Tuesday, July 21, 2015

Career in शिक्षण

परिचय

एक शिक्षक का बच्चे के प्रति उत्तरदायित्व शायद उसके माता-पिता से भी कहीं ज्यादा होता हैं. चूंकि बच्चा विद्यालय में केवल शिक्षा ही ग्रहण नहीं करता बल्कि अपने शिक्षकों से जीवन के नैतिक मूल्यों को भी ग्रहण करता है.
चाहे वह स्कूल के स्तर पर शिक्षण कार्य हो या कॉलेज के स्तर पर, शिक्षण को करियर के रूप में अपनाने के लिए सबसे आवश्यक है आपमें विचारों के आदान-प्रदान की क्षमता होनी चाहिए . एकतरफ जहाँ स्कूल टीचर के रूप में आप बच्चों के कोमल मन को शिक्षित करते हैं वहीं दूसरी तरफ कॉलेज के वातावरण में आप छात्रों से मित्रवत व्यवहार कर बौद्धिक स्तर पर उनके साथ विचारों का आदान-प्रदान करते हैं.
भारत में शिक्षकों के लिए अंग्रेज़ी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान इत्यादि विषयों में बहुत अवसर उपलब्ध हैं. इंटरनेट के इस युग में जहां बच्चों के पास सूचना आवश्यकता से अधिक मात्रा में उपलब्ध हैं, अच्छे अध्यापकों की मांग निश्चित तौर पर ज्यादा बढ़ गयी है. कुछ स्कूलों द्वारा वर्चुअल क्लासरूम टीचिंग की शुरूआत कर देने से शिक्षकों के लिए अवसर और ज्यादा बढ़ गए हैं.
स्नातक के  उपरान्त अथवा इसके साथ-साथ ही शिक्षा में स्नातक की डिग्री हासिल की जा सकती है जिसके बाद आप आसानी से किसी स्कूल में अध्यापक का पद पा सकते हैं. साधारणतः सरकारी स्कूलों में अध्यापक का पद प्रतिष्ठित माना जाता है. परन्तु यदि आप शिक्षण की आधुनिक विधाओं का ज्ञान लेना चाहते हैं तो आपको प्राइवेट स्कूल में नौकरी तलाश करनी चाहिए.
कॉलेज में अध्यापन से करियर की शुरूआत करने के लिए आपको परास्नातक तथा उसके बाद डोक्टरेट की उपाधि प्राप्त करना आवश्यक है. इसके बाद आपको प्रवेश परीक्षा भी पास करनी पड़ेगी.

चरणबद्ध प्रक्रिया

बीएड पाठ्यक्रम भावी शिक्षकों में सैद्धांतिक, प्रायोगिक एवं वैश्लेषिक क्षमता विकसित करने हेतु डिजाईन किया गया है. एक पारंपरिक बीएड पाठ्यक्रम में निम्न विषय समाहित होते हैं:

शिक्षा सिद्धांतशिक्षा एवं विकास मनोविज्ञानसूचना संचार तकनीक एवं निर्देश तंत्रशिक्षा का मूल्यांकन एवं चुनावविषयपरक शिक्षाप्रायोगिक परीक्षासामूहिक चर्चालाईव प्रजेंटेशनछात्रों के साथ संवाद

उपरोक्त वर्णित विषयों में शिक्षकों को ट्रेनिंग देकर कॉलेज उनमें छात्रों को समझने व उनको सँभालने के गुण विकसित करते हैं.  कई कॉलेज छात्रों को प्लेसमेंट भी प्रदान करते हैं.
भारत में कुछ सबसे अच्छे बीएड कॉलेज हैं:  जेएसएस इंस्टीटयूट ऑफ़ एजूकेशन, बैंगलौर; कॉलेज ऑफ़ टीचर एजूकेशन, अगरतला; इंदिरा गांधी बीएड कॉलेज, कर्नाटक; एजी टीचर्स कॉलेज, अहमदाबाद तथा नेशनल काउन्सिल ऑफ़ टीचर एजूकेशन, नयी दिल्ली. इनके अलावा इग्नू (इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय) जैसे संस्थान हैं जिनका एक नियत पाठ्यक्रम है:

इन कॉलेजों  में दाखिला लेने के लिए आपको प्रवेश परीक्षा व साक्षात्कार से गुज़रना होगा.

