Tuesday, June 2, 2015

फुटवियर डिजाइनिंग में करियर


लोग हमेशा आकर्षक और प्रभावशाली दिखना चाहते हैं। व्यक्तित्व को निखारने में जितना योगदान अच्छे परिधानों का है, उतना ही स्टाइलिश फुटवियर का भी। यही वजह है कि इन दिनों लोगों में स्टाइलिश फुटवियर के प्रति काफी क्रेज है। करियर काउंसलर परवीन मलहोत्रा कहती हैं, 'भारत फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग में चीन के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर है। यदि आप पढ़ाई के साथ-साथ क्रिएटिव भी हैं, तो फुटवियर डिजाइनिंग में आपके लिए बेहतर अवसर हैं।

क्या है फुटवियर डिजाइनिंग?
आज की लाइफस्टाइल में लोग कपड़ों से लेकर फुटवियर तक में मैचिंग चाहते हैं। यही वजह है कि रोज नए-नए डिजाइन के फुटवियर मार्केट में आते रहते हैं। यह नयापन कभी कलर के रूप में, तो कभी डिजाइन के रूप में दिखता है। परवीन मलहोत्रा कहती हैं कि पहले फुटवियर केवल लेदर से ही बनाए जाते थे, लेकिन अब इसमें काफी वैराइटीज आ गई हैं। अब प्लास्टिक, जूट, रबड़, यहां तक की कपड़े से भी फुटवियर बनाए जाने लगे हैं। फुटवियर को नया और खूबसूरत लुक देने की विधा को ही 'फुटवियर डिजाइनिंगÓ कहते हैं। हालांकि डिजाइनिंग का मतलब महज जूते की डिजाइन बनाना भर नहीं, बल्कि यह किस तरह अधिक से अधिक आरामदेह और उपयोगी हो सकता है, इस बात का भी ध्यान रखना होता है। फुटवियर डिजाइनिंग में प्रोडक्ट की क्वालिटी के अलावा, इनके विभिन्न पहलुओं पर भी प्रोफेशनल रुख अपनाया जाता है।

योग्यता और उपलब्ध कोर्स

10+2 करने के बाद आप फुटवियर डिजाइनिंग के कोर्स में एंट्री ले सकते हैं। देश के प्रमुख फुटवियर संस्थानों में अंडर ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स उपलब्ध हैं। ये कोर्स एक साल से लेकर तीन साल की अवधि तक के होते हैं। पीजी डिप्लोमा के लिए किसी भी विषय में स्नातक होना जरूरी है। फुटवियर डिजाइन ऐंड डेवलॅपमेंट इंस्टीट्यूट, नोएडा में इससे संबंधित कई तरह के कोर्स उपलब्ध हैं। हाल ही में संस्थान ने पोस्ट ग्रेजुएशन प्रोग्राम इन लैदर गुड्स ऐंड एक्सेसरीज डिजाइन (पीजीडीएलजीएडी) की शुरुआत भी की है। इसके अलावा, यहां पीजी डिप्लोमा इन मैनेजमेंट-फुटवियर टेक्नोलॉजी, पीजी डिप्लोमा इन क्रिएटिव डिजाइनिंग एवं सीएडी-सीएएम आदि कोर्स भी उपलब्ध हैं।

क्या हैं स्कोप
 इस क्षेत्र में डिमांड का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि जहां मंदी की वजह से कई 'बी स्कूलोंÓ में सौ फीसदी प्लेसमेंट नहीं हुआ है, वहीं एफडीडीआई में इस बार सौ प्रतिशत प्लेसमेंट हुआ है। दूसरी तरफ, आरएनसीओएस द्वारा जारी 'इंडियन फुटवियर मार्केट फोरकास्ट टू 2012Ó के मुताबिक, इंडियन फुटवियर रिटेल मार्केट तेजी से बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, मंदी भी इस क्षेत्र को अधिक प्रभावित नहीं कर पाई है, क्योंकि इंडियन फुटवियर की डिमांड दुनिया भर में लगातार बढ़ रही है। भारत कम कीमतों वाले फुटवियर का प्रमुख सप्लायर है। भारत में बाटा, लखानी, एक्शन, सुपरहाउस और लिबर्टी जैसी देशी कंपनियों के साथ नाइक, रिबॉक, वुडलैंड, ली-कूपर जैसी बहुराष्टï्रीय कंपनियां न केवल अपने कार्य क्षेत्र का विस्तार कर रही हैं, बल्कि रोजगार के नए मौके भी उपलब्ध करा रही हैं।

किस तरह के कार्य
करियर काउंसलर जितिन चावला कहते हैं कि फुटवियर इंडस्ट्री में कई स्तरों पर कार्य होते हैं, जैसे-डिजाइनिंग, मैन्युफैक्चरिंग और मार्केटिंग। डिजाइनिंग के तहत कस्टमर की रुचि और उनकी आवश्यकता को देखते हुए नए पैटर्न और मॉडल्स के फुटवियर डिजाइन करने पड़ते हैं। डिजाइनर के रूप में सफल होने के लिए क्रिएटिविटी और मार्केट टे्रंड के बारे में अच्छी समझ जरूरी है। हालांकि आजकल सारा काम कम्प्यूटर के माध्यम से ही होता है, इसलिए इसकी जानकारी भी बेहद जरूरी है। मैन्युफैक्चरिंग में डिजाइनर के माध्यम से किए गए डिजाइन को विभिन्न तरह के मशीनों की सहायता से खूबसूरत आकार देने की कोशिश की जाती है। यह टेक्निकल काम है, इसलिए प्रशिक्षित लोगों की अधिक जरूरत होती है।

सरकारी पहल
इस क्षेत्र से जुड़े स्किल्ड लोगों की डिमांड पूरी करने के लिए सरकार की तरफ से पहल हुई है। इसके लिए 1963 में आगरा में सेंट्रल फुटवियर ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना की गई। इतना ही नहीं, वर्ष 1986 में केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय की देख-रेख में नोएडा में फुटवियर डिजाइन ऐंड डेवलॅपमेंट इंस्टीट्यूट की स्थापना की गई। इसके अलावा, देश के प्रमुख शहरों कानपुर, जालंधर, चेन्नई, मुंबई आदि में भी सरकारी और निजी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट चलाए जा रहे हैं।

सैलॅरी पैकेज
फुटवियर कंपनी में डिजाइनर का अहम रोल होता है। इसलिए वे सैलॅरी के लिए डील भी कर सकते हैं। वैसे, शुरुआती दौर में डिजाइनर की सैलॅरी प्रतिमाह 12 से 18 हजार रुपये हो सकती है।

इंस्टीट्यूट वॉच

-फुटवियर डिजाइन ऐंड डेवलॅपमेंट इंस्टीट्यूट (एफडीडीआई), नोएडा
-सेंट्रल फुटवियर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, आगरा
-अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई
-मुजफ्फरपुर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मुजफ्फरपुर
-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
-इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नमेंट लेदर वर्किंग स्कूल, मुंबई
-कॉलेज ऑफ लेदर टेक्नोलॉजी, कोलकाता
-एवीआई स्कूल ऑफ फैशन ऐंड शू टेक्नोलॉजी, चंडीगढ़
-कॉलेज ऑफ लेदर टेक्नोलॉजी, कोलकाता



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