क्षेत्रों जैसे लेखांकन या विपणन (मार्केटिंग) को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है। यह पाठ्यक्रम देश भर के कई प्रतिष्ठित कॉलेजों में उपलब्ध है।

बी.कॉम के बाद के लोकप्रिय पाठ्यक्रम

सी.ए या सी.एस या आई.सी.डब्ल्यू.ए: (सी.ए) चार्टर्ड अकाउंटेंसी, (सी.एस) कंपनी सेक्रेटरी, (सी.डब्ल्यू.ए) कॉस्ट एंड वर्क अकाउंटेंसी हमेशा आकर्षक नौकरियों की तलाश करने वाले वाणिज्य छात्रों के लोकप्रिय पाठ्यक्रम हैं। प्रत्येक पाठ्यक्रम तीन अलग-अलग संस्थाओं द्वारा चलाया जाता है जिनमें से एक चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) द इंस्टीटयूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई), दूसरा इंस्टीटयूट ऑफ कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीडब्ल्यूएआई) और तीसरा कंपनी के सचिवों द्वारा द इंस्टीटयूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया (सीडब्ल्यूए) है।

पात्रता की शर्तें: एक छात्र को आईसीएआई में दाखिला लेने के लिए 55% अंकों के साथ बी.कॉम में स्नातक होना चाहिए और तीन साल का प्रशिक्षण पूर्ण होना चाहिए। छात्र या छात्राओं को 2 सप्ताह का सामान्य प्रबंधन और संचार कौशल पाठ्यक्रम करना चाहिए। सीडब्ल्यूए एक बहु-प्रवेश पाठ्यक्रम है और इस पाठ्यक्रम को पूरा करने में कम से कम तीन साल लग सकते हैं, बशर्ते छात्र प्रत्येक चरण की परीक्षा उत्तीर्ण कर सके। सी.एस पाठ्यक्रम में तीन, फाउंडेशन, एक्जिक्यूटिव और प्रोफेशनल खंड होते हैं। फाउंडेशन पाठ्यक्रम के लिए, पात्रता मानदंड 10+2 और एक स्नातक की डिग्री आवश्यक है। फाउंडेशन पाठ्यक्रम की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ही उम्मीदवार एक्जिक्यूटिव के लिए आवेदन कर सकता है।

नौकरी की संभावनाएँ: इन पाठ्यक्रमों को पूरा करने के बाद वित्तीय संस्थानों, सरकारी विभागों, सार्वजनिक क्षेत्रों और निजी बैंकों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, बीमा कंपनियों, बहुराष्ट्रीय कंपनियों, निवेश कंपनियों में तुरंत अपनी जीविका की शुरूआत कर सकते हैं। हालांकि, चार्टर्ड अकाउंटेंट की नौकरी की संभावना दूसरे दो पाठ्यक्रमों की तुलना में हमेशा अधिक होती है।

शीर्ष उभरते हुए पाठ्यक्रम

प्रमाणित बैंक प्रबंधक कार्यक्रम: यह बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं, धन, बैंकिंग कानूनों और विनियमों, कोषागार, ऋण, जोखिम प्रबंधन और बैंकिंग रणनीति के क्षेत्रों में नौकरी प्रदान करने वाला 2 वर्ष का पाठ्यक्रम है। ये पाठ्यक्रम बैंक प्रबंधन और अनुसंधान संस्थान (आईबीएम), हैदराबाद द्वारा किए जा सकते हैं।

बैंकिंग और सेवाओं (डी.बी.एफ.एस) में डिप्लोमा: यह इंस्टीट्यूट ऑफ फाईनेंस, बैंकिंग एंड इंश्योरेंस (आई.एफ.बी.आई), मुंबई द्वारा दिया जाने वाला 2 वर्षीय डिप्लोमा है। किसी भी विषय का स्नातक छात्र न्यूनतम 50% अंकों के साथ इस पाठ्यक्रम के लिए व्यक्तिगत साक्षात्कार दे सकता है।

सर्टिफाइड़ फाइनेंशियल प्लानर्स: विभिन्न संस्थानों द्वारा प्रमाणित पाठ्यक्रम (6 महीने से 1वर्ष) वित्तीय योजना अकादमी (एफपीए) मुंबई, बीएलबी इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशल मार्केट्स (बीआईएफएम), दिल्ली या एनसीआर और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल प्लानिंग (आईआईएफपी) मुंबई आदि संस्थान इस पाठ्यक्रम का प्रस्तुतीकरण करते हैं। किसी भी विषय में स्नातक के साथ-साथ परास्नातक और कार्यकारी व्यवसाई इस पाठ्यक्रम को कर सकते हैं। यह वित्तीय नियोजन, बीमा और जोखिम प्रबंधन, निवेश योजना, कर योजना में विशेषज्ञता के साथ सीएफपी प्रमाणीकरण छात्रों के लिए रोजगार के कई अवसर प्रदान करता है।


प्रोजेक्ट फाइनेंस इन सार्टिफिकेट कोर्सः प्रोजेक्ट फाइनेंस में प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम भारत में दो संस्थानों भारतीय बैंकिंग और वित्त संस्थान (आईआईबीएफ) और वित्तीय प्रबंधन और अनुसंधान संस्थान (आईएफएमआर) द्वारा चलाया जाता है। यह परियोजना मूल्यांकन, उधार, वित्तपोषण आदि के क्षेत्र में उन्नत कौशल और व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करती है।

क्रिसिल सर्टीफाइड़ एनालाइस्ट प्रोग्राम (सी.सी.ए.पी): इस पाठ्यक्रम की अवधि दो साल की होती है, यह पाठ्यक्रम कार्य के संयोजन, नौकरी से सम्बंधित कार्य और पारस्परिक संगोष्ठी का संयोजन, देश के अग्रणी अनुसंधान, दर-निर्धारण, जोखिम और नीति सलाहकार कंपनी क्रिसिल द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। कम से कम 50%अंकों के साथ स्नातक हो और कैट, जीएटी या क्रिसिल योग्यता परीक्षण पाठ्यक्रम के पात्र हो। यह कोर्स छात्रों को असाधारण वित्तीय और व्यावसायिक कौशल प्राप्त करने में मदद करता है।

वाणिज्य स्नातक के लिए अंतर्राष्ट्रीय पाठ्यक्रमयदि आप वैश्विक या शीर्ष एमएनसी में काम करने की रुचि रखते हैं तो बी.कॉम के बाद अंतर्राष्ट्रीय पाठ्यक्रमों को करना आवश्यक है।

सर्टिफाईड़ मैनेजमेन्ट अकाउन्टेन्ट (सी.एम.ए): एक छात्र को सी.एम.ए बनने के लिए दो परीक्षाओं में उत्तीर्ण होना पड़ता है। यह पाठ्यक्रम प्रबंधन लेखाकार संस्थान (आई.एम.ए), अमेरिका द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। इस कोर्स में विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है जैसे कि वित्तीय नियोजन, विश्लेषण, नियंत्रण, निर्णय समर्थन और पेशेवर नैतिकता जो कि विदेशों में अच्छी नौकरी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

सर्टिफाईड़ पब्लिक अकाउन्टेन्ट (सी.पी.ए): इस पाठ्यक्रम को पूरे विश्व की लेखाविधि में सर्वोच्च स्तर का दर्जा दिया जाता है और यह भारतीय सी.ए की योग्यता के बराबर है। अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ सर्टिफाईड पब्लिक अकाउंटेंट्स (ए.आई.सीपीए), दुनिया का सबसे बड़ा लेखांकन निकाय पाठ्यक्रम और परीक्षा का आयोजन करता है, इस पाठ्यक्रम को पूरा करने के बाद, अमेरिकी इंटरनेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग स्टैंडर्ड (आई.एफ.आर.एस), आमतौर पर, स्वीकार्य लेखा सिद्धांत (जी.एए.पी) और अमेरिकी संघीय कराधान और व्यवसाय कानून आदि का ज्ञान मिलता है।

एसोसिएशन ऑफ चार्टर्ड सर्टिफाइड एकाउंटेंट्स (ए.सी.सी.ए): ए.सी.सी.ए योग्यता के साथ एक चार्टर्ड प्रमाणित अकाउंटेंट, बैंकिंग, प्रबंधन, लेखा और परामर्श के क्षेत्र में सफल अजीविका के दरवाजे खोलता है। हालांकि यह सी.ए के समान है, आई.एफ.आर.एस और कानून और यूके जी.एए.पी का ज्ञान सी.ए से बेहतर माना जाता है। आपको ए.सी.सी.ए पाठ्यक्रम में दाखिला लेने के लिए 14 परीक्षाओं को उत्तीर्ण करना पड़ेगा।

Saturday, July 24, 2021

ऑप्टोमेट्रिस्ट के रूप में करियर

साइंस से 12वीं करने वाले छात्रों के बीच इंजीनियरिंग और मेडिकल में करियर बनाना काफी लोकप्रिय विकल्प है।मेडिकल के क्षेत्र में कई विकल्प होते हैं। कई लोकप्रिय और अच्छे विकल्पों में से एक विकल्प आंखों के डॉक्टर बनने का भी है।हम आपको आज इस लेख में 12वीं के बाद आंखों के डॉक्टर कैसे बने, ये बताएंगे।

कौन होते है ऑप्टोमेट्रिस्ट?

ऑप्टोमेट्री कोर्स करने के बाद आप आंखों के स्पेशलिस्ट यानी ऑप्टोमेट्रिस्ट बन जाते हैं।जी हां, ऑप्टोमेट्री कोर्स आंखों के डॉक्टर बनने के लिए होता है। ऑप्टोमेट्री एक हेल्थकेयर प्रोफेशन है, जो आंखों की देखभाल, दृष्टि और दृश्य प्रणाली पर केंद्रित है।एक ऑप्टोमेट्रिस्ट लोगों के देखने के लेंस को सही करने, चश्मा लगाने और आंखों की बीमारी का इलाज करने में सक्षम होता है।

प्राप्त करें ये डिग्री

फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी से 12वीं करने के बाद उम्मीदवारों को पहले MBBS डिर्गी प्राप्त करनी होगी। उसके लिए उम्मीदवार AIIMS, NEET आदि प्रेवश परीक्षा में भाग ले सकते हैं।MBBS करने के बाद उम्मीदवारों को ऑप्टोमेट्री में MS/MD का डिग्री प्राप्त करनी होगी। इसके साथ ही आप मास्टर इन ऑप्टोमेट्री (M.Sc) और बैचलर इन ऑप्टोमेट्री (B.Sc) भी कर सकते हैं।साथ ही आप ऑप्टोमेट्री में डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं।

क्या है स्कोप?

