आप इंडियन मर्चेंट नेवी, नौसेना, जहाज निर्माण कंपनियों तथा जहाजों का निरीक्षण करने वाली सोसाइटियों में नौकरियाँ तलाश सकते हैं। इसके अलावा शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया जैसी कई लीडिंग शिपिंग कंपनियाँ भी मरीन इंजीनियरों की सेवाएँ लेती हैं। अगर आप विदेशों में भविष्य तलाशने वाले छात्र इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन द अमेरिकन ब्यूरो ऑफ शिपिंग में भी काम कर सकते हैं। वह फ्रेशर व ट्रेनिंग लेने वाले छात्रों को नौकरी देते हैं। इसके अलावा फ्रांस और यूके में भी नौजवान मरीन इंजीनियरों की माँग बनी रहती है।
क्या कहती है रिपोर्ट:
चाइना शिप बिल्डिंग की इंडस्ट्री रिपोर्ट के मुताबिक जहाज निर्माण उद्योग में पिछले साल की अपेक्षा ५२.२ प्रतिशत का उछाल आया है। वहीं एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार मरीन इंजीनियरों की मांग हमेशा बनी रहेगी। जिसका कारण दिनोदिन टेक्नोलॉजी का विस्तार और सस्ती जहाज यात्रा है।
वेतन:
इस क्षेत्र में प्रारंभिक रूप में भी काफी अच्छा वेतन पैकेज होता है। मर्चेंट नेवी में बतौर जूनियर इंजीनियर काम करने वाला व्यक्ति भी 25000 से 30000 रुपए प्रतिमाह आसानी से कमा सकता है। एक मरीन इंजीनियर शुरुआती स्तर पर भी ७.५ से १० लाख रुपए प्रतिवर्ष अर्जन करता है।
चुनौतियाँ:
मरीन इंजीनियरिंग बहुत ही चुनौती भरा करियर है। मरीन इंजीनियरिंग का काम सिर्फ जहाजों के निर्माण से ही नहीं बल्कि लोगों की जान से भी जुड़ा होता है। मरीन इंजीनियर को अपने काम में कोताही बरतने की छूट नहीं होती है।
डॉ. सुभाशिष्ट माझी के अनुसार मरीन इंजीनियर को छह सात महीने तक घर से दूर पानी के जहाज पर रहना पड़ता है जिसके चलते बहुत कम लोग अपने बच्चों को मरीन इंजीनियरिंग का कोर्स कराते हैं। यह इस क्षेत्र की बहुत बड़ी चुनौती है हालाँकि इस क्षेत्र में करियर बहुत ब्राइट है।
इस क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी नगण्य होना दूसरी चुनौती है। यह अवधारणा है कि यह क्षेत्र महिलाओं के लिए अनुकूल नहीं है। इसी मिथक को दूर करने के लिए सरकार ने लड़कियों के लिए ट्यूशन फीस १ लाख की जगह २० हजार रखी है।
कोर्सेस:
चार वर्षीय बी.ई.बी. टेक मरीन इंजीनियरिंग
दो वर्षीय एम ई मरीन इंजीनियरिंग
पीएच.डी
बीएससी, नॉटिकल साइंस
प्रमुख संस्थान:
ट्रेनिंग शिप चाणक्य कार्वे, नवी मुंबई
मरीन इंजीनियरिंग एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट, कोलकाता और मुंबई
इंटरनेशनल मरीनटाइम इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली
इंदिरा गाँधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मद्रास।
क्या कहती है रिपोर्ट:
चाइना शिप बिल्डिंग की इंडस्ट्री रिपोर्ट के मुताबिक जहाज निर्माण उद्योग में पिछले साल की अपेक्षा ५२.२ प्रतिशत का उछाल आया है। वहीं एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार मरीन इंजीनियरों की मांग हमेशा बनी रहेगी। जिसका कारण दिनोदिन टेक्नोलॉजी का विस्तार और सस्ती जहाज यात्रा है।
वेतन:
इस क्षेत्र में प्रारंभिक रूप में भी काफी अच्छा वेतन पैकेज होता है। मर्चेंट नेवी में बतौर जूनियर इंजीनियर काम करने वाला व्यक्ति भी 25000 से 30000 रुपए प्रतिमाह आसानी से कमा सकता है। एक मरीन इंजीनियर शुरुआती स्तर पर भी ७.५ से १० लाख रुपए प्रतिवर्ष अर्जन करता है।
चुनौतियाँ:
मरीन इंजीनियरिंग बहुत ही चुनौती भरा करियर है। मरीन इंजीनियरिंग का काम सिर्फ जहाजों के निर्माण से ही नहीं बल्कि लोगों की जान से भी जुड़ा होता है। मरीन इंजीनियर को अपने काम में कोताही बरतने की छूट नहीं होती है।
डॉ. सुभाशिष्ट माझी के अनुसार मरीन इंजीनियर को छह सात महीने तक घर से दूर पानी के जहाज पर रहना पड़ता है जिसके चलते बहुत कम लोग अपने बच्चों को मरीन इंजीनियरिंग का कोर्स कराते हैं। यह इस क्षेत्र की बहुत बड़ी चुनौती है हालाँकि इस क्षेत्र में करियर बहुत ब्राइट है।
इस क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी नगण्य होना दूसरी चुनौती है। यह अवधारणा है कि यह क्षेत्र महिलाओं के लिए अनुकूल नहीं है। इसी मिथक को दूर करने के लिए सरकार ने लड़कियों के लिए ट्यूशन फीस १ लाख की जगह २० हजार रखी है।
कोर्सेस:
चार वर्षीय बी.ई.बी. टेक मरीन इंजीनियरिंग
दो वर्षीय एम ई मरीन इंजीनियरिंग
पीएच.डी
बीएससी, नॉटिकल साइंस
प्रमुख संस्थान:
ट्रेनिंग शिप चाणक्य कार्वे, नवी मुंबई
मरीन इंजीनियरिंग एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट, कोलकाता और मुंबई
इंटरनेशनल मरीनटाइम इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली
इंदिरा गाँधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मद्रास।
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