कंसल्टेंट के कार्यों के बढ़ते दायरे से प्रबंधन सलाहकार की उपयोगिता बढ़ती जा रही है। आज कई ऐसे एमबीए और अन्य ग्रेजुएट हैं, जो कंसल्टेंट का काम करना पसंद करते हैं।
किसी भी ऑर्गनाइजेशन की तरक्की में मैनेजमेंट कंसल्टेंट का अहम योगदान होता है। मैनेजमेंट कंसल्टेंट ऑर्गनाइजेशन की दशा सुधारने के लिए पहले बिजनेस की मौजूदा समस्याओं का विश्लेषण करते हैं और जरुरत के मुताबिक आगे की योजनाओं का खाका तैयार करते हैं। ऑर्गनाइजेशन को जब बाहर से किसी उद्देश्यपूर्ण सलाह की आवश्यकता होती है तो संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ सलाहकार से संपर्क किया जाता है और उन्हें संगठन की सेहत सुधारने व उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप कार्य का दायित्व सौंपा जाता है। कंसल्टेंसी के माध्यम से संगठनात्मक परिवर्तन, प्रबंधन संबंधी सहायता, कोचिंग स्किल्स के विकास, प्रौद्योगिकी को अपनाने, विकास की रणनीति अपनाने अथवा सुधार संबंधी सेवाएं प्राप्त की जाती हैं। यहां एक बड़ा सवाल है कि एमबीए की डिग्री हासिल करने वाले मैनेजमेंट कसल्टेंट का कार्य करने में इतनी रुचि क्यों लेते हैं। जाहिर-सी बात है कि कंसल्टेंसी से उन्हें एक्सपोजर मिलता है। सीखने और पेशेवर हुनर को तराशने के पहलू काफी महत्वपूर्ण होते हैं। अक्सर यह तर्क दिया जाता है कि परंपरागत व्यवसाय में लोग जितना कई साल में सीखते हैं, उतना हुनर तो एक साल की मैनेजमेंट कंसल्टेंसी में हासिल कर लेते हैं।
पारिश्रमिक
शुरुआत में 5 से 8 लाख रुपये सालाना कमा सकते हैं और कुछ साल काम करने के बाद 10 लाख से 15 लाख रुपये तक आराम से अर्जित कर सकते हैं। अनुभव प्राप्त करने पर कंसल्टेंट के वेतन में बढ़ोतरी होती है। अगर आप इस बिजनेस में अच्छा काम कर रहे हैं और आप में कामयाबी की बुलंदियों को छूने की तमन्ना है तो फिर कमाई की कोई सीमा ही नहीं है।
कैसे करें मुकाम हासिल
मैनेजमेंट की डिग्री अगर किसी प्रमुख संस्थान से हासिल की जाए तो कंसल्टेंसी का काम मिलने में आसानी होती है। आप इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करके भी बतौर विश्लेषक इस क्षेत्र में अपनी पारी की शुरुआत कर सकते हैं। एमबीए करने के बाद आपको एसोसिएट अथवा कंसल्टेंट जैसी सीनियर पोजिशन पर काम मिल सकता है। औद्योगिक घरानों के माइंडसेट में बदलाव आया है और वे अच्छे कॉलेजों से फ्रेश ग्रेजुएट को चुन कर सीधे इस कार्यक्षेत्र में ला रहे हैं।
दक्षता
मैनेजमेंट कंसल्टेंट के पास एनालिटिकल माइंड होना जरूरी है। तभी आप उद्योग जगत के मौजूदा ट्रेंड को समझ पाएंगे और कंपनी की समस्याओं को हल करने में दक्ष होंगे।
विभिन्न क्षेत्रों में रुचि होनी चाहिए, ताकि आप बिलकुल अनजान क्षेत्र के प्रोजेक्ट पर भी अच्छी तरह काम कर सकें। किसी प्रोजेक्ट में आपकी मार्केटिंग की जानकारी की जांच होगी तो किसी में ऑपरेशन स्किल्स का कसौटी पर होगी।
बेहतर कम्युनिकेशन स्किल्स मैनेजमेंट कंसल्टेंट के लिए जरूरी है, जिससे आप अपने विचार से क्लाइंट को प्रभावित करने में कामयाब हो सकें। क्लाइंट की बातों को सुनना और उसका अच्छा मार्गदर्शन करना भी आवश्यक है।
उद्योग जगत के विशेषज्ञों को हमेशा सीखने की जरूरत होती है, लिहाजा उनकी लर्निंग स्किल्स बेहतर हो, ताकि वे अपनी जानकारी को अपडेट करते रहें।
प्रबंधन संस्थान
इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम्स)- अहमदाबाद, बैंगलोर, कलकत्ता, लखनऊ और इंदौर
वेबसाइट: www.iimahd.ernet.in
फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, दिल्ली विश्वविद्यालय
वेबसाइट: www.fms.edu
मैनेजमेंट डेवलपमेंट इंस्टीटय़ूट, गुड़गांव
वेबसाइट: www.mdi.ac.in
आईएमआई, दिल्ली
वेबसाइट: www.imi.edu
