Tuesday, June 23, 2015

कॅरियर के लिए बीमा का क्षेत्र भी बेहतर


मेट्रो के बाद ग्रामीण इलाकों की तरफ इंश्योरेंस के बढ़ते कदम से इस क्षेत्र में कॅरियर के नए रास्ते खुलने लगे हैं. भारत की आधी से अधिक आबादी अभी भी 20-60 आयु वर्ग के दायरे में आते हैं। यही वजह है कि इंश्योरेंस सेक्टर की रफ्तार इस दौर में भी कायम है। अब स्थिति यह है कि इस प्रोफेशन से हाई प्रोफाइल लोग भी जुड़ने लगे हैं।

योग्यता
12वीं के बाद इंश्योरेंस के क्षेत्र में कॅरियर बनाया जा सकता है। इसके बाद आप बीए (इंश्योरेंस) में एडमिशन ले सकते हैं या फिर एजेंट के रूप में कॅरियर की शुरुआत कर सकते हैं। यदि आपने साइंस सब्जेक्ट से 12वीं पास किया है, तो बीएससी एक्चुरिअल साइंस में एंट्री ले सकते हैं।

कोर्सेज
इंश्योरेंस में डिप्लोमा, सर्टिफिकेट से लेकर डिग्री और मास्टर डिग्री कोर्स तक उपलब्ध हैं। कोर्स की अवधि अलग-अलग है। कुछ कॉलेज बीए (इंश्योरेंस) कोर्स ऑफर कर रहे हैं, जिसकी अवधि तीन वर्ष है। वैसे, सर्टिफाइड रिस्क ऐंड इंश्योरेंस मैनेजमेंट में पीजी डिप्लोमा भी कर सकते हैं। इस कोर्स की अवधि अमूमन तीन साल की होती है। यदि इंश्योरेंस ऐंड रिस्क मैनेजमेंट में डिप्लोमा करना चाहते हैं, तो इसकी अवधि एक वर्ष की है। वैसे, डिस्टेंस लर्निग के माध्यम से भी इंश्योरेंस से जुड़े कोर्स कर सकते हैं। एजेंट बनने के लिए इंश्योरेंस एजेंट का कोर्स भी किया जा सकता है, इसकी अवधि 100-150 घंटे की होती है।

कॅरियर प्लानिंग
यदि कम्युनिकेशन स्किल अच्छी है, तो इंश्योरेंस सेक्टर में खूब स्कोप हैं। यहां आप असिस्टेंट एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर, इंश्योरेंस सर्वेयर, रिस्क मैनेजर, अंडररायटरएक्चुरिजइंश्योरेंस कंसल्टेंटएजेंट आदि के रूप में कॅरियर बना सकते हैं।

सेफ जोन
इंश्योरेंस सेक्टर को कॅरियर के लिहाज से सेफ जोन माना जा सकता है, क्योंकि कुछ कंपनियां इन दिनों बड़ी संख्या में लोगों की बहाली कर रही हैं। नई-नई कंपनियों के इंश्योरेंस के क्षेत्र में कदम रखने की वजह से इस फील्ड में कॅरियर की भरपूर संभावनाएं दिख रही हैं। खासकर इन दिनों एक्चुरिज और ट्रेजरी मैनेजमेंट के क्षेत्र से जुड़े पेशेवर लोगों की मार्केट में अधिक डिमांड है, क्योंकि इनकी मांग दूसरे क्षेत्रों में भी खूब है। इसके अलावा, मार्केटिंग और सेल्स में भी लोगों की अधिक मांग है। आने वाले दिनों में बीमा कंपनियों में तीन लाख फाइनेंशियल प्लानिंग एडवाइजर और तीस हजार मैनेजर की भर्तियां भी हो सकती हैं।

सैलॅरी पैकेज
इंश्योरेंस सेक्टर में शुरुआती सैलॅरी 10 से 12 हजार रुपये हो सकती है। सेल्स मैनेजर के रूप में काम करने वालों की सैलरी 25-30 हजार रुपये के बीच होती है। इसके अलावा, कई तरह के अलाउंस भी मिलते हैं। अनुभव हासिल करने के बाद प्रति माह 40 से 45 हजार रुपये आसानी से कमा सकते हैं।