योग्य ऑप्टोमेट्रिस्ट के पास नौकरी के कई अवसर उपलब्ध होते हैं। आप अस्पतालों के नेत्र विभाग में काम कर सकते हैं, तो कोई ऑप्टोमेट्रिस्ट के अधीन काम कर सकते हैं।इसके साथ ही एक ऑप्टोमेट्रिस्ट अपना खुद का क्लीनिक भी खोल सकते हैं।इनके बीच एक और लोकप्रिय करियर विकल्प अपनी ऑप्टिकल दुकान खोलने का है।ऑप्टोमेट्रिस्ट लेंस और नेत्र उपकरणों को बनाने के लिए एक स्थापित ऑप्टिकल फर्मों के लिए भी काम कर सकते हैं।

इस प्रसिद्ध कॉलेजों में ले प्रवेश

किसी भी क्षेत्र में एक अच्छा करियर बनाने के लिए आपको एक अच्छे कॉलेज में प्रवेश लेना चाहिए। आप कॉलेज में रहकर ही सारी चीजें सीखते हैं और एक अच्छा ऑप्टोमेट्रिस्ट बनने के लिए सही स्किल्स का होना जरुरी है।ऑप्टोमेट्रिस्ट बनने के लिए कुछ टॉप कॉलेजों में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (LPU) जालंधर, NIMS यूनिवर्सिटी जयपुर, नोएडा अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय (NIU) नोएडा, JIPMER, पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय रोहतक शामिल हैं

Thursday, July 22, 2021

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में भविष्य

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सेक्टर का तेजी से विस्तार हो रहा है। गार्टनर की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 तक इस क्षेत्र में करीब 23 लाख नई नौकरियां सामने आएंगी। ऐसे में यदि आपका मैथमेटिक्स स्ट्रॉन्ग है और आप इनोवेटिव हैं तो यह क्षेत्र बेहतरीन हो सकता है। जानिए, इस शानदार करियर के बारे में। एक दशक पहले तक जब कोई कहता कि रोबोट आपके घर की सफाई कर सकते हैं, आपके कार की सफाई कर सकते हैं, तो हमें यह कोरी कल्पना लगता था। लेकिन आज यही रोबोट बड़ी-बड़ी मशीनें चलाने से लेकर रेस्टोरेंट में लोगों को खाना तक परोस रहे हैं। असल में ये रोबोट जिन प्रोग्राम्स की मदद से इंसानों की तरह काम करते हैं, उसे ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) कहते हैं। इस तकनीक ने काम को आसान करने के साथ-साथ करियर के नए द्वार भी खोल दिए हैं। यही कारण है कि ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंजीनियरों की मांग तेजी से बढ़ रही है।
नेचर ऑफ वर्क 
एआई, इंजीनियरिंग का ही एडवांस ब्रांच है, जिसके अंतर्गत रोबोट की डिजाइनिंग, उनकी प्रोग्रामिंग, नए एप्लिकेशन के विकास और रिसर्च जैसे काम शामिल हैं। ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंजीनियरिंग के तहत रोबोट्स के विकास और इसके इस्तेमाल करने की टेक्निक सिखाई जाती है। साथ ही, इसमें डिजाइन इंस्ट्रक्शन, ऑपरेशन टेस्टिंग, सिस्टम मेंटिनेंस और रिपेयरिंग जैसे बातें भी बताई जाती हैं। करियर प्रॉस्पेक्ट्स इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रोबोटिक्स की हाल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2020 तक दुनिया भर की फैक्ट्रियों में करीब 1.7 मिलियन इंडस्ट्रियल रोबोट इंस्टॉल किए जाएंगे। रिपोर्ट की मानें, तो सर्विस रोबोट की बिक्री में भी करीब 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
जाहिर है, आने वाला दौर तकनीक और इनोवेशन का ही है। वैसे भी, अगर देखें तो रोबोट का इस्तेमाल आज तकरीबन हर फील्ड में होने लगा है। आज चाहे मेडिकल डायग्नोसिस का फील्ड हो, स्टॉक ट्रेडिंग हो, स्मार्ट हथियारों की मैन्युफेक्चरिंग का काम हो या फिर रिमोट सेंसिंग जैसा कोई अन्य फील्ड, सभी जगह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की डिमांड है। अब मोबाइल के क्षेत्र में भी इस तकनीक का उपयोग बढ़ता जा रहा है। कोर्सेस-एलिजिबिलिटी ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में कोर्स करने के लिए कंप्यूटर साइंस, आईटी, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और इंस्ट्रूमेंटेशन में डिग्री होना आवश्यक है। क्योंकि इसी के बाद एआई से जुड़े कुछ स्पेशलाइजेशन वाले कोर्स, जैसे-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, एडवांस्ड रोबोटिक्स सिस्टम, मशीन लर्निंग आदि कर सकते हैं।
देश में इस तरह के कोर्स कई इंजीनियरिंग कॉलेज ऑफर कर रहे हैं। इसी में आगे चलकर आप पीएचडी भी कर सकते हैं। ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में ही अलग-अलग स्पेशलाइजेशन एरिया हैं, जैसे-यदि डिजाइनिंग और कंट्रोल में स्पेशलाइजेशन करना चाहते हैं तो मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री होनी चाहिए। इसी तरह कंट्रोल और हार्डवेयर डिजाइनिंग में स्पेशलाइजेशन करने के लिए इलेक्ट्रिकल या इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक डिग्री फायदेमंद साबित होती है। कुल मिलाकर इस फील्ड में करियर बनाने की इच्छा रखने वाले स्टूडेंट्स का मैथ स्ट्रॉन्ग होना जरूरी है।

जॉब ऑपर्च्युनिटी ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में डिग्री हासिल करने के बाद युवाओं के लिए इस क्षेत्र में गेम प्रोग्रामर, रोबोटिक साइंटिस्ट या फेस रिकग्निशन सॉफ्टवेयर डेवलपर के रूप में कई तरह के करियर स्कोप हैं। ऐसे प्रोफेशनल सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों की कंपनियों में नौकरी पा सकते हैं, जैसे-भेल, बीएआरसी और सीएसआइआर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनुभवी लोगों को अपने यहां नियुक्त करती हैं। इंटेल सरीखी माइक्रोचिप मैन्युफेक्चरिंग कंपनियों में बतौर रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्पेशलिस्ट के तौर पर अपने लिए जॉब तलाश सकते हैं। इसके अलावा, इसरो और नासा में भी रोबोटिक्स के स्पेशलिस्ट की नियुक्तियां की जाती हैं। इसी तरह, मैन्युफेक्चरिंग, एग्रीकल्चर, माइनिंग, एटॉमिक एनर्जी प्लांट जैसे अन्य फील्ड में भी जॉब के काफी अवसर मौजूद हैं। पूरी दुनिया में ऐसे प्रोफेशनल्स की काफी डिमांड है, जिसके आने वाले दिनों में तेजी से बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। यह भी पढ़ेंः ऑफिस में तरक्की पाने के 5 अचूक उपाए अर्निंग अनलिमिटेड ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में डिग्री प्राप्त करने के बाद एक प्रोफेशनल के तौर पर शुरुआती वेतन 50 हजार रुपए से लेकर 1 लाख रुपए प्रतिमाह तक हो सकता है। अगर आप मल्टीनेशनल कंपनी में ज्वॉइन करते हैं तो वहां आपको और अच्छा पैकेज मिल सकता है। एआई के जानकारों की मांग इन दिनों देश और दुनिया की बड़ी आईटी कंपनियों (जैसे-फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम, एपल, टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो, टेक महिंद्रा, एचसीएल आदि) में भी है। प्रमुख संस्थान आईआईएससी, बेंगलुरु वेबसाइट- www.iisc.ernet.in आईआईटी, विभिन्न केंद्र वेबसाइट- www.iit.ac.in एनएसआईटी, नई दिल्ली वेबसाइट- www.nsit.ac.in बिट्स, पिलानी वेबसाइट- www. bits-pilani.ac.in एक्सपर्ट व्यू दिवाकर वैश्य फाउंडर, ए-सेट रोबोटिक्स बढ़ रही है एआई एक्सपर्ट्स की मांग यह एक ऐसा राइजिंग फील्ड है, जिसमें अभी आप जितनी जल्दी आ जाएंगे उतना ज्यादा आगे सफल हो सकते हैं। क्योंकि एआई आज सिर्फ रोबोट तक ही सीमित नहीं है। अब मैन्युफेक्चरिंग और ई-कॉमर्स कंपनियों में भी इनका अहम रोल देखा जा सकता है, जो हमें यह तक बता रहे हैं कि हमें क्या खरीदना चाहिए। यह निश्चित है कि आने वाले समय में इनकी भूमिका तेजी से बढ़ेगी। अगले 10 साल के अंदर आप अपने आस-पास रोबोट देखेंगे। हर एक फील्ड में रोबोटिक की जरूरत पड़ेगी। हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक्स के अलावा मेडिकल साइंस, फिजिक्स, साइकोलॉजी जैसे दूसरे फील्ड के लोगों की भी आवश्यकता होगी

Tuesday, July 20, 2021

रोबोटिक इंजीनियर

क्या है रोबोटिक्स इंजीनियरिंग

मेकेनिकल इंजीनियरिंग की उप-शाखा के रूप में रोबोटिक्स इंजीनियरिंग को शुरुआती पहचान मिली लेकिन अब इंजीनियरिंग की दुनिया में इस विधा का अलग मुकाम है। इसके जरिए स्वचालित (ऑटोमेटिक) मशीनों के विकास पर काम किया जाता है, जो इंसानों जैसी कार्यक्षमता के साथ उनके काम कर सके। ऐसी मशीनों के निर्माण का ध्येय जोखिमभरे कामों से इंसानों को बचाना है। रोबोटिक्स इंजीनियरिंग में रोबोट की डिजाइनिंग, निर्माण और उसकी संचालन तकनीक के विकास पर काम किया जाता है। रोबोट के संचालन के लिए एक कंप्यूटरीकृत नियंत्रण तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, जो सेंसर और इंफॉर्मेशन प्रोसेसर के तालमेल पर आधारित होता है। कंप्यूटर आधारित यह तकनीक जितनी उन्नत होगी, रोबोट की कार्यक्षमता उतनी ही ज्यादा होगी।
रोबोटिक इंजीनियरिंग के क्षेत्र में हुए शोध कार्यों और विकास ने रोबोट की उपयोगिता को काफी बढ़ा दिया है। रक्षा संबंधी गतिविधियों, चिकित्सकीय कार्यों और व्यावसायिक जरूरतों में रोबोट का इस्तेमाल आम हो चुका है। 
इंजीनियर का काम
रोबोट को डिजाइन करना और उनके लिए कंप्यूटरीकृत एप्लीकेशन विकसित करना रोबोटिक इंजीनियर का प्रमुख काम होता है। इस काम में उन्हें लोगों/ उद्यमों (जिन्हें रोबोट की जरूरत हो) की आवश्यकता का ध्यान रखना पड़ता है। यह आवश्यकता ही रोबोट के डिजाइन, सेंसर, प्रोसेसर, कलपुर्जों के पदार्थ और आकार का निर्धारण करती है। इसके अलावा इंजीनियर को रोबोट में लगे इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों का निरीक्षण, रोबोट का परीक्षण और उसकी तकनीक संबंधी खामियों का पता लगाना होता है। वह रोबोट को डिस्असेंबल/ रिअसेंबल करने के साथ ही टेक्नीशियन को रोबोट की सर्विसिंग के लिए प्रशिक्षित करते हैं।

प्रमुख कोर्स

प्रमुख कोर्स
डिप्लोमा इन रोबोटिक्स
बीई इन रोबोटिक्स इंजीनियरिंग
बीटेक इन रोबोटिक्स
बीई इन एडवांस्ड रोबोटिक्स
बीई इन रोबोटिक्स एंड ऑटोमेशन इंजीनियरिंग
बीटेक इन मेकेट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग
एमई/ एमटेक इन ऑटोमेशन एंड रोबोटिक्स
एमई/ एमटेक इन रोबोटिक्स इंजीनियरिंग
योग्यता
बैचलर कोर्स

फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स विषय के साथ 12वीं पास करने वाले छात्र रोबोटिक इंजीनियरिंग के बीई या बीटेक कोर्स में दाखिला ले सकते हैं। चार वर्षीय इस कोर्स में प्रवेश परीक्षा के जरिए दाखिला होता है। 
शैक्षणिक सत्र 2013-14 के लिए जेईई(मेंस) और जेईई (एडवांस) को प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश का अधार बनाया गया है। जेईई(मेंस) की मेरिट सूची से तमाम राजकीय (एनआईटी, ट्रिपलआईटी आदि) और निजी क्षेत्र के इंजीनियरिंग संस्थान अपनी सीटें भरेंगे। वहीं, आईआईटी की इंजीनियरिंग सीटें जेईई मेंस और एडवांस परीक्षा के आधार पर भरी जाएंगी। इन परीक्षाओं में 12वीं के अंकों को भी वरीयता दी गई है।
मास्टर्स कोर्स
रोबोटिक्स, कंप्यूटर साइंस, मेकेनिकल या इंस्ट्रूमेंटेशन आदि इंजीनियरिंग शाखाओं में बैचलर डिग्री कोर्स पास करने के बाद मास्टर कोर्स में दाखिला लिया जा सकता है। मास्टर कोर्स संचालित करने वाले इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश गेट स्कोर के आधार पर 
होता है।

किन क्षेत्रों में मिलेगी नौकरी 

डीआरडीओ, हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड और इसरो सरीखे सरकारी संगठनों में काम करने के अलावा रोबोटिक्स क्षेत्र में निर्माण और शोध गतिविधियों में लगी निजी कंपनियों में भी नौकरी के काफी अवसर हैं। टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स, कूका रोबोटिक्स, हाई-टेक   रोबोटिक सिस्टम्स लिमिटेड और पेरी लिमिटेड सहित देश में कई निजी रोबोटिक्स कंपनियां हैं, जो हर साल रोबोटिक्स पेशेवरों को नियुक्त करती हैं। इस क्षेत्र में छात्रों की रुचि बढ़ने पर इंजीनियरिंग शिक्षण संस्थानों में भी  रोबोटिक्स इंजीनियरिंग की ब्रांच शुरू हो रही है, इसलिए लेक्चरर के रूप में काम करने के भी अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं।
वेतन
रोबोटिक्स इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री धारकों को शुरुआत में 30 से 35 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन पर निजी कंपनियां नियुक्त करती हैं। मास्टर्स कोर्स करने या अनुभव बढ़ने के बाद इसमें आसानी से पच्चीस फीसदी का इजाफा हो जाता है। सरकारी क्षेत्र के शोध संस्थानों में नियुक्ति मिलने पर मासिक वेतन के साथ-साथ कई प्रकार के भत्तों का भी लाभ मिलता है। 
आगे जानें स्पेशलाइजेशन के विषयों के बारे में

स्पेशलाइजेशन के विषय

ऑटोमेशन, ऋ  माइक्रो-रोबोटिक्स, 
बायो-साइबरनेटिक्स, ऋ मेडिकल रोबोटिक्स
सिग्नल प्रोसेसिंग, ऋ रोबोट मेनिपुलेटर्स
डिजाइन एंड कंट्रोल, ऋ रोबोट मोशन प्लानिंग
कंप्यूटेशनल जियोमेट्री, ऋ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऋ कंप्यूटर एडेड मैनुफैक्चरिंग, 
कंप्यूटर इंटीग्रेटेड मैनुफैक्चरिंग सिस्टम 
डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स एंड माइक्रो-प्रोसेसर्स
प्रमुख संस्थान 
कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पुणे
आईआईटी-बॉम्बे, चेन्नई, दिल्ली, कानपुर
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु
जादवपुर यूनिवर्सिटी, कोलकाता
बिट्स, पिलानी
ओस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बीएचयू, वाराणसी
दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली 
एमएस यूनिवर्सिटी, वडोदरा 

Friday, July 16, 2021

एस्ट्रोनॉमी में बनाएं करियर

सरकार द्वारा अंतरिक्ष अभियानों और शोध कार्यों को प्रोत्साहित किए जाने के कारण देश में इन दिनों बड़ी संख्या में खगोलविदों और अंतरिक्ष यात्रियों की जरूरत देखी जा रही है। पिछले दिनों भारत के चांद मिशन-चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण काफी चर्चा में रहा। निकट भविष्य में स्पेस वॉर की चुनौतियों को देखते हुए आने वाले समय में इस सेक्टर में और ज्यादा संभावनाएं बढ़ने की उम्मीद हैं। ऐसे में अगर एस्ट्रोनॉमी (खगोल विज्ञान) या एस्ट्रोफिजिक्स जैसे विषयों में आपकी भी गहरी रुचि है, तो खगोल वैज्ञानिक बनने की ओर अपना कदम बढ़ा सकते हैं...

आर्यन मिश्रा की उम्र मात्र 19 साल है, लेकिन आज वह एस्ट्रोनॉमी के फील्ड में एक जाना-पहचाना नाम हैं। बचपन से ही यह फील्ड उन्हें बहुत पसंद था। वह ब्रह्मांड के रहस्यों को जानने के लिए हमेशा उत्सुक रहते थे। जब वह छोटे थे, तभी यह मन बना लिया था कि वह एस्ट्रोनॉमी में ही करियर बनाएंगे। लेकिन यह राह उनके लिए इतनी आसान नहीं थी। आर्यन के माता-पिता को यह फील्ड बिल्कुल भी पसंद नहीं था। उन्हें यह अप्रचलित फील्ड लगता था। इसलिए वे चाहते थे कि वह किसी और फील्ड में अपना करियर बनाएं।

आर्यन ने मन ही मन इसी फील्ड में आगे बढ़ने की ठान ली। खुद से खगोलीय घटनाओं को जानने-समझने लगे। धीरे-धीरे उन्हें इस फील्ड का इतना नॉलेज हो गया कि आज उन्हें आइआइटी समेत विभिन्न कॉलेजों में एस्ट्रोनॉमी पर व्याख्यान के लिए बुलाया जाता है। इसके अलावा, वह ‘स्पार्क एस्ट्रोनॉमी’ नाम से अपना एक स्टार्टअप भी चला रहे हैं, ताकि अधिक से अधिक स्टूडेंट्स-युवाओं को अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति प्रेरित-प्रोत्साहित किया जा सके। वह कहते हैं, ‘आज खगोलविदों के लिए भारत में नौकरी के अवसरों की कमी नहीं है। एस्ट्रोनॉमी में पढ़ाई करने के बाद वेधशालाओं, अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों तथा विज्ञान केंद्रों में युवाओं के लिए नौकरी के काफी अवसर हैं।’

अंतरिक्ष में भारत की बादशाहत

भारत की अंतरिक्ष गतिविधियां दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैं। चांद के रहस्यों को खोजने के लिए भारत ने चंद्रयान-प्रथम के बाद पिछले दिनों श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) से भारत के दूसरे महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग कर दुनियाभर में खूब वाहवाही बटोरी। इसके साथ ही सेटेलाइट की दुनिया में भारत की बादशाहत को भी पूरे विश्व ने मान लिया है। इसरो यानी इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन भारत की सबसे बड़ी स्पेस एजेंसी है। इसका मुख्य काम ही अंतरिक्ष में शोध करना है। अभी इसरो में करीब 16 हजार से अधिक वैज्ञानिक और इंजीनियर काम करते हैं। सरकार की ओर से अधिक से अधिक अंतरिक्ष अभियानों और खगोलीय शोध कार्यों को प्रोत्साहित किए जाने के कारण देश में इन दिनों बड़ी संख्या में खगोलविदों की जरूरत है। जाहिर है आने वाले समय में इतनी संभावनाओं के बीच स्पेस सेक्टर में नौकरी के अवसरों की काफी संभावनाएं बनेंगी।

वैज्ञानिक या अंतरिक्ष यात्री बनने का मौका: आज के दौर में एक वैज्ञानिक या प्रोफेसर होना सबसे सम्मानित पेशा माना जाता है। एस्ट्रोनॉमी या एस्ट्रोफिजिक्स की पढ़ाई करने के बाद आप न सिर्फ आइंस्टीन, न्यूटन, गैलीलियो, केपलर, हबल तथा हॉकिंग जैसे महान वैज्ञानिक बन सकते हैं, बल्कि यूरी गागरिन, वैलेंटिना, नील आर्मस्ट्रांग, बज एल्ड्रिन, कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स एवं राकेश शर्मा की तरह नामी अंतरिक्ष यात्री यानी एस्ट्रोनॉमर भी बन सकते हैं। लेकिन एक अंतरिक्ष यात्री के लिए आंख, दिमाग, कान, दिल और पूरा शरीर बहुत मजबूत होना चाहिए।

इतना साहसी होना चाहिए कि जब वह अपने सामने मौत को देखें, तब भी न डरे। एक एस्ट्रोनॉमर पृथ्वी आधारित एस्ट्रोनॉमी का विशेषज्ञ भी होता है। यही वजह है कि एक हजार या लाख में से कोई एक अंतरिक्ष यात्री बन सकता है, लेकिन खगोलविद होने के लिए किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है। यह केवल आप पर निर्भर करता है।

कोर्स एवं योग्यता

एस्ट्रोनॉमी या ऑब्जर्वेशंस में करियर बनाने के लिए 10+2 के बाद बीएससी (फिजिक्स या मैथमेटिक्स) करना अच्छा रहेगा। भारत में बीएआरसी (भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर), आइआइए (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स), आरआरआइ (रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट),आइआइएससी (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस), आइआइटी (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) जैसे लगभग एक दर्जन विश्व स्तरीय संस्थानों में एस्ट्रोनॉमी तथा एस्ट्रोफिजिक्स की पढ़ाई कराई जाती है। इसके अलावा, कई इंजीनियरिंग कॉलेजों से भी यह कोर्स किया जा सकता है।

ये हैं प्रमुख संस्थान

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, बेंगलुरु

www.iiap.res.in

इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रॉनामी ऐंड एस्ट्रोफिजिक्स, पुणे

www.iucaa.ernet.in

रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट, बेंगलुरु

www.rri.res.in

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल

रिसर्च, मुंबई

www.tifr.res.in

Wednesday, July 14, 2021

मेडिसिन में कोर्सेज

मेडिसिन में कोर्सेज और उन कोर्सेज की अवधि

आमतौर पर स्टूडेंट्स 10+2 क्लास पास करने के बाद कोर मेडिकल कोर्सेज में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं. यहां उन कोर्सेज की लिस्ट दी जा रही है जो मेडिकल डिग्री प्राप्त करने के लिए स्टूडेंट्स चुन सकते हैं ताकि उनके शानदार करियर का निर्माण हो सके:  

अंडरग्रेजुएट कोर्सेज

मेडिसिन में अंडरग्रेजुएट कोर्स पूरा करने के बाद, मेडिकल डिग्री प्राप्त करने के इच्छुक छात्र को ‘एमबीबीएस डॉक्टर’ का शानदार टाइटल मिल जाता है. एमबीबीएस बैचलर ऑफ़ मेडिसिन का संक्षिप्त रूप है. एमबीबीएस कोर्स की अवधि 5 वर्ष की होती है जिसमें डिग्री प्रोग्राम पूरा करने के लिए 6 माह की ट्रेनिंग भी शामिल है.

पोस्टग्रेजुएट कोर्सेज

मेडिसिन की फील्ड में पोस्ट ग्रेजुएशन को एमडी (डॉक्टर ऑफ़ मेडिसिन) के तौर पर जाना जाता है. यह मेडिसिन की फील्ड में सुपर-स्पेशलाइजेशन है और इस कोर्स की अवधि 3 वर्ष की है.