पदार्पण

यदि आप छात्र हैं और टीचिंग को अपना करियर बनाना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको उन कॉलेजों के बारे में पता करना चाहिये जो बीएड कोर्स संचालित कर रहे  हैं. इसके अलावा आपमें छात्रों को पढ़ाने के दौरान भी अपने ज्ञान को बढ़ाने की इच्छा होनी चाहिए. यदि आपको शिक्षण में अपना करियर बनाना है तो आपको अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद अथवा कॉलेज के दौरान ही निम्लिखित चरण-बद्ध तरीके से शुरूआत कर सकते हैं:

बीएड कोर्स संचालित करने वाले कॉलेजों के बारे में सूचना एकत्र करिये. उदाहरण के तौर पर, अपने शहर में स्थित विश्वविद्यालय से ही शुरूआत कर सकते हैं.  यदि आप दिल्ली में रहते हैं तो दिल्ली यूनिवर्सिटी की वेबसाईट पर इसके बारे में देख सकते हैं. इसी तरह आप दूसरे विश्वविध्यालयों के बारे में भी सूचना एकत्र कर सकते हैं . कम से कम 4-5 विकल्प ज़रूर तलाशें .कौन-कौन से कॉलेज प्रवेश परीक्षा के द्वारा प्रवेश देते हैं, उनकी सूची बनाइये.  उन सम्भावित विषयों  को लिखिए जो कि परीक्षा में पूछे जा सकते हैं तथा उनकी तैयारी शुरू कर दीजिये. यदि ऐसा नहीं कर सकते तो अपने 12वीं के अंकों पर नज़र डालिए चूंकि ये आपको दाखिला दिला सकते हैं.उन स्कूलों व कॉलेजों की सूची बनाइये जहां आप कोर्स करने के पश्चात आवेदन कर सकते हैं. ऐसा इसलिए ताकि कॉलेज से निकलते ही आपको नौकरी मिल जाए.

क्या यह मेरे लिए सही करियर है?

शिक्षण को करियर के रूप में उन्हें चुनना चाहिए जो दूसरों के साथ सूचना व ज्ञान बांटने के लिए सदैव तत्पर हों. इस करियर का सबसे बड़ा फायदा है इसमें ज्यादा लम्बे वर्किंग आवर्स का नहीं होना. एक अध्यापक 8 या 9 टीचिंग सेशन के बाद घर वापस लौटकर आसानी से घरेलु एवं अन्य वैक्तिगत कम निपटाया जा सकता है. शायद यही वजह है कि महिलाएं इस करियर को सबसे ज्यादा पसंद करती हैं. हालाँकि आजकल तो पुरुष भी पूर्णकालिक शिक्षक के रूप में सामने आ रहे हैं. पारंपरिक विषयों के अलावा, शारीरिक शिक्षा एवं खेल, योग तथा कला एवं शिल्प भी शिक्षण में पसंदीदा विषय बनकर उभरे हैं.

खर्चा कितना होगा?

बीएड कोर्स का खर्चा करीब 10,000 से 30,000 के बीच आयेगा हालाँकि कुछ विश्वविद्यालय इससे कम फीस पर भी यह कोर्स संचालित कर रहे हैं.

छात्रवृत्ति

साधारणतः बीएड के लिए लोन लेने की ज़रुरत नहीं पड़ती है परन्तु फिर भी आप स्टेट बैंक ऑफ़ इण्डिया जैसे बैंकों से 7.5 लाख रूपये तक का लोन ले सकते हैं.

रोज़गार के अवसर

शिक्षकों के लिए रोज़गार के अवसर अच्छे हैं. वर्क टाइमिंग्स भी ठीक हैं. एक अध्यापक साधारणतः 8 बजे से 3 बजे तक क्लास लेता है हालाँकि महाविद्यालयों में शिक्षकों को अपने टाइमिंग्स निर्धारित करने की छूट रहती है परन्तु  वहां भी प्रसिद्ध कॉलेजों में 4-5 बजे तक ही क्लास संचालित होती हैं .

प्रतिष्ठित कॉलेज व यूनिवर्सिटीज़ में अवसरों की भले ही कमी हों परन्तु प्राइवेट कॉलेज एवं स्कूलों में एजूकेशन में डिग्री लेने के पश्चात आसानी से नौकरी प्राप्त की जा सकती है.

