Sunday, July 5, 2015

इंटीरियर डिजाइनिंग: अपने हाथों से सजाएं अपना करियर

महानगरों में ही नहीं, छोटे शहरों और कस्बों में भी लोग अपने घरों, दफ्तरों और विभिन्न समारोहों को इंटीरियर की दृष्टि से व्यवस्थित करने लगे हैं, इसलिए यह काम एक बेहतर स्वरोजगार का माध्यम बनता जा रहा है। आप भी अपनी किस्मत आजमा सकते हैं। कैसे, बता रहे हैं प्रेम बरेलवी

इंटीरियर डिजाइनिंग के प्रति लोगों का रुझान इस हद तक बढ़ चुका है कि लोग खुद किसी स्पेस को डिजाइन करने की अपेक्षा प्रशिक्षित इंटीरियर डिजाइनर की मदद लेना पसंद करने लगे हैं। सामाजिक समारोहों के अलावा आजकल लोगों में व्यक्तिगत समारोहों, घर और अपने कार्यालय को सजाने का भी चलन बढ़ा है। यही कारण है कि इंटीरियर डिजाइनर की मांग खूब होने लगी है।

इंटीरियर डिजाइनिंग में स्थान की प्लानिंग करने के साथ-साथ अंदरूनी जगह की सजावट की जाती है। सजावट चाहे घर की हो, दफ्तर की हो, होटल की हो, भवन की या फिर शोरूम की, इंटीरियर डिजाइनर का काम उसे अच्छे से अच्छा लुक देना होता है। इंटीरियर डिजाइनिंग में खासतौर से योजना, डिजाइन, निर्माण, पुनर्निर्माण, पुनरुद्धार और साज-सज्जा आदि पर ध्यान देना होता है। किसी भी स्थान की इंटीरियर डिजाइनिंग का मुख्य उद्देश्य सही बजट में सही वातावरण तैयार करना होता है।

इस क्षेत्र में यों तो बहुत से अवसर हैं, लेकिन अगर आप इस काम को स्वरोजगार के रूप में अपनाते हैं तो यह क्षेत्र आपके लिए फायदे वाला साबित हो सकता है। इस काम में पढ़ाई से ज्यादा काम आती है आपकी क्रिएटिविटी। एक इंटीरियर डिजाइनर बनने के लिए कलात्मकता, प्रबंधकीय दक्षता, कला, तार्किक बुद्धि, नई-नई सोच, तुरंत बदलाव करने की क्षमता और तकनीकी पारस्परिकता का मेल होना बहुत जरूरी है। इंटीरियर डिजाइनर को अपने विचारों, हुनर तथा काम से हर तरह के ग्राहक को संतुष्ट करना होता है। इसमें आप मॉडर्न आर्ट का काफी अच्छे से इस्तेमाल कर सकते हैं। जो कला में रुचि रखते हैं, वे इस क्षेत्र में अच्छा मुकाम पा सकते हैं। एक इंटीरियर डिजाइनर को बिल्डर्स, आर्किटेक्ट, कॉन्ट्रेक्टर, प्लंबर और इलेक्ट्रीशियन से सामंजस्य बिठाना पड़ता है। इंटीरियर डिजाइनिंग में एक ही फील्ड में स्पेशलाइजेशन भी किया जा सकता है। आप फिल्मों और थिएटर के अलावा विभिन्न मेलों में ठेके पर इंटीरियर के काम की तलाश कर सकते हैं। जो लोग बदलते ट्रैंड को अच्छी तरह समझते हैं और उसी हिसाब से अपने काम में बदलाव लाते रहते हैं, वे इस क्षेत्र में और भी अच्छा करियर बना सकते हैं।

जगह का चुनाव
इंटीरियर डिजाइनर का काम शुरू करने के लिए वैसे तो एक छोटे से ऑफिस टाइप कमरे की जरूरत होती है, लेकिन अगर आप सजावट का सामान भी रखना चाहते हैं तो एक गोदाम की जरूरत पड़ेगी। आप यह काम कहीं भी कर सकते हैं। बस इतना ध्यान रहे कि आप जहां भी बैठें, आपके पास ग्राहक आसानी से आ सकें और आप वहां से अपने काम का अच्छी तरह प्रचार कर सकें।

आमदनी
इंटीरियर का काम करीब पांच-छह महीने बाद बाजार पकड़ पाता है, यानी पांच-छह महीने तक आपको बहुत कम आमदनी हो सकती है। हां, आपका ऑफिस और गोदाम खर्च आराम से निकल आएगा। अगर आप बाजार में जल्दी पकड़ बना लेते हैं तो एक-दो महीने में ही आपको अच्छी आमदनी होने लगेगी।

