Sunday, February 26, 2017

ऑफ बीट करियर

दिल की धडक़नें कैलकुलेट कीजिए। दिमाग में करियर को लेकर चल रहे इंटिग्रेशन और डिफरेंशिएशन को नतीजे तक पहुंचने दीजिए। अगर मन करियर की फिक्स्ड मैग्नेटिक फील्ड से निकलकर कुछ ऑफकरने ​को तैयार है तो टेंशन लेने की जरूरत नहीं। ये साइंस का वक्त है। आपके पास ऑफ बीट करियर की लंबी इलेक्ट्रिक फील्ड है। इंटर में बायॉलजी सब्जेक्ट रहा हो या मैथ्स, दोनों के लिए नई फील्ड्iस में करियर की प्रॉबबिलिटी क्या है और वहां तक पहुंचने का रास्ता किन कोर्स की नब्ज समझने से बनता है। क्या इन कोर्स के लिए तैयारी की जरूरत है, कहां से हो सकते हैं ऐसे कोर्स, जो अच्छी कमाई के साथ-साथ कुछ अलग करने की संतुष्टिi देंगे। ऐसे ही कुछ करियर ऑप्शंस पर पेश है हमारी 
खास रिपोर्ट : 

मरीन इंजीनियरिंग 

बनें समुद्री दुनिया के एक्सपर्ट : मरीन बायॉलजी, ओशनोग्राफी और ओशन इंजीनियरिंग में मरीन साइंस के अंतर्गत काम करने की अधिक संभावनाएं रहती हैं। पढ़ाई के दौरान स्टूडेंट्स को समुद्री जीवों, वनस्पतियों के बारे में बताया जाता है। ओशन इंजीनियरिंग में समुद्र की स्टडी में यूज होने वाले उपकरण बनाने और उनके इस्तेमाल की जानकारी दी जाती है। 

मिनिमम क्वॉलिफिकेशन : मरीन साइंस के क्षेत्र में एंट्री दो लेवल पर होती है। अंडरग्रैजुएट लेवल पर एंट्र्री करने वालों के लिए मरीन साइंस में बीएसएसी या बीटेक की डिग्री होनी चाहिए। वहीं हाई पोस्ट पर जॉब्स के अवसर पोस्टग्रैजुएशन के बाद खुलते हैं। पोस्टग्रैजुएशन स्तर पर एमएससी और एमटेक के ऑप्शन मौजूद हैं। इसके अलावा रिसर्च में करियर बनाने के लिए पीएचडी जरूरी है। 

सैलरी : 30,000 रुपये/माह से शुरुआत। 

यहां से करें कोर्स : 
गोवा यूनिवर्सिटी - www.unigoa.ac.in 
इंडियन इंस्टिट्iयूट ऑफ ट्रॉपिकल मैट्रियोलॉजी, पुणे - www.tropmet.res.in 
नैशनल जियोफि जिकल रिसर्च इंस्टिट्iयूट, हैदराबाद -www.ngri.org.in 

एनवायरनमेंटल एक्सपर्ट 

आबोहवाह के जानकार : कई कंपनियों में पर्यावरण संरक्षण से संबंधित नौकरी की संभावनाएं हैं। इनमें रिसर्च और एडवाइस देने वाले लोग, ऊर्जा की खपत कम करने की दिशा में काम करने वाले एक्सपर्ट आते हैं। इसके अलावा एनवायरनमेंटल साइंस की पढ़ाई करके पारिस्थितिकी तंत्र व जैव विविधता बरकरार रखने के गुर सिखाने वाले विशेषज्ञ, प्रदूषण कम करने के टिप्स देने वाले एक्सपर्ट की जॉब भी मिल सकती है। ये सभी काम ग्रीन जॉब्स की श्रेणी में आते हैं। 

मिनिमम क्वॉलिफिकेशन : एनवायरनमेंटल साइंस की फील्ड में अंडरग्रैजुएट लेवल पर एंट्र्री के लिए बीएससी इन एनवायरनमेंटल साइंस या किसी भी साइंस सब्जेक्ट में ग्रैजुएशन और साथ में एनवायरनमेंटल साइंस में डिप्लोमा होना चाहिए। पीजी के लिए एमएससी या एमटेक इन एनवायरनमेंटल साइंस जरूरी। 