वेतनमान

सरकारी स्कूलों व कॉलेजों में वेतनमान अच्छा है. केन्द्रीय विध्यालय में एक प्राथमिक अध्यापक कक्षा के स्तर के अनुसार 20,000 से 25,000 तक आसानी से कमा लेता है. यहाँ इन्हें रहने, आने-जाने  व स्वास्थ्य के लिए भत्ते भी मिलते हैं.  वहीं दूसरी ओर, प्राइवेट स्कूल 15,000 से अधिक वेतन देते हैं जो कि कक्षा के स्तर तथा शिक्षक की योग्यता एवं अनुभव पर निर्भर करता है.

कॉलेजों में पढ़ाने पर आप कम से कम 40,000 रूपये मासिक व उससे ज्यादा  कमा सकते हैं परन्तु लेक्चरर व प्रोफ़ेसर के पद के लिए चयन प्रक्रिया काफी जटिल है तथा आपको इसके लिए कई प्रवेश परीक्षाओं को उत्तीर्ण करना होगा.

मांग एवं आपूर्ति

समाज में शिक्षक का योगदान बहुत महत्वपूर्ण  होता है चूंकि वह देश के भविष्य की नींव रखता है. हाल ही में बना  "शिक्षा का अधिकार"  क़ानून गाँव के बच्चों के लिए शिक्षा के कई अवसर लेकर आया है. भारत में पहले से ही सभी विषयों के शिक्षकों की बहुत कमी है. अब तो मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ेगी ही. कम वेतन की वजह से अब तक शिक्षकों की आपूर्ति कम रहती थी परन्तु हाल ही में सरकार ने स्थिति सुधारने के लिए कुछ कदम उठाये हैं.

मार्केट वॉच

बाज़ार में योग्य शिक्षकों की सदैव कमी रहती है. हर जगह पब्लिक व प्राइवेट स्कूल एवं प्राइवेट कॉलेज तथा यूनिवर्सिटीज़ के खुल जाने से लेक्चरर एवं प्रोफ़ेसर की मांग उच्चतम स्तर पर है.
चाहे वह एमिटी यूनिवर्सिटी, बिरला ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशन  या एमआईटी गाजियाबाद हो या फिर देश भर में फैले हुए कोई और निजी एमबीए कॉलेज, सभी को शिक्षण के लिए योग्य प्रोफेशनल्स की जरूरत है.
आजकल स्कूल वर्चुअल लर्निंग क्लासरूम की शुरूआत कर रहे हैं वहीं अधिकाँश स्कूलों में कक्षा 5 के बाद से ही कंप्यूटर एक अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाया जाने लगा है.  ऐसी स्थिति में आईटी प्रोफेशनल्स भी शिक्षण को एक करियर विकल्प के रूप में देख रहे हैं.
इसके अलावा, एनआईआईटी, एप्टेक, सीएससी, सीएमसी जैसे संस्थानों ने प्रोग्रामिंग के क्षेत्र में ट्रेनर्स के लिए संभावनाएं पैदा कर दी हैं.  कई परास्नातक छात्र अतिरिक्त धन कमाने के उद्देश्य से इन संस्थानों में पार्ट-टाईम जॉब करते हैं.

अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन

आज शिक्षण आमने-सामने मौखिक रूप में पढ़ाने तक ही सीमित नहीं रह गया है बल्कि ऑनलाईन वेब टीचिंग एवं ई-लर्निंग तक इसका विस्तार हो चुका है. अतः इस क्षेत्र में अवसर कई गुना बढ़  गए  हैं . 20-25  साल के अनुभव वाले सेवानिवृत्त अध्यापक आज ऑनलाईन ट्यूशन दे सकते हैं. ग्रामीण छात्रों के लिए इस माध्यम द्वारा पढ़ाई करना बहुत संभव हो सकता है.
यूके व यूएस जैसे देशों में हालाँकि शिक्षा तंत्र बहुत अलग है परन्तु सभी जगह इस क्षेत्र में अवसर अनेक हैं तथा साथ ही यह सबसे ज़्यादा आदरणीय प्रोफेशन में से एक है.



सकारात्मक/नकारात्मक पहलू

सकारात्मक

शिक्षण का क्षेत्र आपको विचारों के आदान-प्रदान व अपने ज्ञान को बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है. यदि कक्षा में उपस्थित छात्र उत्साही व सीखने के प्रति लगनशील हों तो शिक्षण भी एक मज़ेदार अनुभव होता है.  इस प्रोफेशन में बोर होने के बहुत ही कम अवसर हैं.सभी देशों में शिक्षण एक सम्माननीय प्रोफेशन है. इसकी टाइमिंग्स भी व्यक्ति की सुविधानुसार हैं.

