मनोरंजन और खेल के नाम से अब मैदानी भागदौड ही मस्तिष्क में नहीं आती कंप्यूटर ने उसे घर बैठे दिमागी भागदौड का खेल बना दिया है। शहरी परिवेश में पले-बढ़े बच्चे आज गुल्ली-डंडा, कबड्डी या खो-खो जैसे खेलों से वाफिक हों या न हों लेकिन मारियो, सुपर कांट्रा, बॉबरमैन जैसे वीडियो गेमों से वे भली-भांति वाकिफ होते हैं। जैसे-जैसे वीडियो गेम की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है, उसी तेजी से यह उद्योग भी फल-फूल रहा है। नए-नए वीडियो गेमों के लिए नई-नई तकनीकें भी ईजाद की जा रही हैं।
गौरतलब है कि वीडियो गेम के निर्माण की प्रक्रिया काफी जटिल होती है। वीडियो गेमों का निर्माण मल्टीमीडिया, ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के प्रयोग द्वारा किया जाता है। एक बड़े कंप्यूटर गेम का निर्माण करने में कई अनुभवी लोगों की टीम को कुछ महीनों का समय लग सकता है। आजकल वीडियो गेस को अंतरराष्ट्रीय लोकप्रियता को ध्यान में रखकर डिजाइन किया जाता है।
सबसे पहले वीडियो गेम की स्क्रिप्ट में लिखित रूप में यह तय कर लिया जाता है कि गेम में कौन से पात्र डाले जाएँ तथा कैसे दृश्य निर्मित किए जाएँ। इसके बाद स्टोरी बोर्ड तैयार किया जाता है जिसमें सभी संभावित दृश्यों के फ्रेम तैयार किए जाते हैं। इसके बाद एडोब फोटोशॉप सॉफ्टवेयर में 3-डी तथा फोटोमैस सॉफ्टवेयर में 2-डी एनिमेटेड चित्र बनाए जाते हैं।
इन चित्रों में एसएसआई जैसे सॉफ्टवेयर की मदद से गति उत्पन्न की जाती है। इसके बाद गेमिंग इंजन की मदद से एनिमेटेड इमेज को की-बोर्ड तथा माउस की सहायता से नियंत्रित किया जाता है। गेम इंजन में लिखे कमांड से ही कंप्यूटर के किसी बटन को दबाने से गोली चलती है या एनीमेटेड इमेज आगे-पीछे, ऊपर-नीचे बढ़ती है।
वीडियो गेम को मुख्य तौर पर चार भागों में बांटा जाता है। एस बॉस गेम, कंप्यूटर गेम, मोबाइल गम तथा थिएटर गेम। एस बॉस गेम में एक मशीन को तार द्वारा टीवी स्क्रीन से जोड़ा जाता है। कंप्यूटर गेम को कंप्यूटर पर सीडी या इंटरनेट की मदद से लोड किया जाता है। मोबाइल गेम का फार्मेट कंप्यूटर गेम से मिलता-जुलता ही होता है लेकिन सेटछोटा हो जाता है। थिएटर गेम बड़े-बड़े एम्यूजमेंट पार्क, मल्टीप्लेस तथा मॉल्स में लगाए जाते हैं।
वीडियो गेम बनाने की प्रक्रिया वैज्ञानिक ज्ञान और कलात्मक एवं रचनात्मक क्षमता का अनोखा मिश्रण है। यह काफी वक्त लेने वाला काम है इसलिए वीडियो गेम के निर्माण में कलात्मक प्रतिभा, दिमागी कौशल ही नहीं बल्कि धैर्य का होना भी बहुत आवश्यक है।
वीडियो गेम डिजाइनिंग में करियर बनाने हेतु रचनात्मक अभिरुचि के अलावा कंप्यूटर गेम खेलने का शौक भी होना चाहिए चूंकि गेमिंग कंप्यूटर एनिमेशन क्षेत्र की ही एक नई शाखा है इसलिए पहले एनिमेशन के एक्स्पर्ट ही गेम डेवलप का कार्य किया करते थे लेकिन गेमिंग बाजारकी बढ़ती मांग औरनए गेमिंग सॉफ्टवेयर के विकास ने गेमिंग को एक नए अध्ययन क्षेत्र के रूप में विकसित कर दिया है।
वीडियो गेमिंग के क्षेत्र में सबसे ज्यादा काम कनाड़ा में होता है। अब भारत में भी इसका दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। भारत में गेमिंग में डिप्लोमा या एडवांस डिप्लोमा पाठ्यक्रम कराया जाता है। वीडियो गेम डिजाइनिंग सिखाने वाले संस्थानों में प्रवेश लेने के लिए स्नातक होना आवश्यक है। कुछ संस्थान एनीमेशन तथा मल्टीमीडिया के कोर्स के दौरान ही गेमिंग की जानकारी देते हैं। इन सभी कोर्सों की अवधि एक से दो वर्ष होती है।