सैलरी : 20 हजार रु./ माह से शुरुआत 

यहां से कर सकते हैं कोर्स : 
स्कूल ऑफ एनवायरनमेंटल साइंस, जेएनयू, नई दिल्ली - www.jnu.ac.in 
दी एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टिट्iयूट (टेरी), नई दिल्ली - www.jnu.ac.in 
सेंटर फॉर इकोलॉजिकल साइंसेज, इंडियन इंस्टिट्iयूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु- ces.iisc.ernet.in 

कोर्स का समय : ग्रैजुएशन में मई और पीजी कोर्स में अप्रैल में शुरू होते हैं एडमिशन 

न्यूक्लियर साइंटिस्ट 

एटम वल्र्ड में आजमाएं हाथ : न्यूक्लियर साइंस की फील्ड में नौकरी और रिसर्च की काफी संभावनाएं हैं। इसमें ऊर्जा का क्षेत्र अलग है, वहीं न्यूक्लियर रिएक्टर डिजाइन, सेफ्टी जैसे कई सब्जेक्ट इससे जुड़े रहते हैं। 

मिनिमम क्वॉलिफिकेशन : इसमें करियर बनाने के लिए बीटेक या बीएसएसी इन न्यूक्लियर साइंस होना जरूरी है। इसके अलावा रिसर्च में करियर बनाने के लिए पीएचडी भी कर सकते हैं। 

सैलरी : 50,000 रुपये / माह से शुरुआत 

यहां से करें कोर्स : 
भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर, मुंबई- barcrecruit.gov.in 
दिल्ली यूनिवर्सिटी - www.du.ac.in 
मनिपाल इंस्टिट्iयूट ऑफ टेक्नॉलजी, उडुपी - www.manipal.edu 
सेंटर फॉर न्यूक्लियर मेडिसिन, पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ nuclearmedicine.puchd.ac.in 

एडमिशन लेने का वक्त : मई में शुरू होते हैं एडमिशन 

कार्टोग्राफर 

नक्शानवीसी के हुनर : कार्टोग्राफर साइंटिफिकल, टेक्नॉलजिकल और ज्योग्रॉफिकल इन्फर्मेशन को डायग्राम, चार्ट, स्प्रेडशीट और मैप के रूप में पेश करता है। इसमें डिजिटल मैपिंग और ज्योग्रॉफिकल इन्फर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) सबसे ज्यादा काम में आता है। 

मिनिमम क्वॉलिफिकेशन : 
कार्टोग्राफर बनने के लिए बैचलर ऑफ कार्टोग्राफी करना होता है। अर्थ साइंस और अन्य फिजिकल साइंस ग्रैजुएट स्टूडेंट्स भी इस क्षेत्र में करियर बना सकते हैं। उन्हें अपने बीएससी या बीटेक में एक सब्जेक्ट कार्टोग्राफी रखना चाहिए। 

यहां से करें कोर्स : 
इंस्टिट्यूट ऑफ जियो इन्फ र्मेटिक्स एंड रिमोट सेंसिंग, कोलकाता 
नैशनल एटलस एंड थीमैटिक मैपिंग ऑर्गनाइजेशन, कोलकाता - natmo.gov.in 

सैलरी : 30 हजार से शुरुआत, विदेश में भी जॉब के ऑप्शन मिलते हैं। 

एडमिशन लेने का वक्त : मई के अंत तक मौका। 

डिजिटल फरेंसिक एक्सपर्ट 

डिजिटल डिटेक्टिव : इस समय साइबर क्राइम के मामले दिनों दिन बढ़ रहे हैं। ऐसे में कंप्यूटर फरेंसिक की फील्ड में काफी संभावनाएं बढ़ी हैं। कंप्यूटर फ रेंसिक एक्सपर्ट को साइबर पुलिस, साइबर इन्वेस्टिगेटर या डिजिटल डिटेक्टिव भी कहा जाता है। इन्हें डिजिटल सबूत जुटाने की ट्रेनिंग दी जाती है। यह फील्ड काफी रोचक मानी जाती है। इस फील्ड में सरकारी और प्राइवेट दोनों जगह जॉब के अच्छे ऑप्शन हैं। 

