Wednesday, July 15, 2015

थर्मल सौर ऊर्जा के कोर्स

दुनिया भर में पैट्रोल एवं गैस जैसे ऊर्जा के पारम्परिक संसाधनों की बढ़ती कीमतों के बीच ऊर्जा के गैर-पारम्परिक स्रोतों को पहले से कहीं अधिक महत्व दिया जाने लगा है। सूर्य की रोशनी से प्राप्त होने वाली ऊर्जा यानी सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भी अब तेजी से विकास हो रहा है।

भारत में भी सौर ऊर्जा के महत्व को पहचान लिया गया है तथा इसलिए हमारे यहां जवाहर लाल नेहरू सोलर मिशन की स्थापना भी की गई है जिसके लिए सरकार ने बजट में खरबों रुपए का आबंटन किया है। भारत के अधिकांश इलाकों में साल भर खूब सूर्य चमकता है जिससे यहां सौर ऊर्जा की विपुल सम्भावनाएं हैं। एक अनुमान के अनुसार हमारे यहां विभिन्न सौर ऊर्जा परियोजनाओं की मदद से 2100 गीगावॉट ऊर्जा प्राप्त की जा सकेगी।

इस वक्त देश के गुजरात राज्य में सबसे अधिक सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित हैं। भविष्य में इस क्षेत्र में सम्भावनाओं को देखते हुए ही अब अनेक औद्योगिक घराने इस क्षेत्र में कदम रख रहे हैं।

सम्भावनाएं
इस क्षेत्र में विकास के लिए विभिन्न विषयों में महारत रखने वाले पेशेवरों की जरूरत तथा मांग भी पैदा हुई है। इस प्रकार सौर ऊर्जा का क्षेत्र भी अब उज्ज्वल भविष्य की नई सम्भावनाओं से भरा हुआ है। एक अनुमान के अनुसार सौर ऊर्जा संबंधी तकनीकी कामों में 60-65 प्रतिशत इलैक्ट्रिकल इंजीनियर्स, 20 से 25 प्रतिशत मैकेनिकल इंजीनियर्स, 10 प्रतिशत इलैक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स और बाकी सिविल इंजीनियर्स की जरूरत पड़ेगी। विशेषज्ञ सौर ऊर्जा का भविष्य बेहद उज्ज्वल मानते हैं। अनुमान के अनुसार 2040 तक विश्व की कुल ऊर्जा खपत का पांच प्रतिशत भाग अकेले सौर ऊर्जा पूरा करेगी। विश्व की वर्तमान विद्युत खपत 2040 तक दोगुनी से भी ज्यादा हो जाएगी, तब निगाह सौर ऊर्जा पर ही टिकेगी। 2020 तक सोलर थर्मल पावर उद्योग का सालाना कारोबार 7.6 अरब डॉलर का होगा।

कार्यक्षेत्र
इस क्षेत्र में इलैक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स के लिए सबसे आम रोजगार सोलर सैल्स एवं मॉड्यूल्स की फैब्रिकेशन, टैसिंटग एवं वायरिंग का है। हालांकि इलैक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स के लिए इस इंडस्ट्री में सबसे उपयुक्त काम रिसर्च एंड डिवैल्पमैंट और प्रोडक्शन में है, वे इंस्ट्रूमैंटेशन, इंस्टालेशन, ऑप्रेशन एंड मॉनिटरिंग, फाइनांसिंग तथा प्रोजैक्ट डिवैल्पमैंट संबंधी कामों में भी रोजगार प्राप्त कर सकते हैं।

युवा सोलर एनर्जी सैक्टर में सोलर पी.वी. डिजाइन इंजीनियर, प्रोसैस इंजीनियर, आर.एंड डी. प्रोफैशनल, सेल्स एंड मार्कीटिंग इंजीनियर, प्रोडक्शन मैनेजर, प्रोजैक्ट मैनेजर, पी.वी. फैब्रिकेशन एवं टैसिंटग टैक्नीशियन आदि कई पदों पर नियुक्ति हासिल कर सकते हैं।

योग्यता
आमतौर पर सौर ऊर्जा के तकनीकी क्षेत्रों में काम करने के लिए बी.टैक या एम.टैक डिग्री ही सर्वाधिक उपयुक्त शैक्षिक योग्यता मानी जाती है। इस क्षेत्र में काम करने के लिए सोलर सिस्टम्स, पी.वी. पैनल्स, इवर्टर सिस्टम्स, डी.सी. केबलिंग एवं अन्य संबंधित तकनीकों की आधारभूत जानकारी होनी चाहिए।

प्रौसैस इंजीनियर्स को सोलर फोटोवॉल्टाइक सैल/मॉड्यूल या सैमीकंडक्टर डिवाइस मैन्युफैक्चरिंग का ज्ञान होना चाहिए। जो युवा रिसर्च एंड डिवैल्पमैंट में रुचि रखते हैं उन्हें सोलिडस्टेट फिजिक्स में पीएच.डी. डिग्री हासिल करनी चाहिए या इलैक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशन्स में बी.ई./बी.टैक डिग्री प्राप्त करनी चाहिए।
वरिष्ठ पदों पर नियुक्ति के लिए इलैक्ट्रॉनिक्स रिसर्च एंड डिवैल्पमैंट, टैक्नोलॉजी मैनेजमैंट एवं प्रोडक्ट डिवैल्पमैंट प्रोसैसेज में कुछ अनुभव होना जरूरी है।

सौर ऊर्जा से जुड़े दिलचस्प तथ्य

1 सूर्य की किरणें धरती पर 500 सैकेंड में पहुंचती हैं।

2 वायुमंडल में शोषित होकर पृथ्वी पर लगभग 0.95 मैगावॉट ऊर्जा तत्काल आती है।

3 धरती के वायुमंडल की ऊपरी सतह पर मिलने वाली सौर ऊर्जा 1.353 किलोवॉट वर्ग मीटर होती है।

4 ईसा पूर्व 470 में दार्शनिक सुकरात ने पहली बार सौर ऊर्जा सिद्धांत का जिक्र किया था।

5 ईसा से 300 वर्ष पूर्व यूनान के महान गणितिज्ञ यूक्लिड ने सौर ऊर्जा की उपयोगिता से जुड़ा तर्क सिद्धांत प्रस्तुत किया था।

6 छठी शताब्दी में सूर्य किरणों से प्रज्वलित दर्पणों की खोज हुई थी।

प्रमुख संस्थान

देश में रिन्यूएबल एनर्जी में अधिकतर कोर्स मास्टर लैवल पर उपलब्ध हैं। ये कोर्स करवाने वाले संस्थानों में शामिल हैं-

1 सैंटर ऑफ एनर्जी स्टडीज, आई.आई.टी. दिल्ली

2 डिपार्टमैंट ऑफ एनर्जी साइंस एंड इंजीनियरिंग, आई.आई.टी. मुम्बई

3 टी.ई.आर.आई. यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली

4  यूनिवर्सिटी ऑफ लखनऊ, उत्तर प्रदेश

5 पंडित दीनदयाल पैट्रोलियम यूनिवर्सिटी, गांधीनगर, गुजरात


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