Friday, February 12, 2016

टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में करियर

सिविल, एग्रीकल्चर, कम्प्यूटर, मैकेनिकल के साथ ही टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग भी संभावनाओं के नए द्वार खोल रही है। इस क्षेत्र में करियर के अवसरों के बारे में बता रही हैं नमिता सिंह
आर्थिक उदारीकरण और औद्योगिक आवश्यकताओं ने इंजीनियरिंग की विभिन्न शाखाओं में अवसरों के नए द्वार खोले हैं। वह दौर बीत गया, जब लोग इंजीनियरिंग को महज कुछ ही क्षेत्रों तक सीमित मानते थे। आज इसका दायरा कई प्रमुख क्षेत्रों तक बढ़ चुका है। इसी में से एक टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग भी है। यह इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की एक शाखा है और वैश्वीकरण के दौर में विभिन्न देशों के बीच कम्युनिकेशन का एक सशक्त माध्यम बन कर उभरी है। टेलीकम्युनिकेशन के ही कई सिद्धांतों को मिला कर ट्रांसमिशन, डिजिटल सिग्नल, नेटवर्क, चैनल, मॉडय़ूलेशन संबंधी कार्य आसानी से किए जा सकते हैं। यह इंजीनियरिंग की परंपरागत शाखाओं से कुछ अलग हट कर है। स्पष्ट शब्दों में कहा जा सकता है कि यह सेटेलाइट कम्युनिकेशन, केबल रेडियो, राडार आदि के जरिए दूर-दूर तक सूचनाओं के आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण जरिया है।
बहुत कुछ सिखाता है कोर्स
टेलीकम्युनिकेशन से संबंधित जो भी कोर्स हैं, वे छात्रों को प्रायोगिक और सैद्धांतिक दोनों तरह की जानकारी प्रदान करते हैं। इंडस्ट्री की डिमांड को देखते हुए इसमें ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट, डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा लेवल के कोर्स चलन में हैं। इनके जरिए नेटवर्क सिस्टम की डिजाइनिंग, इंस्टॉलिंग, टेस्टिंग, रिपेयरिंग आदि कौशल से रूबरू हुआ जा सकता है। सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, टेलीकॉम मार्केटिंग, नेटवर्क मैनेजमेंट, नेटवर्क सिक्योरिटी संबंधी जानकारी भी कोर्स के दौरान दी जाती है।
कौन-कौन से हैं कोर्स
बीई/बीटेक इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग
बीई/बीटेक टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग
एमई/एमटेक इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग
एमटेक नेटवर्क एंड टेलीकम्युनिकेशन
एमबीए टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम मैनेजमेंट
पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा इन टेलीकम्युनिकेशन
डिप्लोमा इन टेलीकम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी
डिप्लोमा इन इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग
ये प्रवेश परीक्षाएं बनेंगी आधार
ग्रेजएट लेवल