सैलरी : 25 हजार रुपये / माह से शुरुआत 

मिनिमम क्वॉलिफिकेशन : डिजिटल फरेंसिक एक्सपर्ट बनने के दरवाजे डिजिटल फरेंसिक साइंस में बीएससी करने के बाद खुलते हैं। हाई पोस्ट जॉब्स के लिए मास्टर्स डिग्री इन डिजिटल फरेंसिक साइंस जरूरी है। डिजिटल फरेंसिक की डिग्री के साथ साइबर लॉ में बैचलर डिग्री या डिप्लोमा हो तो कहने ही क्या हैं। इसके बाद प्राइवेट डिटेक्टिव के तौर पर हाथ आजमा सकते हैं। 

यहां से करें कोर्स : 
एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा, यूपी - www.amity.edu 
बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी, झांसी, यूपी - www.bujhansi.org 
उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद -www.osmania.ac.in 

एडमिशन लेने का वक्त : मई में शुरुआत 


न्युट्रिशनिस्ट 

खान-पान में ढूंढ़े पैशन : न्युट्रिशनएक्सपर्ट की आवश्यकता गांव से लेकर कॉरपोरेट वल्र्ड और फूड रिसर्च सेंटर तक में है। जीवनशैली और खान-पान की आदतों में बड़ी तेजी से बदलाव आने से न्युट्रिशन साइंस में करियर के अवसर बढ़े हैं। आहार और पोषण से जुड़े एक्सपर्ट लोगों को उम्र, सेक्स, शारीरिक कार्यक्षमता और विभिन्न प्रकार की बीमारियों के अनुसार खान-पान की सलाह देता है। 

मिनिमम क्वॉलिफिकेशन: न्युट्रिशनिस्ट बनन के लिए आपको न्युट्रिशन या फूड साइंस में बैचलर डिग्री लेनी होगी। होम साइंस और अन्य साइंस सब्जेक्ट के स्टूडेंट भी इसमें करियर बना सकते हैं। उन्हें एक सब्जेक्ट में न्युट्रिशन साइंस रखना होगा या फिर न्युट्रिशन साइंस में डिप्लोमा लेना होगा। 

सैलरी : 25 हजार रुपये / माह से शुरुआत 

यहां से करें कोर्स : 
लेडी इरविन कॉलेज, नई दिल्ली- www.ladyirwin.edu.in 
श्रीमती नत्थीबाई दामोदर ठाकरे महिला 
यूनिवर्सिटी, मुंबई -www.sndt.ac.in 
उस्मानिया यूनिवर्सिटी हैदराबाद - www.osmania.ac.in 

एडमिशन लेने का वक्त : मई में होती है शुरुआत 


साउंड इंजीनियर 

आवाज के जादूगर : इन दिनो फिल्मों में साउंड इफेक्ट्स पर काफी जोर दिया जाने लगा है। खासकर हॉलिवुड फि ल्मों में इसका जमकर इस्तेमाल होता है। विदेशों में भी भारतीय साउंड इंजीनियरों की मांग बढ़ती जा रही है। स्लमडॉग मिलेनियर के लिए साउंड ऐंड म्यूजिक में रसूल पुकुटी के ऑस्कर अवॉर्ड जीतने के बाद यह सेक्टर युवाओं में खासा पॉपुलर हुआ। आप साउंड इंजीनियर, ब्रॉडकास्ट इंजीनियर, साउंड एडिटर एंड मिक्सर, साउंड इफेक्ट एडिटर, म्यूजिक एडिटर, री-रिकॉर्डिंग मिक्सर, स्टूडियो इंजीनियर, डायलॉग एडिटर, लोकेशन साउंड इंजीनियर जैसी पोस्ट पर काम कर सकते हैं। 

मिनिमम क्वॉलिफिकेशन : साउंड इंजीनियर बनने के लिए साउंड इंजीनियरिंग में सर्टिफिकेट या डिप्लोमा करना होता है। सर्टिफिकेट या 
डिप्लोमा कोर्स किसी भी स्ट्रीम से बैचलर डिग्री पूरी करने के बाद किया जा सकता है। लेकिन 12वीं में फिजिक्स और मैथ्स जैसे सब्जेक्ट होने जरूरी हैं। 

सैलरी : 20 हजार रुपये / माह 
से शुरुआत, अनुभव के साथ बढ़ती है सैलरी 

यहां से करें कोर्स : 
दिल्ली फिल्म इंस्टिट्यूट, दिल्ली- www.delhifilminstitute.com 
फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे-www.ftiindia.com 
सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट, कोलकाता-www.srfti.gov.in 