हेड आफिस, इंश्योरेंस कंपनी का वह स्थान है, जहां विभिन्न विभागों से संबंधित कई तरह के काम संपन्न किए जाते हैं। यहां कई विभागों में अलग-अलग पदों पर कार्य किया जा सकता है।
बीमांकिक विभाग
यह विभाग किसी भी इंश्योरेंस कंपनी का महत्वपूर्ण विभाग होता है क्योंकि इस विभाग का काम नई पालिसियां बनाना व चल रही पालिसियों में समय-समय पर परिवर्तन करना है। यह विभाग हमेशा कंपनी के लाभ के लिए जिम्मेदार रहता है। इस विभाग की यह भी जिम्मेदारी होती है कि वह लाइफ व जनरल इंश्योरेंस बिजनेस की डिजायनिंग व पालिसी की प्राइसिंग तय करे, साथ ही फंड्स से होने वाले लाभ को मॉनीटर करे।
इसके अलावा यह विभाग इंश्योरेंस की मार्जिन, अन्य कानूनी विवादों तथा लाभ में होने वाले नुकसान की देखभाल करता है। गणित या सांख्यिकी में ग्रेजुएट्स के लिए यह जॉब सही है क्योंकि यह पूरी तरह गणितीय व सांख्यिकीय आंकड़ों पर निर्भर होता है। इंश्योरेंस सेक्टर में इस जॉब के लिए सबसे ज्यादा वेतन मिलता है। शुरुआती दौर में इसमें करीब ८ लाख वार्षिक का वेतन मिलता है। इसके लिए इंस्टीट्यूट आफ एक्चुअरीज आफ इंडिया से इसका कोर्स किया जा सकता है।
अंडरराइटिंग डिपार्टमेंट
यह विभाग, इंश्योरेंस कंपनी के जोखिम का कार्य संभालता है जिसके तहत किसी व्यक्ति को पालिसी दी जाती है। यह विभाग ये चेक करता है कि किसी व्यक्ति को पालिसी दी जाए या नहीं। और दी जाए तो किस कीमत पर। लाइफ व नॉन लाइफ सेगमेंट में अंडरराइटर्स की आवश्यकता पड़ती है। अंडरराइटर्स, बीमा के जोखिम को देखते हैं और उसका रिस्क मैनेजमेंट संभालते हैं। ज्यादातर मौकों पर इस विभाग के लिए मेडिकल या लाइफ साइंस बैकग्राउंड के लोगों को वरीयता दी जाती है और शुरुआती सैलरी ५ लाख रुपए वार्षिक तक हो सकती है। एनआईए पुणे, बीमटेक, आईआईआरएम और अन्य इंस्टीट्यूट यह कोर्स संचालित करते हैं, जहां अंडरराइटर की तकनीकी क्षमता इस पद के योग्य बनाई जाती है।
मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन
मार्केटिंग के लिए स्पेशलाइज्ड डिग्री की आवश्यकता होती है। अच्छे इंस्टीट्यूट से मार्केटिंग व फाइनांस में बेहतर अनुभव के साथ आए युवाओं को इस विभाग में शानदार मौके मिल सकते हैं। यहां तक कि अब एजेंट्स का रोल भी बदलने लगा है और वे कंपलीट इंश्योरेंस सॉल्यूशन देने के साथ ही वित्तीय सलाहकार के रुप में भी काम करने लगे हैं। ऐसे कई इंस्टीट्यूट हैं जो मार्केटिंग में स्पेशलाइज्ड डिग्री प्रदान करते हैं लेकिन यदि इंश्योरेंस इंस्टीट्यूट आफ इंडिया से यह कोर्स किया जाएगा तो उन्हें वरीयता दी जाती है।
फंड मैनेजमेंट डिपार्टमेंट
बैंक व म्यूचुअल फंड की तरह ही निवेश विशेषज्ञों की आवश्यकता इंश्योरेंस सेक्टर में भी रहती है। ऐसे प्रोफेशनल जिनकी फाइनांस में डिग्री है या बैंकों व म्यूचुअल फंड का अनुभव है, उनके लिए इस सेक्टर में काफी मौके मौजूद हैं। ये कुछ विभाग हैं जो हेड आफिस से कार्यरत होते हैं और इनमें काम किया जा सकता है।
ब्रांच आफिस में करियर
इंश्योरेंस के कई उत्पादों का डिस्ट्रीब्यूशन करने के लिए देश भर में ढेरों शाखाएं मौजूद हैं। इन शाखाओं में कई विभाग होते हैं। आइए देखते हैं इन विभागों में कहां-कहां और करियर के क्या विकल्प मौजूद हैं।
सेल्स और डिस्ट्रीब्यूशन
सेल्स की कार्यप्रणाली सबसे महत्वपूर्ण होती है और एक समय में किसी इंश्योरेंस कंपनी में हजारों सेल्स प्रोफेशनल काम करते हैं। प्राइवेट बीमा कंपनियों में इसके लिए इंट्री लेवल पर कई पद जैसे- सेल्स एग्जीक्यूटिव, फाइनांशियल प्लानिंग एग्जीक्यूटिव, रिलेशनशिप एक्जीक्यूटिव पद पर भर्तियां होती हैं।
