वैलनैस इंडस्ट्री के तहत विभिन्न तंदुरुस्ती तथा सौंदर्य सेवाएं आती हैं
जिनका आनंद कोई व्यक्ति किसी सैलून अथवा केंद्र में उठा सकता है । पहले यह
एक असंगठित उद्योग था परंतु अब देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी देश की आय में
इसका योगदान महत्वपूर्ण है । एक अध्ययन के अनुसार देश में वैलनैस
इंडस्ट्री के इस वर्ष के अंत तक 1 लाख करोड़ रुपए का कारोबार करने का
अनुमान है । प्रति वर्ष 15-17 प्रतिशत की विकास दर हासिल करते हुए वर्ष
2012 में 70 हजार करोड़ रुपए मूल्य से यह बाजार वर्तमान आंकड़ों तक पहुंचा
है ।
ब्यूटी केयर सैग्मैंट की हिस्सेदारी सबसे अधिक
सम्पूर्ण वैलनैस इंडस्ट्री में ब्यूटी केयर सैग्मैंट की हिस्सेदारी ही 50 प्रतिशत (करीब 49 हजार करोड़) है जिसके बाद एल्टरनेट थैरेपी (करीब 21 हजार करोड़) तथा हैल्थ एंड वैल्नैस फूड एंड बेवरेज (27 हजार करोड़) का नम्बर आता है । वर्ष 2012 में ब्यूटी केयर इंडस्ट्री का मूल्य 29 हजार करोड़ रुपए था जबकि फिटनैस तथा स्लिमिंग मार्कीट उस वक्त करीब 60 हजार करोड़ रुपए की थी । करीब 60 प्रतिशत बाजार पर उत्पादों का कब्जा है । देश के महानगरों तथा बड़े शहरों में फ्रैंचाइजी के रूप में हैल्थ व ब्यूटी क्लब्स की संख्या में इजाफा होने की पूरी सम्भावनाएं देखी जा रही हैं । शोध दर्शाते हैं कि वर्ष 1995 से 2005 के मध्य पर्सनल केयर उत्पादों पर किया जाने वाला खर्च लोगों की कुल आय का 4 प्रतिशत से बढ़ कर 8 प्रतिशत हो गया है । वर्ष 2025 तक इसके बढ़ कर 11 प्रतिशत होने की उम्मीद है ।
भारत में अपार सम्भावनाएं
भारत आयुर्वेदिक ट्रीटमैंट्स तथा योगा के लिए एक ग्लोबल सैंटर बनता जा रहा है। हर्बल कॉस्मैटिक्स सैक्टर भी भारतीय वैल्नैस इंडस्ट्री में अपनी जगह पक्की करता जा रहा है । अनुमान है कि इसमें 7 प्रतिशत की दर से विकास होगा क्योंकि अधिक से अधिक लोग रासायनिक उत्पादों को छोड़ कर जैविक उत्पादों की तरफ आकर्षित हो रहे हैं ।
हैल्थ ड्रिंक्स के रूप में न्यूट्रास्यूटिकल्स, स्लिमिंग टी, डाइटरी सप्लीमैंट्स आदि का सेवन भी कई गुणा बढ़ रहा है । इस सैग्मैंट के भी वर्ष 2016 तक बढ़ कर 3212.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर होने की अपेक्षा है । वहीं ग्लोबल वैल्नैस टूरिज्म सैग्मैंट के भी आम पर्यटन की अपेक्षा 50 प्रतिशत तेजी के साथ बढऩे की सम्भावना है । इसमें एशियाई देशों का योगदान काफी अहम होगा ।
प्रशिक्षण संस्थान
हाल के वर्षों में वैलनैस इंडस्ट्री में करियर बनाने का प्रशिक्षण देने वाले देश में कई संस्थान खुले हैं । ये संस्थान वैल्नैस के क्षेत्र में ट्रेनिंग व एजुकेशन प्रदान कर रहे हैं। मंत्रा इंस्टीच्यूट ऑफ हैल्थ एंड फिटनैस मैनेजमैंट, ओरिएंट स्पा इंस्टीच्यूट, एन.एस.एच.एम. उड़ान स्किल्स फाऊंडेशन जैसे कुछ संस्थान अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रोग्राम्स तथा कोर्सेज करवा रहे हैं । भारत में विभिन्न सैमीनार, कांफ्रैंस, अवार्ड्स आदि भी आयोजित होते रहते हैं । ग्लोबल इंडियन ब्यूटी एक्स्पो 2014 आदि इसी का उदाहरण है । देश में वैल्नैस इंडस्ट्री में उज्ज्वल भविष्य बनाने की अपार सम्भावनाएं हैं ।
इस इंडस्ट्री में प्रदान की जाने वाली सेवाओं की भरमार प्रत्येक व्यक्ति की जरूरतों को पूरा करती हैं । अपेक्षा है कि भारतीय वैल्नैस इंडस्ट्री वर्ष 2015 तक रोजगार के 30 लाख मौके सृजित करेगी । ऐसे में इस इंडस्ट्री में रोजगार योग्य बनाने तथा इंडस्ट्री की योग्य कर्मचारियों की मांग को पूरा करने के लिए युवाओं में संबंधित कौशल विकसित करने की जरूरत है । साथ ही इस क्षेत्र में सर्टीफाइड कोर्स आदि भी शुरू करने चाहिएं ।