डॉक्टोरल कोर्सेज

एमडी की डिग्री प्राप्त करने के बाद, डीएम बनने के लिए छात्र हायर स्टडीज जारी रख सकते हैं. डीएम की डिग्री पीएचडी की डिग्री के समकक्ष है. डॉक्टोरल कोर्स की अवधि 3-4 वर्ष की है. यह अवधि यूनिवर्सिटी गाइडलाइन्स के अनुसार थीसिस पूरी करने के लिए लगने वाले समय पर भी निर्भर करती है.

मेडिकल कॉलेजेस में एडमिशन कैसे लें?

किसी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन प्राप्त करने के लिए पक्के इरादे और कड़ी मेहनत की जरूरत होती है. इस प्रोफेशन के लिए आपमें न केवल प्रोफेशनल कमिटमेंट ही होनी चाहिए बल्कि, किसी रोगी का जीवन बचाने का जज्बा भी होना चाहिए. इसलिये, यह डिग्री प्राप्त करने के लिए आपको एडमिशन प्रोसेस को पूरी तरह फ़ॉलो करना चाहिए. अब हम मेडिकल कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए आवश्यक एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया और एंट्रेंस एग्जाम्स की चर्चा करते हैं. 

एलिजिबिलिटी

अंडरग्रेजुएट कोर्स

इस अंडरग्रेजुएट कोर्स को एमबीबीएस (बैचलर ऑफ़ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ़ सर्जरी) के नाम से जाना जाता है. 10+2 क्लास में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी पढ़ने वाले छात्र, जिन्हें 12 वीं क्लास में कम से कम 55% मार्क्स प्राप्त हुए हैं, एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन लेने के लिए एंट्रेंस एग्जाम देने के लिए अप्लाई कर सकते हैं.

पोस्टग्रेजुएट कोर्स

एमडी (डॉक्टर ऑफ़ मेडिसिन) की डिग्री प्राप्त करने के लिए, छात्र के पास एमबीबीएस की डिग्री और इंटर्नशिप का अनुभव अवश्य होना चाहिए.

डॉक्टोरल कोर्स

डीएम: यह एक डॉक्टरेट डिग्री है जो यूएस की कई यूनिवर्सिटीज सफल छात्रों को प्रदान करती हैं. यह डिग्री पीएचडी के समकक्ष डिग्री है. जिन डॉक्टर्स के पास एमडी की डिग्री होती है, वे यह कोर्स कर सकते हैं.

सैलरी प्रॉस्पेक्ट्स

किसी एमबीबीएस डॉक्टर को अपने करियर की शुरुआत में लगभग 3-4 लाख सैलरी मिलती है. जैसे-जैसे उनका अनुभव और नॉलेज बढ़ते जाते हैं, डॉक्टर्स की सैलरी भी बढ़ती जाती है. कुछ वर्षों के अनुभव के बाद डॉक्टर्स को काफी बढ़िया सैलरी पैकेज मिलते हैं.

एंट्रेंस एग्जाम्स

अंडरग्रेजुएट एग्जाम्स

• एमबीबीए

• एआईपीएमटी (ऑल इंडिया प्री-मेडिकल/ प्री-डेंटल टेस्ट)

• एम्स (ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंट्रेंस टेस्ट)

• जेआईपीएमईआर (जवाहर लाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च) मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट

• क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम

• बनारस हिंदू विश्वविद्यालय प्री-मेडिकल टेस्ट (बीएचयू-पीएमटी)

• अंडरग्रेजुएट स्टडीज के लिए मणिपाल विश्वविद्यालय एडमिशन टेस्ट  

पोस्टग्रेजुएट एग्जाम्स

• एआईपीजीईई (ऑल इंडिया पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम)

• डीयूपीजीएमटी (दिल्ली यूनिवर्सिटी पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम)

डॉक्टोरल कोर्स एग्जाम

• एनईईटी - एसएस

• जेआईपीएमईआर डीएम

मेडिसिन में एमबीबीएस क्या है?

मेडिकल साइंस के क्षेत्र में एमबीबीएस अंडरग्रेजुएट डिग्री या फर्स्ट प्रोफेशनल डिग्री है. एमबीबीएस कोर्सेज का लक्ष्य छात्रों को मेडिसिन की फील्ड में ट्रेंड करना है. एमबीबीएस पूरी होने पर, कोई व्यक्ति पेशेंट्स के रोगों को डायग्नोस करने के बाद उन्हें मेडिसिन्स प्रिस्क्राइब करने के योग्य बन जाता है. एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त करने के बाद व्यक्ति अपने नाम के आगे ‘डॉक्टर’ शब्द जोड़ सकता/ सकती है.

मेडिसिन कोर्स की विभिन्न स्ट्रीम्स

मेडिसिन में स्पेशलाइजेशन करने वाले छात्र, 5 वर्ष के इस कोर्स के दौरान, विभिन्न फ़ील्ड्स के बारे में नॉलेज प्राप्त करते हैं. कुछ स्पेशलाइजेशन्स के बारे में जानकारी निम्नलिखित है:

ह्यूमन एनाटोमी

यह मेडिसिन के तहत पढ़ाया जाने वाला एक बेसिक सब्जेक्ट है. यह एनाटोमी विषय से संबंधित है जिसके तहत मानव शरीर की मैक्रोस्कोपिक और माइक्रोस्कोपिक एनाटोमी शामिल है.

बायोकेमिस्ट्री

मेडिसिन की यह ब्रांच मानव शरीर के अंदर होने वाली केमिकल प्रोसेस से संबद्ध है. इसके साथ ही यह मानव अंगों पर केमिकल प्रोसेसेस के प्रभाव को समझने पर फोकस करती है.

ऑर्थोपेडिक्स

यह स्पेशलाइजेशन आपके शरीर के हाड-पिंजर या मस्क्यूलोस्केलेटल सिस्टम की बीमारियों और जख्मों से संबंधित है. एमबीबीएस करने वाले छात्र बाद में इस विषय में एमडी भी कर सकते हैं.

रेडियोथेरेपी

इस विषय का फोकस एरिया एक्स-रेज़, गामा रेज़, इलेक्ट्रान बीम्स या प्रोटोन्स के बारे में जानकारी देना है ताकि मानव शरीर में कैंसर सेल्स जैसे विकारों को कम या समाप्त किया जा सके.

ऑपथैल्मोलॉजी

इस सब्जेक्ट में आप आंख की रचना और उसके काम करने के तरीकों के बारे में पढ़ते हैं. इस विषय में आंखों की विभिन्न बीमारियों और उनके इलाज के बारे में भी काफी जानकारी दी जाती है.

अनेस्थेसियोलॉजी

अनेस्थेसियोलॉजी विषय में आपको चेतना के साथ या चेतना के बिना अर्थात होश में या बेहोश करके, पूरे शरीर या शरीर के किसी अंग में दर्द महसूस होने या न होने के बारे में जानकारी दी जाती है ताकि पेशेंट्स के मेजर/ माइनर ऑपरेशन्स किये जा सकें. इसलिए, इस विषय को आपको बड़े ध्यान से पढ़ना होगा.

ह्यूमन फिजियोलॉजी

ह्यूमन फिजियोलॉजी विषय मनुष्यों पर मैकेनिकल, फिजिकल, बायोइलेक्ट्रिकल या बायोकेमिकल फंक्शन्स के प्रभाव के बारे में जानकारी देता है. 

मेडिसिन ग्रेजुएट्स को अन्य कई विषय पढ़ाए जाते हैं. एमडी जैसी हायर स्टडीज में छात्र इनमें से किसी एक विषय में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं.

एमबीबीएस (मेडिसिन) डिग्री का स्कोप

चाहे वह कोई प्राइवेट या गवर्नमेंट सेक्टर हो, किसी भी एमबीबीएस डॉक्टर का विशेष महत्व होता है. बहुत बढ़िया सैलरी पैकेज मिलने के साथ ही डॉक्टर्स को अपने स्किल्स की वजह से सम्मान और विशेष पहचान मिलती है. भारत में निरंतर विकास हो रहा है और हेल्थ केयर फैसिलिटीज की तरफ खास ध्यान दिया जा रहा है. देश भर में हेलिकॉप्टर्स के जरिये दी जाने वाली ‘एयर डिस्पेंसरी’ जैसी सर्विसेज, गांव के लोगों की हेल्थ में सुधार लाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर टीकाकरण प्रोग्राम्स, नेशनल न्यूट्रीशन मिशन (एनएनएम) और अन्य कई विकास कार्यों ने ऐसे डॉक्टर्स का महत्व काफी बढ़ा दिया है जो हॉस्पिटल की चारदीवारी से बाहर निकलकर काम करना चाहते हैं.

इसलिये यहां उन इंडस्ट्रीज और फ़ील्ड्स की लिस्ट पेश है जिसमें कोई मेडिसिन डॉक्टर अपनी रूचि के अनुसार काम कर सकता/ सकती है.

हॉस्पिटल्स

ये वे स्थान होते हैं जहां पर सभी बीमार लोग अपने रोगों और तकलीफों का इलाज करवाने के लिए डॉक्टर्स के पास आते हैं.

फार्मास्यूटिकल और मेडिकल कंपनी

रिसर्चर्स और विशेष रूप से मेडिसिन डॉक्टर्स मेडिकल कंपनियों में आपना शानदार करियर बना सकते हैं. आजकल सिप्ला, रन्बेक्सी, ग्लेक्सो स्मिथ क्लिन जैसी मशहूर और अन्य कई कंपनियां बीमारियों को रोकने या बीमारियों से बचने के लिए मेडिसिन इन्वेंट करने के लिए लाखों डॉलर्स इंवेस्ट करती हैं.

मेडिकल कॉलेजेस

मेडिसिन डॉक्टर्स टीचिंग में भी अपना करियर बना सकते हैं. इससे उन्हें उभरते हुए डॉक्टर्स के साथ अपने ज्ञान को साझा करने के काफी अच्छे अवसर मिलते हैं.

बायोटेक्नोलॉजी कंपनीज 

बायोटेक्नोलॉजी आजकल का खास ट्रेंड है जिसके तहत मेडिसिन डॉक्टर्स की मांग काफी बढ़ती जा रही है. किसी भी एक्सपेरिमेंट के सही फ़ॉर्मूले का पता लगाने के लिए और रिसर्च कार्यों में सफलता प्राप्त करने के लिए मेडिसिन डॉक्टर्स का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है. 

प्राइवेट प्रैक्टिस

मेडिसिन की फील्ड में कई वर्षों के अनुभव के बाद, कोई डॉक्टर अपना प्राइवेट क्लिनिक भी खोल सकता/ सकती है. आमतौर पर सही इलाज मिलने पर लोग अपना डॉक्टर बदलना पसंद नहीं करते हैं और लगातार एक ही डॉक्टर के पास जाते हैं. इसलिये, अच्छे डॉक्टर्स के क्लिनिक में पेशेंट्स की काफी भीड़ लगी रहती है.

एक मेडिसिन डॉक्टर क्या करता है?

एमबीबीएस करने के इच्छुक छात्र, जिन्हें मेडिसिन की फील्ड में महारत हासिल होती है, फिजिशियन्स के तौर पर जाने जाते हैं. फिजिशियन्स का काम रोग के कारण का पता लगाना है. इसके बाद, वे रोगी को ट्रीटमेंट कोर्स या उपयुक्त मेडिसिन प्रिस्क्राइब करते हैं. वे क्लिनिकल टेस्ट्स के रिजल्ट्स की जांच करने में एक्सपर्ट होते हैं.

मेडिसिन की फील्ड में डॉक्टर बनने के लिए, किसी भी व्यक्ति के लिए यह बहुत जरुरी है कि वह अन्य लोगों की भावनाओं को हैंडल करने और मैनेज करने के लिए जिम्मेदार रवैया अवश्य अपनाए. उनका आईक्यू और ईक्यू हाई होता है. डॉक्टर्स के लिए यह जरुरी है कि वे पेशेंट्स का इलाज करते समय पोलाइट रहें और धीरज रखें.