इसके अलावा सेल्स मैनेजर, यूनिट मैनेजर, सेल्स डेवलपमेंट मैनेजर, बिजनेस मैनेजर इत्यादि पदों के लिए भी लोगों की आवश्यकता होती है। इसमें फस्र्ट लेवल मैनेजर की यह जिम्मेदारी होती है कि वह अपनी टीम के लिए रिक्रूटमेंट करें व टीम बनाएं। ये अपनी टीम के एजेंट्स को मासिक रुप से पालिसियां सेल करने का टार्गेट देते हैं। इसमें अच्छा प्रदर्शन करने वाला प्रोन्नति पाकर, ब्रांच मैनेजर, क्लस्टर मैनेजर, एरिया मैनेजर, रीजनल मैनेजर, जोनल मैनेजर के बाद नेशनल सेल्स हेड भी बन सकता है, जो सीधे सीईओ को रिपोर्ट करता है। यहां सेल्स मैनेजर का वही काम होता है जो एलआईसी में डेवलपमेंट मैनेजर का होता है।
बीमा सेल्स में कोई व्यक्ति शुरुआती दौर में किसी ब्रांच में ३ से ३.५ लाख रुपए वार्षिक से शुरुआत करके १० लाख रुपए सालाना वेतनमान तक पहुंच सकता है। एक अच्छे सेल्स प्रोफेशनल को बर्हिमुखी व संबंध बनाने में माहिर होना चाहिए। इस जॉब को वहीं करना ज्यादा मुनासिब हैं, जहां के लोगों को अच्छी तरह जानते हों।
ट्रेनिंग डिपार्टमेंट
ट्रेनिंग डिपार्टमेंट में कंटेंट डेवलपर का कार्य यह होता कि वे ट्रेनिंग से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों के लिए कंटेंट डेवलप करते हैं। दूसरा, इसमें डिलीवरी ट्रेनर की जररुत होती है, जो डिस्ट्रीब्यूटर्स को कंटेंट की डिलीवरी करते हैं। यदि आप टीचिंग में, मोटीवेट करने में और भारी तादात में लोगों से मीटिंग करने में दिलचस्पी रखते हैं तो यह जॉब आपके लिए है। इसके लिए आपके अंदर अच्छे वक्ता व अच्छे श्रोता का गुण होना आवश्यक है। इंश्योरेंस इंस्टीट्यूट आफ इंडिया या अन्य अच्छे इंस्टीट्यूट से डिग्री लेने वालों के लिए प्रोफेशनल ट्रेनर की जॉब में वरीयता दी जाती है। इंश्योरेंस ट्रेनर को मुख्यत: दो भागों में बांटा जाता है। पहला है, इंश्योरेंस डोमेन नॉलेज ट्रेनर व दूसरा है सेल्स ट्रेनर। इंश्योरेंस डोमेन ट्रेनर की विशेषज्ञता बेसिक्स आफ इंश्योरेंस, कांसेप्ट व प्रोडक्ट इत्यादि में होती है।
ये ट्रेनर मुख्य रुप से एजेंट्स के लिए आईआरडीए-प्री रिक्रूटमेंट ट्रेनिंग का आयोजन करते हैं जिसमें इंश्योरेंस संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी जाती है। सेल्स ट्रेनर बाद में ट्रेनिंग मैनेजर, रीजनल ट्रेनिंग मैनेजर और नेशनल ट्रेनिंग हेड तक पहुंंच सकते हैं। एक ब्रांच सेल्स ट्रेनर की सैलरी ३ से ४ लाख रुपए वार्षिक, ट्रेनिंग मैनेजर की सैलरी ५ से लाख रुपए वार्षिक व रीजनल ट्रेनिंग मैनेजर की सैलरी १० से १५ लाख रुपए वार्षिक तक हो सकती है।
बीपीओ, केपीओ व आईटी इंडस्ट्री
अभी तक हमने इंश्योरेंस सेक्टर के मुख्य जॉब विकल्पों पर बात की लेकिन अब विभिन्न बीपीओ, केपीओ व आईटी इंडस्ट्री में भी इंश्योरेंस एक्सपटर््स की मांग बढ़ गई है। आईटी कंपनियों में बिजनेस एनालिस्ट की जरुरत होती है। ये वे प्रोफेशनल होते हैं जिनका इंश्योरेंस सेक्टर में तकनीकी अनुभव होता है। ये कंपनियां विभिन्न प्रकार के लाइफ व नॉन लाइफ साफ्टवेयर तैयार करती हैं, जिसकी मांग न सिर्फ भारत में है बल्कि विदेशों में भी है।
हालांकि इस काम के लिए मुख्यत: आईटी एक्सपर्ट की जरुरत होती है लेकिन चूंकि ये उत्पाद, बीमा से संबंधित होते हैं इसलिए बीमा के लोग साफ्टवेयर डेवलपर को बीमा क्षेत्र की तकनीकी जानकारियां देते हैं। इन एनालिस्ट्स को उनके अनुभव के आधार पर ३.५ लाख से १५ लाख रुपए वार्षिक वेतन मिलता है। ऐसे कई इंस्टीट्यूट हैं जो इस क्षेत्र के लिए कोर्स संचालित करते हैं। इंश्योरेंस इंस्टीट्यूट आफ इंडिया, बिमटेक, आईआईआरएम, एनआई इत्यादि इंस्टीट्यूट से यह कोर्स किया जा सकता है। 