स्वरोजगार के भी उत्तम मौके
यह भी अच्छी बात है कि जो लोग इस सैक्टर में स्वरोजगार शुरू करना चाहते हैं उन्हें भी वैल्नैस से जुड़ी यूनिट्स खोलने के लिए आरम्भ में ही अधिक धनराशि की जरूरत नहीं होती तथा न ही अधिक लोगों की जरूरत पड़ती है।
ब्यूटी केयर सैग्मैंट की हिस्सेदारी सबसे अधिक
सम्पूर्ण वैलनैस इंडस्ट्री में ब्यूटी केयर सैग्मैंट की हिस्सेदारी ही 50 प्रतिशत (करीब 49 हजार करोड़) है जिसके बाद एल्टरनेट थैरेपी (करीब 21 हजार करोड़) तथा हैल्थ एंड वैल्नैस फूड एंड बेवरेज (27 हजार करोड़) का नम्बर आता है । वर्ष 2012 में ब्यूटी केयर इंडस्ट्री का मूल्य 29 हजार करोड़ रुपए था जबकि फिटनैस तथा स्लिमिंग मार्कीट उस वक्त करीब 60 हजार करोड़ रुपए की थी । करीब 60 प्रतिशत बाजार पर उत्पादों का कब्जा है । देश के महानगरों तथा बड़े शहरों में फ्रैंचाइजी के रूप में हैल्थ व ब्यूटी क्लब्स की संख्या में इजाफा होने की पूरी सम्भावनाएं देखी जा रही हैं । शोध दर्शाते हैं कि वर्ष 1995 से 2005 के मध्य पर्सनल केयर उत्पादों पर किया जाने वाला खर्च लोगों की कुल आय का 4 प्रतिशत से बढ़ कर 8 प्रतिशत हो गया है । वर्ष 2025 तक इसके बढ़ कर 11 प्रतिशत होने की उम्मीद है ।
भारत में अपार सम्भावनाएं
भारत आयुर्वेदिक ट्रीटमैंट्स तथा योगा के लिए एक ग्लोबल सैंटर बनता जा रहा है। हर्बल कॉस्मैटिक्स सैक्टर भी भारतीय वैल्नैस इंडस्ट्री में अपनी जगह पक्की करता जा रहा है । अनुमान है कि इसमें 7 प्रतिशत की दर से विकास होगा क्योंकि अधिक से अधिक लोग रासायनिक उत्पादों को छोड़ कर जैविक उत्पादों की तरफ आकर्षित हो रहे हैं ।
हैल्थ ड्रिंक्स के रूप में न्यूट्रास्यूटिकल्स, स्लिमिंग टी, डाइटरी सप्लीमैंट्स आदि का सेवन भी कई गुणा बढ़ रहा है । इस सैग्मैंट के भी वर्ष 2016 तक बढ़ कर 3212.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर होने की अपेक्षा है । वहीं ग्लोबल वैल्नैस टूरिज्म सैग्मैंट के भी आम पर्यटन की अपेक्षा 50 प्रतिशत तेजी के साथ बढऩे की सम्भावना है । इसमें एशियाई देशों का योगदान काफी अहम होगा ।
प्रशिक्षण संस्थान
हाल के वर्षों में वैलनैस इंडस्ट्री में करियर बनाने का प्रशिक्षण देने वाले देश में कई संस्थान खुले हैं । ये संस्थान वैल्नैस के क्षेत्र में ट्रेनिंग व एजुकेशन प्रदान कर रहे हैं। मंत्रा इंस्टीच्यूट ऑफ हैल्थ एंड फिटनैस मैनेजमैंट, ओरिएंट स्पा इंस्टीच्यूट, एन.एस.एच.एम. उड़ान स्किल्स फाऊंडेशन जैसे कुछ संस्थान अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रोग्राम्स तथा कोर्सेज करवा रहे हैं । भारत में विभिन्न सैमीनार, कांफ्रैंस, अवार्ड्स आदि भी आयोजित होते रहते हैं । ग्लोबल इंडियन ब्यूटी एक्स्पो 2014 आदि इसी का उदाहरण है । देश में वैल्नैस इंडस्ट्री में उज्ज्वल भविष्य बनाने की अपार सम्भावनाएं हैं ।
इस इंडस्ट्री में प्रदान की जाने वाली सेवाओं की भरमार प्रत्येक व्यक्ति की जरूरतों को पूरा करती हैं । अपेक्षा है कि भारतीय वैल्नैस इंडस्ट्री वर्ष 2015 तक रोजगार के 30 लाख मौके सृजित करेगी । ऐसे में इस इंडस्ट्री में रोजगार योग्य बनाने तथा इंडस्ट्री की योग्य कर्मचारियों की मांग को पूरा करने के लिए युवाओं में संबंधित कौशल विकसित करने की जरूरत है । साथ ही इस क्षेत्र में सर्टीफाइड कोर्स आदि भी शुरू करने चाहिएं ।
स्वरोजगार के भी उत्तम मौके
यह भी अच्छी बात है कि जो लोग इस सैक्टर में स्वरोजगार शुरू करना चाहते हैं उन्हें भी वैल्नैस से जुड़ी यूनिट्स खोलने के लिए आरम्भ में ही अधिक धनराशि की जरूरत नहीं होती तथा न ही अधिक लोगों की जरूरत पड़ती है।
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