Saturday, May 30, 2015

एनिमेशन ब्राइट करियर का क्रिएटिव स्केच



बाजार का बढ़ता ग्राफ हमारे देश में मल्टीमीडिया एवं एनिमेशन इंडस्ट्री सबसे ज्यादा तेजी से आगे बढ़ने वाले क्षेत्रों में से एक मानी जा रही है। इसका प्रमाण एसोचैम और डेलोइट द्वारा किया एक ताजा अध्ययन है, जिसके मुताबिक यह इंडस्ट्री 30 फीसद की विकास दर के साथ आगे बढ़ रही है और विकास की इस गति को देखते हुए इसके वर्ष 2013 तक वर्तमान 556 करोड़ से बढ़कर 1,154 करोड़ रुपए की इंडस्ट्री हो जाने की उम्मीद की जा रही है। डेलोइट इंडिया कंपनी के डायरेक्टर संदीप विश्वास के अनुसार, भारतीय गेमिंग मार्केट भी अनुमानतः 1,089 करोड़ रुपए का है और 50 फीसद की सालाना बढ़ोत्तरी के साथ इसके वर्ष 2013 तक 59,252 करोड़ रुपए हो जाने की उम्मीद की जा रही है।
आउटसोर्सिंग की राह पर प्रगति की यह रफ्तार भावी एनिमेटर्स के लिए बेहद शुभ मानी जा रही है। इस फील्ड में जो जितना काबिल होगा, वह कामयाबी की सीढ़ियां उतनी ही ज्यादा चढ़ेगा। ग्रीन गोल्ड एनिमेशन प्रालि के संस्थापक और एमडी राजीव चिलाका कहते हैं, पिछले दस वर्षों से भारत में एनिमेशन सेक्टर लगातार प्रगति कर रहा है। इंजीनियरिंग ग्रेजुएट होने के बावजूद चिलाका एक कामयाब एनिमेशन डायरेक्टर हैं, जिन्होंने छोटा भीम, कृष्णा और विक्रम-बेताल जैसी एनिमेटेड फिल्में डायरेक्ट की हैं। उनका मानना है कि भारतीय एनिमेशन उद्योग सॉफ्टवेयर उद्योग के मार्ग का ही अनुसरण कर रहा है। आने वाले दिनों में भारत से एनिमेशन प्रोजेक्ट भी भारी तादाद में आउटसोर्स किए जाने की उम्मीद जताई जा रही है।
चिलाका कहते हैं कि वर्तमान में अमेरिका और ब्रिटेन के बाजारों के लिए किया जाने वाला काम हमारी इंडस्ट्री की आय का मुख्य जरिया है। व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल, मुंबई की प्रेसिडेंट मेघना घई पुरी कहती हैं, एनिमेशन इंडस्ट्री तरक्की इसलिए कर रही है, क्योंकि भारतीय प्रतिभाओं में एनिमेशन और टेक्निकल वर्क करने की अच्छी क्षमता है। उनके पास अमेरिकी और यूरोपीय प्रोफेशनल्स की तुलना में कहीं बेहतर ट्रेनिंग है।
मल्टीमीडिया और एनिमेशन मल्टीमीडिया विभिन्न मीडिया तत्वों, जैसे-टेक्स्ट, ग्राफिक्स, एनिमेशन, कंप्यूटर के साथ ऑडियो एवं वीडियो का कॉम्बिनेशन है। इन सभी के मेल से जब कोई प्रभावशाली प्रोग्राम तैयार किया जाता है, तो उसे मल्टीमीडिया प्रोडक्ट कहा जाता है। मल्टीमीडिया टूल्स का विस्तार बहुत बड़े क्षेत्र में है। इसके तहत साउंड एडिटिंग से लेकर स्पेशल इफेक्ट, वर्चुअल रियालिटी, एनिमेशन गेम्स और मल्टीमीडिया प्रोग्रामिंग सभी कुछ आता है। इसमें एंटरटेनमेंट से लेकर एजुकेशनल ट्यूटर तक सभी शामिल हैं। मल्टीमीडिया के इस दौर में टेलीविजन व सिनेमा ही मनोरंजन के साधन नहीं रहे। कंप्यूटर, वीडियो गेम और इंटरनेट भी तेजी से मनोरंजन के महत्वपूर्ण साधन बनते जा रहे हैं। डिजिटल गेमिंग भी एक संभावनाओं वाला क्षेत्र है। एनिमेशन प्रोग्रामिंग और एनिमेशन प्रोडक्शन के कारोबार का पिछले एक दशक में तीव्र विस्तार हुआ है।