इंस्टीटयूट वाच
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, जोधपुर (एमबीए इंश्योरेंस)
एमिटी स्कूल ऑफ इंश्योरेंस ऐंड एक्चुरिअल साइंस, नई दिल्ली (पीजी डिप्लोमा इन इंश्योरेंस मैनेजमेंट आदि)
आईसीएफएआई यूनिवर्सिटी, हैदराबाद (एमबीए इंश्योरेंस)
द इंस्टीटयूट ऑफ इंश्योरेंस ऐंड रिस्क मैनेजमेंट (पीजी डिप्लोमा कोर्स इन इंश्योरेंस, जनरल इंश्योरेंस ऐंड रिस्क मैनेजमेंट)
भारतीय विद्या भवन केंद्र
(पीजी डिप्लोमा कोर्स इन इंश्योरेंस ऐंड रिस्क मैनेजमेंट, पार्ट-टाइम)
www.bhavanis. info/rp imc
इंस्टीटयूट ऑफ सर्टिफाइड रिस्क ऐंड इंश्योरेंस मैनेजर्स (रिस्क ऐंड इंश्योरेंस मैनेजमेंट प्रोग्राम)
यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली, नई दिल्ली
सिंबायोसिस सेंटर ऑफ डिस्टेंस लर्निग, पुणे
हेड आफिस में करिय

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