इस क्षेत्र पर अभी तक किसी भी तरह की मंदी का कोई खास फर्क नहीं पड़ा है। इसका कारण यह है कि मंदी और तेजी दोनों समय में कंपनियों को इनकी जरूरत पड़ती है। काउंटिंग और ऑडिटिंग एक ऐसा क्षेत्र है जिसकी जरूरत सभी को पड़ती है, इसमें आपको किसी संस्था में रोजाना होने वाले लेन-देन का हिसाब रखने के अलावा अकाउंटिंग बुक्स की समीक्षा करनी होती है। कंपनियां ऑडिटिंग खुद करती हैं या इसके लिए किसी बाहरी संस्था की मदद लेती हैं।
लेकिन इन पेशों में हिसाब-किताब ही नहीं और भी काफी कुछ करना होता है। मोटे तौर पर अकाउंटेंट्स या ऑडिटर्स किसी कंपनी का वित्तीय रिकॉर्ड तैयार करते हैं और उसकी जांच करते हैं। अकाउंटेंट के किए काम की जांच करना ही ऑडिटर का मुख्य काम होता है।
एजुकेशन व योग्यता
इस क्षेत्र में आने के लिए आपका 12वीं पास करना जरूरी है। इसके बाद आप 12वीं में प्राप्त अंकों और तय मापदंडों के आधार पर बनी मेरिट लिस्ट के अनुसार किसी कॉलेज में बैचलर या डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं। वहीं कुछ प्रवेश परीक्षा, ग्रुप डिस्कशन व साक्षात्कार के बाद प्रवेश देते हैं। आगे अकाउंटेंट या ऑडिटर के पेशे में बेहतर मुकाम पाने के लिए लाइसेंस व सर्टिफिकेशन अर्जित करने पड़ते हैं।
इस क्षेत्र में आने के लिए आपका 12वीं पास करना जरूरी है। इसके बाद आप 12वीं में प्राप्त अंकों और तय मापदंडों के आधार पर बनी मेरिट लिस्ट के अनुसार किसी कॉलेज में बैचलर या डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं। वहीं कुछ प्रवेश परीक्षा, ग्रुप डिस्कशन व साक्षात्कार के बाद प्रवेश देते हैं। आगे अकाउंटेंट या ऑडिटर के पेशे में बेहतर मुकाम पाने के लिए लाइसेंस व सर्टिफिकेशन अर्जित करने पड़ते हैं।
आईसीएआई सर्टिफिकेशन (ICAI Certification)
अगर आप चार्टर्ड अकाउंटेंट बनना चाहते हैं तो 12वीं पास करने के बाद कॉमन प्रोफिशिएंसी टेस्ट दे सकते हैं। यह परीक्षा साल में दो बार जून और दिसंबर में आयोजित की जाती है। ग्रेजुएशन के आधार पर प्रवेश लेने वाले छात्रों को सीपीटी देना तब अनिवार्य होता है, जब कॉमर्स ग्रेजुएट ने 55 फीसदी से कम अंक प्राप्त किए हों या साइंस व आर्ट्स ग्रेजुएट ने 60 फीसदी से कम अंक प्राप्त किए हों।
अगर आप चार्टर्ड अकाउंटेंट बनना चाहते हैं तो 12वीं पास करने के बाद कॉमन प्रोफिशिएंसी टेस्ट दे सकते हैं। यह परीक्षा साल में दो बार जून और दिसंबर में आयोजित की जाती है। ग्रेजुएशन के आधार पर प्रवेश लेने वाले छात्रों को सीपीटी देना तब अनिवार्य होता है, जब कॉमर्स ग्रेजुएट ने 55 फीसदी से कम अंक प्राप्त किए हों या साइंस व आर्ट्स ग्रेजुएट ने 60 फीसदी से कम अंक प्राप्त किए हों।
सर्टिफाइड इंटरनल ऑडिटर (Certified Internal Auditor)
वहीं अगर आप अन्य देशों में एक ऑडिटर के तौर पर काम करने के लिए योग्य होना चाहते हैं तो आपके पास सर्टिफाइड इंटरनल ऑडिटर होना जरूरी है। यह सर्टिफिकेशन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनल ऑडिटर्स द्वारा कराया जाता है।
वहीं अगर आप अन्य देशों में एक ऑडिटर के तौर पर काम करने के लिए योग्य होना चाहते हैं तो आपके पास सर्टिफाइड इंटरनल ऑडिटर होना जरूरी है। यह सर्टिफिकेशन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनल ऑडिटर्स द्वारा कराया जाता है।
एसोसिएशन ऑफ चार्टर्ड सर्टिफाइड अकाउंटेंट्स (Association of Chartered Certified Accountants)
वहीं अगर आपने एसीसीए कोर्स किया तो आप अकाउंटिंग और फाइनेंस में बेहतर प्रबंधन के लिए तैयार हो सकते हैं। 12वीं पास के लिए इस सर्टिफिकेशन की अवधि तीन साल है। कॉमर्स ग्रेजुएट के लिए इसकी अवधि दो से ढाई साल होती है। इस सर्टिफिकेशन के जरिए मैनेजमेंट अकाउंटिंग एग्जीक्यूटिव, अकाउंट एग्जीक्यूटिव, क्रेडिट असिस्टेंट, असिस्टेंट फ्यूचर्स ट्रेड, असिस्टेंट टैक्स ऑफिसर आदि पदों पर काम मिलेगा।