बढ़ता इस्तेमाल नास्कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगले पांच साल में अकेले भारत में एनिमेशन उद्योग में काम करने वाले प्रोफेशनल्स की संख्या पांच लाख से अधिक हो जाएगी। एनिमेशन का प्रयोग जिन क्षेत्रों में हो रहा है, उनमें शामिल हैंः एंटरटेनमेंट (फिल्में, टेलीविजन), बिजनेस (मार्केटिंग डेमोज, प्रोडक्ट प्रोमोज), सेल्स (प्रेजेंटेशन), एजुकेशन (सीबीटी डब्ल्यूबीटी), टूरिज्म, पब्लिकेशंस (ग्राफिक्स एवं प्रिंटिंग), वेब डिजाइनिंग, एडवरटाइजिंग (कॉमर्शियल, प्रिंट एड), इंटीरियर, फैशन डिजाइनिंग, वर्चुअल रियालिटी फॉर सिमुलेशन इन डिफेंस, इंजीनियरिंग आदि। नोएडा स्थित प्रांस मीडिया के डायरेक्टर निखिल प्राण कहते हैं कि एनिमेशन इंडस्ट्री में विजुअलाइजर, इंक व पेंट आर्टिस्ट, स्पेशल इफेक्ट पर्सन, कैरेक्टर एनिमेटर और मॉडलिंग आर्टिस्ट के रूप में प्रोफेशनल्स की जरूरत होती है। दिल्ली स्थित एरिना इंस्टीट्यूट की एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट अंजू दलाल का कहना है कि एनिमेशन का कोर्स करने के बाद एक स्किल्ड युवा को आरंभ में 20 से 25 हजार रुपए सैलरी मिलती है, जो कुछ वर्ष के अनुभव के बाद 30-50 हजार रुपए  मासिक तक पहुंच जाती है।
गेमिंग है नई शाखा
पिछले कुछ वर्षों में मल्टीमीडिया से जुड़ने वाली यह एक नई शाखा है, जिसका मार्केट पूरी दुनिया में बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार के वीडियो कंसोल, कंप्यूटर, मोबाइल और हैंडसेट गेम का निर्माण किया जाता है। मल्टीमीडिया तकनीक की मदद से इसमें मूविंग इमेज और साउंड इफेक्ट्स उत्पन्न किए जाते हैं। इसके बाद गेम इंजन का प्रयोग करके इनकी इमेज को की-बोर्ड
या माउस द्वारा नियंत्रित किया
जाता है।
गेमिंग जैसे आकर्षक और तेजी से उभरते क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक लोगों के लिए असीमित संभावनाएं हैं। भारत में इस समय गेम डेवलपमेंट करने वाले स्किल्ड लोगों की डिमांड बहुत ज्यादा है। इस तरह का कोर्स कंप्लीट कर इंडस्ट्री में आने वाले युवाओं को आरंभ में 20-25 हजार रुपए प्रतिमाह मिल जाते हैं। कार्टून फिल्में कार्टून फिल्मों के निर्माण में एनिमेशन व मल्टीमीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कुछ वर्ष पहले तक भारत में कार्टून फिल्में विदेशों से बनकर आती थीं। लेकिन देश में ट्रेंड लोगों की बढ़ती संख्या के कारण अब यहीं इनका निर्माण होने लगा है। इस तरह की फिल्मों में 2-डी, 3-डी एनिमेशन और साउंड इफेक्ट्स का इस्तेमाल किया जाता है।
इंटरेक्टिव मल्टीमीडिया
इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री के तेजी से आगे बढ़ने से संचार की एक नई कला सामने आई है। इससे ग्लोबल कम्युनिटी से संपर्क का दरवाजा खुल गया है। इसका सबसे बड़ा माध्यम इंटरनेट है, जिसकी पहुंच दुनिया के प्रत्येक देश तक हो गई है। ई-कॉमर्स और इंटरेक्टिव पोर्टल्स के उभरने से इंटरनेट ने मल्टीमीडिया विशेषज्ञों के लिए खूब संभावनाएं जगाई हैं। आज के समय में इसे मल्टीमीडिया एप्लिकेशन का सबसे अच्छा उदाहरण कहा जा सकता है। इंटरनेट के अलावा इंटरेक्टिव सीडी तैयार करने का भी मल्टीमीडिया इंडस्ट्री में तेजी से विकास हुआ है। इस फील्ड में एंट्री के लिए वेब इंजीनियरिंग का कोर्स करना जरूरी होता है। कोर्स के बाद आप आरंभ में प्रतिमाह 20 हजार रुपए कमा सकते हैं। यदि आप कल्पनाशील और क्रिएटिव हैं, तो और ज्यादा कमाई कर सकते हैं।
एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री
भारत में रेडियो (अब एफएम चैनल्स भी) और टेलीविजन का प्रसार शहरों से लेकर दूर-दराज के गांवों तक में हो गया है। व्यापक दर्शक वर्ग के चलते नित नए चैनल सामने आ रहे हैं। केबल टीवी और डीटीएच के आने से इसमें और विस्तार हो रहा है। लगातार बढ़ते चैनलों और उनके लिए बनाए जाने वाले प्रोग्राम्स की भारी डिमांड को देखते हुए इस क्षेत्र में डिजाइनर, कैमरामैन, साउंड रिकॉर्डिस्ट, कंपोजिटर, गेम्स डिजाइन स्पेशलिस्ट, एनिमेटर आदि में खूब संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में भी कोर्स करने वाला व्यक्ति शुरुआत में ही 15 से 20 हजार रुपए प्रतिमाह कमाई कर सकता है।