मेडिकल प्रोफेशनल्स के लिए करियर प्रॉस्पेक्ट्स

मेडिकल डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए मेडिकल प्रोफेशन काफी अच्छी करियर ग्रोथ ऑफर करता है. हेल्थकेयर प्रैक्टिशनर्स के लिए मेडिकल फील्ड में रोज़गार के काफी अवसर मौजूद होते हैं. अब हम विभिन्न जॉब प्रोफाइल्स और उनसे संबद्ध सैलरी पैकेजेज की चर्चा करते हैं:

जॉब प्रोफाइल्स

• जूनियर डॉक्टर

• डॉक्टर्स

• फिजिशियन

• जूनियर सर्जन्स

• मेडिकल प्रोफेसर या लेक्चरर

• रिसर्चर

• साइंटिस्ट

भारत में टॉप मेडिकल कॉलेजेज

हेल्थकेयर हमारी अर्थव्यवस्था की समृद्धि और विकास के लिए लाइफलाइन बन चुका है. इस विकास को जारी रखने के लिए, मेडिसिन की फील्ड में आने वाली चुनौतियों का सामना करने और उनका समाधान तलाशने के लिए तत्पर अति कुशल डॉक्टर्स को तैयार करने में मेडिकल कॉलेज/ इंस्टिट्यूट्स बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

यहां टॉप 10 मेडिकल कॉलेजेज की लिस्ट दी जा रही है जहां से आप मेडिसिन में अपने रूचि के अनुसार कोई स्पेशलाइजेशन कोर्स कर सकते हैं. यह लिस्ट एनआईआरएफ रैंकिंग से तैयार की गई है जिसे मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा जारी किया गया है और यह लिस्ट भारत के कॉलेजों के लिए एक विशेष मानक के तौर पर मानी जाती है.


Monday, July 12, 2021

लग्जरी ब्रांड मैनेजमेंट में करियर

 आज आपने भी देखा की करियर बनाने के लिए बहुत से ऐसे क्षेत्र है जिनसे सम्बंधित कोर्स कर आप कम समय में ज्ञान अर्जित कर अपने करियर को बना सकते है.आज के इस दौर में लग्जरी ब्रांड की चीजों पर हर एक आदमी की पहली चॉइस होती है . ब्रांड के नाम पर ही इतनी शक्ति होती है.जिससे लोगों की एक अलग इमेज बनती है .साथ ही साथ एक अच्छा लुक नजर आता है .आज लोग बहुत पैसे कमाते है और उन्हें ख़र्च करने के लिए कुछ न कुछ ब्रांडेड चीजें खरीदते है .चाहे वह दैनिकचर्या की हो या कभी कभी उपयोग में आने वाली .आज लोगों में ब्रांड को लेकर काफी आकर्षण बढ़ा है .

कोर्स-मैनेजमेंट फील्ड में करियर के लिए लग्जरी ब्रांड मैनेजमेंट का यह कोर्स बहुत ही अच्छा है इसमें आगे अच्छा स्कोप है.आगे बढ़ने और मोटी सैलरी कमाने के बहुत ही अच्छे अच्छे अवसर मिलते है .एक और भी खास बात की मार्केट से लेकर आम जनता में भी आपके प्रोडक्ट की एक अच्छी इमेज बन जाती है .  

लंदन स्कूल ऑफ बिजनेस ऐंड मैनेजमेंट लग्जरी मैनेजमेंट में स्पेशलाइजेशन के साथ एमबीए का कोर्स करा रहा है. आप यह कोर्स फुलटाइम, पार्टटाइम या ऑनलाइन कर सकते हैं. रेगुलर एमबीए की पढ़ाई के साथ-साथ यह कोर्स स्टुडेंट्स को यह भी सिखाता है कि लग्जरी ब्रांड के लिए मार्केटिंग रणनीतियों और ब्रांड वैल्यू के बीच किस तरह संबंध बनाए जाएं.

नौकरी के बेहतर अवसर -
कोर्स करने वाले ग्रेजुएट लग्जरी सेल्स एडवाइजर, विजुअल मर्चेडाइजर, लग्जरी इवेंट प्लानर बन सकते हैं. फैशन और लग्जरी कंसल्टेंट या वार्डरोब मैनेजर के तौर पर भी काम पा सकते हैं.

कहां से करें कोर्स: 
लंदन स्कूल ऑफ बिजनेस ऐंड फाइनेंस के कई कैंपस लंदन, बर्मिंघम और मैनचेस्टर में हैं.
लग्जरी कनेक्ट बिजनेस स्कूल, गुडग़ांव.
www.isbf.org.uk
www.lcbs.edu.in

Friday, July 9, 2021

आईटी सेक्टर में बेशुमार जॉब्स

देश ने 1991 के बाद उदारीकरण के दौर में आर्थिक क्षेत्र (Economic Field) में अभूतपूर्व कामयाबी हासिल की है। आज भारत दुनिया की तीसरी बडी आर्थिक महाशक्ति (Economic Power) बनने की ओर है। देश हर स्तर पर बडे बदलावों का गवाह बन रहा है। उद्योग हो या फिर शिक्षा, विदेशी व्यापार या फिर इंफ्रास्ट्रक्चर, सभी जगह बदलाव आसानी से देखे जा सकते हैं। कल तक यूरोप व अमेरिका का कॉपीराइट समझे जाने वाले आईटी यानि इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में भारत सबसे आगे है और भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स की मांग सभी जगह है। बमुश्किल  डेढ दो दशक पहले स्लो व रफ्तार से चल रही टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, विप्रो, टेक महिंद्रा, इंफोसिस, एचसीएल, सत्यम कंप्यूटर्स, एल एंड टी इंफोटेक, जेनपैक्ट, पाटनी, फ‌र्स्ट सोर्स सोल्यूशन जैसी कंपनियां आज आईटी क्रांति (Information Technology Revolution) के पहियों पर सवार हैं। इनके तिमाही, अर्धवार्षिक, वार्षिक नतीजे इसी बात की तस्दीक करते हैं। इस लिहाज से यह क्षेत्र कॅरियर (Career) का सबसे बेहतरीन ऑप्शन बन चुका है। यही कारण है कि सभी स्टूडेंट्स की पहली च्वाइस आईटी होती है। यदि आप भी बेहतर कॅरियर की तलाश में हैं, तो आईटी व‌र्ल्ड में इंट्री करके हैवी सैलरी वाली नौकरी कर सकते हैं।

क्या है आईटी सेक्टर

वे सभी चीजें जो कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर, नेटवर्किग, इंटरनेट, वेबसाइट, डेटाबेस, टेलीकम्युनिकेशन जैसी चीजों से जुडी हैं, आईटी क्षेत्र में आती हैं। सॉफ्टवेयर के साथ हार्डवेयर टेक्नोलॉजी, बीपीओ (Business Process Outsourcing), केपीओ (Knowledge Process Outsourcing), एलपीओ (Legal Process Outsourcing) आईटी कंसलटेंसी, सॉफ्टवेयर टीचिंग, सॉफ्टवेयर टेस्टिंग, सिस्टम इंस्टॉलेशन, रिसर्च एंड डेवलपमेंट जैसे बहुत से काम इन्हीं में आते हैं। इन दिनों जॉब्स (Jobs) का तेजी से मशीनीकरण हो रहा है, क्या सरकारी, क्या प्राइवेट सभी दफ्तर कम्प्यूटरीकृत (Computerized) हो रहे हैं, छोटे से छोटे काम के लिए भी आपका टेक्नोलॉजी सेवी होना आवश्यक हो चुका है। आज तकनीकी ज्ञान (Technical Knowledge) के बगैर जॉब मार्केट (Job Market) में आप कहीं नहीं ठहरते। ऐसे बदलते दौर में आईटी सेक्टर (Information Technology Sector) में काम कर रहे पेशेवरों के काम का दायरा भी बढा है। आज की तारीख में भारत, विश्व में आई टी सेक्टर का सिरमौर बना हुआ है। जहां कर्मचारियों की कडी मेहनत और प्रबंधकों की दमदार व्यापारिक रणनीति की बदौलत तमाम जानी मानी कंपनियां इस क्षेत्र में आज तरक्की की नई इबारत लिख रही हैं।

भारत के परिप्रेक्ष्य में क्या है महत्व

देश की ग्रोथ में आईटी क्षेत्र (Information Technology Sector) की भूमिका महत्वपूर्ण हो चुकी है। दरअसल यह वह सेक्टर है, जिसने देश की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में बदला, लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाया, तो प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से लोगों के जीवन को ज्यादा सुविधाजनक भी बनाया। इस सेक्टर के तेज विकास का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है  कि 1994 में जहां आईटी सेक्टर का रेवेन्यू 63 अरब रुपये के आसपास था, तो वहीं आज यह 1276 अरब रुपये के ऊपर पहुंच चुका है। नेस्कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस सेक्टर की सालाना ग्रोथ (Annual Growth) 25 फीसदी दर्ज की जा रही है। परिणामस्वरूप करीब 20 लाख लोग आज प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप से इस सेक्टर में रोजगार पा रहे हैं। ऐसे में विशेषज्ञों की मानें तो आज आइटी सेक्टर में लगाया गया हर 1 रुपया भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को दो रुपये का फायदा देती है। ऐसे में इस क्षेत्र को भारतीय अर्थव्यवस्था का पावर बूस्टर कहा जा सकता है।

क्या हैं योग्यताएं

इन कोर्सो में प्रवेश की न्यूनतम योग्यता (Minimum Academic Qualification) 12वीं (पीसीएम ग्रुप) है। बारहवीं के बाद आप बीटेक (Bachelors of Technology) कर सकते हैं। आईआईटी (Indian Institute of Technology) सहित देश की प्रमुख यूनिवर्सिटी या संस्थानों में इससे संबंधित कोर्स उपलब्ध हैं। अमूमन सभी कंपनियां आज इस क्षेत्र में प्रोफशनल डिग्री होल्डर्स (Professional Degree Holders) को वरीयता देती हैं। ऐसे में आपके लिए जरूरी हो जाता है कि 12वीं बाद इस फील्ड में कम से कम ग्रेजुएट लेवल  का कोर्स पूरा करें। वहीं इस क्षेत्र में खासे पॉपुलर हो चुके शार्ट टर्म कोर्सों जैसे डीसीए, डी कैप, हार्डवेयर नेटवर्किग, ए लेवल, ओ लेवल, बी लेवल आदि के लिए आपको 12 वीं में किसी खास स्ट्रीम की जरूरत नहीं पडती है। कहने का आशय यह है कि आईटी से संबंधित कुछ कोर्स के लिए साइंस स्ट्रीम (Science Stream) की जरूरत नहीं पडती है।

क्यों बन रहा है कॅरियर का हॉट सेक्टर

आईटी सेक्टर में बढते मुनाफे के चलते एक ओर पुरानी कंपनियों की ग्रोथ बढी, तो वही नई-नई आईटी कंपनियों ने भी बाजार में अपने कदम रखे। इस क्षेत्र की तेज रफ्तार को इस बात से समझा जा सकता है अंतरराष्ट्रीय मार्केट (International Market) में कुल आउटसोर्स वर्क का 51 प्रतिशत भारत से ही निर्यात होता है, वहीं देश के कुल निर्यात में इसका हिस्सा करीब 75 प्रतिशत के आस पास है। ये सभी बातें एक ही ओर इशारा करती हैं कि इस ग्रोइंग सेक्टर में कॅरियर अपॉरचुनिटी (Career Opportunity) की कमी नहीं है।