सर्टिफाइड मैनेजमेंट अकाउंटेंट (Certified Management Accountant)
किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी के वित्तीय रिकॉर्ड पर नजर रखने वाले अकाउंटेंट का सर्टिफाइड मैनेजमेंट अकाउंटेंट होना अनिवार्य है। सीएमए अमेरिका के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अकाउंटेंट प्रमाणपत्र जारी करता है और इसकी अवधि छह माह की होती है। जबकि सीएमए इंडिया के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया प्रमाणपत्र जारी करता है, जिसका कोर्स तीन से चार साल की अवधि का होता है
वहीं अगर आपने एसीसीए कोर्स किया तो आप अकाउंटिंग और फाइनेंस में बेहतर प्रबंधन के लिए तैयार हो सकते हैं। 12वीं पास के लिए इस सर्टिफिकेशन की अवधि तीन साल है। कॉमर्स ग्रेजुएट के लिए इसकी अवधि दो से ढाई साल होती है। इस सर्टिफिकेशन के जरिए मैनेजमेंट अकाउंटिंग एग्जीक्यूटिव, अकाउंट एग्जीक्यूटिव, क्रेडिट असिस्टेंट, असिस्टेंट फ्यूचर्स ट्रेड, असिस्टेंट टैक्स ऑफिसर आदि पदों पर काम मिलेगा।
सर्टिफाइड मैनेजमेंट अकाउंटेंट (Certified Management Accountant)
किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी के वित्तीय रिकॉर्ड पर नजर रखने वाले अकाउंटेंट का सर्टिफाइड मैनेजमेंट अकाउंटेंट होना अनिवार्य है। सीएमए अमेरिका के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अकाउंटेंट प्रमाणपत्र जारी करता है और इसकी अवधि छह माह की होती है। जबकि सीएमए इंडिया के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया प्रमाणपत्र जारी करता है, जिसका कोर्स तीन से चार साल की अवधि का होता है
ऑडिटिंग व अकाउंटेंसी में करियर ऑप्शन (Career Options in Auditing and Accountancy)
एक ऑडिटर्स के पास इंटरनल ऑडिटर, एक्सटर्नल ऑडिटर, गवर्नमेंट ऑडिटर, फॉरेंसिक ऑडिटर आदि बनने के मौके होते हैं। यह मौके मेन्युफैक्चरिंग सेक्टर, इंश्योरेंस व बैंकिंग सेक्टर, कॉर्पोरेट, पब्लिक सेक्टर, एनजीओ आदि में मिल सकते हैं।
एक ऑडिटर्स के पास इंटरनल ऑडिटर, एक्सटर्नल ऑडिटर, गवर्नमेंट ऑडिटर, फॉरेंसिक ऑडिटर आदि बनने के मौके होते हैं। यह मौके मेन्युफैक्चरिंग सेक्टर, इंश्योरेंस व बैंकिंग सेक्टर, कॉर्पोरेट, पब्लिक सेक्टर, एनजीओ आदि में मिल सकते हैं।
सरकारी क्षेत्र में प्रवेश (Government Sector Entry)
अगर आप कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से सरकार के विभिन्न ऑडिटर्स व अकाउंटेंट के पदों पर करियर बनाना चाहते हैं, तो आपको एसएससी की प्रवेश परीक्षा पास करनी होगी। सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों, आयकर या सीमा शुल्क कार्यालयों, सार्वजनिक क्षेत्र की किसी भी इकाई जैसे बिजली बोर्ड आदि में भी नौकरी मिल सकती है।
सैलरी
इन क्षेत्रों में अच्छी डिग्री और बढ़िया अनुभव के साथ कमाई के मौके बेहतर होते जाते हैं। भारत के प्राइवेट सेक्टर में एक ऑडिटर की औसत सैलरी पांच से दस लाख रुपये सालाना और अकाउंटेंट के तौर पर तीन से पांच लाख रुपये सालाना हो सकती है। वहीं पद व कंपनी के अनुरूप वेतन बढ़ता है।
अगर आप कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से सरकार के विभिन्न ऑडिटर्स व अकाउंटेंट के पदों पर करियर बनाना चाहते हैं, तो आपको एसएससी की प्रवेश परीक्षा पास करनी होगी। सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों, आयकर या सीमा शुल्क कार्यालयों, सार्वजनिक क्षेत्र की किसी भी इकाई जैसे बिजली बोर्ड आदि में भी नौकरी मिल सकती है।
सैलरी
इन क्षेत्रों में अच्छी डिग्री और बढ़िया अनुभव के साथ कमाई के मौके बेहतर होते जाते हैं। भारत के प्राइवेट सेक्टर में एक ऑडिटर की औसत सैलरी पांच से दस लाख रुपये सालाना और अकाउंटेंट के तौर पर तीन से पांच लाख रुपये सालाना हो सकती है। वहीं पद व कंपनी के अनुरूप वेतन बढ़ता है।
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