पब्लिशिंग इंडस्ट्री
प्रिंट मीडिया न केवल सबसे पुराना माध्यम है, बल्कि आज भी बाजार पर इसकी जबरदस्त पकड़ बनी हुई है। प्रिंट मीडिया के क्षेत्र में कंप्यूटर टेक्नोलॉजी, इंटरनेट, वेबसाइट्स आदि का जमकर इस्तेमाल हो रहा है। टेक्नोलॉजी की बदौलत प्रिंट मीडिया आज न केवल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर भारी पड़ रहा है, अपितु अपना स्थाई असर भी छोड़ रहा है। यहां डिजाइन आर्ट, प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी, डिजिटल प्रिंट मीडिया का काम सीख कर अपने लिए जगह बनाई जा सकती है। इसमें वेतन की शुरुआत 10-12 हजार रुपए प्रतिमाह से होती है और काम अच्छी तरह सीख लेने और अनुभव हासिल कर लेने के बाद 30 से 50 हजार रुपए तक कमाया जा सकता है।
फैशन व इंटीरियर डिजाइनिंग
फैशन और इंटीरियर डिजाइनिंग के क्षेत्र में नित नए डिजाइनों की कल्पना करनी होती है। इसमें मल्टीमीडिया का इस्तेमाल काफी उपयोगी होता है। डिजाइन टूल्स सामने आने के बाद इंटीरियर डिजाइनिंग में काफी विकास हुआ है। स्टैटिक थ्री-डी ऑब्जेक्ट मॉडलिंग एवं कंप्यूटर ग्राफिक्स से इसमें काफी मदद मिलती है। फैशन डिजाइनिंग इंस्टीट्यूट्स से इस तरह का कोर्स करने के बाद प्रतिभाशाली युवा शुरुआती वेतन के रूप में 15-20 हजार रुपए प्रतिमाह तक कमा सकते हैं।
कौन-सा करें कोर्स
एनिमेशन एवं मल्टीमीडिया का कोर्स सामान्यतया 15 माह का होता है। कोर्स के अंतर्गत पेज सेटिंग, ग्राफिक्स डिजाइन, 2-डी एवं 3-डी एनिमेशन, साउंड एडिटिंग, फोटो एडिटिंग, वीडियो एडिटिंग, साउंड मिक्सिंग, वीडियो मिक्सिंग, स्पेशल इफेक्ट्स, वेब डिजाइनिंग, कंप्यूटराइज्ड ड्रेस डिजाइनिंग, विज्ञापन डिजाइनिंग, कंटेंट राइटिंग आदि का अध्ययन शामिल है।
औपचारिक शिक्षा के बाद मल्टीमीडिया और एनिमेशन सॉफ्टवेयर की ट्रेनिंग लेकर युवा आसानी से कुशल एनिमेटर बन सकते हैं। अगर इस क्षेत्र में उच्च अध्ययन करना चाहते हैं तो एनिमेशन और मल्टीमीडिया में प्रोफेशनल डिप्लोमा प्रोग्राम ज्वाइन कर सकते हैं। इसमें जिन क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल की जा सकती है, वे हैं: 3-डी या 2-डी मॉडलिंग, स्पेशल एफओएक्स क्रिएशन, एनिमेशन, कैरेक्टर डिजाइन, गेम्स डिजाइन और इंटरेक्शन डिजाइन। चिलाका का कहना है, आज दुनिया भर में फ्लैश सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है। अच्छी ड्राइंग की क्षमता रखने वाले लोगों को 2-डी एनिमेशन पर आधारित फ्लैश पर काम करना चाहिए।
योग्यता
मल्टीमीडिया कोर्स के साथ खास बात यह है कि यह जितना आधुनिक और व्यापक है, उसके हिसाब से इस कोर्स में प्रवेश के लिए किसी बड़ी डिग्री की आवश्यकता नहीं होती। हां, अधिकतर संस्थान कम से कम 12वीं पास स्टूडेंट्स को इस कोर्स में एडमिशन देते हैं। इसके लिए अंग्रेजी भाषा का ज्ञान और क्रिएटिविटी सफलता की शर्त है। कई संस्थानों द्वारा मल्टीमीडिया में डिप्लोमा, सर्टिफिकेट व पीजी डिप्लोमा कोर्स संचालित किए जाते हैं। कुछ विश्वविद्यालय एनिमेशन में पीजी कोर्स भी संचालित कर रहे हैं। इनमें आप ग्रेजुएशन के बाद एडमिशन ले सकते हैं। अगर आपने बीएफए या एमएफए किया है, तो आप ड्राइंग व विजुअल इफेक्ट्स की बारीकियां आसानी से समझ सकते हैं।

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