Sunday, March 27, 2022

ऑप्टोमेट्रिस्ट मेंकरियर

क्वालीफिकेशन 
इस कोर्स के लिए न्यूनतम क्वालीफिकेशन है साइंस स्ट्रीम से 50 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं पास होना। फिजिक्स, कैमिस्ट्री, बायोलाजी/ मैथ्स से 12वीं पास स्टूडैंट्स ऑप्टोमेट्री से रिलेटेड कोर्स में दाखिला ले सकते हैं। ऑप्टोमेट्री में बैचलर डिग्री, बी.एससी. या फिर डिप्लोमा कोर्स के लिए रास्ते खुल जाते हैं। डिप्लोमा कोर्स की अवधि है दो वर्ष और बैचलर डिग्री कोर्स चार वर्ष का होता है। बैचलर डिग्री में तीन साल की पढ़ाई और एक साल की इंटर्नशिप होती है। इंटर्नशिप के तहत स्टूडैंट्स को किसी क्लीनिक या अस्पताल में आंख के डॉक्टर के अधीन काम करना होता है। इसमें एडमिशन आई.सी.ई.टी. एग्जाम में पास होने के बाद ही होता है। आमतौर पर इस कोर्स में आंखों की देखभाल से संबंधित विषयों को पढ़ाया जाता है। साथ ही कस्टमर को किस तरह का चश्मा पहनना है, कॉन्टैक्ट लैंस, लो-विजन डिवाइसेज एवं विजन थैरेपी, आई एक्सरसाइज आदि की ट्रेनिंग दी जाती है।

कार्यक्षेत्र
ऑप्टोमेट्रिस्ट या ऑप्टोमेट्रिक फिजीशियन आंखों की देखभाल और आंखों की जांच में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों के रख-रखाव आदि के विशेषज्ञ होते हैं। सर्जरी और दूसरी बड़ी जिम्मेदारी वाले काम उनके जिम्मे नहीं होते हैं। वे सभी उपचार ऑप्टिकल उपकरणों से करते हैं। इसके अलावा वे कलर ब्लाइंडनैस, दूर और नजदीक की कम रोशनी, मायोपिया, जैनेटिक प्रॉब्लम्स का इलाज भी करते हैं। उनका कार्य आंखों की जांच कर चश्मा या लैंस देना तो है ही, साथ ही उन्हें खुद बनाते भी हैं।

 

अवसर
कोर्स कम्प्लीट करने के बाद ऑप्टोमेट्रिस्ट के पास जॉब ऑप्शंस की कोई कमी नहीं है। कोर्स करने के बाद स्टूडैंट्स स्वयं की प्रैक्टिस कर सकते हैं, जैसे आई सर्जन करते हैं। ऑप्थोमोलिस्ट के रूप में किसी शोरूम में काम कर सकते हैं या फिर आंखों के हॉस्पिटल में कार्य की तलाश कर सकते हैं। इसके अलावा, उनके पास ऑप्टिकल लैंस मैन्युफैक्चरिंग यूनिट आदि खोलने का भी ऑप्शन होता है। इस फील्ड से जुड़े प्रोफैशनल्स कॉन्टैक्ट लैंस, लैंस इंडस्ट्री या फिर आई डिपार्टमैंट में काम कर सकते हैं।  कार्पोरेट सैक्टर में आंखों से संबंधित प्रोडक्ट्स बनाने वाली कम्पनी में प्रोफैशनल्स सर्विस एग्जीक्यूटिव के पद पर काम कर सकते हैं। गौरतलब है कि आंखों के डॉक्टरों को ट्रेंड असिस्टैंट की बहुत जरूरत पड़ती है जो कुशल तरीके से चश्मा, लैंस और दूसरे नेत्र उपकरण बना सकें। इसके अलावा, आंखों के उपचार में आने वाली चीजों का रख-रखाव भी जरूरी होता है। सरकारी नियमों के अनुसार, ऑप्टिकल दुकानों में भी ट्रेंड ऑप्टीशियन को ही रखने का प्रावधान है इसलिए वहां भी ऑप्टोमेट्रिस्ट के लिए अवसर होता है। इस तरह देखा जाए तो आने वाले दिनों में इस फील्ड में भरपूर नौकरियां होंगी।

पारिश्रमिक
अगर आप किसी अच्छे इंस्टीच्यूट से कोर्स करते हैं तो शुरूआती दौर में आप 15 से 20 हजार रुपए प्रतिमाह सैलरी की उम्मीद कर सकते हैं। कुछ वर्ष का वर्क एक्सपीरियंस हासिल कर लेते हैं तो सैलरी अच्छी हो सकती है। इसके अलावा आपके पास अपना कार्य शुरू करने का भी अवसर होता है। 

 

प्रमुख संस्थान
ऑल इंडिया इंस्टीच्यूट ऑफ मैडीकल साइंसेज, नई दिल्ली

दिल्ली पैरामैडीकल एंड मैनेजमैंट इंस्टीच्यूट, नई दिल्ली

गांधी आई हॉस्पिटल, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश 

बी.आर.डी. मैडीकल कॉलेज, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश

इंदिरा गांधी मैडीकल कॉलेज, शिमला, हिमाचल प्रदेश

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