कोर्स के दौरान ड्राइंग, डिजाइनिंग, प्रोडशन, प्रोग्रामिंग, लाइटिंग के साथ-साथ एनीमेशन व डिजीटल आर्ट्स सिखाया जाता है। गेम डेवलपमेंट में लाइफ ड्राइंग तथा स्कल्पचर जैसी कलाओं को समझना जरूरी होता है। वीडियो गेमिंग के पाठ्यक्रम के दौरान सभी संस्थान छात्रों को प्रोजेक्ट वर्क देते हैं जिसके तहत उन्हें एक छोटा गेम तैयारकरना होता है। कोर्स में छात्रों को यूँ तो गेम डेवलपमेंट की पूरी जानकारी दी जाती हैलेकिन कोर्स के दौरान ही छात्र अपनी रुचि का क्षेत्र चुन लेते हैं और बाद में इसी क्षेत्र के विशेषज्ञ बनते हैं। वैसे भी आज मार्केट में विशेषज्ञ की ही माँग है।
कंप्यूटर जीवन के जिस-जिस क्षेत्र से जुड़ता जा रहा है, उस-उस क्षेत्र में रोजगारके नए अवसर पैदा करता जा रहा है। कंप्यूटर के प्रयोग के कारण भारत में गेमिंग उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है। एक अनुमान के अनुसार भारत में आज करीब पचास हजार गेमिंग प्रोफेशनल्स की जरूरत है लेकिन मात्र दस से पंद्रह फीसदी प्रोफेशनल्स ही बाजार में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।
गेमिंग मार्केट में गेम डेवलपर, गेम प्रोग्रामर, गेम ऑथर, एनिमेटर, ग्राफिक डिजाइनर, स्कल्पचर, गेम लाइटिंग व साउंड एक्सपर्ट की जबर्दस्त मांग है। देश में अभी गेम डेवलपमेंट के क्षेत्र में इंडिया गेम, ध्रुव इंटरेटिव, पाराडौस, वी-बीइंग जैसी कुछ प्रमुख कंपनियाँ काम कर रही हैं। इसके अलावा सोनी, ईए जैसी मल्टीनेशनल कंपनियाँ भी भारत में अपनी दस्तक दे चुकी हैं। भविष्य में इन्हीं कंपनियों में करियर की अपार संभावनाएँ प्रोफेशनल्स तलाश सकते हैं। भारत में गेमिंग उद्योग के तेजी से पनपने की प्रमुख वजह गेम डेवलपमेंट पर अन्य देशों के मुकाबले कम पैसा खर्च होता है।
वीडियो गेमिंग का कोर्स कराने वाले देश के प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं:
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजाइन पाल्दी, अहमदाबाद।
सेंटर फॉर इलेट्रॉनिस डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी ऑफ इंडिया, चंडीगढ़।
फॉरच्यून इंस्टिट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन, नई दिल्ली।
महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, केरल।
माया एके डमी ऑफ एडवांस सिनेमेटिस, मुंबई।
गौरतलब है कि वीडियो गेम के निर्माण की प्रक्रिया काफी जटिल होती है। वीडियो गेमों का निर्माण मल्टीमीडिया, ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के प्रयोग द्वारा किया जाता है। एक बड़े कंप्यूटर गेम का निर्माण करने में कई अनुभवी लोगों की टीम को कुछ महीनों का समय लग सकता है। आजकल वीडियो गेस को अंतरराष्ट्रीय लोकप्रियता को ध्यान में रखकर डिजाइन किया जाता है।
सबसे पहले वीडियो गेम की स्क्रिप्ट में लिखित रूप में यह तय कर लिया जाता है कि गेम में कौन से पात्र डाले जाएँ तथा कैसे दृश्य निर्मित किए जाएँ। इसके बाद स्टोरी बोर्ड तैयार किया जाता है जिसमें सभी संभावित दृश्यों के फ्रेम तैयार किए जाते हैं। इसके बाद एडोब फोटोशॉप सॉफ्टवेयर में 3-डी तथा फोटोमैस सॉफ्टवेयर में 2-डी एनिमेटेड चित्र बनाए जाते हैं।
इन चित्रों में एसएसआई जैसे सॉफ्टवेयर की मदद से गति उत्पन्न की जाती है। इसके बाद गेमिंग इंजन की मदद से एनिमेटेड इमेज को की-बोर्ड तथा माउस की सहायता से नियंत्रित किया जाता है। गेम इंजन में लिखे कमांड से ही कंप्यूटर के किसी बटन को दबाने से गोली चलती है या एनीमेटेड इमेज आगे-पीछे, ऊपर-नीचे बढ़ती है।
वीडियो गेम को मुख्य तौर पर चार भागों में बांटा जाता है। एस बॉस गेम, कंप्यूटर गेम, मोबाइल गम तथा थिएटर गेम। एस बॉस गेम में एक मशीन को तार द्वारा टीवी स्क्रीन से जोड़ा जाता है। कंप्यूटर गेम को कंप्यूटर पर सीडी या इंटरनेट की मदद से लोड किया जाता है। मोबाइल गेम का फार्मेट कंप्यूटर गेम से मिलता-जुलता ही होता है लेकिन सेटछोटा हो जाता है। थिएटर गेम बड़े-बड़े एम्यूजमेंट पार्क, मल्टीप्लेस तथा मॉल्स में लगाए जाते हैं।