एसोसिएट मेंबरशिप ऑफ इंस्टीटय़ूशन ऑफ इंजीनियर्स (एएमआईई)
ऑल इंडिया कॉमन एंट्रेंस टैस्ट (एआईसीईटी)
आईआईटी ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम (आईआईटी जेईई)
जेएनयू इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम (जेएनयूईईई)
उत्तर प्रदेश स्टेट एंट्रेंस एग्जाम (यूपीएसईई)
बिड़ला इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी एण्ड साइंस एग्जाम (बीआईटीएसएटी)
नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी)
पोस्ट ग्रेजुएट लेवल
ग्रेजुएट एप्टीटय़ूड टैस्ट इन इंजीनियरिंग (गेट)
पोस्ट ग्रेजुएट इंजीनियरिंग कॉमन एंट्रेंस टैस्ट
बिड़ला इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस एग्जाम (बीआईटीएसएटी)
आईआईटी ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम (आईआईटी जेईई)
शैक्षिक योग्यता
इसमें चार वर्षीय बैचलर (बीई/बीटेक) कोर्स में प्रवेश पाने के लिए छात्र को 10+2 परीक्षा फिजिक्स, केमिस्ट्री एवं मैथ्स के साथ उत्तीर्ण होना आवश्यक है, जबकि दो वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएट  कोर्स (एमई/एमटेक/एमबीए) के लिए उसी स्ट्रीम में बीई/बीटेक की डिग्री मांगी जाती है। डिप्लोमा अथवा पीजी डिप्लोमा के लिए भी छात्र का स्नातक होना आवश्यक है। डिप्लोमा व पीजी डिप्लोमा के कोर्स ज्यादातर एक या दो वर्ष के होते हैं।
आवश्यक स्किल्स
यह पूरी तरह से तकनीकी क्षेत्र है, इसलिए छात्रों को अपने अंदर तकनीकी गुण विकसित करना आवश्यक है। इसके साथ ही कम्युनिकेशन स्किल्स, टीम वर्क, कम्यूटर हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर की जानकारी, टेक्िनकल राइटिंग जैसे गुण कदम-कदम पर प्रोफेशनल्स की मदद करते हैं।
वेतनमान
इसमें प्रोफेशनल्स की सेलरी काफी कुछ संस्थान पर निर्भर करती है। शुरुआती दौर में उन्हें लगभग 20-25 हजार रुपए प्रतिमाह मिलते हैं। दो-तीन साल के अनुभव के पश्चात यह बढ़ कर 35-40 हजार के करीब पहुंच जाते हैं। आज कई ऐसे लोग हैं, जिनका पैकेज लाखों में है। विदेशों में प्रोफेशनल्स को आकर्षक पैकेज मिलता है।
संभावनाएं
इंडस्ट्री में ग्रोथ के कारण इसमें संभावनाएं भी तेजी से पैर पसार रही हैं। प्रोफेशनल्स को टेलीकॉम इंडस्ट्री, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट सेक्टर, रेलवे, एयरोस्पेस इंडस्ट्री, मोबाइल फोन सर्विस प्रोवाइडर में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर, टैस्ट इंजीनियर, कस्टमर सपोर्ट स्टाफ, प्रोडक्ट मैनेजर, पावर डिस्ट्रिब्यूटर्स, पावर रिएक्टर ऑपरेटर, डिजाइन डेवलपर, सेल्स व मार्केटिंग, क्वालिटी एसुरेंश मैनेजर के रूप में रोजगार मिलता है।
एजुकेशन लोन
छात्रों को प्रमुख राष्ट्रीयकृत, प्राइवेट अथवा विदेशी बैंकों द्वारा एजुकेशन लोन प्रदान किया जाता है। छात्र को जिस संस्थान में एडमिशन कराना होता है, वहां से जारी एडमिशन लेटर, हॉस्टल खर्च, ट्यूशन फीस एवं अन्य खर्चो को ब्योरा बैंक को देना होता है। अंतिम निर्णय बैंक को करना होता है।
फीस स्ट्रक्चर
इसमें सेमेस्टर के हिसाब से फीस का भुगतान किया जाता है। यह फीस 12-15 हजार रुपए या उससे अधिक हो सकती है। फीस साल दर साल अपडेट होती रहती है। सरकारी संस्थानों व प्राइवेट संस्थानों की फीस अलग-अलग होती है। अमूमन प्राइवेट संस्थानों की फीस सरकारी की तुलना में कुछ ज्यादा ही होती है।
फैक्ट फाइल
क्या कहती है इंडस्ट्री
भारत में टेलीकम्युनिकेशन इंडस्ट्री का दायरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। यही कारण है कि मार्च 2013 तक 898 मिलियन सबस्क्राइबर के साथ भारत टेलीकम्युनिकेशन का दूसरा सबसे बड़ा बाजार बन चुका है।
पिछले दो सालों से यह सेक्टर 13.4 प्रतिशत की दर से ग्रोथ कर रहा है। 2015 तक इसमें 20 प्रतिशत ग्रोथ की संभावना दर्ज की जा रही है।
एक सर्वे रिपोर्ट की मानें तो देश में लगभग 56 करोड़ मोबाइल उपभोक्ता हैं। इनमें से 30 करोड़ ग्रामीण भारत से हैं।
जहां तक वायरलेस कनेक्टिविटी की बात है तो यह देश में 2012 में 38 प्रतिशत सालाना ग्रोथ कर रही थी, जबकि उम्मीद है कि 2017 तक यह ग्रोथ 40 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी।
प्रमुख संस्थान
डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, बेंगलुरू
वेबसाइट
- www.dbatuonline.com
आर्मी इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पुणे
वेबसाइट
- www.aitpune.com
बीएमएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, बेंगलुरू
वेबसाइट
- www.bmsce.in
भारती विद्यापीठ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, नई दिल्ली
वेबसाइट
- www.bvcoend.ac.in
असम इंजीनियरिंग कॉलेज, गुवाहाटी
वेबसाइट-
www.aec.ac.in
फायदे व नुकसान
मन के अनुरूप मिलता है काम
आगे बढ़ने की काफी संभावनाएं
हार्ड एवं चैलेंजिंग जॉब
दिक्कत आने पर अधिक समय खर्च
एक्सपर्ट व्यू
चुनौतियों से जूझने का जज्बा अपनाएं

इस इंडस्ट्री में मार्केटिंग, प्रोडक्ट, नेटवर्क, एकाउंट से संबंधित प्रोफेशनल्स के लिए कई तरह के कार्य होते हैं। आज देश में मनी ट्रांसफर, फोन बैंकिंग, एसएमएस सर्विस जैसी हर तरह की सेवा मोबाइल पर उपलब्ध होती जा रही है। आज करीब 80 फीसदी लोगों के हाथ में मोबाइल है। एक दौर ऐसा भी था, जब एक फोन कॉल 32 रुपए के करीब हुआ करती थी। इनकमिंग के भी पैसे देने पड़ते थे, जबकि आज एक पैसे से भी कम कॉल रेट पर बात हो रही है। यह सब टेलीकम्युनिकेशन इंडस्ट्री की ही देन है। काम के दौरान प्रोफेशनल्स का सामना जटिल टेलीकम्युनिकेशन उपकरणों से होता है। इस क्षेत्र में भी चुनौतियों से दो-चार होना पड़ता है। कई बार डाटा गायब हो जाने या सिग्नल न आने के कारण लंबे समय तक प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझना पड़ता है। लड़कियां भी इस क्षेत्र में तेजी से कदम रख रही हैं। समय के साथ इसमें तेजी से संभावनाएं बढ़ रही हैं। यदि छात्र ने गंभीरतापूर्वक कोर्स किया है तो उसे निराश नहीं होना पड़ेगा।
- राजीव द्विवेदी (सर्किल हेड, यूपी ईस्ट)
रिलायंस कम्युनिकेशन लिमिटेड

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