एडमिशन लेने का वक्त : जनवरी में शुरू होते हैं एडमिशन 

माइक्रोबायॉलजिस्ट 

माइक्रोस्कोप की बड़ी दुनिया : इस फील्ड में फिजियॉलजी ऑफ माइक्रोब्स, माइक्रोब्स की जैविक संरचना, एग्रीकल्चर माइक्रोबायॉलजी, फूड माइक्रोबायॉलजी, बायोफर्टिलाइजर में माइक्रोब्स, कीटनाशक, पर्यावरण, मानवीय बीमारियों आदि में सूक्ष्म जीवों की स्टडी की जाती है। 

मिनिमम क्वॉलिफिकेशन : माइक्रोबायॉलजिस्ट बनने के लिए माइक्रोबायॉलजी या बायॉटेक्नॉलजी में बैचलर डिग्री जरूरी है। माइक्रोबायॉलजी में रिसर्च के क्षेत्र में काफी जॉब्स के अवसर हैं। रिसर्च के लिए पीएचडी जरूरी। 

सैलरी : 20 हजार रुपये प्रतिमाह से शुरुआत 

यहां से करें कोर्स : 
मनीपाल अकैडमी ऑफ हायर एजुकेशन, कर्नाटक -www.manipal.edu 
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, यूपी- www.amu.ac.in 
दिल्ली यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली - www.du.ac.in 

एडमिशन लेने का वक्त : मई में शुरू होती है प्रक्रिय 


आर्टिफिशल इंटेलिजेंस स्पेशलिस्ट 

कंप्यूटर को बनाइए इंटेलिजेंट : आर्टिफि शल इंटेलिजेंस का मतलब है कृत्रिम तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता। इसमें कंप्यूटर को अलग-अलग परिस्थितियों के अनुसार अपनी प्रतिक्रिया चुनने के लिए प्रोग्राम किया जाता है। कंप्यूटर शतरंज प्रोग्राम इसी का उदाहरण है। इसमें अलग-अलग परस्थितियों के हिसाब से प्रोग्रामिंग की जाती है। 

मिनिमम क्वॉलिफिकेशन : इस फील्ड में करियर बनाने के लिए आर्टिफिशल इंटेलिजेंस या रोबोटिक्स में बैचलर डिग्री की आवश्यकता होती है। कं प्यूटर साइंस ग्रैजुएट भी इस क्षेत्र में करियर बना सकते हैं। हाईपोस्ट पर अवसर आर्टिफिशल इंटेलिजेंस या रोबोटिक्स में एमटेक के बाद जल्दी मिलते हैं। 

सैलरी : 30 हजार रुपये / माह से शुरुआत 

यहां से करें कोर्स : 
सीएआईआर (सेंटर फॉर आर्टिफि शल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स), बेंगलुरु 
नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग, मैसूर - www.nie.ac.in 
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी, इलाहाबाद -www.iiita.ac.in 

एडमिशन लेने का वक्त : अप्रैल में शुरू होते हैं एडमिशन

फोटोनिक्स 

लेटेस्ट लेजर : मेडिकल फील्ड हो या फिर कम्युनिकेशन टेक्नॉलजी सभी जगह फोटोनिक्स एक्सपर्ट की डिमांड है। मेडिकल में लेजर सर्जरी और ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाले उपकरण बनाने में फोटोनिक्स एक्सपर्ट की अहम भूमिका होती है। फिजिक्स की इस सब-फील्ड में फोटॉन्स का इस्तेमाल कर नई टेक्नॉलजी विकसित की जाती है। इस टेक्नॉलजी का इस्तेमाल लेजर सर्जरी, फोटोग्राफी, रोबोट को आंखे देने आदि में होता है। 

मिनिमम क्वॉलिफिकेशन : इसके लिए फोटोनिक्स या ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक्स में मास्टर्स डिग्री करनी होगी। इसके लिए एमटेक और एमएससी के ऑप्शंस उपलब्ध हैं। आप एमएससी इन फोटोनिक्स करने के बाद एमटेक, एमफिल, पीएचडी कर सकते हैं। 

सैलरी : 40 हजार रु./माह से शुरुआत 

यहां से करें कोर्स : 
कोच्चि यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नॉलजी, केरल www.cusat.ac.in 
आईआईटी, मद्रास www.iitm.ac.in 
राजर्षि साहू कॉलेज, लातूर www.shahucollegelatur.org.in

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