वीडियो गेम बनाने की प्रक्रिया वैज्ञानिक ज्ञान और कलात्मक एवं रचनात्मक क्षमता का अनोखा मिश्रण है। यह काफी वक्त लेने वाला काम है इसलिए वीडियो गेम के निर्माण में कलात्मक प्रतिभा, दिमागी कौशल ही नहीं बल्कि धैर्य का होना भी बहुत आवश्यक है।
वीडियो गेम डिजाइनिंग में करियर बनाने हेतु रचनात्मक अभिरुचि के अलावा कंप्यूटर गेम खेलने का शौक भी होना चाहिए चूंकि गेमिंग कंप्यूटर एनिमेशन क्षेत्र की ही एक नई शाखा है इसलिए पहले एनिमेशन के एक्स्पर्ट ही गेम डेवलप का कार्य किया करते थे लेकिन गेमिंग बाजारकी बढ़ती मांग औरनए गेमिंग सॉफ्टवेयर के विकास ने गेमिंग को एक नए अध्ययन क्षेत्र के रूप में विकसित कर दिया है।
वीडियो गेमिंग के क्षेत्र में सबसे ज्यादा काम कनाड़ा में होता है। अब भारत में भी इसका दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। भारत में गेमिंग में डिप्लोमा या एडवांस डिप्लोमा पाठ्यक्रम कराया जाता है। वीडियो गेम डिजाइनिंग सिखाने वाले संस्थानों में प्रवेश लेने के लिए स्नातक होना आवश्यक है। कुछ संस्थान एनीमेशन तथा मल्टीमीडिया के कोर्स के दौरान ही गेमिंग की जानकारी देते हैं। इन सभी कोर्सों की अवधि एक से दो वर्ष होती है।
कोर्स के दौरान ड्राइंग, डिजाइनिंग, प्रोडशन, प्रोग्रामिंग, लाइटिंग के साथ-साथ एनीमेशन व डिजीटल आर्ट्स सिखाया जाता है। गेम डेवलपमेंट में लाइफ ड्राइंग तथा स्कल्पचर जैसी कलाओं को समझना जरूरी होता है। वीडियो गेमिंग के पाठ्यक्रम के दौरान सभी संस्थान छात्रों को प्रोजेक्ट वर्क देते हैं जिसके तहत उन्हें एक छोटा गेम तैयारकरना होता है। कोर्स में छात्रों को यूँ तो गेम डेवलपमेंट की पूरी जानकारी दी जाती हैलेकिन कोर्स के दौरान ही छात्र अपनी रुचि का क्षेत्र चुन लेते हैं और बाद में इसी क्षेत्र के विशेषज्ञ बनते हैं। वैसे भी आज मार्केट में विशेषज्ञ की ही माँग है।
कंप्यूटर जीवन के जिस-जिस क्षेत्र से जुड़ता जा रहा है, उस-उस क्षेत्र में रोजगारके नए अवसर पैदा करता जा रहा है। कंप्यूटर के प्रयोग के कारण भारत में गेमिंग उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है। एक अनुमान के अनुसार भारत में आज करीब पचास हजार गेमिंग प्रोफेशनल्स की जरूरत है लेकिन मात्र दस से पंद्रह फीसदी प्रोफेशनल्स ही बाजार में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।
गेमिंग मार्केट में गेम डेवलपर, गेम प्रोग्रामर, गेम ऑथर, एनिमेटर, ग्राफिक डिजाइनर, स्कल्पचर, गेम लाइटिंग व साउंड एक्सपर्ट की जबर्दस्त मांग है। देश में अभी गेम डेवलपमेंट के क्षेत्र में इंडिया गेम, ध्रुव इंटरेटिव, पाराडौस, वी-बीइंग जैसी कुछ प्रमुख कंपनियाँ काम कर रही हैं। इसके अलावा सोनी, ईए जैसी मल्टीनेशनल कंपनियाँ भी भारत में अपनी दस्तक दे चुकी हैं। भविष्य में इन्हीं कंपनियों में करियर की अपार संभावनाएँ प्रोफेशनल्स तलाश सकते हैं। भारत में गेमिंग उद्योग के तेजी से पनपने की प्रमुख वजह गेम डेवलपमेंट पर अन्य देशों के मुकाबले कम पैसा खर्च होता है।
वीडियो गेमिंग का कोर्स कराने वाले देश के प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं:
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजाइन पाल्दी, अहमदाबाद।
सेंटर फॉर इलेट्रॉनिस डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी ऑफ इंडिया, चंडीगढ़।
फॉरच्यून इंस्टिट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन, नई दिल्ली।
महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, केरल।
माया एके डमी ऑफ एडवांस सिनेमेटिस, मुंबई।
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