किन क्षेत्रों में है अवसर

आईटी क्षेत्र से डिग्री, डिप्लोमा व शॉर्ट टर्म कोर्स करने के बाद अवसरों की भरमार है। आज देश के हर छोटे बडे संस्थान का कंप्यूटरीकरण हो चुका है। जाहिर है इनके इंस्टॉलेशन से लेकर, तकनीकी खराबियां (Technical Defects) दूर करने, नए सॉफ्टवेयर अपलोड करने तक में आईटी प्रोफेशनल्स की बडी भूमिका होती है। यही नहीं, देश की तमाम सॉफ्टवेयर कंपनियां (Software Companies) भी इस क्षेत्र के हाइली क्वालीफाइड युवाओं को विशेषज्ञ या प्रोफेशनल के तौर पर जगह दे रही हैं। यदि आप सिस्टम इंस्टॉलेशन, नेटवर्किंग, हार्डवेयर रिपेयरिंग जैसे कामों में दक्ष हैं तो इस फील्ड में अपना खुद का काम भी शुरू किया जा सकता है।

कौन कौन से हैं पद

देश की तमाम आईटी कंपनियां (Information Technology Companies) इन दिनों देश में ही जॉब पैदा कर रही हैं, जिसके चलते युवाओं को जॉब के लिए विदेश जाने की जरूरत नहीं पडती। आईटी क्षेत्र में तो आज रिवर्स ब्रेन ड्रेन का चलन हो चुका है। देश में हैदराबाद (Hyderabad), मुंबई (Mumbai),बंगलौर (Bangalore), पुणे (Pune), चेन्नई (Chennai), एनसीआर भारत ही नहीं पूरी दुनिया के लिए आईटी के नए हब साबित हो रहे हैं। इन आईटी हब्स में सॉफ्टवेयर टेक्नीशियन, सॉफ्टवेयर टेस्टर, सॉफ्टवेयर डिजाइनर, विंडो सिस्टम इंजीनियर, जावा सॉफ्टवेयर डेवलेपर, नेट प्रोग्रामर, वर्कफ्लो इंटीग्रेशन स्पेशलिस्ट के तौर पर काम किया जा सकता है।

दूर देशों की पहली पसंद

आईटी प्रोफेशनल्स की विदेश में सबसे अधिक मांग है। यही कारण है कि इससे संबंधित प्रोफेशनल्स को हैवी सैलरी पर नियुक्ति होती है। आज उन विदेशी कंपनियों (Foreign Companies) की कमी नहीं है, जो प्रोफशनल क्षमताओं व डिग्रियों से लैस भारतीय पेशेवरों को हाथों हाथ लेती हैं। विदेशों में जिन प्रमुख पदों पर आईटी प्रोफेशनल की आज सख्त जरूरत महसूस की जा रही है, उनमें नेट प्रोग्रामर, वर्कफ्लो इंटीग्रेशन स्पेशलिस्ट, विंडो सिस्टम इंजीनियर, जावा सॉफ्टवेयर डेवलपर,सीनियर जावा एप्लीकेशन डेवलपर, वेब फोकस डेवलपर, आरएमए टेक्नीशियन, आदि प्रमुख हैं।

 पहली पसंद

आनेवाले समय में इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का भविष्य गोल्डन है। सैलरी का बेहतर पैकेज और नई चीजें सीखने की वजह से टॉपर्स इस ट्रेड को पहली वरीयता दे रहे हैं। हालांकि आने वाले समय में इंटरनेशनल स्तर पर प्रतिस्पर्धा बढेगी और नौकरियों (Jobs) के लिए कडा मुकाबला होगा। सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) के वर्तमान और भविष्य के संबंध में आईआईटी, कानपुर के निदेशक प्रो.एस.जी. धांडे ने कहा कि आईटी कम्युनिकेशन का सशक्त माध्यम बनकर उभरा है, जिसकी समाज को हमेशा जरूरत पडेगी। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश..

किस स्किल्स के स्टूडेंट आईटी को कॅरियर बनाएं?

सबसे पहले इस क्षेत्र में रुचि होना जरूरी है। मैथमैटिक्स अच्छी होने के साथ लॉजिकल होना आवश्यक है। इसके अलावा कम्युनिकेशन स्किल्स के साथ प्रेजेंटेशन बढिया होना चाहिए। यदि अंग्रेजी भाषा पर पकड है, तो इस फील्ड में शिखर तक की सफलता दिला सकती है।

क्या स्टूडेंट अन्य ट्रेडों की अपेक्षा अब भी आईटी को पहली वरीयता दे रहे हैं?

इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से संबंधित जॉब्स वातानुकूलित कमरे में होता है और नौकरियां भी काफी हैं। अन्य ट्रेडों की तुलना में देश के अलावा विदेशों में भी अच्छा वेतन मिलता है। जब इतनी सारी खूबियां इस फील्ड की हैं तो आईटी को प्रथम वरीयता क्रम में शामिल करना स्वाभाविक है।

आईटी सेक्टर के उभरते सेक्टर कौन से हैं?

आईटी इस समय जॉब के लिहाज से पारस पत्थर की तरह हो गया है। जिस क्षेत्र में इसकी पहुंच बढ रही है, वहां क्रांतिकारी प्रगति (Revolutionary Progress) हो रही है। यह फील्ड अकाउंटिग, केपीओ,  लीगल आउटसोर्सिग तक अपना दायरा बढा चुका है। कम्युनिकेशन और कम्प्यूटिंग को आईटी का भविष्य कह सकते हैं। मोबाइल और वर्तमान में आप जो भी देख रहे हैं, इससे भी बढकर इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सुदृढ होने वाली है। इंफॉर्मेंशन टेक्नोलॉजी जितनी सुदृढ हुई है, उसमें आईआईटी का अहम रोल है। हम लोगों ने एजुकेशन और रिसर्च के क्षेत्र में बहुत किया है जो आज सामने है।

आईटी के प्रमुख क्षेत्र

आईटी प्रोफेशनल्स (IT Professionals) की सभी क्षेत्रों में काफी मांग है, क्योंकि सभी क्षेत्र सूचना तकनीक (Information Technology) से जुडना चाहते हैं। इस क्षेत्र का वर्गीकरण करें तो यह कई रूपों में हमारे सामने होगा। आईटी के प्रमुख और महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं :

सॉफ्टवेयर

देश के लिहाज से सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री व आईटी एक दूसरे के पर्याय माने जाते हैं। असल में कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर क्षेत्र में कार्यरत कंपनियों का मुख्य काम पूरी दुनिया में फैले अपने क्लाइंट्स के लिए अलग-अलग तरह के सॉफ्टवेयर विकसित करना व उन्हें अमल में लाना होता है। अलग-अलग सेक्टर्स में काम करने के लिए तरह तरह के सॉफ्टवेयर्स की जरूरत पडती है। बैंक, मीडिया, इंश्योरेंस, टेलीकॉम, हॉस्पिटेलिटी,  एजूकेशन, रेलवे, इंटरटेनमेंट, सिक्योरटी जैसे तमाम क्षेत्र हैं, जहां हमेशा अलग-अलग व अपगे्रडेड सॉफ्टवेयर्स की जरूरत पडती है। ऐसे में इस क्षेत्र में ली गई इंट्री आपके लिए वरदान बन सकती है।

आईटी हार्डवेयर

वे सभी चीजें, जिन्हें आप देख सकते हैं, जिनका भौतिक इस्तेमाल कर सकते हैं, हार्डवेयर में आती हैं। आईटी क्षेत्र में डेस्कटॉप, लैपटॉप, स्टोरेज डिवाइस, नेटवर्किंग डिवाइस, एलसीडी इन्हीं सबमें शामिल की जाती है। हांलाकि  इस फील्ड में अभी काम की ज्यादा संभावनाएं घरेलू मार्केट (Domestic Market) में ही है, फिर भी इस क्षेत्र की तेज ग्रोथ आज नए अवसर सामने ला रही है।

आईटी बिजनेस प्रोसेसिंग आउटसोर्सिग

आज दुनिया की कई जानी मानी कंपनियां अपने बढी जरूरतों व काम को पूरा करने के लिए इन्हें दूसरी कंपनियों को स्थांनांतरित कर देती है। जिसके कई फायदे हैं। एक तो मूल कंपनी की मार्केट वैल्यू व भरोसा लोगों के बीच कायम रहता है। दूसरा, लोगों को इनके इन डिमांड के चलते रोजगार के अवसर भी मिलते हैं। आज यह फील्ड अकाउंटिग, केपीओ,  लीगल आउटसोर्सिग तक अपना दायरा बढा चुकी है। इसको इस बात से समझ सकते हैं कि आज आईटी से जुडी इस अपेक्षाकृत नई इंडस्ट्री में 400 से ज्यादा कंपनियां कदम रख चुकी हैं। वही दो लाख से ज्यादा लोगों को यहां सीधा रोजगार मिला हुआ है। इस सेक्टर की इससे भी बडी खासियत इसका जॉब सेंट्रिक नेचर है।

आईटी एजुकेशन

यह फील्ड आपको आईटी सेक्टर में जाने लायक बनाने के लिए उपयुक्त ट्रेनिंग देने का काम करता है। इसमें कई कंपनियां भी शामिल हैं, जो जावा, ओरेकल जैसे ट्रेनिंग कोर्स उपलब्ध कराती हैं। हाल ही में कुछ आईटी कंपनियों ने स्कूल कॉलेजों में भी अपने ये ट्रेनिग प्रोग्राम (Trening Program) शुरू किए हैं। पढने-पढाने वालों के लिए यह सेक्टर काफी बेहतर विकल्प बनकर उभर रहा है।

रुचि के अनुरूप कोर्स

इस सेक्टर की मांग और वैश्विक जरूरतों को देखते हुए आईटी क्षेत्र में नए-नए कोर्स लॉन्च हो रहे हैं, वहीं पुराने कोर्स भी उतनी ही डिमांड में हैं। इस फील्ड में बीसीए, एमसीए, बीटेक, एमटेक (कंप्यूटर सांइस), बीएससी, एमएससी (कम्प्यूटर सांइस), शार्ट टर्म कोर्सेज में सॉफ्टवेयर टेस्टिंग, ए लेवल,बी लेवल,ओ लेवल, डीसीए, डी-कैप जैसे कोर्सेज प्रमुख हैं।

प्रमुख संस्थान

इस क्षेत्र में बढे रूझान की वजह से सरकारी व प्राइवेट शिक्षा तंत्र ने आईटी सेक्टर पर खास तौर पर ध्यान देना शुरू किया है। इस क्षेत्र में प्रमुख संस्थान हैं

आईआईटी

आईआईआईटी

एनआईटी

जाधवपुर यूनिवर्सिटी

एमएसआईटी,नई?दिल्ली

अन्नामलाई यूनिवर्सिटी

एमएनएनआईटी,इलाहाबाद

एचबीटीआई,कानपुर

Thursday, July 8, 2021

कंप्यूटर के ये सर्टिफिकेट बड़े काम के हैं

आधुनिकता के दौर में कंप्यूटर नॉलेज की अनिवार्यता बढ़ी है. वर्तमान में नौकरियों में सॉफ्टवेयर की जानकारी, डॉक्यूमेंट बनाने और प्रजेंटेशन बनाने आदि का ज्ञान अनिवार्य रूप से मांगा जाता है़ कई सरकारी नौकरियां भी हैं, जिनमें कंप्यूटर कोर्सेज अनिवार्य रूप से मांगे जाते हैं. इन कोर्सेज के अंतर्गत ‘ओ’ लेवल सर्टिफिकेट प्रोग्राम, ‘ए’ लेवल, ‘बी’ लेवल तथा ‘सी’ लेवल डिप्लोमा कोर्स उपलब्ध हैं. आइये जानते हैं, इन कोर्सेस के माध्यम से किस प्रकार से नौकरियां उपलब्ध होंगी तथा कौन से संस्थान हैं, जहां कंप्यूटर सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा कोर्स कराये जाते हैं.

