यदि आप पर्यावरण से प्रेम करते हैं और चारों ओर हरा-भरा देखना चाहते हैं तो एनवायर्नमेंटल साइंस आपके लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकती है। बतौर एनवायर्नमेंटलिस्ट आप इसमें लम्बी रेस का घोड़ा बन सकते हैं। इस क्षेत्र में करियर के बारे में बता रही हैं नमिता सिंह
पृथ्वी पर जीवन का स्त्रोत पर्यावरण ही है। इसकी बदौलत हमें भोजन, कपड़ा सहित अन्य जीवनोपयोगी वस्तुएं जैसे पानी, वायु, प्रकाश आदि मिलती हैं। प्रकृति के साथ जब तक मानव का संतुलन बना रहता है, तब तक सब कुछ लाभकारी रहता है। लेकिन पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ते औद्योगिकीकरण व शहरीकरण से यह संतुलन गड़बड़ा गया है। परिणामस्वरूप हमें कई तरह की आपदाओं व शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
निश्चित तौर पर पिछले कुछ सालों में सरकारी तथा व्यक्तिगत स्तर पर इस दिशा में काफी कार्य हुए हैं। स्कूल व विश्वविद्यालय स्तर पर पर्यावरण को एक विषय के रूप में शामिल कर लोगों को इसके महत्व, दुरुपयोग तथा उससे उपजे दुष्परिणामों के बारे में बताया जा रहा है। मल्टीनेशनल कंपनियां इसकीरोकथाम में सहयोग कर रही हैं। कई एनजीओ इसमें काम कर रहे हैं।
लोगों को भी अब यह लगने लगा है कि यदि प्रकृति द्वारा प्रदत्त संसाधनों का लगातार दुरुपयोग किया गया तो वह दिन दूर नहीं, जब भीषण धन-जन की हानि होगी। लोगों की जागरुकता एवं समय की मांग ने इसे एक करियर के रूप में स्थापित कर दिया है, जिसे एनवायर्नमेंटल साइंस (पर्यावरण विज्ञान) का नाम दिया गया है। यह विज्ञान की एक ऐसी शाखा है, जिसमें पर्यावरण के विभिन्न अवयवों का अध्ययन किया जाता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि पर्यावरण विज्ञान के जरिए पर्यावरण संबंधी समस्याओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
कौन हैं एनवायर्नमेंटलिस्ट
पर्यावरण विज्ञान मूल रूप से ऊर्जा संरक्षण, जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन, भूजल, वायु व जल प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण व प्लास्टिक के जोखिम को दूर करने के लिए विकसित की गई प्रौद्योगिकियों का अध्ययन है। यह कार्य जिनके द्वारा किया जाता है, उन्हें एनवायर्नमेंटलिस्ट (पर्यावरणविद्) कहा जाता है। इनका पर्यावरण सुरक्षा संबंधी कार्य साइंस व इंजीनियिरग के विभिन्न सिद्धांतों के प्रयोग से आगे बढ़ता है। एक तरह से देखा जाए तो एनवायरमेंटलिस्ट का कार्य रिसर्च ओरिएंटेड होता है। इसमें उसे प्रशासनिक, सलाहकार व सुरक्षा तीनों स्तरों पर काम करना पड़ता है।
पर्यावरण विज्ञान मूल रूप से ऊर्जा संरक्षण, जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन, भूजल, वायु व जल प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण व प्लास्टिक के जोखिम को दूर करने के लिए विकसित की गई प्रौद्योगिकियों का अध्ययन है। यह कार्य जिनके द्वारा किया जाता है, उन्हें एनवायर्नमेंटलिस्ट (पर्यावरणविद्) कहा जाता है। इनका पर्यावरण सुरक्षा संबंधी कार्य साइंस व इंजीनियिरग के विभिन्न सिद्धांतों के प्रयोग से आगे बढ़ता है। एक तरह से देखा जाए तो एनवायरमेंटलिस्ट का कार्य रिसर्च ओरिएंटेड होता है। इसमें उसे प्रशासनिक, सलाहकार व सुरक्षा तीनों स्तरों पर काम करना पड़ता है।
शैक्षिक योग्यता
