Thursday, February 18, 2016

इंस्ट्रमेंटेशन इंजीनियर में करियर

इंजीनियरिंग की प्रमुख विधाओं में इंस्ट्रमेंटेशन इंजीनियरिंग को किसी भी सूरत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इंजीनियरिंग की इस शाखा के अंतर्गत इंटर डिसिप्लिनरी ट्रेनिंग दी जाती है। इन डिसिप्लिन या विषयों में इलेक्ट्रिकल, कैमिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर साइंस शामिल हैं। इनका काम मुख्य रूप से ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स की डिजाइनिंग,मेन्युफेक्चरिंग, मेंटेनेंस और रिपेयरिंग से सम्बंधित है, जिनके माध्यम से टेम्प्रेचर, प्रेशर, फ्लो आदि को मापने का काम किया जाता है। ये इंस्ट्रूमेंट्स घरेलू थर्मामीटर, फ्रिज और एसी में इस्तेमाल होने वाले थर्मोस्टेट से लेकर पावर प्लांट्स, कैमिकल इंडस्ट्री,ऑयल रिफाइनरी, स्टील इंडस्ट्री तक में किसी न किसी रूप में इस्तेमाल किये जाते हैं।
इंस्ट्रमेंटेशन इंजीनियिरग का महत्व
अमूमन इस तरह की विधा में ट्रेंड इंजीनियर्स ऑटोमेशन प्लांट्स या प्रोसेसिंग से जुड़े कामों में देखे जा सकते हैं। यहां इनका दायित्व सिस्टम प्रोडक्टिविटी में सुधार लाने की दिशा में प्रयास करना तथा सेफ्टी इत्यादि से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर सम्बंधित होता है। इसके अतिरिक्तकम्युनिकेशन, एयरोस्पेस, डिफेन्स, कम्प्यूटर्स एवं सेमी कंडक्टर तथा अन्य आम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उत्पादन के दौरान फाइनल टेस्टिंग इंस्ट्रमेंटेशन इंजीनियर्स द्वारा की जाती है। इंस्ट्रमेंटेशन सिस्टम्स के माध्यम से ही समस्त प्रोडक्शन का काम आजकल किया जा रहा है।  ऐसे में इन सिस्टम्स अथवा इक्विपमेंट्स में जरा सी खराबी आने से समूचा प्रोडक्शन प्लांट ठप होने का खतरा रहता है। इसलिए इन प्रोफेशनल्स को हमेशा ऐसी स्थितियों के समाधान के लिए उपलब्ध होना पड़ता है। दूसरे शब्दों में यह दायित्व अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
व्यक्तित्व और काबिलियत
जहां तक एकेडेमिक्स की बात है तो मैथ्स और फिजिक्स के फंडामेंटल बहुत क्लियर होने जरूरी हैं। इस प्रोफेशन में आने वाले समय में लगभग समस्त कामकाज का आधार प्राय: यही ज्ञान होगा। इसके अतिरिक्त विभिन्न उपकरणों और इंस्ट्रूमेंट्स में अतिरिक्त दिलचस्पी, इन्हें इस्तेमाल करने का आत्मविश्वास, प्रोडक्शन यूनिट्स के वातावरण में लम्बे समय तक काम कर पाने की क्षमता आदि का होना भी अत्यंत आवश्यक क्वालिटी में शुमार किया जा सकता है। अमूमन दूरदराज के क्षेत्रों में भी इन्हें इंस्टॉल करने के लिए जाना पड़ता है, इसलिए यात्रा करने से परहेज करने वालों को इस प्रोफेशन से दूर ही रहना चाहिए।
एकेडेमिक
बी ई अथवा बी टेक( इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंटेशन) सरीखी डिग्री किसी नामी संस्थान से हासिल करने पर रास्ते कैम्पस प्लेसमेंट के कारण थोडे आसान हो जाते हैं। इस कोर्स में इलेक्ट्रिकल, इंस्ट्रूमेंट्स, मशीनरी, इलेक्टिसिटी जेनरेशन, ट्रांसमिशन एवं डिस्ट्रीब्यूशन के लिए कंट्रोल इक्विपमेंट्स एवं पावर सिस्टम, टेलीकॉम इंडस्ट्री के लिए आवश्यक उपकरण तथा अन्य प्रकार के प्रोसेस ऑपरेशंस के लिए कंट्रोल सिस्टम्स की डिजाइनिंग एवं उत्पादन से जुड़ी सैद्धांतिक तथा व्यावहारिक ट्रेनिंग भी दी जाती है। इसके बाद पी एल सी प्रोग्रामिंग एस सी ए डी ए सर्टिफिकेशन कोर्स करना फायदेमंद रहता है। यही नहीं, एनालिटिकल और लॉजिकल  स्किल का होना भी इनके लिए अहम गुण कहा जा सकता है। जूनियर इंजीनियर के पदों पर इस विधा में डिप्लोमा धारक लोगों को भी मौके मिल सकते हैं।
कार्यकलाप
इलेक्टिकल सिस्टम्स और उपकरणों की डिजाइनिंग एवं निर्माण, सिस्टम्स का इंस्टॉलेशन एवं  मेंटेनेंस का सुपरविजन, हेल्थ एवं सेफ्टी स्टैंडर्ड का पालन, पुराने सिस्टम्स में नए सुधार, सम्बंधित कंप्यूटर सॉफ्टवेयर्स डेवलप करने में अहम भूमिका,  इलेक्टिसिटी जेनरेशन एवं मैनेजमेंट, नए बिजनेस प्रपोजल तैयार करना, भावी क्लाइंट्स से संपर्क इत्यादि। असल में इंस्ट्रमेंटेशन प्रोडक्शन से संबद्ध इतने अधिक क्षेत्र और कम्पनियां हैं कि किसी एक व्यक्ति के लिए सभी विधाओं में पारंगत होना लगभग नामुमकिन है। यही कारण है कि कम्पनियां अपनी जरूरत के अनुसार नव नियुक्त इंस्ट्रमेंटेशन इंजीनियर्स को कुछ समय तक ऑन जॉब ट्रेनिंग की सुविधा उपलब्ध करवाती हैं।
जॉब्स
इनके लिए प्राय: प्रत्येक इंडस्ट्री में जॉब्स पाने के मौके हो सकते हैं। इनमें ऑडियो-वीडियो कम्युनिकेशन सिस्टम, ऑटोमेशन इंडस्ट्री, इलेक्टिकल पावर के अतिरिक्त टेक्सटाइल्स,फार्मास्युटिकल्स, पेपर, मेटलर्जी, मरीन, लोकोमोटिव आदि का उल्लेख प्रमुख रूप से किया जा सकता है। शुरुआती जॉब्स में सेल्स इंजीनियर, एप्लीकेशन इंजीनियर, सर्विस इंजीनियर तथा मार्केटिंग इंजीनियर के पदों पर काम करने का मौका मिल सकता है। इनके अलावा ऑटोमेशन एंड कंट्रोल, प्लांट मेंटेनेंस, इंस्ट्रमेंटेशन डिजाइनिंग, सेल्स, सरकारी और निजी क्षेत्र के आर एंड डी विभागों, कैमिकल एवं फर्टिलाइजर इंडस्ट्री, रिफाइनरी, सीमेंट प्लांट्स, टीचिंग आदि के क्षेत्र में भी रोजगार के अवसर संभव हो सकते हैं। विदेशी कंपनियों में भी काम के अवसर मिलते हैं

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