‘ए’ लेवल डिप्लोमा कोर्स

‘ए’ लेवल कंप्यूटर कोर्स एक आइटी प्रोफेशनल कोर्स है, जिसे ‘ओ’ लेवल सर्टिफिकेट कोर्स करने के बाद किया जा सकता है. यह डिप्लोमा कोर्स एक एडवांस डिप्लोमा कोर्स के समतुल्य माना जाता है. इस कोर्स की अवधि 18 माह तथा लेवल ‘ओ’ लेवल क्वालिफाइड छात्रों के लिए अवधि एक वर्ष होती है. इस कोर्स में ‘एनआइईएलआइटी’ द्वारा आयोजित एंट्रेंस टेस्ट पास करके दाखिला लिया जा सकता है. आवेदन प्रक्रिया का आयोजन प्रतिवर्ष दो बार जनवरी एवं जुलाई माह में किया जाता है. ‘ओ’ लेवल डिप्लोमा क्वालीफाइड अथवा किसी मान्यताप्राप्त संस्थान से स्नातक अथवा पॉलिटेक्निक इंजीनियरिंग डिप्लोमा पास छात्र इस कोर्स में दाखिला ले सकते हैं. इस कोर्स को करने के बाद छात्र सिस्टम एनालिस्ट, डेटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, नेटवर्क सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर एवं शिक्षक के रूप में करियर बना सकते हैं.

बी’ लेवल डिप्लोमा कोर्स

‘बी’ लेवल डिप्लोमा कोर्स एक प्रोफेशनल कोर्स है, जो ‘ए’ लेवल डिप्लोमा कोर्स करने के बाद किया जा सकता है. मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा इस कोर्स को एमसीए डिग्री के समतुल्य मान्यता प्रदान की गयी है. ‘ए’ लेवल क्वालीफाइड अथवा कंप्यूटर एप्लीकेशन में पोस्टग्रेजुएट अथवा स्नातक अथवा मान्यताप्राप्त शिक्षण संस्थान से पॉलिटेक्निक इंजीनियरिंग डिप्लोमा पास छात्र इस कोर्स में दाखिला ले सकते हैं. इस कोर्स की अवधि 18 माह तय की गयी है़ ‘ए’ लेवल डिप्लोमा क्वालीफाइड छात्रों को दो सेमेस्टर की छूट का लाभ प्रदान किया जायेगा. इस कोर्स में ‘एनआइईएलआइटी’ द्वारा आयोजित एंट्रेंस टेस्ट पास करके दाखिला लिया जा सकता है. आवेदन प्रक्रिया का आयोजन प्रतिवर्ष दो बार जनवरी एवं जुलाई माह में किया जाता है. इस कोर्स को करने के बाद छात्र प्रोग्रामर, वेब एडमिनिस्ट्रेटर, वेब कंटेंट डेवलपर, ट्रबल शूटर, शिक्षक, सिस्टम एनालिस्ट, ट्रेनिंग फैकल्टी, आर एंड डी साइंटिस्ट एवं ईडीपी मैनेजर के रूप में करियर बना सकते हैं.

‘ओ’ लेवल सर्टिफिकेट कोर्स

कंप्यूटर का ‘ओ’ लेवल कोर्स राष्ट्रीय इलेक्ट्राॅनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा कराया जाता है. जिसे पहले ‘डीओईएसीसी’ के नाम से जाना जाता था. इस कोर्स का पाठ्यक्रम एक वर्ष का होता है. इस सर्टिफिकेट प्रोग्राम में प्रतिवर्ष दो बार जनवरी एवं जुलाई में एडमिशन प्रक्रिया का आयोजन किया जाता है. 12वीं अथवा आईआईटी डिप्लोमा पास छात्र इस प्रोग्राम में एडमिशन ले सकते हैं. ‘ओ’ लेवल कोर्स के तहत छात्र को कंप्यूटर की बेसिक जानकारी प्रदान की जाती है. इस कोर्स की मान्यता एक फाउंडेशन लेवल कोर्स के समतुल्य होती है. ‘ओ’ लेवल कोर्स करने के बाद आप असिस्टेंट प्रोग्रामर, ईडीपी असिस्टेंट, वेब डिजाइनर एवं शिक्षक के रूप में करियर बना सकते हैं.

‘सी’ लेवल डिप्लोमा कोर्स

यह एक प्रोफेशनल कोर्स है जिसे ‘बी’ लेवल डिप्लोमा कोर्स करने के बाद किया जा सकता है. ‘सी’ लेवल डिप्लोमा कोर्स ‘एनआइईएलआइटी’ द्वारा संचालित एक प्रोफेशनल कोर्स है. ‘बी’ लेवल क्वालीफाइड/बीई/बीटेक/एमसीए/एमएससी कंप्यूटर साइंस अथवा गणित/ सांख्यिकी में परास्नातक अथवा एमबीए के साथ स्नातक स्तर पर गणित/सांख्यिकी विषय के साथ पास छात्र इस कोर्स में दाखिला ले सकते हैं. स्नातक पास छात्रों के लिए 18 माह का अनुभव अनिवार्य है. ‘सी’ लेवल कोर्स की अवधि दो वर्ष तय की गयी है. इस कोर्स में आवेदन के लिए ‘एनआइईएलआइटी’ द्वारा आयोजित एंट्रेंस टेस्ट पास करके दाखिला लिया जा सकता है. आवेदन प्रक्रिया का आयोजन प्रतिवर्ष दो बार जनवरी एवं जुलाई माह में किया जाता है. इस कोर्स के पश्चात छात्र प्रोजेक्ट मैनेजर, सिस्टम स्पेशलिस्ट, आईटी कंसल्टेंट, फैकल्टी एवं आर एंड डी साइंटिस्ट के रूप में करियर बना सकते हैं.

Monday, July 5, 2021

बैचलर ऑफ अकाउंटिंग

पाठ्यक्रम तर्क

Leaders Institute का बैचलर ऑफ अकाउंटिंग एक व्यापक, समकालीन कोर्स है जो व्यावहारिक, तकनीकी, और सैद्धांतिक लेखा, वित्तीय और सामान्य व्यावसायिक कौशल और ज्ञान की व्यापक समझ के साथ स्नातकों को प्रदान करता है। पाठ्यक्रम के स्नातक व्यवसाय वित्त, कॉर्पोरेट और कंपनी कानून, कराधान कानून, प्रबंधन और वित्तीय लेखा, लेखा सिद्धांत, और प्रक्रियाओं, और लेखा परीक्षा और आश्वासन कार्यों सहित लेखांकन अभ्यास के सभी पहलुओं में आधारित शिक्षा प्राप्त करते हैं। स्नातक कॉर्पोरेट प्रशासन, व्यापार नैतिकता, और व्यावसायिकता में कौशल और ज्ञान हासिल करते हैं। पाठ्यक्रम पेशेवर मान्यता और सीपीए ऑस्ट्रेलिया और चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड (सीएएएनजेड) जैसे प्रमुख चोटी निकायों की सदस्यता के लिए आवेदन करने के योग्य होने के लिए स्नातक के लिए सभी पाठ्यक्रम आवश्यकताओं को संबोधित करता है।

छात्र अपनी डिग्री के माध्यम से, विभिन्न प्रामाणिक शिक्षण कार्यों और केस स्टडीज, रिपोर्ट, साक्षात्कार, पोर्टफोलियो, मौखिक प्रस्तुतियों, और व्यावहारिक अभ्यास व्यक्तिगत रूप से और छोटी टीमों सहित आकलन सहित सैद्धांतिक ज्ञान और समझ को लागू करेंगे। चार अलग अनिवार्य कार्य एकीकृत शिक्षण अनुभव पाठ्यक्रम में एकीकृत किए जाते हैं।

स्नातक बाजार-व्यापार और तैयार रहेंगे और आजीवन सीखने के समर्थक होंगे। स्नातक रोजगार की संभावनाओं में व्यापार विश्लेषण, व्यापार जोखिम और प्रशासन सलाह, वित्तीय लेखा, प्रबंधन लेखा, लेखा परीक्षा, कराधान, प्रबंधन परामर्श, निजी अभ्यास शामिल हैं।

कैरियर Pathways

पाठ्यक्रम के स्नातक बाजार-और-व्यापार तैयार होंगे और आजीवन सीखने के समर्थक होंगे।

स्नातक रोजगार कैरियर Pathways में शामिल हैं:

  • व्यापार विश्लेषण
  • व्यापार जोखिम और शासन
  • वित्तीय लेखांकन
  • प्रबंधन लेखांकन
  • लेखा परीक्षा
  • कर लगाना
  • प्रबंधन की सलहकार

व्यावसायिक प्रत्यायन

बैचलर ऑफ अकाउंटिंग पूरा करने वाले स्नातक सीपीए ऑस्ट्रेलिया और चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड (सीएएएनजेड) की सदस्यता के लिए आवश्यकताओं के अकादमिक घटक से मिलते हैं।

कोर्स सीखने के परिणाम

बैचलर ऑफ अकाउंटिंग डिग्री के स्नातक निम्न में सक्षम होंगे:

1. व्यवसाय वातावरण में लेखांकन, प्रबंधन, अर्थशास्त्र और वित्त के सिद्धांतों, अवधारणाओं और योगदान मानकों को संश्लेषित, रणनीति और लागू करना;

2. लेखांकन सिद्धांतों के संबंध में जटिल और नियमित व्यापार और प्रबंधन के मुद्दों के लिए, अभिनव समाधान बनाएं, निर्णय और निर्णय लेने के कौशल प्रदर्शित करें;

3. सीखने और आगे समझने के लिए प्रभावी ढंग से और दूसरों के साथ बातचीत करके संवाद करें।

4. स्वतंत्र रूप से या समूहों में काम करते समय सामाजिक, पेशेवर और नैतिक नेतृत्व प्रदर्शित करें;

5. उचित अनुसंधान करने के लिए संज्ञानात्मक कौशल लागू करें और लेखांकन और शासन में आवेदन, विकास और सुधार के लिए एक बहुआयामी समकालीन अभ्यास का विश्लेषण और मूल्यांकन करना;

6. लेखांकन के सिद्धांतों को लागू करें और व्यावसायिक क्षेत्र में सकारात्मक सुधार और योगदान करने के लिए व्यावसायिक कौशल, वर्तमान और उभरती प्रथाओं को विकसित करने की ज़िम्मेदारी के बारे में जागरूकता के साथ विश्लेषण करने में सक्षम होना;

7. अंतर्राष्ट्रीय समकालीन मानकों और सर्वोत्तम प्रथाओं को लागू करें ताकि अपनाए गए लेखांकन सिद्धांतों के प्रति सकारात्मक सुधार प्रदान किया जा सके।

सीखने का समय अवधि और शुल्क

अवधि- 3 साल पूर्णकालिक (6 सेमेस्टर)

अंतर्राष्ट्रीय छात्र शुल्क- कुल पाठ्यक्रम शुल्क: एयू $ 45,000 * (यू $ 7500 प्रति सेमेस्टर)