एनवायर्नमेंटल साइंस के कोर्स इस क्षेत्र की मांग को देखते हुए तैयार किए गए हैं। सबसे ज्यादा प्रचलन में बैचलर व मास्टर कोर्स हैं। बैचलर कोर्स के लिए छात्र का विज्ञान विषय के साथ 10+2 उत्तीर्ण होना आवश्यक है। मास्टर में प्रवेश बीएससी व बीटेक के बाद मिलता है। एमफिल व पीएचडी का रास्ता मास्टर कोर्स के बाद खुलता है।
एनवायर्नमेंटल साइंस के कोर्स इस क्षेत्र की मांग को देखते हुए तैयार किए गए हैं। सबसे ज्यादा प्रचलन में बैचलर व मास्टर कोर्स हैं। बैचलर कोर्स के लिए छात्र का विज्ञान विषय के साथ 10+2 उत्तीर्ण होना आवश्यक है। मास्टर में प्रवेश बीएससी व बीटेक के बाद मिलता है। एमफिल व पीएचडी का रास्ता मास्टर कोर्स के बाद खुलता है।
कई तरह से सहायक हैं कोर्स
एनवायर्नमेंटल साइंस से संबंधित जो भी कोर्स हैं, वे अपने अंदर कई तरह के अवयवों और रोचकता को समेटे हुए हैं। वे न सिर्फ एनवायर्नमेंटल साइंस का गहरा ज्ञान देते हैं, बल्कि प्रोफेशनल्स को उस फील्ड में स्थापित करने के लिए कई तरह के कौशल भी प्रदान करते हैं। इसमें उन्हें थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल नॉलेज भी दी जाती है, ताकि छात्र आगे चल कर हर तरह की जिम्मेदारी उठा सकें।
एनवायर्नमेंटल साइंस से संबंधित जो भी कोर्स हैं, वे अपने अंदर कई तरह के अवयवों और रोचकता को समेटे हुए हैं। वे न सिर्फ एनवायर्नमेंटल साइंस का गहरा ज्ञान देते हैं, बल्कि प्रोफेशनल्स को उस फील्ड में स्थापित करने के लिए कई तरह के कौशल भी प्रदान करते हैं। इसमें उन्हें थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल नॉलेज भी दी जाती है, ताकि छात्र आगे चल कर हर तरह की जिम्मेदारी उठा सकें।
इस रूप में मिलेगा अवसर
साइंटिस्ट
रिसर्चर
इंजीनियर
कंजरवेशनिस्ट
कम्प्यूटर एनालिस्ट
लैब असिस्टेंट
जियो साइंटिस्ट
प्रोटेक्शन एजेंट
एनवायर्नमेंटल जर्नलिस्ट
साइंटिस्ट
रिसर्चर
इंजीनियर
कंजरवेशनिस्ट
कम्प्यूटर एनालिस्ट
लैब असिस्टेंट
जियो साइंटिस्ट
प्रोटेक्शन एजेंट
एनवायर्नमेंटल जर्नलिस्ट
आवश्यक स्किल्स
यह एक ऐसा प्रोफेशन है, जिसमें प्रोफेशनल्स को प्रकृति से प्रेम करना सीखना होगा। साथ ही उनमें लॉजिकल व एनालिटिकल माइंड, फोटोग्राफी का शौक, सामान्य ज्ञान की जानकारी, कम्युनिकेशन स्किल्स, रिपोर्ट लिखने का कौशल सहित अन्य कई तरह के गुण आवश्यक हैं। इसके अलावा उनके अंदर भूगोल, बॉटनी, केमिस्ट्री, जूलॉजी तथा जियोलॉजी आदि विषयों के प्रति रुचि होनी चाहिए।
यह एक ऐसा प्रोफेशन है, जिसमें प्रोफेशनल्स को प्रकृति से प्रेम करना सीखना होगा। साथ ही उनमें लॉजिकल व एनालिटिकल माइंड, फोटोग्राफी का शौक, सामान्य ज्ञान की जानकारी, कम्युनिकेशन स्किल्स, रिपोर्ट लिखने का कौशल सहित अन्य कई तरह के गुण आवश्यक हैं। इसके अलावा उनके अंदर भूगोल, बॉटनी, केमिस्ट्री, जूलॉजी तथा जियोलॉजी आदि विषयों के प्रति रुचि होनी चाहिए।
रोजगार की संभावनाएं
कई सरकारी और गैर सरकारी एजेंसियां, एनजीओ, फर्म व विश्वविद्यालय-कॉलेज हैं, जहां इन प्रोफेशनल्स को विभिन्न पदों पर काम मिलता है। वेस्ट ट्रीटमेंट इंडस्ट्री, रिफाइनरी, डिस्टिलरी, माइन्स फर्टिलाइजर प्लांट्स, फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री व टेक्सटाइल मिल्स में एनवायर्नमेंटल साइंटिस्ट के रूप में नौकरी मिलती है। रिसर्चर, एनवायर्नमेंटल जर्नलिस्ट व टीचर के रूप में भी कई कंपनियां जॉब देती हैं।