नकारात्मक

दूसरी कॉर्पोरेट नौकरियों की तुलना में  ये जॉब आपको कम पैसे देगा.जहां कुछ स्कूलों व कॉलेजों में वेतन बहुत कम है वहीं कुछ स्कूल व कॉलेज ऐसे भी हैं जहां वेतन बहुत ज्यादा है. वेतन में इस विसंगति की वजह से शिक्षा का स्तर बुरी तरह प्रभावित होता है.भारत में छात्र की विशेष विषय में रूचि को देखते हुए पढ़ाने से ज्यादा अध्यापक का ध्यान पाठ्यक्रम पर रहता है. परिणामस्वरूप, गणित जैसे कठिन विषयों को प्रायोगिक विधियों से पढ़ाने को नज़रंदाज़ कर दिया जाता है. जब ये विषय सैद्धांतिक रूप में पढ़ाए जाते हैं  तो छात्रों को इनको समझने में कठिनाई होती है.

भूमिका एवं पदनाम

किसी संगठन में शिक्षक को लर्निंग एवं डेवलपमेंट प्रोफेशनल, कोच व विश्वसनीय सलाहकार के तौर पर जाना जाता है. जिन्होंने अपना मनोविज्ञान का कोर्स पूरा कर लिया है वो परामर्शदाता के रूप में जीवन की महत्त्वपूर्ण बातों तथा व्यक्ति प्रबंधन की शिक्षा दे सकते हैं.  इस प्रकार एक ही व्यक्ति हालाँकि विभिन्न पदनामों से जाना जाता है परन्तु उसकी सभी जगह भूमिका कमोवेश एक ही होती है. मूलतः शिक्षक का कार्य होता है- दूसरों को शिक्षा प्रदान करना तथा उनका तकनीकी एवं व्यक्तिगत विकास करना.

भारत में शिक्षकों की भर्ती करने वाले कुछ अग्रणी स्कूल व कॉलेज

केन्द्रीय विद्यालय संगठन (सीबीएसई पाठ्यक्रम)
राज्य सरकार अथवा नगर निगम/ पालिका द्वारा संचालित स्कूल
आईसीएसई जैसे अन्य बोर्डों से सम्बद्ध स्कूलविश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा अनुमोदित विश्वविद्यालयअखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् (एआईसीटीई) द्वारा अनुमोदित तकनीकी विश्वविद्यालय

रोज़गार प्राप्त करने के लिए कुछ सुझाव

यदि आपने शिक्षण कार्य के लिए कहीं आवेदन किया है तो निम्न बातों का ध्यान रखें:

आप ये पेशा क्यों चुनना चाहते हैं  या आज के भारत में इस प्रोफेशन की क्या अहमियत है, ऐसे सवालों के जवाब तैयार रखें. अपने जवाबों को आपकी शिक्षण के पेशे तथा आपके द्वारा चयनित विषय में रूचि एवं शिक्षक और छात्र जीवन को ध्यान में रखकर तैयार करें.चूंकि शिक्षण के कार्य को एक सम्माननीय पेशे के तौर पर देखा जाता है अतः ज़्यादा वेतन की मांग पर जोर ना डालें विशेषकर तब जब आप किसी सरकारी संस्थान में आवेदन कर रहे हों.जिस संस्थान में आवेदन कर रहे हैं, साक्षात्कार से पहले उसके बारे में पूरा अनुसंधान कर लें. यदि स्कूल या विश्वविद्यालय निजी है, तो आप अपनी व्यक्ति-प्रबंधन क्षमता का परिचय दे सकते हैं तथा साथ ही यह भी कह सकते हैं कि आप समय के साथ अपने कौशल को इंटरनेट एवं अन्य पत्रिकाओं जैसे माध्यमों की सहायता से विकसित करने के लिए आप सदैव तैयार रहते हैं. ऐसा इसलिए चूंकि सरकारी संस्थानों की अपेक्षा निजी संस्थान अधिक वैश्विक ज्ञान  की अपेक्षा रखते हैं. अपनी रूचि के अनुसार शिक्षण के कुछ सिद्धांतों को सूचीबद्ध करें तथा साक्षात्कार के दौरान इन्हें उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करें.छात्र जीवन के दौरान अथवा पिछली जॉब में प्राप्त किये गए पुरस्कारों के प्रमाण-पत्र अवश्य साथ ले जाएँ


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