एयू $ 395 एक बार नामांकन शुल्क अतिरिक्त शुल्क लिया जाता है।

* वार्षिक समीक्षा के अधीन

घरेलू छात्र शुल्क- कुल पाठ्यक्रम शुल्क: एयू $ 24,900 * (एयू $ 4150 प्रति सेमेस्टर)

एयू $ 395 एक बार नामांकन शुल्क अतिरिक्त शुल्क लिया जाता है।

* वार्षिक समीक्षा के अधीन

छात्रवृत्ति

छात्रवृत्ति और सीखने में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए, Leaders Institute वर्ष 2 से शुरू होने वाले दोनों पाठ्यक्रमों के लिए उत्कृष्ट छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करेगा।

घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों छात्रों के लिए 25% की फीस छूट के माध्यम से योग्यता और जरूरत-आधारित छात्रवृत्ति का संयोजन उपलब्ध है। इस छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करने के लिए, कृपया अपने कार्यक्रम निदेशक या Leaders Institute के अकादमिक डीन से मिलें।

प्रवेश की आवश्यकताएं

सामान्य

सभी आवेदकों को न्यूनतम अंग्रेजी भाषा आवश्यकताओं को पूरा करना होगा। ये Leaders Institute की प्रवेश प्रक्रिया अनुसूची ए में निर्दिष्ट हैं।

इसके अतिरिक्त, सभी आवेदकों को या तो मिलना चाहिए: नीचे निर्दिष्ट अनुसार मानक मानक न्यूनतम प्रवेश आवश्यकताओं या वैकल्पिक प्रासंगिक मानक न्यूनतम प्रवेश आवश्यकताओं।

अनुमोदित गारंटीकृत Pathway के आधार पर पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए आवेदन करने वाले आवेदकों को उस पाठ्यक्रम में एक जगह की पेशकश की जाएगी बशर्ते वे प्रवेश के लिए निर्दिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करें।

घरेलू छात्रों

स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश निम्नलिखित में से किसी एक के सफल समापन पर आधारित है:

  • क्वींसलैंड हायर स्कूल सर्टिफिकेट या इंटरस्टेट समकक्ष हायर स्कूल सर्टिफिकेट। ओपी 17 / एटीएआर 60।
  • इंटरनेशनल बैचलरेट डिप्लोमा पूरा करना।
  • एक टीएएफई या पंजीकृत प्रशिक्षण संगठन (आरटीओ) में डिप्लोमा या उन्नत डिप्लोमा के स्तर पर एक अनुमोदित पाठ्यक्रम की समाप्ति।
  • योग्यता का अधिग्रहण उपरोक्त किसी भी योग्यता के समतुल्य समझा जाता है।
  • क्वींसलैंड हायर स्कूल सर्टिफिकेट या इंटरस्टेट समकक्ष हायर स्कूल सर्टिफिकेट ओपी 17 / एटीएआर 60।
  • एक अंतरराष्ट्रीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा पूरा करना।
  • एक टीएएफई या पंजीकृत प्रशिक्षण संगठन (आरटीओ) में डिप्लोमा या उन्नत डिप्लोमा के स्तर पर एक अनुमोदित पाठ्यक्रम की समाप्ति।
  • योग्यता का अधिग्रहण उपरोक्त किसी भी योग्यता के समतुल्य समझा जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय छात्र

अंतरराष्ट्रीय छात्रों जिन्होंने ऑस्ट्रेलियाई योग्यता पूरी नहीं की है, उनके पास उचित शैक्षिक योग्यता होनी चाहिए, जो नोओएसआर दिशानिर्देशों के तहत ऑस्ट्रेलियाई उच्च विद्यालय प्रमाण पत्र के समतुल्य समझा जाता है (प्रवेश प्रक्रिया अनुसूची बी और सी देखें)

प्रवेश के लिए अंतरराष्ट्रीय उम्मीदवारों पर भी विचार किया जा सकता है:

  • ऑस्ट्रेलियाई योग्यता फ्रेमवर्क (एक्यूएफ) के तहत मान्यता प्राप्त ऑस्ट्रेलिया या विदेशों में व्यावसायिक और या तृतीयक अध्ययनों को संतुष्ट रूप से पूरा करना, या
  • संतोषजनक रूप से समकक्ष विदेशी अध्ययन पूरा करना

गैर-अंग्रेजी भाषी देशों से नामांकन करने वाले छात्रों को अंग्रेजी भाषा परीक्षा शुरू करने और न्यूनतम दक्षता के साथ अंग्रेजी दक्षता का प्रदर्शन करने की आवश्यकता होती है:

  • आईईएलटीएस: 6.0 (अकादमिक) 5.5 से कम कोई उप बैंड नहीं
  • टीओईएफएल (पेपर-आधारित) 550 लिखित अंग्रेजी के परीक्षण में 5 या बेहतर के स्कोर के साथ 550

यह उम्मीद की जाती है कि छात्र प्रदर्शन कर सकते हैं कि प्रवेश के लिए आवेदन की तारीख के दो साल के भीतर अंग्रेजी भाषा परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा हो गया था।

वैकल्पिक प्रविष्टि

आवेदक जो अध्ययन के पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते हैं, उच्च शिक्षा अध्ययन के आधार पर वैकल्पिक प्रवेश के लिए विचार किया जा सकता है, जो कि पंजीकृत ऑस्ट्रेलियाई उच्च शिक्षा संस्थान या एक विदेशी शैक्षणिक संस्थान में सफलतापूर्वक पूरा किए गए अध्ययन की कम से कम दो इकाइयों के बराबर है। लीडर इंस्टीट्यूट द्वारा समकक्ष के रूप में मूल्यांकन किया गया।

किसी व्यक्ति को पूर्व शिक्षा की मान्यता, प्रासंगिक क्षेत्र में पूर्व रोजगार या किसी प्रासंगिक क्षेत्र में गैर-पुरस्कार योग्यता के अधिग्रहण के आधार पर प्रवेश के लिए भी विचार किया जा सकता है।

वैकल्पिक प्रविष्टि की मांग करने वाले आवेदकों को भी अंग्रेजी भाषा प्रवेश आवश्यकताओं को पूरा करना होगा।

प्राथमिक शिक्षा के क्रेडिट और मान्यता (आरपीएल)

पिछले सीखने के लिए क्रेडिट कलाकृतियों, क्रेडिट हस्तांतरण और पूर्व शिक्षा की मान्यता या इन प्रक्रियाओं के संयोजन की प्रक्रियाओं के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।

जो छात्र आरपीएल के लिए आवेदन करना चाहते हैं उन्हें अन्य प्रासंगिक दस्तावेज के साथ पूर्ण योग्यता के मामले में साक्ष्य प्रदान करना होगा।

छात्र शिक्षण सहायता

Leaders Institute छात्रों को पाठ्यक्रम सीखने के परिणामों को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।

Leaders Institute साथ नामांकित छात्रों के लिए कई अनौपचारिक और औपचारिक शिक्षण सहायता सेवाएं उपलब्ध हैं। अभिविन्यास और वेब के माध्यम से सभी छात्रों को इनके बारे में अवगत कराया जाएगा। इनमें एक अध्ययन कौशल शिक्षक, अकादमिक अंग्रेजी कार्यशालाओं और ऑनलाइन संसाधनों के साथ समूह और व्यक्तिगत अध्ययन कौशल कार्यशालाएं शामिल हैं।

Saturday, July 3, 2021

ऑप्टोमेट्री में करियर

 अब तक हमने शायद आई सर्जन के बारे में ही सुना है लेकिन अब 'आई केयर' या ऑप्टोमेट्री के लिए भी कोर्सेज हैं और उन्हें पूरा करके स्वयं का रोजगार शुरू कर सकते हैं या आई केयर शोरूम में जॉब कर सकते हैं। यह कोर्स इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी(इग्नू) से भी किया जा सकता है। इसके अलावा मुंबई में भी कई संस्थानों में यह कोर्स चल रहा है।

  • ऐसे कई कोर्स हैं जहां लाखों उम्मीदवार परीक्षा में बैठते हैं लेकिन सीटें होती हैं केवल दस पर्सेंट और ऐसे भी कई कोर्स ऐसे हैं जहां स्टूडेंट ही नहीं मिल पाते। क्योंकि स्टूडेंट्स को उनकी जानकारी ही नहीं होती। ऐसे में जाहिर है कि कई स्टूडेंट निराश हो जाते हैं। इग्नू के वाइस चांसलर डा एसबी अरोड़ा के अनुसार, ऐसे स्टूडेंट ऑप्टोमेट्री का कोर्स करके डाक्टर न सही, लेकिन आई केयर एक्सपर्ट का सम्मानजनक पेशा पा सकते हैं।
योग्यता: जिन स्टूडेंट्स ने साइंस में 12वीं पास की है वे ये कोर्स कर सकते हैं। इस कोर्स में आंखों की देखभाल से संबंधित विषयों को पढ़ाया जाता है। साथ ही कस्मटर को किस तरह का चश्मा, कॉन्टैक्ट लैंस पहनने की सलाह दी जाए और लो-विजन डिवाइसेज एवं विजन थेरपी, आई एक्सरसाइज आदि के बारे में ट्रेनिंग दी जाती है।

कोर्स: डिग्री कोर्स तीन साल का होता है और एक साल इंटर्नशिप होती है। दूसरा कोर्स डिप्लोमा का है जो दो साल का है।

फीस: पहले साल 90,000 रुपये देने होते हैं और दूसरे-तीसरे साल 65,000 रुपये की फीस है।

सीटें: दोनों कोर्सेज के लिए 25-25 सीटें हैं।

मुंबई में कहां है कोर्स: इग्नू के अलावा मुंबई के कई संस्थानों में यह कोर्स उपलब्ध है जैसे एसएनडीटी, जुहू के लोट्स ऑप्टोमेट्री, वडाला के आदित्य ज्योत, पनवेल के आईटीएम और पनवेल के लक्ष्मी आई इंस्टिट्यूट से यह कोर्स किया जा सकता है।

स्कोप: कोर्स करने के बाद स्टूडेंट्स प्रमुख रूप से तीन तरह से रोजगार पा सकते हैं। जैसे स्वयं की प्रैक्टिस करना जैसे आई सर्जन करते हैं। ऑप्थोमोलिस्ट के रुप में किसी शोरूम में काम कर सकते हैं और तीसरा, आई हास्पिटल में काम कर सकते हैं। मुंबई में 135 साल पुराना लारेंस ऐंड मेयो का उदाहरण देना जरूरी है जो इंडिया में आई केयर और आई वियर स्पेशलिस्ट में सबसे बड़ा संस्थान है। यहां करीब 180 ऑप्टोमेट्री एक्सपर्ट काम कर रहे हैं।एक्सपर्टव्यू
'ऑप्टोमेट्रीअमेरिकाजैसेडिवेलपदेशमेंतीसराबेस्टप्रेस्टीजियसऔरमनीअर्निंगप्रफेशनमानाजाताहै।देशमेंहरसाल 10,000 ऑप्टोमेट्रीएक्सपर्टकीजरूरतहै, लेकिनहमारेस्कूल-कॉलेजकेवल 3000 कीसप्लाईहीकरपारहेहैं।स्टूडेंट्सकोइसकीजानकारीनहींहै।जबकिइसमें 1000 पर्सेंटजॉबगारंटीहै।हमारीअसोसिएशनकेसहयोगसेदेशके 130 संस्थानोंमेंऐसेकोर्सचलरहेहैं'
-विवेकमेंडोसा, प्रेजिडेंट, असोसिएशनऑफस्कूल्सऐंड कॉलेज ऑफ ऑप्टोमेट्री