कई सरकारी और गैर सरकारी एजेंसियां, एनजीओ, फर्म व विश्वविद्यालय-कॉलेज हैं, जहां इन प्रोफेशनल्स को विभिन्न पदों पर काम मिलता है। वेस्ट ट्रीटमेंट इंडस्ट्री, रिफाइनरी, डिस्टिलरी, माइन्स फर्टिलाइजर प्लांट्स, फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री व टेक्सटाइल मिल्स में एनवायर्नमेंटल साइंटिस्ट के रूप में नौकरी मिलती है। रिसर्चर, एनवायर्नमेंटल जर्नलिस्ट व टीचर के रूप में भी कई कंपनियां जॉब देती हैं।
लोन
इस कोर्स को करने के लिए कई राष्ट्रीयकृत बैंक देश में अधिकतम 10 लाख तथा विदेश में अध्ययन के लिए 20 लाख तक लोन प्रदान करते हैं। इसमें तीन लाख रुपए तक कोई सिक्योरिटी नहीं ली जाती। इसके ऊपर लोन के हिसाब से सिक्योरिटी देनी आवश्यक होती है।
इस कोर्स को करने के लिए कई राष्ट्रीयकृत बैंक देश में अधिकतम 10 लाख तथा विदेश में अध्ययन के लिए 20 लाख तक लोन प्रदान करते हैं। इसमें तीन लाख रुपए तक कोई सिक्योरिटी नहीं ली जाती। इसके ऊपर लोन के हिसाब से सिक्योरिटी देनी आवश्यक होती है।
वेतनमान
इस क्षेत्र में रोजगार के साथ-साथ आमदनी भी खूब है। शुरुआती दौर में कोई फर्म ज्वाइन करने पर प्रोफेशनल्स को 25-30 हजार रुपए प्रतिमाह तथा तीन-चार साल का अनुभव होने पर 40-50 हजार रुपए की सेलरी आसानी से मिल जाती है।
इस क्षेत्र में रोजगार के साथ-साथ आमदनी भी खूब है। शुरुआती दौर में कोई फर्म ज्वाइन करने पर प्रोफेशनल्स को 25-30 हजार रुपए प्रतिमाह तथा तीन-चार साल का अनुभव होने पर 40-50 हजार रुपए की सेलरी आसानी से मिल जाती है।
फैक्ट फाइल
तेजी से बढ़ रहा है बाजार
तेजी से बढ़ रहा है बाजार
देश में 1980 से भारतीय विश्वविद्यालयों में पर्यावरण से जुड़े कई पाठय़क्रम व कार्यक्रम चालू किए गए थे। कई संस्थानों में एनवायर्नमेंटल साइंस के अध्ययन के लिए अलग विभाग भी स्थापित किए गए थे। इसके बाद लोगों में जागरूकता का संचार हुआ और कुशल लोगों की डिमांड होने लगी।
एक हालिया सर्वेक्षण की मानें तो विश्व के करीब 132 देश प्रदूषण की समस्या से बुरी तरह से ग्रस्त हैं। भारत भी उनमें से एक है।
भारत के करीब 19-20 शहर प्रदूषण की जद में हैं।
जहां तक जॉब का सवाल है तो इसमें संभावनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। इस समय इसके जॉब मार्केट की 19 प्रतिशत की दर से ग्रोथ हो रही है और ऐसी संभावना है कि 2020 तक यह वृद्धि बरकरार रहेगी।
प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान
दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
वेबसाइट- www.du.ac.in
वेबसाइट- www.du.ac.in
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
वेबसाइट- www.jnu.ac.in
वेबसाइट- www.jnu.ac.in
जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली
वेबसाइट- www.jmi.ac.in
वेबसाइट- www.jmi.ac.in
इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ एनवॉयर्नमेंटल मैनेजमेंट, मुम्बई
वेबसाइट- www.siesiiem.net
वेबसाइट- www.siesiiem.net
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, इंदौर
वेबसाइट- www.rgpv.ac.in
वेबसाइट- www.rgpv.ac.in
गौतम बुद्ध टेक्निकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ
वेबसाइट- www.uptu.ac.in
वेबसाइट- www.uptu.ac.in
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़
वेबसाइट- www.amu.ac.in
वेबसाइट- www.amu.ac.in
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