यह काम ऐसा है, जो एक बार जम गया तो कभी ठप नहीं होगा। फिर भी कम लागत पर शुरुआत में आप 10 से 25 हजार रुपए कमा सकते हैं। अगर काम अच्छा चल गया तो हर महीने 50 हजार से एक लाख रुपए महीने तक आमदनी हो सकती है। बड़े स्तर पर काम करने पर आमदनी भी अधिक होगी, लेकिन यह आपके काम के चलने पर ही निर्भर करेगी।

जरूरी उपकरण
आजकल डिजाइनिंग का काम तो कंप्यूटर द्वारा होने लगा है, अत: इस काम को शुरू करने के लिए सबसे पहली प्राथमिकता तो कंप्यूटर ही है। इसके अलावा चित्रकला के काम आने वाली प्राथमिक चीजें जैसे सादा कागज, पेंसिल, रबड़ आदि की जरूरत होगी। प्लास, पेचकस, कारपेंटर के उपकरण और बिल्डिंग मैटीरियल की भी जरूरत होती है।

लागत
इंटीरियर डिजाइनिंग के काम के लिए आपको कम से कम 50-60 हजार रुपए की जरूरत पड़ेगी। इसके अलावा आपको ऑफिस बनाने के लिए अलग से पैसा लगाना पड़ेगा। इसके बाद आपको हर महीने ऑफिस खर्च की जरूरत पड़ेगी। अधिक पैसा लगाने की इस काम में सीमा नहीं है, फिर भी बड़े स्तर पर दो से पांच लाख रुपए में आपका काम शुरू हो सकता है, जो आपके ऑफिस और गोदाम के खर्चे के अतिरिक्त भी हो सकता है।

फैक्ट फाइल
कोर्स
इंटीरियर डिजाइनिंग का कोर्स अधिकतर आर्ट स्कूल कराते हैं। भारत में इसके डिप्लोमा और डिग्री कोर्स उपलब्ध हैं। इन कोर्सेज में विद्यार्थी को बिल्डिंग में आंतरिक और बाहरी साज-सज्जा के अलावा उसकी बनावट के हिसाब से बेहतर से बेहतर लुक देना सिखाया जाता है। कुछ संस्थान बिल्डिंग बनाने और उसमें सज्जा के लिए बनाई जाने वाली चीजों का निर्माण करना भी सिखाते हैं।

योग्यता
इंटीरियर डिजाइनिंग का किसी भी कोर्स  के लिए गणित, कला, अंग्रेजी में कम से कम 55 प्रतिशत अंकों के साथ बारहवीं पास होना जरूरी है। इसके अलावा आपकी कला में रुचि और चित्रकला का ज्ञान, कंप्यूटर की प्राथमिक जानकारी और सृजन क्षमता का होना आवश्यक है।

प्रवेश
डिप्लोमा या डिग्री कोर्स करने के लिए प्रवेश परीक्षा पास करनी होगी, जिसमें आपकी तार्किक, बौद्घिक और सृजन क्षमता की जांच के अलावा गणित, हिंदी, अंग्रेजी, कला और विज्ञान के सामान्य ज्ञान की परख की जाती है। कुछ प्राइवेट संस्थान बिना प्रवेश परीक्षा के ही प्रवेश दे देते हैं।

फीस
इंटीरियर डिजाइनिंग के कोर्सेज की फीस डिप्लोमा कोर्सेज में समयावधि तथा संस्थान और डिग्री कोर्सेज में संस्थान के हिसाब से अलग-अलग है। सरकारी संस्थान जहां 5 से 20 हजार में एक साल के डिप्लोमा और डिग्री कोर्स कराते हैं, वहीं प्राइवेट संस्थान 15 हजार रुपए महीने से लेकर एक-डेढ़ लाख रुपये साल तक वसूलते हैं।

लोन
इंटीरियर डिजाइनिंग का काम और इसकी पढ़ाई, दोनों के लिए ही बैंक से लोन मिल जाता है। पढ़ाई के लिए सभी बैंक लोन नहीं देते। काम शुरू करने के लिए लोन लेने पर आपको बैंक की प्राथमिक शर्तों का पालन करना होगा, जो अधिकतर आरबीआई द्वारा निर्धारित होती हैं। इसके अलावा आपको जरूरी दस्तावेज जमा कराने होंगे। लोन आप अपने स्तर पर बैंक से संपर्क करके सीधे लेने के अलावा प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत भी ले सकते हैं।

कुछ प्रमुख संस्थान

मीराबाई पॉलिटेक्निक, महारानी बाग, नई दिल्ली

साउथ दिल्ली पॉलिटेक्निक फॉर वुमन, नई दिल्ली
वेबसाइट-www.polytechnic-sdpw.com

एमेटी स्कूल आफ फैशन टेक्नोलॉजी, नोएडा, उत्तर प्रदेश
वेबसाइट- www.amity.edu

अकेडमी ऑफ आर्ट एंड डिजाइन, नवी मुंबई, महाराष्ट्र
वेबसाइट- www.designcareer.in
नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ फैशन डिजाइन, चंडीगढ़



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