एक्सएलआरआई, जमशेदपुर
वेबसाइट: www.xlri.ac.in
किसी भी ऑर्गनाइजेशन की तरक्की में मैनेजमेंट कंसल्टेंट का अहम योगदान होता है। मैनेजमेंट कंसल्टेंट ऑर्गनाइजेशन की दशा सुधारने के लिए पहले बिजनेस की मौजूदा समस्याओं का विश्लेषण करते हैं और जरुरत के मुताबिक आगे की योजनाओं का खाका तैयार करते हैं। ऑर्गनाइजेशन को जब बाहर से किसी उद्देश्यपूर्ण सलाह की आवश्यकता होती है तो संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ सलाहकार से संपर्क किया जाता है और उन्हें संगठन की सेहत सुधारने व उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप कार्य का दायित्व सौंपा जाता है। कंसल्टेंसी के माध्यम से संगठनात्मक परिवर्तन, प्रबंधन संबंधी सहायता, कोचिंग स्किल्स के विकास, प्रौद्योगिकी को अपनाने, विकास की रणनीति अपनाने अथवा सुधार संबंधी सेवाएं प्राप्त की जाती हैं। यहां एक बड़ा सवाल है कि एमबीए की डिग्री हासिल करने वाले मैनेजमेंट कसल्टेंट का कार्य करने में इतनी रुचि क्यों लेते हैं। जाहिर-सी बात है कि कंसल्टेंसी से उन्हें एक्सपोजर मिलता है। सीखने और पेशेवर हुनर को तराशने के पहलू काफी महत्वपूर्ण होते हैं। अक्सर यह तर्क दिया जाता है कि परंपरागत व्यवसाय में लोग जितना कई साल में सीखते हैं, उतना हुनर तो एक साल की मैनेजमेंट कंसल्टेंसी में हासिल कर लेते हैं।
पारिश्रमिक
शुरुआत में 5 से 8 लाख रुपये सालाना कमा सकते हैं और कुछ साल काम करने के बाद 10 लाख से 15 लाख रुपये तक आराम से अर्जित कर सकते हैं। अनुभव प्राप्त करने पर कंसल्टेंट के वेतन में बढ़ोतरी होती है। अगर आप इस बिजनेस में अच्छा काम कर रहे हैं और आप में कामयाबी की बुलंदियों को छूने की तमन्ना है तो फिर कमाई की कोई सीमा ही नहीं है।
कैसे करें मुकाम हासिल
मैनेजमेंट की डिग्री अगर किसी प्रमुख संस्थान से हासिल की जाए तो कंसल्टेंसी का काम मिलने में आसानी होती है। आप इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करके भी बतौर विश्लेषक इस क्षेत्र में अपनी पारी की शुरुआत कर सकते हैं। एमबीए करने के बाद आपको एसोसिएट अथवा कंसल्टेंट जैसी सीनियर पोजिशन पर काम मिल सकता है। औद्योगिक घरानों के माइंडसेट में बदलाव आया है और वे अच्छे कॉलेजों से फ्रेश ग्रेजुएट को चुन कर सीधे इस कार्यक्षेत्र में ला रहे हैं।
दक्षता
मैनेजमेंट कंसल्टेंट के पास एनालिटिकल माइंड होना जरूरी है। तभी आप उद्योग जगत के मौजूदा ट्रेंड को समझ पाएंगे और कंपनी की समस्याओं को हल करने में दक्ष होंगे।
विभिन्न क्षेत्रों में रुचि होनी चाहिए, ताकि आप बिलकुल अनजान क्षेत्र के प्रोजेक्ट पर भी अच्छी तरह काम कर सकें। किसी प्रोजेक्ट में आपकी मार्केटिंग की जानकारी की जांच होगी तो किसी में ऑपरेशन स्किल्स का कसौटी पर होगी।
बेहतर कम्युनिकेशन स्किल्स मैनेजमेंट कंसल्टेंट के लिए जरूरी है, जिससे आप अपने विचार से क्लाइंट को प्रभावित करने में कामयाब हो सकें। क्लाइंट की बातों को सुनना और उसका अच्छा मार्गदर्शन करना भी आवश्यक है।
उद्योग जगत के विशेषज्ञों को हमेशा सीखने की जरूरत होती है, लिहाजा उनकी लर्निंग स्किल्स बेहतर हो, ताकि वे अपनी जानकारी को अपडेट करते रहें।
प्रबंधन संस्थान
इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम्स)- अहमदाबाद, बैंगलोर, कलकत्ता, लखनऊ और इंदौर
वेबसाइट: www.iimahd.ernet.in
फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, दिल्ली विश्वविद्यालय
वेबसाइट: www.fms.edu
मैनेजमेंट डेवलपमेंट इंस्टीटय़ूट, गुड़गांव
वेबसाइट: www.mdi.ac.in
आईएमआई, दिल्ली
वेबसाइट: www.imi.edu
एक्सएलआरआई, जमशेदपुर
वेबसाइट: www.xlri.ac.in
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